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दुर्गा सप्तशती को संक्षिप्तीकरण:-
प्रस्तुतकतगा -पटले रगमचरण
पहलों अध्यगय मग;मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से:टेक:---
१) "ब्रम्हग जी"; मगक
ं डेय अनग ब्रहस्पक्षत लग;;
अक्षितीय अदभुत कथग सुनगिसे!
नौ देिी अितगरी भर्िती की मक्षहमग दशगािसे।
देिी नौ रुप लेयकन;क्रोधी िगहन लक आिसे!
असूर ईनलग क्षमटगिन लग;मगय जर्दम्बग पधगरसे।
अजूबी यग कथग सुहगनी से:------
पहलों अध्यगय मग;मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से।
२) दुसरो अध्यगय मग;ईंन्द्र देि को नर्री पर; मक्षहषगसुर आक्रमण कर देसे!
युद्ध भयगनक होसे;देि ईंन्द्र घबरगय जगसे!
मक्षहषगसुर कब्जग जमगयकन; ईंन्द्र नर्री लक भर्गय देसे।
ब्रम्हग क्षिष्णु जी को आहिगन पर;मगय भिगनी प्रर्टसे:----
मगय जर्दम्बग आयकन;असूर को र्ण लग क्षमटगिसे::---
बनी रण चण्डिकग क्षििगनी से::---
पहलो अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से।
३) तीसरो अध्यगय मग; मक्षहषगसुर अनग दुत क्षचिूर लग;--
युद्ध भयंकर करकन; मक्षहषगसुर लग थरगाय देसे!
सगरो ब्रम्हगि लग क्षहलगयकन; मक्षहषगसुर घबरगय जगसे।
मक्षहषगसुर कई रुप लग बदल बदलकन; खूब लडगई लडसे!
कभी भैंसग तो कभी पुरुष;कभी नकली शेर;हगथी बनकन दुष्ट मक्षहषगसुर लडी से::--
तीसरो अध्यगय मग मक्षहषगसुर मगरेि र्ई से::---
पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से।
५) चौथो अध्यगय मग;सब देितग आिसेत!
मगय जर्दम्बग भिगनी की जयकगर करसेत।
भर्िती भिगनी की मक्षहमग क्षकती लग बखगनसेत!
खुशी मग अप्सरग;झुमझुम नगचसेत।
मगय सगरो ब्रम्हगि की क्षनमगाणी से:------
पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से।
६) आतग पगचिो अध्यगय मग; दुष्ट दुय शुंम्भ -क्षनशुंभ आिसेत!
ईंन्द्र देि को नर्री पर चढगई कर देसेत।
रगजपगठ सब हडपकन; ईंन्द्र नर्री लक भर्गय देसेत!
सब देितग घबरगयकन;मगय भिगनी लग बुलगिसेत।
मगय कौक्षशकी रुप लेयकन; क्षहमगचल मग जप तप करसे!
मगय खूब मन मस्तगनी लर्से:--
पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से!
र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से।
७) दुय शुंभ क्षनशुंभ कग दुय दू त ;चंड मुंड ये कौक्षशकी लग देखसेत!
रुप सौंदया देखकन; शुंभ क्षनशुंभ लग सगंर्सेत।
ये क्षदल क्षदिगनग होयकन मन मुग्ध होय जगसेत!
पटरगनी बनगिन सगती सब दू त ईनलग आननलग पठगिसेत।
मगय प्रक्षतज्ञगिगली असूर दू त ईनलग समझगिसे::--
भद्रकगली मगय बनी क्षिरगनी नुरगनी से:-----
८) छटिो अध्यगय मग;दू त बन धूम्रलोचन जगसे!
देिी सती भिगनी संर्;जबरन क्षजद्द करसे; युद्ध करन लर्से।
क्रोध मग मगय हंकगर लर्गयकन; धूम्रलोचन लग भष्म कर देसे:---
असो क
ृ त्य देखकन शुंभ क्षनशुंभ घबरगिसेत::--
लडी मगय जसी मदगानी से::--
हो -हो पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से:----
९) सगतिो अध्यगय मग; पुनः दुत चंड मुंड;ये देिी लग आनन जगसेत!
युद्ध भिगनी संर् करकन खूब टेरी सगंर्सेत!!
क्रोधी भिगनी होयकन;मुंडलग दुई चंड मुंड की कगटसे!
मगय अण्डम्बकग प्रसन्न होयकन;यग देिी चण्डिकग कहगिसे::-
र्रजती मगय की िगणी से::----
हो -हो पहलों अध्यगय मग:-------;:--
१०)आठिो अध्यगय मग;दू त रक्तबीज;देिी लग आनन जगसे!
येि दगनि दैत्य खूब छल कपट करकन; युद्ध भयगनक लडसे!
कई बगर कटकन खून रक्त लक प्रर्टसे;देिी अचण्डम्भत होसे।
तब अण्डम्बकग चण्डिकग दुई भिगनी; रक्तबीज लग क्षमटगिसेत।
भिगनी मगय अन्तध्यगानी से::---
हो -हो पहलों अध्यगय मग;मगय क्षिकरगल भिगनी से:-------
११) हों निमो अध्यगय मग क्षनशुंभ दगनि लग धरगशगयी करसे!
येि क्षनशुंभ दगनि दैत्य;खूब घमगसगन युद्ध करसे।
खूब लहू बहगयकन; क्षनशुंभ दगनि लग मगरसे!
असो नजगरों देखकन;दगनि शुंभ लग क्रोध आिसे:--
भयी खूब दगनि दैत्य की हगक्षन से:::--
हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::----
१२) दसिो अध्यगय मग;दगनि शुंभ युद्ध करन जगसे!
हिग र्र्न मग युद्ध घनघोर होसे;
दगनि शुंभ लग खूब पटक पटक कन मगरसे!!
सब देितग र्ण देखकन खुशी मग नगचसेत!
जय जय की जयकगर लग लर्गिसेत:---
भिगनी मगय ित्रगणी से:----
हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से:----
१३) ग्यगरिो अध्यगय मग मगय भिगनी को र्ुणर्गन होसे।
बगरिो अध्यगय मग मगय सगिगत अितगरसे!
सब भक्त र्णलग क्षिधी क्षिधगन सगंर्से;सगरो हगल सगंर्से।
नोकों घरगिनो कसे;जब भी संकट पडे तों आय जगऊ
ं कसे।
असी सत्य मगय भिगनी की जुबगनी से::---
हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::---
१३) तेरहिो अध्यगय मग;दुय भक्त रगजग सूरथ अनग समगक्षध िैश्य लग िरदगन देसे।
मगय जर्दम्बग सगकगर रुप मग आिसे;ईनको खोयो रगज्य लग देसे।
मगय दुर्गा शेरगिगली;मगय भिगनी रुद्रगणी से::---
हो -हो पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::----
हों र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से:::-------**
देिी र्ीतकगर-रगमचरण पटले महगकगली नर्र नगर्पुर मोबगइल नं.९८२३९३४६५६
मु.पोष्ट:-कटेरग तहसील -कटंर्ी क्षजलग बगलगघगट (म.प्र.)

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  • 2. ६) आतग पगचिो अध्यगय मग; दुष्ट दुय शुंम्भ -क्षनशुंभ आिसेत! ईंन्द्र देि को नर्री पर चढगई कर देसेत। रगजपगठ सब हडपकन; ईंन्द्र नर्री लक भर्गय देसेत! सब देितग घबरगयकन;मगय भिगनी लग बुलगिसेत। मगय कौक्षशकी रुप लेयकन; क्षहमगचल मग जप तप करसे! मगय खूब मन मस्तगनी लर्से:-- पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से! र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से। ७) दुय शुंभ क्षनशुंभ कग दुय दू त ;चंड मुंड ये कौक्षशकी लग देखसेत! रुप सौंदया देखकन; शुंभ क्षनशुंभ लग सगंर्सेत। ये क्षदल क्षदिगनग होयकन मन मुग्ध होय जगसेत! पटरगनी बनगिन सगती सब दू त ईनलग आननलग पठगिसेत। मगय प्रक्षतज्ञगिगली असूर दू त ईनलग समझगिसे::-- भद्रकगली मगय बनी क्षिरगनी नुरगनी से:----- ८) छटिो अध्यगय मग;दू त बन धूम्रलोचन जगसे! देिी सती भिगनी संर्;जबरन क्षजद्द करसे; युद्ध करन लर्से। क्रोध मग मगय हंकगर लर्गयकन; धूम्रलोचन लग भष्म कर देसे:--- असो क ृ त्य देखकन शुंभ क्षनशुंभ घबरगिसेत::-- लडी मगय जसी मदगानी से::-- हो -हो पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से:---- ९) सगतिो अध्यगय मग; पुनः दुत चंड मुंड;ये देिी लग आनन जगसेत! युद्ध भिगनी संर् करकन खूब टेरी सगंर्सेत!! क्रोधी भिगनी होयकन;मुंडलग दुई चंड मुंड की कगटसे! मगय अण्डम्बकग प्रसन्न होयकन;यग देिी चण्डिकग कहगिसे::- र्रजती मगय की िगणी से::---- हो -हो पहलों अध्यगय मग:-------;:-- १०)आठिो अध्यगय मग;दू त रक्तबीज;देिी लग आनन जगसे! येि दगनि दैत्य खूब छल कपट करकन; युद्ध भयगनक लडसे! कई बगर कटकन खून रक्त लक प्रर्टसे;देिी अचण्डम्भत होसे। तब अण्डम्बकग चण्डिकग दुई भिगनी; रक्तबीज लग क्षमटगिसेत। भिगनी मगय अन्तध्यगानी से::--- हो -हो पहलों अध्यगय मग;मगय क्षिकरगल भिगनी से:------- ११) हों निमो अध्यगय मग क्षनशुंभ दगनि लग धरगशगयी करसे! येि क्षनशुंभ दगनि दैत्य;खूब घमगसगन युद्ध करसे। खूब लहू बहगयकन; क्षनशुंभ दगनि लग मगरसे!
  • 3. असो नजगरों देखकन;दगनि शुंभ लग क्रोध आिसे:-- भयी खूब दगनि दैत्य की हगक्षन से:::-- हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::---- १२) दसिो अध्यगय मग;दगनि शुंभ युद्ध करन जगसे! हिग र्र्न मग युद्ध घनघोर होसे; दगनि शुंभ लग खूब पटक पटक कन मगरसे!! सब देितग र्ण देखकन खुशी मग नगचसेत! जय जय की जयकगर लग लर्गिसेत:--- भिगनी मगय ित्रगणी से:---- हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से:---- १३) ग्यगरिो अध्यगय मग मगय भिगनी को र्ुणर्गन होसे। बगरिो अध्यगय मग मगय सगिगत अितगरसे! सब भक्त र्णलग क्षिधी क्षिधगन सगंर्से;सगरो हगल सगंर्से। नोकों घरगिनो कसे;जब भी संकट पडे तों आय जगऊ ं कसे। असी सत्य मगय भिगनी की जुबगनी से::--- हों पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::--- १३) तेरहिो अध्यगय मग;दुय भक्त रगजग सूरथ अनग समगक्षध िैश्य लग िरदगन देसे। मगय जर्दम्बग सगकगर रुप मग आिसे;ईनको खोयो रगज्य लग देसे। मगय दुर्गा शेरगिगली;मगय भिगनी रुद्रगणी से::--- हो -हो पहलों अध्यगय मग मगय क्षिकरगल भिगनी से::---- हों र्ुप्त सगधनिगली मगय दुर्गा की कहगनी से:::-------** देिी र्ीतकगर-रगमचरण पटले महगकगली नर्र नगर्पुर मोबगइल नं.९८२३९३४६५६ मु.पोष्ट:-कटेरग तहसील -कटंर्ी क्षजलग बगलगघगट (म.प्र.)