How to do padangusthasana (big toe pose) and what are its benefits
Baabaa raamdev ke_yog
1. बाबा रामदेव क
े योगासन और उनक
े फायदे
बाबा रामदेव को हमारे भारत देश क
े अलावा पूरे ववश्व भर में अपने योग में क्ाांततकारी बदलाव क
े ललए एक प्रलिद्ध योगी
क
े रूप में जाना जाता हैं। उनक
े द्वारा बताये गए तरीको िे योग करने िे व्यक्तत क
े शरीर में उत्पन्न ववलभन्न बीमाररयों
को तनयांत्रित कर अच्छे स्वास््य को प्राप्त करने तथा शाांतत और आनांद प्राप्त करने में िहायता लमलती हैं। उन्होंने अपने
योग में बहुत िारे आिान व उन्हें करने क
े तरीको क
े बारे में बताया है क्जन्हे कोई भी आिानी िे घर बैठे कर िकता हैं।
इिक
े प्रततददन अभ्याि करने िे शाांतत, िांवेदनशीलता, जागरूकता और अांतर्ज्ाान में बढोत्तरी होती है।
स्वामी रामदेव क
े अनुिार योग हर तरह की बीमारी कोिों दूर कर हमारे व्यक्ततत्व का िांतुलन बनाये रखता हैं। इिक
े िाथ
ही योग शरीर को हेल्दी रखने क
े िाथ-िाथ, शरीर को चुस्त तथा जोडों में जमा टॉक्तिन को बाहर तनकालने में भी मदद
करता हैं। योग लिर्ा एक शारीररक अभ्याि नहीां बक्ल्क एक पूर्ा ववर्ज्ान है जो शरीर, मन, आत्मा और ब्रहमाांड को एकजुट
बनाये रखता है।
यदद आप भी योगाभ्याि की शुरुवात करना चाहते है या शुरुवात करने जा रहे हैं तो आज हम आपको इि लेख क
े जररये
बाबा रामदेव क
े योग व बाबा रामदेव का योगािन िे होने वाले र्ायदे, उनको करने की ववधध, िमय व तरीक
े बताएांगे
क्जिकी िहायता िे आप त्रबना ककिी परेशानी िे अपने घर पर ही योगािन कर िकते हैं।
आइये जानते है कु छ योगासनो क
े बारे में -
1. अधोमुखश्वानासन योग की ववधध:- योगािनो में यह िबिे आिान योगािन है, क्जिे िभी उम्र क
े लोग आिानी
िे कर िकते है। िबिे पहले स्वच्छ कम्बल, कपडे या योगामेट पर दोनों पैरों क
े बीच थोडा दूरी बनाते हुए िीधे खडे हों जाए
और उिक
े बाद धीरे िे अपने शरीर को मोडते हुए V की आकृ तत बनाये। अब अपने पैरों और हाांथों को त्रबना मोडें, अपने पैरों
की उँगललयों की मदद िे अपने कमर को पीछे की ओर खीांचें और एक लम्बी िाँि लें। इिी अवस्था में क
ु छ देर क
े ललए रुक
ें ।
अधोमुखश्वानासन योग क
े फायदे -
माांिपेलशयाां मजबूत बनती है तथा रतत पररिांचरर् में िुधार आता है।
शरीर मेंअच्छा खखचाव आता है तथा िाइनि की िमस्या दूर होती है।
2. ताडासन योग की ववधध:- ककिी स्वच्छ कम्बल, कपडे या योगामेट पर अपने दोनों पैरों क
े बीच थोडी िी जगह
बनाते हुए पैरों क
े मदद िे िीधे खडे हो जाए। अब धीरे-धीरे अपने दोनों हाांथों को लिर क
े ऊपर उठाएां और अपनी उांगललयों
को आपि में बाांध लें और गहरी िाांि लें। इिक
े पश्चात अपनी एडी उठाते हुए शरीर को थोडा ऊपर उठायें और अपने पैर की
उांगललयों पर खडे हो जाएां। इि क्स्थतत में लगभग 10 िेक
ें ड तक खडे रहे और कर्र धीरे-धीरे िाांि छोडते हुए अपनी िामान्य
अवस्था में आ जाएां।
ताडासन योग क
े फायदे-
लांबाई बढाने में मददगार है तथा पीठ क
े ददा में बहुत लाभकारी है।
मुद्रा में िुधार होता है तथा मानलिक जागरूकता बढती है
घुटनों क
े ददा िे राहत लमलती है तथा िांतुलन बनाये रखने में र्ायदेमांद िात्रबत होता हैं।
3. सुखासन योग की ववधध- िबिे पहले र्शा पर एक स्वच्छ दरी त्रबछाएां और अपने पैरों को शरीर क
े िामने र्
ै ला कर
बैठ जाएां। अब दाएां पैर को मोडकर पांजे को बाई जाांघ क
े नीचे तथा बाएां पैर को मोडकर पांजे को दादहनी जाांघ क
े नीचे रखें।
2. उिक
े बाद दोनों हाांथों की हथेललयों को ऊपर करक
े अपने घुटनों पर रखते हुए र्ज्ान मुद्रा धारर् करें और धीरे-धीरे लम्बी
िाँि खीचें और छोडे। इि मुद्रा में लगभग दि लमनट तक रहे।
सुखासन योग क
े फायदे-
यह धचांता, तनाव, कष्ट ,पीडा और थकान िे जुडे रोग दूर कर शारीररक और मानलिक िांतुलन प्रदान करता है।
रीड की हड्डी में खखचाव तथा छाती का चौडाई बढाने में बहुत लाभकारी है।
4. शवासन योग की ववधध- इि योग में िीधा कमर क
े बल लेट जायें और हाथों की अांगुललयाां तथा हथेली को ऊपर की
ददशा में रखते हुए धड िे 45 डडग्री का कोर् बनाये तथा इिक
े िाथ ही पैरों क
े बीच एक या दो र्
ु ट की दूरी का र्ािला रखें।
अब अपनी आँखे बांद कर धीरे धीरे िाांि लें और छोडे। इि आिन को 5 िे 10 लमतनट तक करे।
शवासन योग क
े फायदे-
यह आिन तनाव घटाने में, थकावट दूर करने में, उच्च रततचाप कम करने में तथा हृदय रोग में लाभदायक है।
इििे धचांता, बेचैनी दूर कर ध्यान / एकाग्रता में िुधार लाता है और शरीर को आराम लमलता है।
5. वीरभद्रासन योग की ववधध- िबिे पहले िीधे खडे हों और दोनों पैरों क
े बीच 3.5 िे 4 र्ीट का गैप बना लें। अब
अपने बायें पैर को 45 िे 60 डडग्री अांदर की ओर तथा दादहने पैर को 90 डडग्री बाहर की ओर तब तक मोडें जब तक घुटना
िीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। इिक
े पश्चात लम्बी िाँि लें और दोनों हाांथों को जमीन क
े िमान्तर, धड की िीध में
ऊपर उठायें और अपने िर को दाएँ तरर् मोडें और इिी पोजीशन में क
ु छ िमय क
े ललए रुक
ें । ऐिा अलग अलग स्टेप लेकर
लगभग 5-6 बार करें।
वीरभद्रासन योग क
े फायदे-
इि योग मुद्रा िे छाती और र्
े र्डों, पैरों और भुजाओ ां, क
ां धे और गदान को मजबूती लमलती है।
जाांघों, वपांडललयो और टखनों को शक्तत लमलती है।
िाइदटका िे राहत प्राप्त होती है।
6. कपालभाती प्राणायाम की ववधध- िबिे पहले ककिी स्वच्छ व आरामदायक आिन पर बैठ जाएां और अपने लिर
और रीढ की हड्डी को िीधा रखते हुए हाथों को घुटनों क
े उपर ले जाकर र्ज्ान मुद्रा में रखे। अब एक गहरी िाांि लें और पेट
की माांिपेलशयों को लिकोडते हुए धीरे-धीरे िाांि छोडें। िाांि लेने और छोडने की इि प्रककया को प्रारांभ में आठ िे दि बार
तक करे और इि पूरे चक् को तीन िे पाांच बार दोहराएां।
कपालभाती प्राणायाम क
े फायदे-
यह वज़न कम कर, मेटबॉललज़म को बेहतर करने में मदद करता हैं।
डायत्रबटीज िे पीडडत लोगों क
े ललए बहुत ही लाभदायक हैं।
पेट की मािपेलशयों को मज़बूत करता है तथा शरीर में रतत क
े पररिांचरर् को िही करता हैं।
यौन िांबांधी कई ववकारों तथा पाचन अांगों को उत्तेक्जत करता हैं।
7. भस्त्रिका प्राणायाम की ववधध- इि आिन को करने क
े ललए ककिी भी शाांत वातावरर् में लिद्धािन, वज्रािन,
पद्मािन या िुखािन जैिे ककिी भी िुववधाजनक आिन में बैठ जाएँ। अब गदान, कमर, पीठ और रीढ की हड्डी को िीधा
3. रखते हुए हाथों को धचन या र्ज्ान मुद्रा में रखें। अब नाक िे इि प्रकार िाांि ले कक उिकी आवाज िार्-िार् िुनाई दे। क
ु छ
िेक
ां ड क
े ललए िाांि रोक कर रखें कर्र इिी तरह आवाज करते हुए िाांि को बाहर छोडें। इि तरीक
े िे भाक्स्िका प्रार्ायाम
का पूरा चक् होता है। इि प्रकक्या को प्रारांभ में 5 बार दोहराएँ।
भस्त्रिका प्राणायाम क
े फायदे-
इि प्रार्ायाम को करने िे शरीर क
े ववषातत पदाथा खत्म होते है तथा र्
े र्डों में हवा क
े तेजी िे अांदर-बाहर होने
की वजह िे रतत िे काबान डाई ऑतिाइड बाहर तनकलती है और खून िार् होता है।
यह प्रार्ायाम तनयलमत करने िे र्
े र्डे मजबूत होते है तथा टीवी, दमा और िाांिों क
े रोग दूर हो जाते हैं।
यह तांत्रिका तांि को िांतुललत करता है और तीनों दोष (कर्, वपत्त और वात) को िांतुललत रखता हैं।
इििे लीवर और ककडनी की मिाज होती है।
8. भ्रामरी प्राणायाम की ववधध- इि आिान को शाांत वातावरर् में िूयोदय या िूयाास्त क
े िमय करना अच्छा होता
है। इि आिन को करने क
े ललए ध्यान करने क
े ककिी भी िुववधाजनक आिन जैिे पद्मािन या िुखािन में बैठ जाएां।
अब अपने दोनों हाथों को मोडकर अपने कानो क
े पाि लाएां तथा कानों को अांगूठे की िहायता िे बांद करें और बाकी उांगललयों
में िे तजानी उांगली को माथे पर और अनालमका, मध्यमा और कतनष्का उांगली को आांखों क
े ऊपर रखें। इि दौरान मुांह बांद
रहे तथा नाक िे एक लांबी गहरी श्वाि अांदर ले और उिक
े बाद नाक िे मधुमतखी की तरह गुनगुनाते हुए िाांि बाहर छोडें।
इि प्रकक्या को लगभग 3 िे 4 बार दोहराएँ।
भ्रामरी प्राणायाम क
े फायदे-
लिर ददा िे राहत पाने में, धचांता और क्ोध िे मुतत करता है।
िदी क
े मौिम में नाक िे पानी धगरना, नाक बांद होना, लिर में ददा होना, आधे लिर में बहुत तेज ददा होना आदद
िे र्ायदा लमलता है।
हाइपरटेंशन या उच्च रततचाप वाले व्यक्तत क
े ललए लाभकारी है।
इि प्रार्ायाम को तनरांतर करने िे बुद्धध का ववकाि होता है तथा आत्मववश्वाि बढता है।
9. अनुलोम ववलोम प्राणायाम की ववधध- इि प्रार्ायाम को करना बहुत आिान है। िबिे पहले ककिी भी
आरामदायक स्थान पर पद्मािन की अवस्था में बैठ जाए उिक
े बाद अपने दादहने हाथ क
े अांगूठे िे दादहने नथुने को बांद
करें तथा बाएां नथुने िे धीरे-धीरे श्वाि लें। अब अपने दादहने नथुने को छोडते हुए अपनी मध्यमा उांगली की िहायता िे बाएां
नथुने को बांद करे और दादहने नथुने िे श्वाि बहार की ओर छोडे। यही प्रकक्या बाएां नथुने क
े िाथ भी करे, ऐिा करने िे
अनुलोम-ववलोम प्रार्ायाम का एक क्म पूरा हो जाएगा। यह प्रार्ायाम ददन क
े ककिी भी िमय ककया जा िकता हैं।
अनुलोम ववलोम प्राणायाम क
े फायदे-
यह शरीर िे ववषातत पदाथों को तनकालता है तथा 'वात दोष' की गडबडी क
े कारर् होने वाली िभी बीमाररयों को
ठीक करता है।
पेट र्
ू लना, माांिपेलशयों क
े रोग और अम्लता में र्ायदेमांद हैं, इिक
े िाथ ही अविाद, तनाव और ददल िे िांबांधधत
िमस्याओ ां क
े ललए धचककत्िकीय है।
यह रतत पररिांचरर् में िुधार लाता है तथा गैक्स्िक, कब्ज और खरााटों का इलाज करता है।
क्ोध, तनाव, ववस्मृतत, धचांता, बेचैनी, उच्च रततचाप, माइग्रेन और नीांद की कमी को दूर करता है।
4. ऊपर ददए हुई जानकारी में हमने आपको बाबा रामदेव क
े योग व बाबा रामदेव का योगािन क
े बारे में बताया है हमे आशा
है कक आप इन आिनों को आिानी िे अपने घर पर कर पाएांगे परन्तु यदद आपको लगता है कक आपको इन आिनो का
िही र्ज्ान नहीां है तो इन्हें योग लशक्षक की देखरेख में ही करे अथवा ककिी भी धचककत्िकीय क्स्थतत में अपने डॉतटर िे
िलाह जरुर करे।