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यौधेय ों क
े सिक्क
े
आकार और प्रिार
पुरातात्विक िाक्ष्य
1. प्रयाग प्रशत्वि –
• उत्तर-पश्चिम गणराज्यों की ताश्चिका में
• समुद्रगुप्त क
े बाद क
े ग्रोंथयों में उल्लेख
• मूि श्चिवास-स्थाि बहाविपुर (पाश्चकस्ताि - सतिज िदी क
े श्चकिारे)
2. जूनागढ़ असिलेख –
• रुद्रदामि क
े जूिागढ़ अश्चििेख - वीर क्षश्चिओों कर रूप में
• रुद्रदामि से सोंघर्ष - यौधेययों की पराजय
• यौधेय तथा क
ु श्चणन्यों एक सोंघ बिाकर युद्ध श्चकया
• क
ु र्ाण काि में यौधेययों का श्चवस्तार उत्तर-पूवी राजस्थाि व हररयाणा क
े क्षेि
में
• इस क्षेि में यौधेययों क
े श्चसक्क
े क
े सााँचे प्राप्त
• रुद्रदामि से पराजय क
े बाद ये श्चहमािय क
े तिहटी में जा बसे|
िासित्विक िाक्ष्य
1. अष्टाध्यायी –
• उल्लेख - आयुधजीवी सोंघ क
े रूप में
• युद्ध प्रवृश्चत्त क
े , जीवि शस्त्यों क
े द्वारा चिता
2. मिािारत –
• उल्लेख - िक
ु ि श्चवजय क
े प्रसोंग में
• मत्तमयूरक - रयहतक क
े श्चिवासी
• यह क्षेि काश्चतषक
े य कय श्चप्रय, धान्य और गौ से पररपूणष
3. पुराण –
• पौराश्चणक अिुश्रुश्चतययों - यौधेय युश्चधश्चिर और श्चशश्चव राजक
ु मारी
देवीका से उत्पन्न यौधेय िामक पुि
सिदेशी सििरण
1. अर्रियन –
• यूिािी इश्चतहासकार अररषयि िे व्यास क
े पूवी तट पर एक शक्तिशािी
जिपद का उल्लेख
• िूश्चम बहुत उवषर, ियग क
ृ र्क क
े साथ-साथ युद्ध-वीर
• काशी प्रसाद जायसवाि का अिुमाि - ये युद्ध-वीर जाश्चत यौधेययों की थी,
श्चजन्योंिे श्चसक
ों दर की सेिा हय िस्त कर व्यास िदी से आगे बढ़िे से रयक
श्चदया
2. स्ट्रेब –
• स्ट्रेबय यौधेययों उल्लेख
• कहता - इिक
े िगिग 5000 राजन्य थे, ये राज् कय हाथी िेट करते थे|
क्षेत्र-सििार
नदी-सििार -
• व्यास - सतिज - यमुिा
राज्य-सििार -
• जम्मू-कश्मीर - श्री िगर
• पोंजाब - िुश्चधयािा, दहत्त
• श्चहमाचि प्रदेश - काोंगड़ा
• उत्तराखोंड - देहरादू ि, काशीपुर
• हररयाणा - पािीपत, सयिपत, जीोंद, रेवारी, करिाि, श्चदल्ली, रयहतक
• राजस्थाि - िरतपुर, िटिेर, रोंगमहि, सूरतगढ़, बघेरा, साोंिर, जयपुर
• उत्तर प्रदेश - सहारिपुर, श्चबजिौर, िजीमबाद, आगरा, मुरादाबाद, मेरठ
• पाश्चकस्ताि - बहवािपुर, मुल्ताि, िाहौर, श्चदपािपुर
• त्विथ तथा कसनघोंम – यौधेययों श्चसक्कयों का श्चवस्तार मुल्ताि से सहारिपुर
यौधेय सिक्क ों का सििार-क्षेत्र
1. िारत - पोंजाब, हररयाणा, श्चहमाचि-प्रदेश, उत्तराखोंड,
उत्तर-प्रदेश, राजस्थाि|
2. पाश्चकस्ताि – पोंजाब प्राोंत - मुल्ताि, िाहौर|
काल-खोंड
प्रथम कालखण्ड – (300 ई पू - 200 ई पू )
• पोंजाब – व्यास और सतिज क
े मध्य
• उल्लेख – अररषयि, स्ट्रेबय
सितीय कालखण्ड – (200 ई पू – 150 ई तक)
• हररयाणा - रयहतक, श्चहसार, श्चसरसा,गुड़गाोंव व आस-पास का क्षेि
• बाद में श्चवस्तार - पूवी-राजस्थाि – िरतपुर क
े आस-पास का क्षेि
तृतीय कालखण्ड – (150 ई – 400 ई तक)
• श्चहमािय की तिहटी
• शक क्षिप रुद्रदामि द्वारा पराश्चजत हयकर
• िरतपुर – श्चवजयगढ़ – खोंश्चडत अश्चििेख
• िेख – यौधेय महाराज महासेिापश्चत
सिक्क ों का सििाजन
एलन मि दय – 6 िगि
1. प्रथम वगष – 5 उपवगष
2. श्चद्वतीय वगष – 3 उपवगष
3. तृतीय वगष – 10 उपवगष
4. चतुथष वगष –
5. पोंचम वगष –
6. र्ि वगष –
पी. यि. गुप्त – 2 वगष
1. अच्छे बिावट क
े
2. श्चिम्न बिावट क
े
सिक्क ों का सििाजन
सशिस्वरूप ििाय - 4 प्रकार
1. िोंश्चद तथा हाथी प्रकार का श्चसक्का - प्रथम काि
2. काश्चतषक
े य क
े साथ ब्राम्हण्यदेव अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि
3. काश्चतषक
े य क
े साथ ब्राम्हण्यदेव और द्रम अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि
4. क
ु र्ाणयों क
े अिुकरण पर बिे श्चसक्क
े - तृतीय काि
डॉ क
े डी िाजपेयी - 3 प्रकार
1. वृर्ि और गज प्रकार
2. काश्चतषक
े य प्रकार
3. काश्चतषक
े य देवसेिा प्रकार
प्रथम िगि
• अोंकि क
े आधार पर 5 उपवगों में बााँटा गया
• पयटीि या धातुयुि पयटीि
• काि-मापि - श्चिश्चप क
े आधार पर - प्रथम शताब्दी ई पू
पुरयिाग –
• 1. 1 से 3 उज्जैिी श्चचन्
• 2. प्राकार या मेधी पर वृक्ष
• 3. सूयष
• 4. इन्द्रध्वज
• िेख - मिारजि|
पृििाग - सादा
सितीय िगि
• 3 उपवगष में बााँटा गया
• श्चसक्क
े ताोंबे तथा धातुयुि पयटीि से श्चिश्चमषत
• तीियों उप-वगष में पुरय िाग पर अिग-अिग श्चचन् तथा पृि िाग पर
एक की प्रकार क
े कई श्चचन् और िेख अोंश्चकत|
पिला उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा सामिे वृर्ि की आक
ृ श्चत|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक अस्पष्ट
श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
सितीय िगि
दू िरा उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा बाएों वृर्ि की आक
ृ श्चत|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक
अस्पष्ट श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
तीिरा उपिगि -
• पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् क
ु छ श्चिन्न प्रकार का|
• पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक
े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक
अस्पष्ट श्चचन्|
• िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
तृतीय िगि
• 10 उपवगों में श्चविाश्चजत
• रजत एवों ताोंब्र क
े बिे
• गढ़वाि और देहरादू ि से प्राप्त
पुर िाग –
• इिमें 8 उपवगों में पुरयिाग पर र्डािि की आक
ृ श्चत
• ये श्चवश्चिन्न क्तस्थश्चतययों में हाथयों में प्रायः आयुध श्चिए अोंश्चकत
• 9 वें उपवगष में श्चशव श्चिशूि तथा क
ु ल्हाड़ी का अोंकि
• 10 वें उपवगष में देवी की आक
ृ श्चत का अोंकि
तृतीय िगि
पृष्टिाग –
• श्चकसी में सुमेरु पर ध्वज और िोंश्चदपद तथा प्राकार में वृक्ष अोंकि
• श्चकसी में प्रिामण्डयुि देवी|
• श्चकसी में ये दयियों साथ-साथ अोंश्चकत|
• श्चकसी में देवी क
े स्थाि पर सूयष, स्वाक्तस्तक, अययध्या हुक|
• एक उप-प्रकार में पृििाग पर धमि अोंश्चकत हैं|
• इि उपप्रकारयों में 2 प्रकार क
े िेख पुरय-िाग में प्राप्त हयते हैं|
• शेर् पर अधूरा िेख प्राप्त
1. स्वासमन ब्राम्हण्ययौधेय|
2. िगिति स्वासमन ब्राम्हण्य देिस्य क
ु मारस्य|
चतुथि िगि
• वृत्ताकार ताम्र क
े श्चसक्क
े
पुर िाग -
• मेरु तथा स्वाक्तस्तक की आक
ृ श्चत|
• िेख = िुिनि या रािणा|
पृष्ठिाग -
• क
ु ल्हाड़ी युि श्चिशूि या दण्ड|
पोंचम िगि
• इस वगष में वगाषकार ताोंब्र क
े श्चसक्क
े आते हैं|
पुर िाग -
• वृर्ि का अोंकि
• िेख = यौधेयानाम|
पृष्ठिाग -
• अस्पष्ट
षष्ठ िगि
पुर िाग -
• िािा श्चिए स्थािक काश्चतषक
े य, श्चजिका बााँया हाथ कट्याविक्तित
तथा पैर क
े पास मयूर|
• िेख = यौधेयगणस्य जयः|
पृष्ठिाग -
• वामाश्चिमुख एकमुखी र्िी, श्चजिकी बाई िुजा ऊपर उठी और
दायीों िुजा कश्चटश्चिबद्ध
• दायीों ओर – उल्टा श्चिरत्न
• बायीों ओर – किश|
यौधेय सिक्का
काश्चतषक
े य प्रकार
P.L. गुप्त का वगीकरण
ये सिी ताोंबे क
े श्चसक्क
े
1. प्रथम िगि -
• अच्छे बिावट क
े ,
• आकार – िगिग 0.6 सेमी,
• वजि – 1.5 से 2.2 ग्राम तक|
2. सितीय िगि -
• श्चिम्न बिावट क
े ,
• आकार – िगिग
• वजि – 7.75 से 9.0 ग्राम तक|
चााँदी का श्चसक्का
• यह एिि की सूची में प्राप्त एक माि चााँदी का श्चसक्का
सचत् िाग –
• शक्तिधारण श्चकये हुए काश्चतषक
े य
• चारयों ओर ब्राह्मी िेख
• िेख – िगित स्वासमन ब्रह्मण्य यौधेय |
पट िाग –
• दायीों ओर – छियुि र्टक
ू ट मेरु, उसक
े ऊपर िोंश्चदपद
• मध्य में - र्डमुखी र्िी का अोंकि, दाश्चहिा हाथ अिय मुद्रा में
और बायााँ हाथ कश्चट-श्चवियस्थ |
• बायीों ओर – गमिे में सीधी टहश्चिययों का चार-युग्म वािा वृक्ष |
िवीि श्चसक्क
े
• अद्यतम प्राप्त श्चसक्का – ई पू प्रथम शताब्दी का
अग्रिाग -
• एक ओर बाड़ से से श्चघरा यूप और उसक
े सम्मुख दश्चक्षण
अश्चिमुख वृर्ि
• चारयों श्चकिारे ब्राह्मी आिेख
• आिेख – यौधेयानाों बहुधान्यक
े |
पुरयिाग –
• दश्चक्षणाश्चिमुख हाथी, उसक
े ऊपर एक पताका और िीचे
सपीिी रेखा|

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  • 1. यौधेय ों क े सिक्क े आकार और प्रिार
  • 2. पुरातात्विक िाक्ष्य 1. प्रयाग प्रशत्वि – • उत्तर-पश्चिम गणराज्यों की ताश्चिका में • समुद्रगुप्त क े बाद क े ग्रोंथयों में उल्लेख • मूि श्चिवास-स्थाि बहाविपुर (पाश्चकस्ताि - सतिज िदी क े श्चकिारे) 2. जूनागढ़ असिलेख – • रुद्रदामि क े जूिागढ़ अश्चििेख - वीर क्षश्चिओों कर रूप में • रुद्रदामि से सोंघर्ष - यौधेययों की पराजय • यौधेय तथा क ु श्चणन्यों एक सोंघ बिाकर युद्ध श्चकया • क ु र्ाण काि में यौधेययों का श्चवस्तार उत्तर-पूवी राजस्थाि व हररयाणा क े क्षेि में • इस क्षेि में यौधेययों क े श्चसक्क े क े सााँचे प्राप्त • रुद्रदामि से पराजय क े बाद ये श्चहमािय क े तिहटी में जा बसे|
  • 3. िासित्विक िाक्ष्य 1. अष्टाध्यायी – • उल्लेख - आयुधजीवी सोंघ क े रूप में • युद्ध प्रवृश्चत्त क े , जीवि शस्त्यों क े द्वारा चिता 2. मिािारत – • उल्लेख - िक ु ि श्चवजय क े प्रसोंग में • मत्तमयूरक - रयहतक क े श्चिवासी • यह क्षेि काश्चतषक े य कय श्चप्रय, धान्य और गौ से पररपूणष 3. पुराण – • पौराश्चणक अिुश्रुश्चतययों - यौधेय युश्चधश्चिर और श्चशश्चव राजक ु मारी देवीका से उत्पन्न यौधेय िामक पुि
  • 4. सिदेशी सििरण 1. अर्रियन – • यूिािी इश्चतहासकार अररषयि िे व्यास क े पूवी तट पर एक शक्तिशािी जिपद का उल्लेख • िूश्चम बहुत उवषर, ियग क ृ र्क क े साथ-साथ युद्ध-वीर • काशी प्रसाद जायसवाि का अिुमाि - ये युद्ध-वीर जाश्चत यौधेययों की थी, श्चजन्योंिे श्चसक ों दर की सेिा हय िस्त कर व्यास िदी से आगे बढ़िे से रयक श्चदया 2. स्ट्रेब – • स्ट्रेबय यौधेययों उल्लेख • कहता - इिक े िगिग 5000 राजन्य थे, ये राज् कय हाथी िेट करते थे|
  • 5. क्षेत्र-सििार नदी-सििार - • व्यास - सतिज - यमुिा राज्य-सििार - • जम्मू-कश्मीर - श्री िगर • पोंजाब - िुश्चधयािा, दहत्त • श्चहमाचि प्रदेश - काोंगड़ा • उत्तराखोंड - देहरादू ि, काशीपुर • हररयाणा - पािीपत, सयिपत, जीोंद, रेवारी, करिाि, श्चदल्ली, रयहतक • राजस्थाि - िरतपुर, िटिेर, रोंगमहि, सूरतगढ़, बघेरा, साोंिर, जयपुर • उत्तर प्रदेश - सहारिपुर, श्चबजिौर, िजीमबाद, आगरा, मुरादाबाद, मेरठ • पाश्चकस्ताि - बहवािपुर, मुल्ताि, िाहौर, श्चदपािपुर • त्विथ तथा कसनघोंम – यौधेययों श्चसक्कयों का श्चवस्तार मुल्ताि से सहारिपुर
  • 6. यौधेय सिक्क ों का सििार-क्षेत्र 1. िारत - पोंजाब, हररयाणा, श्चहमाचि-प्रदेश, उत्तराखोंड, उत्तर-प्रदेश, राजस्थाि| 2. पाश्चकस्ताि – पोंजाब प्राोंत - मुल्ताि, िाहौर|
  • 7. काल-खोंड प्रथम कालखण्ड – (300 ई पू - 200 ई पू ) • पोंजाब – व्यास और सतिज क े मध्य • उल्लेख – अररषयि, स्ट्रेबय सितीय कालखण्ड – (200 ई पू – 150 ई तक) • हररयाणा - रयहतक, श्चहसार, श्चसरसा,गुड़गाोंव व आस-पास का क्षेि • बाद में श्चवस्तार - पूवी-राजस्थाि – िरतपुर क े आस-पास का क्षेि तृतीय कालखण्ड – (150 ई – 400 ई तक) • श्चहमािय की तिहटी • शक क्षिप रुद्रदामि द्वारा पराश्चजत हयकर • िरतपुर – श्चवजयगढ़ – खोंश्चडत अश्चििेख • िेख – यौधेय महाराज महासेिापश्चत
  • 8. सिक्क ों का सििाजन एलन मि दय – 6 िगि 1. प्रथम वगष – 5 उपवगष 2. श्चद्वतीय वगष – 3 उपवगष 3. तृतीय वगष – 10 उपवगष 4. चतुथष वगष – 5. पोंचम वगष – 6. र्ि वगष – पी. यि. गुप्त – 2 वगष 1. अच्छे बिावट क े 2. श्चिम्न बिावट क े
  • 9. सिक्क ों का सििाजन सशिस्वरूप ििाय - 4 प्रकार 1. िोंश्चद तथा हाथी प्रकार का श्चसक्का - प्रथम काि 2. काश्चतषक े य क े साथ ब्राम्हण्यदेव अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि 3. काश्चतषक े य क े साथ ब्राम्हण्यदेव और द्रम अोंश्चकत - श्चद्वतीय काि 4. क ु र्ाणयों क े अिुकरण पर बिे श्चसक्क े - तृतीय काि डॉ क े डी िाजपेयी - 3 प्रकार 1. वृर्ि और गज प्रकार 2. काश्चतषक े य प्रकार 3. काश्चतषक े य देवसेिा प्रकार
  • 10. प्रथम िगि • अोंकि क े आधार पर 5 उपवगों में बााँटा गया • पयटीि या धातुयुि पयटीि • काि-मापि - श्चिश्चप क े आधार पर - प्रथम शताब्दी ई पू पुरयिाग – • 1. 1 से 3 उज्जैिी श्चचन् • 2. प्राकार या मेधी पर वृक्ष • 3. सूयष • 4. इन्द्रध्वज • िेख - मिारजि| पृििाग - सादा
  • 11. सितीय िगि • 3 उपवगष में बााँटा गया • श्चसक्क े ताोंबे तथा धातुयुि पयटीि से श्चिश्चमषत • तीियों उप-वगष में पुरय िाग पर अिग-अिग श्चचन् तथा पृि िाग पर एक की प्रकार क े कई श्चचन् और िेख अोंश्चकत| पिला उपिगि - • पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा सामिे वृर्ि की आक ृ श्चत| • पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक अस्पष्ट श्चचन्| • िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
  • 12. सितीय िगि दू िरा उपिगि - • पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् तथा बाएों वृर्ि की आक ृ श्चत| • पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक अस्पष्ट श्चचन्| • िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्| तीिरा उपिगि - • पुरयिाग – सुिगव का श्चचन् क ु छ श्चिन्न प्रकार का| • पृििाग - दाश्चहिी ओर गज, उसक े ऊपर िोंश्चद पद तथा एक अस्पष्ट श्चचन्| • िेख - यौधेयानाम् बहुधान्यकम्|
  • 13. तृतीय िगि • 10 उपवगों में श्चविाश्चजत • रजत एवों ताोंब्र क े बिे • गढ़वाि और देहरादू ि से प्राप्त पुर िाग – • इिमें 8 उपवगों में पुरयिाग पर र्डािि की आक ृ श्चत • ये श्चवश्चिन्न क्तस्थश्चतययों में हाथयों में प्रायः आयुध श्चिए अोंश्चकत • 9 वें उपवगष में श्चशव श्चिशूि तथा क ु ल्हाड़ी का अोंकि • 10 वें उपवगष में देवी की आक ृ श्चत का अोंकि
  • 14. तृतीय िगि पृष्टिाग – • श्चकसी में सुमेरु पर ध्वज और िोंश्चदपद तथा प्राकार में वृक्ष अोंकि • श्चकसी में प्रिामण्डयुि देवी| • श्चकसी में ये दयियों साथ-साथ अोंश्चकत| • श्चकसी में देवी क े स्थाि पर सूयष, स्वाक्तस्तक, अययध्या हुक| • एक उप-प्रकार में पृििाग पर धमि अोंश्चकत हैं| • इि उपप्रकारयों में 2 प्रकार क े िेख पुरय-िाग में प्राप्त हयते हैं| • शेर् पर अधूरा िेख प्राप्त 1. स्वासमन ब्राम्हण्ययौधेय| 2. िगिति स्वासमन ब्राम्हण्य देिस्य क ु मारस्य|
  • 15. चतुथि िगि • वृत्ताकार ताम्र क े श्चसक्क े पुर िाग - • मेरु तथा स्वाक्तस्तक की आक ृ श्चत| • िेख = िुिनि या रािणा| पृष्ठिाग - • क ु ल्हाड़ी युि श्चिशूि या दण्ड|
  • 16. पोंचम िगि • इस वगष में वगाषकार ताोंब्र क े श्चसक्क े आते हैं| पुर िाग - • वृर्ि का अोंकि • िेख = यौधेयानाम| पृष्ठिाग - • अस्पष्ट
  • 17. षष्ठ िगि पुर िाग - • िािा श्चिए स्थािक काश्चतषक े य, श्चजिका बााँया हाथ कट्याविक्तित तथा पैर क े पास मयूर| • िेख = यौधेयगणस्य जयः| पृष्ठिाग - • वामाश्चिमुख एकमुखी र्िी, श्चजिकी बाई िुजा ऊपर उठी और दायीों िुजा कश्चटश्चिबद्ध • दायीों ओर – उल्टा श्चिरत्न • बायीों ओर – किश|
  • 19. P.L. गुप्त का वगीकरण ये सिी ताोंबे क े श्चसक्क े 1. प्रथम िगि - • अच्छे बिावट क े , • आकार – िगिग 0.6 सेमी, • वजि – 1.5 से 2.2 ग्राम तक| 2. सितीय िगि - • श्चिम्न बिावट क े , • आकार – िगिग • वजि – 7.75 से 9.0 ग्राम तक|
  • 20. चााँदी का श्चसक्का • यह एिि की सूची में प्राप्त एक माि चााँदी का श्चसक्का सचत् िाग – • शक्तिधारण श्चकये हुए काश्चतषक े य • चारयों ओर ब्राह्मी िेख • िेख – िगित स्वासमन ब्रह्मण्य यौधेय | पट िाग – • दायीों ओर – छियुि र्टक ू ट मेरु, उसक े ऊपर िोंश्चदपद • मध्य में - र्डमुखी र्िी का अोंकि, दाश्चहिा हाथ अिय मुद्रा में और बायााँ हाथ कश्चट-श्चवियस्थ | • बायीों ओर – गमिे में सीधी टहश्चिययों का चार-युग्म वािा वृक्ष |
  • 21. िवीि श्चसक्क े • अद्यतम प्राप्त श्चसक्का – ई पू प्रथम शताब्दी का अग्रिाग - • एक ओर बाड़ से से श्चघरा यूप और उसक े सम्मुख दश्चक्षण अश्चिमुख वृर्ि • चारयों श्चकिारे ब्राह्मी आिेख • आिेख – यौधेयानाों बहुधान्यक े | पुरयिाग – • दश्चक्षणाश्चिमुख हाथी, उसक े ऊपर एक पताका और िीचे सपीिी रेखा|