http://spiritualworld.co.in श्री गुरु हरिगोबिन्द जी - गुरुदाद्दी मिलना:
जहाँगीर ने श्री गुरु अर्जन देव जी को सन्देश भेजा| बादशाह का सन्देश पड़कर गुरु जी ने अपना अन्तिम समय नजदीक समझकर अपने दस-ग्यारह सपुत्र श्री हरिगोबिंद जी को गुरुत्व दे दिया| उन्होंने भाई बुड्डा जी, भाई गुरदास जी आदि बुद्धिमान सिखों को घर बाहर का काम सौंप दिया| इस प्रकार सारी संगत को धैर्य देकर गुरु जी अपने साथ पांच सिखों-
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Shri Guru Hargobind Sahib Ji Guru Gaddi Milna - 059a
1.
2. जहाँगीर ने श्री गुर अर्जर्जन देव जी को सन्देश भेजा|
बादशाह का सन्देश पड़कर गुर जी ने अर्पना अर्िम न्तिम
समय नजदीक समझकर अर्पने दस-ग्यारह सपुत श्री
हिरगोिबद जी को गुरत्व दे िदया| उन्होंने भाई बुड्डा जी,
भाई गुरदास जी आदिद बुिम द्धिमान िम सखों को घर बाहर का
काम सौंप िदया| इस प्रकार सारी संगति को धैर्यर्ज देकर
गुर जी अर्पने साथ पांच िम सखों-
• भाई जेठा जी
• भाई पैर्ड़ा जी
• भाई िम बधीआद जी
• लंगाहा जी
• िम पराना जी
को साथ लेकर लाहौर पहुँचे|
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3. इस प्रकार श्री गुर अर्जनर्जन देव जनी लाहौर जनाने से पहले ही
श्री हिरगोबिबिंद जनी कोब 14 संवत 1663 कोब गुर गद्दी
सौंप गए थे| परन्तु श्री गुर अर्जनर्जन देव जनी की रसम ियाक्रिया
वाले ियादन आपकोब पगड़ी बिंांधी गई और आप जनी गुर
गद्दी पर सुशोबिभित हुए|
गुर घर की मयार्जदा के अर्नुसार आप ने सेली टोबपी के
जनगह िसर पर िजनगा कलगी और मीरी-पीरी की दोब
तलवारे धारण की| आप ने कहा अर्बिं सेली टोबपी पहनने
का समय नही है| हमारे िपता जनी श्री गुर अर्जनर्जन देव जनी
जनोब ियाक शांित के पुंजन थे उनके साथ अर्त्याचारी राजना के
अर्िधकािरयो ने जनोब कुछ ियाकया है उसका बिंदला और धमर्ज
की रक्षा शस के िबिंना नही की जना सकती|
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4. इस जनगह पर बिंैठकर जनहाँ आप गुर गद्दी
पर सुशोबिभित हुए वहाँ आप जनी ने आषाढ
सुदी 10 संवत 1663 िवक्रिमी कोब अर्काल
बिंुग्गे की नीव रखी|
अर्काल बिंुग्गे की तैयारी आरम्भि करके श्री
गुर हिरगोबिबिंद जनी ने सबिं मसंदोब और
िसक्खो कोब हुक्मनामे िलखवा ियादए ियाक जनोब
िसख हमारे िलए घोबड़े और शस भिेट लेकर
आएगा, उसपर गुर की बिंहुत मेहर होबगी|
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5. इसके बाद गुर जी ने आप भी घोड़े और
शस खरीदे| उन्होंने कुछ शूरवीर नौकर
भी रखे| गुर जी के हुक्मनामे को पड़कर
बहुत तेजी से घोड़े और शस भेंट आनी
शुर हो गई| इस तरह थोड़े ही समय में
गुर जी के पास बहुत घोड़े और शस इकट्ठे
हो गए|
अपने िसखों को युद के िलिए तैयार करने
के िलिए गुर जी ने एक ढाडी अबदुलि को
नौकर रख िलिया|
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दूसरे पहर के दीवान में वह शूरवीरों की
शूरवीरता की वारे सुनाता| वारे और घोड़
सवारी का अभ्यास कराने के िलिए रोज ही
जंगलि में िशकार खेलिने के िलिए लिे जाता|
इस प्रकार योदाओ का युद अभ्यास
बढता गया और सेना भी बढती गई|
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दूसरे पहर के दीवान मे वह शूरवीरो की
शूरवीरता की वारे सुनाता| वारे और घोड
सवारी का अभ्यास कराने के िलिए रोज ही
जंगलि मे िशकार खेलिने के िलिए लिे जाता|
इस प्रकार योद्धाओ का युद्ध अभ्यास
बढता गया और सेना भी बढती गई|