अम्लपित्त (एसिडिट) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
पेट में अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नहीं माना जाता, लेकिन इसके परिणाम अवश्य भयानक सिद्ध होते हैं| इसकी वजह से बहुत-सी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं| यदि समय रहते ये व्याधियां दूर नहीं की जातीं तो मनुष्य हमेशा के लिए कई रोगों से घिर जाता है| यह रोग वास्तव में पित्ताशय से पैदा होता है| इसीलिए पित्त को बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए|
कारण - जो लोग हमेशा विरोधी पदार्थ जैसे-दूध-मछली, घुइयां-पूड़ी, दूध-दही, खट्टा-मीठा, कड़वा-तिक्त आदि खाते रहते हैं, उनको अम्लपित्त का रोग बहुत जल्दी हो जाता है| इसके अलावा जो व्यक्ति दूषित भोजन, खट्टे पदार्थ, आमाशय में गरमी उत्पन्न करने वाले तथा पित्त को बढ़ाने वाले (प्रकुपित करने वाले) भोजन का सेवन करते हैं , उन्हें यह रोग होता है| अधिक धूम्रपान करने तथा शराब, गांजा, भांग, अफीम आदि का सेवन करने वाले लोगों को भी अम्लपित्त घेर लेता है|
पहचान - इस रोग में भोजन ठीक से नहीं पचता| अचानक थकावट का अनुभव होता है| हर समय उबकाई आती रहती है| खट्टी डकारें आती हैं| शरीर में भारीपन मालूम पड़ता है| गले, छाती और पेट में जलन होती है| भोजन करने की बिलकुल इच्छा नहीं होती| जब पित्त बढ़ जाता है तो वह ऊपर ओर बढ़ने लगता है| उस समय पित्त की उल्टी हो जाती है| पित्त में हरा, पीला, नीला या लाल रंग का पतला पानी (पित्त) बाहर निकलता है| पित्त निकल जाने के बाद रोगी को चैन पड़ जाता है| कई बार खाली पेट भी पित्त बढ़ जाता है और उल्टी हो जाती है| इस रोग में हर समय जी मिचलाता रहता है|
नुस्खे - धनिया और जीरे का समभाग पीसकर चूर्ण बना लें| उसमें से आधा-आधा चम्मच चूर्ण दिन में चार बार गुनगुने पानी के साथ लें|
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पेट मे अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नही माना जाता,
लेिकन इसके पिरणाम अवश्य भयानक िसद होते है|
इसकी वजह से बहुत-सी व्यािधियां उत्पन हो जाती है|
यिद समय रहते ये व्यािधियां दूर नही की जाती तो
मनुष्य हमेशा के िलए कई रोगो से िघिर जाता है| यह
रोग वास्तव मे िपत्ताशय से पैदा होता है| इसीिलए िपत्त
को बढ़ाने वाले पदाथो का सेवन नही करना चािहए|
कारण - जो लोग हमेशा िवरोधिी पदाथर जैसे-दूधि-
मछली, घिुइयां-पूड़ी, दूधि-दही, खट्टा-मीठा, कड़वा-ितक
आदिद खाते रहते है, उनको अम्लिपत्त का रोग बहुत
जल्दी हो जाता है|
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इसके अलावा जो व्यिक दूिषित भोजन, खट्टे पदाथर,
आदमाशय मे गरमी उत्पन करने वाले तथा िपत्त को
बढ़ाने वाले (प्रकुिपत करने वाले) भोजन का सेवन करते
है , उन्हे यह रोग होता है| अिधिक धिूम्रपान करने तथा
शराब, गांजा, भांग, अफीम आदिद का सेवन करने वाले
लोगो को भी अम्लिपत्त घिेर लेता है|
पहचान - इस रोग मे भोजन ठीक से नही पचता|
अचानक थकावट का अनुभव होता है| हर समय उबकाई
आदती रहती है| खट्टी डकारे आदती है| शरीर मे भारीपन
मालूम पड़ता है| गले, छाती और पेट मे जलन होती है|
भोजन करने की िबलकुल इच्छा नही होती| जब िपत्त
बढ़ जाता है तो वह ऊपर ओर बढ़ने लगता है| उस समय
िपत्त की उल्टी हो जाती है|
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िपित मे हरा, पिीला, नीला या लाल रंग का पितला पिानी
(िपित) बाहर िनकलता है| िपित िनकल जाने के बाद
रोगी को चैन पिड़ जाता है| कई बार खाली पिेट भी िपित
बढ़ जाता है और उल्टी हो जाती है| इस रोग मे हर
समय जी िमचलाता रहता है|
नुसखे - धनिनया और जीरे का समभाग पिीसकर चूर्ण र बना
ले| उसमे से आधना-आधना चम्मच चूर्ण र िदन मे चार बार
गुनगुने पिानी के साथ ले|
• एक चम्मच आंवले का चूर्ण र लेने से पिेट मे िपित नही
बनता|
• इमली के शरबत मे शक्कर डालकर िपिने से िपित शान्त
हो जाता है|
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• यिद गरमी मे िपित बढ़ जाए तो पिुदीने के रस मे जरा-
सी कालीिमचर, भुने हुए जीरे का चूर्ण र, नमक तथा
धनिनया का चूर्ण र िमलाकर सेवन करे|
• एक चम्मच शहद मे एक चुटकी हरड़ का चूर्ण र
िमलाकर चाट ले| ऊपिर से गुनगुना पिानी िपिएं|
• दो चम्मच करौंदे के रस मे एक चम्मच शहद और एक
लाल इलायची का चूर्ण र िमलाकर सेवन करे|
• सोंठ तथा धनिनया 25-25 ग्राम लेकर पिीस ले| इसकी
तीन खुराक बनाएं| िदन मे तीनों खुराक का पिानी मे
काढ़ा बनाकर सेवन करे|
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• अदरक एक छोटी गांठ और एक चम्मच सूर्खा
धनिनया लेकर चटनी बनाएं| सुबह-शाम इस
चटनी का सेवन करने से िपित शान्त हो जाता
है|
• 1 ग्राम यवक्षार को शहद मे िमलाकर तीन
खुराक के रूपि मे सुबह, दोपिहर और शाम को
चाटे|
• मूर्ली के दो चम्मच रस मे शक्कर िमलाकर
पिीने से खट्टी डकारे आनी बंद हो जाती है|
• िगलोय के चूर्ण र को चक्कर के साथ खाने से
िपित कम हो जाता है|
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• चने का साग पानी मे िभिगो दे| िफिर थोड़ी देर
बाद पानी सिहित भिाग को चबा जाएं|
• प्याज के रस मे नीबू िनचोड़कर पीने से सीने
की जलन शान्त हिोती हिै|
• सुबहि खाली पेट एक िगलास पानी मे दो
चम्मच मूली के रस पीने से दूिषित िपत पेशाब
के साथ िनकल जाता हिै|
• एक चम्मच पालक का रस और एक चम्मच
मूली का रस िमलाकर सेवन करने से िपत के
रोगी को काफिी शािन्त िमलती हिै|
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• शीतिपत की खराबी मे 3 ग्राम कालीिमचर के
चूण र मे दो चम्मच देशी घी िमलाकर सेवन करे|
• जीरे का चूण र गुड़ के साथ सेवन करने से भिी
शीतिपत नष हिो जाता हिै|
• आधे नीबू का रस एक िगलास पानी मे
िमलाकर पीने से िपत मे काफिी आराम िमलता
हिै|
• भिुनी हुई ज्वार को गुड़ या बताशो के साथ
खाएं| इससे पेट की जलन शान्त हिोती हिै|
9. • मूंग की दाल के साथ परवल पका ले| िफिर
इसका पानी िनचोड़कर िपएं|
• नािरयल का पानी पीने से एिसिडिटी समाप
हिो जाती हिै|
• गुलकंद का शरबत पीने से अम्लिपत खत्म हिो
जाता हिै|
कया खाएं कया नहिी - इस रोग मे कफि-िपत
नाशक पदाथर तथा उबला पानी बहुत
फिायदेमंद हिै| परन्तु मट्ठे का सेवन न करे|
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10. पुरानी मूंग, पुराना जौ, परवल, अनार,
आंवला, नािरयल का पानी, धान की खील,
पेठे का मुरब्बा, आंवले का मुरब्बा, पपीता
आिद अम्लिपत मे लाभकारी है| बेसन तथा
मैदे की बनी चीजे नही खानी चािहए| गोभी,
मूली, आलू, भसीड, टमाटर, बैगन आिद
सिब्जयो का प्रयोग भी न करे| बासी, रखा
हुआ भोजन, िमचर-मसालेदार भोजन तथा देर
से पचने वाली चीजे जैसे-खोया, रबड़ी, घुइयां,
िमठाइयां, दालमोठ, पकौड़ी आिद का सेवन
नही करना चािहए|
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11. मानिसक अशािन्त, क्रोध तथा ईर्ष्यार-द्वेष से
अम्लता अिधक बढ़ती है| इसिलए इससे बचे|
सुबह-शाम टहलना भी बहुत जरुरी है|
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