Ancient indian military administration and ethics of war
1. !ाचीन भारतीय सै-य !ब-ध एवं
यु4ध 5यवहार
Ancient Indian Military Administration
and
Ethics of War
Dr. Virag Sontakke
1
2. Dr. Virag Sontakke
!7तावना
• !ाचीन काल से ह+ भारत म0 सुसंग4ठत, यु8ध कला म0 :नपुण
!=श?@त सेना थी।
• राCय के सात अंगो मे सेना का महFव अHधक है।
• मनु कहते है “यु8ध म0 रत रहना ह+ शां:त का सवKLम मागM है”।
• सेना के :नयम एवं क़ानून सदैव राCय के आदशT एवं =स8धांतो से
पUरव:तMत और !भाWवत होते है।
• कामXदक कहते है Yक बलशाल+ सेना रहने से राCय क[ सीमाएँ बढती
है, राजकोष मे वृ8Hध होती है और राCय के उ8देशb क[ शीc !ािeत
होती है।
• मानवी संfकृ :त के Wवकास म0 यु8ध एक !मुख कारक रहा है।
• !ाचीन भारत के सैXय और यु8धनी:त के ऊiलेख महाकाjयb,
अथMशाfk, शुlनी:त, जैन-बौ8ध oंथो, यवन oंथो, अ=भलेखb,
=शलालेखb म0 !ाeत होते है।
2
3. Dr. Virag Sontakke
सै-य बल/!कार
• कौ#ट%य के अनुसार सेना छ: 0कार क1 होती है
1. मौल
2. भृ;य या भृतक
3. <ेणी
4. >म?
5. अ>म?
6. आटAवक
• सभापवD ने ४ सैGय बल के 0कार (<ेणी, अ>म? को
छोड़कर)
• युMधकाOड ने सैGय बल के ५ 0कार (<ेणी को छोड़कर)
3
4. Dr. Virag Sontakke
मौल
• मौल दल वंशपर*परानुगत होता था।
• मौल दल 4थायी सेना होती थी।
• कौ:ट<य ने मौल दल को मह=वपूण@ मना है BयCDक
यह राजा Fवारा GHतपाIलत होती है।
• मौल दल के सैHनक Hन=य सैHनकJ अLयास एवं
Nयायाम करते रहते थे।
4
5. Dr. Virag Sontakke
भृ>य या भृतक
• भृ=य दल और Rेणी दल को एक दूसरे के समान
कहा गया है।
• यह सेना वेतन भोगी होती थी।
• आपातकालTन ि4थHत मV सैHनकC कJ भतW कर यह
सेना तैयार कJ जाती थी।
• भृ=य दल का उ<लेख वलभी के रजा Zुवसेन Gथम
के Iशलालेख मे आया है।
5
6. Dr. Virag Sontakke
?ेणी
• NयापारT अपने सामनC कJ सुर[ा के Iलए Rेणी बल रखते
थे।
• कौ:ट<य Rेणी बल को सुNयवि4थत सैHनकC का दल मानते
है।
• Rेणी बल और भृ=य बल को एक दूसरे के समान कहा गया
है।
• समय पड़ने पर राजा Rेणी बल को बुलाते थे।
• Rेणी दल का उ<लेख वलभी के रजा Zुवसेन Gथम के
Iशलालेख मे आया है।
6
7. Dr. Virag Sontakke
BमC
• Iम^ सेना सामंतो कJ सेना होती थी।
• युFध काल मे इनकJ उपि4थHत अHनवाय@ होती थी।
• आवaयकता के अनुसार राजा Iम^/ सामंतो कJ सेना
को बुला सकता था।
7
8. Dr. Virag Sontakke
अBमC
• अIम^ सेना मे cविजत देश के सैHनक रहते थे।
• यह सैHनक दास के dप मे सेना मV भतW होते थे।
• कौ:ट<य कहते है कJ Dकसी अeछे सेनापHत कJ अgय[ता
मV अIम^ सेना और कु शल होती है।
• कौ:ट<य के अनुसार अIम^ सेना के सैHनक डाका डालने मे
मा:हर रहते थे।
8
9. Dr. Virag Sontakke
आटGवक
• यह जंगलT (जाती /आ:दवासी) कJ सेना होती थी।
• मानसो<लास के अनुसार आटcवक सेना मV *लेeछ, Hनषाद
और पहाड़ी लोग होते थे।
• कामmदक के अनुसार आटcवक सेना मV 4वभावत: लोभी,
अधाIम@क, अनाय@ लोग रहते थे।
• कौ:ट<य के अनुसार आटcवक सेना ड़ाके जनी करने मे आतुर
रहती थी।
9
10. Dr. Virag Sontakke
सेना का एHतहाBसक सवIJण
• सामाGयत: 0ाचीन भारतीय भारतीय सेना चतुरंTगणी थी।
• वै#दक काल मY Zथायी सेना का उ%लेख नह] >मलता, ले^कन प_ी
(पैदल सै`नक) तथा रTथम (रथ सेना)का उ%लेख >मलता है।
• उ_र वै#दक काल मY, प_ी (पैदल सै`नक) तथा रTथम (रथ सेना)
के अलावा अaव और हाTथयc के दल का उ%लेख >मलता है।
• महाभारत मY चतुरंTगणी सेना के उ%लेख 0ाdत होते है।
• मौयD काल मY चतुरंTगणी सेना थी।
• >सकं दर के समय मालव तथा शुfक के सेना के अaव, हिZत, रथ
एवं गज यह चार अंग थे।
• चे#द राजा खारवेल हाथीगुjफा अ>भलेख मY अaव, हिZत, रथ एवं
गज क1 Aवशाल सेना से सातकणl के AवmMध आnमण का
उ%लेख करता है।
10
11. Dr. Virag Sontakke
सेना के भाग
• Gमुखता: से सेना के चार भाग होते है (चतुरंpगणी)।
• ह4ती, अaव, रथ और पदाHत सेना को चतुरंpगणी सेना
कहते है।
• कामmदक, सेना के छः अंग मानते है ह4ती, अaव,रथ और
पदाHत के अHतrरBत (कोष और आवागमन)।
• शांHतपव@ मे सेना के आठ अंग बताए है ह4ती, अaव,
रथ और पदाHत के अलावा cविtट (बेगार), नाव, चर और
देIशक।
11
12. Dr. Virag Sontakke
गजसेना/ ह7तसेना
• 0ाचीन सैGय oयवZथा मY गजसेना का उपयोग मह;वपूणD था।
• युMध मY, ^क़लेबंद] तोड़ने मY, न#दयc को पार करने मY, नगरc-
दुगD को घेरा डालने मY हाथी उपयोगी थे।
• गज को युMध के >लए 0>शtuत ^कया जाता था।
• 0ाचीन Aवaव मY के वल भारत मY ह] हाTथयc का उपयोग युMध
मY ^कया जाता था।
• कौ#ट%य और कामGदक ने युMध के >लए हाTथयc का उपयोग
मह;वपूणD माना है।
• चंfगुdत क1 से%यूकस पर Aवजय का मुvय कारण गजसेना थी।
• अ0>शtuत हाथी युMध मY पराजय का कारण भी हो सकता है।
• भारत मY गजसेना का उपयोग अंwेज आने तक होता था।
12
14. Dr. Virag Sontakke
अMवसेना
• अaवसेना युFध मV अ=यंत उपयोगी होती थी।
• Iसकं दर के cवजय का मुuय कारण उसकJ अaवसेना
थी।
• अaवसेना 4फू Hत@ और तेज होने से युFध मV अHत
आवaयक IसFध होती थी।
• अaवसेना के बहुउपयोग के कारण Gाचीन भारत मV
अaवcवFया पढ़ायी जाती थी।
• क*बोज और गांधार के अaव युFध के Iलए उपयोगी
थे।
14
16. Dr. Virag Sontakke
रथसेना
• Gाचीन सैmय Nयव4था मV रथसेना को सवxeच 4थान था।
• युFध मV Gयोग आने वाले रथ को “सांzाIमक” कहा जाता
था।
• Iसकं दर के साथ युFध मV पोरस कJ रथसेना सि*मIलत
हुई थी।
• चं}गु~त कJ सेना मV ८००० रथ थे।
• उ•रवतW युग मV रथसेना का उपयोग कम हो गया,
अ<तेकर के अनुसार हष@ के समय तक रथसेना Gायः
समा~त हो चुकJ थी।
16
18. Dr. Virag Sontakke
पदाHत सेना
• पदाHत सेना हर युFध मV मह=वपूण@ रहती थी।
• सेना कJ Gथम इकाई पदाHत सेना होती थी।
• सेनाओं मV सबसे अpधक सैHनकC कJ संuया इmहT कJ होती
थी।
• पदाHत सेना Gमुखता: से चार श4^C का उपयोग करते थे।
1. खड़ग
2. धनुष-बाण
3. भाला
4. करवाल
18
20. Dr. Virag Sontakke
नौसेना
• नौसेना Gाचीन काल से हT सेना का मह=वपूण@ अंग रहT है।
• वै:दक सा:ह=य और महाभारत मV नौसेना का उ<लेख है।
• चं}गु~त मौय@ के सेना मV नौसेHनक बल था।
• मेग4थनीज़ भी मौय@ सेना के नौसेHनक बल का उ<लेख
करता है।
• सातवाहन काल मV भारत का रोम के साथ स*बmध भारतीय
नावC कJ Gगत अव4था का उदाहरण है।
• चोल राजवंश कJ नौसेना अ=यंत Gगत थी, िजसके बल पर
त=कालTन युग मV स*पूण@ द…[ण-पूव@ आIशया खंड पर
चोलC का Gभाव था।
• भारत के समु}तटTय [े^ के रा†य कJ सेना मV नौसेना
Gमुख थी।
20
22. Dr. Virag Sontakke
सै-य संQया
• Gाचीन भारतीय राज़ा cवशाल सेना रखते थे।
• रामायण मे व‡ण@त है कJ लवणासुर से युFध करने के Iलए
श^ुˆन ४००० घोड़C, २००० रथC,१०० हाथी लेके गये थे।
• zीक लेखकC के अनुसार नंद सा•ा†य के पास २,००,०००
पदाHत, ३०,००० घुड़सवार, ९००० हाथी और ८००० रथ थे।
• मेग4थनीज़ ने Iलखा है Dक चं}गु~त के पास ६,००,०००
पदाHत, ३००० अaव, ९००० हाथी थे।
• पाल रा†य के cव‘Fध आ’मण के समय राजा हष@ के पस
५००० हाथी, २००० घोड़े और ५०००० पदाHत थे।
22
23. Dr. Virag Sontakke
सै-य संयोजन
• शु3नी.तसार के अनुसार सै7य संयोजन म< :
1. ५-६ स<.नको कA एक पंिDत: उसपे पFGय अHधकारJ
2. ३० पFGपालN पर एक ग़ोPमQक होता था।
3. १०० गौPमQको पर एक शतानीक होता था। िजसे एक अनुश.तक,एक सेनानी और एक
लेखक सहायता के Pलए Pमलते थे।
4. २० हाHथयN या घोड़N के वामी को नायक कहा जाता था।
5. इनमे से ^_येक अHधकारJ अपना-अपना `बQला वbN पर लगाए रखते थे।
मेगथनीज़ मौयd सै7य संयोजन के बारे म< कहते है eक
एक ^शासक संथा सै.नक कायf कA देखभाल करती थी, िजसम< ६ भाग थे एवं हर भाग म<
५ सदय थे।
1. नौसेना
2. दूसरा भाग बैलगाiड़यN का था, जो भोजनसामjी और अ7य सामान ढोने के Pलए
3. पैदल सेना
4. घुड़सवार
5. रथ
6. हाथी
23
24. Dr. Virag Sontakke
अ"ो$हणी सेना का -व/प
• उ8योगपवM के अनुसार अ@ो4हणी सेना का fवqप
• एक सेना मे
1. ५०० हाथी
2. ५०० रथ
3. १५०० घोड़0
4. २५०० पैदल सै:नक
१० सेनाओं क[ १ !ूतना
१० !ूतनाओ क[ १ वा4हनी
१० वा4ह:नयb क[ १ yविजनी
१० yविजनीओं क[ १ चमू
और
१० चमुओ क[ १ अ@ो4हणी
महाभारत के युlध समय कौरवN के पास ११ तथा पाmडवो के पास ७ अpोqहणी सेना थी।
24
25. Dr. Virag Sontakke
सै-य -BशGवर
• सेनाओं के ठहरने Dक जगह को सेmय -Iशcवर कहते थे।
• सेmय -Iशcवर को उपकाया@,सेनाHनवेश,कटक भी कहते है।
• सेmय -Iशcवर ऊँ चे 4थान पर बनाए जाते थे।
• सेmय -Iशcवर के पास जल कJ उपल–धता होनी चा:हए।
• सेmय -Iशcवर के पास जंगल भी उpचत माना गया है।
• सेmय -Iशcवर के सुर[ा का यो—य Gबंध Dकया जाता था।
• cवना-अनुमHत प^ के सेmय -Iशcवर के अंदर Gवेश नहT था।
25
26. Dr. Virag Sontakke
सेना के 5यावहाUरक Hनयम
• शु’ के अनुसार
1. सैHनकC को zाम ब4ती के दूर (Dकं तु बहुत दूर नहT)
रहना चा:हए।
2. zामवासीयो और सैHनकC मV धन के लेन –देन नहT होना
चा:हए।
3. सैHनकC Dक Iलए राजा ने 4वतं^ दुकाने खोल के देनी
चा:हए।
4. राजा के अनुमHत ˜बना सैHनक zामC के भीतर ना जाए।
26
27. Dr. Virag Sontakke
सेना के सहायक अंग
• सेना जब युFध पर हो तो cवcवध साधनो और सहायक अंगो कJ
आवaयकता होती थी।
• सेmय-सामzी,रसद, श4^ ढोने के Iलए भारवाहक
• गु~तचर सहायक
• सामान ढोने के Iलए वाहन
• Nयय का :हसाब के Iलए Iलcपक और मं^ी काया@लय
• pचDक4तक दल और उनके साधन
• इंिजनीयर (रा4तC-पुल दु‘4त करने के Iलए)
• सैHनकC का मनोरंजन करने के Iलए नत@क, वादक, वैaयायV,
भांड़ इया:द।
27
28. Dr. Virag Sontakke
सेना के अVधकारW
• सेना को अनुशाIसत तथा Hनयं^ण मV रखने के Iलए सेना मV
cवcवध अpधकारT होते थे।
• राजा 4वतः सवxeच सेनापHत होता था।
• राजा Gधान सेनापHत HनयुBत करता था।
• ऋगवे:दक काल मV सेनानी का उ<लेख Iमलता है।
• उ•र वै:दक काल मV सेनानी Gधान सेनापHत के dप मV काय@
करता था।
• रामायण तथा महाभारत मV सेना के cवcवध अंगो एवं उनके
GमुखC कJ चचा@ कJ गयी है।
• कौ:ट<य अपने अथ@शा4^ मV १८ तीथ› और २७ अgय[ का
उ<लेख करता है।
28
29. Dr. Virag Sontakke
मौयX काल मY सेना के अVधकारW
• मौयM काल म0 !धान सेनाप:त के अ:तUरzत Wव=भXन सेXय Wवभागb के
=लए अलग-अलग अHधकार+ थे।
• पतध{य: पैदल सेना का सेनाप:त
• रथाHधपती: रथसेना का सेनाप:त
• अ}वाyय@: अ}वसेना का सेनाप:त
• गजाध{य: गजसेना का सेनाप:त
• नवाyय@: नौसेना का सेनाप:त
इसके साथ साथ
नायक (यु8ध काल म0 सेना का संचालन)
दुगMपाल (सा•ाCय के दुगK क[ सुर@ा)
दौवाUरक (राजा के अंत:पुर क[ र@ा)
अXतव=शMक: (राजा का अंगर@क) इनके उiलेख !ाeत होते है।
29
30. Dr. Virag Sontakke
गुZतकाल मY सेना के अVधकारW
• महाबलाpधकृ त: (राजा के बाद सेना का सवxeच
अpधकारT)
• महाcपलुपHत: (हाpथयC कJ सेना का Gधान)
• भटाaवपHत: (घुड़सवार कJ सेना का Gधान)
• रणभंडागाrरक : (सेना के सामनो कJ Nयव4था
करनेवाला)
• महासंpधcवzहक़ :शांHत तथा युFध संpध का मं^ी।
30
31. Dr. Virag Sontakke
सेना के सफलता के त4व
• सेनाओं को यु8ध म0 सफलता !ाeत हो इसके =लए !ाचीन oंथो मे Wव=भXन
तƒव बताए है।
1. मंk: कौ4टiय और कामXदक यु8ध म0 वीरता के साथ मंk
आव}यक बताए है।
• 1A) कायM को !ार…भ करने के उपाय
• 1B) पुqष और †jय क[ स…पWL
• 1C) देश-काल Wवभाग
• 1D) Wवeप:त-!:तकार
• 1E) कायM=स8Hध
2. क़ोष: क़ोष क[ गणना राCय के सात अंगो म0 होती है। यु8ध करके
क़ोष संo4हत Yकया जाता था।
3. Wवि‡ट: ˆ=मक, =शiपी, वाहक, HचYकFसक साथ म0 रहने चा4हये।
4. सैXय-बल: मौल ,भृFय या भृतक, ˆेणी ,=मk ,अ=मk, आटWवक
31
32. Dr. Virag Sontakke
सैHनक[ योयताएँ
• [^ीय का युFध धम@ माना गया है।
• महाभारत के अनुसार सभी वण@ के लोग सैHनक हो सकते
है।
• शु’ के अनुसार भी सभी वण@ के लोग सैHनक हो सकते
है, Dकं तु वह साहसी, Hनयं˜^त, शरTर से सुग:ठत,
cवaवासपा^, धाIम@क और श^ुदोहT होने चा:हए।
• शांHतपव@ मे कहा गया है Dक गांधार, Iसंधु, यवन और
द…[णी सैHनक अeछे होते है BयCDक वह साहसी होते है।
32
34. Dr. Virag Sontakke
यु4धनीHत
• यु8ध यह राजनी:त का अ=भXन अंग है।
• !बल/Wवज़ीHगषु राजा :नFय यु8धरत रहते थे।
• शkुओं का Wवनाश करने के =लए यु8ध महFवपूणM उपाय है।
• चूँYक यु8ध Wवनाशकार+ होता है, इसी=लए शािXत क[ अपे@ा भी क[
जाती थी।
• कौ4टiय, मनु और कामXदक के अनुसार राजा साम, दामद‹ड
और भेद क[ नी:त से शkु को िजतने का यFन करे।
• यु8ध से दोनो प@b का Wवनाश होता है, इसी=लए अ:नवायM
पUरिfथ:त म0 ह+ यु8ध Yकया जाना चा4हए, लेYकन यु8ध धमM के
अनुकू ल होना चा4हए।
34
35. Dr. Virag Sontakke
यु4ध के कारण
1. सा•ाCय Wवfतार
2. यश क[ !ािeत
3. =मk क[ सहायता करने के =लए
4. धा=मMक Ylया –कलाप के =लए।
5. धमM क[ र@ा
6. fkी !ािeत क[ अ=भलाषा
7. िfkयb के स…मान के =लए
8. धन/क़ोष !ािeत के =लए।
9. आlमण से सुर@ा
10. !:तशोध क[ भावना से
11. अFयाचार से र@ा करने के =लए
12. इFया4द 35
36. Dr. Virag Sontakke
यु4ध के भेद
• समाmयत: दो Gकार के युFध के उ<लेख है।
1. धम@युFध : वह युFध िजसमV शा4^ीय Hनयमो का पालन Dकया
जाता है।
2. कू टयुFध : वह युFध िजसमV शा4^ीय Hनयमो का पालन नहT
Dकया जाता है।
कौ:ट<य ने तीन Gकार के युFध का उ<लेख Dकया है
1. GकाशयुFध
2. कू टयुFध
3. तूषनीकयुFध
36
37. Dr. Virag Sontakke
!काशयु4ध
• GकाशयुFध को धम@युFध भी कहते है।
• आमने-सामने का युFध GकाशयुFध कहलाता है।
• देश,काल और परा’म का cवचार करके , यह युFध Dकया
जाता है।
• GकाशयुFध मV एक बलशालT योFधा दूसरे बलशालT योFधा से
युFध करता है।
• एक के साथ एक युFध होता है।
• अनेक योFधा Iमलकर एक पर वार नहT करते।
• GकाशयुFध मV युFध Hनयमो को पालन Dकया जाता है।
37
38. Dr. Virag Sontakke
कू टयु4ध
• छल और कपट से *कए गए यु/ध को कू टयु/ध कहते है।
• कू टयु/ध म9 धम:शा=>ो के ?नयमो का पालन नहA
*कया जाता।
• कौDटEय के अनुसार छल –कपट /वारा भय उJKपन
करना, दुग: को Nवंस करना कू टयु/ध है।
• अिQनदाह,लूटमार,मारकाट, चोरA, ?नश:=> पर वार
इJयाDद कू टयु/धके अंतग:त है।
38
39. Dr. Virag Sontakke
तूषनीकयु4ध
• तूषनीकयुFध भी एक Gकार का कू टयुFध है।
• तूषनीकयुFध मV श^ु प[ के नेता, सेनापHत और
मं˜^यो को फोड़ने का Gयास Dकया जाता है।
• तूषनीकयुFध मV गु~त dप से cवष Fवारा श^ु का
वध Dकया जाता है।
• कौ:ट<य कहते है कJ जब श^ु बलवान हो तब
तूषनीकयुFध का उपयोग करना चा:हए।
39
40. Dr. Virag Sontakke
यु4ध का उVचत 7थान और समय
• युFध के Iलए उpचत देश (4थान) और काल (समय) हमेशा
से मह=वपूण@ रहT है।
1. देश (4थान): युFध के Iलए पया@~त अ-कृ षक जगह
चा:हए, जहाँ सैmय युFध अLयास कर सके । उस [े^ मV
श^ु प[ को भी पया@~त जगह होनी चा:हए। जो जगह
श^ु के Iलए उpचत उसे अधम कहा गया है।(शु’नीHत)
1. काल (समय): युFध के Iलए शरद, हेमंmत और IशIशर
ऋतु यो—य माने गये है। वसmत ऋतु का समय मgयम
और zीtम का समय अधम माना गया है।
40
41. Dr. Virag Sontakke
यु4ध Hनयम
• कपटपूणM या गुeत आयुधb के साथ नह+ लड़ना चा4हये (मनु)।
• Wवषाzत, शूलाo या जलती हुई नोको वाले आयुधb से नह+ लड़ना
चा4हये।
• Wवषाzत बाणb का !योग :नWष8ध माना गया है (बौधायनसूk)।
• पानी पीते हुए सै:नकb को नह+ मारना चा4हये।
• खाना खाते हुए या जूता :नकालते हुए सै:नक पर वार नह+ करना
चा4हये।
• fkी, हथनी, सारथी, Žा…हंण, भाट को नह+ मारना चा4हये।
• बूढ़े और िजसने मुँह म0 :तनका ले रzखा है उसे नह+ मारना चा4हए
(शां:तपवM)।
• गदायु8ध का :नयम था Yक ना=भ के नीचे ना मारे।
• शां:तपवM म0 कहा गया है क[, शkु प@ के घायल सै:नकb क[
देखभाल करनी चा4हये और ठ•क होने पर उसे छोड़ 4दया जाए।
41
42. Dr. Virag Sontakke
यु4ध 5यवहार के !मुख Hनयम
1. आ’मण के अयो—य तथा अवgय NयिBत
2. शरणागत कJ र[ा
3. दूत कJ अवgयता
4. जनता कJ र[ा
5. योFधाओं मV समानता
6. युFध समय का पालन
7. cविज़त श^ु के GHत उpचत Nयवहार
8. युFध Hनयमो का पालन
42
43. Dr. Virag Sontakke
आ6मण के अयो9य तथा अव;य <यि>त
• ि4^यC, बालकC, Gम•ो और सोए हुए NयिBतयC पर वार
करना सव@था HनcषFध था।
• मनु के अनुसार नपुंसक, आ=मसमप@ण करने वाला, सोया
हुआ, मूHछ@त, न—न, हाथ जोड़े हुए NयिBत,
श4^र:हत,युFध देखने वाले NयिBत, अ=यpधक पीŸड़त,
घायल, युFध [े^ से भागता हुआ इ=या:द पर वार नहT
करना चा:हए।
• युFध मV ि4^याँ और बालक अवgय समझे जाते थे।
• दूत अवgय होते थे।
43
44. Dr. Virag Sontakke
शरणागत क[ रJा
• युFध मV शरणागत कJ र[ा करना धम@ समझा गया है।
• जो श^ु शरण मV आए उसकJ र[ा करना राजा का
कत@Nय है।
• शरणागत का वध करना, दि¡डत करना महापाप माना
गया है।
44
45. Dr. Virag Sontakke
दूत क[ अवcयता
• दूत कJ अवgयता सभी राजनीHतकरC ने मानी है।
• दूत का वध HनcषFध था।
• अcGय और अनुpचत बोलने पर भी दूत का वध नहT Dकया
जाता था।
• अpधक उFदmडता करने पर भी उसका वध नहT Dकया
जाता था बि<क cवdप Dकया जाता सकता था।
45
46. Dr. Virag Sontakke
जनता क[ रJा
• युFध के समय सामाmय जनता पर Gहार अनुpचत माना गया है।
• कृ षक, NयापाrरयC पर वार अधम@ कहा गया है।
• युFध Gयाण करने वालT सेना भी कृ cष फ़सलो को कोई
नुक़सान नहT करती थी।
• मेग4थनीज़ ने Iलखा है कJ युFधC के समय मV भी Dकसान कृ cष
करते थे और सामाmय जीवन पर को हानी नहT पहुँचती थी।
46
47. Dr. Virag Sontakke
यो4धाओं मY समानता
• योMधाओ मY शyती साधjयD, संतुलन और समानता होना मह;वपूणD
माना गया है।
• एक बलशाल] योMधा दूसरे बलशाल] योMधा से ह] युMध करना चा#हए
ये `नयम था।
• शुn कहते है क1 गजारोह] के साथ गजारोह], अaवारोह] के साथ
अaवारोह] और पदा`त के साथ पदा`त का युMध होना चा#हए।
• सशZ? के साथ सशZ? ने युMध करना उTचत माना गया है।
• अनेक सै`नकc Mवारा एक पर 0हार करना `नंदनीय समझा जाता
था।
47
48. Dr. Virag Sontakke
यु4ध समय का पालन
• Gाचीन भारत मV युFध :दन के Gकाश मV लड़ने कJ पर*परा थी।
• सूया@4त होने पर युFध करना विज@त था।
• रा˜^ का युFध रा[सी तथा अनुpचत समझा जाता था।
• लेDकन रा˜^ युFध के अनेक उदाहरण भारतीय इHतहास मV
Gा~त होते है।
48
49. Dr. Virag Sontakke
Gविज़त शCु के !Hत उVचत 5यवहार
• !ाचीन भारतीय पर…परा के अनुसार Wविज़त शkु के !:त उHचत jयवहार करना
धमM माना गया है।
• कोई भी परािजत राजा @मा और सCजनता के jयवहार का अHधकार+
है।
• मनु का मत है क[ Wवजीत राजा को ऐसा कायM नह+ करना चा4हए
िजससे परािजत राजा और !जा को वेदना हो।
• @मा माँगने वाले या अधीनता fवीकार करने वाले राजा को आदर के
साथ राCय वापस Yकया जाता था िजसके उदाहरण हम0 समु†गुeत के
!याग !शिfत म0 =मलते है।
49
50. Dr. Virag Sontakke
!न#कष&
• !ाचीन काल म) भारत, सै0य संगठन, यु6ध नी8त, 9यूह रचना, रणनी8त,
सै0य तकनीक इ>या?द म) !8तभावान था।
• मौयE काल म) चतुरंFगणी सेना थी।
• गुHतकाल म) राIय कJ संग?ठत सेना के साथ-साथ सामंती सेना भी काम म)
आने लगी थी।
• आरिNभक मOयकाल म) सै0य !णालP लगभग !ाचीन प6ध8त पर हP संग?ठत
थी।
• मOयकालPन भारत (तुकS Tक आUमण) के समय भारतीय सेना (WेXठ
घुड़सवार, कु शल यु6धकला, !गत हFथयार इ>या?द) कमजोर !तीत होती है।
• !ाचीन भारत म) यु6ध^ म) _वशेष 8नयमो, आचरण^ और 9यवहार^ का पालन
Tकए जाने पर बल ?दया जाता था।
• यु6ध करने वाले दोनो पd^ से यह आशा कJ जाती कJ वे यु6ध 8नयम^ का
पालन करे।
• !ाचीन भारतीय यु6ध के 8नयम बड़े उदाf !तीत होते है, शायद वह माने भी
जाते रहे हो, लेTकन इ8तहास म) चोल एवं अ0य राजवंश के यु6ध के समय
यु6ध 8नयमो का पालन नहP Tकया गया ऐसे उदाहरण भी !ाHत होते है।
50
51. Dr. Virag Sontakke
स-दभX gंथ
• Military History of India,
Sir. Jadunath Sarkar
• State and Government in Ancient India
Prof. A. S. Altekar
• !ाचीन भारत क[ !शास:नक एवं राजनी:तक संfथाये,
डॉ. कृ ‡ण कु मार.
• !ाचीन भारतीय राजनी:तक Wवचार एवं संfथाये,
डॉ. रामशरण शमाM.
• कौ4टiय क[ राCयjयवfथा,
डॉ. }यामलाल पा‹डेय.
• धमMशाfk का इ:तहास (8Wवतीय खंड),
भारतरFन डॉ. पा‹डुरंग वामन काणे. 51