संग्रहणी के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
संग्रहणी एक भयंकर रोग है| इसमें रोगी को पाखाना अधिक आता है| मल में चर्बी भी होती है| इस रोग के कारण रोगी हर समय दु:खी रहता है| वह सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों को पचा नहीं पाता| कई बार तो मृत्यु तक हो जाती है| सुबह उठते ही रोगी को शौच आता है| चूंकि बड़ी मात्रा में मल निकलता है, इसलिए रोगी घबरा जाता है| इस रोग में आंतों में दूषित पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं जिससे रोगी को बार-बार शौच करने जाना पड़ता है|
कारण - भावावेश में आकर मनुष्य अनियमित भोजन कर लेता है, अत: उसे संग्रहणी की बीमारी हो जाती है| इसमें व्यक्ति के पेट की अग्नि मन्द पड़ जाती है| पाचन शक्ति इतनी बिगड़ जाती है कि खाया गया भोजन बिना पचे ही मल के रूप में निकल जाता है| यह तीन तरह की होती है -
वातज संग्रहणी - यह संग्रहणी उन लोगों को होती है जो बासी चीजें खाते हैं| उनके पेट में वायु कुपित होकर पेट की अग्नि को धीमी कर देती है जिसके कारण भोजन ठीक से पच नहीं पाता|
कफज संग्रहणी - यह संग्रहणी कफ बनाने वाली चीजों को खाने से होती है| भारी, चिकनी, तली हुई, शीतल वस्तुएं खाने तथा भोजन के बाद तुरंत सो जाने से भोजन अच्छी तरह नहीं पचता| फलत: आंव सहित मल आने लगता है|
पित्तज संग्रहणी - पित्तज संग्रहणी के शिकार वे लोग होते हैं जो लाल मिर्च, गरम वस्तुएं, तीखी, खट्टी तथा खारी चीजों का अधिक प्रयोग करते हैं| उनको नीले, पीले या कच्चे दस्त आने लगते हैं|
पहचान - वातज संग्रहणी में हरे रंग का मॉल आता है| इसमें पेट में दर्द, ऐंठन, भारीपन तथा जलन की शिकायत हो जाती है| कभी-कभी वायु के कारण सर दर्द होने लगता है| घबराहट बढ़ जाती है| भूख कम लगती है|
कफज संग्रहणी में भोजन पूरी तरह नहीं पचता, अत: पाखाना जाने के बाद कमजोरी अधिक हो जाती है| गले में खुश्की, प्यास की अधिकता, कान, पसली, जंघा, पेड़ू, जोड़ों आदि में
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संग्रहणी एक भयंकर रोग है| इसमे रोगी को पाखाना
अधिधिक आता है| मल मे चर्बी भी होती है| इस रोग के
कारण रोगी हर समय दु:खी रहता है| वह सभी प्रकार के
खाद पदाथो को पचर्ा नही पाता| कई बार तो मृत्यु तक
हो जाती है| सुबह उठते ही रोगी को शौचर् आता है| चर्ूंिक
बड़ी मात्रा मे मल िनकलता है, इसिलए रोगी घबरा
जाता है| इस रोग मे आंतो मे दूिषित पदाथर उत्पन हो
जाते है िजससे रोगी को बार-बार शौचर् करने जाना
पड़ता है|
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कारण - भावावेश मे आकर मनुष्य अधिनयिमत
भोजन कर लेता है, अधत: उसे संग्रहणी की बीमारी
हो जाती है| इसमे व्यक्तिक के पेट की अधिग मन्द पड़
जाती है| पाचर्न शिक इतनी िबगड़ जाती है िक
खाया गया भोजन िबना पचर्े ही मल के रूप मे
िनकल जाता है| यह तीन तरह की होती है -
वातज संग्रहणी - यह संग्रहणी उन लोगो को होती
है जो बासी चर्ीजे खाते है| उनके पेट मे वायु कुिपत
होकर पेट की अधिग को धिीमी कर देती है िजसके
कारण भोजन ठीक से पचर् नही पाता|
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कफज संगहणी - यह संगहणी कफ बनाने वाली
चीजो को खाने से होती है| भारी, िचकनी, तली
हुई, शीतल वस्तुएं खाने तथा भोजन के बाद तुरंत
सो जाने से भोजन अच्छी तरह नही पचता| फलत:
आंव सिहत मल आने लगता है|
िपतज संगहणी - िपतज संगहणी के िशकार वे
लोग होते है जो लाल िमचर, गरम वस्तुएं, तीखी,
खट्टी तथा खारी चीजो का अिधिक प्रयोग करते है|
उनको नीले, पीले या कच्चे दस्त आने लगते है|
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पहचान - वातज संगहणी मे हरे रंग का मॉल आता है|
इसमे पेट मे ददर, ऐंठन, भारीपन तथा जलन की
िशकायत हो जाती है| कभी-कभी वायु के कारण सर ददर
होने लगता है| घबराहट बढ़ जाती है| भूख कम लगती
है|
कफज संगहणी मे भोजन पूरी तरह नही पचता, अत:
पाखाना जाने के बाद कमजोरी अिधिक हो जाती है| गले
मे खुश्की, प्यास की अिधिकता, कान, पसली, जंघा, पेड़ू,
जोड़ो आिद मे ददर मालूम पड़ता है| कोई भी चीज खाने
पर स्वािदष नही लगती| बार-बार शौच को जाना
पड़ता है|
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िपतज संगहणी मे नीले रंग के पतले-पतले दस्त आते है|
खट्टी डकारे थोड़ी-थोड़ी देर बाद परेशान करती है|
प्यास अिधिक लगती है| हृदय, गले तथा पेट मे
जलन होती है|
नुस्खे - हीग, अजवायन और सोठ बराबर मात्रा मे
लेकर पीस ले| इसमे से एक-एक चम्मच चूणर सुबह-
शाम गरम पानी के साथ भोजन के बाद ले|
• छाछ के साथ जरा-सी हीग का सेवन करे|
• कालीिमचर और काला नमक - दोनो 3-3 गाम मट्ठे
के साथ ले|
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• 4 गाम िपपपली का सेवन नीबू के रस तथा सेधा
नमक के साथ करे|
• हरड़ की छाल का चूणर और थोड़ा-सा काला नमक
पानी मे अचछी तरह घोले| िफर इसे सुबह-शाम िपएं|
• 2 गाम मौलिसरी के पतो का चूणर िदन मे दो बार
सेवन करे|
• अदरक, तुलसी, कालीिमचर तथा लौग का काढ़ा 15
िदनो तक िपएं|
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• आधा चम्मच सोठ के चूणर मे जरा-सी िमश्री
िमलाकर सेवन करे|
• बेलिगरी और सेधा नमक िमलाकर चूणर बना ले|
इस सुबह-शाम मट्ठे के साथ प्रयोग करे|
• जीरा, हींग और अजवायन का चूणर सिब्जयो मे
डालकर खाने से संगहणी का रोग खत्म हो जाता है|
• सोठ, गुरुच, नागरमोथा और अतीस-सबको समान
मात्रा मे लेकर मोटा-मोटा पीस ले| इसमे से दो
चम्मच का जौकुट काढ़ा बनाकर 15 िदनो तक
सेवन करने से संगहणी के रोिगयो को काफी आराम
िमलता है|
9. • शोिधत गंधक 2 गाम, सोठ 10 गाम, पीपल
5 गाम, पांचो नमक 5 गाम तथा भुना हुआ
अजमोद 5 गाम - इन सबको बारीक पीसकर
एक शीशी मे भर ले| इसमे से दो चुटकी दवा
पानी के साथ सेवन करे|
• हरड़ की छाल, पीपल, सोठ और काला
नमक-सबको 10-10 गाम की मात्रा मे
पीसकर चूणर बना ले| इसमे से आधा चम्मच
चूणर मट्ठे के साथ सेवन करे| 15 िदनो तक चूणर
खाने से संगहणी का रोग जाता रहता है|
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10 गाम अनारदाना, 2 गाम सोठ, 2 गाम कालीिमचर
और 10 गाम िमशी को कूटकर चूणर बना ले| इसके
सेवन से हर पकार की संगहणी खतम होती है|
कया खाएं कया नही - िनतय सादा िकनतु सुपाचय
भोजन करे| भोजन मे पपीता, अमरद, कचे बेल का
गूदा तथा सोठ का चूणर िनयिमत रप से ले| छाछ और
मकखन िनकला दूध भी ले सकते है| िमचर-मसालेदार,
चटपटी, खटी, कड़वी तथा सखत चीजे िबलकुल न खाएं|
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तरोई, लौकी, परवल, करेला, मेथी, पालक, गाजर
आदिद का सेवन अिधक मात्रा मे करे| सलाद का पयोग
िनतय करे| फलो मे अमरद, पपीता, शरीफा, केला,
संतरा और नीबू का रस ले|