बहरापन के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
बहरापन एक गंभीर रोग है| इससे छुटकारा पाने के लिए तुरंत ही उपचार करना चाहिए| यह बीमारी कमजोर लोगों तथा असामान्य मस्तिष्क वाले व्यक्तियों को अधिक होती है| इस बीमारी होते ही उसके कारणों को जानकर ही उचित उपचार करना चाहिए|
कारण - बहरेपन की बीमारी शारीरिक कमजोरी, स्नायु सम्बंधी गड़बड़ी तथा आंतों की खराबी के कारण होती है| वैसे सामान्यत: कान तथा मस्तिस्क में ठंड लगने, कान के पास तेज ध्वनि में बोलने, तीव्र बाजा बजने, सीटी की तीव्र आवाज, स्नायु की कमजोरी, स्नान करते समय कान में पानी चले जाने, कान में कड़ा मैल जमने, भीतरी परदे में चोट लगने, कान के बहने आदि के कारण कान से सुनाई देना बंद हो जाता है| कभी-कभी तेज दवा के प्रभाव से भी कान में बहरापन आ जाता है|
पहचान - बहरेपन के कारण सुनने की शक्ति क्षीण हो जाती है या फिर बिलकुल सुनाई नहीं देता| कान में हर समय सूं-सूं की आवाज आती रहती है| कभी-कभी रुक-रूककर आवाजें आने लगती हैं| जिस व्यक्ति के कान का ध्वनि परदा क्षतिग्रस्त हो गया हो, उसे चीखने-चिल्लाने की आवाज भी सुनाई नहीं देती|
नुस्खे - तुलसी के पतों का रस सरसों के तेल में मिलाकर गरम करके कान में डालें|
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Homemade Remedies for Deafness - 025
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बहरापन एक गंभीर रोग है| इससे छुटकारा पाने के
िलिए तुरंत ही उपचार करना चािहए| यह बीमारी
कमजोर लिोगो तथा असामान्य मिस्तष्क वालिे व्यक्तिक्तियो
को अिधिक होती है| इस बीमारी होते ही उसके कारणो
को जानकर ही उिचत उपचार करना चािहए|
कारण - बहरेपन की बीमारी शारीिरक कमजोरी, स्नायु
सम्बंधिी गड़बड़ी तथा आंतो की खराबी के कारण होती
है| वैसे सामान्यत: कान तथा मिस्तस्क मे ठंड लिगने,
कान के पास तेज ध्विन मे बोलिने, तीव बाजा बजने,
सीटी की तीव आवाज, स्नायु की कमजोरी, स्नान करते
समय कान मे पानी चलिे जाने, कान मे कड़ा मैलि जमने,
भीतरी परदे मे चोट लिगने, कान के बहने आिद के कारण
कान से सुनाई देना बंद हो जाता है|
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कभी-कभी तेज दवा के प्रभाव से भी कान मे बहरापन
आ जाता है|
पहचान - बहरेपन के कारण सुनने की शक्ति कक क्षीण हो
जाती है या िफिर ि कबलकुल सुनाई नही देता| कान मे हर
समय सूं-सूं की आवाज आती रहती है| कभी-कभी रुक-
रूककर आवाजे आने लगती है| ि कजस व्यक्ति कक के कान का
ध्वि कन परदा क्षि कतग्रस्त हो गया हो, उसे चीखने-ि कचल्लाने
की आवाज भी सुनाई नही देती|
नुस्खे - तुलसी के पतो का रस सरसो के तेल मे ि कमलाकर
गरम करके कान मे डाले|
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• सरसो के तेल मे थोड़े-से धनि कनया के दाने डालकर आग
पर पकाएं| जब तेल जलकर आधना रह जाए तो उसे
छानकर बूंद-बूंद कान मे डाले|
• कान मे सफिे द प्याज के अर्कर को िदन मे तीन बार
डालते रहे| दो-तीन माह के बाद बहरापन कम होने
लगता है|
• एक चुटकी हीरा हीग लेकर बकरी, घोड़ी या गाय के
दूधन मे अर्च्छी तरह ि कमलाकर कान मे दो बार डाले|
• लहसुन की सात-आठ पूि कतयो को छीनकर 100 ग्राम
ि कतली या सरसो के तेल मे पकाएं| इस तेल को छानकर
कांच की शक्तीशक्ती मे भरकर रख ले| यह तेल बूंद-बूंदकर
कान मे डाले|
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• सरसो के तेल मे थोड़ा-सा मूली का रस िमलाकर कान
मे बूंद-बूंद डालने से बहरापन दूर होता है|
• बेल के पत्तो का रस चम्मच तथा अनार के पत्तो का रस
एक चम्मच-दोनो को िमलाकर 100 ग्राम सरसो के तेल
मे पकाएं| जब तेल आधा रह जाए तो आंच पर से उतार-
छानकर शीशी मे रख ले| इस तेल को कान मे िनयमिमत
रूप से डाले|
• कान के कुछ िदनो तक लगातार दालचीनी का तेल
डालने से भी काफी लाभ होता है|
िफटकिकरी के फू ले का चूण र सरसो के तेल मे िमलाकर
कान मे डाले|
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िनदेश - स्नान करते समयम कान मे साबुन का पानी
यमा सादा पानी न जाने दे| कान के परदे बहुत
कमजोर होते है| पानी उनको संक्रमिमत करके
बहरापन ला सकता है|
• छोटके बच्चो तथा यमुवको को नदी, तालाब, झरने
आिद के पानी मे नहाने की आज्ञा नही देनी
चािहए|
• घर मे अिधक ऊं ची आवाज मे टकी.वी. नही देखना
चािहए| तीव ध्विन कानो के संवेदनशील परदो को
चोटक पहुंचा सकती है| िजसके कारण व्यक्तिक बहरा
हो सकता है|
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• िचिकिकित्सकि किी सलाह किे िबिना किानो मे तेल
या अन्य प्रकिार किी दवा नही डालनी चिकािहए|
किानो किो संक्रमिमत किरने वाले पदाथो से भी
बिचिकाना चिकािहए|
• किान मे तकिलीफ होने पर तुरन्त िकिसी योग्य
वैद या डॉक्टर किो िदखाएं| यिद डॉक्टर किोई
रोग बिताए तो उसकिा इलाज तुरन्त शुर किर
देना चिकािहए|
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क्या खाएं क्या नही - किान मे बिहरेपन किे िलए किोई
िवशेष भोजन लेने किी जररत नही है| प्रितिदन ताजा,
सुपाच्य तथा रुचिचिककिर भोजन किरे| सुबिह उठकिर एकि
िगलास पानी मे नीबिू िनचिकोड़किर िपएं| िसर किो
शीतलता पहुंचिकाने वाले तेल किी मािलश किरते रहे| यिद
किान मे खुजली होती हो तो उसे सीकि से न किुरेदकिर
किेवल ऊँ गली से खुजली किर ले| गरम मसालो से युक
भोजन न किरे| धूप मे अिधकि देर तकि किायर न किरे| किान
किे भीतर धूप किी गरमी पहुंचिकने से परदो किो नुकिसान
होता है| प्रात:किाल उठकिर शुद वायु मे टहले|