पसलियों में दर्द के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
यह रोग तब होता है, जब व्यक्ति अधिक ठंडी चीजों तथा फ्रिज में रखे पानी का इस्तेमाल हर समय करता है| वैसे यह खतरनाक रोग नहीं है लेकिन दर्द शुरू होने पर रोगी को अपार कष्ट का सामना करना पड़ता है| फेफड़ों में कफ जाने से या फेफड़ों में सर्दी का प्रकोप होने से वायु का उभार तेज हो जाता है और सांस की गति गड़बड़ा जाती है| वायु बार-बार पसलियों से टकराती हैं तथा कफ उसके निकलने के मार्ग को रोकता है, अत: पसलियों में हड़कन होने लगती है| यही पसलियों का दर्द है|
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Homemade Remedies for Pain in Ribs - 040
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यह रोग तब होता है, जब व्यक्ति अक अधि अधिक ठंडी
चीजो तथा िज फ्रिज मे रखे पानी का इस्तेमाल हर
समय करता है| वैसे यह खतरनाक रोग नही है
लेिज कन दर्दर्र शुर होने पर रोगी को अधपार कष का
सामना करना पड़ता है| फे फड़ो मे कफ जाने से या
फे फड़ो मे सदर्ी का प्रकोप होने से वायु का उभार
तेज हो जाता है और सांस की गि अत गड़बड़ा जाती
है| वायु बार-बार पसि अलयो से टकराती है तथा
कफ उसके ि अनकलने के मागर को रोकता है, अधत:
पसि अलयो मे हड़कन होने लगती है| यही पसि अलयो
का दर्दर्र है|
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कारण - पसि अलयो मे वायु का प्रकोप, बफर , ठंडा
पानी, लौकी, तरबूज, खीरा, सेब, नारंगी, संतरा,
केला एवं अधनार मात्रा मे खाने तथा बासी और
ठंडा दर्ूधि अधि अधिक मात्रा मे पीने से पसि अलयो मे दर्दर्र
होने लगता है| यह रोग बच्चो को अधि अधिक होता है,
क्योिज क उनके नाजुक शरीर को ठंड बड़ी जल्दर्ी
लगती है| मौसम मे अधचानक बदर्लने तथा धिूप मे
काम करने के बादर् बफर का पानी पी लेने से भी
फे फड़ो को ठंड लग जाती है| यही ठंड पसि अलयो की
पीड़ा के रप मे पिरवितत हो जाती है|
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पहचान - रोगी का हाथ बार-बार पसलिलियो पर
जाता है| सलांसल धौंकनी की तरह चलिने लिगती है|
भूख-प्यासल िबलिकुलि नही लिगती| हाथ-पैर ढीलिे
पड़ जाते है|कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|
बेचैनी बढ़ जाती है| उठते-बैठते, लिेटते अथवा
करवट लिेते - िकसली भी प्रकार चैन नही िमिलिता|
यिद बच्चा है तो वह बार-बार उठकर भागता है|
मिाथे पर पसलीना, गलिे मिे खुश्की तथा शरीर की
हरकत बढ़ जाती है|
नुसखे - रोगी की पसलिलियो की सलेकाई रुई के फाहे
सले करनी चािहए|
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• सलरसलो के तेलि मिे तारपीन का तेलि िमिलिाकर थोड़ी-
थोड़ी देर बाद रोगी की पसलिलियो पर मिािलिश करनी
चािहए|
• सलरसलो के तेलि मिे जरा-सला कपूर तथा एक चुटकी नमिक
िमिलिाकर गरमि करके सलहता-सलहता मिलिे|
• पीपलि के पत्तो को जलिाकर इसलका चौथाई चम्मिच
भसमि शहद के सलाथ चाटने सले पसलिलियो मिे गरमिी भरने
लिगती है|
• नीमि की पित्तयो को जलिाकर उसलकी दो चुटकी राख
शहद या गरमि पानी के सलाथ रोगी को दे|
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• गाय या नीलिगाय के सलीग का भसमि 4-4 रत्ती सलुबह-
शामि शहद के सलाथ चाटे| पसलिलियो का ददर गायब हो
जाएगा|
• गाय के सलीग को पानी मिे िघिसलकर चंदन की तरह बच्चे
या बड़े की पसलिलियो पर मिलिे|
• चार पत्ते तुलिसली, दो कालिीिमिचर तथा दो लिौंग का काढ़ा
िपएं|
• अदरक, तुलिसली तथा कालिीिमिचर का काढ़ा बनाकर
उसलमिे एक चुटकी सलेधा नमिक िमिलिाकर सलेवन करे|
• लिहसलुन की पूती को भूनकर चूण र के रूप मिे शहद के
सलाथ चाटे|
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• चौलाई को पीसकर उअका रस िनिकाल ले| िफिर उसे
सरसो के तेल मे िमलाकर छाती तथा पसिलयो पर मले|
निाक के निथुनिो एवं माथे पर भी इस तेल को मले|
• तारपीनि के सफिे द तेल मे थोड़ा-सा कपूर िमलाकर
थोड़ी-थोड़ी देर बाद पसिलयो को मले|
• सीनिे तथा पसिलयो पर शुद शहद का लेप लगाएं|
• एक िगलास पानिी मे थोड़ा-सा शहद घोलकर रोगी को
िदनि मे तीनि बार िपलाएं|
• पानिी मे हींग घोलकर बच्चे को िपलाएं|
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• अदरक की गांठ छीलकर उसमे निमक लगा ले| िफिर
इसे रोगी को चूसनिे के िलए दे|
• पानिी मे पुदीनिा की पांच पित्तियां तथा पांच कालीिमचर
डालकर चाय बनिाकर िपएं|
• पानिी मे लहसुनि तथा चार लौंगे डालकर काढ़ा बनिाकर
सेवनि करे|
• अमरूद के पत्तिो का भस्म 4 ग्राम शहद या गरम पानिी
से सेवनि करे|
• पानिी मे बादाम िघसकर छाती तथा पसिलयो पर
लगाएं| बादाम और कालीिमचर का छौंका िपएं|
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• सेब के िछलको को पानिी मे उबाल-छानिकर िपएं|
• गाय के घी मे जायफिल िघसकर पसिलयो पर तीनि-
चार बार लेप करे|
• रीठे के काले बीजो को पानिी मे िघसकर छाती पर लेप
करे|
• सोठ तथा गुड़ (6-6 ग्राम) का काढ़ा बनिाकर िपएं|
• कालीिमचर 6 ग्राम, लौंग 3 ग्राम, हल्दी 6 ग्राम एवं
सेधा निमक 4 ग्राम - सबको पीसकर एक िगलास पानिी
मे उबाले| जब पानिी आधा कप रह जाए तो सहता-
सहता िपएं|
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• राई को शहद मे िमलाकर छाती पर मले तथा चाटे
भी|
• िचरायता, सोंठ एवं कटेरी की जड़ - सब 10-10 ग्राम
लेकर काढ़ा बना ले| िफिर इसमे शहद िमलाकर िदन मे
तीन-चार बार िपएं|
• तुलसी के बीज 3 ग्राम, कालीिमचर 3 ग्राम, लौंग 2
ग्राम, यूकिकिलप्टस के पत्ते दो नग तथा अदरक एक गांठ -
सबकी चटनी बनाकर उसे गुनगुने पानी के साथ िदनभर
मे तीन बार खाएं|
• सोंठ, पीपल, कालीिमचर तथा लौंग - सभी 5-5 ग्राम
लेकर चूकण र बना ले| इसमे से 4 ग्राम चूकण र शहद के साथ
िदनभर मे दो-चार बार चाटे|
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कया खाएं कया नही - यिद बच्चे की पसली
चलती हो तो उसे गाय या बकरी का दूकध, चपाती,
मूकंग की दाल, तरोई, पालक, चौलाई, मेथी एवं
शलजम की सिब्जयां िखलाएं| बफिर , िफ्रिज का
पानी, आइसक्रीम, कोकाकोला आिद भूकलकर भी न
दे| भोजन करने के बाद बच्चे को थोड़ी देर धूकप मे
बैठने का िनदेश दे| बड़ों की पसली चलने पर वे
ठंडी सिब्जयों तथा ठंडी तासीर वाले पदाथो से दूकर
रहे| अरहर तथा मलका की दाल, छोले, चावल,
पुलाव आिद का सेवन न करे|
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दही, केला, अनार, मछली तथा अंडे से परहेज करे|
दोपहर को शरीर मे सरसों के तेल की मािलश करने के
बाद स्नान करे| जाड़े के िदनों मे थोड़ी देर तक धूकप मे
बैठे| धूकप शरीर को खाद और उजार प्रदान करती है| पेट
तथा त्वचा मे पनपने वाले जीवाण ु मर जाते है| कफि
बनाने वाले पदाथर जैसे - दूकध, मलाई, िमठाई, दालमोठ,
बेसन की पकौड़ी आिद नही खानी चािहए|