Yoga Aashan it is a book that published by Bhanu Pratap singh.
It have many types of aashan and other content that you are using when you try yoga. It is the usefull book for the begineers
ppt Mathematical yog sutra by Vishwjit vermavishwjit verma
Mathematical formula and explanation of maharshi patanjali's Yog sutra intro... explanation of law of karma through mathematical formula.. By vishwjit ( M.A yog, 2016) ww.dsvv.ac.in
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Effects of Pranayama on human body systems vishwjit verma
A Ppt presentation on Effects of Yogic pranayama on human body systems by monika bansal a student of M.A Human Consciousness & Yogic Science in Dev Sanskriti University , Haridwar (india).
Effects of Hath yogic Practice on human body systems, Assignment work For M.A yoga 2nd semester in https://www.dsvv.ac.in Haridwar. for more visit on https://www.omvishwajit.blogspot.in
तंत्रिका तंत्र पर योग का प्रभाव (Effect of yoga on nerves system)vishwjit verma
Effects of yoga on Nerves System ; A assignment Work Done by Dsvv M.A Human consciousness & yogic Science Student. Effect of Shatkarma , Asanas, Pranayamas, Mudra bandh, Pratyahar, dharna- Dhyana Mantra yoga, Kundalini etc On Nerves System.
visit my blog https://www.omvishwajit.blogspot.com
यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन से सम्बन्धित एक परिचयात्मक अध्ययन है, जिसे विश्वविद्यालय स्तर के एम. ए. शिक्षाशास्त्र विषय के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन के प्रति जिज्ञासु लोगों के लिए यत्किंचित् रूप में उपादेय सिद्ध हो सकता है.
Effects of Pranayama on human body systems vishwjit verma
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तंत्रिका तंत्र पर योग का प्रभाव (Effect of yoga on nerves system)vishwjit verma
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यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन से सम्बन्धित एक परिचयात्मक अध्ययन है, जिसे विश्वविद्यालय स्तर के एम. ए. शिक्षाशास्त्र विषय के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह अध्ययन सामग्री मीमांसा दर्शन के प्रति जिज्ञासु लोगों के लिए यत्किंचित् रूप में उपादेय सिद्ध हो सकता है.
This Presentation is prepared for Graduate Students. A presentation consisting of basic information regarding the topic. Students are advised to get more information from recommended books and articles. This presentation is only for students and purely for academic purposes. The pictures/Maps included in the presentation are taken/copied from the internet. The presenter is thankful to them and herewith courtesy is given to all. This presentation is only for academic purposes.
8 yoga exercises that will help you get relief from l4 (lumbar) pain.Shivartha
The anatomy of the spine is very influential, as well as its functions. The spinal column is long from the base of the skull down to the pelvis. While in the womb it develops till the time of delivery. After birth, as the baby grows, there are many other changes in it. The spinal cord has many parts such as the vertebrae (facet joints), nerves, inter vertebral discs, and soft tissues (including muscles, tendons, and ligaments). All of these parts contribute to the complex structure of the spine. They provide support for various tasks and everyday activities.
How to do vajrasana (diamond pose) and what are its benefitsShivartha
Sanskrit: Vajrasana; vajra - diamond or thunderbolt, asana - posture; Pronounced as vahj-RAH-sah-na Vajrasana is a kneeling posture, and it takes its name from the Sanskrit word vajra, meaning diamond or thunderbolt. Asana (posture), of course, which means mudra. This diamond pose is also called as Adamantine pose. You can try some pranayama sitting in this position.
Yoga is the science of life and the art of living. It is a common sense answer for overall physical and mental health. Basically, yoga is a system of physical and mental self-improvement and ultimate liberation, which people have been using for thousands of years. Yoga originated in the period of Vedas and Upanishads. It is the oldest scientific, best spiritual discipline of India. Yoga is a method of training the mind and developing the power of its subtle senses so that man can discover for himself the spiritual truth on which religions, beliefs and moral values ultimately rest. It is a confession of our hidden powers. Swami Sivananda said, "He who spreads good, divine thoughts is good for himself and also for the world." Yoga is the science of life, it guarantees us physical and mental health with simple, easy remedies and techniques and methods of health and hygiene with minimum time, effort and expenditure.
7 best yoga asanas for the healthy liver that detoxify your liverShivartha
The liver is the largest organ in the body after the skin and acts as the gatekeeper of your body. Everything that happens and is digested in the body goes through the liver (liver) which has evolved to handle our organic waste. Because of its size, the liver (liver) that is attached to two very large blood vessels keeps whatever enters through the intestinal tract, and unwanted objects out. This includes toxins or environmental carcinogens. These 'bad' substances are prevented from getting into the bloodstream.
Definitions of yoga in reference to various ancient texts such as yoga darsana , Geeta, Upanishads,veda, and some contemporary yogis .
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2. पररचय
यधवप इस परम विज्ञतनिं कत जन्म भतरत में हुआ और ऋग्िेदकतल से
ही इस पर िोध हो रहें हैं तथत इसकत अभ्यतस ककयत जत रहत है
तथतवप, इस देि के और सतथ ही अन्य देिों के लतखों लोग इसे सही
रूप में नही समझते | हर जजज्ञतिु, वििेषकर हर ग्रहस्थ को यह
जतननत चतहहए कक योग क्यत है और इससे क्यत लतभ प्रतप्त ककए जत
सकते है |
3. अनुक्रमणिकत 1.
• योग क्या है?
• ननयम के प्रकतर
• योग मतगा
• योग सूत्र
• यम के प्रकतर
• योग कत प्रथम अिंग `यम`
• अहहिंसत
4. अनुक्रमणिकत 2.
• आसन
• प्रतितयतम
• प्रत्यतहतर
• धतरित
• ध्यतन
• समतधध
• योग करने से पहले इन ननयमों को जरूर जतन ले
• बैठकर ककये जतने ितले आसन
5. अनुक्रमणिकत 3.
• साांस लेने की तकनीक प्राणायाम और ध्यान
• योगत
• समय ननर्ााररत करें
• सही स्थान का चुनाव करें
6. योग क्या है?
• योग िब्द सांस्कृ त र्ातु 'युज' से ननकलत है, जजसकत मतलब है व्यजक्तगत
चेतनत यत आत्मत कत सतिाभौसमक चेतनत यत रूह से समलन। योग, भारतीय
ज्ञान की पाांच हजार वर्ा पुरानी शैली है । हतलतिंकक कई लोग योग को
के िल ितरीररक व्यतयतम ही मतनते हैं, जहताँ लोग िरीर को मोडते, मरोड़ते,
णखिंचते हैं और श्ितस लेने के जहिल तरीके अपनतते हैं। यह ितस्ति में
के िल मनुष्य के मन और आत्मत की अनिंत क्षमतत कत खुलतसत करने ितले
इस गहन विज्ञतन के सबसे सतही पहलू हैं। योग विज्ञतन में जीिन िैली
कत पूिा सतर आत्मसतत ककयत गयत है|
10. यम के प्रकतर
• (1) अहहिंसत
• (2) सत्य
• (3) अस्तेय
• (4) ब्रम्हचया और
• (5) अपररग्रह
11. योग कत प्रथम अिंग `यम`
यम है धमा कत मूल | यह हम सब को सिंभतले हुए | ननजचचत
ही यह मनुष्य कत मूल स्िभति भी है| यम से मन ओर पवित्र
होतत है| मतनससक िजक्त बढती है| इससे सिंकल्प और स्ििंय
के प्रनत आस्थत कत विकतस होतत है |
12. अहहिंसत
• `आत्मित सिाभूतेषु –अथतात सबको स्ििंम के जैसत समझनत ही अहहिंसत है
• मन िचन और कमा से हहिंसत न करनत ही अहहिंसत मन गयत है, लेककन
अहहिंसत कत इससे भी व्यतपक अथा है| स्ििंय के सतथ अन्यतय यत हहिंसत
करनत भी अपरतध है| क्रोध करनत, लोभ, मोह पलनत, ककसी व्रवत्त कत दमन
• करनत, िरीर को कष्ि देनत आहद सभी स्ििंय के सतथ हहिंसत है|
• अहहिंसक भति रखने से मन और िरीर स्िस्थ होकर ितिंनत कत अनुभि
करतत है |
13. आसन
(मुद्रतएाँ )
• आसनों के अनेक प्रकतर आसन के सिंबिंध में हठयोग प्रदीवपकत, घरेंड
सिंहहतत तथत योगसिखोपननषद में विस्ततर से ििान समकतत है |
14. प्रतितयतम
( श्ितस कत विज्ञतनिं )
नतड़ी िोधन और जतगरि के सलए ककयत जतने ितलत श्ितस और प्रश्ितस कत
• ननयमन प्रतितयतम है | प्रतितयतम के भी अनेंकों प्रकतर है |
15. प्रत्यतहतर
• (इजन्द्रयों पर ननयन्त्रि )
• इजन्द्रयों को विषयों से हितकर अिंतरमुख करने कत नतम ही प्रत्यतहतर है |
16. धतरित
( एक बबन्दु पर एकतग्रतत )
धचत्त को एक स्थतन वििेष पर कें हद्रत करनत ही धतरित है |
17. ध्यतन
• (हदव्यतत में रूपतिंतरि जजस पर एकतग्रतत सतधी जतये )
• ध्यतन कत अथा है सदत जतग्रत यत सतक्षी भति में रहनत अथतात बहुत और
भविष्य की कल्पनत तथत विचतर से परे पूिात: ितामतन में जीनत |
18. समतधध
• (ध्यतन की चरि अिस्थत अथतात सतधक की खोज कत परम लक्ष्य )
• समतधध के दो प्रकतर है- सिंप्रज्ञतत और असन्प्रग्यतत|
• समतधध मोक्ष है |
19. योग करने से पहले इन ननयमों को जरूर
जतन ले
• योग सतधतरि कसरत से बहुत ही अलग होतत है। योगतसन को कसरत यत
व्यतयतम कहनत गलत है, क्योंकक योग कत मुख्य उद्देश्य मतिंसपेसियों को मजबूत
करनत नहीिं होतत है, बजल्क इसकत उद्देश्य तनति और अन्य ितरीररक समस्यतओिं
आहद को दूर करनत होतत है। योग करने के सलए आपको आत्मविश्ितस और
इसके सतथ ही कु छ ननयम और अनुितसन कत ननरन्तर पतलन करने की
आिश्यकतत होती है। अभ्यतस को जतरी भी रखनत आिश्यक होतत है।
• योगतसन करने से पहले ये जतननत जरुरी होतत है कक योग क्यत होतत है और इसे
करने के सलए क्यत-क्यत सतिधतननयतिं बरतनी चतहहए। योग अभ्यतस कत एक
प्रतचीन रूप है। इसे करने से िरीर की ततकत और श्ितस कें हद्रत होते है जो कक
ितरीररक और मतनससक स्ितस््य को बढ़त देते हैं।
21. साांस लेने की तकनीक प्राणायाम और ध्यान
• सतिंस कत ननयिंत्रि और विस्ततर करनत ही प्रतितयतम है। सताँस लेने की
उधचत तकनीकों कत अभ्यतस रक्त और मजस्तष्क को अधधक ऑक्सीजन
देने के सलए, अिंततः प्रति यत महत्िपूिा जीिन ऊजता को ननयिंबत्रत करने में
मदद करतत है । प्रतितयतम भी विसभन्न योग आसन के सतथ सतथ चलतत
जततत है। योग आसन और प्रतितयतम कत सिंयोग िरीर और मन के सलए,
िुद्धध और आत्म अनुितसन कत उच्चतम रूप मतनत गयत है। प्रतितयतम
तकनीक हमें ध्यतन कत एक गहरत अनुभि प्रतप्त करने हेतु भी तैयतर
करती है।
22. योगत
• Yoga in Hindi, योगत : योग एक प्रतचीन भतरतीय जीिन-पद्धनत है। जजसमें
िरीर, मन और आत्मत को एक सतथ लतने (योग) कत कतम होतत है। योग
के मतध्यम से िरीर, मन और मजस्तष्क को पूिा रूप से स्िस्थ ककयत जत
सकतत है। तीनों के स्िस्थ रहने से आप स्ियिं को स्िस्थ महसूस करते
हैं। योग के जररए न ससर्ा बीमतररयों कत ननदतन ककयत जततत है, बजल्क
इसे अपनतकर कई ितरीररक और मतनससक तकलीर्ों को भी दूर ककयत जत
सकतत है। योग प्रनतरक्षत प्रितली को मजबूत बनतकर जीिन में नि-ऊजता
कत सिंचतर करतत है। योगत िरीर को
23. समय ननर्ााररत करें
• योग करने के सलए जरुरी होतत है कक आप एक ननजश्चत समय चुन लें
और रोज़तनत उसी समय योग करें। आप सुबह जल्दी उठकर, दोपहर में
भोजन खतने से पहले यत कर्र ितम में योग कर सकते हैं। आमतौर पर
सुबह के समय योग करनत बहुत ही अच्छत मतनत जततत है, क्योंकक उस
समय आप और आपके आसपतस कत ितततिरि ितिंत होतत है और सुबह के
समय आपकी ऊजता-िजक्त भी ज्यतदत होती है। इससलए, सुबह योग करने
से पुरे हदन िैसी ही ऊजता बनी रहती है और आपको हदनभर सकक्रय रखती
है।
24. सही स्थान का चुनाव करें
• अगर आपकत खुद कत घर में अलग से कमरत है तो आप िह योग कर
सकते हैं और अगर ऐसत नहीिं है, तो आप अपने घर कत कोई भी सतफ़
और ितिंत स्थतन चुन लें, जहतिं आप पयताप्त जगह हो और आप िहतिं अपनी
योग-चितई बबछत कर योग कर सके । यतद रहे कक िह स्थतन हितदतर हो
और स्िच्छ हो। ध्यतन रखें कक कभी भी योग र्िा यत ज़मीन पर न करें।
हमेित चितई यत स्िच्छ कपडे को ज़मीन पर बबछत कर उस पर बैठ कर
योग करें। अगर आप योग सुबह करते हैं तो चेहरत पूिा यत उत्तर हदित की
तरर् रखे और ितम को योग करते समय पजश्चम यत दक्षक्षि हदित की
तरर् चेहरत करके योग करें।
25. अधा चन्द्रतसन
• अधा चन्द्रतसन जैसत कक नतम से पतत चल रहत है, इस आसन में िरीर को
अधा चन्द्र के आकतर में घुमतयत जततत है। इसको भी खड़े रहकर ककयत
जततत है। यह आसन पूरे िरीर के सलए लतभप्रद है।
26. भुजिंग आसन
• भुजिंग आसन कत रोज अभ्यतस से कमर की परेितननयतिं दूर होती हैं। ये
आसन पीठ और मेरूदिंड के सलए लतभकतरी होतत है।
•
•
27. बतल आसन
• बतल आसन से तनति दूर होतत है। िरीर को सिंतुसलच और रक्त सिंचतर को
सतमतन्य बनतने के सलए इस आसन को ककयत जततत है।
28. मजाररयतसन
• बबल्ली को मतजार भी कहते हैं, इससलए इसे मजाररयतसन कहते हैं। यह
योग आसन िरीर को उजताितन और सकक्रय बनतये रखने के सलए बहुत
र्तयदेमिंद है। इस आसन से रीढ़ की हड्डडयों में णखिंचति होतत है जो िरीर
को लचीलत बनततत है।
29. निरतज आसन
• निरतज आसन र्े र्ड़ों की कतयाक्षमतत को बढ़ततत है। इय योग से किं धे मजबूत
होते हैं सतथ ही बतहें और पैर भी मजबूत होते हैं। जजनको लगतततर बैठकर कतम
करनत होतत है उनके सलए निरतज आसन बहुत ही र्तयदेमिंद है।
30. गोमुख आसन
• गोमुख आसन िरीर को सुडौल बनतने ितलत योग है। योग की इस मुद्रत
को बैठकर ककयत जततत है। गोमुख आसन जस्त्रयों के सलए बहुत ही लतभप्रद
व्यतयतम है।
31. हलतसन
• हलतसन के रोज अभ्यतस से रीढ़ की हड्डडयतिं लचीली रहती है। िृद्धतिस्थत में
हड्डडयों की कई प्रकतर की परेितननयतिं हो जतती हैं। यह आसन पेि के रोग,
थतयरतइड, दमत, कर् एििं रक्त सम्बन्धी रोगों के सलए बहुत ही लतभकतरी होतत
है।
32. सेतु बतिंध आसन
• सेतु बतिंध आसन पेि की मतिंसपेसियों और जिंघों के एक अच्छत व्यतयतम है।
जब आप इस योग कत अभ्यतस करते है तो िरीर में उजता कत सिंचतर होतत
है।
33. सुखतसन
• सुखतसन बैठकर ककयत जतने ितलत योग है। ये योग मन को ितिंनत प्रदतन
करने ितलत योग है। इस योग के दौरतन नतक से सतिंस लेनत और छोड़नत
होतत है।
34. नमस्कतर आसन
• नमस्कतर आसन ककसी भी आसन की िुरुआत में ककयत जततत है। ये
कतर्ी सरल है।
•
•
35. ततड़तसन
• ततड़तसन के अभ्यतस से िरीर सुडौल रहतत है और इससे िरीर में सिंतुलन
और दृढ़तत आती है।
36. बत्रकोि आसन
• रोज बत्रकोि मुद्रत कत अभ्यतस करने से िरीर कत तनति दूर होतत है और
िरीर में लचीलतपन आतत है।
37. कोितसन
• कोितसन बैठकर ककयत जततत है। कमर, रीढ़ की हड्डडयतिं, छतती और कु ल्हे
इस योग मुद्रत में वििेष रूप से भतग लेते है। इन अिंगों में मौजूद तनति
को दूर करने के सलए इस योग को ककयत जततत है।
38. उष्ितसन
• उष्ितसन यतनी उिंि के समतन मुद्रत। इस आसन कत अभ्यतस करते समय
िरीर की उिंि की जरह हदखतत है। इससलए इसे उष्ितसन कहते हैं।
उष्ितसन िरीर के अगले भतग को लचीलत एििं मजबूत बनततत है। इस
आसन से छतती र्ै लती है जजससे र्े र्ड़ों की कतयाक्षमतत में बढ़ोत्तरी होती
है।
39. िज्रतसन
• िज्रतसन बैठकर ककयत जतनत जतने ितलत योग है। िरीर को सुडौल बनतने के
सलए ककयत जततत है। अगर आपको पीठ और कमर ददा की समस्यत हो तो
ये आसन कतर्ी लतभदतयक होगत।
40. िृक्षतसन
• िृक्षतसन कत मतलब है िृक्ष की मुद्रत मे आसन करनत। इस आसन को खड़े
होकर ककयत जततत है। इसके अभ्यतस से तनति दूर होतत है और पैरों एििं
िखनों में लचीलतपन लततत है।
41. िितसन
• इस आसन को मरे िरीर जैसे ननजष्क्रय होकर ककयत जततत है इससलए इसे
िितसन कहत जततत है। थकतन एििं मतनससक परेितनी की जस्थनत में यह
आसन िरीर और मन को नई ऊजता देतत है। मतनससक तनति दूर करने के
सलए भी यह आसन बहुत अच्छत होतत है।
42. योग का जीवन में महत्व
• मतनससक तनतिों से जजार होतत आज कत मनुष्य सिंतोष और आनन्द की तलतस
में इधर-उधर भिक रहत है |ितिंनत कत अहसतस महसूस करने के सलए उततिलत
हो रहत है | िह अपनी जीिन बधगयत के आसपतस से स्ितथा , क्रोध , किुतत ,
इषता , घृित आहद के कताँिों को दूर कर देनत चतहतत है | उसे अपने इस जीिन
रूपी उद्यतन में सुगिंध लतनी है | उसे उस मतगा की तलति है जो उसे िरीर से
दृढ़ और बलितन बनतये , बुजध्ध से प्रखर और पुरुषतथी बनतये , भौनतक लक्षों की
पूनता करते हुए उसे आत्मितन बनतये | ननजश्चत रूप से ऐसत मतगा है | इसे भतरत
के एक महवषा पतिंजली ने योगदशान कत नतम हदयत है | योगदिान एक
मतनिततितदी सतिाभौम सिंपूिा जीिन दिान है ; भतरतीय सिंस्कृ नत कत मूलमिंत्र है |
43. ” जो रोज करेगा योग , उसे नहीां होगा कोई
रोग “
• ..मानव जाती को ववनाश से बचाने के ललए और ववश्वास की और
अग्रसर करने के ललए यह अत्यावश्यक है कक प्राचीन सांस्कृ नत भारत में
किर से स्थावपत की जाये जो अनायास ही किर सारी दुननया में
प्रचललत होगी |यह उपननर्द और वेदाांत पर आर्ाररत सांस्कृ नत ही आांतर-
राष्ट्रिय स्तर पर एक मजबूत नीांव बनकर उभरेगी |
44. योग कत महत्ि
• ितामतन समय में अपनी व्यस्त जीिन िैली के कतरि लोग सिंतोष पतने के
सलए योग करते हैं। योग से न के िल व्यजक्त कत तनति दूर होतत है बजल्क
मन और मजस्तष्क को भी ितिंनत समलती है।[76] योग बहुत ही लतभकतरी है।
योग न के िल हमतरे हदमतग, मजस्तष्क को ही ततकत पहुिंचततत है बजल्क
हमतरी आत्मत को भी िुद्ध करतत है। आज बहुत से लोग मोितपे से
परेितन हैं, उनके सलए योग बहुत ही र्तयदेमिंद है। योग के र्तयदे से आज
सब ज्ञतत है, जजस िजह से आज योग विदेिों में भी प्रससद्ध है। [77]