2. पुरातात्विक िाक्ष्य
1. प्रयाग प्रशत्वि –
• उत्तर-पश्चिम गणराज्यों की ताश्चिका में
• समुद्रगुप्त क
े बाद क
े ग्रोंथयों में उल्लेख
• मूि श्चिवास-स्थाि बहाविपुर (पाश्चकस्ताि - सतिज िदी क
े श्चकिारे)
2. जूनागढ़ असिलेख –
• रुद्रदामि क
े जूिागढ़ अश्चििेख - वीर क्षश्चिओों कर रूप में
• रुद्रदामि से सोंघर्ष - यौधेययों की पराजय
• यौधेय तथा क
ु श्चणन्यों एक सोंघ बिाकर युद्ध श्चकया
• क
ु र्ाण काि में यौधेययों का श्चवस्तार उत्तर-पूवी राजस्थाि व हररयाणा क
े क्षेि
में
• इस क्षेि में यौधेययों क
े श्चसक्क
े क
े सााँचे प्राप्त
• रुद्रदामि से पराजय क
े बाद ये श्चहमािय क
े तिहटी में जा बसे|
3. िासित्विक िाक्ष्य
1. अष्टाध्यायी –
• उल्लेख - आयुधजीवी सोंघ क
े रूप में
• युद्ध प्रवृश्चत्त क
े , जीवि शस्त्यों क
े द्वारा चिता
2. मिािारत –
• उल्लेख - िक
ु ि श्चवजय क
े प्रसोंग में
• मत्तमयूरक - रयहतक क
े श्चिवासी
• यह क्षेि काश्चतषक
े य कय श्चप्रय, धान्य और गौ से पररपूणष
3. पुराण –
• पौराश्चणक अिुश्रुश्चतययों - यौधेय युश्चधश्चिर और श्चशश्चव राजक
ु मारी
देवीका से उत्पन्न यौधेय िामक पुि
4. सिदेशी सििरण
1. अर्रियन –
• यूिािी इश्चतहासकार अररषयि िे व्यास क
े पूवी तट पर एक शक्तिशािी
जिपद का उल्लेख
• िूश्चम बहुत उवषर, ियग क
ृ र्क क
े साथ-साथ युद्ध-वीर
• काशी प्रसाद जायसवाि का अिुमाि - ये युद्ध-वीर जाश्चत यौधेययों की थी,
श्चजन्योंिे श्चसक
ों दर की सेिा हय िस्त कर व्यास िदी से आगे बढ़िे से रयक
श्चदया
2. स्ट्रेब –
• स्ट्रेबय यौधेययों उल्लेख
• कहता - इिक
े िगिग 5000 राजन्य थे, ये राज् कय हाथी िेट करते थे|
9. सिक्क ों का सििाजन
सशिस्वरूप ििाय - 4 प्रकार
1. िोंश्चद तथा हाथी प्रकार का श्चसक्का - प्रथम काि
2. काश्चतषक
े य क
े साथ ब्राम्हण्यदेव अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि
3. काश्चतषक
े य क
े साथ ब्राम्हण्यदेव और द्रम अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि
4. क
ु र्ाणयों क
े अिुकरण पर बिे श्चसक्क
े - तृतीय काि
डॉ क
े डी िाजपेयी - 3 प्रकार
1. वृर्ि और गज प्रकार
2. काश्चतषक
े य प्रकार
3. काश्चतषक
े य देवसेिा प्रकार
10. प्रथम िगि
• अोंकि क
े आधार पर 5 उपवगों में बााँटा गया
• पयटीि या धातुयुि पयटीि
• काि-मापि - श्चिश्चप क
े आधार पर - प्रथम शताब्दी ई पू
पुरयिाग –
• 1. 1 से 3 उज्जैिी श्चचन्
• 2. प्राकार या मेधी पर वृक्ष
• 3. सूयष
• 4. इन्द्रध्वज
• िेख - मिारजि|
पृििाग - सादा
11. सितीय िगि
• 3 उपवगष में बााँटा गया
• श्चसक्क
े ताोंबे तथा धातुयुि पयटीि से श्चिश्चमषत
• तीियों उप-वगष में पुरय िाग पर अिग-अिग श्चचन् तथा पृि िाग पर
एक की प्रकार क
े कई श्चचन् और िेख अोंश्चकत|
पिला उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा सामिे वृर्ि की आक
ृ श्चत|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक अस्पष्ट
श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
12. सितीय िगि
दू िरा उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा बाएों वृर्ि की आक
ृ श्चत|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक
अस्पष्ट श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
तीिरा उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् क
ु छ श्चिन्न प्रकार का|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक
अस्पष्ट श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
13. तृतीय िगि
• 10 उपवगों में श्चविाश्चजत
• रजत एवों ताोंब्र क
े बिे
• गढ़वाि और देहरादू ि से प्राप्त
पुर िाग –
• इिमें 8 उपवगों में पुरयिाग पर र्डािि की आक
ृ श्चत
• ये श्चवश्चिन्न क्तस्थश्चतययों में हाथयों में प्रायः आयुध श्चिए अोंश्चकत
• 9 वें उपवगष में श्चशव श्चिशूि तथा क
ु ल्हाड़ी का अोंकि
• 10 वें उपवगष में देवी की आक
ृ श्चत का अोंकि
14. तृतीय िगि
पृष्टिाग –
• श्चकसी में सुमेरु पर ध्वज और िोंश्चदपद तथा प्राकार में वृक्ष अोंकि
• श्चकसी में प्रिामण्डयुि देवी|
• श्चकसी में ये दयियों साथ-साथ अोंश्चकत|
• श्चकसी में देवी क
े स्थाि पर सूयष, स्वाक्तस्तक, अययध्या हुक|
• एक उप-प्रकार में पृििाग पर धमि अोंश्चकत हैं|
• इि उपप्रकारयों में 2 प्रकार क
े िेख पुरय-िाग में प्राप्त हयते हैं|
• शेर् पर अधूरा िेख प्राप्त
1. स्वासमन ब्राम्हण्ययौधेय|
2. िगिति स्वासमन ब्राम्हण्य देिस्य क
ु मारस्य|
15. चतुथि िगि
• वृत्ताकार ताम्र क
े श्चसक्क
े
पुर िाग -
• मेरु तथा स्वाक्तस्तक की आक
ृ श्चत|
• िेख = िुिनि या रािणा|
पृष्ठिाग -
• क
ु ल्हाड़ी युि श्चिशूि या दण्ड|
16. पोंचम िगि
• इस वगष में वगाषकार ताोंब्र क
े श्चसक्क
े आते हैं|
पुर िाग -
• वृर्ि का अोंकि
• िेख = यौधेयानाम|
पृष्ठिाग -
• अस्पष्ट
17. षष्ठ िगि
पुर िाग -
• िािा श्चिए स्थािक काश्चतषक
े य, श्चजिका बााँया हाथ कट्याविक्तित
तथा पैर क
े पास मयूर|
• िेख = यौधेयगणस्य जयः|
पृष्ठिाग -
• वामाश्चिमुख एकमुखी र्िी, श्चजिकी बाई िुजा ऊपर उठी और
दायीों िुजा कश्चटश्चिबद्ध
• दायीों ओर – उल्टा श्चिरत्न
• बायीों ओर – किश|
19. P.L. गुप्त का वगीकरण
ये सिी ताोंबे क
े श्चसक्क
े
1. प्रथम िगि -
• अच्छे बिावट क
े ,
• आकार – िगिग 0.6 सेमी,
• वजि – 1.5 से 2.2 ग्राम तक|
2. सितीय िगि -
• श्चिम्न बिावट क
े ,
• आकार – िगिग
• वजि – 7.75 से 9.0 ग्राम तक|
20. चााँदी का श्चसक्का
• यह एिि की सूची में प्राप्त एक माि चााँदी का श्चसक्का
सचत् िाग –
• शक्तिधारण श्चकये हुए काश्चतषक
े य
• चारयों ओर ब्राह्मी िेख
• िेख – िगित स्वासमन ब्रह्मण्य यौधेय |
पट िाग –
• दायीों ओर – छियुि र्टक
ू ट मेरु, उसक
े ऊपर िोंश्चदपद
• मध्य में - र्डमुखी र्िी का अोंकि, दाश्चहिा हाथ अिय मुद्रा में
और बायााँ हाथ कश्चट-श्चवियस्थ |
• बायीों ओर – गमिे में सीधी टहश्चिययों का चार-युग्म वािा वृक्ष |
21. िवीि श्चसक्क
े
• अद्यतम प्राप्त श्चसक्का – ई पू प्रथम शताब्दी का
अग्रिाग -
• एक ओर बाड़ से से श्चघरा यूप और उसक
े सम्मुख दश्चक्षण
अश्चिमुख वृर्ि
• चारयों श्चकिारे ब्राह्मी आिेख
• आिेख – यौधेयानाों बहुधान्यक
े |
पुरयिाग –
• दश्चक्षणाश्चिमुख हाथी, उसक
े ऊपर एक पताका और िीचे
सपीिी रेखा|