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1 दिनचययम में
2 ऋतुचययम में
3 वेगयवरोध जन्य लक्षणों में
२. रसययन वयजीकरण गुण प्रयप्त करने पंचकमम
३. रोगयनुसयर पंचकमम
4. प्रयवृट् िुचचनभौ ज्ञेयौ िरिूजमसहौ पुनः|
तपस्यश्च मधुश्चैव वसन्तःिोधनं प्रतत|| च. शस 6 -5
(शुचिनभौ आर्ाढश्रावणौ| ऊर्षसहौ
कातिषकमार्षशीर्ौ| िपस्यः फाल्र्ुनः| मधु िैत्रः)
िैत्रश्रावणाग्रहायणेर्ु वमनादिसंशोधनमु्िं
5. हेमंत ऋतु में –
अभ्यंग
उत्सयिन
मूधमतैल
जेंतयक स्वेि
आतप स्वेि
उष्ण सिन
वसंत ऋतु में –
कफ़ उत््लेि - वमन
पपिसंसृट कफ़ - तीक्ष्ण
पवरेचन
वयस्त्पि प्रकोप - पवरेचन,
आस्थयपन , अनुवयसन
कफ़जययथम नस्य
-
6. िरि ऋतु में-
तत्त घृत पयन कर
पवरेचन, र्तमोक्षण
शिशिर ऋतु में –
हेमंत समयन अभ्यंग,
उष्ण सिन
वषयम ऋतु में -
बस्स्त
7. िूलं बस्स्तमेहनयोः
मूत्रकृ च्छ्रं शिरोरुजय [१] |
पवनयमोवङ्क्क्षणयनयहःस्यय
स्ललङ्क्गंमूत्रतनग्रहे||६||
स्वेियवगयहनयभ्यङ्क्गयन्
सपपमषश्चयवपीडकम ् |
मूत्रे प्रततहते कु ययमस्त्त्रपवधं
बस्स्तकमम च||७||
16. १. अष्टयंग आयुवेि और पंचकमम
२. सयमयन्य चचककत्सय शसद्धयन्त और् पंचकमम
३.िोधन से चचककस्त्सत रोगों कय अपुनभमव
17. बयलरोग- स्तन्य िुस्ष्ट में, कु कू णक,
पयररगशभमक रोग, तयलुकं टक, महपद्म, बयल्वर,
ग्रहव्ययचध में- रेवती, पूतनय, िीतपूतनय,
अंर्धपूतनय, स्कं धग्रह,
18. प्रथमवेग- वमन
द्वीतीय वेग- वमन-पवरेचन
तृतीय वेग- नस्य
चतुथम वेग- स्नेहपयन
सप्तम - मूधयम से र्तमोक्षण
सपमिंि पवष- र्तमोक्षण, नस्य, वमन
19. ियलय्य तंत्र-
पूययलसक, वयतपवपयमय,अचधमन्थ, स्यंि, -शसरयवेध
वयतय अशभष्यंि- स्नेहन ,स्वेिन, नस्य,पररषेक,शिरोबस्स्त,घृतपयन
पपि अशभष्यंि- र्तमोक्षण, पवरेचन
कफ़यशभष्यंि- शसरयवेध, स्वेिन, तत्तघृतपयन
र्तयशभष्यंि,शसरोत्पयत,हषम- र्तमोक्षण,पवरेचन, पररषेक,नस्य
कणमरोग- घृतपयन, वयतहर स्वेिन, स्नेह पवरेचन,पपंडस्वेि, बस्स्त ,नस्य,
शिरोपवरेचन
कणमस्वेड - नयडीस्वेि, वमन,नस्य
कणमप्रततनयह- स्नेह स्वेि
नयसयरोग-
पूततनस्य- स्नेहन,स्वेिन,वमन,पवरेचन,अवपीडनस्य,
पूयर्त-वमन,नस्य,मूधमस्वेि
नयसयनयह-स्नेहपयन,शिरोबस्स्त,
नयसयस्रयव-तीक्ष्ण अवपीड नस्य
प्रततश्ययय- स्वेि,वमन,अवपीडनस्य,पवरेचन, आस्थयपन
शिरोरोग- घृतपयन,तैलपयन,स्वेिन,नस्य, बस्स्त
कफ़जशिरोरोग- नस्य, तीक्ष्णवमन,
त्रत्रिोषज शिरोरोग- पुरयणसपपम कय नस्य
सूययमवतम- नस्य
अनंतवयत - शसरयवेध
कृ शमज- नस्य
20. व्रणचचककत्सय के ६० उपक्रम में
स्नेहन,स्वेिन,पररषेक,वमन,पवरेचन,बस्स्त,नस्य ियशमल
भग्न-
कदटअस्स्थ भग्न- बस्स्त
उर्धवम कयय भग्न- नस्य
प्रियखय भग्न- अनुवयसन
हनुच्छ्युतत- स्वेिन, नस्य
वयतयिम- स्नेहन,स्वेिन,पवरेचन,आस्थयपन
पपिजयिम- पवरेचन
भगंिर- पवरेचन
ग्रंचथ,अपचच,अवुमि- घृतपयन्,तैलपयन,स्वेि
वृद्चध- पवरेचन तनरुह
23. अपवपयकोऽरुचचः स्थौलयं पयण्डुतय गौरवं ्लमः|
पपडकयकोठकण्डूनयं सम्भवोऽरततरेव च||१३||
आलस्यश्रमिौबमलयं िौगमन्र्धयमवसयिकः|
श्लेष्मपपिसमुत््लेिो तनद्रयनयिोऽतततनद्रतय||१४||
तन्द्रय ्लैब्यमबुद्धत्वमिस्तस्वप्नििमनम ्|
बलवणमप्रणयिश्च तृप्यतो बृंहणैरपप||१५||
बहुिोषस्य शलङ्क्गयतन तस्मै संिोधनं दहतम्|
25. िोधन श्रेष्ठ लेककन आमयवस्थय में तनपषद्ध
सव्िेहप्रपवसृतयन ् सयमयन ् िोषयन्नतनहमरेत ्
लीनयन ् धयतुष्वअनुस्त््लष्टयन ् फ़लयियमयद्रसयस्न्नव ्
आश्रयस्य दह नयियय ् ते स्युिुमतनमहमत्वमत:
पयचनैिीपनै: स्नेहैस्तयन ् स्वेिश्च ् पररष्कृ तयन
िोधयेत िोधने: कयले यथयसन्नं यथयबलम ्
27. १ क्षय , स्थयन , वृद्चध
क्षीणय:वधमतयतव्यय:समय:पयलतयतव्यय:वृद्धय:ह्रयसतय
तव्यय:
२ उर्धवम, अध:, ततयमक
ह्लललयस - उर्धवमगतत -वमन
३ ियखय, कोष्ठ, ममयमस्स्थसंचध
बयह्लय,आभ्ययंतर,मर्धयम
28. िोष कोष्ठ में - िोधन् से बयहर तनकयलनय
सरल
मर्धयम, बयह्लय में िमनोपचयर इष्ट
इनमें िोधन आवश्यक हो तो
िोषों को ियखय से कोष्ठ में लयनय जरुरी
31. एवं पविुद्धकोष्ठस्य कयययस्ग्नरशभवधमते|
व्ययधयश्चोपियम्यस्न्त प्रकृ ततश्चयनुवतमते||१७||
इस्न्द्रययणण मनोबुद्चधवमणमश्चयस्य प्रसीितत|
बलं पुस्ष्टरपत्यं च वृषतय चयस्य जययते||१८||
जरयं कृ च्छ्रेण लभते चचरं जीवत्यनयमयः|
तस्मयत ् संिोधनं कयले युस््तयु्तं पपबेन्नरः
32. िोषयणयं च द्रुमयणयं च मूलेऽनुपहते सतत|
रोगयणयं प्रसवयनयं च गतयनयमयगततर्ध्ुमवय||
ch.su16/21
मलयपहं रोगहरं बलवणमप्रसयिनम ्|
पीत्वय संिोधन सम्यगययुषय यु्यते चचरम ्||
Ch .su 15/22
33. न ह्लयशभन्ने के ियरसेतौ पलवलयप्रसेकोऽस्स्त,
तद्वद्िोषयवसेचनम ्||
ch.vi3/44