2. योग और व्यायाम
योगेनचित्तस्य पदेन वािाां मलां शरीरस्य ि वैद्यकेने न
योऽपाकेनरोत्तां प्रवरां मुनीनाां पतञ्जललां प्राञ्जललरानतोऽमिस्म
3. योग और व्यायाम
व्यायाम की अनेक पद्धतियााँ है ।
कु स्िी, बोक्सिंग, वेइट लिक्टिंग, दौडना, दिंड बैठक वगैरे....
ईसमे ववषेश करके थकान महेसूस होिी है ।
जीस भागमें र्ि सिंचार अच्छा नही होिा, वह शरीर का भाग जल्दीसे रोग का
लशकार बनिा है।
स्वाथ्य प्रप्िी और स्वाथ्य सिंवधधन के लिए शरीर का योग्य ऎसा हिन चिन
याने व्यायाम, शरीर का आकषधक और सुिंदर बनाने के लिए व्यायाम का उद्देश
रखा गया है ।
पुज्य स्वामी, कु वल्यानिंदजी ने आसनों को व्यायाम कहा है ।
लसर्ध उसका रुढ अथध उन्हे मान्य नही है ।
शरीर का जोरदार और बारबार हिन-चिन मान्य नही है ।
पाििंजलि सूत्र के अनुसार योगासन को व्यायाम कहेने मे हरकि नही है ।
लसर्ध "कस्थर सुखमासनम ्"
व्यायाम सभी उम्र की व्य्िी के बसकी बाि नही, जबकी आसन अबाि-व्रुध्ध
को भी जमिा है।
4. योग और व्यायाम
योगासन मे बाहर के साधन की जरुरि नही पडिी
योग सभी रुिुमे ककया जािा है।
अके िे और समुह मे ककया जा सकिा है।
योगासन मे शरीर के अिंगो और सिंस्थाओको खून का पुरवठा भरपुर
प्रमाण मे लमििा है। खासकर के ह्रदय, फे फडे, आिंिस्त्रावी ंिंथी,
मज्जासिंस्था, मगज, वगैरे की कायधक्षमिा मे व्रुकध्ध होिी है।
योगासन मे शरीर के व्यायाम के साथ साथ स्वास क भी व्यायाम
होिा है।
और खास प्राणायाम में होनेवािा खास तनयिंत्रण, र्िवाहहनी,
मज्जाििंिू, मनके लिए बहुि उपयु्ि है।
मनपर का िनाव दूर होिा है।
मन शािंि और कस्थर होिा है।
ध्यान करने मे आसानी होिी है।
5. योग और व्यायाम
योग की उपचार पध्धति दुसरे व्यायाम से ज्यादा उपयोगी है।
योगासन मे शक्ि का व्यय कम होिा है और ज्यादा से ज्यादा
िाभ लमििा है।
शरीर स्वास्थ्य के साथ मानसीक स्वास्थ्य भी प्राप्ि होिा है।
योगासन मे ववश्ािंिी और लशथथिीकरण होनेकी वजह से बबना
थकावट भरपुर उत्साह उपिब्ध होिा है।
जबकी दुसरे व्यायाम के प्रकारों से थाक, जडिा, आिस आिी है।
सभी उम्र मे व्यायाम नहीिं जमिा।
यानी कहेने का मििब यह नही है की व्यायाम के प्रकार खराब
और योगासन ही अच्छा है।
उम्र और आरोग्य केने हिसाब से मिजन्िे जो सरल लगे वि केनरना
िाहिए
6. योग और व्यायाम
योगासन व्यायाम
१) प्रथधना और ध्यान जैसी अवस्था से
शुरुआि ।
१) ऎसी कोई शुरुआि नही होिी।
२) अत्यिंि धीरेसे हिन-चिन । २) जोरदार हिन-चिन
३) न्युनिम शक्ि का व्यय और ज्यादा से
ज्यादा िाभ की वजह से स्फु िी की अनुभुिी।
३) शक्ि का व्यय ज्यादा से ज्यादा और
िाभ कम और थकान ज्यादा।
४) मज्जासिंस्था की और ध्यान। ४) मािंसपेशीयों की और ध्यान और शरीर
सुरेख।
५) रीढ की हड्डी का स्वस्थ्य सिंवधधन ५) रीढ की हड्डी की और ध्यान नही हदया
जाि।
६) पेट के पोिण की महत्वपूणध सिंस्था की
कायधक्षमिा में व्रुद्थध
६) पेट के पोिाण की सिंस्था की और ध्यान
हदया नही जाि।
७) शारीररक, मानलसक, भावतनक और
आध्याकत्मक स्िर पर सवाांगी ववकास
७) लसर्ध शाररररक ववकास
८) व्यक्िगि साधना ८) समुहहक अभ्यास
९) स्पधाधत्मक भावना का अभाव ९) कई प्रकार मे स्पधाधत्मक भावना िीव्र होिी
है.
भेद
7. योग और व्यायाम
१) स्वास किया की क्षमिा में व्रुद्थध १) स्वास किया की क्षमिा में व्रुद्थध
२) स्थुििा तनयिंत्रण २) स्थुििा तनयिंत्रण
३) र्िसिंचार अच्छा ३) र्िसिंचार अच्छा
४) प्रतिकार शक्ि बढ्िी है ४) प्रतिकार शक्ि बढ्िी है
साम्यता
8. योग और व्यायाम
१०) मानलसक सिंिुिन और शािंिी १०) ऎसी प्राप्िी नही है।
११) कस्थति स्थापकिा बढिी है ११) अकड बढिी है।
१२) स्मरण शक्ि की व्रुद्थध १२) ऎसी कोई व्रुद्थध नही हदखिी
१३) उपचार पध्द्ति के लिए उपयोगी १३) ऎसा कोई उपयोग नही है.
१४) आिस दुर होिा है १४) बहोि व्यायाम करने से आिस बढिा है
१५) बडी उम्र की व्यक्ि भी कर सकिी है १५) उम्रका बाद अवरोधक
१६) कोई भी साधन के जरुरि नही १६) अनेक प्रकार के साधन की जरुरि
१७) अिंतिम अवस्था मे कस्थरिा। १७) बार बार कर की किया
१८) शवासन से हरेक स्िर पर लशथथिीकरण १८) ऎसा कोई लशथथिीकरण नही है
१९) प्राणायाम से खास तनयिंत्रण १९) ऎसा कोई तनयिंत्रण नही है
२०) प्राणशक्ि का सिंचय २०) प्राणशक्ि का व्यय
२१) पौष्टीक खुराक की जरुरि न होने की
वजहसे गरीब भी कर सकिे है
२१) शक्ि का खचध ज्यादा, पौष्टीक खुराक की
जरुरि, गरीब को नही परवड्िा
२२) आिंिररक व्य्िीत्वका ववकास कजसकी
वजहसे परमानिंद की प्राकप्ि.
२२) बाह्य व्यक्ित्व का ववकास, लसर्ध आनिंद
प्राप्िी
भेद
9. योग और व्यायाम
साराांश
हमने अलभ अलभ योगासन और व्यायाम दोनो के साम्य और
भेद का िुल्नात्मक अभ्यास देखा है ।
हम यह जरुर कह सकें गे कक दोनो अपनी अपनी जगह पर
सही और उपयोगी है।
कोई भी एक श्ेष्ठ है ऎसा नही कहा जा सकिा है.
उम्र, शारीररक मयाधदाऎिं, क्षमिा और उद्देश्य को ध्यान मे
रखिे हुए दोनो का अभ्यास ककया जािा है. दोनो एक दुसरे
का पुरक है.
और एक के अभ्यास के बाद दुसरे का भी अभ्यास कर सकिे
है, िेकीन ये जरुर से ध्यान रखना है की दोनो के बीच १/२
घिंटे का अिंिर होना चहहए.