पेचिश (मरोड़ या आंव) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है| उस हालत में मल के साथ आंव या खून आने लगता है| यदि मरोड़ के साथ खून भी आए तो इसे रक्तातिसार कहते हैं| एक प्रकार का जीवाणु आंतों में चला जाता है जो पेचिश की बीमारी पैदा कर देता है| यह रोग पेट में विभिन्न दोषों के कुपित होने की वजह से हो जाता है|
कारण - यह रोग मक्खियों से फैलता है| रोग के जीवाणु रोगी के मल में मौजूद रहते हैं| जब कभी पेचिश का रोगी खुल में मॉल त्याग करता है तो उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं| वे उन जीवाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खुली हुई खाने-पीने की चीजों पर छोड़ देती हैं| फिर जो व्यक्ति उन वस्तुओं को खाता है, उनके साथ वे जीवाणु उसके पेट में चले जाते हैं| इस तरह उस व्यक्ति को भी पेचिश की बीमारी हो जाती है| यदि कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट में कुछ समय तक पड़ा रहता है तो वह सड़कर पाचन संस्थान में घाव पैदा कर देता है| इससे भी आंव का रोग हो जाता है|
पहचान - शुरू में नाभि के पास तथा अंतड़ियों में दर्द होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतों को काट रहा है| इसके बाद गुदा द्वार से पतला, लेसदार और दुर्गंधयुक्त मल बाहर निकलना शुरू हो जाता है| पेट हर समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल बहुत थोड़ी मात्रा में निकलता है जिसमें आंव और खून मिला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|
नुस्खे - पेचिश होने पर आधे कप अनार के रस में चार चम्मच पपीते का रस मिलाकर पिएं|
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Homemade Remedies for Dysentery (Torsion or Mucus) - 005
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जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले
अंतिड़ियो मे दर्दर्र, टीस या ऐंठन की िशिकायत हो तो
समझ लेना चािहए िक यह पेिचशि का रोग है| इस रोग
मे पेट मे िविकारो के कारण अंतड़िी के नीचे की तरफ कुछ
सूजन आ जाती है| उस हालत मे मल के साथ आंवि या
खून आने लगता है| यिदर् मरोड़ि के साथ खून भी आए तो
इसे रक्ताितसार कहते है| एक प्रकार का जीविाणु आंतो मे
चला जाता है जो पेिचशि की बीमारी पैदर्ा कर दर्ेता है|
यह रोग पेट मे िवििभन दर्ोषो के कुिपत होने की विजह से
हो जाता है|
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कारण - यह रोग मिक्खयो से फै लता है| रोग के
जीविाणु रोगी के मल मे मौजूदर् रहते है| जब कभी पेिचशि
का रोगी खुल मे मॉल त्याग करता है तो उस पर
मिक्खयां आकर बैठ जाती है| विे उन जीविाणुओ को अपने
साथ ले जाती है और खुली हुई खाने-पीने की चीजो पर
छोड़ि दर्ेती है| िफर जो व्यक्तिक्त उन विस्तुओ को खाता है,
उनके साथ विे जीविाणु उसके पेट मे चले जाते है| इस
तरह उस व्यक्तिक्त को भी पेिचशि की बीमारी हो जाती है|
यिदर् कच्चा और कम पचा भोजन भी पेट मे कुछ समय
तक पड़िा रहता है तो विह सड़िकर पाचन संस्थान मे घावि
पैदर्ा कर दर्ेता है| इससे भी आंवि का रोग हो जाता है|
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पहचान - शुर मे नािभ के पास तथा अंतिड़ियो मे दर्दर्र
होता है| लगता है, जैसे कोई चाकू से आंतो को काट रहा
है| इसके बादर् गुदर्ा द्वार से पतला, लेसदर्ार और
दर्ुगर्गंधयुक मल बाहर िनकलना शुर हो जाता है| पेट हर
समय तना रहता है| बार-बार पाखाना आता है| मल
बहुत थोड़िी मात्रा मे िनकलता है िजसमे आंव और खून
िमला होता है| कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|
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नुसखे - पेिचश होने पर आधे कप अनार के रस मे चार
चम्मच पपीते का रस िमलाकर िपएं|
• केले की फली को बीच से तोड़िकर उसमे एक चम्मच
कच्ची खांड़ि रखकर खाएं| एक बार मे दर्ो केले से अिधक न
खाएं|
• 10 ग्राम सूखा पुदर्ीना, 10 ग्राम अजवायन, एक
चुटकी सेधा नमक और दर्ो बड़िी इलायची के दर्ाने-इन
सबको पीसकर चूण र बना ले| सुबह-शाम भोजन के बादर्
एक-एक चम्मच चूण र मट्ठे या ताजे पानी के साथ ले|
• चार-पांच कालीिमचर मुख मे रखकर चूसे| थोड़िी दर्ेर
बादर् आधा िगलास गुनगुना पानी पी ले|
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• दर्ो चम्मच जामुन का रस और दर्ो श्म्म्च गुलाबजल
- दर्ोनो को िमलाकर उसमे जरा-सी खांड़ि या िमश्री
डालकर तीन-चार िदर्न तक िपएं|
• पुरानी पेिचश मे आधा चम्मच सोठ का चूण र गुनगुने
पानी के साथ ले|
• पेिचश रोग मे नीबू की िशकंजी या दर्ही के साथ
जरा-सी मेथी का चूण र बहुत लाभदर्यक है|
• सेब के िछिलके मे जरा-सी कालीिमचर डालकर
चटनी पीस ले| इस चटनी को सुबह-शाम भोजन के
बादर् सेवन करे|
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• सौंफ का पानी िदिनभर मे तीन-चार बार पीने से
काफी लाभ होता है|
• जामुन के पेड़ की छाल 25 ग्राम की मात मे लेकर
सुखा ले| िफर उसका काढ़ा बनाएं| ठंडा होने पर दिो
चम्मच शहदि िमलाकर पी जाएं|
• पुरानी पेिचश मे तीन-चार िदिन तक काली गाजर
का रस सुबह-शाम भोजन के बादि सेवन करे|
• आम की गुठली को सुखा ले| िफर उसमे से िगरी
िनकालकर पीसे| दिो चम्मच चूर्ण र दिही या मट्ठे के
साथ सेवन करे|
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• अजवायन, सूर्खा पूर्दिीना और बड़ी इलायची 10-
10 ग्राम लेकर चूर्ण र बना ले| भोजन के बादि आधा
चम्मच चूर्ण र पानी के साथ सेवन करे|
• खूर्नी पेिचश मे मट्ठे के साथ एक चुटकी जािवती
लेने से भी काफी लाभ होता है|
• अनारदिाता, सौंफ तथा धिनया - इन तीनो को
100-100 ग्राम की मात मे कूर्ट-पीसकर चूर्ण र बना
ले| िफर इसमे थोड़ी-सी िमश्री िमलाकर िदिनभर मे
चार
• नीम की सात-आठ कोपले िमश्री के साथ सेवन करे|
9. • रोज भोजन के बादि 1 ग्राम सफे दि राल का चूर्ण र
िमश्री िमलाकर ले|
• सौंफ का तेल 5-6 बूर्ंदिे एक चम्मच चीनी मे रोज
िदिन मे चार बार ले|
• एक कप गरम पानी मे 10 ग्राम बबूर्ल का गोदि डाल
दिे| थोड़ी दिेर बादि जब बबूर्ल फूर् ल जाए तो पानी मे
मथकर सेवन करे|
• कच्चे केले का रस एक चम्मच सुबह और एक चम्मच
शाम को जीरा था कालीिमचर के साथ सेवन करे|
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10. • एक चम्मच ईसबगोल की भूसी 250 ग्राम दूध मे
िभगो दे| जब भूसी फू ल जाए तो रात जरा-सी सोंठ
और जरा-सा जीरा िमलाकर सेवन करे|
• पुराने आंव को ठीक करने के िलए प्रतितिदन सुबह
िबना कुछ खाए-िपए दो चम्मच अदरक का रस
जरा-सा सेधा नमक डालकर सेवन करे|
• 20 ग्राम िफटकिकरी और 3 ग्राम अफीम पीसकर
िमला ले| इसमे से दो रत्ती दवा सुबह-शाम पानी के
साथ ले|
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11. छोटकी हरड़ का चूण र घी मे तल ले| िफर वह चूण र एक
चुटककी और 4 ग्राम सौंफ का चूण र िमलाकर दे|
कया खाएं कया नही - बासी भोजन, िमचर-मसालेदार
पदाथर, देर से पचने वाली चीजे, चना, मटकर, मूंग
आिद का सेवन न करे| वायु बनाने वाले पदाथर खाने
से भी पेिचश मे आराम नही िमलता| अत: बेसन,
मेदा, आलू, गोभी, टकमाटकर, बैंगन, िभण्डी, करेला,
िटकण्डे आिद नही खाना चािहए| रोगी को भूख लगने
पर मट्ठे के साथ मूंग की दाल की िखचड़ी दे| पानी मे
नीबू िनचोड़कर िदनभर मे चार िगलास पानी िपएं|
इससे पेिचश के कारण होने वाली पेटक की खुश्की दूर
होती रहेगी| भोजन के साथ पतला दही, छाछ, मट्ठा
आिद अवश्य ले|
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सुबह-शाम खुली हवा मे टकहले| स्नान करने से पहले
सरसों या ितली के तेल की शरीर मे मािलश अवश्य करे|
रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी एक
चम्मच की मात्रा मे लेने से सुबह सारा आंव िनकल
जाता है|
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