Grammar is an inevitable part of a language.Without teaching and learning grammar we cannot achieve an effective language capacity.This Presentation includes the importance, aims,objectives and methods of teaching grammar in Hindi.
4. व्याकरण
वि + आ + कृ धातु + ल्युट् प्रत्यय
= व्याकरण
जिसक अर्थ है - ‘ व्यक्रियाांते ’ अर्ाथत जिसके
द्िारा अर्थस्िरूप के माध्यम से िब्दों क
व्याख्या होती हो |
6. व्याकरण भाषा का व्यिहाररक विश्िेषण अर्िा
उसका िरीर – विज्ञान है|
-स्िीट
व्याकरण वििेष िब्द – सांरचना क व्याख्या है|
- हैज़शित
प्रचशित भाषा सम्बन्धी ननयमों क व्याख्या ही
व्याकरण है
-िैगर
7. व्याकरण की शिक्षा के उद्देश्य
भाषा का िुद्ध रूप पहचानने में छात्रों को सक्षम ि समर्थ
बनाना ही व्याकरण का उद्देश्य है –पां .िज्िािांकर झा
िाक्यों में िब्दों का स्र्ान ,कायथ एिम् उनके पारस्पररक
सम्बन्ध आदद का ज्ञान |
व्याकरण भाषा शिक्षा का आिश्यक अांग है|यह भाषा रूपी रर्
का सारर्ी है |यह भाषा का स्िरुप बनाता है तर्ा उस पर
ननयांत्रण रखता है|यह भाषा का शमत्र भी है|यह उसे सच्चे
रस्ते पर चिने के शिए प्रेरणाप्रदान करता है |
ननयमों का विधधित् ज्ञान |
8. चैंवपयन के मतानुसार ,”व्याकरण के ननयमों का ज्ञान
,छात्रों में मौशिक िाक्य बनाने क योग्यता उत्पन्न करता
है|अर्ाथत छात्रों को िुद्ध रूप से बोिने एिां शिखने क क्षमता
पैदा करता है |
भाषा के स्िरुप क रक्षा |
छात्रों के रचनात्मक िृवि में सुधार एिां विकास |
छात्रों द्िारा भाषा के गुण और दोष को पहचानना |
छात्रों के आिोचनात्मक क्षमता में िृद्धध |
9. भाषा शिक्षण में व्याकरण शिक्षण का
स्थान
व्याकरण भाषा का सहचर एिां शमत्र है |इस क सहायता
से भाषा हमेसा सन्मागथ पर चिती है |
मौणखक अशभव्यजक्त एिां िेखन में भाषा का िुद्ध
प्रयोग व्याकरण के ज्ञान के बबना असांभि है |
प्रत्येक भाषा का अपना ध्िनन-विचार,िब्द-विचार,तर्ा
अर्थ विचार होता है|इन के बबना भाषा का पूणथ
ज्ञान प्राप्त नहीां क्रकया िा सकता है और इन का
ज्ञान व्याकरण क सहायता से ही होता है |
व्याकरण भाषा प्रयोग को व्यिजस्र्त बनता है|
10. मात्र –भाषा के अनतररक्त अन्य भाषायें सीखने में भी व्याकरण
सहायक शसद्ध होता है |
भाषा क अिुद्धधयाां व्याकरण के बबना समझदारी के सार् दूर नहीां
क्रकया िा सकता |
व्याकरण का ज्ञान अध्यापक में आत्मा-विश्िास उत्पन्न करता है
|व्याकरण क सहायता से िह विद्याधर्थयों क भाषा सम्बन्धी िांखाओ का
ननिारण कर सकता है |
पां .करुणापनत बत्रपाठी ने शिखा है क्रक ” भाषा-शिक्षक का कायथ
व्याकरण क शिक्षा के बबना पूणथ नहीां हो सकता |व्याकरण के माध्यम
से ही भाषा रूपी माध्यशमक नौका का सञ्चािन हो सकता है |व्याकरण
ज्ञान क अिहेिना से भाषा में उच््रुखिता आ िाती है और िह
सांस्कनत का विनाि कर देती है |भाषा - प्रयोग का उधचत रहस्य समिने
के शिए व्याकरण ज्ञान अत्यांत अिश्यक है |
11. व्याकरण की शिक्षण प्रणाशियााँ
दहन्दी में व्याकरण शिक्षण क मुख्यतया 6
प्रणाशियााँ है-
सूत्र प्रणािी या ननगमन प्रणािी(Deductive method)
आगमन प्रणािी(Inductive method)
पाठ्यपुस्तक प्रणािी(Textbook method)
समिाय प्रणािी(Correlation method)
भाषा- सांसगथ प्रणािी(Direct Language
method)
खेि विधध( Play way method)
12. सूत्र प्रणािी
पहिे ननयम बता ददये िाते है।ननयम
के उपरान्त उदहारण के माध्यम से उसका
प्रयोग बताया िाता है| इस विधध के
माध्यम से व्याकरण क शिक्षा देने में
शिक्षक को बड़ा आराम शमिता है |परन्तु
यह विधध अमनोिैज्ञाननक, नीरस एिां उबा
देने िािी है |
सूत्र प्रणािी
13. आगमन प्रणािी
इसमें पहिे उदहारण प्रस्तुत ककये
जाते है और उन उदाहरण के
माध्यम से ननयम या शसद््ाांत
की रचना की जाती है |यह
प्रणािी बािकों के साथ समीप्य
स्थापपत करने में सक्षम एवां
समथथ है |यह पवध् छात्रों को
सकिय रखती है छत्रां द्वारा सोच
सोच कर ददया गया उतार उनके
ज्ञान को स्थायी बना देता है |
14. पाठ्य पुस्तक प्रणािी
• इस पवध् में प्रत्येक भाषा में
व्याकरण का ज्ञान पाठ्य
पुस्तक के माध्यम से ददया
जाता है |व्याकरण कशिए भी प
पुस्तकें नन्ाथररत की जाती है
|इन पुस्तकों में पहिे ननयम व
शसद््ाांत ददए जाते है,अथाथत
पररभािायेम प्रस्तुत की जाती
है|स्पष्टीकरण कशिए उदहारण
प्रेपषत ककये जाते है|यह पवध्
ननयमाबांद््ता के कारण,व्यथथ
सी िगती है |
15. समवाय प्रणािी
• इस विधध से व्याकरण के अध्याय ,कायथ कराकर
समझाये िा सकते है |सूक्ष्म तथ्यों का ज्ञान
व्यिहाररक कायों या उदहारण के माध्यम से कराया
िा सकता है |छात्र इसे पसांद्ध भी करेंगे |इस विधध
के माध्यम से व्यिहाररक व्याकरण क शिक्षा देने में
आएगी|इसमें ननयशमत व्याकरण क शिक्षा नहीां दी
िा सकती है |
16. भाषा-सांसगथ प्रणािी
• इस प्रणािी के प्रनतपादकों का मत है क व्याकरण
क शिक्षा स्ितांत्र रूप से न दी िाय |इनका विचार
है क्रक भाषा ि सादहत्य पर अधधकार करने कशिए
िोकवप्रय स्तरीय िेखकों ,विद्िानों आदद क
रचनाओां का अध्ययन कराया िाय |इससे छात्रों को
भाषा का ज्ञान हो िायेगा और भाषा के ज्ञान के
उपराांत व्याकरण क िानकारी उन्हें स्िाभाविक रूप
से हो िाएगी |
17. खेि विधध
• यह व्याकरण क रोचक रूप से शिक्षा प्रदान
करने क विधध कही िा सकती है|खि विधध
से छात्र खेि-खेि में शसद्धान्तों को हृदयगम
कर िेंगे |खेि खेि में िब्द भेद, शिांग
भेद,िचन आदद का ज्ञान कराया िा सकता है
|पर ऐसी गेिोम क सफिता के शिए शिक्षक
को प्रयत्न करना होगा |