आयुर्वेद सिध्धान्तों का आधुनिक हाई टेक्नोलाजी इलेक्ट्रि त्रिदोष ग्राफ ई०टी०जी...Dr. Desh Bandhu Bajpai
आयुर्वेद के नाड़ी परीक्षण के मूल सिध्धान्तों को एक तरफ आधार मानकर तथा दूसरी तरफ आधुनिक वैग्यानिक दृष्टिकोण को स्वीकार करते हुये और इसके साथ साथ आधुनिक वैग्यानिक खोजों तथा प्राचीन ग्यान के बीच मे अन्त: सम्बन्ध यानी को-रिलेशन को केन्द्रीय विचार मानते हुये आयुर्वेद के अन्य तमाम मौलिक सिध्धन्तो को वैग्यानिक सामन्जस्य को साथ लेते हुये और तारतम्य और एकरूपता को एक सूत्रीय बनाये रखते हुये ऐसे विचार को लेकर प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गयी है /
आयुर्वेद के आदि रचित शास्त्रीय ग्रन्थो मे आयुर्वेद के मौलिक सिध्धन्तो का प्रतिपादन किया गया है / इन सिध्धान्तो और नियमो को लेखको और व्याख्याकारों द्वारा कई तरह से समझाने की कोशिश की गयी है / आयुर्वेद के सिध्धान्त यथा दोष, त्रिदोष, त्रिदोष भेद, सप्त धातुयें, मल, उप-धातुयें और कार्य विकृति और दोष विकृति और स्थापित दोषो के शरीर मे स्थान आदि की व्याख्या चरक, सुश्रुत, वाग्भठ्ठ, भाव मिश्र , शारन्गधर आदि के द्वारा की गयी है /
नाड़ी परीक्षण के द्वारा त्रिदोषो का ग्यान करने का परिचय भाव प्रकाश ग्रन्थ मे मिलता है / वैग्यानिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो यही एक आयुर्वेद मे परीक्षण विधि है जिसके द्वारा शरीर के त्रिदोषो का अन्कलन किया जा सकता है / आयुर्वेद के ग्रन्थों में पन्च विधि और अष्ट विधि और दश विधि परीक्षण के अलावा आकृति परीक्षा और मल तथा मूत्र और स्वेद परीक्षा का भी वर्णन ग्रन्थों में मिलता है , जिनके द्वारा भी त्रिदोष का अन्कलन किया जा सकता है , ऐसा आयुर्वेद के महर्षियो ने बताया है /
यद्यपि वैग्यानिक दृष्टिकोण से और आधुनिक प्रत्यक्ष और प्रमाण की दृष्टि से साक्ष्य आधारित विधि का नूतन आविष्कार, जिसको ” इलेक्ट्रो त्रिदोष ग्राफ ; ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन ” का नाम करण लेखक द्वारा किया गया है, इस विधि द्वारा आयुर्वेद के लगभग समस्त मुख्य मौलिक सिध्धन्तो का मूल्यान्कन किया जा सकता है, जिन्हे आयुर्वेद मे बताया गया है / यह परीक्षण आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटेराइज़्ड मशीनो द्वारा किया जाता है, इसलिये अब आयुर्वेद साक्ष्य आधारित चिकित्सा विग्यान यानी इवीडेन्स बेस्ड मेडिकल साइन्स हो गयी है /
ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन सिस्टम को भारत सरकार द्वारा परीक्षित किया जा चुका है / प्राचीन विग्यान और अर्वाचीन विग्यान दोनों के समन्वयन के द्वारा आयुर्वेद को आधुनिक वैग्यानिक स्वरूप देने का प्रयास लेखक और सम्पादक द्वारा किया गया है /
आयुर्वेद सिध्धान्तों का आधुनिक हाई टेक्नोलाजी इलेक्ट्रि त्रिदोष ग्राफ ई०टी०जी...Dr. Desh Bandhu Bajpai
आयुर्वेद के नाड़ी परीक्षण के मूल सिध्धान्तों को एक तरफ आधार मानकर तथा दूसरी तरफ आधुनिक वैग्यानिक दृष्टिकोण को स्वीकार करते हुये और इसके साथ साथ आधुनिक वैग्यानिक खोजों तथा प्राचीन ग्यान के बीच मे अन्त: सम्बन्ध यानी को-रिलेशन को केन्द्रीय विचार मानते हुये आयुर्वेद के अन्य तमाम मौलिक सिध्धन्तो को वैग्यानिक सामन्जस्य को साथ लेते हुये और तारतम्य और एकरूपता को एक सूत्रीय बनाये रखते हुये ऐसे विचार को लेकर प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गयी है /
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कुछ दशक पहले मेरे मन मे यह भाव उठा कि क्या रक्त के परीक्षण से आयुर्वेद के मौलिक सिध्धान्तो का आन्कलन किया जा स्कता है ? यह विचार मुर्त रूप के देने मे मुझे ्बहुत समय लगा / सबसे पहले मैने यह पहचानने की कोशिश की कौन कौन से केमिकल आयुर्वेद के दोषो से मेल खाते है ? इन केमिकलों को पह्चान करके और प्रैक्टिकल की कसौटी पर कस कर देखने के बाद जब अनुकूल रिजल्ट मिलने लगे तब से लेकर मरीजो को सफलता पूर्वक रक्त परीक्षण करने की विधी का अपनी लैबोरेटरी मे अधिक विकास करने की दिशा मे कार्य किया जा रहा है /
In our research center, Blood serum test is being performed since few years with success. We have developed this technology at our center and is continuous being developed to its advance level.
With the help of these technologies, Ayurveda Diagnosis and Ayurveda treatment will be foolproof and exact and fruitful and without any deviations.
हम यह आशा करते है कि आयुर्वेद की इस नयी टेक्नोलाजी से आयुर्वेद के प्रति लोगो का वैग्यानिक दॄष्टिकोण समझ मे आयेगा /
In this book, introduction and technology is given to readers.
आधुनिक मशीन ”कलरीमीटर” द्वारा आयुर्वेद के लिये रक्त परीक्षण करने की विधि का विवरण इस पुस्तक मे दिया जा रहा ह / हम आशा करते है कि जिग्यासु पाठकों को इस नवीन आविश्कार के बारे मे जानकारी प्राप्त होगी /
Back pain is very common and arises due to many reasons. While some are relatively simple (such as muscle strain from excessive exercise or excessive sitting), many others can be complex (such as a herniated disc, narrowing of the spine, or a compressed nerve due to lack of vertebrae). The point of the issue is that, regardless of the underlying cause, your back is painful. And when the pain gets worse, it's understandable that you want fast relief. The good news is that most people do not need surgery to relieve occasional or chronic back pain.
How to boost your metabolism while doing yogaShivartha
Believe it or not, but with more and more fitness enthusiasts turning to yoga, it can now be said that the ancient form of exercise has arrived. Whether to jumpstart metabolic activity, burn calories or pack on killer muscle, yoga has become part of the mainstream. In fact, if you want to get in shape, look no further than here. You're sure to find the answer to the perennial question: How to increase metabolism with yoga?
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गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका नवम्बर-2018 में प्रकशित लेख
दीपावली विशेष
March-2020 Free Monthly Hindi Astrology Magazines, You can read in Monthly GURUTVA JYOTISH Magazines Astrology, Numerology, Vastu, Gems Stone, Mantra, Yantra, Tantra, Kawach & ETC Related Article absolutely free of cost.
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE MARCH-2020
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चैत्र नवरात्र विशेष विशेष
11 effective yoga pose to increase energy and staminaShivartha
Mental stamina is the strength to maintain positivity, confidence and resilience in the face of adversity. To keep moving towards the goal without leaning even for a moment is the power to keep going. Mental stamina is the ability to endure against the odds. The essentials for building mental stamina are concentration, self-esteem, willpower, perseverance and the ability to handle pressure in adverse situations. A person with strong mental stamina does not give up easily. Although the term originated in the context of sports, it later spread to all walks of life where one needs to make efforts to achieve something.
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liverShivartha
The liver is the largest organ in the body after the skin and acts as the gatekeeper of your body. Everything that happens and is digested in the body goes through the liver (liver) which has evolved to handle our organic waste. Because of its size, the liver (liver) that is attached to two very large blood vessels keeps whatever enters through the intestinal tract, and unwanted objects out. This includes toxins or environmental carcinogens. These 'bad' substances are prevented from getting into the bloodstream.
Experts say 14 best yoga poses for back pain Wondering what is the best yoga pose for back pain? We have heard from the experts and some enthusiastic yogis and have come up with the top 14 asanas that can help the country's growing back pain!
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बाल विकास की महत्वपूर्ण बिंदु की चर्चा जो पेपर के पूर्व में पूछे गये प्रश्नो से संग्रहित कर के बनाया गया है इसमें की सारे तथ्य पूर्ण रूप से त्रुटि पूर्ण है लेकिन यदि कहीं आपको सन्देह दिखे तो आप इसकी जांच जरूर कर ले
Practicing 5 yoga after c section best positions & precautions to takeShivartha
C-section delivery is a major surgery and comes with certain risks, including infection, bleeding, anemia, blood clots, and the risk of injury to other organs such as the bladder or rectum. Recovery from a C-section is much slower than with a normal delivery, and you may need to stay in the hospital for an additional few days for stitches to fill in.
Religion and sacrifice of later vedic periodVirag Sontakke
This presentation is prepared for BA students to get basic idea of the subject. This presentation is very basic and needs further additions and improvements. Students are advised to get more details on the university referred books and other material.
1. आ वश्यक निवेदि
प्रस्तुत आध्ययि स मग्री, त लिक एँ एवं लित्र आ दद
श्रीमती स रिक ववक स छ बड़ द्व ि तैय ि वकये गए
हैं |
इिक आन्यत्र एवं आन्य भ ष में उपय ेग कििे के
पूवव उिसे आनिव यवत: संपकव कि िें |
3. जह पुण्ण पुण्ण इं, गगह-घड़-वत्थ ददय इं दव्व इं।
तह पुप्ण्णदि जीव , पज्जत्तिदि मुणेयव्व ॥118॥
❖आथव - जजस प्रक ि घि, घट, वस्त्र आ ददक आिेति द्रव्य
पूणव आ ैि आपूणव द ेि ें प्रक ि के ह ेते हैं उसी प्रक ि पय वत
आ ैि आपय वत ि मकमव के उदय से युक्त जीव भी पूणव आ ैि
आपूणव द े प्रक ि के ह ेते हैं।
❖ज े पूणव हैं उिक े पय वत आ ैि ज े आपूणव हैं उिक े
आपय वत कहते हैं ॥118॥
4. पय वप्त वकसे कहते हैं ?
गृहीत आ ह ि आ दद वगवण आ ें क े
खि-िस आ दद रूप परिणम िे की
जीव की शलक्त की पूणवत क े
पय वप्त कहते हैं ।
5. आ ह ि-सिीरिंददय, पज्जिी आ णप ण-भ स-मण े।
िि रि पंि छप्प य, एइंददय-ववयि-सण्णीणं॥119॥
❖आथव - आ ह ि, शिीि, इप्न्द्रय, श्व स ेच्छ्वस, भ ष आ ैि मि
इस प्रक ि पय वप्त के छह भेद हैं।
❖इिमें से एके प्न्द्रय जीव ें के आ दद की ि ि पय वप्त,
❖ववकिेप्न्द्रय (द्वीप्न्द्रय, त्रीप्न्द्रय, ितुरिप्न्द्रय) आ ैि आसंज्ञी पंिेप्न्द्रय
जीव ें के आप्न्तम मि:पय वप्त क े छ ेड़कि शेष प ँि पय वप्त तथ
❖संज्ञी पंिेप्न्द्रय जीव ें के सभी छह ें पय वप्त हुआ किती हैं
॥119॥
6. पय वप्त के भेद
पय वनि
आ ह ि शिीि इप्न्द्रय श्व स ेच्छछ् व स भ ष मि
7. आ ह ि पय वप्त
आ ैद रिक, वैवक्रगयक आ ैि आ ह िक शिीि ि मकमव के उदय के प्रथम समय से िेकि
उि 3 शिीि आ ैि 6 पय वनि के परिणमिे य ेग्य पुद्गि स्कं ि ें क े
खि आ ैि िसभ ग रूप से परिणम िे की
पय वि ि मकमव के उदय की सह यत से उत्पन्न
आ त्म की शलक्त की निष्पत्ति क े आ ह ि पय वनि कहते हैं ।
8. शेष जीवि पयंत
आ ह ि वगवण क े खि आ ैि
िस भ ग में परिणलमत कििे
की शलक्त की निष्पत्ति
आ ह ि वगवण क े खि आ ैि
िस भ ग में परिणलमत किि
एकजीवकपूणवजीवि
प्र िंलभक आंतमुवहूतव
9. शिीि पय वप्त
खि आ ैि िस भ गरूप से परिणत पुद्गि स्कं ि ें में से
खि भ ग क े हड्डी आ दद स्स्थि आवयव रूप से आ ैि
िस भ ग क े िक्त आ दद द्रव आवयव रूप से
परिणम िे की शलक्त की निष्पत्ति क े शिीि पय वनि कहते
हैं |
10. इंदद्रय पय वप्त
ज नत-ि मकमव के उदय िुस ि
वववसित पुद्गि स्कं ि ें क े
स्पशवि आ दद द्रव्येंदद्रय रूप से
परिणम िे की शलक्त की निष्पत्ति क े इंदद्रय पय वनि कहते हैं ।
11. श्व स ेच्छछ् व स पय वप्त
उच्छछ् व स ि मकमव के उदय से युक्त जीव की
आ ह िवगवण के रूप में आ ये हुए पुद्गि स्कं ि ें क े
उच्छछ् व स-निश्व स रूप
परिणम िे की शलक्त की निष्पत्ति क े श्व स ेच्छछ् व स पय वनि कहते हैं ।
12. भ ष पय वप्त
स्वि ि मकमव के उदय से
भ ष -वगवण के रूप में आ ये हुए पुद्गि स्कं ि ें क े
सत्य, आसत्य, उभय आ ैि आिुभय भ ष के रूप में
परिणम िे की शलक्त की पूणवत क े भ ष पय वनि कहते हैं ।
13. मि पय वप्त
मि ेवगवण के रूप में आ ये हुए पुद्गिस्कं ि ें क े
आंग ेप ंग ि मकमव के उदय की सह यत से
द्रव्यमि ेरूप से परिणम िे के लिए तथ
उस द्रव्य मि की सह यत से ि ेइप्न्द्रय विण आ ैि वीय वन्ति य कमव के िय ेपशम ववशेष से
भ वमि रूप से परिणमि कििे की शलक्त की पूणवत क े मि:पय वनि कहते हैं ।
14. क्रं . पय वप्त वकसक े
वकस रूप परिणम िे की
जीव की शलक्त की पूणवत
1 आ ह ि आ ह ि वगवण
खि (कठ ेि रूप)
िस (पतिे रूप)
2 शिीि ,, (खि-िस क े)
खि— हड्डी आ दद रूप
िस— रूधिि दद रूप
3 इप्न्द्रय आ ह ि वगवण द्रव्येप्न्द्रय आ क ि रूप
4 श्व स ेच्छछ् व स आ ह ि वगवण श्व स ेच्छछ् व स रूप
5 भ ष भ ष वगवण शब्द रूप
6 मि: मि े वगवण द्रव्यमि रूप
15. वकसकी वकतिी पय वप्त
•आ ह ि, शिीि, इप्न्द्रय, श्व स ेच्छ्वसएके प्न्द्रय की
•उपयुवक्त 4 एवं भ ष पय वनि
ववकिेप्न्द्रय आ ैि आसंज्ञी
पंिेप्न्द्रय जीव ें की
•छह ें पय वनिसंज्ञी पंिेप्न्द्रय जीव ें की
16. पज्जिीपट्ठवणं, जुगवं तु कमेण ह ेदद णणट्ठवणं।
आंत ेमुहुिक िेणहहयकम तत्तिय ि व ॥120॥
❖आथव - सम्पूणव पय वप्तय ें क आ िम्भ त े युगपत् ह ेत है
वकन्तु उिकी पूणवत क्रम से ह ेती है।
❖इिक क ि यद्यवप पूवव-पूवव की आपेि उिि ेिि क कु छ-
कु छ आधिक है, तथ वप स म न्य की आपेि सबक
आन्तमुवहूतव म त्र ही क ि है ॥120॥
17. 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
आ ह ि
शिीि
इप्न्द्रय
श्व स ेच्छछव स
भ ष
मि
पय वप्त पूणव ह ेिे क क ि
समय
65536
73728
93312
104976
118098
82944
18. पय वप्त पूणव ह ेिे क क ि – आंक संदृषधटि
❖म ि वक आ ह ि पय वप्त पूणव ह ेिे में 65536 समय िगते हैं
❖संख्य त म ि 8
❖शिीि पय वप्त पूणव ह ेिे क क ि =
❖आ ह ि पय वप्त क क ि +
आ ह ि पय वप्त क क ि
संख्य त
❖65536 +
65536
8
❖65536 + 8192
❖73728 समय
20. पय वप्त पूणव ह ेिे क क ि – आंक संदृषधटि
❖उद हिण के आिुस ि
❖व स्तववक गणणत में आ गे-आ गे की पय वप्त पूणव ह ेिे में आंतमुवहूतव
क संख्य तव भ ग आधिक-आधिक क ि िगत है |
उच्छछ् व स पय वप्त 82944 + 10368 = 93312
भ ष पय वप्त 93312 + 11664 = 104976
मि पय वप्त 104976 + 13122 = 118098
21. क्रं . पय वप्त क ि
1 आ ह ि आंतमुवहूतव
2 शिीि आंतमुवहूतव
(पूवव
से संख्य त
भ ग आधिक-
आधिक)
3 इप्न्द्रय आंतमुवहूतव
4 श्व स ेच्छछ् व स आंतमुवहूतव
5 भ ष आंतमुवहूतव
6 मि आंतमुवहूतव
22. पज्जिस्स य उदये, णणयणणयपज्जत्तिणणट्ठट्ठद े ह ेदद।
ज व सिीिमपुण्णं, णणव्वत्तियपुण्णग े त व॥121॥
❖आथव - पय वप्त ि मकमव के उदय से जीव आपिी पय वप्तय ें
से पूणव ह ेत है तथ वप जब तक उसकी शिीि पय वप्त पूणव
िहीं ह ेती तब तक उसक े पय वत िहीं कहते वकन्तु
निवृवत्त्यपय वत कहते हैं ॥121॥
❖निवृवत्त्यपय वत = निवृवत्ति + आपय वत
23. पयवतिमकमवकउदय
प्रथम समय से 73727 समय तक
निवृवत्ति-आपय वत
पय वत
73728 - शिीि पय वप्त पूणव ह ेिे क क ि
निवृवत्त्यपय वत
24. उदये दु आपुण्णस्स य, सगसगपज्जत्तियं ण णणट्ठवदद।
आंत ेमुहुिमिणं, िणद्आपज्जिग े स े दु॥122॥
❖आथव - आपय वत ि मकमव क उदय ह ेिे से ज े जीव आपिे-
आपिे य ेग्य पय वप्तय ें क े पूणव ि किके आन्तमुवहूतव क ि में
ही मिण क े प्र त ह े ज य उसक े िब्ध्यपय वतक कहते हैं
॥122॥
िब्ध्यपय वतक = िस्ब्ि + आपय वतक
25. िस्ब्ि-आपय वतक
❖यह जीव एक भी पय वप्त पूणव िहीं कि प त ।
❖श्व स क 18व भ ग म त्र इसकी आ यु ह ेती है ।
❖एेसी सबसे छ ेटी आ यु क े िुद्रभव कहते हैं ।
❖एेसे जीव नतयंि आ ैि मिुष्य गनत में ही ह ेते हैं ।
26. ❖48 Minutes में 3773 श्व स ह ेते हैं,
❖त े 1 Minute में 78.60 श्व स ह ेते हैं ।
❖ (3773 / 48) = 78.60
❖78.6 श्व स 60 सेकं ड़ में ह ेते हैं,
❖त े 1 श्व स = 0.76 seconds में ह ेत है!!
❖ (60 / 78.60) = 0.76
0.76 seconds में 18 ब ि
जीवि-मिण ह े ज त है!!
श्व स
27. जीव
आपय विक
निवृवत्ति-आपय विक
िस्ब्ि-आपय विक
पय विक
सवव पय वप्तय ें क े
पूणव कििे की
शलक्त से संपन्न
ह ेते हैं
सवव पय वप्तय ें क े
पूणव कििे की
शलक्त से संपन्न
िहीं ह ेते हैं
28. पय वत, निवृवत्त्यपय वतक आ ैि िब्ध्यपय वतक में आंति
पय वत निवृवत्त्यपय वतक िब्ध्यपय वतक
स्वरूप
शिीि पय वप्त पूणव ह े गई
है
शिीि पय वप्त पूणव िहीं
हुई है, िेवकि नियम से
पूणव ह ेगी
एक भी पय वप्त ि पूणव
हुई है, ि ह ेगी
वकतिे समय के
लिए
शिीि पय वप्त पूणव ह ेिे के
ब द आ यु पयंत
शिीि पय वप्त पूणव ह ेिे
के पहिे तक
आ युप्रम ण आंतमुवहूतव
पयंत
वकस ि म कमव क
उदय
पय वत पय वत आपय वत
गुणस्थ ि सभी 14 1, 2, 4, 6 आ ैि 13 ससर्व पहि
29. एक जीव के आंतमुवहूतव में
िब्ध्यपय वत आवस्थ के
िग त ि आधिक से
आधिक भव (िुद्रभव)
वकतिे ह ेते हैं?
30. नतप्ण्णसय छिीस , छवट्ठट्ठसहस्सग णण मिण णण।
आंत ेमुहुिक िे, त वददय िेव खुद्दभव ॥123॥
❖आथव - एक आन्तमुवहूतव में एक िब्ध्यपय वतक जीव णछय सठ
हज ि तीि स ै छिीस ब ि (66336) मिण आ ैि उतिे ही
भव ें - जन्म ें क े भी ि िण कि सकत है। इि भव ें क े
िुद्रभव शब्द से कह गय है ॥123॥
31. सीदी सट्ठी त िं, ववयिे िउवीस ह ेंनत पंिक्खे।
छ वट्ठट्ठं ि सहस्स , सयं ि बिीसमेयक्खे॥124॥
❖आथव - ववकिेप्न्द्रय ें में द्वीप्न्द्रय िब्ध्यपय वतक के 80 भव,
❖त्रीप्न्द्रय िब्ध्यपय वतक के 60,
❖ितुरिप्न्द्रय िब्ध्यपय वतक के 40 आ ैि
❖पंिेप्न्द्रय िब्ध्यपय वतक के 24 तथ
❖एके प्न्द्रय ें के 66132 भव ें क े ि िण कि सकत है,
आधिक क े िहीं ॥124॥
32. पुढववदग गणणम रुद, स ह िणथूिसुहमपिेय ।
एदेसु आपुण्णेसु य, एक्के क्के ब ि खं छक्कं ॥125॥
❖आथव - स्थूि आ ैि सूक्ष्म द ेि ें ही प्रक ि के ज े पृथ्वी,
जि, आगि, व यु आ ैि स ि िण एवं प्रत्येक विस्पनत, इस
प्रक ि सम्पूणव ग्य िह प्रक ि के िब्ध्यपय वतक ें में से प्रत्येक
(हिएक) के 6012 निितंि िुद्रभव ह ेते हैं ॥125॥
33. जीव प्रत्येक के भव कु ि भव
एके प्न्द्रय दद के कु ि
भव
सूक्ष्म पृथ्वी, जि, आप्ग्ि, व यु, स ि िण विस्पनत 6012
5 6012
= 30060
66132
ब दि पृथ्वी, जि, आप्ग्ि, व यु, स ि िण विस्पनत 6012
5 6012
= 30060
ब दि प्रत्येक विस्पनत 6012
एके प्न्द्रय
द्वीप्न्द्रय 80 80
त्रीप्न्द्रय 60 60
ितुरिप्न्द्रय 40 40
आसैिी पंिेप्न्द्रय नतयंि 8
सैिी पंिेप्न्द्रय नतयंि 8
मिुष्य 8
पंिेप्न्द्रय 24
कु ि िुद्रभव 66336
34. 66336 िुद्रभव वकतिे क ि में ह ेते हैं?
* प्रत्येक िुद्रभव की आ यु =
उच्छछ᳭ व स
18
* 66336 भव क समय = 66336
उच्छछ᳭ व स
18
= 3685 3
1 उच्छछ᳭ व स
* 1 मुहूतव (48 लमिट) में 3773 उच्छछ᳭ व स ह ेते हैं ।
* आतः 66336 िग त ि भव एक मुहूतव से भी कम क ि में पूिे ह े
ज ते हैं ।
35. पज्जिसिीिस्स य, पज्जिुदयस्स क यज ेगस्स।
ज ेगगस्स आपुण्णिं, आपुण्णज ेग े त्ति णणदद्दट्ठं॥126॥
❖आथव - जजस सय ेग-के विी क शिीि पूणव है आ ैि उसके
पय वप्त ि मकमव क उदय भी म ैजूद है तथ क यय ेग भी
है, उसके आपय वतत वकस प्रक ि ह े सकती है ?
❖त े इसक क िण समुद्घ त आवस्थ में सय ेगके विी के य ेग
क पूणव ि ह ेि ही बत य है ॥126॥
36. िणद्आपुण्णं लमच्छछे, तत्थ वव ववददये िउत्थ-छट्ठे य।
णणव्वत्तिआपज्जिी, तत्थ वव सेसेसु पज्जिी॥127॥
❖आथव - िब्ध्यपय वतक लमथ्य त्व गुणस्थ ि में ही ह ेते हैं।
❖निवृवत्त्यपय वतक प्रथम, हद्वतीय, ितुथव, आ ैि छठे गुणस्थ ि
में ह ेते हैं। आ ैि
❖पय वतक उक्त ि ि ें आ ैि शेष सभी गुणस्थ ि ें में प ये ज ते
हैं ॥127॥
37. हेट्ठट्ठमछपुढवीणं, ज ेइससवणभवणसव्वइत्थीणं।
पुप्ण्णदिे ण हह सम्म े, ण स सण े ण िय पुण्णे॥128॥
❖आथव - हद्वतीय ददक छह ििक आ ैि जय ेनतषी, व्यन्ति,
भविव सी ये तीि प्रक ि के देव तथ सम्पूणव स्त्रस्त्रय ँ
इिक े आपय वत आवस्थ में सम्यक्त्व िहीं ह ेत है।
आ ैि
❖ि िवकय ें के निवृवत्त्यपय वत आवस्थ में स स दि
गुणस्थ ि िहीं ह ेत ॥128॥
38. निवृवत्त्यपय वत आवस्थ दूसिे व ि ैथे गुणस्थ ि में
कह िहीं ह ेती है ?
स स दि
गुणस्थ ि
आववित-सम्यक्त्व गुणस्थ ि
स त ें ििक
* प्रथम ििक वबि छह ििक
* जय ेनतषी, व्यंति, भविव सी देव
* सवव स्री — देव ंगि , मिुष्यिी,
नतयंििी
39. आतीत-पय वप्त
छह पय वनिय ें के आभ व क े आतीत-पय वनि
कहते हैं ।
ससद् भगव ि् आतीत-पय वनि हैं ।
40. ➢Reference : ग ेम्मटस ि जीवक ण्ड़, सम्यग्ज्ञ ि िंदद्रक ,
ग ेम्मटस ि जीवक ंड़ - िेख लित्र एवं त लिक आ ें में
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Smt. Sarika Vikas Chhabra
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