खांसी (कास) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं नहीं वरन् यह दूसरे रोगों का लक्षण मात्र है| खांसी पांच प्रकार की होती है - तीन प्रकार की खांसी वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से, चौथी कीड़ों में उत्पन्न होने से और पांचवीं टी.बी. रोग से| यदि खांसी का इलाज समय पर नहीं किया जाता तो यह जीर्ण या स्थायी बन जाती है| सूखी खांसी में दूध-घी के सेवन से कोई हर्ज नहीं है किन्तु यदि बलगमी खांसी है तो कफ बनाने वाली चीजें खानी चाहिए| यदि खांसी के साथ कब्ज भी हो तो सबसे पहले उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए| इसके लिए पेट साफ़ करने वाली दवा ली जा सकती है| सनाय की पत्तियों का चूर्ण पेट साफ करने के लिए देती थीं| एरंड का तेल भी पेट साफ कर देता है|
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Homemade Remedies for Cough - 037
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खांसी अपने आप मे कोई रोग नही नही वरन् यह दूसरे
रोगो का लक्षण मात है| खांसी पांच प्रकार की होती है -
तीन प्रकार की खांसी वात, िपत और कफ के िबिगड़ने से,
चौथी कीड़ो मे उत्पन होने से और पांचवी टी.बिी. रोग
से| यिद खांसी का इलाज समय पर नही िकया जाता तो
यह जीणर या स्थायी बिन जाती है| सूखी खांसी मे दूध-घी
के सेवन से कोई हजर नही है िकन्तु यिद बिलगमी खांसी है
तो कफ बिनाने वाली चीजे खानी चािहए| यिद खांसी के
साथ कब्ज भी हो तो सबिसे पहले उसे दूर करने की
कोिशिशि करनी चािहए| इसके िलए पेट साफ़ करने वाली
दवा ली जा सकती है| सनाय की पितयो का चूणर पेट
साफ करने के िलए देती थी| एरंड का तेल भी पेट साफ
कर देता है|
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कारण - खांसी का रोग प्राय: सदी, न्यूमोिनया,
तपेिदक (टी.बिी.), दमा, ब्रोकाइिटस तथा िजगर की
खराबिी से हो जाता है| वायु नली मे कब्ज या ठंडी हवा
लगने आिद के कारण कफ बिन जाता है| धुआं, धूल आिद
के गले मे चले जाने से भी स्नायुओ मे गड़बिड़ी हो जाती है
और खांसी बिन जाती है| यह रोग गले तथा फे फड़ो के
िवकारो से होता है| ठंड लगने पर पहले जुकाम की
िशिकायत होती है और जुकाम िनकलते ही खांसी को
दौर शिुर हो जाता है| छाती मे जमा कफ बिाहर
िनकालने के िलए खांसना पड़ता है|
पहचान - सूखी खांसी मे कफ नही िनकलता| इसमे
रोगी की छाती पर जकड़न होती है|
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लेकिकिन यदिद खांसी तर है तो खांसनेक किेक बाद बलगम
िनकिलता है| जब तकि बलगम यदा किफ बाहर नही िनकिल
जाता, तकि तकि चैन नही िमलता| यदिद खांसी किी अवधिध
लम्बी रहती है तो उसेक किाली खांसी किहतेक है|
नुसखेक - अदरकि किो किुचलकिर एकि चम्मच रस िनकिाल
ले| िफर उसमे थोड़ा-सा शहद िमलाकिर सुबह-शाम
चाटनेक सेक हर प्रकिार किी खांसी मे आराम िमलता है|
• एकि चम्मच आंवधलेक किेक चूर्ण र मे शहद िमलाकिर िदन मे
तीन बार सेकवधन किरनेक सेक भी खांसी मे लाभ होता है|
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• चार चम्मच मौसमी किेक रस मे आधा किप गरम पानी
िमलाएं| िफर उसमे जीरा तथा सोंठ किा चूर्ण र आधा-
आधा चम्मच िमलाकिर पी जाएं|
• मक्केक किा भुट्टा जलाकिर उसकिी राख पीस ले| िफर उसमे
जरा-सा सेधा नमकि िमलाएं| उसेक रोज आधेक चम्मच किी
मात्रा मे गरम पानी किेक साथ िदन मे चार बार ले|
• नीम किी पित्तियदों किो सुखाकिर चूर्ण र बना ले| चौथाई
चम्मच चूर्ण र शहद किेक साथ सेकवधन किरे|
• पीपल किेक पेकड़ किेक तनेक किी छाल सुखाकिर पीस ले| िफर
आधा चम्मच चूर्ण र मे शहद िमलाकिर िदन मे तीन बार
चाटे|
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• लहसुन किा रस आधा चम्मच शहद किेक साथ सेकवधन किरे|
• देकशी घी मे सेधा नमकि िमलाकिर छाती पर धीरेक-धीरेक
मले| सारा बलगम िनकिल जाएगा|
• सूर्खी खांसी दूर्र किरनेक किेक िलए दूर्ध मे पांच पीपल किा
चूर्ण र डालकिर गरम किरे| िफर उसमे खांड़ डालकिर सुबह-
शाम िपएं| यदह किुकिुर खांसी किेक िलए भी उपयदोगी नुसखा
है|
• चार चम्मच गेकहूं किी छानन एकि किप पानी मे औटाएं|
आधा किप रह जानेक पर छानकिर पी ले|
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• अनार का िछिलका सुखाकर पीस ले| इसमे लौंग का
चूर्ण र आधा चम्मच िमलाएं| नुस्खे को आधे चम्मच की
मात्रा मे शहद के साथ सुबह-शाम चाटे|
• चने की दाल के बराबर िफिटिकरी का सेवन गरम पानी
से िनत्य दो बार करने पर कुकुर खांसी जाती रहती है|
• कालीिमचर, अदरक, तुलसी के पत्ते तथा लौंग की चाय
बनाकर सुबह-शाम िपएं| इससे खांसी, सदी, जुकाम व
िसर का ददर ठीक हो जाता है|
• सादे पान के पत्ते पर चौथाई चम्मच अजवायन रखकर
पान को धीरे-धीरे चूर्से| अवश्य लाभ होगा|
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• छिोटी इलायची भूर्नकर चूर्ण र बना ले| दो रत्ती चूर्ण र
शहद के साथ ले|
• मकोय का साग पकाकर खाने से कुछि िदनो मे खांसी
चली जाती है|
• ग्वारपाठे का रस आधा चम्मच, चौथाई चम्मच िपसी
हुई कालीिमचर तथा चौथाई चम्मच सोठ - सबको शहद
मे िमलाकर सुबह-शाम चाटे|
• आधा चम्मच िपसी हुई हल्दी को पानी मे डालकर
उबाल ले| िफिर आधा कप उक पानी मे जरा-सा नमक
डालकर सेवन करे|
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• गुदा मे िदन मे चार बार सरसो का तेल लगाने से
खांसी ठीक होती है|
• आम की गुठिलयो का रेशा जलाकर भस्म बना ले| एक
चम्मच भस्म शहद मे िमलकर कुछि िदनो तक सुबह-शाम
सेवन करे|
• केले के पत्तो को सुखाकर भस्म बना ले| आधा चम्मच
की मात्रा मे वह भस्म शहद के साथ सेवन करे|
• 5 ग्राम कालीिमचर और 5 ग्राम मुलहठी - दोनो को
पीसकर चूर्ण र बना ले| इस चूर्ण र को गुड़ मे िमलाकर खाएं|
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• चार लौंगो को आधा कप पानी मे उबाले| जब पानी
चौथाई कप रह जाए तो छानकर सुबह-शाम िपएं|
• खजूर खाने से सूखी खांसी दूर हो जाती है|
• अमरूद के पत्तो को जलाकर भस्म बना ले| चौथाई
चम्मच भस्म शहद मे िमलाकर िदन मे तीन बार चाटे|
• बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी गायब
हो जाती है|
• एक रत्ती कपूर को गुड़ मे िमलाकर िदन मे तीन बार
सेवन करे|
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• पुरानी खांसी दूर करने के िलए शलजम की सब्जी कुछ
िदनो तक सुबह-शाम लगातार खाएं|
• बकर के दूध मे एक चम्मच िपसी हल्दी िमलाकर
सुबह-शाम िपएं|
कया खाएं कया नही - खांसी के रोग मे ठंडे एवं कड़वे
पदाथर जैसे मेथी, करेला, नीबू, सेब आिद न खाएं| खीर,
मका की रोटी, चावल, चने, लोिबया आिद का सेवन
भी न करे|
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अनार, संतरा, नाशपाती आिद भी नही खाना चािहए|
वैसे कुछ ठंडी चीजो मे पपीता, आंवले का रस (बहुत
कम मात्रा मे), प्याज का रस, लहसुन, मुरब्बा, गुलकंद
आिद लाभकारी है|
सामान्य रूप से मसूर व अरहर की दाल, चपाती,
शलजम, गाजर, चाय आिद लेनी चािहए| भूख से एक
रोटी कम खाएं| िदनभर गुनगुना पानी िपएं| दूध, दही,
रबड़ी, बंगाली या खोए की िमठाई नही खानी चािहए|
मांस, मछली, अंडा आिद से भी परहेज रखे| भोजन
पौिष्टिक तथा सुपाच्य होना चािहए| रात को सोते समय
पैर के तलवो पर सरसो का तेल मले| इससे नीद भी
अच्छी जाएगी और खांसी मे भी आराम िमलेगा|