रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
जादू की थप्पी है ई.एफ.टी. Emotional Freedom Technique
इमोशनल फ्रीडम टेकनीक (Emotional Freedom Technique) सामान्य मनो-चिकित्सा से अलग एक नई जादुई उपचार पद्धति है जो हमारे शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को संतुलित करती है और हमारे शरीर तथा मन से नकारात्मक भावनाओं को निकाल देती है। जिससे हमें भावनात्मक और दैहिक विकारों से तुरंत मुक्ति मिल सकती है। मैं इसे हिन्दी में जादू की थप्पी कहना पसन्द करूंगा। चीन में इस ऊर्जा को ची या Qi कहते हैं जो शरीर की ऊर्जा तंत्रिकाओं (Meridians) में बहती है। 5000 वर्ष पुरानी एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर उपचार पद्धतियां भी इसी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली पर आधारित हैं। गैरी क्रेग द्वारा विकसित इस उपचार को भावनात्मक एक्युपंक्चर भी कहते हैं, लेकिन इसमें सुई न लगा कर ऊर्जा बिन्दुओं को दो अंगुलियों से थपथपाया (Tapping) जाता है। यह डर, भय, चिंता, क्रोध, व्यसन, आघात, अवसाद, बुरे स्वप्न, दर्द, सिरदर्द आदि सभी भावनात्मक और दैहिक विकारों का सरल लेकिन सशक्त उपाय है। जिस प्रकार हमारे कम्प्यूटर में एक रिस्टार्ट बटन होता है और जब कोई गड़बड़ होती है या कम्प्यूटर हैंग हो जाता है तो रिस्टार्ट बटन दबाने पर कम्प्यूटर पुनः ठीक से चालू हो जाता है। उसी तरह ई.एफ.टी. भी हमारी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को ठीक करने के लिए रिस्टार्ट बटन का काम करती है।
इतिहास
1980 में डॉ. रोजर केलहन मैरी नाम की एक महिला का उपचार कर रहे थे, जिसे पानी से बहुत डर लगता था। इस कारण उसे बुरे स्वप्न आते थे और तेज सिरदर्द रहता था। मैरी कई मनोचिकित्सकों से उपचार लेने के बाद आखिर में डॉ. रोजर के पास पहुँची। डेढ़ वर्ष तक मनो-उपचार देने के बाद भी जब उसे कोई लाभ नहीं हुआ तो रोजर को विचार आया कि इसकी आंख के नीचे (आमाशय के बिंदु पर) थपथपा कर उसका असर देखते हैं। जैसे ही उन्होंने उसकी आंख के नीच
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
बारबरा ब्रेनान ने बड़े विवेकपूर्ण ढंग से आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय की कौशिश की है। ये अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और नासा में शोध-वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ये भौतिकशास्त्री और मनोचिकित्सक हैं और 20 वर्षों से प्रभा-मण्डल और ऊर्जा-चिकित्सा पर अ
भारत का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक एवं ज्ञानवर्धक हिंदी मासिक समाचार-पत्र
ज्योतिष, वास्तु, रेकी, सामुद्रिक शास्त्र, वैकल्पिक चिकित्सा जैसे योग और प्राकृतिक चिकत्सा, एक्युप्रेशर, सूर्य चिकित्सा आदि, वैदिक मैथ, हमारा अतीत, धर्म-आध्यात्म, वेद-पुराण आदि पर आधारित।
जादू की थप्पी है ई.एफ.टी. Emotional Freedom Technique
इमोशनल फ्रीडम टेकनीक (Emotional Freedom Technique) सामान्य मनो-चिकित्सा से अलग एक नई जादुई उपचार पद्धति है जो हमारे शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को संतुलित करती है और हमारे शरीर तथा मन से नकारात्मक भावनाओं को निकाल देती है। जिससे हमें भावनात्मक और दैहिक विकारों से तुरंत मुक्ति मिल सकती है। मैं इसे हिन्दी में जादू की थप्पी कहना पसन्द करूंगा। चीन में इस ऊर्जा को ची या Qi कहते हैं जो शरीर की ऊर्जा तंत्रिकाओं (Meridians) में बहती है। 5000 वर्ष पुरानी एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर उपचार पद्धतियां भी इसी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली पर आधारित हैं। गैरी क्रेग द्वारा विकसित इस उपचार को भावनात्मक एक्युपंक्चर भी कहते हैं, लेकिन इसमें सुई न लगा कर ऊर्जा बिन्दुओं को दो अंगुलियों से थपथपाया (Tapping) जाता है। यह डर, भय, चिंता, क्रोध, व्यसन, आघात, अवसाद, बुरे स्वप्न, दर्द, सिरदर्द आदि सभी भावनात्मक और दैहिक विकारों का सरल लेकिन सशक्त उपाय है। जिस प्रकार हमारे कम्प्यूटर में एक रिस्टार्ट बटन होता है और जब कोई गड़बड़ होती है या कम्प्यूटर हैंग हो जाता है तो रिस्टार्ट बटन दबाने पर कम्प्यूटर पुनः ठीक से चालू हो जाता है। उसी तरह ई.एफ.टी. भी हमारी सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली में आई रुकावट को ठीक करने के लिए रिस्टार्ट बटन का काम करती है।
इतिहास
1980 में डॉ. रोजर केलहन मैरी नाम की एक महिला का उपचार कर रहे थे, जिसे पानी से बहुत डर लगता था। इस कारण उसे बुरे स्वप्न आते थे और तेज सिरदर्द रहता था। मैरी कई मनोचिकित्सकों से उपचार लेने के बाद आखिर में डॉ. रोजर के पास पहुँची। डेढ़ वर्ष तक मनो-उपचार देने के बाद भी जब उसे कोई लाभ नहीं हुआ तो रोजर को विचार आया कि इसकी आंख के नीचे (आमाशय के बिंदु पर) थपथपा कर उसका असर देखते हैं। जैसे ही उन्होंने उसकी आंख के नीच
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
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Child psychology book part 1 (hindi) ( for more book www.nitin-gupta.com )
1. By – Anuj Yadav
+919999193519
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other State TET exams. https://www.facebook.com/groups/438253779643091/
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CTET & STATE TET STUDY MATERIAL
Compiled By Anuj Yadav
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(CHILD PYSCHOLOGY BOOK)
(Part – 1, Hindi Medium)
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