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धरती माता एवं कसाननारायण क कथा
गजानन गीत
चालो हो गजानन रायला म चालां
आछ Ð आछ बातां बतावा ओ गजानन रायला म चालां
बरखा रो पाणी नाला म उतरे, उतर ने खेता ने काटतो जावे
उन पर बंधा बंधावा हो गजानन रायला म चालां
नाला पर आपी बंधा बांधावा, बंधा बंधाई ने पाणी ने र का
धरती ऋ यास बुझावा ओ गजानन ..... यास बुझाई ने रायला म चालां
चालो हो गजानन बीड़ा म चालां, बीड़ा म चालां ने कोट लगावा
आछ Ð आछ घास उगावा हो गजानन, आपां रायला म चालां
घास उगाई ने गया भस पाला, दूध, दह ने िघरत बनावा
घर Ð घर सु बीमार भगावा हो गजानन आपा रायला म चालां
चालो हो गजानन खड़ा लगावा, खड़ा लगावा ने ह रयाली लावा
मोसम रो हल सुधार हो गजानन आपा रायला म चालां
ूथम अ याय
कथा ूारंभ होत हे सुिनए सजन सुर ान .... यान लगाकर बे ठये ूेम स हत कसान
एक बार कु छ साधु-संत अरावली, वं याचल और सतपुड़ा के गामो म ॅमण कर रहे थे तो देखा धरती बड़ जोरदार ताप रह ह,
लोगो और जानवर के पीने का पानी नह ं ह, खेत सूखे पड़े ह, खिलहान खाली ह, लोग भूख के मारे तड़प रहे ह, चार और पशु
मरे पड़े ह, जो बचे ह चारे पानीं के िलए भटक रह ह, धरती वृ वह न हो गई ह, मंगरे गंजे दखाई पड़ रहे ह यह सब देख
कर संतो को बहुत दुःख हुआ और मन म वचार करने लगे क अब या होगा? उ ह ने वचार कया क इसके समाधान के
िलए हम नेिमशारा य म सुत जी महाराज के आौम म जाना चा हए तब वे चलते चलते वहा पहुचे ूणाम आ द करके दुखी
मन से अपनी समःया उ ह बताई
तीथ नैिमशार य है किलमल कलुशन हर ..... तप करते सूतजी पवन सभागार
सूत जी महाराज ने कहा मुिनजन आप लोग बहुत दूर से थक हर कर आये ह अतः आप आज आराम करे इस वषय पर कल
यंहा एक समारोह हो रहा ह उसमे आप पधारे आपक ज ासा का समाधान वंह िमलेगा
दुसरे दन समारोह म सूतजी महाराज ने बताया क कस ूकार मोसमदेव को पत हो गए ह और उ ह ने इ िदेव, अ नदेव, पवनदेव
व व णदेव को अपने कोप के साथ जोड़ िलया ह, और दनो दन उनका कोप बढता ह जा रहा ह उनका कोप के सा ह कस प म
सामने आयेगा कु छ कहा नह ं जा सकता: इसके प रणाम ःव प धरतीमाता को और या या कःट सहना ह गे कहना मु ँकल ह:
िमटट बह कर जा रह ह और धरती माता न न होती जा रह हेS
• इस कोप के कारण जल देवता को या या संकट हो रहे ह, 
• पेड़ पोध व अ य वनःपितय पर या ूभाव पड़ रहा है  
• खेती व ् कसानी के काम के से ूभा वत हो रहे ह  
• आजी वका के से बखर रह हे  
• जीवन टूट रहा हे  
• आसपास का पयावरण दन दन बगडता जा रहा हे 
यह सब सुनकर संत का मन डर गया उ ह धरती पर जीवन अंधकारमय लगने लगा और लगा क अब मोसमदेव का कोप धरतीमाता
के ःव प को न करदेगा, धरतीमाता के सभी प रजन मनुंय, वनःपित,बड़े छोटे सभी जीव ज तु समा हो जांएगे
तो सूतजी महाराज कहते ह क इस बार धरतीमाता क दुदशा देखकर ऽदेव (जगत के रिचयता ॄ ा, पालनहार भगवान नारायण और
संहारक भगवान भोलेनाथ) बहुत नाराज हुए  ऽदेव का इस पर जो सोच हे उसके बारे म हम देव ष नारदजी ह बता सकते ह अत:
आज हम ौी नारदजी का आ हान करते ह और उनसे इस वषय म जानने एवं इसके उपाय के बारे म जानगे 
नारदजी का आ हान करने के इए सबने िमलकर उनका ूय भजन गाया 
ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण ....... 
और देखते ह देखते भ यधरा क पावन धरती पर देव ष नारद का आगमन हुआ 
नारायण...... नारायण....     नारायण.... नारायण......  कसाननारायण...... कसाननारायण.... 
सभी उप ःथत समुदाय ने नारद जी का अिभवादन कर अपने आ हान का कारण देव ष के सामने रखा, वेसे तो नारदजी से कु छ भी
छु पा नह ं हे परंतु फर भी उ ह ने सभी क बात को यान लगा कर सुना और
ukjnth dgus yxs fd इसम bruk ?kcjkus dh dksbZ ckr ugh gS य क ू वी
मेरे आरा य वंणु जी क iRuh gS और उसका नाम ह Hkwansoh Hkh gSA
ह मुिन जन धरतीमाता को मनाने के िलए कसाननारायण और धरतीमाता
का पूजन, हवन और ोत करना होगा तब ह धरतीमाता का गुःसा शांत होगा
और सभी ूाणी सुखी हो सकगेA 
मुिन जन देव ष नारद से पू ने लगे क ह भगवन ये कसाननारायण भगवान ्
कौन हे और उनक पूजा कब और कै से क जा सकती ह इसके िलए हम या
करना होगा, या गर ब य भी कर सकता ह? इसे कब करना होता हे?
यह सुनकर नारद जी कहने लगे भगवान ् वंणु का जो ःव प कसान के
िलए पूजनीय ह वह कसाननारायण हे: इनक धरतीमाता के साथ पूजा करने
पर मोसमदेव का कोप कम होता हे नारद जी ने यह भी बताया क
कसाननारायण व धरतीमाता क पूजा अचना एक ूाचीनतम ोत ह यह ोत
अना दकाल से चला आरहा ह इसका वणन सव ूथम कहाँ िमलता ह और
कसान को इसका या फल ूा होता ह यह म आप सभी व ान ् जानो से
कहता हूँ यान से सुनोA
इित ौी कसाननारायण-धरतीमाता कथायां ूथम अ याय समा
तीय अ याय
कै लास पवत िशवजी बराजे, संग म माता पावती साजे
ज बूद प वचरण करे, लोक उ ार का वचार करे
नारद जी +कहने लगे क एक बार क बात हे भगवान ौी भोलेनाथ माता पावती के साथ माया लोक म वचरण कर रहे थे तो एक
ःथान पर कसान के आयोजन को देख माता ने पूछा भगवान ये या आयोजन हो रहा हे? और य हो रहा हे?
 
तब भगवान भोलेनाथ बोले क हे गौर मोसमदेव क िभ न िभ न ःथितय के ूित अपने आप को ढालने के िलए कसान समुदाय
ौी हर वंणु क पूजा अचना एवं ोत का आयोजन करता हे,  
• आज उसी ोत का वा षको सव का आयोजन हो रहा हे 
• इस ोत के पालन करने से गाँव का वातावरण ःव छ एवं कसान प रवार पी ड़य तक संप न एवं आरो यवान रहता हे  
• धरतीमाता हर भर होती ह एवं तभी आपका अ नपूणा ःव प सभी जीव क पूितकर पाता हे 
तब माता पावती ने भगवान से कहा, क हे ूाणनाथ आप तो परम पता परमे र ह पर तु यह बताएं क कलयुग म 20 वी सद के
प ात जब मोसमदेव का कोप बड जावेगा, उनके य हार म अिन ताएं बड जावेगी, धरतीपुऽ यिथत व याकु ल हो रहे ह गे तब भी
या यह ोत उनका उ ार करेगा?
 
तब भोलेनाथ ने कहा ......हे जगत जननी आज आपने फर अपने ब च के िलए एक माग पुछ िलया है तो सुनो.... िन त ह उस
क ठन समय म भगवान ौी हर वंणु के कसाननारायण ःव प को ूस न करने वाले इस ोत के अदभुत लाभ ह गे और पहाड़ो,
वन , उजाड़, म ःथली ःथान म रहने वाले कम संसाधन वाले सभी गर ब कसान इस ोत का लाभ ले पायगे|
तब माता पावती ने कहा हे ूभु मेरे पुऽ-पु ऽय एवं समःत जगत के क याणकार इस ोत के वषय म कृ पया वःतार से बतलाएं,
और यह भी बतलाएं क इस ोत के बारे म गर ब दूर दराज म रहने वाले कसान इसके बारे म के से जानगे, उ ह इसके बारे म कौन
बतलायेगा? 
 
तब सभा म नारदजी ने सभी को बताया क कसाननारायण के इस ोत
के बारे म भगवान भोलेनाथ ने माँ पावती को जो बताया था वह ान म
आपसे कहता हूँ सो सुनो एवं कं ठःथ करलो य क यह ोत अब आप
सभी जो जो भी यंहा उप ःथत हे दूरदराज म रहने वाले जन जन तक
पहुचाना होगा जससे क स पूण संसार मोसमदेव के कोप से न के वल बचे
रह वरन उनके कोप को भी शांत कर सके
 
वेसे तो यह ोत साधना हे और इसे अखंड प से कया जाना चा हये पर तु इसक शु आत करने के िलए घर के ू येक सदःय को
कसी भी र ववार के दन सूय दय के पहले श या का याग कर दे, शोच ःनानाद से िनवृत होकर घर के आंगन म गोबर, गोमूऽ व
पली िम ट िमलाकर िलप ल….. एक आसन पर अपने सभी खत क थोड़ थोड़ िम ट इ कठ करके धरती माता क ःथापना कर
विध वधान से पूजा करके सभी लोग अपने रँतेदार व बंधू बांधव क उप ःथित म संक प ल क  
आज से मे  
...... धरती को अपनी ज मदाता, पालनकता, अ नपूणामाता के प म मानग, हम इसके अंग सूआम कण से लेकर बड़े प थर तक
सभी को अपना भाई बंधू सखा मानगे और उसके र ा के ूयास करगे, फर चाहे वो खेत म हो, बीड़े म हो, चारागाह म हो, घर म
हो, गाँव म हो, गली म हो, नद म हो, अपनी जमीन म हो या कसी और क जमीन म हो, अपने गाँव म हो या कसी और गाँव म
हो…… 
...... हम पानी को जल देवता के प म ःवीकार करते ह, हम इसक एक एक बूंद को संर त करगे, उनको ताल, तलै या, नद ,
नाड कसी भी तरह से इ कठा करगे, इन संसाधन को दू षत होने से बचायगे 
.... धरतीमाता को मोसमदेव के कोप से बचाने के िलए उसे फलदार, फलीदार, फू लवाले, छाया देने वाले, चारा देने वाले पेड़ पोध से
सुस जत करदगे…… 
..... धरतीमाता क ताकत बनाये रखने के िलए हमेशा जै वक खाद का ूयोग करगे, ऐसा कोई भी पदाथ या रसायन उपयोग म नह ं
लगे जससे िम ट म रहने वाले जीव क ह या हो.  
..... धरतीमाता का कोई भी हःसा बेकार नह ं होने दग 
..... हर संभव यह ूयास करगे क धरतीमाता को कोई क न हो. 
..... सभी पशु-प य के साथ िमलकर धरतीमाता को ःवःथ और सु दर बनायगे.
 
इस ूकार जो कसान अपनी धरतीमाता एवं उसक संतान के ूित ब धु भाव रखता हे वह ौी वंणुः हर के कसाननारायण ःव प
को बहुत ूय होता हे उसे और उसके समःत ूयजन पर हम ऽदेव क कृ पा सदेव बनी रहती है, उसके सभी संसाधन जमीन, पशु
प ी, घर- ार, कु आ, तालाब इ या द ज म ज मा तर तक ूभावी एवं उ पादक बने रहते ह….. 
Rk`fr;ks v/;k; izkjEHk
ह मुिन या इस ोत को कसी ने कलयुग म भी कया ह और य द कया ह तो उसको इसका या फल ूा हुआ सो कह
चोपाई ज बूद प म मालव राज कहाए, महाकाल वन नाम धरावे
दुबल भील पहाड का राजा, घर पर बजे मंगल बाजा
धरती रो ौंगार करावे, धांस खड़ा र ओड़नी उडावे
इ िदेव ने वो ह मनावे, कसान नारायण रो उ सव मनावे
मालवा रा य म मा ह नद के जंगल म वरदा नाम का एक कसान अपनी प ी मांगी बाई के साथ अपने छोटे से मगरे पर िनवास करता था |
उनके दो पु ऽयाँ और एक पुऽ थे, पुऽ हरा जब युवा हुआ तो वरदाजी ने उसका ववाह पास के फले/ मोह ले के भोराजी क गुणवान पुऽी कमला
के साथ करा दया| ववाह होने पर दोन पित-प ी को समाज के बड़े-बूडो ने बुलाकर उनक आजी वका के िलए पास के फले म 5 बीघा बरस से
तेयार क हुई समतल जमीन का एक खेत, एक थोडा ढलान वाला खेत, एकगाय, कमला के मामा ने एक बकर द तो चाची, काक , मासी,भुआ,
सबने एक-एक मुग द और इस ूकार उनका नया प रवार बस गया| सबने िमलकर उस जमीन से अपना जीवन यापन करने का ान भी ूदान
कया| वरदाजी और भोराजी ने समय के िनयम के अनुसार दोन को अपने संसाधन का उिचत यान रखने का ान देकर वचन िलया क वे,
जमीन को पूजनीया धरती माता के प म रोज उसक सेवा करग व अपनी माता के सामान ह धरतीमाता के ःवाःथ, पोषण एवं ौंगार का पूरा
यान रखगे| पेड़ पी कपड़ से हमेशा उसके तन को ढक कर रखगे िम ट के हर एक कण को अपने बड़े भाई के सामान स मान दग पानी को
इ िनारायण का ूसाद समझगे
उसके बुजुग क मेहनत और पूजा के आशीवाद से दस साल का समय तो दोन के िलए मौज मःती म गुजरा, दो पुऽ और दो पुऽी को ज म
दया, एsसा लग रहा था क सब ठ क चल रहा था, पर तु युवा अवःथा का जोश म दोन अपने बड़े बुड क सीख भूल गए और समय बीतता गया
... धीरे धीरे उिचत देख रेख के अभाव म धरतीमाता का ःवाःथ कमजोर होता गया,
.....बीच-बीच म कमला उसको अपने बड़े-बूडो क सीख क याद दलाती पर तु उसके पित का यान कह ं और था, प रणाम यह हुआ क उसक
उवरक मता कम हो गयी और उ पादन कम देखकर दोन पित-प ी ने जमीन पर यान देना और कम कर दया, उ पादन और कम हो गया,
यान देना और कम हो गया इस ूकार ये िसलिसला बड़ता गया और उसका असर दोन के ःवाःथ पर भी दखाई देने लगा, ब च क पड़ाई पर
भी होने लगा,धन-धा य से भरे ड बे खाली होते चले गए कपडे फटने लगे और ऐसे करते करते एक म यम वग य प रवार, एकहँसता खेलता
प रवार गर ब प रवार बन गया
मन ने अित घबराकर, दोडा शहर म जाय .... माता धरती क सेवा छोड़कर मजदूर म लग जाये
पालन पोषणतो करना ह हे तो ..... नगर जाकर मजदूर ढूढन का िसलिसला शु हुआ पहले वो आया एक स ाह के िलए फर एक माह के िलए
फर तीन माह, फर छ: माह और ऐसे करते-करते धरतीमाता और उसके एक पुऽ का स ब ध समा होने लगा| फर एक समय आया जब वह
अपने बालक को भी नगर ले आया, खेलने कू दने क उॆ म मजदूर का बोझ उस न ह सी जान के शर र पर पड़ने लगा, एक और पीड़
धरतीमाता से दूर हो गयी
उधर प ी कमला जो गाँव म रहती और अपने भा य को कोसती रहती, उसक एक चचेर बहन पास ह के रायला गाँव म रहती थी, वह अपनी
समःया लेकर उसके पास गयी, उसने देखा उसक बहन के पास भी साधन तो उतने ह कम हे पर तु वे बड़े ह ठाट से रहते ह, चचा करने पर
ब हन ने इस सब को युग से चले आरहे धरतीमाता और कसाननारायण के ोत व सेवा का ूताप बताया| इस समय कमला को अपने ववाह
के समय अपने माता- पता ारा बताई बात का वचार आया, पर तु समय के साथ वह तो अपनी सीख भूल गई थी| कमला अपनी चचेर बहन
से कहने लगी ........ या कहने लगी ......
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
पेली चोमस म बरखा होती भायला, अबे बा रश रो कई ठकानो नी भाया
चोमासो वे यो दोमासो मारा भायला, बरखा कठासु आवे रे भाया
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
पानी ने िम ट बहगी मारा भायला, खेती चोपट वेईगी रे लोल
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
आछ -आछ मित ने रोको मारा भायला, आपणी खेती सुधारो रे लोल
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
रोज-रोज शहरा म जावा मारा भायला, मजदूर ढूंढता फरा रे लोल
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
हार थाक ने घरे आया भायला, घरवाली बात जोवती रे लोल
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
सब िमल बे ठने मी टंग करा, कई तो उपाय करःया रे लोल
अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया
इित ौी तृतीय अ याय समा
चतुथ अ याय
उसने अपनी दु वधाओं को अपनी चचेर बहन से कहा क म तो इस ोत के बारे म नह ं जानतीहूँ तो या अब मेरा जीवन
ऐसा ह रहेगा, और मेरा पित और ब च को नगर म नरक का जीवन भोगना होगा? उसक बहन ने उसको अपने गाँव के
भ यधरा आौम और वंहा ःथत कसाननारायण व धरतीमाता मं दर के दशन करने ले गई
वहां या देखती हे क ढलान क जमीन पर बंधे लगा कर सु दर खेत बनाये गए ह, खेत म काले रंग क देखने से ह आक षत करने
वाली िम ट हे, चारोऔर और वृ लगे ह, मौसमी फू ल औरअ या ःथानीय फल क बहार हे… एक ूकार से जो उसने अपनी बहन के
घर पर एक छोटा मं दर देखा था उस मं दर या उस भगवान का वराट प यंहा देखने को िमल रहा थाÉ.
उस रात वह देर तक सो नह ं पाई और मन म नाना ूकारके वचार करते करते कब नींद लग गयी पता नह ं चला| यकायक या देखती
हे क जीणशीण अवःथा म धरतीमाता उसके सामने खड़ हे, उनक आँख म आंसू हे, यह देख कमला के आँख म भी आंसू आगये, दोन
एक दुसरे के आंसू पोछने लगे….
धरतीमाता ने कमला से कहा क हे पुऽी भगत और भगवान दोन एक दुसरे से बंधे ह, हमारा भा य भी एक दुसरे से बंधा हे, जब भगत दुखी
होता हे तो भगवान भी दुखी होता हे परंतु संसार का चब ह एसा हे अपने अपने कम का फल ःवंय को और अपने प रवार को ह िमलता हे
इसिलए हे पुऽी अब जब क तुझे भ यधरा के इस आौम म धरतीमाता एवं कसाननारायण भगवान क सेवा का जो ान िमला हे उस
ान से अपने प रवार के अ य सदःय को भी जोड़... फर देख म तेरे िलए या या नह ं करती हूँ?
एकदम से नींद खुली तो सवेरा हो गया था सूयनारायण भगवान क उजाले क करण उसके चेहरे पर नई चमक ले आई थी
दोड दोड कमला मंद रया म जावे रे......... पूजन करे रे धरती मात र .....
बड़ा ह ूेम से ूसाद लेवे रे ......... स साग करे बड़ा ूेम सु ........
इ दर ने मनावे, अ नदेव ने मनावे .......धरती माता करे ूाथना
पूनम का दन था, कमला ने अपने छोटे पुऽ व दोन पु ऽय जो अब युवावःथा क और बड रहे थे, साथ लेकर रायला ःथत
भ यधरा आौम ले गयी| तीनो ब च को भगवान कसाननारायण एवं धरतीमाता के दशन कराये, आौम क प रबमा क , आौम म
िमले मोसमी फल का ूसाद ूा कया..  ब च स हत स संग म बड चढ़ कर भाग िलया, मोसम देव के कोप को जाना, उसके
कारण को समझने का ूयास कया.. और उसने या जाना क ......
धरतीमाता रो पे घाघरो, अमर चुनर ओढू, धरती रा गुण म गाऊ
मे आद पु ष ऋ चेली जी .......... ओ जी
सूरज चाँद मारे आंगने लगाउला, जरना ऋ जोत जालाउला
संता रे भेली रहुला, धरती रा गुण म गाउला
मे आद पु ष ऋ चेली जी .......... ओ जी
इ िदेव ने पुरा मनाउला, बजली र आरती उता ला
धरती र यास बुझावु जी......... ओ जी
पवनदेव ने म तो मनाउला, बादिलया बरसावेला
धीमीगित सु चाले जी ............. ओ जी
कसाननारायण र आरती क ला, मोसम रो हाल सुधारेला ओ जी
मनखा र बीमा रया िमटेला, पशुआ रा जीवन सुधरेगा
आपरे नौ धान रो भोग लगाऊ जी ............. ओ जी
गोबर, गोमूऽ रो खाद बानाउला, आपरे भोग लगाउला
माट ने उपजाऊ बनाऊ जी ............ ओ जी
पेड़ पोधा सु ौृंगार कराउला, घास ऋ ओड़नी ओडाउला फल रो भोग लगाऊं जी ............... ओ जी
इित ौी कसान नारायण-धरतीमाता कथायाम चतुथ अ याय समा  
पंचम अ याय
इस संक प के बाद कमला और उसके प रवार का ोत ूारंभ हुआ उ ह ने:
• चेऽ माह के तीसरे सोमवार के दन से बारह सोमवार का धरतीमाता ोत ूार भ कया, इस दन से शु करके ूित सोमवार
घर के सभी सदःय िमलकर ूात: 6 बजे से 10 बजे तक धरतीमाता क सेवा करते.......अपने खेत क मेड को ठ ककरते,
...... जस जमीन पर पाली नह ं बांधी गई हो उस पर पाली बांधते, कटान रोकने क यवःथा कर , नए पेड़ो के िलए उिचत
ग डे तेयार कये गए  
• जमीन के अनुसार घर के उ र-प म भाग म यथा श प थर/ ट का एक ठाण कचुआ जी के िलए ःथा पत कया गया,
......ठ ड के दन म ूित मंगलवार िनयिमत प से इस ठाण पर आधा मटके पानी का िछड़काव कया गया, 
....गम के दन म मंगलवार और शिनवार दो दन िछड़काव कया.  
• प रवार के सभी सदःय ने चेऽ माह औरसावन माह क स मी या अःटमी के दन ठ डे पदाथ का सेवन कया  
• जेठ और आसाडा माहम पक हुई िन बोली और नीम के प े इ कठा करके पेड़ो के िलए खोदे ग डो और थावल म डाले,
बची िनबोिलय का तेल बनाया गया  
• भादो क दूज के दन के माह जो जो भी मेड टूट-फू ट ग हो उसक आवँयकतानुसार मर मत क गयी  
• आसोज माह म खेतो क फसल काट कर उसको ठ क से िनकाला  
• आंवला नवमी के दन इस ोत का वा षक उ ापन कया, जसमे मॉल, जवार, म का, मूंग, ितल, चवला, उड़द, चावल,
कागनी इ या द नव धानो को िमलाकर भगवान को भोग लगाया  
• धरतीमाता के तेज को बरसात के ूभाव से बचाने के िलए आवँयक ूबंध कया, फलीदार पेड़ से धरतीमाता को सजाया  
• धरतीमाता के ःवाः य म सुधर के िलए अपने खेत या घर पर तेयार क गई कचुआ खाद का ूयोग पूर जमीन पर कया 
• पेड़ को अपने ब धुओं क तरह जानकर उन पर लगे हुए क ट पतंग से उनको सुर त कया  
• ूित दन गोधुली वेला के समय मोसमदेव क बोधा न को शांत करने के िलए साथी कसान ने धरतीमाता के भजन बोल,
म हला कसान भी मंगल गीत का गान कया…
गीत
एक दान आवजो हो मारे गावड़े, हो मारे गावड़े
िलमडा र छाया म ऊँ ची चबूतर , नीची चबुतर
काता मा सूत ने बंटा मा सूतली
लारे खेती रो करा कम रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े
लीली धरती पे खेत दांत काड़ता
मगरा र गोदा म गाया चरावता
उपजावा मोती जःयो धान रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े
कचुड कचुड चडस हांका, लारे मा गावा गीत रे
उपजावा मोती जःयो धान रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े
घंट र घम-घम म कु कड़ा जो बोले
उषा महाराणी जद घुंघट पट खोले
उड़ता पंछ डा करे लाड रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े
 
अगली बार जब उसका पित गाँव आया तो घर का वातावरण देख कर च कत रहा गया. शाम को कमला ने अपने घर कसाननारायण
के भजन का आयोजन कया, दूसरे दन प रवार के सभी सदःय आौम गए, कसाननारायण भगवान और धरतीमाता के दशन कये
अपने पित को सभी पूजन विधय के बारे म बताया और नए वधान को अपनाने का ूण िलया. कालांतर म कमला और हरा दोन
ने अपने समाज और ेऽ के कसान प रवार क भलाई के िलए कसाननारायण और धरतीमाता के ोत के िलए लोक जागरण का
काय करते हुए वैकुं ठ को ूा हुए.... उसी पर परा के अंतगत आपके गाँव म हमने इस कथा का गान कया और वचन ब ह
क सभी धरती पुऽ को इस द य ोत के साथ जोड़ कर उ ह व उनके प रवार को अपने और अपने ब धु-बांधव के उ ार के िलए
ूे रत करग अब हम सभी कसान िमलकर धरतीमाता क आरती गायगे और कसाननारायण के भजन करगे, सभी को ूसाद वतरण
कया जावेगा और सभा का वसजन होगा.
धरती माता क आरती
जय धरतीमाता, मैया जय धरतीमाता ......... सबका पालन करती, तू ह दुःख हता
फू ल, फल, अ न देती ह सबक माता.....मैया ह सबक माता
घास खड़ा पाले, पलता जग सारा.... जय धरतीमाता
खुद वो यासी रहती, सबको दे पानी ..... मैया सबको दे पानी
न दया नाले बहते, जीव पले सारा ...... जय धरतीमाता
गोबर खाद बनाओ, उपजे अ न यादा,..... मैया उपजे अ न यादा
यू रया ड एपी हटाओ जलती हे माता ....... जय धरतीमाता
ख बीडा म लगाओ, घास बने साड़ ..... मैया क घास बने साड़
धरती मा क करलो पूजा िमल सारे....... जय धरतीमाता
मॉल कलथ ितल बोव िमल कर सब सारे ओ मैया िमल कर सब सारे
मूंग, उड़द लगाओ, उपजे वो यादा .... जय धरतीमाता
कु आ, बावड़ सूखा, मोल िमले पाणी ... ओ मैया मोल िमले पाणी
ताल तलेया बांधो, जीवन सैलानी ..... जय धरतीमाता
धरतीमाता क आरती जो कोई नर गावे....ओ मैया जो कोई नर गावे
यारे खेत सुधर जावे, यारे कु आ भर जावे, यारे घर लआमी आवे, यारे आन द हो जावे
कहत िशवान द ःवामी, और कहत चंदू महाराज वाको जीवन सुधर जावे ...... जय धरतीमाता
और हम तय करते ह क यहाँ उप ःथत सभी कसान: ी-पु ष; व ान ् ऋ ष इस ोत क म हमा का गान कसाननारायण और धरतीमाता
क कथा” के प म गाँव-गाँव म कथा आयोजन और भजन के मा यम से करग
इित ौी कसान नारायण Ð धरतीमाता कथायाम पंचम अ याय समा
भू देवी Ð ौी देवी और कसाननारायण
 
भू देवी कसान नारायण ौी देवी
द ण भारत म आज भी धरतीमाता क पूजा भगवान वंणु और माता लआमी (ौीदेवी) के साथ भूदेवी के प म
ूचलन म हे, परंतु हमारे मेवाड़ म लोग ने कसाननारायण और धरतीमाता क जो उपे ा क हे जसका प रणाम
हमारे सामने हे, अत: आप सभी से अनुरोध हे क कसाननारायण और धरतीमाता क पूर ौ दा के साथ ोत
और पूजा करे और सुख स पित ूा कर. ूशांत महासागर के देश इंडोनेिशया म धरती माता का भ य मं दर हे,  
धरतीमाता का ौंगार कराओ, पेड़ पोधे और घास लगाओ ...
जीवामृत का खाद बनाओ, मा धरती को उपजाऊ बनाओ
धरतीमाता के दो हाथ ह इनके दांये हाथ म नील रंग का कोमुद पी कमल हे जब क बांया हाथ अभय मुिा म
होता हे, धरतीमाता ःथायी भाव म रहती ह वे एक चोकोर आसन पर बराजमान ह जसके चार कोनो पर चार
हाथी चार दशाओं के घोतक ह अ य भुजाओं म एक म अनार, एक म पानी का कलश, एक औषिध पाऽ और
एक म पोषण वनःपित ह
धरती माता के कई नाम ह जैसे भूिम, भ-देवी, भूमादेवी, धरा, धरती, ध रऽी, वनःपतीनाममिभर,
औशा यानाममिभर, व ा याय, व माशु, धारा, ढ़, कसमा, ःथावर, वँदवा, व धा रणी, व ंहरा र गभा,
र वती एवं वसु धरा नाम से भी जाना जाता हे
वंणु क प ी के प म पृ वी को लआमी भी माना गया हे,

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Dhartimata kisannarayan

  • 1. धरती माता एवं कसाननारायण क कथा
  • 2. गजानन गीत चालो हो गजानन रायला म चालां आछ Ð आछ बातां बतावा ओ गजानन रायला म चालां बरखा रो पाणी नाला म उतरे, उतर ने खेता ने काटतो जावे उन पर बंधा बंधावा हो गजानन रायला म चालां नाला पर आपी बंधा बांधावा, बंधा बंधाई ने पाणी ने र का धरती ऋ यास बुझावा ओ गजानन ..... यास बुझाई ने रायला म चालां चालो हो गजानन बीड़ा म चालां, बीड़ा म चालां ने कोट लगावा आछ Ð आछ घास उगावा हो गजानन, आपां रायला म चालां घास उगाई ने गया भस पाला, दूध, दह ने िघरत बनावा घर Ð घर सु बीमार भगावा हो गजानन आपा रायला म चालां चालो हो गजानन खड़ा लगावा, खड़ा लगावा ने ह रयाली लावा मोसम रो हल सुधार हो गजानन आपा रायला म चालां
  • 3. ूथम अ याय कथा ूारंभ होत हे सुिनए सजन सुर ान .... यान लगाकर बे ठये ूेम स हत कसान एक बार कु छ साधु-संत अरावली, वं याचल और सतपुड़ा के गामो म ॅमण कर रहे थे तो देखा धरती बड़ जोरदार ताप रह ह, लोगो और जानवर के पीने का पानी नह ं ह, खेत सूखे पड़े ह, खिलहान खाली ह, लोग भूख के मारे तड़प रहे ह, चार और पशु मरे पड़े ह, जो बचे ह चारे पानीं के िलए भटक रह ह, धरती वृ वह न हो गई ह, मंगरे गंजे दखाई पड़ रहे ह यह सब देख कर संतो को बहुत दुःख हुआ और मन म वचार करने लगे क अब या होगा? उ ह ने वचार कया क इसके समाधान के िलए हम नेिमशारा य म सुत जी महाराज के आौम म जाना चा हए तब वे चलते चलते वहा पहुचे ूणाम आ द करके दुखी मन से अपनी समःया उ ह बताई तीथ नैिमशार य है किलमल कलुशन हर ..... तप करते सूतजी पवन सभागार सूत जी महाराज ने कहा मुिनजन आप लोग बहुत दूर से थक हर कर आये ह अतः आप आज आराम करे इस वषय पर कल यंहा एक समारोह हो रहा ह उसमे आप पधारे आपक ज ासा का समाधान वंह िमलेगा दुसरे दन समारोह म सूतजी महाराज ने बताया क कस ूकार मोसमदेव को पत हो गए ह और उ ह ने इ िदेव, अ नदेव, पवनदेव व व णदेव को अपने कोप के साथ जोड़ िलया ह, और दनो दन उनका कोप बढता ह जा रहा ह उनका कोप के सा ह कस प म सामने आयेगा कु छ कहा नह ं जा सकता: इसके प रणाम ःव प धरतीमाता को और या या कःट सहना ह गे कहना मु ँकल ह: िमटट बह कर जा रह ह और धरती माता न न होती जा रह हेS • इस कोप के कारण जल देवता को या या संकट हो रहे ह,  • पेड़ पोध व अ य वनःपितय पर या ूभाव पड़ रहा है   • खेती व ् कसानी के काम के से ूभा वत हो रहे ह  
  • 4. • आजी वका के से बखर रह हे   • जीवन टूट रहा हे   • आसपास का पयावरण दन दन बगडता जा रहा हे  यह सब सुनकर संत का मन डर गया उ ह धरती पर जीवन अंधकारमय लगने लगा और लगा क अब मोसमदेव का कोप धरतीमाता के ःव प को न करदेगा, धरतीमाता के सभी प रजन मनुंय, वनःपित,बड़े छोटे सभी जीव ज तु समा हो जांएगे तो सूतजी महाराज कहते ह क इस बार धरतीमाता क दुदशा देखकर ऽदेव (जगत के रिचयता ॄ ा, पालनहार भगवान नारायण और संहारक भगवान भोलेनाथ) बहुत नाराज हुए  ऽदेव का इस पर जो सोच हे उसके बारे म हम देव ष नारदजी ह बता सकते ह अत: आज हम ौी नारदजी का आ हान करते ह और उनसे इस वषय म जानने एवं इसके उपाय के बारे म जानगे  नारदजी का आ हान करने के इए सबने िमलकर उनका ूय भजन गाया  ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण ....... ौी मन नारायण नारायण .......  और देखते ह देखते भ यधरा क पावन धरती पर देव ष नारद का आगमन हुआ  नारायण...... नारायण....     नारायण.... नारायण......  कसाननारायण...... कसाननारायण.... 
  • 5. सभी उप ःथत समुदाय ने नारद जी का अिभवादन कर अपने आ हान का कारण देव ष के सामने रखा, वेसे तो नारदजी से कु छ भी छु पा नह ं हे परंतु फर भी उ ह ने सभी क बात को यान लगा कर सुना और ukjnth dgus yxs fd इसम bruk ?kcjkus dh dksbZ ckr ugh gS य क ू वी मेरे आरा य वंणु जी क iRuh gS और उसका नाम ह Hkwansoh Hkh gSA ह मुिन जन धरतीमाता को मनाने के िलए कसाननारायण और धरतीमाता का पूजन, हवन और ोत करना होगा तब ह धरतीमाता का गुःसा शांत होगा और सभी ूाणी सुखी हो सकगेA  मुिन जन देव ष नारद से पू ने लगे क ह भगवन ये कसाननारायण भगवान ् कौन हे और उनक पूजा कब और कै से क जा सकती ह इसके िलए हम या करना होगा, या गर ब य भी कर सकता ह? इसे कब करना होता हे? यह सुनकर नारद जी कहने लगे भगवान ् वंणु का जो ःव प कसान के िलए पूजनीय ह वह कसाननारायण हे: इनक धरतीमाता के साथ पूजा करने पर मोसमदेव का कोप कम होता हे नारद जी ने यह भी बताया क कसाननारायण व धरतीमाता क पूजा अचना एक ूाचीनतम ोत ह यह ोत अना दकाल से चला आरहा ह इसका वणन सव ूथम कहाँ िमलता ह और कसान को इसका या फल ूा होता ह यह म आप सभी व ान ् जानो से कहता हूँ यान से सुनोA इित ौी कसाननारायण-धरतीमाता कथायां ूथम अ याय समा
  • 6. तीय अ याय कै लास पवत िशवजी बराजे, संग म माता पावती साजे ज बूद प वचरण करे, लोक उ ार का वचार करे नारद जी +कहने लगे क एक बार क बात हे भगवान ौी भोलेनाथ माता पावती के साथ माया लोक म वचरण कर रहे थे तो एक ःथान पर कसान के आयोजन को देख माता ने पूछा भगवान ये या आयोजन हो रहा हे? और य हो रहा हे?   तब भगवान भोलेनाथ बोले क हे गौर मोसमदेव क िभ न िभ न ःथितय के ूित अपने आप को ढालने के िलए कसान समुदाय ौी हर वंणु क पूजा अचना एवं ोत का आयोजन करता हे,   • आज उसी ोत का वा षको सव का आयोजन हो रहा हे  • इस ोत के पालन करने से गाँव का वातावरण ःव छ एवं कसान प रवार पी ड़य तक संप न एवं आरो यवान रहता हे   • धरतीमाता हर भर होती ह एवं तभी आपका अ नपूणा ःव प सभी जीव क पूितकर पाता हे  तब माता पावती ने भगवान से कहा, क हे ूाणनाथ आप तो परम पता परमे र ह पर तु यह बताएं क कलयुग म 20 वी सद के प ात जब मोसमदेव का कोप बड जावेगा, उनके य हार म अिन ताएं बड जावेगी, धरतीपुऽ यिथत व याकु ल हो रहे ह गे तब भी या यह ोत उनका उ ार करेगा?   तब भोलेनाथ ने कहा ......हे जगत जननी आज आपने फर अपने ब च के िलए एक माग पुछ िलया है तो सुनो.... िन त ह उस क ठन समय म भगवान ौी हर वंणु के कसाननारायण ःव प को ूस न करने वाले इस ोत के अदभुत लाभ ह गे और पहाड़ो, वन , उजाड़, म ःथली ःथान म रहने वाले कम संसाधन वाले सभी गर ब कसान इस ोत का लाभ ले पायगे|
  • 7. तब माता पावती ने कहा हे ूभु मेरे पुऽ-पु ऽय एवं समःत जगत के क याणकार इस ोत के वषय म कृ पया वःतार से बतलाएं, और यह भी बतलाएं क इस ोत के बारे म गर ब दूर दराज म रहने वाले कसान इसके बारे म के से जानगे, उ ह इसके बारे म कौन बतलायेगा?    तब सभा म नारदजी ने सभी को बताया क कसाननारायण के इस ोत के बारे म भगवान भोलेनाथ ने माँ पावती को जो बताया था वह ान म आपसे कहता हूँ सो सुनो एवं कं ठःथ करलो य क यह ोत अब आप सभी जो जो भी यंहा उप ःथत हे दूरदराज म रहने वाले जन जन तक पहुचाना होगा जससे क स पूण संसार मोसमदेव के कोप से न के वल बचे रह वरन उनके कोप को भी शांत कर सके   वेसे तो यह ोत साधना हे और इसे अखंड प से कया जाना चा हये पर तु इसक शु आत करने के िलए घर के ू येक सदःय को कसी भी र ववार के दन सूय दय के पहले श या का याग कर दे, शोच ःनानाद से िनवृत होकर घर के आंगन म गोबर, गोमूऽ व पली िम ट िमलाकर िलप ल….. एक आसन पर अपने सभी खत क थोड़ थोड़ िम ट इ कठ करके धरती माता क ःथापना कर विध वधान से पूजा करके सभी लोग अपने रँतेदार व बंधू बांधव क उप ःथित म संक प ल क   आज से मे   ...... धरती को अपनी ज मदाता, पालनकता, अ नपूणामाता के प म मानग, हम इसके अंग सूआम कण से लेकर बड़े प थर तक सभी को अपना भाई बंधू सखा मानगे और उसके र ा के ूयास करगे, फर चाहे वो खेत म हो, बीड़े म हो, चारागाह म हो, घर म हो, गाँव म हो, गली म हो, नद म हो, अपनी जमीन म हो या कसी और क जमीन म हो, अपने गाँव म हो या कसी और गाँव म हो…… 
  • 8. ...... हम पानी को जल देवता के प म ःवीकार करते ह, हम इसक एक एक बूंद को संर त करगे, उनको ताल, तलै या, नद , नाड कसी भी तरह से इ कठा करगे, इन संसाधन को दू षत होने से बचायगे  .... धरतीमाता को मोसमदेव के कोप से बचाने के िलए उसे फलदार, फलीदार, फू लवाले, छाया देने वाले, चारा देने वाले पेड़ पोध से सुस जत करदगे……  ..... धरतीमाता क ताकत बनाये रखने के िलए हमेशा जै वक खाद का ूयोग करगे, ऐसा कोई भी पदाथ या रसायन उपयोग म नह ं लगे जससे िम ट म रहने वाले जीव क ह या हो.   ..... धरतीमाता का कोई भी हःसा बेकार नह ं होने दग  ..... हर संभव यह ूयास करगे क धरतीमाता को कोई क न हो.  ..... सभी पशु-प य के साथ िमलकर धरतीमाता को ःवःथ और सु दर बनायगे.   इस ूकार जो कसान अपनी धरतीमाता एवं उसक संतान के ूित ब धु भाव रखता हे वह ौी वंणुः हर के कसाननारायण ःव प को बहुत ूय होता हे उसे और उसके समःत ूयजन पर हम ऽदेव क कृ पा सदेव बनी रहती है, उसके सभी संसाधन जमीन, पशु प ी, घर- ार, कु आ, तालाब इ या द ज म ज मा तर तक ूभावी एवं उ पादक बने रहते ह….. 
  • 9. Rk`fr;ks v/;k; izkjEHk ह मुिन या इस ोत को कसी ने कलयुग म भी कया ह और य द कया ह तो उसको इसका या फल ूा हुआ सो कह चोपाई ज बूद प म मालव राज कहाए, महाकाल वन नाम धरावे दुबल भील पहाड का राजा, घर पर बजे मंगल बाजा धरती रो ौंगार करावे, धांस खड़ा र ओड़नी उडावे इ िदेव ने वो ह मनावे, कसान नारायण रो उ सव मनावे
  • 10. मालवा रा य म मा ह नद के जंगल म वरदा नाम का एक कसान अपनी प ी मांगी बाई के साथ अपने छोटे से मगरे पर िनवास करता था | उनके दो पु ऽयाँ और एक पुऽ थे, पुऽ हरा जब युवा हुआ तो वरदाजी ने उसका ववाह पास के फले/ मोह ले के भोराजी क गुणवान पुऽी कमला के साथ करा दया| ववाह होने पर दोन पित-प ी को समाज के बड़े-बूडो ने बुलाकर उनक आजी वका के िलए पास के फले म 5 बीघा बरस से तेयार क हुई समतल जमीन का एक खेत, एक थोडा ढलान वाला खेत, एकगाय, कमला के मामा ने एक बकर द तो चाची, काक , मासी,भुआ, सबने एक-एक मुग द और इस ूकार उनका नया प रवार बस गया| सबने िमलकर उस जमीन से अपना जीवन यापन करने का ान भी ूदान कया| वरदाजी और भोराजी ने समय के िनयम के अनुसार दोन को अपने संसाधन का उिचत यान रखने का ान देकर वचन िलया क वे, जमीन को पूजनीया धरती माता के प म रोज उसक सेवा करग व अपनी माता के सामान ह धरतीमाता के ःवाःथ, पोषण एवं ौंगार का पूरा यान रखगे| पेड़ पी कपड़ से हमेशा उसके तन को ढक कर रखगे िम ट के हर एक कण को अपने बड़े भाई के सामान स मान दग पानी को इ िनारायण का ूसाद समझगे उसके बुजुग क मेहनत और पूजा के आशीवाद से दस साल का समय तो दोन के िलए मौज मःती म गुजरा, दो पुऽ और दो पुऽी को ज म दया, एsसा लग रहा था क सब ठ क चल रहा था, पर तु युवा अवःथा का जोश म दोन अपने बड़े बुड क सीख भूल गए और समय बीतता गया ... धीरे धीरे उिचत देख रेख के अभाव म धरतीमाता का ःवाःथ कमजोर होता गया, .....बीच-बीच म कमला उसको अपने बड़े-बूडो क सीख क याद दलाती पर तु उसके पित का यान कह ं और था, प रणाम यह हुआ क उसक उवरक मता कम हो गयी और उ पादन कम देखकर दोन पित-प ी ने जमीन पर यान देना और कम कर दया, उ पादन और कम हो गया, यान देना और कम हो गया इस ूकार ये िसलिसला बड़ता गया और उसका असर दोन के ःवाःथ पर भी दखाई देने लगा, ब च क पड़ाई पर भी होने लगा,धन-धा य से भरे ड बे खाली होते चले गए कपडे फटने लगे और ऐसे करते करते एक म यम वग य प रवार, एकहँसता खेलता प रवार गर ब प रवार बन गया मन ने अित घबराकर, दोडा शहर म जाय .... माता धरती क सेवा छोड़कर मजदूर म लग जाये पालन पोषणतो करना ह हे तो ..... नगर जाकर मजदूर ढूढन का िसलिसला शु हुआ पहले वो आया एक स ाह के िलए फर एक माह के िलए फर तीन माह, फर छ: माह और ऐसे करते-करते धरतीमाता और उसके एक पुऽ का स ब ध समा होने लगा| फर एक समय आया जब वह अपने बालक को भी नगर ले आया, खेलने कू दने क उॆ म मजदूर का बोझ उस न ह सी जान के शर र पर पड़ने लगा, एक और पीड़ धरतीमाता से दूर हो गयी
  • 11. उधर प ी कमला जो गाँव म रहती और अपने भा य को कोसती रहती, उसक एक चचेर बहन पास ह के रायला गाँव म रहती थी, वह अपनी समःया लेकर उसके पास गयी, उसने देखा उसक बहन के पास भी साधन तो उतने ह कम हे पर तु वे बड़े ह ठाट से रहते ह, चचा करने पर ब हन ने इस सब को युग से चले आरहे धरतीमाता और कसाननारायण के ोत व सेवा का ूताप बताया| इस समय कमला को अपने ववाह के समय अपने माता- पता ारा बताई बात का वचार आया, पर तु समय के साथ वह तो अपनी सीख भूल गई थी| कमला अपनी चचेर बहन से कहने लगी ........ या कहने लगी ...... अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया पेली चोमस म बरखा होती भायला, अबे बा रश रो कई ठकानो नी भाया चोमासो वे यो दोमासो मारा भायला, बरखा कठासु आवे रे भाया अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया पानी ने िम ट बहगी मारा भायला, खेती चोपट वेईगी रे लोल अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया आछ -आछ मित ने रोको मारा भायला, आपणी खेती सुधारो रे लोल अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया रोज-रोज शहरा म जावा मारा भायला, मजदूर ढूंढता फरा रे लोल अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया हार थाक ने घरे आया भायला, घरवाली बात जोवती रे लोल अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया सब िमल बे ठने मी टंग करा, कई तो उपाय करःया रे लोल अःयो कई मोसम आयो हार बहना, अःयो कई मोसम बगड़ गयो रे भाया इित ौी तृतीय अ याय समा
  • 12. चतुथ अ याय उसने अपनी दु वधाओं को अपनी चचेर बहन से कहा क म तो इस ोत के बारे म नह ं जानतीहूँ तो या अब मेरा जीवन ऐसा ह रहेगा, और मेरा पित और ब च को नगर म नरक का जीवन भोगना होगा? उसक बहन ने उसको अपने गाँव के भ यधरा आौम और वंहा ःथत कसाननारायण व धरतीमाता मं दर के दशन करने ले गई वहां या देखती हे क ढलान क जमीन पर बंधे लगा कर सु दर खेत बनाये गए ह, खेत म काले रंग क देखने से ह आक षत करने वाली िम ट हे, चारोऔर और वृ लगे ह, मौसमी फू ल औरअ या ःथानीय फल क बहार हे… एक ूकार से जो उसने अपनी बहन के घर पर एक छोटा मं दर देखा था उस मं दर या उस भगवान का वराट प यंहा देखने को िमल रहा थाÉ. उस रात वह देर तक सो नह ं पाई और मन म नाना ूकारके वचार करते करते कब नींद लग गयी पता नह ं चला| यकायक या देखती हे क जीणशीण अवःथा म धरतीमाता उसके सामने खड़ हे, उनक आँख म आंसू हे, यह देख कमला के आँख म भी आंसू आगये, दोन एक दुसरे के आंसू पोछने लगे…. धरतीमाता ने कमला से कहा क हे पुऽी भगत और भगवान दोन एक दुसरे से बंधे ह, हमारा भा य भी एक दुसरे से बंधा हे, जब भगत दुखी होता हे तो भगवान भी दुखी होता हे परंतु संसार का चब ह एसा हे अपने अपने कम का फल ःवंय को और अपने प रवार को ह िमलता हे इसिलए हे पुऽी अब जब क तुझे भ यधरा के इस आौम म धरतीमाता एवं कसाननारायण भगवान क सेवा का जो ान िमला हे उस ान से अपने प रवार के अ य सदःय को भी जोड़... फर देख म तेरे िलए या या नह ं करती हूँ? एकदम से नींद खुली तो सवेरा हो गया था सूयनारायण भगवान क उजाले क करण उसके चेहरे पर नई चमक ले आई थी दोड दोड कमला मंद रया म जावे रे......... पूजन करे रे धरती मात र ..... बड़ा ह ूेम से ूसाद लेवे रे ......... स साग करे बड़ा ूेम सु ........ इ दर ने मनावे, अ नदेव ने मनावे .......धरती माता करे ूाथना
  • 13. पूनम का दन था, कमला ने अपने छोटे पुऽ व दोन पु ऽय जो अब युवावःथा क और बड रहे थे, साथ लेकर रायला ःथत भ यधरा आौम ले गयी| तीनो ब च को भगवान कसाननारायण एवं धरतीमाता के दशन कराये, आौम क प रबमा क , आौम म िमले मोसमी फल का ूसाद ूा कया..  ब च स हत स संग म बड चढ़ कर भाग िलया, मोसम देव के कोप को जाना, उसके कारण को समझने का ूयास कया.. और उसने या जाना क ...... धरतीमाता रो पे घाघरो, अमर चुनर ओढू, धरती रा गुण म गाऊ मे आद पु ष ऋ चेली जी .......... ओ जी सूरज चाँद मारे आंगने लगाउला, जरना ऋ जोत जालाउला संता रे भेली रहुला, धरती रा गुण म गाउला मे आद पु ष ऋ चेली जी .......... ओ जी इ िदेव ने पुरा मनाउला, बजली र आरती उता ला धरती र यास बुझावु जी......... ओ जी पवनदेव ने म तो मनाउला, बादिलया बरसावेला धीमीगित सु चाले जी ............. ओ जी कसाननारायण र आरती क ला, मोसम रो हाल सुधारेला ओ जी मनखा र बीमा रया िमटेला, पशुआ रा जीवन सुधरेगा आपरे नौ धान रो भोग लगाऊ जी ............. ओ जी गोबर, गोमूऽ रो खाद बानाउला, आपरे भोग लगाउला माट ने उपजाऊ बनाऊ जी ............ ओ जी पेड़ पोधा सु ौृंगार कराउला, घास ऋ ओड़नी ओडाउला फल रो भोग लगाऊं जी ............... ओ जी इित ौी कसान नारायण-धरतीमाता कथायाम चतुथ अ याय समा  
  • 14. पंचम अ याय इस संक प के बाद कमला और उसके प रवार का ोत ूारंभ हुआ उ ह ने: • चेऽ माह के तीसरे सोमवार के दन से बारह सोमवार का धरतीमाता ोत ूार भ कया, इस दन से शु करके ूित सोमवार घर के सभी सदःय िमलकर ूात: 6 बजे से 10 बजे तक धरतीमाता क सेवा करते.......अपने खेत क मेड को ठ ककरते, ...... जस जमीन पर पाली नह ं बांधी गई हो उस पर पाली बांधते, कटान रोकने क यवःथा कर , नए पेड़ो के िलए उिचत ग डे तेयार कये गए   • जमीन के अनुसार घर के उ र-प म भाग म यथा श प थर/ ट का एक ठाण कचुआ जी के िलए ःथा पत कया गया, ......ठ ड के दन म ूित मंगलवार िनयिमत प से इस ठाण पर आधा मटके पानी का िछड़काव कया गया,  ....गम के दन म मंगलवार और शिनवार दो दन िछड़काव कया.   • प रवार के सभी सदःय ने चेऽ माह औरसावन माह क स मी या अःटमी के दन ठ डे पदाथ का सेवन कया   • जेठ और आसाडा माहम पक हुई िन बोली और नीम के प े इ कठा करके पेड़ो के िलए खोदे ग डो और थावल म डाले, बची िनबोिलय का तेल बनाया गया   • भादो क दूज के दन के माह जो जो भी मेड टूट-फू ट ग हो उसक आवँयकतानुसार मर मत क गयी   • आसोज माह म खेतो क फसल काट कर उसको ठ क से िनकाला   • आंवला नवमी के दन इस ोत का वा षक उ ापन कया, जसमे मॉल, जवार, म का, मूंग, ितल, चवला, उड़द, चावल, कागनी इ या द नव धानो को िमलाकर भगवान को भोग लगाया   • धरतीमाता के तेज को बरसात के ूभाव से बचाने के िलए आवँयक ूबंध कया, फलीदार पेड़ से धरतीमाता को सजाया   • धरतीमाता के ःवाः य म सुधर के िलए अपने खेत या घर पर तेयार क गई कचुआ खाद का ूयोग पूर जमीन पर कया  • पेड़ को अपने ब धुओं क तरह जानकर उन पर लगे हुए क ट पतंग से उनको सुर त कया   • ूित दन गोधुली वेला के समय मोसमदेव क बोधा न को शांत करने के िलए साथी कसान ने धरतीमाता के भजन बोल, म हला कसान भी मंगल गीत का गान कया…
  • 15. गीत एक दान आवजो हो मारे गावड़े, हो मारे गावड़े िलमडा र छाया म ऊँ ची चबूतर , नीची चबुतर काता मा सूत ने बंटा मा सूतली लारे खेती रो करा कम रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े लीली धरती पे खेत दांत काड़ता मगरा र गोदा म गाया चरावता उपजावा मोती जःयो धान रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े कचुड कचुड चडस हांका, लारे मा गावा गीत रे उपजावा मोती जःयो धान रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े घंट र घम-घम म कु कड़ा जो बोले उषा महाराणी जद घुंघट पट खोले उड़ता पंछ डा करे लाड रे, हो मारे गावड़े हो मारे गावड़े   अगली बार जब उसका पित गाँव आया तो घर का वातावरण देख कर च कत रहा गया. शाम को कमला ने अपने घर कसाननारायण के भजन का आयोजन कया, दूसरे दन प रवार के सभी सदःय आौम गए, कसाननारायण भगवान और धरतीमाता के दशन कये अपने पित को सभी पूजन विधय के बारे म बताया और नए वधान को अपनाने का ूण िलया. कालांतर म कमला और हरा दोन ने अपने समाज और ेऽ के कसान प रवार क भलाई के िलए कसाननारायण और धरतीमाता के ोत के िलए लोक जागरण का काय करते हुए वैकुं ठ को ूा हुए.... उसी पर परा के अंतगत आपके गाँव म हमने इस कथा का गान कया और वचन ब ह क सभी धरती पुऽ को इस द य ोत के साथ जोड़ कर उ ह व उनके प रवार को अपने और अपने ब धु-बांधव के उ ार के िलए ूे रत करग अब हम सभी कसान िमलकर धरतीमाता क आरती गायगे और कसाननारायण के भजन करगे, सभी को ूसाद वतरण कया जावेगा और सभा का वसजन होगा.
  • 16. धरती माता क आरती जय धरतीमाता, मैया जय धरतीमाता ......... सबका पालन करती, तू ह दुःख हता फू ल, फल, अ न देती ह सबक माता.....मैया ह सबक माता घास खड़ा पाले, पलता जग सारा.... जय धरतीमाता खुद वो यासी रहती, सबको दे पानी ..... मैया सबको दे पानी न दया नाले बहते, जीव पले सारा ...... जय धरतीमाता गोबर खाद बनाओ, उपजे अ न यादा,..... मैया उपजे अ न यादा यू रया ड एपी हटाओ जलती हे माता ....... जय धरतीमाता ख बीडा म लगाओ, घास बने साड़ ..... मैया क घास बने साड़ धरती मा क करलो पूजा िमल सारे....... जय धरतीमाता मॉल कलथ ितल बोव िमल कर सब सारे ओ मैया िमल कर सब सारे मूंग, उड़द लगाओ, उपजे वो यादा .... जय धरतीमाता कु आ, बावड़ सूखा, मोल िमले पाणी ... ओ मैया मोल िमले पाणी ताल तलेया बांधो, जीवन सैलानी ..... जय धरतीमाता धरतीमाता क आरती जो कोई नर गावे....ओ मैया जो कोई नर गावे यारे खेत सुधर जावे, यारे कु आ भर जावे, यारे घर लआमी आवे, यारे आन द हो जावे कहत िशवान द ःवामी, और कहत चंदू महाराज वाको जीवन सुधर जावे ...... जय धरतीमाता और हम तय करते ह क यहाँ उप ःथत सभी कसान: ी-पु ष; व ान ् ऋ ष इस ोत क म हमा का गान कसाननारायण और धरतीमाता क कथा” के प म गाँव-गाँव म कथा आयोजन और भजन के मा यम से करग इित ौी कसान नारायण Ð धरतीमाता कथायाम पंचम अ याय समा
  • 17. भू देवी Ð ौी देवी और कसाननारायण   भू देवी कसान नारायण ौी देवी
  • 18. द ण भारत म आज भी धरतीमाता क पूजा भगवान वंणु और माता लआमी (ौीदेवी) के साथ भूदेवी के प म ूचलन म हे, परंतु हमारे मेवाड़ म लोग ने कसाननारायण और धरतीमाता क जो उपे ा क हे जसका प रणाम हमारे सामने हे, अत: आप सभी से अनुरोध हे क कसाननारायण और धरतीमाता क पूर ौ दा के साथ ोत और पूजा करे और सुख स पित ूा कर. ूशांत महासागर के देश इंडोनेिशया म धरती माता का भ य मं दर हे,   धरतीमाता का ौंगार कराओ, पेड़ पोधे और घास लगाओ ... जीवामृत का खाद बनाओ, मा धरती को उपजाऊ बनाओ धरतीमाता के दो हाथ ह इनके दांये हाथ म नील रंग का कोमुद पी कमल हे जब क बांया हाथ अभय मुिा म होता हे, धरतीमाता ःथायी भाव म रहती ह वे एक चोकोर आसन पर बराजमान ह जसके चार कोनो पर चार हाथी चार दशाओं के घोतक ह अ य भुजाओं म एक म अनार, एक म पानी का कलश, एक औषिध पाऽ और एक म पोषण वनःपित ह धरती माता के कई नाम ह जैसे भूिम, भ-देवी, भूमादेवी, धरा, धरती, ध रऽी, वनःपतीनाममिभर, औशा यानाममिभर, व ा याय, व माशु, धारा, ढ़, कसमा, ःथावर, वँदवा, व धा रणी, व ंहरा र गभा, र वती एवं वसु धरा नाम से भी जाना जाता हे वंणु क प ी के प म पृ वी को लआमी भी माना गया हे,