के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
मोटापा शरीर के लिए अभिशाप है| इससे मनुष्य की आकृति बेडौल हो जाती है| मोटापे से हृदय रोग, रक्तचाप, मधुमेह आदि पैदा हो सकते हैं| खान-पान, योगासन एवं व्यायाम द्वारा मोटापे पर काबू पाया जा सकता है|
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हृदय रोग से ज्यादातर वे लोग पीड़िड़ित होते है जो
िदनभर गद्दीड़ पर बैठे रहते है और हर समय अनाप-
शनाप खाते-पीड़ते है| इस रोग के शुर मे साधारण
ददर होता है| िफिर धीड़रे-धीड़रे रोग बढ़ जाता है जो
सम्पूर्णर हृदय को जकड़ि लेता है| यह रोग होने पर
बड़िीड़ बेचैनीड़ रहतीड़ है| अचानक हृदय मे पीड़ड़िा
उठतीड़ है और िफिर सारा शरीड़र जकड़ि जाता है|
रोगीड़ की सांस रुक-रुककर बड़िीड़ तेजीड़ से चलने
लगतीड़ है| बेचैनीड़ के साथ-साथ हाथ-पैरो मे
िशिथलता शुर हो जातीड़ है| यिद तुरन्त इस दौरे
की िचिकत्सा नही की जातीड़ तो रोगीड़ की मृतु तक
हो सकतीड़ है|
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कारण - बहुत ज्यादा गरम, गिरष, खट्टे, कड़िवे एवं
कसैले पदाथो का िनरंतर सेवन करने, अिधक मेहनत
करने या िबलकुल शारीड़िरक श्रम न करने, ममर स्थान मे
अचानक गहरीड़ चोट लगने, अिधक तथा बार-बार
भोजन करने, मेदे से िनकलने वाले वेगो एवं मल-मूर्त को
रोकने, अत्यिधक िचन्ता, भय, शोक, घबराहट, वायु के
दूर्िषित रोगो आदिद के कारण हृदय रोग पैदा हो जाता है|
पहचान - हृदय का रोग होने पर िदल मे ददर रहने
लगता है| ददर शुर होने पर लगता है, जैसे कोई भारीड़
चीड़ज से िदल मे चोट कर रहा हो| ऐसे मे प्यास अिधक
लगतीड़ है| माथे पर पसीड़ना आद जाता है| मुख सूर्ख जाता
है और कंठ से धुआदं-सा िनकलता है| हृदय मे भारीड़पन
मालूर्म पड़िता है|
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सांस तेजीड़ से चलने लगतीड़ है| कई बार रोगीड़ की सारीड़
इिन्द्रियां ज्ञानशूर्न्य हो जातीड़ है| चक्कर आदने के बाद रोगीड़
बेहोश हो जाता है| अत्यिधक बेचैनीड़ तथा घबराहट बढ़
जातीड़ है| जीड़ िमचलाता है और कभीड़-कभीड़ उलटीड़ भीड़ हो
जातीड़ है| हाथ-पैर ठंडे पड़ि जाते है, नब्ज धीड़रे-धीड़रे
चलतीड़ है और रोगीड़ को अपनीड़ मृत्यु िदखाई देने लगतीड़
है|
नुस्खे - मुलहठीड़ का चूर्णर एक चम्मच की माता मे गरम
पानीड़ के साथ लेने पर हृदय रोग मे काफिी लाभ होता है|
• हृदय रोिगयो को काले चने उबलवाकर खाते रहना
चािहए|
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• गाय के दूध मे सोंठ डालकर पीते रहे|
• अर्जुन र्जुन वृक की छाल सुन खाकर चूण र्जु बना ले| इसमे से 10
ग्राम चूण र्जु दूध मे डालकर उबाले| िफिर इस दूध मे शक्कर
की जगह गुन ड़ िमलाकर सेवन करे|
• एक चम्मच अर्जवायन को एक कप पानी मे डालकर
औटने के िलए रख दे| जब पानी जलकर आधा कप रह
जाए तो छानकर एक चुन टकी सेधा नमक िमलाकर रात
को सहता-सहता िपएं|
• शहद का अर्िधक प्रयोग करने से हृदय बलशाली बनता
है तथा खून के िवकारों को िवराम िमलता है| इससे
हृदय रोग धीरे-धीरे दूर हो जाता है|
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• गुन लाबजल 10 ग्राम, गुन लाब की पंखुन िडयां 3 ग्राम तथा
धिनया 5 ग्राम - सबको पीसकर अर्च्छी तरह िमलाकर
गुन नगुन ने पानी के साथ सेवन करे|
• करौंदे का मुन रब्बा, रस, चटनी आिद हृदय रोग को दूर
करते है|
• दालचीनी, बंसलोचन, धिनया तथा सूखा गुन लाब -
सबको बराबर की मात्रा मे लेकर चूण र्जु बना ले| अर्ब इसमे
िमश्री पीसकर िमलाएं| 5 ग्राम चूण र्जु िनत्य गाय या
बकरी के दूध के साथ सेवन करे|
• अर्नार का शरबत पीते रहने से हृदय रोग कम होता
जाता है|
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• जायफिल, जािवत्री, दालचीनी तथा अर्करकरा - इन
सबको 10-10 ग्राम लेकर चूण र्जु बना ले| इसमे से 4 ग्राम
चूण र्जु शहद मे िमलाकर िनत्य सुन बह-शाम भोजन के साथ
ले|
• हृदय रोग मे फिालसे के रस मे सोंठ तथा चीनी
िमलाकर पीना चािहए|
• रोज चार चम्मच आंवले का रस जरा-से सेधा नमक के
साथ सेवन करे|
• हृदय का दौरा पड़ने पर अर्ंगूर का रस चम्मच से बार-
बार देना चािहए|
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• िदन मे दो बार थोड़ी-सी हींग पानी मे घोलकर सेवन
करे| हींग रक को जमने नहीं देती तथा रक संचार ठीक
रखती है|
• बैगन को कुन चलकर उसका चार चम्मच रस िनत्य िपएं|
बैगन की सब्जी हृदय रोगी के िलए बहुत लाभदायक है|
• अर्मरूद को भूनकर खाने से हृदय की कमजोरी दूर
होती है|
• बेल के ताजे पत्तों को पीसकर चटनी बना ले| िफिर
उसमे घी तथा थोड़ा-सा शहद िमलाकर लगभग 40
िदनों तक सेवन करे|
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• लाल बथुए की सब्जी खाने से हृदय का दौरा नही
पड़ता|
• कच्चे आलू का चार चम्मच रस जरा-सा सेंधा नमक
डालकर िपएं|
• आंवले के मुरब्बे में चांदी का वकर लगाकर िनत्य सेवन
करें|
• गले में तुलसी की माला पहहने से हृदय रोगिगयो कोग
लाभ होगता है|
• आधा कप गाजर का रस लेकर उसमें 3 ग्राम की मात्रा
में दूब कुचलकर डालें| िनत्य भोगजन के बाद इसका सेवन
करें|
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• पके हुए केले के बीच में जरा-सा खाने वाला चूना
रखकर खाएं| तीन केले िनत्य खाने से हृदय कोग काफी
बल िमलता है|
• लहसुन के चार बूंद रस में पानी िमलाकर कुछ िदन
तक िनत्य सेवन करें|
• कपास के फू लो कोग पानी में मसल-छानकर उस पानी
कोग िपएं|
• अदरक तथा शहद का सेवन हृदय रोगिगयो के िलए
बहुत लाभकारी है|
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कया खाएं कया नही - हृदय रोगिगयो कोग घी-मकखन
इत्यािद नही खाना चािहए| इसी प्रकार जमा हुआ
वनस्पित घी या तेल भी हािनकारक है| मूंगफली,
सोगयाबीन, सूरजमुखी, िबनौले, ितल तथा सरसो का
शुद तेल प्रयोगग करें| परन्तु ये तेल कम मात्रा में लें| तली
हुई चीजें तथा 'फास्ट फू ड' कभी न खाएं|
िसगरेट, शराब, चाय और कॉफी हृदय रोगिगयो के िलए
िवष के समान है| शराब हृदय की मांसपेिशयो कोग
नुकसान पहुंचाती है| इसिलए थकावट दूर करने के िलए
भी इसका प्रयोगग नही करना चािहए|
योगगासन - हृदय रोगिगयो कोग मानिसक तनाव जहां तक
होग सके, कम रखना चािहए| जीवन में संतोगष की मात्रा
बढ़ानी चािहए|
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महत्त्वकांक्षा और संतोगष में सन्तुलन रखने की कोगिशश
करनी चािहए| कभी-कभी ईश्वर की इच्छा पर िवश्वास
करना बड़ा सहायक होगता है| हल्के योगगासन जैसे - सांस
खीचना, रोगकना तथा छोगड़ना - तनाव कोग कम करता है|
हंसी का वातावरण भी बहुत जरूरी है|
वायाम - रोगज पैदल चलना हृदय रोगिगयो के िलए
नुस्खो का काम करता है| परन्तु खाना खाने के बाद नही
चलना चािहए| इससे हृदय पर काफी दवाब पड़ता है|
हल्का वायाम ऐसे रोगिगयो के िलए लाभदायक है| यिद
घर में िकसी कोग हृदय रोगग हुआ होग या जोग मानिसक
तनाव और मोगटापे से ग्रस्त रहे हो, उनके अनुभवो से
लाभ उठाना चािहए|
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शरीर मे तेल मालिलश करके स्नालन करनाल चालिहिए| इससे
रक्तचालप की व्यालिध नहिी सतालती| कभी-कभी छालती पर
हिालथ रखकर हृदय की गतित की पहिचालन करनी चालिहिए|
आधुनिनक जालंचो से भी लालभ उठालने मे कोई हिजर नहिी हिै|
इस प्रकालर यिद इन सब उपालयो और सालधनो को कालम मे
लालयाल जालए तो कालफी हिद तक हृदय रोगत से बचाल जाल
सकताल हिै|