कान का दर्द के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
कान में दर्द प्राय: बच्चों तथा प्रौढ़ों को हो जाता है| इस रोग में रोगी को बहुत तकलीफ होती है| कान में सूई छेदने की तरह रह-रहकर पीड़ा होती है| यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब कान के परदे या भीतरी भाग में कोई कीटाणु चला जाता है या ठंडी वायु का प्रकोप हो जाता है| इससे कान के परदे या भीतरी भाग पर सूजन आ जाती है| यही सूजन दर्द का कारण बनती है|
कई बार बैठे-बैठे अचानक कान में दर्द होने लगता है| यह दर्द कान के भीतरी रक्त की रुकावट या परदे पर आघात लगने के कारण होता है| कुछ स्त्री-पुरुषों की आदत होती है कि वे चिमटी, पेंसिल या सलाई से जब-तक कण कुरेदने बैठ जाते हैं| ऐसा करने से कान का भीतरी भाग छिल जाता है जो वायु के वेग से प्रभावित होकर दर्द करने लगता है| इसलिए कान कियो हर समय कुरेदने या सींक-सलाई डालने से बचना चाहिए|
कारण - कान में ठंड लगने, कान को बार-बार कुरेदने, पानी के अचानक परदे पर चले जाने, चोट लगने, कान में मैल हो जाने या फुन्सी निकल आने, कान में सूजन हो जाने, चर्म रोग आदि कारणों से कान में असहनीय दर्द हो जाता है| कान बहने के कारण भी कभी-कभी दर्द की शिकायत हो जाती है| तपेदिक, पुराना जुकाम, कान में गंदा पानी या कीड़े के चले जाने, खसरा, काली खांसी आदि के कारण कान में प्रदाह या दर्द हो जाता है|
पहचान - दर्द के कारण रोगी की बेचैनी बढ़ जाती है| कान में भारीपन, शूल, सिर में दर्द, पलकों पर सूजन या भारीपन, कान के भीतर-बाहर सूजन, सर्दी के साथ बुखार, कान में धूं-धूं के शब्द आदि व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं| रोगी की सुनने की शक्ति कम हो जाती है| कई बार कान से रक्त बहने लगता है| कान से श्लेष्मा, पीव आदि निकलने लगती है| काई बार कान के बहने के कारण भीतर से गुनगुन की आवाज आने लगती है| दिमाग में कमजोरी आ जाती है|
नुस्खे - 25 ग्राम सरसों के तेल में 5
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Homemade Remedies for Earache - 021
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कान मे दर्दर्र प्राय: बच्चो तथा प्रौढ़ो को हो जाता है| इस
रोग मे रोगी को बहुत तकलीफ होती है| कान मे सूई
छेदर्ने की तरह रह-रहकर पीड़ा होती है| यह ितिस्थितित तब
उत्पन होती है, जब कान के परदर्े या भीतरी भाग मे
कोई कीटाणु चला जाता है या ठंडी वायु का प्रकोप हो
जाता है| इससे कान के परदर्े या भीतरी भाग पर सूजन
आ जाती है| यही सूजन दर्दर्र का कारण बनती है|
कई बार बैठे-बैठे अचानक कान मे दर्दर्र होने लगता है|
यह दर्दर्र कान के भीतरी रक की रुकावट या परदर्े पर
आघात लगने के कारण होता है| कुछ स्त्री-पुरुषो की
आदर्त होती है िक वे ितिचमटी, पेितिसल या सलाई से जब-
तक कण कुरेदर्ने बैठ जाते है|
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ऐसा करने से कान का भीतरी भाग ितिछल जाता है जो
वायु के वेग से प्रभाितिवत होकर दर्दर्र करने लगता है|
इसितिलए कान िकयो हर समय कुरेदर्ने या सींक-सलाई
डालने से बचना चाितिहए|
कारण - कान मे ठंड लगने, कान को बार-बार कुरेदर्ने,
पानी के अचानक परदर्े पर चले जाने, चोट लगने, कान
मे मैल हो जाने या फु न्सी ितिनकल आने, कान मे सूजन हो
जाने, चमर रोग आिदर् कारणो से कान मे असहनीय दर्दर्र
हो जाता है| कान बहने के कारण भी कभी-कभी दर्दर्र की
ितिशिकायत हो जाती है| तपेिदर्क, पुराना जुकाम, कान मे
गंदर्ा पानी या कीड़े के चले जाने, खसरा, काली खांसी
आिदर् के कारण कान मे प्रदर्ाह या दर्दर्र हो जाता है|
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पहचान - दर्दर्र के कारण रोगी की बेचैनी बढ़ जाती है|
कान मे भारीपन, शूल, िसिर मे दर्दर्र, पलको पर सिूजन या
भारीपन, कान के भीतर-बाहर सिूजन, सिदर्ी के सिाथ
बुखार, कान मे धूं-धूं के शब्दर् आदिदर् व्यािधयां उत्पन हो
जाती है| रोगी की सिुनने की शिक कम हो जाती है| कई
बार कान सिे रक बहने लगता है| कान सिे श्लेष्मा, पीव
आदिदर् िनकलने लगती है| काई बार कान के बहने के
कारण भीतर सिे गुनगुन की आदवाज आदने लगती है|
िदर्माग मे कमजोरी आद जाती है|
नुसखे - 25 ग्राम सिरसिो के तेल मे 5 ग्राम फू ली
िफटकिकरी तथा 5 ग्राम िपसिी हल्दर्ी िमलाकर आदंच पर
अच्छी तरह पका ले| िफर उसिे छानकर कान मे बूंदर्-बूंदर्
टकपकाएं|
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तीन-चार िदर्नो मे कान के सिभी रोग दर्ूर हो जाएंगे|
• िदर्न मे दर्ो बार प्याज का रसि कान मे टकपकाएं| इसिके
बादर् जरा-सिा िफटकिकरी का जल डाले| िफर कान को
नीचे करके दर्ोनो बहा दर्े|
• आदम के हरे बौर को पीसिकर रसि िनकाल ले| इसि रसि
को थोड़े-सिे सिरसिो के तेल के सिाथ िमलाकर कान मे बूंदर्-
बूंदर् टकपकाएं|
• सिरसिो के तेल मे दर्ो बूंदर् अमृतधारा िमलाकर कान मे
डाले|
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• कान के दर्दर्र तथा घाव को ठीक करने के िलए माताएं
प्राय: अपना दर्ूध बच्चो के कानो मे डालती है|
• कान मे दर्ो-तीन बूंदर् गोमूत डालने सिे भी कान का दर्दर्र
जाता रहता है|
• सिुदर्शरन वृक के पत्तो का रसि िनकालकर उसिमे जरा-सिा
घी िमलाकर कान मे डाले|
• िसिरसि के पत्तो को पीसि-गरम कर एक पोटकली मे रखे|
िफर इसिसिे कान की सिेकाई करे|
• गुलाब की पित्तयो का रसि िनकालकर कान मे डाले|
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• ग्वारपाठे के गूदे का रस िनिकालकर गरम करे| िफिर
उसे गुनिगुनिा करके कानि मे डाले|
• िमट्टी के सकोरे को कंडे की आंच मे गरम करे| िफिर
उसमे गोमूत डाले| इससे गोमूत गरम हो जाएगा| इसको
सहता-सहता कानि मे डाले|
• लहसुनि का तेल कानि के ददर को तुरन्त दूर कर देता है|
• 50 ग्राम सरसो के तेल मे दो चम्मच मूली का रस
िमला ले| िफिर इसे आग पर पकाएं| रस जलनिे के बाद
जब तेल शेष रह जाए तो इसे निीचे उतारकर सहता-
सहता कानि मे डाले|
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• चार लौंग, थोड़ा-सा अनिार का फिू ल, 4 ग्राम सुहागे
की खील तथा 2 ग्राम कस्तूरी-सबको बादाम के रस मे
घोटकर आग पर गरम कर ले| िफिर छानिकर शीशी मे
भर ले| इसमे से दो-दो बूंद तेल कानि मे डाले| कानि की
हर प्रकार की बीमारी के िलए यह रामबाण निुस्खा है|
• आम के पत्तो पर तेल लगाकर गरम करके कानि पर
बांधे|
• कानि मे अदरक का रस गुनिगुनिा करके डालनिे से ददर
कम हो जाता है|
• चंदनि का तेल कानि मे डालनिे से कानि का ददर जाता
रहता है|
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• सुहागा पीसकर उसमे थोड़ा-सा निीबू का रस िमलाएं|
इस रस को रोज दो बार कानि मे डाले|
• सरसो के तेल मे एक चम्मच अजवायनि डालकर आग
पर पकाएं| जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो उसे निीचे
उतारकर छानि ले| इस तेल को कानि मे बूंद-बूंद करके
िदनि मे तीनि बार डाले|
• िपसी हल्दी को सरसो के तेल मे डालकर पकाएं| जब
तेल अच्छी तरह पक जाए तो छानिकर कानि मे डाले|
• इमली के पत्तो को सरसो के तेल मे पका ले| िफिर तेल
को छानिकर कानि मे डाले|
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• जामुन की गुठली की िगरी को पीसकर सरसो के तेल
मे डालकर पकाएं| िफिर इस तेल को छानकर बूंद-बूंद
कान मे डाले|
• दो किलयां नीम, चार-पांच िनबौली तथा दो लौंग -
सबको सरसो के तेल मे पकाएं| जब तेल अच्छी तरह पक
जाए तो उसे छानकर कान मे डाले|
• बेल का तेल, नीम का तेल, लहसुन का तेल तथा
सप्तगुण तेल िमलाकर कान मे डाले|
एरंड व सरसो का तेल गरम करके कान मे डाले|
कया खाएं कया नही - भोजन सादा, हल्का तथा शीघ
पचने वाला खाएं|
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दालो मे अरहर, उरद, मलका आदिद का प्रयोग न करे|
तरोई, लौकी, सेम, टमाटर, पालक, मूली आदिद की
सिब्जयां बहुत लाभदायक है| घी, दूध तथा मौसमी
फिलो का सेवन करते रहे| पेट मे कब्ज न बनने दे| यिद
िकसी कारणवश कब्ज की िशकायत हो तो उसे दूर करने
के िलए पपीता, एरंड का तेल या छोटी हरड़ का चूणर
उिचत माता मे ले| पेट को साफि करने वाली कोई भी
तेज दवा नही लेनी चािहए| कान मे सलाई या सीक से
सफिाई न करे| िपचकारी से कान को धोकर दवा डालने
से काफिी लाभ होता है|