2. गभभधारण क
े नुस्खे
10 ग्राम पीपल की ताजी कोमल जटा जौक
ू ट करक
े 700 मम.ली. दू ध में पकाएं । 200
मम.ली. शेष रहने पर उसे उतारकर छान लें। उसमें शक्कर और शहद ममलाकर पीररयड
होने क
े 5वें या 6वें मदन से खाना शुरू करें। 10 मदन तक इस रामबाण
औषमध का सेवन करें।
3 ग्राम गोरोचन 10 ग्राम गजपीपरर और 10 ग्राम असगंध-तीनों को बारीक पीसकर चूणण
बना लें। पीररयड क
े चौथे मदन से मनरंतर पांच मदनों तक इसे दू ध क
े साथ फांक
े ।
ममहलाओं को शतावरी चूणण घी और दू ध में ममलाकर खखलाने से गर्ाणशय की सारी
मवक
ृ मतयां दू र हो जाती हैं और वे गभभधारण योग्य हो जाती हैं।
माहवारी खत्म होने क
े बाद तुलसी क
े पत्ों का काढा तीन-चार मदन तक लगातार मपयें।
इससे गर्ण नहीं ठहरेगा।
सुबह उठने क
े बाद बासी मुंह मबना क
ु ल्ला मकए एक-दो लौंग चबाने से र्ी गर्ण नहीं
ठहरेगा।
3.
4. नीम क
े तेल का सेवन करने से गर्ण नहीं ठहरता। यह गर्ण मनरोधक उपायों में सबसे
लार्दायक उपाय है।
सेक्स से पहले योमन में नीम का तेल लगाने से र्ी गर्ण नहीं ठहरता।
संर्ोग करने से पहले योमन में शहद लगाने से गर्णधारण नहीं होता।
पपीता र्ी एक कारगर गर्णमनरोधक है।
मामसक धमण क
े समय चंपा क
े फ
ू लों को पीसकर पीने से गर्णधारण की संर्ावना नहीं
रहती। जब तक बच्चा न चाहें, तब तक यह प्रयोग हर महीने मामसक धमण क
े समय करें।
क
े ले का पेड़ मजस पर फल न लगा हो या फलहीन पेड़ हो उसकी जड़ उखाड़कर सुखा
लें। मामसक धमण क
े समय 4-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्ण नहीं ठहरता।
5. गभभपात रोकने क
े नुस्खे
हरी दू ब क
े पंचाग (जड़, तना, पत्ी, फ
ू ल, फल) को पीसकर, उसमें ममश्री व दू ध ममलाकर
150-200 ग्राम शरबत क
े रूप में सुबह – शाम मपयें।
गाय का ठं डा मकया हुआ दू ध व जेठीमधु का काढा बनाकर मपये। और साथ-साथ इसी
काढे को नामर् (टुंडी ) क
े नीचे क
े र्ाग पर लगाएं । इससे गर्ण न रुकने की
संर्ावना कम हो जाती है।
अशोक की छाल का क्वाथ बनाकर क
ु छ मदनों तक सुबह-शाम मपलाने से गर्णवती स्त्री क
े
गर्णसाव की संर्ावना नहीं रहती।
एक पक्क
े क
े ले को मथकर, उसमें शहद ममलाकर गर्णवती को खखलाएं ।
वंशलोचन, ममश्री और नागक
े शर को लेकर बारीक चूणण बना लें। इसे 2 – 3 ग्राम की मात्रा
में सुबह-शाम गाय क
े दू ध क
े साथ खाने से फायदा होता है।
मूली क
े बीजों का कपड़छान बारीक चूणण और र्ीमसेनी कपूर को गुलाब क
े अक
ण में
ममलाकर गर्ण ठहरने क
े बाद योमन में क
ु छ मदनों तक मलने से बहुत लार् होता है। अगर
मकसी स्त्री को बार-बार रक्तस्राव होता है तो उसक
े मलए यह प्रयोग बहुत ही फायदेमंद
है।
6. पीपल और बड़ी क
ं टकारी की जड़ पीसकर र्ेस क
े दू ध क
े साथ क
ु छ मदनों तक लें।
प्रेग्नेंसी क
े दौरान उल्टी
सुबह उठकर मुंह धोकर हल्क
े गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मनचोड़कर खाली पेट क
ु छ मदनों
तक मपयें। इससे उल्टी बंद हो जाएगी।
गमी का मौसम हो तो बफ
ण का पानी मपने से लार् होता है।
संतरे, मौसबी व पक
े आम का रस व नाररयल पानी र्ी बहुत फायदेमंद होता है।
प्रेग्नेंसी स्त्री क
े पेट पर पानी की पट्टी रखने से उल्टी में आराम ममलता है।
गुलक
ं द और शक्कर दोनों को बराबर मात्रा में ममलाकर मदन में तीन से चार बार सेवन करने से
र्ी लार् होता है।
एक कागजी नींबू को काटकर दो टुकडे कर लें। दोनों र्ागों पर काली ममचण का चूणण व नमक
बुरककर आग पर गमण करक
े चूसें।
अनार क
े दानों का रस थोड़ा-थोड़ा मपने से र्ी उल्टी में लार् होता है।
7. बार-बार पेशाब आने पर
एक क
े ले क
े साथ मवदारीक
ं द और शतावरी को 1-1 ग्राम चूणण ममलाकर दू ध
क
े साथ पीने से बार-बार पेशाब जाने की परेशानी कम होती है।
तीन – चार आंवलों का रस मनकालकर उसमें पानी ममलाकर सुबह-शाम
पीने से आराम होता है।
बार-बार पेशाब आने की मशकायत होने पर 50 ग्राम र्ुने हुए चने खाकर
ऊपर से थोड़ा सा गुड़ खाएं । ऐसा 10 मदन तक मनयममत करें।
मदन में दो बार छु हारा खाएं और रात को छु हारा खाकर दू ध मपयें।
अनार क
े मछलकों को सुखाकर उसका चूणण बना लें। 5 ग्राम की मात्रा में
इस चूणण को सुबह पानी क
े साथ लेने से लार् होता है।
8. खाने क
े प्रतत अरूति
सर्ी प्रकार क
े खट्टे फलों या उनक
े रस को पानी में ममलाकर पीने से शरीर में दू मषत
पदाथों की कमी होती है और रक्त क्षारीय होकर खाने क
े प्रमत रूमच पैदा कर देता है।
रोज नाश्ते में पपीते का सेवन करें।
तरबूज क
े 10 ग्राम बीजों को पीसकर आधे कप पानी में घोलकर, उसमें 5 ग्राम ममश्री
और आधा नींबू का रस ममलाकर र्ोजन से 15-20 ममनट पहले लेने से खाने क
े प्रमत
अरूमच ममट जाती है।
धमनया, काला जीरा, सोंठ और सेधा नमक- प्रत्येक बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूणण बना
लें। 2-2 ग्राम चूणण मदन में 3-4 बार लेने से र्ूख लगती है और र्ोजन में रूमच पैदा होती
है।
जामुन का मसरका मपयें। मसरक
े क
े मनयममत प्रयोग से र्ूख बढती है।
हरा धमनया, टमाटर, कागजी नींबू, हरी ममचण, काला नमक, अदरक का सलाद या चटनी
बनाकर खाएं । इससे र्ोजन में रूमच उत्पन्न होगी।
अगर र्ूख न लगती हो तो लवण र्ास्कर चूणण 1-1 ग्राम की मात्रा में मदन में दो बार
लेने से लार् होता है।
10. सुबह-शाम दू ध क
े साथ 1-1 नग आंवले का मुरब्बा खाने से खून की कमी दू र होती है।
रोजाना पपीते का सेवन करने से र्ी खून की कमी नहीं होती। इसमें लौह तत्व की
अमधकता होती है। जो रक्त बनाने में सहायक होता है।
गन्ने क
े रस में आवले का रस और शहद ममलाकर पीने से खून बढता है।
अंजीर को दू ध में उबालें। मफर उसे खाकर दू ध मपयें। इससे खून की कमी दू र होती है
और शखक्त में वृखि होती है।
प्रमतमदन 5-10 खजूर खाकर ऊपर से एक कप गमण दू ध पीने से थोड़े ही मदनों में शरीर में
स्फ
ू मतण और बल बढता है।
गाजर का रस और चुक
ं दर का रस ममलाकर पीना र्ी फायदेमंद होता है।
रोजाना एक मगलास टमाटर का रस पीने से खून की कमी दू र होती है।
ठं डे पानी में साफ मकये गये चोकर को उसक
े वजन क
े छह गुना पानी में मकसी बतणन में
ढक कर आधे घंटे तक उबालें। स्वाद क
े मलए इसमें शहद व नींबू का रस ममला सकते हैं।
एक-एक कप सुबह-शाम पीने से खून की कमी दू र होती है।
बथुए क
े साग का सेवन र्ी बहुत उपयोगी है। इससे खून में हीमोग्लोमबन की मात्रा बढती
है।
11. गाजर का सलाद या मफर गाजर का मुरब्बा र्ी लार्कारी है। गाजर क
े मुरब्बे क
े मलए
अच्छी मोटी गाजर को छीलकर बीच का कड़ा र्ाग मनकाल दें। गूदे को काटें से गोद दें।
पानी में हल्का सा उबाल कर कपड़े पर फ
ै ला दें। इसक
े बाद एक मकलो एकतारी चाशनी
बनाकर गाजर पकाएं । पकाते समय नींबू का रस र्ी डाल दें। ठं डा होने पर कांच क
े बतणन
में र्रकर रख लें और खाने में प्रयोग करें।
गभाभवस्था में गैस
1-1 नग आंवले का मुरब्बा सुबह-शाम खाकर दू ध मपयें। इससे गैस और अम्ल मपत् की
मशकायत दू र हो जाती
र्ोजन करने से 15 – 20 ममनट पहले अजवायन का आधा चम्मच चूणण और थोड़ा-सा
काला नमक ममलाकर सेवन करें और र्ोजन क
े 15 – 20 ममनट बाद र्ी यही नुस्खा
प्रयोग करें।
गैस की मशकायत होने पर एक प्याले पानी में आधे नींबू को मनचोड़ ले और थोड़ी-सी
सौंफ का चूणण व काला नमक ममलाकर क
ु छ मदनों तक मनयममत रूप से सेवन करें।
12. ककड़ी, मूली, गाजर, टमाटर, खीरा, पालक क
े सलाद में अदरक क
े छोटे – छोटे टुकड़े
काटकर उस पर नींबू मनचोड़ ले | और रोजाना सेवन करने से गर्णवती को गैस की
मशकायत नहीं होगी और न ही कब्ज होगी ।
20 ग्राम सेंधा नमक और 50 ग्राम चीनी को एक साथ पीसकर रख लें। खाना खाने क
े
बाद रोजाना आधा चम्मच इसे खाने से गैस की मशकायत नहीं होती।
200 ग्राम फालसे क
े रस में थोड़ी ममश्री, काला नमक और नींबू ममलाकर लें। इससे गैस
की मशकायत नहीं होती है |
पैरोों में सूजन
अनन्नास को छीलकर गोल-गोल टुकड़ों में काट लें। उस पर काली ममचण का चूणण और
काला नमक बुरककर खाने से लार् होता है। इससे मूत्र में वृखि होती है, मजससे सूजन
कम हो जाती है।
बरगद क
े पत्ों को घी में चुपड़कर उनको गरम करक
े पैरों पर बांधने से गर्णवती
ममहलाओं की पैरों की सूजन दू र हो जाती है।
13. गर्ाणवस्था (प्रेग्नेंसी) क
े दौरान पैरों की सूजन में काले जीरे क
े काढे से पैरों को धोना
चामहए। इससे सूजन में लार् होता है |
अजवायन को पीसकर बारीक चूणण बना ले और मफर पैरों में धीरे-धीरे मलें।
सहज तिलीवरी क
े तलए
नीम की जड़ को कमर में बांधने से प्रसव तुरंत हो जाता है।
200 मम.ली. पानी में 50 ग्राम हरे या सूखे आंवलों को उबालें। जब 80 मम.ली. पानी शेष
रह जाए, तो इसे आंच पर से उतार लें। ठं डा होने पर इस पानी में शहद ममलाकर समय-
समय पर गर्णवती ममहला को मपलाते रहे। इससे मडलीवरी मबना कष्ट क
े होती है।
अमलतास क
े मछलकों क
े 5 ग्राम चूणण को 200 ग्राम पानी में औटाकर छान लें और
शक्कर ममलाकर गर्णवती स्त्री को मपला दें। प्रसव पीड़ा से आराम ममलता है।
बथुए क
े 10 ग्राम बीज को 500 ग्राम पानी में औटाएं , जब आधा रह जाए तो उतारकर
छान लें और प्रसूता को मपलाएं । प्रसव पीड़ा से आराम ममलकर बच्चा आसानी से हो जाता
है।
14. प्रसूता का बढा हुआ पेट
आंवला और हल्दी समान मात्रा में लेकर पहले हल्दी को र्ून लें। मफर दोनों का चूणण
बनाकर ममलाकर रख लें। 5-5 ग्राम चूणण सुबह-शाम क
ु छ मदनों तक सेवन करें। इससे पेट
मसक
ु ड़ कर सामान्य अवस्था में आ जाएगा।
मत्रफला और सेंधा नमक समान मात्रा में लेकर चूणण बनाकर रख लें। इसे 5 ग्राम मात्रा में
छह महीने तक मनयममत रूप से लेने से पेट की चबी दू र होती है।
पीपरर का चूणण बनाकर रखे लें। 4-5 ग्राम की मात्रा में इस चूणण का मनयममत सेवन करने
से र्ी प्रसूता का बढा हुआ पेट संक
ु मचत हो जाता है।
15.
16. प्रसव क
े बाद का मोटापा
प्रसव क
े 25 मदन बाद रोज सुबह पीपलामूल का चूणण 2 ग्राम मट्ठा में घोलकर मपयें।
एक चम्मच शहद एक मगलास पानी में ममलाकर रोज सुबह पीने से र्ी
मोटापा कम होता है।
जीरा, हींग, सेंधा नमक, मत्रकटु, मचत्रक और चव्य इन्हें समान मात्रा में लेकर चूणण बना लें।
इसे 5 ग्राम की मात्रा में सत्ू क
े साथ ममलाकर पीने से मडलीवरी क
े बाद का मोटापा कम
होता है।
पाररजात क
े पत्ों व मचत्रकमूल का क्वाथ बनाकर सौंफचूणण और हींग ममलाकर सेवन
करने से मोटापा दू र होता है। इसक
े अलावा खाने में जौ, पुराना चावल, मूंग, क
ु लथी,
अरहर, परवल, आंवला, छाछ, शहद आमद का उपयोग करें।
17. मेनोपॉज
मेनोपॉज क
े दौरान फाइटो एस्ट्रोजन लेना शुरू कर दें। फाइटो एस्ट्रोजन क
े
मुख्य स्रोत हैं – सोया, सोयाबीन का पनीर, सोया ममल्क, सोया आटा व
सोयाबीन की बमड़यां ।
खाने में बंदगोर्ी, फलीदार सखब्जयां व दालों का प्रयोग करें।
गर्ाणवस्था (प्रेग्नेंसी) का समथणन करने क
े मलए सूचना, स्वास्थ्य देखर्ाल और
सुरक्षा क
े सरल तरीक
े । मातृत्व क
े इस सफल सफर में हमारे साथ साझा
करें।
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