SlideShare a Scribd company logo
इस ग्रन्थ की प्रामाणिकता औार निगाोद का
दुःख
(नतर्यंच गनत को दख)
• तास= उस संसार मों
• भ्रमि की= भटकिो की
• बहु= बड़ी
• प= तथापप
• कछु= थाोड़ी-सी
• कहूँ= कहता हूँ
• कही= कही ह
• मनि= पूर्ााचार्याों िो
तास भ्रमि की ह बहु कथा, प कछु कहूँ कही मनि र्यथा ।
काल औिन्त निगाोद मूँझार, र्ीतर्याो एको न्री ति धार ॥4 ॥
• र्यथा= जसी
• निगाोद मूँझार= निगाोद मों
• र्ीतर्याो= व्र्यतीत हुऔाह ।
• एको न्री= एको न्द्न्रर्य जीर् को
• ति= शरीर
• धार= धारि करको
तास भ्रमि की ह बहु कथा, प कछु कहूँ कही मनि र्यथा ।
काल औिन्त निगाोद मूँझार, र्ीतर्याो एको न्री ति धार ॥4 ॥
• संसार मों जन्म-मरि धारि करिो की कथा बहुत बड़ी ह ।
• तथापप जजसप्रकार पूर्ााचार्याों िो औपिो औन्र्य ग्रन्थाों मों कही ह,
तदिसार मं (दालतराम) भी इस ग्रन्थ मों थाोड़ी-सी कहता हूँ
• इस जीर् िो िरक सो भी निकृ ष्ट निगाोद मों
• एको न्द्न्रर्य जीर् को शरीर धारि पकर्यो औथाात साधारि
र्िस्पनतकार्य मों उतपन्न हाोकर र्हाूँ औिंतकाल व्र्यतीत पकर्या
ह ॥4 ॥
नतर्यंच को भोद
१ इन्द्रिय
• स्पर्शन
२ इन्द्रिय
• स्पर्शन,
रसना
३ इन्द्रिय
• स्पर्शन,
रसना,
घ्राण
४ इन्द्रिय
• स्पर्शन,
रसना,
घ्राण, चक्षु
५ इन्द्रिय
• स्पर्शन,
रसना,
घ्राण,
चक्षु, कणश
एको न्द्न्रर्य
•पृथ्र्ी
•जल
•औग्नि
•र्ार्य
•र्िस्पनत
र्िस्पनत
साधारि
जजस शरीर को स्र्ामी
औिंत जीर् हाोतो हं
सूक्ष्म
बादर
प्रतर्योक
जजस शरीर का
स्र्ामी एक जीर् हाोता
ह
बादर
नतर्यंच जीर्
१ इन्द्न्रर्य
पृथ्र्ी जल औग्नि र्ार्य र्िस्पनत
साधारि प्रतर्योक
२ इन्द्न्रर्य ३ इन्द्न्रर्य ४ इन्द्न्रर्य ५ इन्द्न्रर्य
संज्ञी औसंज्ञी
निगाोद (साधारि जीर्) पकसो कहतो हं?
जजिको शरीर, औाहार, श्वासाोच्छर्ास, जीर्ि-मरि एक साथ हाोता ह र्ो निगाोददर्या
जीर् कहलातो हं
औथाात जाो औिन्त जीर्ाों काो एक ही औार्ास दो उसकाो निगाोद कहतो हं
द=
दोता ह
गाो =
एक ही क्षेत्र
नि =
अनरतपना है ननन्द्चचत न्द्िनका, ऐसे िीवों को
• जजसिो औिादद काल सो औभी तक त्रस पर्याार्य
प्राप्त िहीं की ह
नितर्य निगाोद
• जाो दोर्, िारकी, नतर्यंच औार मिषर्याों मों उतपन्न
हाोकर पि: निगाोद मों उतपन्न हाोतो हं
• इसका दूसरा िाम चतुगानत निगाोद भी ह
इतर निगाोद
निगाोद(साधारि) को भोद:
पंचगाोलक मों निगाोद शरीर
• सुई की १ िाोंक पर १ स्कं धस्कं ध:
• १ स्कं ध मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि औण्ड़रऔण्ड़र:
• १ औण्ड़र मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि औार्ासऔार्ास:
• १ औार्ास मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि पलपर्पलपर्:
• १ पलपर् मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि निगाोद शरीरनिगाोद शरीर:
• १ निगाोद शरीर मों औिंत निगाोददर्या जीर्जीर्:
• 1 निगाोद शरीर मों = औिंतािंत जीर्
• 1 पलपर् मों = औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर्
• 1 औार्ास मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् )
• 1 औण्ड़र मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औसंख्र्यात लाो प्र x
औिंतािंत जीर् )
• 1 स्कं ध मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औसंख्र्यात लाो प्र x
औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् )
उदा. को ललर्यो मािा - औिंतािंत जीर् =100,
औसंख्र्यात लाो प्र = 2
• 1 निगाोद शरीर मों = 100
• 1 पलपर् मों = 2 x 100= 200
• 1 औार्ास मों = 2 x 200=400
• 1 औण्ड़र मों = 2 x 400=800
• 1 स्कं ध मों = 2 x 800=1600 निगाोददर्या जीर्
पंचगाोलक मों निगाोद शरीर
निगाोद का दुःख औार
र्हाूँ सो निकलकर प्राप्त की हुई पर्याार्यों
एक श्वास मों औठदस बार, जन्मर्याो मरयर्याो भरयर्याो दखभार ।
निकसस भूलम जल पार्क भर्याो, पर्ि प्रतर्योक र्िस्पनत थर्याो ॥5॥
• एक श्वास मों= एक साूँस मों
• औठदस बार= औठारह बार
• जन्मर्याो= जिमा
• मरयर्याो= मरा
• दखभार= दुःखाों को समूह
• भरयर्याो= सहि पकर्यो
• निकसस= निकलकर
• भूलम= पृथ्र्ीकाग्नर्यक जीर्
• जल= जलकाग्नर्यक जीर्
• पार्क= औग्निकाग्नर्यक जीर्
• भर्याो= हुऔा
• पर्ि= र्ार्यकाग्नर्यक जीर्
• प्रतर्योक र्िस्पनत= प्रतर्योक
र्िस्पनतकाग्नर्यक जीर्
• थर्याो= हुऔा
• निगाोद साधारि र्िस्पनत मों इस जीर् िो
एक श्वासमात्र (जजतिो) समर्य मों औठारह
बार जन्म औार मरि करको भर्यंकर दुःख
सहि पकर्यो हं
• औार र्हाूँ सो निकलकर पृथ्र्ीकाग्नर्यक,
जलकाग्नर्यक, औग्निकाग्नर्यक, र्ार्यकाग्नर्यक
तथा प्रतर्योक र्िस्पनतकाग्नर्यक जीर् को रूप
मों उतपन्न हुऔा ॥5 ॥
एक श्वास मों औठदस बार, जन्मर्याो मरयर्याो भरयर्याो दखभार ।
निकसस भूलम जल पार्क भर्याो, पर्ि प्रतर्योक र्िस्पनत थर्याो ॥5॥
श्वास
• 48 Minutes मों 3773 श्वास हाोतो हं।
• ताो 1 Minute मों 78.60 श्वास हाोतो हं
• (3773 / 48)
• र्यािो 1 श्वास = 0.76 seconds !!
• (60 / 78.60)
0.76 seconds मों 18 बार
जीर्ि-मरि हाो जाता ह!!
तथ्र्य:
• सारो निगाोददर्या जीर् श्वास को 18र्ों भाग मों जन्म-मरि िहीं करतो हं
• को र्ल औपर्यााप्त निगाोददर्या जीर् श्वास को 18र्ों भाग मों जन्म-मरि करतो
हं
• औन्र्य पर्यााप्तक निगाोददर्या जीर्ाों की औार्य औधधकतम औन्तमाहुता तक की
हाोती ह
• नितर्य निगाोद सो निकलकर र्यह जीर् स्थार्राों मों पदा हाोता ह
• लोपकि स्थार्र मों ही पदा हाो, एोसा निर्यम िहीं ह. औन्र्य त्रस जीर्ाों मों
भी सीधो पदा हाो सकता ह
पर्यााप्त - औपर्यााप्त जीर्
• जीर् की शलि की पूिाता काो पर्याानप्त कहतो हं| जजिकी
पर्याानप्त पूिा हाोती ह, उसो पर्यााप्त जीर् कहतो हं |पर्यााप्त
• जाो औपिा पर्कास (development) पूिा िहीं
करोगा औार श्वास को औठारहर्ों भाग (औन्तमाहता) मों
ही मरि काो प्राप्त हाोतो हं|
औपर्यााप्त
नतर्यंचगनत मों त्रस पर्याार्य की दलाभता औार
उसका दुःख
दलाभ लहह जर्याों लचन्तामणि, तर्याों पर्याार्य लही त्रसतिी।
लट पपपील औलल औादद शरीर, धर धर मरयर्याो सही बहु पीर॥6॥
• दलाभ= कदठिाई सो
• लहह= प्राप्त हाोता ह
• जर्याों= जजसप्रकार
• लचन्तामणि= लचन्तामणि रत्न
• तर्याों= उसीप्रकार
• त्रसतिी= त्रस की
• लट= इल्ली
• पपपील= चींटी
• औलल= भूँर्रा
• औादद= इतर्यादद को
• धर धर= बारमबार धारि करको
• मरयर्याो= मरि काो प्राप्त हुऔा
• बहु पीर= औतर्यन्त पीड़ा
• सही= सहि की
• जजसप्रकार लचन्तामणि रत्न बड़ी कदठिाई सो प्राप्त हाोता ह,
• उसीप्रकार इस जीर् िो त्रस की पर्याार्य बड़ी कदठिता सो प्राप्त की ।
• उस त्रस पर्याार्य मों भी लट (इल्ली) औादद दाो इन्द्न्रर्य जीर्, चींटी औादद
तीि इन्द्न्रर्य जीर् औार भूँर्रा औादद चार इन्द्न्रर्य जीर् को शरीर धारि
करको मरा औार औिोक दुःख सहि पकर्यो ॥6 ॥
दलाभ लहह जर्याों लचन्तामणि, तर्याों पर्याार्य लही त्रसतिी।
लट पपपील औलल औादद शरीर, धर धर मरयर्याो सही बहु पीर॥6॥
लचन्तामणि रत्न =
लचन्तामणि रत्न = जाो
औाप मि मों लचन्द्न्तत
कराोगो र्ह औापकाो
लमल जार्योगा
 5 इंदरर्य जीर् - हाथी, शोर, कबूतर,
औादद पशु पक्षी
 4 इंदरर्य जीर् – भंर्रा, मच्छर
 3 इंदरर्य जीर् – चीटीं
 2 इंदरर्य जीर् - लट
त्रस काि हं ?
नतर्यंचगनत मों औसंज्ञी तथा संज्ञी को दुःख
कबहूँ पंचोन्द्न्रर्य पशु भर्याो, मि पबि निपट औज्ञािी थर्याो ।
ससंहाददक सिी ह्व क्रू र, निबल पशु हनत खार्यो भूर ॥7॥
• कबहूँ= कभी
• पशु= नतर्यंच
• भर्याो= हुऔा
• मि पबि= मि को पबिा
• निपट= औतर्यन्त
• औज्ञािी= मूखा
• थर्याो= हुऔा
• सिी= संज्ञीं
• ससंहाददक= ससंह औादद
• ह्व= हाोकर
• क्रू र= क्रू र जीर्
• निबल= औपिो सो निबाल,
• हनत= मार-मारकर
• भूर= औिोक
कबहूँ पंचोन्द्न्रर्य पशु भर्याो, मि पबि निपट औज्ञािी थर्याो ।
ससंहाददक सिी ह्व क्रू र, निबल पशु हनत खार्यो भूर ॥7॥
• र्यह जीर् कभी पंचोन्द्न्रर्य औसंज्ञी पशु भी
हुऔा
• ताो मिरहहत हाोिो सो औतर्यन्त औज्ञािी
रहा;
• औार कभी संज्ञी हुऔा ताो ससंह औादद
क्रू र-निदार्य हाोकर, औिोक निबाल जीर्ाों
काो मार-मारकर खार्या तथा घाोर
औज्ञािी हुऔा ॥7॥
मि
•हहत औहहत का पर्चार,शशक्षा औार उपदोश
ग्रहि करिो की शलि सहहत ज्ञाि पर्शोषभार् मि
•हृदर्य स्थाि मों ८ पंखुदड़औाों र्ालो कमल
को औाकार समाि पद्गल पपण्ड़रव्र्य मि
औसंज्ञी को दख को कारि
❖पर्चार शलि सो शून्र्य
❖उपदोश काो ग्रहि करिो की शलि िहीं
❖भाषा ज्ञाि िहीं
❖ज्ञाि का क्षर्याोपशम औल्प
❖तीव्र माोह
❖समर्यक्त्व की प्रानप्त संभर् िहीं
❖दोह को छोदि भोदि संबंधी दख
❖कषार्याों सो दख
सिी हाो करको भी क्या पकर्या?
❖पररिाम पर्शुद्ध िहीं हुए
❖क्रू र हाोकर औन्र्य जीर्ाों का
घात कर तीव्र संक्लो श पररिामाों
सो औतर्यंत दखी हुऔा
❖भपर्षर्य को ललर्यो तीव्र पाप का
बंध पकर्या
नतर्यंचगनत मों निबालता तथा
दुःख
कबहूँ औाप भर्याो बलहीि, सबलनि करर खार्याो औनतदीि ।
छोदि भोदि भूख पपर्यास, भार-र्हि,हहम, औातप त्रास॥8॥
बध बंधि औाददक दख घिो, काोहट जीभ तं जात ि भिो ।
• कबहूँ= कभी
• औाप= स्र्र्यं
• भर्याो= हुऔा
• बलहीि= निबाल
• सबलनि करर= औपिो सो बलर्ाि प्राणिर्याों
द्वारा
• खार्याो= खार्या गर्या
• औनतदीि= औसमथा हाोिो सो
• छोदि= छोदा जािा,
• भोदि= भोदा जािा,
• भार-र्हि= बाोझ ढाोिा,
• हहम= ठण्ड़
• औातप= गमीा
• त्रास= दुःख सहि पकर्यो
• र्ध= मारा जािा,
• बंधि= बूँधिा
• औाददक= औादद
• घिो= औिोक
• काोहट= कराोड़ाों
• जीभतं= जीभाों सो
• जात ि भिो = िहीं कहो जा सकतो
• जब र्यह जीर् नतर्यंचगनत मों पकसी समर्य निबाल पशु हुऔा ताो
• स्र्र्यं औसमथा हाोिो को कारि औपिो सो बलर्ाि प्राणिर्याों द्वारा
खार्या गर्या
• तथा उस नतर्यंचगनत मों छोदा जािा, भोदा जािा, भूख, प्र्यास,
बाोझ ढाोिा, ठण्ड़, गमीा औादद को दुःख भी सहि पकर्यो ॥8॥
• इस जीर् िो नतर्यंचगनत मों मारा जािा, बूँधिा औादद औिोक दुःख
सहि पकर्यो;
• जाो कराोड़ाों जीभाों सो भी िहीं कहो जा सकतो ॥
कबहूँ औाप भर्याो बलहीि, सबलनि करर खार्याो औनतदीि ।
छोदि भोदि भूख पपर्यास, भार-र्हि,हहम,औातप त्रास॥8॥
बध बंधि औाददक दख घिो, काोहट जीभ तं जात ि भिो ।
संज्ञी नतर्यंच को दख
• छोदि
• भोदि
• भूख
• प्र्यास
• बाोझा ढाोिा
• शीत
• उषिता
• र्ध
• बंधि
• काि, िाक,औाोष्ठ औादद औंगाों काो छोदिाछोदि
• औंगाो काो भोदिाभोदि
• खािा पीिो सो राोकिा, कम दोिाभूख-प्र्यास
• ठण्ड़ी- गमीा का दखशीत-उषिता
• बांधिा, बंददगृह,पपंजरों मों ड़ालिा, मजबूत बंधि सो बांधिाबंधि
• लात, घूमका, लाठी, चाबक औादद सो मारिापीड़ि
• पशुऔाों पर औतर्यधधक बाोझ लादिाभार-र्हि
• र्ध कर दोिार्ध
संज्ञी नतर्यंच को दख
नतर्यंच को दुःख की औधधकता औार
िरकगनत की प्रानप्त का कारि
औनत संक्लोश भार्तं मरयर्याो, घाोर श्वभ्रसागर मों परयर्याो॥9॥
 औनत संक्लोश= औतर्यन्त बरो
 भार्तं= पररिामाों सो
 मरयर्याो= मरकर
 घाोर= भर्यािक
 श्वभ्रसागर मों= िरकरूपी समर मों
 परयर्याो= जा ग्नगरा ।
• औंत मों इतिो बरो पररिामाों
(औाताध्र्याि) सो मरा पक
• जजसो बड़ी कदठिता सो पार
पकर्या जा सको एोसो समर-
समाि घाोर िरक मों जा
पहुूँचा ॥9 ॥
औनत संक्लोश भार्तं मरयर्याो, घाोर श्वभ्रसागर मों परयर्याो ॥9॥
पररिाम
संक्लोश (औशुभ)
तीव्र
मंद
पर्शुद्ध (शुभ) तीव्र
मंद
शुद्ध
संक्लोश पररिाम
1. माोहरूप पररिाम
2. पर्षर्यािराग रूप पररिाम
3. द्वोष-रूप पररिाम (औशुभ पररिाम)
➢ Reference : श्री गाोममटसार जीर्काण्ड़जी, श्री जिोन्रससद्धान्त काोष, तत्त्र्ाथासूत्रजी
➢ Presentation created by : Smt. Sarika Vikas Chhabra
➢ For updates / comments / feedback / suggestions, please contact
➢sarikam.j@gmail.com
➢: 0731-2410880

More Related Content

What's hot

Sharangdhar samhita (review)
Sharangdhar samhita (review)Sharangdhar samhita (review)
Sharangdhar samhita (review)
SangeetaIndoria
 
Ashthabakra geeta in hindi kabya
Ashthabakra geeta in hindi kabyaAshthabakra geeta in hindi kabya
Ashthabakra geeta in hindi kabya
Bhim Upadhyaya
 
Try this 11 yoga poses for diabetes it's really works
Try this 11 yoga poses for diabetes  it's really worksTry this 11 yoga poses for diabetes  it's really works
Try this 11 yoga poses for diabetes it's really works
Shivartha
 
Chhand 14-17
Chhand 14-17Chhand 14-17
Chhand 14-17
Jainkosh
 
Jeevsamas Prarupna
Jeevsamas  PrarupnaJeevsamas  Prarupna
Jeevsamas Prarupna
Jainkosh
 
Sutra 8-35
Sutra 8-35Sutra 8-35
Sutra 8-35
Jainkosh
 
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasanTo reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
Shivartha
 
The 10 best yoga poses for back pain
The 10 best yoga poses for back painThe 10 best yoga poses for back pain
The 10 best yoga poses for back pain
Shivartha
 
Yoga for immunity
Yoga for immunityYoga for immunity
Yoga for immunity
Shivartha
 
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
Shivartha
 
Kashay Margna
Kashay MargnaKashay Margna
Kashay Margna
Jainkosh
 
Pran Prarupna
Pran PrarupnaPran Prarupna
Pran Prarupna
Jainkosh
 
Gyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - AvdhigyanGyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - Avdhigyan
Jainkosh
 
Yoga for skin whitening
Yoga for skin whiteningYoga for skin whitening
Yoga for skin whitening
Shivartha
 
8 effective yoga asanas for weight gain
8 effective yoga asanas for weight gain8 effective yoga asanas for weight gain
8 effective yoga asanas for weight gain
Shivartha
 
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
Shivartha
 
Sant avtaran
Sant avtaranSant avtaran
Sant avtarangurusewa
 
11 effective yoga pose to increase energy and stamina
11 effective yoga pose to increase energy and stamina11 effective yoga pose to increase energy and stamina
11 effective yoga pose to increase energy and stamina
Shivartha
 
10 yoga for back pain beginners
10 yoga for back pain beginners10 yoga for back pain beginners
10 yoga for back pain beginners
Shivartha
 
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
Shivartha
 

What's hot (20)

Sharangdhar samhita (review)
Sharangdhar samhita (review)Sharangdhar samhita (review)
Sharangdhar samhita (review)
 
Ashthabakra geeta in hindi kabya
Ashthabakra geeta in hindi kabyaAshthabakra geeta in hindi kabya
Ashthabakra geeta in hindi kabya
 
Try this 11 yoga poses for diabetes it's really works
Try this 11 yoga poses for diabetes  it's really worksTry this 11 yoga poses for diabetes  it's really works
Try this 11 yoga poses for diabetes it's really works
 
Chhand 14-17
Chhand 14-17Chhand 14-17
Chhand 14-17
 
Jeevsamas Prarupna
Jeevsamas  PrarupnaJeevsamas  Prarupna
Jeevsamas Prarupna
 
Sutra 8-35
Sutra 8-35Sutra 8-35
Sutra 8-35
 
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasanTo reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
To reduce belly fat here is the 12 best yoga aasan
 
The 10 best yoga poses for back pain
The 10 best yoga poses for back painThe 10 best yoga poses for back pain
The 10 best yoga poses for back pain
 
Yoga for immunity
Yoga for immunityYoga for immunity
Yoga for immunity
 
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liver
 
Kashay Margna
Kashay MargnaKashay Margna
Kashay Margna
 
Pran Prarupna
Pran PrarupnaPran Prarupna
Pran Prarupna
 
Gyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - AvdhigyanGyanmargna - Avdhigyan
Gyanmargna - Avdhigyan
 
Yoga for skin whitening
Yoga for skin whiteningYoga for skin whitening
Yoga for skin whitening
 
8 effective yoga asanas for weight gain
8 effective yoga asanas for weight gain8 effective yoga asanas for weight gain
8 effective yoga asanas for weight gain
 
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
10 easy yoga poses you can literally do in your bed, so no more excuses!
 
Sant avtaran
Sant avtaranSant avtaran
Sant avtaran
 
11 effective yoga pose to increase energy and stamina
11 effective yoga pose to increase energy and stamina11 effective yoga pose to increase energy and stamina
11 effective yoga pose to increase energy and stamina
 
10 yoga for back pain beginners
10 yoga for back pain beginners10 yoga for back pain beginners
10 yoga for back pain beginners
 
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
 

Similar to Chhand 4-9

Later vedik sacrifices
Later vedik sacrificesLater vedik sacrifices
Later vedik sacrifices
Virag Sontakke
 
Religion and sacrifice of later vedic period
Religion and sacrifice of later vedic periodReligion and sacrifice of later vedic period
Religion and sacrifice of later vedic period
Virag Sontakke
 
Meaning and nature of religion
Meaning and nature of religionMeaning and nature of religion
Meaning and nature of religion
Virag Sontakke
 
Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2
Jainkosh
 
Sutra 26-33
Sutra 26-33Sutra 26-33
Sutra 26-33
Jainkosh
 
Gyanmargna - Shrutgyan
Gyanmargna - ShrutgyanGyanmargna - Shrutgyan
Gyanmargna - Shrutgyan
Jainkosh
 
Chhand 1-7
Chhand 1-7Chhand 1-7
Chhand 1-7
Jainkosh
 
Bauaa.pptx
Bauaa.pptxBauaa.pptx
Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2
Jainkosh
 
GyanMargna - Matigyan
GyanMargna - MatigyanGyanMargna - Matigyan
GyanMargna - Matigyan
Jainkosh
 
Sanskrit - Testament of Asher.pdf
Sanskrit - Testament of Asher.pdfSanskrit - Testament of Asher.pdf
Sanskrit - Testament of Asher.pdf
Filipino Tracts and Literature Society Inc.
 
Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3
Jainkosh
 
Concept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramhaConcept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramha
Virag Sontakke
 
सर्प विष (Sarp visha)
सर्प विष (Sarp visha)सर्प विष (Sarp visha)
सर्प विष (Sarp visha)
DR. SUNIL KUMAR
 
Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1
Jainkosh
 
Sutra 36-53
Sutra 36-53Sutra 36-53
Sutra 36-53
Jainkosh
 
Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6
Jainkosh
 
Leshaya Margna
Leshaya MargnaLeshaya Margna
Leshaya Margna
Jainkosh
 
Sanskrit - Second and Third John.pdf
Sanskrit - Second and Third John.pdfSanskrit - Second and Third John.pdf
Sanskrit - Second and Third John.pdf
Filipino Tracts and Literature Society Inc.
 

Similar to Chhand 4-9 (20)

Later vedik sacrifices
Later vedik sacrificesLater vedik sacrifices
Later vedik sacrifices
 
Religion and sacrifice of later vedic period
Religion and sacrifice of later vedic periodReligion and sacrifice of later vedic period
Religion and sacrifice of later vedic period
 
Meaning and nature of religion
Meaning and nature of religionMeaning and nature of religion
Meaning and nature of religion
 
Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2Gunsthan 1 - 2
Gunsthan 1 - 2
 
Sutra 26-33
Sutra 26-33Sutra 26-33
Sutra 26-33
 
Gyanmargna - Shrutgyan
Gyanmargna - ShrutgyanGyanmargna - Shrutgyan
Gyanmargna - Shrutgyan
 
Chhand 1-7
Chhand 1-7Chhand 1-7
Chhand 1-7
 
Bauaa.pptx
Bauaa.pptxBauaa.pptx
Bauaa.pptx
 
Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2Gunsthan 1-2
Gunsthan 1-2
 
GyanMargna - Matigyan
GyanMargna - MatigyanGyanMargna - Matigyan
GyanMargna - Matigyan
 
Sanskrit - Testament of Asher.pdf
Sanskrit - Testament of Asher.pdfSanskrit - Testament of Asher.pdf
Sanskrit - Testament of Asher.pdf
 
Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3Chhand 1 - 3
Chhand 1 - 3
 
Hikka shwas
Hikka shwasHikka shwas
Hikka shwas
 
Concept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramhaConcept of aatma and bramha
Concept of aatma and bramha
 
सर्प विष (Sarp visha)
सर्प विष (Sarp visha)सर्प विष (Sarp visha)
सर्प विष (Sarp visha)
 
Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1Samyktva Margna - 1
Samyktva Margna - 1
 
Sutra 36-53
Sutra 36-53Sutra 36-53
Sutra 36-53
 
Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6Gunsthan 3 - 6
Gunsthan 3 - 6
 
Leshaya Margna
Leshaya MargnaLeshaya Margna
Leshaya Margna
 
Sanskrit - Second and Third John.pdf
Sanskrit - Second and Third John.pdfSanskrit - Second and Third John.pdf
Sanskrit - Second and Third John.pdf
 

More from Jainkosh

Chhand 10
Chhand 10Chhand 10
Chhand 10
Jainkosh
 
Chhand 8-9
Chhand 8-9Chhand 8-9
Chhand 8-9
Jainkosh
 
Chhand 10-13
Chhand 10-13Chhand 10-13
Chhand 10-13
Jainkosh
 
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 DharayJain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jainkosh
 
Jain Aalokik Ganit
Jain Aalokik  GanitJain Aalokik  Ganit
Jain Aalokik Ganit
Jainkosh
 
Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14
Jainkosh
 
Sutra 1-7
Sutra 1-7Sutra 1-7
Sutra 1-7
Jainkosh
 
Sutra 9-25
Sutra 9-25Sutra 9-25
Sutra 9-25
Jainkosh
 
Sutra 1-8
Sutra 1-8Sutra 1-8
Sutra 1-8
Jainkosh
 
Upyog Prarupna
Upyog PrarupnaUpyog Prarupna
Upyog Prarupna
Jainkosh
 
Aahar Margna
Aahar MargnaAahar Margna
Aahar Margna
Jainkosh
 
Sunyam Margna
Sunyam MargnaSunyam Margna
Sunyam Margna
Jainkosh
 
Sanggyi Margna
Sanggyi MargnaSanggyi Margna
Sanggyi Margna
Jainkosh
 
Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2
Jainkosh
 
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Jainkosh
 
Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2
Jainkosh
 
Darshan Margna
Darshan MargnaDarshan Margna
Darshan Margna
Jainkosh
 
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : PryyaghyanGyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
Jainkosh
 

More from Jainkosh (18)

Chhand 10
Chhand 10Chhand 10
Chhand 10
 
Chhand 8-9
Chhand 8-9Chhand 8-9
Chhand 8-9
 
Chhand 10-13
Chhand 10-13Chhand 10-13
Chhand 10-13
 
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 DharayJain Alaukik Ganit - 14 Dharay
Jain Alaukik Ganit - 14 Dharay
 
Jain Aalokik Ganit
Jain Aalokik  GanitJain Aalokik  Ganit
Jain Aalokik Ganit
 
Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14Gunsthan 7 - 14
Gunsthan 7 - 14
 
Sutra 1-7
Sutra 1-7Sutra 1-7
Sutra 1-7
 
Sutra 9-25
Sutra 9-25Sutra 9-25
Sutra 9-25
 
Sutra 1-8
Sutra 1-8Sutra 1-8
Sutra 1-8
 
Upyog Prarupna
Upyog PrarupnaUpyog Prarupna
Upyog Prarupna
 
Aahar Margna
Aahar MargnaAahar Margna
Aahar Margna
 
Sunyam Margna
Sunyam MargnaSunyam Margna
Sunyam Margna
 
Sanggyi Margna
Sanggyi MargnaSanggyi Margna
Sanggyi Margna
 
Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2Samyktva Margna - 2
Samyktva Margna - 2
 
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )Bhavya Margna ( Panch parivartan )
Bhavya Margna ( Panch parivartan )
 
Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2Leshaya Margna - 2
Leshaya Margna - 2
 
Darshan Margna
Darshan MargnaDarshan Margna
Darshan Margna
 
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : PryyaghyanGyanmargna - Man : Pryyaghyan
Gyanmargna - Man : Pryyaghyan
 

Chhand 4-9

  • 1. इस ग्रन्थ की प्रामाणिकता औार निगाोद का दुःख (नतर्यंच गनत को दख)
  • 2. • तास= उस संसार मों • भ्रमि की= भटकिो की • बहु= बड़ी • प= तथापप • कछु= थाोड़ी-सी • कहूँ= कहता हूँ • कही= कही ह • मनि= पूर्ााचार्याों िो तास भ्रमि की ह बहु कथा, प कछु कहूँ कही मनि र्यथा । काल औिन्त निगाोद मूँझार, र्ीतर्याो एको न्री ति धार ॥4 ॥ • र्यथा= जसी • निगाोद मूँझार= निगाोद मों • र्ीतर्याो= व्र्यतीत हुऔाह । • एको न्री= एको न्द्न्रर्य जीर् को • ति= शरीर • धार= धारि करको
  • 3. तास भ्रमि की ह बहु कथा, प कछु कहूँ कही मनि र्यथा । काल औिन्त निगाोद मूँझार, र्ीतर्याो एको न्री ति धार ॥4 ॥ • संसार मों जन्म-मरि धारि करिो की कथा बहुत बड़ी ह । • तथापप जजसप्रकार पूर्ााचार्याों िो औपिो औन्र्य ग्रन्थाों मों कही ह, तदिसार मं (दालतराम) भी इस ग्रन्थ मों थाोड़ी-सी कहता हूँ • इस जीर् िो िरक सो भी निकृ ष्ट निगाोद मों • एको न्द्न्रर्य जीर् को शरीर धारि पकर्यो औथाात साधारि र्िस्पनतकार्य मों उतपन्न हाोकर र्हाूँ औिंतकाल व्र्यतीत पकर्या ह ॥4 ॥
  • 4. नतर्यंच को भोद १ इन्द्रिय • स्पर्शन २ इन्द्रिय • स्पर्शन, रसना ३ इन्द्रिय • स्पर्शन, रसना, घ्राण ४ इन्द्रिय • स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु ५ इन्द्रिय • स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कणश
  • 6. र्िस्पनत साधारि जजस शरीर को स्र्ामी औिंत जीर् हाोतो हं सूक्ष्म बादर प्रतर्योक जजस शरीर का स्र्ामी एक जीर् हाोता ह बादर
  • 7. नतर्यंच जीर् १ इन्द्न्रर्य पृथ्र्ी जल औग्नि र्ार्य र्िस्पनत साधारि प्रतर्योक २ इन्द्न्रर्य ३ इन्द्न्रर्य ४ इन्द्न्रर्य ५ इन्द्न्रर्य संज्ञी औसंज्ञी
  • 8. निगाोद (साधारि जीर्) पकसो कहतो हं? जजिको शरीर, औाहार, श्वासाोच्छर्ास, जीर्ि-मरि एक साथ हाोता ह र्ो निगाोददर्या जीर् कहलातो हं औथाात जाो औिन्त जीर्ाों काो एक ही औार्ास दो उसकाो निगाोद कहतो हं द= दोता ह गाो = एक ही क्षेत्र नि = अनरतपना है ननन्द्चचत न्द्िनका, ऐसे िीवों को
  • 9. • जजसिो औिादद काल सो औभी तक त्रस पर्याार्य प्राप्त िहीं की ह नितर्य निगाोद • जाो दोर्, िारकी, नतर्यंच औार मिषर्याों मों उतपन्न हाोकर पि: निगाोद मों उतपन्न हाोतो हं • इसका दूसरा िाम चतुगानत निगाोद भी ह इतर निगाोद निगाोद(साधारि) को भोद:
  • 10. पंचगाोलक मों निगाोद शरीर • सुई की १ िाोंक पर १ स्कं धस्कं ध: • १ स्कं ध मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि औण्ड़रऔण्ड़र: • १ औण्ड़र मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि औार्ासऔार्ास: • १ औार्ास मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि पलपर्पलपर्: • १ पलपर् मों औसंख्र्यात लाोक प्रमाि निगाोद शरीरनिगाोद शरीर: • १ निगाोद शरीर मों औिंत निगाोददर्या जीर्जीर्:
  • 11. • 1 निगाोद शरीर मों = औिंतािंत जीर् • 1 पलपर् मों = औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् • 1 औार्ास मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् ) • 1 औण्ड़र मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् ) • 1 स्कं ध मों = औसंख्र्यात लाो प्र x (औसंख्र्यात लाो प्र x औसंख्र्यात लाो प्र x औसंख्र्यात लाो प्र x औिंतािंत जीर् )
  • 12. उदा. को ललर्यो मािा - औिंतािंत जीर् =100, औसंख्र्यात लाो प्र = 2 • 1 निगाोद शरीर मों = 100 • 1 पलपर् मों = 2 x 100= 200 • 1 औार्ास मों = 2 x 200=400 • 1 औण्ड़र मों = 2 x 400=800 • 1 स्कं ध मों = 2 x 800=1600 निगाोददर्या जीर्
  • 14. निगाोद का दुःख औार र्हाूँ सो निकलकर प्राप्त की हुई पर्याार्यों
  • 15. एक श्वास मों औठदस बार, जन्मर्याो मरयर्याो भरयर्याो दखभार । निकसस भूलम जल पार्क भर्याो, पर्ि प्रतर्योक र्िस्पनत थर्याो ॥5॥ • एक श्वास मों= एक साूँस मों • औठदस बार= औठारह बार • जन्मर्याो= जिमा • मरयर्याो= मरा • दखभार= दुःखाों को समूह • भरयर्याो= सहि पकर्यो • निकसस= निकलकर • भूलम= पृथ्र्ीकाग्नर्यक जीर् • जल= जलकाग्नर्यक जीर् • पार्क= औग्निकाग्नर्यक जीर् • भर्याो= हुऔा • पर्ि= र्ार्यकाग्नर्यक जीर् • प्रतर्योक र्िस्पनत= प्रतर्योक र्िस्पनतकाग्नर्यक जीर् • थर्याो= हुऔा
  • 16. • निगाोद साधारि र्िस्पनत मों इस जीर् िो एक श्वासमात्र (जजतिो) समर्य मों औठारह बार जन्म औार मरि करको भर्यंकर दुःख सहि पकर्यो हं • औार र्हाूँ सो निकलकर पृथ्र्ीकाग्नर्यक, जलकाग्नर्यक, औग्निकाग्नर्यक, र्ार्यकाग्नर्यक तथा प्रतर्योक र्िस्पनतकाग्नर्यक जीर् को रूप मों उतपन्न हुऔा ॥5 ॥ एक श्वास मों औठदस बार, जन्मर्याो मरयर्याो भरयर्याो दखभार । निकसस भूलम जल पार्क भर्याो, पर्ि प्रतर्योक र्िस्पनत थर्याो ॥5॥
  • 17. श्वास • 48 Minutes मों 3773 श्वास हाोतो हं। • ताो 1 Minute मों 78.60 श्वास हाोतो हं • (3773 / 48) • र्यािो 1 श्वास = 0.76 seconds !! • (60 / 78.60) 0.76 seconds मों 18 बार जीर्ि-मरि हाो जाता ह!!
  • 18. तथ्र्य: • सारो निगाोददर्या जीर् श्वास को 18र्ों भाग मों जन्म-मरि िहीं करतो हं • को र्ल औपर्यााप्त निगाोददर्या जीर् श्वास को 18र्ों भाग मों जन्म-मरि करतो हं • औन्र्य पर्यााप्तक निगाोददर्या जीर्ाों की औार्य औधधकतम औन्तमाहुता तक की हाोती ह • नितर्य निगाोद सो निकलकर र्यह जीर् स्थार्राों मों पदा हाोता ह • लोपकि स्थार्र मों ही पदा हाो, एोसा निर्यम िहीं ह. औन्र्य त्रस जीर्ाों मों भी सीधो पदा हाो सकता ह
  • 19. पर्यााप्त - औपर्यााप्त जीर् • जीर् की शलि की पूिाता काो पर्याानप्त कहतो हं| जजिकी पर्याानप्त पूिा हाोती ह, उसो पर्यााप्त जीर् कहतो हं |पर्यााप्त • जाो औपिा पर्कास (development) पूिा िहीं करोगा औार श्वास को औठारहर्ों भाग (औन्तमाहता) मों ही मरि काो प्राप्त हाोतो हं| औपर्यााप्त
  • 20. नतर्यंचगनत मों त्रस पर्याार्य की दलाभता औार उसका दुःख
  • 21. दलाभ लहह जर्याों लचन्तामणि, तर्याों पर्याार्य लही त्रसतिी। लट पपपील औलल औादद शरीर, धर धर मरयर्याो सही बहु पीर॥6॥ • दलाभ= कदठिाई सो • लहह= प्राप्त हाोता ह • जर्याों= जजसप्रकार • लचन्तामणि= लचन्तामणि रत्न • तर्याों= उसीप्रकार • त्रसतिी= त्रस की • लट= इल्ली • पपपील= चींटी • औलल= भूँर्रा • औादद= इतर्यादद को • धर धर= बारमबार धारि करको • मरयर्याो= मरि काो प्राप्त हुऔा • बहु पीर= औतर्यन्त पीड़ा • सही= सहि की
  • 22. • जजसप्रकार लचन्तामणि रत्न बड़ी कदठिाई सो प्राप्त हाोता ह, • उसीप्रकार इस जीर् िो त्रस की पर्याार्य बड़ी कदठिता सो प्राप्त की । • उस त्रस पर्याार्य मों भी लट (इल्ली) औादद दाो इन्द्न्रर्य जीर्, चींटी औादद तीि इन्द्न्रर्य जीर् औार भूँर्रा औादद चार इन्द्न्रर्य जीर् को शरीर धारि करको मरा औार औिोक दुःख सहि पकर्यो ॥6 ॥ दलाभ लहह जर्याों लचन्तामणि, तर्याों पर्याार्य लही त्रसतिी। लट पपपील औलल औादद शरीर, धर धर मरयर्याो सही बहु पीर॥6॥
  • 23. लचन्तामणि रत्न = लचन्तामणि रत्न = जाो औाप मि मों लचन्द्न्तत कराोगो र्ह औापकाो लमल जार्योगा
  • 24.  5 इंदरर्य जीर् - हाथी, शोर, कबूतर, औादद पशु पक्षी  4 इंदरर्य जीर् – भंर्रा, मच्छर  3 इंदरर्य जीर् – चीटीं  2 इंदरर्य जीर् - लट त्रस काि हं ?
  • 25. नतर्यंचगनत मों औसंज्ञी तथा संज्ञी को दुःख
  • 26. कबहूँ पंचोन्द्न्रर्य पशु भर्याो, मि पबि निपट औज्ञािी थर्याो । ससंहाददक सिी ह्व क्रू र, निबल पशु हनत खार्यो भूर ॥7॥ • कबहूँ= कभी • पशु= नतर्यंच • भर्याो= हुऔा • मि पबि= मि को पबिा • निपट= औतर्यन्त • औज्ञािी= मूखा • थर्याो= हुऔा • सिी= संज्ञीं • ससंहाददक= ससंह औादद • ह्व= हाोकर • क्रू र= क्रू र जीर् • निबल= औपिो सो निबाल, • हनत= मार-मारकर • भूर= औिोक
  • 27. कबहूँ पंचोन्द्न्रर्य पशु भर्याो, मि पबि निपट औज्ञािी थर्याो । ससंहाददक सिी ह्व क्रू र, निबल पशु हनत खार्यो भूर ॥7॥ • र्यह जीर् कभी पंचोन्द्न्रर्य औसंज्ञी पशु भी हुऔा • ताो मिरहहत हाोिो सो औतर्यन्त औज्ञािी रहा; • औार कभी संज्ञी हुऔा ताो ससंह औादद क्रू र-निदार्य हाोकर, औिोक निबाल जीर्ाों काो मार-मारकर खार्या तथा घाोर औज्ञािी हुऔा ॥7॥
  • 28. मि •हहत औहहत का पर्चार,शशक्षा औार उपदोश ग्रहि करिो की शलि सहहत ज्ञाि पर्शोषभार् मि •हृदर्य स्थाि मों ८ पंखुदड़औाों र्ालो कमल को औाकार समाि पद्गल पपण्ड़रव्र्य मि
  • 29. औसंज्ञी को दख को कारि ❖पर्चार शलि सो शून्र्य ❖उपदोश काो ग्रहि करिो की शलि िहीं ❖भाषा ज्ञाि िहीं ❖ज्ञाि का क्षर्याोपशम औल्प ❖तीव्र माोह ❖समर्यक्त्व की प्रानप्त संभर् िहीं ❖दोह को छोदि भोदि संबंधी दख ❖कषार्याों सो दख
  • 30. सिी हाो करको भी क्या पकर्या? ❖पररिाम पर्शुद्ध िहीं हुए ❖क्रू र हाोकर औन्र्य जीर्ाों का घात कर तीव्र संक्लो श पररिामाों सो औतर्यंत दखी हुऔा ❖भपर्षर्य को ललर्यो तीव्र पाप का बंध पकर्या
  • 32. कबहूँ औाप भर्याो बलहीि, सबलनि करर खार्याो औनतदीि । छोदि भोदि भूख पपर्यास, भार-र्हि,हहम, औातप त्रास॥8॥ बध बंधि औाददक दख घिो, काोहट जीभ तं जात ि भिो । • कबहूँ= कभी • औाप= स्र्र्यं • भर्याो= हुऔा • बलहीि= निबाल • सबलनि करर= औपिो सो बलर्ाि प्राणिर्याों द्वारा • खार्याो= खार्या गर्या • औनतदीि= औसमथा हाोिो सो • छोदि= छोदा जािा, • भोदि= भोदा जािा, • भार-र्हि= बाोझ ढाोिा, • हहम= ठण्ड़ • औातप= गमीा • त्रास= दुःख सहि पकर्यो • र्ध= मारा जािा, • बंधि= बूँधिा • औाददक= औादद • घिो= औिोक • काोहट= कराोड़ाों • जीभतं= जीभाों सो • जात ि भिो = िहीं कहो जा सकतो
  • 33. • जब र्यह जीर् नतर्यंचगनत मों पकसी समर्य निबाल पशु हुऔा ताो • स्र्र्यं औसमथा हाोिो को कारि औपिो सो बलर्ाि प्राणिर्याों द्वारा खार्या गर्या • तथा उस नतर्यंचगनत मों छोदा जािा, भोदा जािा, भूख, प्र्यास, बाोझ ढाोिा, ठण्ड़, गमीा औादद को दुःख भी सहि पकर्यो ॥8॥ • इस जीर् िो नतर्यंचगनत मों मारा जािा, बूँधिा औादद औिोक दुःख सहि पकर्यो; • जाो कराोड़ाों जीभाों सो भी िहीं कहो जा सकतो ॥ कबहूँ औाप भर्याो बलहीि, सबलनि करर खार्याो औनतदीि । छोदि भोदि भूख पपर्यास, भार-र्हि,हहम,औातप त्रास॥8॥ बध बंधि औाददक दख घिो, काोहट जीभ तं जात ि भिो ।
  • 34. संज्ञी नतर्यंच को दख • छोदि • भोदि • भूख • प्र्यास • बाोझा ढाोिा • शीत • उषिता • र्ध • बंधि
  • 35. • काि, िाक,औाोष्ठ औादद औंगाों काो छोदिाछोदि • औंगाो काो भोदिाभोदि • खािा पीिो सो राोकिा, कम दोिाभूख-प्र्यास • ठण्ड़ी- गमीा का दखशीत-उषिता • बांधिा, बंददगृह,पपंजरों मों ड़ालिा, मजबूत बंधि सो बांधिाबंधि • लात, घूमका, लाठी, चाबक औादद सो मारिापीड़ि • पशुऔाों पर औतर्यधधक बाोझ लादिाभार-र्हि • र्ध कर दोिार्ध संज्ञी नतर्यंच को दख
  • 36. नतर्यंच को दुःख की औधधकता औार िरकगनत की प्रानप्त का कारि
  • 37. औनत संक्लोश भार्तं मरयर्याो, घाोर श्वभ्रसागर मों परयर्याो॥9॥  औनत संक्लोश= औतर्यन्त बरो  भार्तं= पररिामाों सो  मरयर्याो= मरकर  घाोर= भर्यािक  श्वभ्रसागर मों= िरकरूपी समर मों  परयर्याो= जा ग्नगरा ।
  • 38. • औंत मों इतिो बरो पररिामाों (औाताध्र्याि) सो मरा पक • जजसो बड़ी कदठिता सो पार पकर्या जा सको एोसो समर- समाि घाोर िरक मों जा पहुूँचा ॥9 ॥ औनत संक्लोश भार्तं मरयर्याो, घाोर श्वभ्रसागर मों परयर्याो ॥9॥
  • 40. संक्लोश पररिाम 1. माोहरूप पररिाम 2. पर्षर्यािराग रूप पररिाम 3. द्वोष-रूप पररिाम (औशुभ पररिाम)
  • 41. ➢ Reference : श्री गाोममटसार जीर्काण्ड़जी, श्री जिोन्रससद्धान्त काोष, तत्त्र्ाथासूत्रजी ➢ Presentation created by : Smt. Sarika Vikas Chhabra ➢ For updates / comments / feedback / suggestions, please contact ➢sarikam.j@gmail.com ➢: 0731-2410880