आवाज बैठ जाना के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
आवाज बैठ जाने के कारण व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि गले से शब्द नहीं निकल पाते| व्यक्ति समझता है कि उसका गला रुंध रहा है| यहां यह कहना जरूरी है कि रोगी अपनी स्वाभाविक आवाज के बदल जाने के कारण चिन्ताग्रस्त हो जाता है| कई बार देखा गया है कि आवाज बैठ जाने के कारण रोगी को पूरी शक्ति लगाकर बोलना पड़ता है| इससे रोगी के गले की नसें फूल जाती हैं| उनमें दर्द होने लगता है तथा सूजन भी आ जाती है| ऐसी दशा में रोगी को भोजन करने तथा पानी पीने में बहुत कष्ट होता है| कई बार रोगी को उलटी भी हो जाती है|
कारण - साधरणतया अधिक बीड़ी-सिगरेट पीने, शराब पीने, ठंडे पदार्थों के बाद तुरन्त गरम पदार्थों का सेवन करने या गरम पदार्थ के बाद ठंडे पदार्थों का प्रयोग करने के कारण गले का स्वर भंग हो जाता है| कुछ लोग बहुत ज्यादा मात्रा में अम्लीय पदार्थों का सेवन कर बैठते हैं या फिर उनके पेट में कब्ज की शिकायत होती है अथवा जो जोर-जोर से भाषण देते या बोलते हैं, उनको स्वर भंग का रोग हो जाता है| मौसम परिवर्तन में गले में हवा लगने, कच्चे या खट्टे फल खाने, गैसों को सूंघने या मुख से भीतर की ओर खींचने या फिर जोर-जोर से चीखकर बोलने आदि के कारण गला बैठ जाता है|
पहचान - गले की आवाज बैठने से कंठ में पीड़ा, गले में सूजन, दर्द, थूक निगलने में कष्ट, कंठ में खुजली, खुश्की, सूखी खांसी, फंदा लगना, ज्वर आदि की शिकायत हो जाती है| कई बार थूक के साथ कफ भी आने लगता है|
नुस्खे - मुलहठी का सत्व या लकड़ी मुंह में रखकर चूसने से गला शीघ्र ही खुल जाता है|
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आवाज बैठ जाने के कारण व्यक्ति कक को बहुत परेशानी का
सामना करना पड़ता है क्योंकिक गले से शब्द नही ि कनकल
पाते| व्यक्ति कक समझता है िक उसका गला रुंध रहा है| यहां
यह कहना जरूरी है िक रोगी अपनी स्वाभाि कवक आवाज
के बदल जाने के कारण ि कचिन्ताग्रस्त हो जाता है| कई बार
देखा गया है िक आवाज बैठ जाने के कारण रोगी को
पूरी शि कक लगाकर बोलना पड़ता है| इससे रोगी के गले
की नसे फू ल जाती है| उनमे ददर होने लगता है तथा
सूजन भी आ जाती है| ऐसी दशा मे रोगी को भोजन
करने तथा पानी पीने मे बहुत कष होता है| कई बार
रोगी को उलटी भी हो जाती है|
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कारण - साधरणतया अि कधक बीड़ी-ि कसगरेट पीने,
शराब पीने, ठंडे पदाथो के बाद तुरन्त गरम पदाथो का
सेवन करने या गरम पदाथर के बाद ठंडे पदाथो का प्रयोग
करने के कारण गले का स्वर भंग हो जाता है| कुछ लोग
बहुत ज्यादा मात्रा मे अम्लीय पदाथो का सेवन कर बैठते
है या िफर उनके पेट मे कब्ज की ि कशकायत होती है
अथवा जो जोर-जोर से भाषण देते या बोलते है, उनको
स्वर भंग का रोग हो जाता है| मौसम पिरवतरन मे गले मे
हवा लगने, कच्चे या खट्टे फल खाने, गैसोंक को सूंघने या
मुख से भीतर की ओर खीचिने या िफर जोर-जोर से
चिीखकर बोलने आिद के कारण गला बैठ जाता है|
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पहचान - गले की आवाज बैठने से कंठ मे पीड़ा, गले मे
सूजन, दर्दर्र, थूक िनगलने मे कष, कंठ मे खुजली, खुश्की,
सूखी खांसी, फं दर्ा लगना, ज्वर आिदर् की िशिकायत हो
जाती है| कई बार थूक के साथ कफ भी आने लगता है|
नुसखे - मुलहठी का सत्व या लकड़ी मुंह मे रखकर चूसने
से गला शिीघ ही खुल जाता है|
• मुंह मे कुिलजन रखकर चूसने से भी सवर खुल जाता
है|
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• छोटी इलायची, लौंग तथा मुलहठी - तीनो का चूण र
3-3 ग्राम की मात्रा मे गरम पानी से सेवन करना
चािहए|
• अदर्रक का एक टुकड़ा सेधा नमक लगाकर धीरे-धीरे
चूसे|
• पांच पत्ते तुलसी, दर्ो लौंग, चार दर्ाने कालीिमचर तथा
आधा चम्मच धिनया के दर्ाने लेकर एक कप पानी मे
काढ़ा बनाकर सेवन करे|
• अन्नास के रस मे जरा-सा सेधा नमक डालकर गरम
करके धीरे-धीरे घूंट-घूंट िपएं|
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• 10 ग्राम दर्ेशिी अनार के िछलके एक कप पानी मे
उबाले| जब पानी जलकर आधा कप रह जाए तो
उसमे दर्ो लौंग का चूण र तथा एक चुटकी िपसी हई
िफटिकरी डाले| इस पानी से बार-बार गरारे करे|
• लसोड़े की छाल को पानी मे उबालकर छान ले|
इस पानी से गरारे करने से गले की आवाज खुल
जाएगी|
• 10 ग्राम िफटिकरी तवे पर भून ले| िफर इसकी
2-2 ग्राम की 5 पुिड़या बना ले| एक-एक पुिड़या
सुबह-शिाम गरम पानी या दर्ूध से ले|
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• बेसन मे नमक डालकर गले के ऊपर लेप करे|
• दो कालीमिमच र मुंह मे डालकर धीमरे-धीमरे च ूसने से
गला खुल जाएगा|
• बेर के पत्तो को पीमसकर पानीम मे औटा ले| िफिर इसे
छानकर इसमे जरा-सा नमक िमलाएं| इस पानीम से
कुल्ला करने पर गले के िविकार दूर हो जाते है|
• तुलसीम की मंजरीम को पानीम मे औटाकर गरारे करे|
• गुनगुने पानीम मे गन्ने के रस का िसरका एक च म्मच
डालकर िदन मे च ार बार गरारे करे|
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• सेधा नमक, दो लौंग, आधा च म्मच जीमरा तथा
तुलसीम की च ार पित्तयां - सबका काढ़ा बनाकर पीमने
से गला सुख जाता है|
• दो किलिमच ो को पीमसकर एक च म्मच देशीम घीम मे
िमलाकर च ाटने से गला खुल जाता है|
• एक च म्मच गेहूं के च ोकर को पानीम मे उबाले| िफिर
इसे छानकर जरा-सा नमक डालकर सेविन करे|
• आधा च म्मच सोठ तथा च ौथाई च म्मच अकरकरा
के च ूण र को शहद के साथ च ाटे|
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• एक िगलास पानीम मे आधा च म्मच च ाय डालकर
10 िमनट तक पानीम को खौलाएं| िफिर छानकर
सहते-सहते गरारे करे|
• बरगद के हरे पत्तो का आधा च म्मच रस पानीम मे
डालकर गरारे करे|
5 गाम मूलीम बीमज पीमसकर गरम पानीम मे डालकर कुल्ला
करे|
कया खाएं कया नही - खट्टे, अिधक ठंडे तथा कड़विे
पदाथो का सेविन न करे| गरम पदाथो के सेविन से भीम
बच े|
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गेहूं की रोटी, तरोई, लौकी, िटण्डा, िशिमला िमच,र,
कुल्फा, शिलजम, गाजर, पालक तथा पत्तागोभी की
सब्जिब्जयो का प्रयोग करे| धीरे बोले तथा कोई काम ऐसब्जा
न करे िजसब्जसब्जे गले पर दवाब पड़े| गले मे फलालैन का
कपडा लपेटे| िच,न्ता, शिोक, दुःख तथा शिंका का त्याग
कर दे| हर सब्जमय प्रसब्जन्नचिच,त्त रहे| भोजन कम मात्रा मे ले|
पौिष्टिक, सब्जुपाच्य तथा हल्का भोजन करने सब्जे पेट मे कब्ज
नही बनता| यिद िकसब्जी कारणवशि कब्ज हो जाए तो रात
को सब्जोते सब्जमय एक छोटी हरड़ का च,ूर्णर पानी सब्जे ले ले|
हरड़ पेट सब्जाफ करती है तथा गैसब्ज को बाहर िनकालती है|