2. 2
संपादकीय.......
दोस्तहो..... गया दुय साल कोरोना बबमारीक् प्रकोपक् कारण आपण आपला सांस्कृ तीक सण
उत्सव साजरा नही कर सक्या. पर यंदा आपला सण उत्सव आपण खुल् माहोलमा साजरा कर रह्या
सेज्. जजवती, पोरा, कानुबा,गणपती, पोरा, मारबद, नवरात्री, दसरा, ददवारी, मंडई इ. सण उत्सवमा
सबउंज्या खुशीको माहोल रव्हंसे.
येनच सण उत्सवमा घर परीवार, संगीभाई, रीस्तेदार सबको ममलन होसे. माणूस येव समाजमशल
प्राणी रहेक् कारण येव सण उत्सवमा सबको एकजाग् आवनो, ममलनो येव उजाादायी अनुभव रव्हसे. एक
मेकसंगमा मेलजोलक् कारण सौहादापूणा सामाजजक वातावरणकी ननममाती होसे. तसोच जजवनमा आयेव
सुख दुखला एकदुसरोसंग् बाटेव जासे. येन् सब कारणलक आपल् समाजमा सण उत्सवला अनन्यसाधारण
महत्व प्राप्त भययी से.
ये सन उत्सव साजरो करनक् बेरा समाजहीत ध्यानमा ठेवो असी झुंझुरका मामसक संपादक
मंडळ करलक तुमला सबला बबनती से. सबला सण उत्सवकी मंगलमय शुभकामना!
- गुलाब बबसेन (मो. नं. 9404235191)
संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई मामसक
- गुलाब बबसेन
संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई मामसक
मो. नं. 9404235191
संपादक मंडल
श्री गुलाब बबसेन, संपादक
श्री रणदीप बबसने, उपसंपादक
श्री महेंद्रकु मार पटले, उपसंपादक
श्री महेंद्र रहांगडाले, उपसंपादक
ननममाती
महेंद्र रहांगडाले
3. 3
*कसो ना मुसोच ्*
🌷🌷🌷🌷🌷
अजपासुन रामू की स्कू ल चालू होनकी होती।पर अज ओको पोटमा
सकारपासुनच दुखत होतो। आपलो आईंला घडी घडी
बुलावत होतो *"अााई मोरो पोटमा कसो ना मुसोच लगसे।*
अजी रामू का बाबूजी देखो ना ,मी डॉक्टर ला बुलाई सेव।
रामू की अााई भी मोठ्यानं चचंता मा होती.बाबूजी भी बीचारन बस्या
कसो लगसे ,गुद्गुड लगसे?, का मुडडा मारख्यान आवसे?, त रामू बस , कसो
ना मुसोच लगसे की रट लगावत रहेव.
वोत्तो माच डॉक्टर आया ना बीचारन बस्या .पर उनको काई समझ मा
नहीं आयेव.
तब बाहर लक रामू को मास्तर जी की आवाज आई. रामू को बाबूजी न
ऊनला अंदर बुलाईन. तब मास्तर जी न भी रामू ला बीचाररन,पर ओको एकच
उत्तर….*कसो ना मूसोच लगसे* तब मास्तर जी को ध्यान मा आायेव, उनन
रामू ला बीचारीन, तोरो गृह काया भयेव का स्कू ल को ….. अना रामू घबरानेव,ना
सांगीस,,,,,नहीं, नहीं पुरो नहीं भयेव….
मास्तर जी न सांचगन,रामू न छ
ु ट्टी को ददनमा मस्त खेलीस कु ददस,ना
गृह काया नहीं करीस,,,, अज पासून स्कू ल चालू होनकी से …..मून भेव को माऱ्या
एको पोटमा कसोना ना मुसोचं लगण बसेवं…..सब हासण बस्या……
✍️सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
4. 4
*जूनी पीढ़ी अना नवी पीढ़ी*
श्री ऋषी बबसेन, बालाघाट
जूनी पीढ़ी का अनुभव अना
नवी पीढ़ी का नवो ज्ञान।
दुय पीढ़ीका समन्वय होय जाहे
त समाज बने महान।।१।।
जूनी पीढ़ी का बुजरुग चगनको
सबला राखनों पडे मान।
उनको आशीवााद लक़
जजत जाओ तुम्ही जहान ।।२।।
डोरा मा उनको पपरम ही पपरम से
नही कोनी अमभमान।
सीख लक़ ओनकी बनहे रस्ता
जर जाहे कटीलो रान।।३।।
ओनकी देखाई राह परा चलकन
ममट जाहे मन का अज्ञान।
नवी पीढ़ी लक पपरम येतरो की
देय देहेत आपरी जान ।।४।।
ओनकी देखाई राह परा चलकन
ममट जाहे मन का अज्ञान।
नवी पीढ़ी लक पपरम येतरो की
देय देहेत आपरी जान ।।४।।
बसो उनको संग अना बाटो उनला
आपरो दहरदय का बान।
येतरोच मा वय ददसेती तुमला
सदा गावता ख़ुशी का गान।।५।।
बुजरुग ओढ़ील पुरखा आती
हर घर पररवार की शान।
हम तुम्ही सबको यव धरम की
देनला से उनला सम्मान ।।६।।
ऋपष बबसेन, बालाघाट
5. 5
पोवारी सामान्य ज्ञान मादहती
जंगल अना प्राणी
१) भारत मा चचता कोनसो देश लक् आणीन? नामीबबया
२) भारत मा क
े तरा चचता आणीन?- ८
३)चचता ला कोनसो अभयारण्य मा सोडीन?- क
ु नो अभयारण्य- मध्यप्रदेश
४) महाराष्ट्र को राज्य प्राणी- शेकरू
५)महाराष्ट्र को राज्य पक्षी- हररयाल
६)कान्हा नॅशनल पाक
क कोनसो राज्य मा से? मध्यप्रदेश
७)कऱहाांडला वन्यजीव अभयारण्य कोनसो राज्य मा से?- महाराष्ट्र (नागपूर- भांडारा
जजल्हा)
८) कमलापूर हत्ती क
ॅ म्प महाराष्ट्र को कोनसो जजल्हा मा से?- गडचचरोली
९) सांजय गाांधी राष्ट्रीय उद्यान कोनसो सहर मा से?- मुांबई
१०)भारत मा ससांह कोनसो राज्य मा सेत?- गुजरात
संकलक- महेंद्र रहांगडाले, मच्छेरा
6. 6
चॉकलेट को बंगला
गल्ला मा सांगराई सेव पैसा चचल्लर
चॉकलेट लेयक
े बांगला बाांधून सुांदर
सांगीसाथी खेलबां बांगलामा लपाछ
ु पी
मेजवानी खाबीन ककसमी अना टाफी
मज्जा करबां आम्ही खेल खेलकर
सौ.शारदा चौधरी
भंडारा
बांगला ला कवाड पक
क मांच को
अांदर बहार आवांन जान को
नक्षीकाम रेखीव ददसे कोरकर
दरवाजापर सांत्रा गोलीकी कमान
सुबक मनोहर ददसें शोभस्याांन
चौकटपर लोबांती तोरणकी झालर
खखडकी रहे इकलेअर की चौकोन
मोबाईलकी बजे हमेशा मधुर ररांगटोन
सजावटको काम आयेती चॉकलेट रॅपर
आांगणमा उभा कच्चा मँगोका झाड
पपपरमेन्ट का फलेती फल रसाळ
बगीचा रांगबबरांगी ददसे फ
ु लकर
बांगलापर चमक
े ती चांदेरी ससतारा
पानी सुटे तोंडला कोन देखकरा
उनको पर रहे मोरी हरदम नजर
क
ॅ टबरी को गच्ची पर सुांदर नजारा
देखून मी वहा लक चांद्र अन तारा
डेअरी समल्कका लाईट उठेत पेटकर
आांगणमा उभा कच्चा मँगोका झाड
पपपरमेन्ट का फलेती फल रसाळ
बगीचा रांगबबरांगी ददसे फ
ु लकर
बांगलापर चमक
े ती चांदेरी ससतारा
पानी सुटे तोंडला कोन देखकरा
उनको पर रहे मोरी हरदम नजर
क
ॅ टबरी को गच्ची पर सुांदर नजारा
देखून मी वहा लक चांद्र अन तारा
डेअरी समल्कका लाईट उठेत पेटकर
7. 7
*इल्ली*
डॉ प्रल्हाद हररनखेडे, डोंगरगाव/उलवे मुंबई
कहीं कोल्या भेस
आंगभर क
े स
कहीं पानबबच्छ
ू को
चढ़ जासे टेस
पान फ
ू ल डडरा
लौकी बाल खीरा
करे असो ठुटा जसो
चल गयेव ईरा
रंगनारंग का
अकार अंग का
तालमा उठावं पाय
पुढ़ो ना मंघं का
नवा नवा कोरा
मोठा मोठा डोरा
घीवपर झाक
े व से
काच को कटोरा
झ्याक या सुंदरी
नवा नवा कोरा
मोठा मोठा डोरा
घीवपर झाक
े व से
काच को कटोरा
झ्याक या सुंदरी
मारं से गुंढरी
चाळा येका देखता
लगं से तंदरी
खाय क
ु रामक
ू र
फ
ु गं टुरामटूर
बन क
े फफपोली
उड गयी भुरामभूर
******************
डॉ. प्रल्हाद हररणखेडे 'प्रहरी'
डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
लोलू पोंजू दढल्ली
पानपर की इल्ली
पानी मा पडी छपाक
भय गयी चगल्ली
8. 8
पवद्यार्थी अना आधुननक उपकरन
नवी पीढ़ी ला नवो उपकरण को प्रनत लगाव लचगत होय गयी से। कोरोना काल मा
पढाई-मलखाई बी ऑनलाइन होय गयी होती जेको कारन नहान-नहान पवधार्थी इनला उपकरण को माध्यम लक
कक्षा लेनो पड्यो। मोबाइल/कम्प्यूटर जसा उपकरण बालमन ला एक खेल को जसो लगसे अन एको परा पढ़ाई
कसी भई यव सबला मालूम से। आता प्रभु की फकरपा लक सब साजरो होय रही से। शाला आता खुल गयी सेती
परा टुरु-पोटु इनको गैज़ेट को प्रनत लगाव अददकच भय गयी से। असो लगसे की वय एको बबगर कसो रहेती।
खेलनला नहीं भेटसे त वय बबव्हार मा चचढ़-चचढ़ होसेती। यव हर घरमा ददस रही से। मोबाइल मा खेल खेलन
को कारन आता बच्चाइन बादहर खेलनला जानला नहीं देखसेत। एको ननराकारन कसो होहे। पुरो गैज़ेट लक दूर
करबीन त कई चीज सूट जाहे। नवी पीढ़ी अन जूनन पीढ़ी मा आता यव टकराव को कारन होय रही से।
प्रनतस्पधाा को यव जमाना आय त एको संग सामंजस्य बी करन को से नहीं त
समाज मा मंघ रव जाबीन। बच्चा इनको मनमा बादहर को खेल का प्रनत लगाव जगावानो जरुरी से। पालक इनला
खुद उनको संग खेलनो पढ़े। र्थोडो समय लाई आपरो डोरा को जवर राखकन कोनी भी उपकरण देनो साजरो से
परा एको बादमा अददक नोको देव। उनला कर्था को द्वारा बी यव सीख देयजाय मसक से की गैज़ेट का क
े तरो
नुकसान से। कई बार आम्हीच आपरो धीरज ला खोयकन बाल-बच्चा इन परा हार्थ उठावो सेजन, परा यव सही
नहाय। सबलक पदहले मोठा इनला एको लक दूर होनको से एको बादच हमारो उनपरा हक बनहे।
जेतरो जजयादा बच्चा इन आपरो बालसखा संग खेलती अखखन घर का बुजरुग इनको संग रहेती, ओतरो
उनको लाइ बेस से। उपकरण कोनी ददखावा करन का जजनुस नहाय, न कोनी खेलन का। जेतरर एनकी जरत से
ओतरोच प्रयोग बेस से अन ओको बाद इनला दूरच ठेवनो साजरो से। सबला ममलकन समाज मा यव नवी समस्या
का ननवारन करनो पढ़ें।
✍🏻ऋपष बबसेन, खामघाट(बालाघाट)
9. 9
*ठाट - बाट*
=======
पहले पोवार घर होतो, बहुत र्थाट-बाट,
मोठांग क् सपरीपर रव्ह शहानो की खाट.
मोठांग सहसा आवत नोहोती बहू बयदी,
आयी बी त् डोईपर सेव रव्हत होतो जरूरी.
आदमी लोक इनकी पंगत बस संगच जेवनला,
बाई लोक एक एक चीज वाढत होती सातरोमा.
आदमी लोक बाहेर गया त् देखनो पड बाट,
उनक जेये बबगुर बाई लोक कभी नोहोती खात.
पाहुणा इनकी होत होती बहुत खानतरदारी,
पाय धोवनको, चुरूको पानी होतो जरूरी.
पर आता पवभक्त क
ु टूंब पद्धतीमा वा बात नही रहीसे,
धीरू - धीरू पुरानो ननयम मा कमी आय रहीसे.
श्री चचरंजीव बबसेन
गोंददया
10. 10
प्रेरणास्र्थान
श्री शेषराव येळेकर
हे बजरांग बली
असो बल करु धारण
रामचरीत्र जाणकन
करु समाज पालन
दुगाक सरस्वती लक्ष्मी
तुमरी करु पूजा
पवद्या धन शक्ती लका
फ
ै लावू आपली ध्वजा
ब्रम्हा पवष्ट्णू महेश
मोरो "मी" मा समाया
धमक सांस्कृती सांस्कार की
ननत्य बरससे छाया
सांत सारखी भक्ती
कृष्ट्ण सारखो प्रेम
धमक अथक काम मोक्ष मा
समायोव से राम
सांत सारखी भक्ती
कृष्ट्ण सारखो प्रेम
धमक अथक काम मोक्ष मा
समायोव से राम
वीर सशवाजी सावरकर की
धमक ध्वजा लहरायोव
फ
ु ले आांबेडकर शाहू का
क्ाांती पवचार मा समायोव
ननसगक मुती अना आस्था
ननत्य बनी प्रेरणास्थान
पूवकजोंका पदपग पर चलकन
सदमागक मा से उत्थान
11. 11
🌷🌷गल्ला🌷🌷
सौ. छाया सुरेंद्र पारधी
गल्ला आव मी गल्ला
मोठो पोट से भल्ला
गोल गोल हांडी सररखो
चचल्लर पैसापर मारुसू डल्ला
टुरू पोटू को लाडको
लुकायेव रहुसू फ
ु लमा
पैसा लका पोट भरुसू
मज्या आवसे हर घासमा
क
ुं भार मोरा मायबाप
घडसे कच्चो मातीलक
पकावसे मंग भट्टीमा
रंग भरसे मेहानतलक
टूरूपोटू को बैंक आव
बचत को पाठ पढाउसू
प्यार लक ठेवसेत मोला
आडो वक्तमा काम आउसू
कभी कभी खाजो साती
टूरू हुशार बनजासेत
काडी डाक डाक पैसा
अंदर लक कहाडसेत
कभी कभी खाजो साती
टूरू हुशार बनजासेत
काडी डाक डाक पैसा
अंदर लक कहाडसेत
असो मी गल्ला न्यारो
अलग अलग आकार मोरो
प्लाजस्टक रव या माती
मी रहूं लाल या कारो
असो गल्ला फोडन की
देखसेत सब जन बाट
मोजन साती रुपया पैसा
चचल्लर लक भरसेत हार्थ
बचतको मी मागा खरो
अाायको सब मोरी बात
बूंद बूंद लक सागर भरसे
गल्ला को धरो हार्थ
सौ छाया सुरेंद्र पारधी
12. 12
पक्षी की कमाल
एक गन जंगलमा
पक्षी न ् करीन कमाल
इत उत उडाइन
धमालच धमाल ||धृ||
सौ वंदना कटरे “राम-कमल”
कारो कारो कावरा
कवन बसेव गानो
कोकीराको तानला
भुल गयेव सायनो ||१||
पाणीपरा चलनबसी
पाणकोंबडीकी चाल
वारासंग उडावत
होती आपला बाल ||२||
आया मसमना मसमनी
तरा को पानी पपवन
पाणीला उडायक
े
आंग धोव दुही जन ||३||
दहरवो दहरवो ममठ्ठू
कवन लगेव मंत्र
मोर मोरनीला मसकाव
नाचनको तंत्र ||४||
दहरवो दहरवो ममठ्ठू
कवन लगेव मंत्र
मोर मोरनीला मसकाव
नाचनको तंत्र ||४||
ढोंग रच् ध्यानको
पांढरो पांढरो बगुला
फट् ददसं पकडं
मसरीको मानगुटीला ||५||
सब पक्षी मगन
आपलोच तालमा
शेर को डरकारीन ्
आया सप्पा भानमा ||६||
वंदना कटरे "राम-कमल "
गोंददया.
13. 13
मु
एक होती मुंगी
वोन वापररस लुंगी
लुंगी भयी मोठी
मुंगी ददसं छोटी
लुंगी मा अटक
े व पाय
रोवन लगी करत हाय हाय
मुंगीन ् आननस साखर
ओला लगाईस खाकर
उतन लका आयोव हत्ती
खाकर पर देईस बत्ती
मुंगी ला आयोव राग
कान ला डमसस बनकन नाग
हत्ती की संपी मलला
मुंगी गरोमा जीत की माला
मुंगी जरी से लहान
पर काम ओको से महान
मुंगी
श्री शेषराव येळेकर