SlideShare a Scribd company logo
1 of 153
Download to read offline
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

बाल का ड
।। ी गणेशाय नमः ।।
ीजानक व लभो वजयते
ी रामच रत मानस
थम सोपान
(बालका ड)
लोक
वणानामथसंघानां रसानां छ दसाम प।
म गलानां च क तारौ व दे वाणी वनायकौ।।1।।
भवानीश करौ व दे

ा व वास पणौ।

या यां वना न प यि त स ाः वा तः थमी वरम ्।।2।।
व दे बोधमयं न यं गु ं श कर पणम ्।
यमा

तो ह व ोऽ प च

ः सव व

यते।।3।।

सीतारामगु ण ामपु यार य वहा रणौ।
व दे वशु

व ानौ कबी वरकपी वरौ।।4।।

उ वि थ तसंहारका रणीं लेशहा रणीम ्।
सव ेय कर ं सीतां नतोऽहं रामव लभाम ्।।5।।
य मायावशव त व वम खलं

मा ददे वासु रा

य स वादमृषैव भा त सकलं र जौ यथाहे मः।
य पाद लवमेकमेव ह भवा भोधेि ततीषावतां
व दे ऽहं तमशेषकारणपरं रामा यमीशं ह रम ्।।6।।
नानापु राण नगमागमस मतं य
रामायणे नग दतं व चद यतोऽ प।
वा तःसु खाय तु लसी रघु नाथगाथाभाषा नब धम तम जु लमातनो त।।7।।
सो0-जो सु मरत स ध होइ गन नायक क रबर बदन।
करउ अनु ह सोइ बु

रा स सु भ गु न सदन।।1।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

मू क होइ बाचाल पंगु चढइ ग रबर गहन।
जासु कृ पाँ सो दयाल वउ सकल क ल मल दहन।।2।।
नील सरो ह याम त न अ न बा रज नयन।
करउ सो मम उर धाम सदा छ रसागर सयन।।3।।
कंु द इंद ु सम दे ह उमा रमन क ना अयन।
जा ह द न पर नेह करउ कृ पा मदन मयन।।4।।
बंदउ गु पद कज कृ पा संधु नर प ह र।
ं
महामोह तम पु ंज जासु बचन र ब कर नकर।।5।।
बंदउ गु पद पदुम परागा। सु च सु बास सरस अनु रागा।।
अ मय मू रमय चू रन चा । समन सकल भव ज प रवा ।।
सु कृ त संभु तन बमल बभू ती। मंजु ल मंगल मोद सू ती।।
जन मन मंजु मु क र मल हरनी। कएँ तलक गु न गन बस करनी।।
ु
ीगु र पद नख म न गन जोती। सु मरत द य ृि ट हयँ होती।।
दलन मोह तम सो स कासू । बड़े भाग उर आवइ जासू ।।
उघर हं बमल बलोचन ह क। मट हं दोष दुख भव रजनी क।।
े
े
सू झ हं राम च रत म न मा नक। गु पु त गट जहँ जो जे ह खा नक।।
दो0-जथा सु अंजन अंिज ग साधक स सु जान।
कौतु क दे खत सैल बन भू तल भू र नधान।।1।।
–*–*–
ए ह महँ रघुप त नाम उदारा। अ त पावन पु रान ु त सारा।।
मंगल भवन अमंगल हार । उमा स हत जे ह जपत पु रार ।।
भ न त ब च सु क ब कृ त जोऊ। राम नाम बनु सोह न सोऊ।।
बधु बदनी सब भाँ त सँवार । सोन न बसन बना बर नार ।।
सब गु न र हत कक ब कृ त बानी। राम नाम जस अं कत जानी।।
ु
सादर कह हं सु न हं बु ध ताह । मधु कर स रस संत गु न ाह ।।
जद प क बत रस एकउ नाह । राम ताप कट ए ह माह ं।।
सोइ भरोस मोर मन आवा। क हं न सु संग बड पनु पावा।।
े
धू मउ तजइ सहज क आई। अग

संग सु गंध बसाई।।

भ न त भदे स ब तु भ ल बरनी। राम कथा जग मंगल करनी।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

छं 0-मंगल कर न क ल मल हर न तु लसी कथा रघु नाथ क ।।
ग त कर क बता स रत क
ू

य स रत पावन पाथ क ।।

भु सु जस संग त भ न त भ ल होइ ह सु जन मन भावनी।।
भव अंग भू त मसान क सु मरत सु हाव न पावनी।।
दो0- य ला ग ह अ त सब ह मम भ न त राम जस संग।
दा

बचा

क करइ कोउ बं दअ मलय संग।।10(क)।।

याम सु र भ पय बसद अ त गु नद कर हं सब पान।
गरा ा य सय राम जस गाव हं सु न हं सु जान।।10(ख)।।
–*–*–
गु पद रज मृदु मंजु ल अंजन। नयन अ मअ ग दोष बभंजन।।
ते हं क र बमल बबेक बलोचन। बरनउँ राम च रत भव मोचन।।
बंदउँ थम मह सु र चरना। मोह ज नत संसय सब हरना।।
सु जन समाज सकल गु न खानी। करउँ नाम स ेम सु बानी।।
साधु च रत सु भ च रत कपासू । नरस बसद गु नमय फल जासू ।।
जो स ह दुख पर छ दुरावा। बंदनीय जे हं जग जस पावा।।
मु द मंगलमय संत समाजू । जो जग जंगम तीरथराजू ।।
राम भि त जहँ सु रस र धारा। सरसइ

म बचार चारा।।

ब ध नषेधमय क ल मल हरनी। करम कथा र बनंद न बरनी।।
ह र हर कथा बराज त बेनी। सु नत सकल मु द मंगल दे नी।।
बटु ब वास अचल नज धरमा। तीरथराज समाज सु करमा।।
सब हं सु लभ सब दन सब दे सा। सेवत सादर समन कलेसा।।
अकथ अलौ कक तीरथराऊ। दे इ स य फल गट भाऊ।।
दो0-सु न समु झ हं जन मु दत मन म ज हं अ त अनु राग।
लह हं चा र फल अछत तनु साधु समाज याग।।2।।
–*–*–
म जन फल पे खअ ततकाला। काक हो हं पक बकउ मराला।।
सु न आचरज करै ज न कोई। सतसंग त म हमा न हं गोई।।
बालमीक नारद घटजोनी। नज नज मु ख न कह नज होनी।।
जलचर थलचर नभचर नाना। जे जड़ चेतन जीव जहाना।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

म त क र त ग त भू त भलाई। जब जे हं जतन जहाँ जे हं पाई।।
सो जानब सतसंग भाऊ। लोकहु ँ बेद न आन उपाऊ।।
बनु सतसंग बबेक न होई। राम कृ पा बनु सु लभ न सोई।।
सतसंगत मु द मंगल मू ला। सोइ फल स ध सब साधन फला।।
ू
सठ सु धर हं सतसंग त पाई। पारस परस कधात सु हाई।।
ु
ब ध बस सु जन कसंगत परह ं। फ न म न सम नज गु न अनु सरह ं।।
ु
ब ध ह र हर क ब को बद बानी। कहत साधु म हमा सकचानी।।
ु
सो मो सन क ह जात न कस। साक ब नक म न गु न गन जैस।।
ै
दो0-बंदउँ संत समान चत हत अन हत न हं कोइ।
अंज ल गत सु भ सु मन िज म सम सु गंध कर दोइ।।3(क)।।
संत सरल चत जगत हत जा न सु भाउ सनेहु ।
बाल बनय सु न क र कृ पा राम चरन र त दे हु ।।3(ख)।।
–*–*–
बहु र बं द खल गन स तभाएँ । जे बनु काज दा हनेहु बाएँ।।
पर हत हा न लाभ िज ह कर। उजर हरष बषाद बसेर।।
े
ह र हर जस राकस राहु से। पर अकाज भट सहसबाहु से।।
े
जे पर दोष लख हं सहसाखी। पर हत घृत िज ह क मन माखी।।
े
तेज कृ सानु रोष म हषेसा। अघ अवगु न धन धनी धनेसा।।
उदय कत सम हत सबह क। कंु भकरन सम सोवत नीक।।
े
े
े
पर अकाजु ल ग तनु प रहरह ं। िज म हम उपल कृ षी द ल गरह ं।।
बंदउँ खल जस सेष सरोषा। सहस बदन बरनइ पर दोषा।।
पु न नवउँ पृथु राज समाना। पर अघ सु नइ सहस दस काना।।
बहु र स
बचन ब

सम बनवउँ तेह । संतत सु रानीक हत जेह ।।
जे ह सदा पआरा। सहस नयन पर दोष नहारा।।

दो0-उदासीन अ र मीत हत सु नत जर हं खल र त।

जा न पा न जु ग जो र जन बनती करइ स ी त।।4।।
–*–*–
म अपनी द स क ह नहोरा। त ह नज ओर न लाउब भोरा।।
बायस प लअ हं अ त अनु रागा। हो हं नरा मष कबहु ँ क कागा।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

बंदउँ संत अस जन चरना। दुख द उभय बीच कछ बरना।।
ु
बछरत एक ान ह र लेह ं। मलत एक दुख दा न दे ह ं।।
ु
उपज हं एक संग जग माह ं। जलज ज क िज म गु न बलगाह ं।।
सु धा सु रा सम साधू असाधू । जनक एक जग जल ध अगाधू ।।
भल अनभल नज नज करतू ती। लहत सु जस अपलोक बभू ती।।
सु धा सु धाकर सु रस र साधू । गरल अनल क लमल स र याधू ।।
गु न अवगु न जानत सब कोई। जो जे ह भाव नीक ते ह सोई।।
दो0-भलो भलाइ ह पै लहइ लहइ नचाइ ह नीचु।
सु धा सरा हअ अमरताँ गरल सरा हअ मीचु ।।5।।
–*–*–
खल अघ अगु न साधू गु न गाहा। उभय अपार उद ध अवगाहा।।
ते ह त कछ गु न दोष बखाने। सं ह याग न बनु प हचाने।।
ु
भलेउ पोच सब ब ध उपजाए। ग न गु न दोष बेद बलगाए।।
कह हं बेद इ तहास पु राना। ब ध पंचु गु न अवगु न साना।।
दुख सु ख पाप पु य दन राती। साधु असाधु सु जा त क जाती।।
ु
दानव दे व ऊच अ नीचू । अ मअ सु जीवनु माहु मीचू ।।
ँ
माया

म जीव जगद सा। लि छ अलि छ रं क अवनीसा।।

कासी मग सु रस र मनासा। म मारव म हदे व गवासा।।
सरग नरक अनु राग बरागा। नगमागम गु न दोष बभागा।।
दो0-जड़ चेतन गु न दोषमय ब व क ह करतार।
संत हं स गु न गह हं पय प रह र बा र बकार।।6।।
–*–*–
अस बबेक जब दे इ बधाता। तब तिज दोष गु न हं मनु राता।।
काल सु भाउ करम ब रआई। भलेउ कृ त बस चु कइ भलाई।।
सो सु धा र ह रजन िज म लेह ं। द ल दुख दोष बमल जसु दे ह ं।।
खलउ कर हं भल पाइ सु संगू । मटइ न म लन सु भाउ अभंगू ।।
ल ख सु बेष जग बंचक जेऊ। बेष ताप पू िजअ हं तेऊ।।
उधर हं अंत न होइ नबाहू । कालने म िज म रावन राहू ।।
कएहु ँ कबेष साधु सनमानू । िज म जग जामवंत हनु मानू ।।
ु
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

हा न क संग सु संग त लाहू । लोकहु ँ बेद ब दत सब काहू ।।
ु
गगन चढ़इ रज पवन संगा। क च हं मलइ नीच जल संगा।।
साधु असाधु सदन सु क सार ं। सु मर हं राम दे हं ग न गार ।।
धू म कसंग त का रख होई। ल खअ पु रान मंजु म स सोई।।
ु
सोइ जल अनल अ नल संघाता। होइ जलद जग जीवन दाता।।
दो0- ह भेषज जल पवन पट पाइ कजोग सु जोग।
ु
हो ह कब तु सु ब तु जग लख हं सु ल छन लोग।।7(क)।।
ु
सम कास तम पाख दुहु ँ नाम भेद ब ध क ह।
स स सोषक पोषक समु झ जग जस अपजस द ह।।7(ख)।।
जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जा न।
बंदउँ सब क पद कमल सदा जो र जु ग पा न।।7(ग)।।
े
दे व दनु ज नर नाग खग ेत पतर गंधब।
बंदउँ कं नर रज नचर कृ पा करहु अब सब।।7(घ)।।
–*–*–
आकर चा र लाख चौरासी। जा त जीव जल थल नभ बासी।।
सीय राममय सब जग जानी। करउँ नाम जो र जु ग पानी।।
जा न कृ पाकर कं कर मोहू । सब म ल करहु छा ड़ छल छोहू ।।
नज बु ध बल भरोस मो ह नाह ं। तात बनय करउँ सब पाह ।।
करन चहउँ रघु प त गु न गाहा। लघु म त मो र च रत अवगाहा।।
सू झ न एकउ अंग उपाऊ। मन म त रं क मनोरथ राऊ।।
म त अ त नीच ऊ च
ँ

च आछ । च हअ अ मअ जग जु रइ न छाछ ।।

छ मह हं स जन मो र ढठाई। सु नह हं बालबचन मन लाई।।
जौ बालक कह तोत र बाता। सु न हं मु दत मन पतु अ माता।।
हँ सह ह कर क टल क बचार । जे पर दूषन भू षनधार ।।
ू
ु
ु
नज क वत क ह लाग न नीका। सरस होउ अथवा अ त फ का।।
े
जे पर भ न त सु नत हरषाह । ते बर पु ष बहु त जग नाह ं।।

जग बहु नर सर स र सम भाई। जे नज बा ढ़ बढ़ हं जल पाई।।
स जन सकृ त संधु सम कोई। दे ख पू र बधु बाढ़इ जोई।।
दो0-भाग छोट अ भलाषु बड़ करउँ एक ब वास।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

पैह हं सु ख सु न सु जन सब खल करह हं उपहास।।8।।
–*–*–
खल प रहास होइ हत मोरा। काक कह हं कलकठ कठोरा।।
ं
हं स ह बक दादुर चातकह । हँ स हं म लन खल बमल बतकह ।।
क बत र सक न राम पद नेहू । त ह कहँ सु खद हास रस एहू ।।
भाषा भ न त भो र म त मोर । हँ सबे जोग हँ स न हं खोर ।।
भु पद ी त न सामु झ नीक । त ह ह कथा सु न लाग ह फ क ।।
ह र हर पद र त म त न कतरक । त ह कहु ँ मधु र कथा रघु वर क ।।
ु
राम भग त भू षत िजयँ जानी। सु नह हं सु जन सरा ह सु बानी।।
क ब न होउँ न हं बचन बीनू । सकल कला सब ब या ह नू ।।
आखर अरथ अलंकृ त नाना। छं द बंध अनेक बधाना।।
भाव भेद रस भेद अपारा। क बत दोष गु न ब बध कारा।।
क बत बबेक एक न हं मोर। स य कहउँ ल ख कागद कोरे ।।
दो0-भ न त मो र सब गु न र हत ब व ब दत गु न एक।
सो बचा र सु नह हं सु म त िज ह क बमल बवेक।।9।।
–*–*–
म न मा नक मु कता छ ब जैसी। अ ह ग र गज सर सोह न तैसी।।
ु
नृप कर ट त नी तनु पाई। लह हं सकल सोभा अ धकाई।।
तैसे हं सु क ब क बत बु ध कहह ं। उपज हं अनत अनत छ ब लहह ं।।
भग त हे तु ब ध भवन बहाई। सु मरत सारद आव त धाई।।
राम च रत सर बनु अ हवाएँ। सो म जाइ न को ट उपाएँ।।
क ब को बद अस दयँ बचार । गाव हं ह र जस क ल मल हार ।।
क ह ाकृ त जन गु न गाना। सर धु न गरा लगत प छताना।।
दय संधु म त सीप समाना। वा त सारदा कह हं सु जाना।।
ज बरषइ बर बा र बचा । हो हं क बत मु कताम न चा ।।
ु
दो0-जु गु त बे ध पु न पो हअ हं रामच रत बर ताग।
प हर हं स जन बमल उर सोभा अ त अनु राग।।11।।
–*–*–
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

जे जनमे क लकाल कराला। करतब बायस बेष मराला।।
चलत कपंथ बेद मग छाँड़। कपट कलेवर क ल मल भाँड़।।
ु
े
बंचक भगत कहाइ राम क। कं कर कचन कोह काम क।।
े
ं
े
त ह महँ थम रे ख जग मोर । धींग धरम वज धंधक धोर ।।
ज अपने अवगु न सब कहऊ। बाढ़इ कथा पार न हं लहऊ।।
ँ
ँ
ताते म अ त अलप बखाने। थोरे महु ँ जा नह हं सयाने।।
समु झ ब ब ध ब ध बनती मोर । कोउ न कथा सु न दे इ ह खोर ।।
एतेहु पर क रह हं जे असंका। मो ह ते अ धक ते जड़ म त रं का।।
क ब न होउँ न हं चतु र कहावउँ । म त अनु प राम गुन गावउँ ।।
कहँ रघु प त क च रत अपारा। कहँ म त मो र नरत संसारा।।
े
जे हं मा त ग र मे उड़ाह ं। कहहु तू ल क ह लेखे माह ं।।
े
समु झत अ मत राम भु ताई। करत कथा मन अ त कदराई।।
दो0-सारद सेस महे स ब ध आगम नगम पु रान।
ने त ने त क ह जासु गु न कर हं नरं तर गान।।12।।
–*–*–
सब जानत भु भु ता सोई। तद प कह बनु रहा न कोई।।
तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन भाउ भाँ त बहु भाषा।।
एक अनीह अ प अनामा। अज सि चदानंद पर धामा।।
यापक ब व प भगवाना। ते हं ध र दे ह च रत कृ त नाना।।
सो कवल भगतन हत लागी। परम कृ पाल नत अनु रागी।।
े
जे ह जन पर ममता अ त छोहू । जे हं क ना क र क ह न कोहू ।।
गई बहोर गर ब नेवाजू । सरल सबल सा हब रघु राजू ।।
बु ध बरन हं ह र जस अस जानी। कर ह पु नीत सु फल नज बानी।।
ते हं बल म रघु प त गु न गाथा। क हहउँ नाइ राम पद माथा।।
मु न ह थम ह र क र त गाई। ते हं मग चलत सु गम मो ह भाई।।
दो0-अ त अपार जे स रत बर ज नृप सेतु करा हं।
च ढ पपी लकउ परम लघु बनु म पार ह जा हं।।13।।
–*–*–
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

ए ह कार बल मन ह दे खाई। क रहउँ रघु प त कथा सु हाई।।
यास आ द क ब पु ंगव नाना। िज ह सादर ह र सु जस बखाना।।
चरन कमल बंदउँ त ह करे । पु रवहु ँसकल मनोरथ मेरे।।
े
क ल क क ब ह करउँ परनामा। िज ह बरने रघु प त गु न ामा।।
े
जे ाकृ त क ब परम सयाने। भाषाँ िज ह ह र च रत बखाने।।
भए जे अह हं जे होइह हं आग। नवउँ सब हं कपट सब याग।।
होहु स न दे हु बरदानू । साधु समाज भ न त सनमानू ।।
जो बंध बु ध न हं आदरह ं। सो म बा द बाल क ब करह ं।।
क र त भ न त भू त भ ल सोई। सु रस र सम सब कहँ हत होई।।
राम सु क र त भ न त भदे सा। असमंजस अस मो ह अँदेसा।।
तु हर कृ पा सु लभ सोउ मोरे । सअ न सु हाव न टाट पटोरे ।।
दो0-सरल क बत क र त बमल सोइ आदर हं सु जान।
सहज बयर बसराइ रपु जो सु न कर हं बखान।।14(क)।।
सो न होइ बनु बमल म त मो ह म त बल अ त थोर।
करहु कृ पा ह र जस कहउँ पु न पु न करउँ नहोर।।14(ख)।।
क ब को बद रघु बर च रत मानस मंजु मराल।
बाल बनय सु न सु च ल ख मोपर होहु कृ पाल।।14(ग)।।
–*–*–
सो0-बंदउँ मु न पद कजु रामायन जे हं नरमयउ।
ं
सखर सु कोमल मंजु दोष र हत दूषन स हत।।14(घ)।।
बंदउँ चा रउ बेद भव बा र ध बो हत स रस।
िज ह ह न सपनेहु ँ खेद बरनत रघु बर बसद जसु ।।14(ङ)।।
बंदउँ ब ध पद रे नु भव सागर जे ह क ह जहँ ।
संत सु धा स स धेनु गटे खल बष बा नी।।14(च)।।
दो0- बबु ध ब बु ध ह चरन बं द कहउँ कर जो र।

होइ स न पु रवहु सकल मंजु मनोरथ मो र।।14(छ)।।
–*–*–
पु न बंदउँ सारद सु रस रता। जु गल पु नीत मनोहर च रता।।
म जन पान पाप हर एका। कहत सु नत एक हर अ बबेका।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

गु र पतु मातु महे स भवानी। नवउँ द नबंधु दन दानी।।
सेवक वा म सखा सय पी क। हत न प ध सब ब ध तु लसीक।।
े
े
क ल बलो क जग हत हर ग रजा। साबर मं जाल िज ह स रजा।।
अन मल आखर अरथ न जापू । गट भाउ महे स तापू ।।
सो उमेस मो ह पर अनु कला। क र हं कथा मु द मंगल मू ला।।
ू
सु म र सवा सव पाइ पसाऊ। बरनउँ रामच रत चत चाऊ।।
भ न त मो र सव कृ पाँ बभाती। स स समाज म ल मनहु ँ सु राती।।
जे ए ह कथ ह सनेह समेता। क हह हं सु नह हं समु झ सचेता।।
होइह हं राम चरन अनु रागी। क ल मल र हत सु मंगल भागी।।
दो0-सपनेहु ँ साचेहु ँ मो ह पर ज हर गौ र पसाउ।
तौ फर होउ जो कहे उँ सब भाषा भ न त भाउ।।15।।
ु
–*–*–
बंदउँ अवध पुर अ त पाव न। सरजू स र क ल कलु ष नसाव न।।
नवउँ पु र नर ना र बहोर । ममता िज ह पर भु ह न थोर ।।
सय नंदक अघ ओघ नसाए। लोक बसोक बनाइ बसाए।।
बंदउँ कौस या द स ाची। क र त जासु सकल जग माची।।
गटे उ जहँ रघु प त स स चा । ब व सु खद खल कमल तु सा ।।
दसरथ राउ स हत सब रानी। सु कृ त सु मंगल मू र त मानी।।
करउँ नाम करम मन बानी। करहु कृ पा सु त सेवक जानी।।
िज ह ह बर च बड़ भयउ बधाता। म हमा अव ध राम पतु माता।।
सो0-बंदउँ अवध भु आल स य ेम जे ह राम पद।
बछरत द नदयाल
ु

य तनु तृन इव प रहरे उ।।16।।

नवउँ प रजन स हत बदे हू । जा ह राम पद गू ढ़ सनेहू ।।
जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बलोकत गटे उ सोई।।
नवउँ थम भरत क चरना। जासु नेम त जाइ न बरना।।
े

राम चरन पंकज मन जासू । लु बु ध मधु प इव तजइ न पासू ।।
बंदउँ ल छमन पद जलजाता। सीतल सु भग भगत सु ख दाता।।
रघु प त क र त बमल पताका। दं ड समान भयउ जस जाका।।
सेष सह

सीस जग कारन। जो अवतरे उ भू म भय टारन।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

सदा सो सानु क ल रह मो पर। कृ पा संधु सौ म
ू

गु नाकर।।

रपु सू दन पद कमल नमामी। सू र सु सील भरत अनु गामी।।
महावीर बनवउँ हनु माना। राम जासु जस आप बखाना।।
सो0- नवउँ पवनक मार खल बन पावक यानधन।
ु
जासु दय आगार बस हं राम सर चाप धर।।17।।
क पप त र छ नसाचर राजा। अंगदा द जे क स समाजा।।
बंदउँ सब क चरन सु हाए। अधम सर र राम िज ह पाए।।
े
रघु प त चरन उपासक जेते। खग मृग सु र नर असु र समेते।।
बंदउँ पद सरोज सब करे । जे बनु काम राम क चेरे।।
े
े
सु क सनका द भगत मु न नारद। जे मु नबर ब यान बसारद।।
नवउँ सब हं धर न ध र सीसा। करहु कृ पा जन जा न मु नीसा।।
जनकसु ता जग जन न जानक । अ तसय

य क ना नधान क ।।

ताक जु ग पद कमल मनावउँ । जासु कृ पाँ नरमल म त पावउँ ।।
े
पु न मन बचन कम रघु नायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक।।
रािजवनयन धर धनु सायक। भगत बप त भंजन सु ख दायक।।
दो0- गरा अरथ जल बी च सम क हअत भ न न भ न।
बदउँ सीता राम पद िज ह ह परम य ख न।।18।।
–*–*–
बंदउँ नाम राम रघु वर को। हे तु कृ सानु भानु हमकर को।।
ब ध ह र हरमय बेद ान सो। अगु न अनू पम गु न नधान सो।।
महामं जोइ जपत महे सू । कासीं मु क त हे तु उपदे सू ।।
ु
म हमा जासु जान गनराउ। थम पू िजअत नाम भाऊ।।
जान आ दक ब नाम तापू । भयउ सु क र उलटा जापू ।।
सहस नाम सम सु न सव बानी। ज प जेई पय संग भवानी।।
हरषे हे तु हे र हर ह को। कय भू षन तय भू षन ती को।।

नाम भाउ जान सव नीको। कालकट फलु द ह अमी को।।
ू
दो0-बरषा रतु रघु प त भग त तु लसी सा ल सु दास।।
राम नाम बर बरन जु ग सावन भादव मास।।19।।
–*–*–
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

आखर मधु र मनोहर दोऊ। बरन बलोचन जन िजय जोऊ।।
सु मरत सु लभ सु खद सब काहू । लोक लाहु परलोक नबाहू ।।
कहत सु नत सु मरत सु ठ नीक। राम लखन सम
े
बरनत बरन ी त बलगाती।

य तु लसी क।।
े

म जीव सम सहज सँघाती।।

नर नारायन स रस सु ाता। जग पालक बसे ष जन ाता।।
भग त सु तय कल करन बभू षन। जग हत हे तु बमल बधु पू षन ।
वाद तोष सम सु ग त सु धा क। कमठ सेष सम धर बसु धा क।।
े
े
जन मन मंजु कज मधु कर से। जीह जसोम त ह र हलधर से।।
ं
दो0-एक छ ु एक मु क टम न सब बरन न पर जोउ।
ु
ु
ु
तु लसी रघु बर नाम क बरन बराजत दोउ।।20।।
े
–*–*–
समु झत स रस नाम अ नामी। ी त परसपर भु अनु गामी।।
नाम प दुइ ईस उपाधी। अकथ अना द सु सामु झ साधी।।
को बड़ छोट कहत अपराधू । सु न गु न भेद समु झह हं साधू ।।
दे खअ हं प नाम आधीना। प यान न हं नाम बह ना।।
प बसेष नाम बनु जान। करतल गत न पर हं प हचान।।
सु म रअ नाम प बनु दे ख। आवत दयँ सनेह बसेष।।
नाम प ग त अकथ कहानी। समु झत सु खद न पर त बखानी।।
अगु न सगु न बच नाम सु साखी। उभय बोधक चतु र दुभाषी।।
दो0-राम नाम म नद प ध जीह दे हर

वार।

तु लसी भीतर बाहे रहु ँ ज चाह स उिजआर।।21।।
–*–*–
नाम जीहँ ज प जाग हं जोगी। बर त बरं च पंच बयोगी।।
मसु ख ह अनु भव हं अनू पा। अकथ अनामय नाम न पा।।
जाना चह हं गू ढ़ ग त जेऊ। नाम जीहँ ज प जान हं तेऊ।।
साधक नाम जप हं लय लाएँ। हो हं स अ नमा दक पाएँ।।
जप हं नामु जन आरत भार । मट हं कसंकट हो हं सु खार ।।
ु
राम भगत जग चा र कारा। सु कृ ती चा रउ अनघ उदारा।।
चहू चतु र कहु ँ नाम अधारा। यानी भु ह बसे ष पआरा।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

चहु ँ जु ग चहु ँ ु त ना भाऊ। क ल बसे ष न हं आन उपाऊ।।
दो0-सकल कामना ह न जे राम भग त रस ल न।
नाम सु ेम पयू ष हद त हहु ँ कए मन मीन।।22।।
–*–*–
अगु न सगु न दुइ म स पा। अकथ अगाध अना द अनू पा।।
मोर मत बड़ नामु दुहू त। कए जे हं जु ग नज बस नज बू त।।
ो ढ़ सु जन ज न जान हं जन क । कहउँ ती त ी त
एक दा गत दे खअ एक। पावक सम जु ग
ु
ू
उभय अगम जु ग सु गम नाम त। कहे उँ नामु बड़
यापक एक
ु
ु

च मन क ।।

म बबेक।।
ू
म राम त।।

म अ बनासी। सत चेतन धन आनँद रासी।।

अस भु दयँ अछत अ बकार । सकल जीव जग द न दुखार ।।
नाम न पन नाम जतन त। सोउ गटत िज म मोल रतन त।।
दो0- नरगु न त ए ह भाँ त बड़ नाम भाउ अपार।
कहउँ नामु बड़ राम त नज बचार अनु सार।।23।।
–*–*–
राम भगत हत नर तनु धार । स ह संकट कए साधु सु खार ।।
नामु स ेम जपत अनयासा। भगत हो हं मु द मंगल बासा।।
राम एक तापस तय तार । नाम को ट खल कम त सु धार ।।
ु
र ष हत राम सु कतु सु ताक । स हत सेन सु त क ह बबाक ।।
े
स हत दोष दुख दास दुरासा। दलइ नामु िज म र ब न स नासा।।
भंजेउ राम आपु भव चापू । भव भय भंजन नाम तापू ।।
दं डक बनु भु क ह सु हावन। जन मन अ मत नाम कए पावन।।।
न सचर नकर दले रघु नंदन। नामु सकल क ल कलु ष नकदन।।
ं
दो0-सबर गीध सु सेवक न सु ग त द ि ह रघु नाथ।
नाम उधारे अ मत खल बेद ब दत गु न गाथ।।24।।
–*–*–
राम सु कठ बभीषन दोऊ। राखे सरन जान सबु कोऊ।।
ं
नाम गर ब अनेक नेवाजे। लोक बेद बर ब रद बराजे।।
राम भालु क प कटक बटोरा। सेतु हे तु मु क ह न थोरा।।
ु
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

नामु लेत भव संधु सु खाह ं। करहु बचा सु जन मन माह ं।।
राम सक ल रन रावनु मारा। सीय स हत नज पुर पगु धारा।।
ु
राजा रामु अवध रजधानी। गावत गु न सु र मु न बर बानी।।
सेवक सु मरत नामु स ीती। बनु म बल मोह दलु जीती।।
फरत सनेहँ मगन सु ख अपन। नाम साद सोच न हं सपन।।
दो0-

म राम त नामु बड़ बर दायक बर दा न।

रामच रत सत को ट महँ लय महे स िजयँ जा न।।25।।
मासपारायण, पहला व ाम
–*–*–
नाम साद संभु अ बनासी। साजु अमंगल मंगल रासी।।
सु क सनका द स मु न जोगी। नाम साद
नारद जानेउ नाम तापू । जग

मसु ख भोगी।।

य ह र ह र हर

य आपू ।।

नामु जपत भु क ह सादू। भगत सरोम न भे हलादू।।
ु वँ सगला न जपेउ ह र नाऊ। पायउ अचल अनू पम ठाऊ।।
ँ
ँ
सु म र पवनसु त पावन नामू । अपने बस क र राखे रामू ।।
अपतु अजा मलु गजु ग नकाऊ। भए मु कत ह र नाम भाऊ।।
ु
कह कहाँ ल ग नाम बड़ाई। रामु न सक हं नाम गु न गाई।।
दो0-नामु राम को कलपत क ल क यान नवासु ।
जो सु मरत भयो भाँग त तु लसी तु लसीदासु ।।26।।
–*–*–
चहु ँ जु ग ती न काल तहु ँ लोका। भए नाम ज प जीव बसोका।।
बेद पु रान संत मत एहू । सकल सु कृ त फल राम सनेहू ।।
यानु थम जु ग मख ब ध दूज। वापर प रतोषत भु पू ज।।
क ल कवल मल मू ल मल ना। पाप पयो न ध जन जन मीना।।
े
नाम कामत काल कराला। सु मरत समन सकल जग जाला।।
राम नाम क ल अ भमत दाता। हत परलोक लोक पतु माता।।
न हं क ल करम न भग त बबेक । राम नाम अवलंबन एक।।
ू
ू
कालने म क ल कपट नधानू । नाम सु म त समरथ हनु मानू ।।
दो0-राम नाम नरकसर कनकक सपु क लकाल।
े
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

जापक जन हलाद िज म पा ल ह द ल सु रसाल।।27।।
–*–*–
भायँ कभायँ अनख आलसहू ँ । नाम जपत मंगल द स दसहू ँ ।।
ु
सु म र सो नाम राम गु न गाथा। करउँ नाइ रघु नाथ ह माथा।।
मो र सु धा र ह सो सब भाँती। जासु कृ पा न हं कृ पाँ अघाती।।
राम सु वा म क सेवक मोसो। नज द स दै ख दया न ध पोसो।।
ु
ु
लोकहु ँ बेद सु सा हब र तीं। बनय सु नत प हचानत ीती।।
गनी गर ब ामनर नागर। पं डत मू ढ़ मल न उजागर।।
सु क ब कक ब नज म त अनु हार । नृप ह सराहत सब नर नार ।।
ु
साधु सु जान सु सील नृपाला। ईस अंस भव परम कृ पाला।।
सु न सनमान हं सब ह सु बानी। भ न त भग त न त ग त प हचानी।।
यह ाकृ त म हपाल सु भाऊ। जान सरोम न कोसलराऊ।।
र झत राम सनेह नसोत। को जग मंद म लनम त मोत।।
दो0-सठ सेवक क

ीत

च र खह हं राम कृ पालु ।

उपल कए जलजान जे हं स चव सु म त क प भालु ।।28(क)।।
हौहु कहावत सबु कहत राम सहत उपहास।
सा हब सीतानाथ सो सेवक तु लसीदास।।28(ख)।।
–*–*–
अ त ब ड़ मो र ढठाई खोर । सु न अघ नरकहु ँ नाक सकोर ।।
समु झ सहम मो ह अपडर अपन। सो सु ध राम क ि ह न हं सपन।।
सु न अवलो क सु चत चख चाह । भग त मो र म त वा म सराह ।।
कहत नसाइ होइ हयँ नीक । र झत राम जा न जन जी क ।।
रह त न भु चत चू क कए क । करत सु र त सय बार हए क ।।
जे हं अघ बधेउ याध िज म बाल । फ र सु कठ सोइ क ह कचाल ।।
ं
ु
सोइ करतू त बभीषन कर । सपनेहु ँ सो न राम हयँ हे र ।।
े
ते भरत ह भटत सनमाने। राजसभाँ रघु बीर बखाने।।
दो0- भु त तर क प डार पर ते कए आपु समान।।
तु लसी कहू ँ न राम से सा हब सील नधान।।29(क)।।
राम नका रावर है सबह को नीक।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

ज यह साँची है सदा तौ नीको तु लसीक।।29(ख)।।
ए ह ब ध नज गु न दोष क ह सब ह बहु र स नाइ।
बरनउँ रघु बर बसद जसु सु न क ल कलु ष नसाइ।।29(ग)।।
–*–*–
जागब लक जो कथा सु हाई। भर वाज मु नबर ह सु नाई।।
क हहउँ सोइ संबाद बखानी। सु नहु ँ सकल स जन सु खु मानी।।
संभु क ह यह च रत सु हावा। बहु र कृ पा क र उम ह सु नावा।।
सोइ सव कागभु सु ं ड ह द हा। राम भगत अ धकार ची हा।।
ते ह सन जागब लक पु न पावा। त ह पु न भर वाज

त गावा।।

ते ोता बकता समसीला। सवँदरसी जान हं ह रल ला।।
जान हं ती न काल नज याना। करतल गत आमलक समाना।।
औरउ जे ह रभगत सु जाना। कह हं सु न हं समु झ हं ब ध नाना।।
दो0-मै पु न नज गु र सन सु नी कथा सो सू करखेत।
समु झी न ह त स बालपन तब अ त रहे उँ अचेत।।30(क)।।
ोता बकता यान न ध कथा राम क गू ढ़।
ै
क म समु झ मै जीव जड़ क ल मल सत बमू ढ़।।30(ख)
–*–*–
तद प कह गु र बार हं बारा। समु झ पर कछ म त अनु सारा।।
ु
भाषाब कर ब म सोई। मोर मन बोध जे हं होई।।
जस कछ बु ध बबेक बल मेर। तस क हहउँ हयँ ह र क ेर।।
ु
े
नज संदेह मोह म हरनी। करउँ कथा भव स रता तरनी।।
बु ध ब ाम सकल जन रं ज न। रामकथा क ल कलु ष बभंज न।।
रामकथा क ल पंनग भरनी। पु न बबेक पावक कहु ँ अरनी।।
रामकथा क ल कामद गाई। सु जन सजीव न मू र सु हाई।।
सोइ बसु धातल सु धा तरं ग न। भय भंज न म भेक भु अं ग न।।
असु र सेन सम नरक नक द न। साधु बबु ध कल हत ग रनं द न।।
ं
ु
संत समाज पयो ध रमा सी। ब व भार भर अचल छमा सी।।
जम गन मु हँ म स जग जमु ना सी। जीवन मु क त हे तु जनु कासी।।
ु
राम ह

य पाव न तु लसी सी। तु ल सदास हत हयँ हु लसी सी।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

सव य मेकल सैल सु ता सी। सकल स

सु ख संप त रासी।।

सदगु न सु रगन अंब अ द त सी। रघु बर भग त ेम पर म त सी।।
दो0- राम कथा मंदा कनी च कट चत चा ।
ू
तु लसी सु भग सनेह बन सय रघु बीर बहा ।।31।।
–*–*–
राम च रत चंताम न चा । संत सु म त तय सु भग संगा ।।
जग मंगल गु न ाम राम क। दा न मु क त धन धरम धाम क।।
े
ु
े
सदगु र यान बराग जोग क। बबु ध बैद भव भीम रोग क।।
े
े
जन न जनक सय राम ेम क। बीज सकल त धरम नेम क।।
े
े
समन पाप संताप सोक क।
े

य पालक परलोक लोक क।।
े

स चव सु भट भू प त बचार क। कंु भज लोभ उद ध अपार क।।
े
े
काम कोह क लमल क रगन क। कह र सावक जन मन बन क।।
े े
े
अ त थ पू य

यतम पु रा र क। कामद घन दा रद दवा र क।।
े
े

मं महाम न बषय याल क। मेटत क ठन कअंक भाल क।।
े
ु
े
हरन मोह तम दनकर कर से। सेवक सा ल पाल जलधर से।।
अ भमत दा न दे वत बर से। सेवत सु लभ सु खद ह र हर से।।
सुक ब सरद नभ मन उडगन से। रामभगत जन जीवन धन से।।
सकल सु कृ त फल भू र भोग से। जग हत न प ध साधु लोग से।।
सेवक मन मानस मराल से। पावक गंग तंरग माल से।।
दो0-कपथ कतरक कचा ल क ल कपट दं भ पाषंड।
ु
ु
ु
दहन राम गु न ाम िज म इंधन अनल चंड।।32(क)।।
रामच रत राकस कर स रस सु खद सब काहु ।
े
स जन कमु द चकोर चत हत बसे ष बड़ लाहु ।।32(ख)।।
ु
–*–*–
क ि ह न जे ह भाँ त भवानी। जे ह ब ध संकर कहा बखानी।।
सो सब हे तु कहब म गाई। कथा बंध ब च बनाई।।
जे ह यह कथा सु नी न हं होई। ज न आचरजु कर सु न सोई।।
कथा अलौ कक सु न हं जे यानी। न हं आचरजु कर हं अस जानी।।
रामकथा क म त जग नाह ं। अ स ती त त ह क मन माह ं।।
ै
े
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

नाना भाँ त राम अवतारा। रामायन सत को ट अपारा।।
कलपभेद ह रच रत सु हाए। भाँ त अनेक मु नीस ह गाए।।
क रअ न संसय अस उर आनी। सु नअ कथा सारद र त मानी।।
दो0-राम अनंत अनंत गु न अ मत कथा ब तार।
सु न आचरजु न मा नह हं िज ह क बमल बचार।।33।।
–*–*–
ए ह ब ध सब संसय क र दूर । सर ध र गु र पद पंकज धू र ।।
पु न सबह बनवउँ कर जोर । करत कथा जे हं लाग न खोर ।।
सादर सव ह नाइ अब माथा। बरनउँ बसद राम गु न गाथा।।
संबत सोरह सै एकतीसा। करउँ कथा ह र पद ध र सीसा।।
नौमी भौम बार मधु मासा। अवधपु र ं यह च रत कासा।।
जे ह दन राम जनम ु त गाव हं। तीरथ सकल तहाँ च ल आव हं।।
असु र नाग खग नर मु न दे वा। आइ कर हं रघु नायक सेवा।।
ज म महो सव रच हं सु जाना। कर हं राम कल क र त गाना।।
दो0-म ज ह स जन बृंद बहु पावन सरजू नीर।
जप हं राम ध र यान उर सु ंदर याम सर र।।34।।
–*–*–
दरस परस म जन अ पाना। हरइ पाप कह बेद पु राना।।
नद पु नीत अ मत म हमा अ त। क ह न सकइ सारद बमलम त।।
राम धामदा पु र सु हाव न। लोक सम त ब दत अ त पाव न।।
चा र खा न जग जीव अपारा। अवध तजे तनु न ह संसारा।।
सब ब ध पु र मनोहर जानी। सकल स

द मंगल खानी।।

बमल कथा कर क ह अरं भा। सु नत नसा हं काम मद दं भा।।
रामच रतमानस ए ह नामा। सु नत वन पाइअ ब ामा।।
मन क र वषय अनल बन जरई। होइ सु खी जौ ए हं सर परई।।
रामच रतमानस मु न भावन। बरचेउ संभु सु हावन पावन।।
बध दोष दुख दा रद दावन। क ल कचा ल क ल कलु ष नसावन।।
ु
ु
र च महे स नज मानस राखा। पाइ सु समउ सवा सन भाषा।।
तात रामच रतमानस बर। धरे उ नाम हयँ हे र हर ष हर।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

कहउँ कथा सोइ सु खद सु हाई। सादर सु नहु सु जन मन लाई।।
दो0-जस मानस जे ह ब ध भयउ जग चार जे ह हे तु ।
अब सोइ कहउँ संग सब सु म र उमा बृषकतु ।।35।।
े
–*–*–
संभु साद सु म त हयँ हु लसी। रामच रतमानस क ब तु लसी।।
करइ मनोहर म त अनु हार । सु जन सु चत सु न लेहु सु धार ।।
सु म त भू म थल दय अगाधू । बेद पु रान उद ध घन साधू ।।
बरष हं राम सु जस बर बार । मधु र मनोहर मंगलकार ।।
ल ला सगु न जो कह हं बखानी। सोइ व छता करइ मल हानी।।
ेम भग त जो बर न न जाई। सोइ मधु रता सु सीतलताई।।
सो जल सु कृ त सा ल हत होई। राम भगत जन जीवन सोई।।
मेधा म ह गत सो जल पावन। स क ल वन मग चलेउ सु हावन।।
भरे उ सु मानस सु थल थराना। सु खद सीत
दो0-सु ठ सु ंदर संबाद बर बरचे बु

च चा

चराना।।

बचा र।

तेइ ए ह पावन सु भग सर घाट मनोहर चा र।।36।।
–*–*–
स त ब ध सु भग सोपाना। यान नयन नरखत मन माना।।
रघु प त म हमा अगु न अबाधा। बरनब सोइ बर बा र अगाधा।।
राम सीय जस स लल सु धासम। उपमा बी च बलास मनोरम।।
पु रइ न सघन चा चौपाई। जु गु त मंजु म न सीप सु हाई।।
छं द सोरठा सु ंदर दोहा। सोइ बहु रं ग कमल कल सोहा।।
ु
अरथ अनू प सु माव सु भासा। सोइ पराग मकरं द सु बासा।।
सु कृ त पु ंज मंजु ल अ ल माला। यान बराग बचार मराला।।
धु न अवरे ब क बत गु न जाती। मीन मनोहर ते बहु भाँती।।
अरथ धरम कामा दक चार । कहब यान ब यान बचार ।।
नव रस जप तप जोग बरागा। ते सब जलचर चा तड़ागा।।
सु कृ ती साधु नाम गु न गाना। ते ब च जल बहग समाना।।
संतसभा चहु ँ द स अवँराई।

ा रतु बसंत सम गाई।।

भग त न पन ब बध बधाना। छमा दया दम लता बताना।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

सम जम नयम फल फल याना। ह र पत र त रस बेद बखाना।।
ू
औरउ कथा अनेक संगा। तेइ सु क पक बहु बरन बहं गा।।
दो0-पु लक बा टका बाग बन सु ख सु बहं ग बहा ।
माल सु मन सनेह जल सींचत लोचन चा ।।37।।
–*–*–
जे गाव हं यह च रत सँभारे । तेइ ए ह ताल चतु र रखवारे ।।
सदा सु न हं सादर नर नार । तेइ सुरबर मानस अ धकार ।।
अ त खल जे बषई बग कागा। ए हं सर नकट न जा हं अभागा।।
संबु क भेक सेवार समाना। इहाँ न बषय कथा रस नाना।।
ते ह कारन आवत हयँ हारे । कामी काक बलाक बचारे ।।
आवत ए हं सर अ त क ठनाई। राम कृ पा बनु आइ न जाई।।
क ठन क संग कपंथ कराला। त ह क बचन बाघ ह र याला।।
ु
ु
े
गृह कारज नाना जंजाला। ते अ त दुगम सैल बसाला।।
बन बहु बषम मोह मद माना। नद ं कतक भयंकर नाना।।
ु
दो0-जे

ा संबल र हत न ह संत ह कर साथ।

त ह कहु ँ मानस अगम अ त िज ह ह न य रघु नाथ।।38।।
–*–*–
ज क र क ट जाइ पु न कोई। जात हं नींद जु ड़ाई होई।।
जड़ता जाड़ बषम उर लागा। गएहु ँ न म जन पाव अभागा।।
क र न जाइ सर म जन पाना। फ र आवइ समेत अ भमाना।।
ज बहो र कोउ पू छन आवा। सर नंदा क र ता ह बु झावा।।
सकल ब न याप ह न हं तेह । राम सु कृ पाँ बलोक हं जेह ।।
सोइ सादर सर म जनु करई। महा घोर यताप न जरई।।
ते नर यह सर तज हं न काऊ। िज ह क राम चरन भल भाऊ।।
े
जो नहाइ चह ए हं सर भाई। सो सतसंग करउ मन लाई।।
अस मानस मानस चख चाह । भइ क ब बु

बमल अवगाह ।।

भयउ दयँ आनंद उछाहू । उमगेउ ेम मोद बाहू ।।
चल सु भग क बता स रता सो। राम बमल जस जल भ रता सो।।
सरजू नाम सु मंगल मू ला। लोक बेद मत मंजु ल कला।।
ू
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

नद पु नीत सु मानस नं द न। क लमल तृन त मू ल नक द न।।
ं
दो0- ोता

बध समाज पु र ाम नगर दुहु ँ क ल।
ू

संतसभा अनु पम अवध सकल सु मंगल मू ल।।39।।
–*–*–
रामभग त सु रस रत ह जाई। मल सु क र त सरजु सु हाई।।
सानु ज राम समर जसु पावन। मलेउ महानदु सोन सु हावन।।
जु ग बच भग त दे वधु न धारा। सोह त स हत सु बर त बचारा।।
बध ताप ासक तमु हानी। राम स प संधु समु हानी।।
मानस मू ल मल सु रस रह । सु नत सु जन मन पावन क रह ।।
बच बच कथा ब च

बभागा। जनु स र तीर तीर बन बागा।।

उमा महे स बबाह बराती। ते जलचर अग नत बहु भाँती।।
रघु बर जनम अनंद बधाई। भवँर तरं ग मनोहरताई।।
दो0-बालच रत चहु बंधु क बनज बपु ल बहु रं ग।
े
नृप रानी प रजन सु कृ त मधु कर बा र बहं ग।।40।।
–*–*–
सीय वयंबर कथा सु हाई। स रत सु हाव न सो छ ब छाई।।
नद नाव पटु

न अनेका। कवट कसल उतर स बबेका।।
े
ु

सु न अनु कथन पर पर होई। प थक समाज सोह स र सोई।।
घोर धार भृगु नाथ रसानी। घाट सु ब राम बर बानी।।
सानु ज राम बबाह उछाहू । सो सु भ उमग सु खद सब काहू ।।
कहत सु नत हरष हं पु लकाह ं। ते सु कृ ती मन मु दत नहाह ं।।
राम तलक हत मंगल साजा। परब जोग जनु जु रे समाजा।।
काई क म त ककई कर । पर जासु फल बप त घनेर ।।
ु
े
े
दो0-समन अ मत उतपात सब भरतच रत जपजाग।
क ल अघ खल अवगु न कथन ते जलमल बग काग।।41।।
–*–*–
क र त स रत छहू ँ रतु र । समय सु हाव न पाव न भू र ।।
हम हमसैलसु ता सव याहू । स सर सु खद भु जनम उछाहू ।।
बरनब राम बबाह समाजू । सो मु द मंगलमय रतु राजू ।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

ीषम दुसह राम बनगवनू । पंथकथा खर आतप पवनू ।।
बरषा घोर नसाचर रार । सु रकल सा ल सु मंगलकार ।।
ु
राम राज सु ख बनय बड़ाई। बसद सु खद सोइ सरद सु हाई।।
सती सरोम न सय गु नगाथा। सोइ गु न अमल अनू पम पाथा।।
भरत सु भाउ सु सीतलताई। सदा एकरस बर न न जाई।।
दो0- अवलोक न बोल न मल न ी त परसपर हास।
भायप भ ल चहु बंधु क जल माधु र सु बास।।42।।
–*–*–
आर त बनय द नता मोर । लघु ता ल लत सु बा र न थोर ।।
अदभु त स लल सु नत गु नकार । आस पआस मनोमल हार ।।
राम सु ेम ह पोषत पानी। हरत सकल क ल कलु ष गलानौ।।
भव म सोषक तोषक तोषा। समन दु रत दुख दा रद दोषा।।
काम कोह मद मोह नसावन। बमल बबेक बराग बढ़ावन।।
सादर म जन पान कए त। मट हं पाप प रताप हए त।।
िज ह ए ह बा र न मानस धोए। ते कायर क लकाल बगोए।।
तृ षत नर ख र ब कर भव बार । फ रह ह मृग िज म जीव दुखार ।।
दो0-म त अनु हा र सु बा र गु न ग न मन अ हवाइ।
सु म र भवानी संकर ह कह क ब कथा सु हाइ।।43(क)।।
–*–*–
अब रघु प त पद पंक ह हयँ ध र पाइ साद ।
कहउँ जु गल मु नबज कर मलन सु भग संबाद।।43(ख)।।
भर वाज मु न बस हं यागा। त ह ह राम पद अ त अनु रागा।।
तापस सम दम दया नधाना। परमारथ पथ परम सु जाना।।
माघ मकरगत र ब जब होई। तीरथप त हं आव सब कोई।।
दे व दनु ज कं नर नर ेनी। सादर म ज हं सकल

बेनीं।।

पू ज ह माधव पद जलजाता। पर स अखय बटु हरष हं गाता।।
भर वाज आ म अ त पावन। परम र य मु नबर मन भावन।।
तहाँ होइ मु न रषय समाजा। जा हं जे म जन तीरथराजा।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

म ज हं ात समेत उछाहा। कह हं परसपर ह र गु न गाहा।।
दो0-

म न पम धरम ब ध बरन हं त व बभाग।

कह हं भग त भगवंत क संजु त यान बराग।।44।।
ै
–*–*–
ए ह कार भ र माघ नहाह ं। पु न सब नज नज आ म जाह ं।।
त संबत अ त होइ अनंदा। मकर मि ज गवन हं मु नबृंदा।।
एक बार भ र मकर नहाए। सब मु नीस आ म ह सधाए।।
जगबा लक मु न परम बबेक । भर दाज राखे पद टे क ।।
सादर चरन सरोज पखारे । अ त पु नीत आसन बैठारे ।।
क र पू जा मु न सु जस बखानी। बोले अ त पु नीत मृदु बानी।।
नाथ एक संसउ बड़ मोर। करगत बेदत व सबु तोर।।
कहत सो मो ह लागत भय लाजा। जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा।।
दो0-संत कह ह अ स नी त भु ु त पु रान मु न गाव।
होइ न बमल बबेक उर गु र सन कएँ दुराव।।45।।
–*–*–
अस बचा र गटउँ नज मोहू । हरहु नाथ क र जन पर छोहू ।।
रास नाम कर अ मत भावा। संत पुरान उप नषद गावा।।
संतत जपत संभु अ बनासी। सव भगवान यान गु न रासी।।
आकर चा र जीव जग अहह ं। कासीं मरत परम पद लहह ं।।
सो प राम म हमा मु नराया। सव उपदे सु करत क र दाया।।
रामु कवन भु पू छउँ तोह । क हअ बु झाइ कृ पा न ध मोह ।।
एक राम अवधेस कमारा। त ह कर च रत ब दत संसारा।।
ु
ना र बरहँ दुखु लहे उ अपारा। भयहु रोषु रन रावनु मारा।।
दो0- भु सोइ राम क अपर कोउ जा ह जपत

पु रा र।

स यधाम सब य तु ह कहहु बबेक बचा र।।46।।
ु
–*–*–
जैसे मटै मोर म भार । कहहु सो कथा नाथ ब तार ।।
जागब लक बोले मु सु काई। तु ह ह ब दत रघु प त भु ताई।।
राममगत तु ह मन

म बानी। चतु राई तु हार म जानी।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

चाहहु सु नै राम गु न गू ढ़ा। क ि हहु

न मनहु ँ अ त मू ढ़ा।।

तात सु नहु सादर मनु लाई। कहउँ राम क कथा सु हाई।।
ै
महामोहु म हषेसु बसाला। रामकथा का लका कराला।।
रामकथा स स करन समाना। संत चकोर कर हं जे ह पाना।।
ऐसेइ संसय क ह भवानी। महादे व तब कहा बखानी।।
दो0-कहउँ सो म त अनु हा र अब उमा संभु संबाद।
भयउ समय जे ह हे तु जे ह सु नु मु न म ट ह बषाद।।47।।
–*–*–
एक बार ता जु ग माह ं। संभु गए कंु भज र ष पाह ं।।
े
संग सती जगजन न भवानी। पू जे र ष अ खले वर जानी।।
रामकथा मु नीबज बखानी। सु नी महे स परम सु खु मानी।।
र ष पू छ ह रभग त सु हाई। कह संभु अ धकार पाई।।
कहत सु नत रघु प त गु न गाथा। कछ दन तहाँ रहे ग रनाथा।।
ु
मु न सन बदा मा ग

पु रार । चले भवन सँग द छकमार ।।
ु

ते ह अवसर भंजन म हभारा। ह र रघु बंस ल ह अवतारा।।
पता बचन तिज राजु उदासी। दं डक बन बचरत अ बनासी।।
दो0- दयँ बचारत जात हर क ह ब ध दरसनु होइ।
े
गु त प अवतरे उ भु गएँ जान सबु कोइ।।48(क)।।
–*–*–
सो0-संकर उर अ त छोभु सती न जान हं मरमु सोइ।।
तु लसी दरसन लोभु मन ड लोचन लालची।।48(ख)।।
रावन मरन मनु ज कर जाचा। भु ब ध बचनु क ह चह साचा।।
ज न हं जाउँ रहइ प छतावा। करत बचा न बनत बनावा।।
ए ह ब ध भए सोचबस ईसा। ते ह समय जाइ दससीसा।।
ल ह नीच मार च ह संगा। भयउ तु रत सोइ कपट करं गा।।
ु
क र छलु मू ढ़ हर बैदेह । भु भाउ तस ब दत न तेह ।।
मृग ब ध ब धु स हत ह र आए। आ मु दे ख नयन जल छाए।।
बरह बकल नर इव रघु राई। खोजत ब पन फरत दोउ भाई।।
कबहू ँ जोग बयोग न जाक। दे खा गट बरह दुख ताक।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

दो0-अ त व च रघु प त च रत जान हं परम सु जान।
जे म तमंद बमोह बस दयँ धर हं कछ आन।।49।।
ु
–*–*–
संभु समय ते ह राम ह दे खा। उपजा हयँ अ त हरपु बसेषा।।
भ र लोचन छ ब संधु नहार । क समय जा नन क ि ह च हार ।।
ु
जय सि चदानंद जग पावन। अस क ह चलेउ मनोज नसावन।।
चले जात सव सती समेता। पु न पु न पु लकत कृ पा नकता।।
े
सतीं सो दसा संभु क दे खी। उर उपजा संदेहु बसेषी।।
ै
संक जगतबं य जगद सा। सु र नर मु न सब नावत सीसा।।
त ह नृपसु त ह नह परनामा। क ह सि चदानंद परधमा।।
भए मगन छ ब तासु बलोक । अजहु ँ ी त उर रह त न रोक ।।
दो0-

म जो यापक बरज अज अकल अनीह अभेद।

सो क दे ह ध र होइ नर जा ह न जानत वेद।। 50।।
–*–*–
ब नु जो सु र हत नरतनु धार । सोउ सब य जथा पु रार ।।
खोजइ सो क अ य इव नार । यानधाम ीप त असु रार ।।
संभु गरा पु न मृषा न होई। सव सब य जान सबु कोई।।
अस संसय मन भयउ अपारा। होई न दयँ बोध चारा।।
ज य प गट न कहे उ भवानी। हर अंतरजामी सब जानी।।
सु न ह सती तव ना र सु भाऊ। संसय अस न ध रअ उर काऊ।।
जासु कथा क भंज र ष गाई। भग त जासु म मु न ह सु नाई।।
ु
सोउ मम इ टदे व रघु बीरा। सेवत जा ह सदा मु न धीरा।।
छं 0-मु न धीर जोगी स संतत बमल मन जे ह यावह ं।
क ह ने त नगम पु रान आगम जासु क र त गावह ं।।
सोइ रामु यापक

म भु वन नकाय प त माया धनी।

अवतरे उ अपने भगत हत नजतं

नत रघु क लम न।।
ु

सो0-लाग न उर उपदे सु जद प कहे उ सवँ बार बहु ।
बोले बह स महे सु ह रमाया बलु जा न िजयँ।।51।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

ज तु हर मन अ त संदेहू । तौ कन जाइ पर छा लेहू ।।
तब ल ग बैठ अहउँ बटछा हं। जब ल ग तु मह ऐहहु मो ह पाह ।।
्
जैस जाइ मोह

म भार । करे हु सो जतनु बबेक बचार ।।

चल ं सती सव आयसु पाई। कर हं बचा कर का भाई।।
इहाँ संभु अस मन अनु माना। द छसु ता कहु ँ न हं क याना।।
मोरे हु कह न संसय जाह ं। बधी बपर त भलाई नाह ं।।
होइ ह सोइ जो राम र च राखा। को क र तक बढ़ावै साखा।।
अस क ह लगे जपन ह रनामा। गई सती जहँ भु सु खधामा।।
दो0-पु न पु न दयँ वचा क र ध र सीता कर प।
आग होइ च ल पंथ ते ह जे हं आवत नरभू प।।52।।
–*–*–
ल छमन द ख उमाकृ त बेषा च कत भए म दयँ बसेषा।।
क ह न सकत कछ अ त गंभीरा। भु भाउ जानत म तधीरा।।
ु
सती कपटु जानेउ सु र वामी। सबदरसी सब अंतरजामी।।
सु मरत जा ह मटइ अ याना। सोइ सरब य रामु भगवाना।।
सती क ह चह तहँ हु ँ दुराऊ। दे खहु ना र सु भाव भाऊ।।
नज माया बलु दयँ बखानी। बोले बह स रामु मृदु बानी।।
जो र पा न भु क ह नामू । पता समेत ल ह नज नामू ।।
कहे उ बहो र कहाँ बृषकतू । ब पन अक ल फरहु क ह हे तू ।।
े
े
े
दो0-राम बचन मृदु गू ढ़ सु न उपजा अ त संकोचु ।
सती सभीत महे स प हं चल ं दयँ बड़ सोचु ।।53।।
–*–*–
म संकर कर कहा न माना। नज अ यानु राम पर आना।।
जाइ उत अब दे हउँ काहा। उर उपजा अ त दा न दाहा।।
जाना राम सतीं दुखु पावा। नज भाउ कछ ग ट जनावा।।
ु
सतीं द ख कौतु क मग जाता। आग रामु स हत ी ाता।।
ु
फ र चतवा पाछ भु दे खा। स हत बंधु सय सु ंदर वेषा।।
जहँ चतव हं तहँ भु आसीना। सेव हं स मु नीस बीना।।
दे खे सव ब ध ब नु अनेका। अ मत भाउ एक त एका।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

बंदत चरन करत भु सेवा। ब बध बेष दे खे सब दे वा।।
दो0-सती बधा ी इं दरा दे खीं अ मत अनू प।
जे हं जे हं बेष अजा द सु र ते ह ते ह तन अनु प।।54।।
–*–*–
दे खे जहँ तहँ रघु प त जेते। सि त ह स हत सकल सु र तेते।।
जीव चराचर जो संसारा। दे खे सकल अनेक कारा।।
पू ज हं भु ह दे व बहु बेषा। राम प दूसर न हं दे खा।।
अवलोक रघु प त बहु तेरे। सीता स हत न बेष घनेरे।।
े
सोइ रघु बर सोइ ल छमनु सीता। दे ख सती अ त भई सभीता।।
दय कप तन सु ध कछ नाह ं। नयन मू द बैठ ं मग माह ं।।
ं
ु
बहु र बलोकउ नयन उघार । कछ न द ख तहँ द छकमार ।।
े
ु
ु
पु न पु न नाइ राम पद सीसा। चल ं तहाँ जहँ रहे गर सा।।
दो0-गई समीप महे स तब हँ स पू छ क सलात।
ु
ल ह पर छा कवन ब ध कहहु स य सब बात।।55।।
मासपारायण, दूसरा व ाम
–*–*–
सतीं समु झ रघु बीर भाऊ। भय बस सव सन क ह दुराऊ।।
कछ न पर छा ल ि ह गोसाई। क ह नामु तु हा र ह नाई।।
ु
जो तु ह कहा सो मृषा न होई। मोर मन ती त अ त सोई।।
तब संकर दे खेउ ध र याना। सतीं जो क ह च रत सब जाना।।
बहु र राममाय ह स नावा। े र स त ह जे हं झूँठ कहावा।।
ह र इ छा भावी बलवाना। दयँ बचारत संभु सु जाना।।
सतीं क ह सीता कर बेषा। सव उर भयउ बषाद बसेषा।।
ज अब करउँ सती सन ीती। मटइ भग त पथु होइ अनीती।।
दो0-परम पु नीत न जाइ तिज कएँ ेम बड़ पापु ।
ग ट न कहत महे सु कछ दयँ अ धक संतापु ।।56।।
ु
–*–*–
तब संकर भु पद स नावा। सु मरत रामु दयँ अस आवा।।
ए हं तन स त ह भेट मो ह नाह ं। सव संक पु क ह मन माह ं।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

अस बचा र संक म तधीरा। चले भवन सु मरत रघु बीरा।।
चलत गगन भै गरा सु हाई। जय महे स भ ल भग त ढ़ाई।।
अस पन तु ह बनु करइ को आना। रामभगत समरथ भगवाना।।
सु न नभ गरा सती उर सोचा। पू छा सव ह समेत सकोचा।।
क ह कवन पन कहहु कृ पाला। स यधाम भु द नदयाला।।
जद प सतीं पू छा बहु भाँती। तद प न कहे उ

पु र आराती।।

दो0-सतीं दय अनु मान कय सबु जानेउ सब य।
क ह कपटु म संभु सन ना र सहज जड़ अ य।।57क।।
–*–*–
दयँ सोचु समु झत नज करनी। चंता अ मत जाइ न ह बरनी।।
कृ पा संधु सव परम अगाधा। गट न कहे उ मोर अपराधा।।
संकर ख अवलो क भवानी। भु मो ह तजेउ दयँ अकलानी।।
ु
नज अघ समु झ न कछ क ह जाई। तपइ अवाँ इव उर अ धकाई।।
ु
स त ह ससोच जा न बृषकतू । कह ं कथा सु ंदर सु ख हे तू ।।
े
बरनत पंथ ब बध इ तहासा। ब वनाथ पहु ँ चे कलासा।।
ै
तहँ पु न संभु समु झ पन आपन। बैठे बट तर क र कमलासन।।
संकर सहज स प स हारा। ला ग समा ध अखंड अपारा।।
दो0-सती बस ह कलास तब अ धक सोचु मन मा हं।
ै
मरमु न कोऊ जान कछ जु ग सम दवस सरा हं।।58।।
ु
–*–*–
नत नव सोचु सतीं उर भारा। कब जैहउँ दुख सागर पारा।।
म जो क ह रघु प त अपमाना। पु नप त बचनु मृषा क र जाना।।
सो फलु मो ह बधाताँ द हा। जो कछ उ चत रहा सोइ क हा।।
ु
अब ब ध अस बू झअ न ह तोह । संकर बमु ख िजआव स मोह ।।
क ह न जाई कछ दय गलानी। मन महु ँ रामा ह सु मर सयानी।।
ु
जौ भु द नदयालु कहावा। आरती हरन बेद जसु गावा।।
तौ म बनय करउँ कर जोर । छ टउ बे ग दे ह यह मोर ।।
ू
ज मोरे सव चरन सनेहू । मन

म बचन स य तु एहू ।।

दो0- तौ सबदरसी सु नअ भु करउ सो बे ग उपाइ।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

होइ मरनु जेह बन हं म दुसह बपि त बहाइ।।59।।
सो0-जलु पय स रस बकाइ दे खहु ी त क र त भ ल।
बलग होइ रसु जाइ कपट खटाई परत पु न।।57ख।।
–*–*–
ए ह ब ध दु खत जेसक मार । अकथनीय दा न दुखु भार ।।
ु
बीत संबत सहस सतासी। तजी समा ध संभु अ बनासी।।
राम नाम सव सु मरन लागे। जानेउ सतीं जगतप त जागे।।
जाइ संभु पद बंदनु क ह । सनमु ख संकर आसनु द हा।।
लगे कहन ह रकथा रसाला। द छ जेस भए ते ह काला।।
दे खा ब ध बचा र सब लायक। द छ ह क ह जाप त नायक।।
बड़ अ धकार द छ जब पावा। अ त अ भमानु दयँ तब आवा।।
न हं कोउ अस जनमा जग माह ं। भु ता पाइ जा ह मद नाह ं।।
दो0- द छ लए मु न बो ल सब करन लगे बड़ जाग।
नेवते सादर सकल सु र जे पावत मख भाग।।60।।
–*–*–
कं नर नाग स गंधबा। बधु ह समेत चले सु र सबा।।
ब नु बरं च महे सु बहाई। चले सकल सु र जान बनाई।।
सतीं बलोक योम बमाना। जात चले सु ंदर ब ध नाना।।
े
सु र सु ंदर कर हं कल गाना। सु नत वन छ ट हं मु न याना।।
ू
पू छेउ तब सवँ कहे उ बखानी। पता ज य सु न कछ हरषानी।।
ु
ज महे सु मो ह आयसु दे ह ं। कछ दन जाइ रह मस एह ं।।
ु
प त प र याग दय दुखु भार । कहइ न नज अपराध बचार ।।
बोल सती मनोहर बानी। भय संकोच ेम रस सानी।।
दो0- पता भवन उ सव परम ज

भु आयसु होइ।

तौ मै जाउँ कृ पायतन सादर दे खन सोइ।।61।।
–*–*–
कहे हु नीक मोरे हु ँ मन भावा। यह अनु चत न हं नेवत पठावा।।
द छ सकल नज सु ता बोलाई। हमर बयर तु हउ बसराई।।
मसभाँ हम सन दुखु माना। ते ह त अजहु ँ कर हं अपमाना।।
भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood)

ज बनु बोल जाहु भवानी। रहइ न सीलु सनेहु न कानी।।
जद प म

भु पतु गु र गेहा। जाइअ बनु बोलेहु ँ न सँदेहा।।

तद प बरोध मान जहँ कोई। तहाँ गएँ क यानु न होई।।
भाँ त अनेक संभु समु झावा। भावी बस न यानु उर आवा।।
कह भु जाहु जो बन हं बोलाएँ। न हं भ ल बात हमारे भाएँ।।
दो0-क ह दे खा हर जतन बहु रहइ न द छक मा र।
ु
दए मु य गन संग तब बदा क ह पु रा र।।62।।
–*–*–
पता भवन जब गई भवानी। द छ ास काहु ँ न सनमानी।।
सादर भले हं मल एक माता। भ गनीं मल ं बहु त मु सु काता।।
द छ न कछ पू छ कसलाता। स त ह बलो क जरे सब गाता।।
ु
ु
सतीं जाइ दे खेउ तब जागा। कतहु ँ न द ख संभु कर भागा।।
तब चत चढ़े उ जो संकर कहे ऊ। भु अपमानु समु झ उर दहे ऊ।।
पा छल दुखु न दयँ अस यापा। जस यह भयउ महा प रतापा।।
ज य प जग दा न दुख नाना। सब त क ठन जा त अवमाना।।
समु झ सो स त ह भयउ अ त

ोधा। बहु ब ध जननीं क ह बोधा।।

दो0- सव अपमानु न जाइ स ह दयँ न होइ बोध।
सकल सभ ह ह ठ हट क तब बोल ं बचन स ोध।।63।।
–*–*–
सु नहु सभासद सकल मु नंदा। कह सु नी िज ह संकर नंदा।।
सो फलु तु रत लहब सब काहू ँ । भल भाँ त प छताब पताहू ँ ।।
संत संभु ीप त अपबादा। सु नअ जहाँ तहँ अ स मरजादा।।
का टअ तासु जीभ जो बसाई। वन मू द न त च लअ पराई।।
जगदातमा महे सु पु रार । जगत जनक सब क हतकार ।।
े
पता मंदम त नंदत तेह । द छ सु

संभव यह दे ह ।।

तिजहउँ तु रत दे ह ते ह हे तू । उर ध र चं मौ ल बृषकतू ।।
े
अस क ह जोग अ ग न तनु जारा। भयउ सकल मख हाहाकारा।।
दो0-सती मरनु सु न संभु गन लगे करन मख खीस।
ज य बधंस बलो क भृगु र छा क ि ह मु नीस।।64।।
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand
Shri ram katha balkand

More Related Content

What's hot

Yog yatra3
Yog yatra3Yog yatra3
Yog yatra3gurusewa
 
Samta samrajya
Samta samrajyaSamta samrajya
Samta samrajyagurusewa
 
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSE
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSERam Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSE
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSEOne Time Forever
 
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVAKARYALAY
 
Ram laxman parsuram sanbad
Ram laxman parsuram sanbadRam laxman parsuram sanbad
Ram laxman parsuram sanbadRethik Mukharjee
 
अमरकथा अमृत
अमरकथा अमृतअमरकथा अमृत
अमरकथा अमृतSudeep Rastogi
 
Alakh kiaur
Alakh kiaurAlakh kiaur
Alakh kiaurgurusewa
 
Shri brahmramayan
Shri brahmramayanShri brahmramayan
Shri brahmramayangurusewa
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang sumangurusewa
 
hindi project for class 10
hindi project for class 10hindi project for class 10
hindi project for class 10Bhavesh Sharma
 
Shighra ishwarprapti
Shighra ishwarpraptiShighra ishwarprapti
Shighra ishwarpraptigurusewa
 

What's hot (14)

Yog yatra3
Yog yatra3Yog yatra3
Yog yatra3
 
Samta samrajya
Samta samrajyaSamta samrajya
Samta samrajya
 
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSE
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSERam Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSE
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSE
 
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
 
RishiPrasad
RishiPrasadRishiPrasad
RishiPrasad
 
Ram laxman parsuram sanbad
Ram laxman parsuram sanbadRam laxman parsuram sanbad
Ram laxman parsuram sanbad
 
अमरकथा अमृत
अमरकथा अमृतअमरकथा अमृत
अमरकथा अमृत
 
Alakh kiaur
Alakh kiaurAlakh kiaur
Alakh kiaur
 
Atam yog
Atam yogAtam yog
Atam yog
 
Shri brahmramayan
Shri brahmramayanShri brahmramayan
Shri brahmramayan
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang suman
 
4 5901099779814850619
4 59010997798148506194 5901099779814850619
4 5901099779814850619
 
hindi project for class 10
hindi project for class 10hindi project for class 10
hindi project for class 10
 
Shighra ishwarprapti
Shighra ishwarpraptiShighra ishwarprapti
Shighra ishwarprapti
 

Similar to Shri ram katha balkand (20)

GuruAradhanavali
GuruAradhanavaliGuruAradhanavali
GuruAradhanavali
 
Lyrics murali songs
Lyrics murali songsLyrics murali songs
Lyrics murali songs
 
VyasPoornima
VyasPoornimaVyasPoornima
VyasPoornima
 
झुंझुरका बाल इ मासिक september 2022
झुंझुरका बाल इ मासिक september 2022झुंझुरका बाल इ मासिक september 2022
झुंझुरका बाल इ मासिक september 2022
 
ShriGuruRamanyan
ShriGuruRamanyanShriGuruRamanyan
ShriGuruRamanyan
 
Shri gururamanyan
Shri gururamanyanShri gururamanyan
Shri gururamanyan
 
sundar kand pdf download in hindi, Sundarkand PDF Download
sundar kand pdf download in hindi, Sundarkand PDF Downloadsundar kand pdf download in hindi, Sundarkand PDF Download
sundar kand pdf download in hindi, Sundarkand PDF Download
 
SamtaSamrajya
SamtaSamrajyaSamtaSamrajya
SamtaSamrajya
 
Sunderkand PDF in Hindi.pdf
Sunderkand PDF in Hindi.pdfSunderkand PDF in Hindi.pdf
Sunderkand PDF in Hindi.pdf
 
Ananya yog
Ananya yogAnanya yog
Ananya yog
 
SadhanaMeinSafalata
SadhanaMeinSafalataSadhanaMeinSafalata
SadhanaMeinSafalata
 
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
 
Atma yog
Atma yogAtma yog
Atma yog
 
AlakhKiAur
AlakhKiAurAlakhKiAur
AlakhKiAur
 
Vyas purnima
Vyas purnimaVyas purnima
Vyas purnima
 
झुंझुरका बाल इ मासिक नोव्हेंबर 2022.pdf
झुंझुरका बाल इ मासिक नोव्हेंबर 2022.pdfझुंझुरका बाल इ मासिक नोव्हेंबर 2022.pdf
झुंझुरका बाल इ मासिक नोव्हेंबर 2022.pdf
 
Bhajanamrit
BhajanamritBhajanamrit
Bhajanamrit
 
ShighraIshwarPrapti
ShighraIshwarPraptiShighraIshwarPrapti
ShighraIshwarPrapti
 
Mukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj margMukti ka sahaj marg
Mukti ka sahaj marg
 
AtamYog
AtamYogAtamYog
AtamYog
 

More from shart sood

Leadership lessons from Bhagvad Gita
Leadership lessons from Bhagvad GitaLeadership lessons from Bhagvad Gita
Leadership lessons from Bhagvad Gitashart sood
 
Marketing Management Pdf Version by Er. S Sood
Marketing Management Pdf Version by Er. S SoodMarketing Management Pdf Version by Er. S Sood
Marketing Management Pdf Version by Er. S Soodshart sood
 
Marketing Management by Er. Shart Sood
Marketing Management by Er. Shart SoodMarketing Management by Er. Shart Sood
Marketing Management by Er. Shart Soodshart sood
 
Lets have some fun
Lets have some funLets have some fun
Lets have some funshart sood
 
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Sood
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S SoodCOPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Sood
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Soodshart sood
 
decision tree analysis Er. S Sood
decision tree analysis Er. S Sooddecision tree analysis Er. S Sood
decision tree analysis Er. S Soodshart sood
 
Production & operations management
Production & operations managementProduction & operations management
Production & operations managementshart sood
 
360 degree performance appraisal Er. S Sood
360 degree performance appraisal Er. S Sood360 degree performance appraisal Er. S Sood
360 degree performance appraisal Er. S Soodshart sood
 
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S Sood
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S SoodTraining & Development A Part Of HRM Studies Er. S Sood
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S Soodshart sood
 
Winding Up By The Court Er. S Sood
Winding Up By The Court Er. S SoodWinding Up By The Court Er. S Sood
Winding Up By The Court Er. S Soodshart sood
 
Meetings Er. S Sood
Meetings Er. S SoodMeetings Er. S Sood
Meetings Er. S Soodshart sood
 
Formation Of A Company Er. S Sood
Formation Of A Company Er. S SoodFormation Of A Company Er. S Sood
Formation Of A Company Er. S Soodshart sood
 
Financial Management
Financial ManagementFinancial Management
Financial Managementshart sood
 
E Finance Er. S Sood
E Finance Er. S SoodE Finance Er. S Sood
E Finance Er. S Soodshart sood
 
Strategic Management
Strategic ManagementStrategic Management
Strategic Managementshart sood
 
E Finance Er. S Sood
E Finance Er. S SoodE Finance Er. S Sood
E Finance Er. S Soodshart sood
 
Be Thankful Er. S Sood
Be Thankful Er. S SoodBe Thankful Er. S Sood
Be Thankful Er. S Soodshart sood
 

More from shart sood (20)

Leadership lessons from Bhagvad Gita
Leadership lessons from Bhagvad GitaLeadership lessons from Bhagvad Gita
Leadership lessons from Bhagvad Gita
 
Marketing Management Pdf Version by Er. S Sood
Marketing Management Pdf Version by Er. S SoodMarketing Management Pdf Version by Er. S Sood
Marketing Management Pdf Version by Er. S Sood
 
Marketing Management by Er. Shart Sood
Marketing Management by Er. Shart SoodMarketing Management by Er. Shart Sood
Marketing Management by Er. Shart Sood
 
**^^**
**^^****^^**
**^^**
 
Lets have some fun
Lets have some funLets have some fun
Lets have some fun
 
Body language
Body languageBody language
Body language
 
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Sood
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S SoodCOPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Sood
COPY WRITING IN ADV & SALES MGMT by Er. S Sood
 
decision tree analysis Er. S Sood
decision tree analysis Er. S Sooddecision tree analysis Er. S Sood
decision tree analysis Er. S Sood
 
Production & operations management
Production & operations managementProduction & operations management
Production & operations management
 
Advertising
AdvertisingAdvertising
Advertising
 
360 degree performance appraisal Er. S Sood
360 degree performance appraisal Er. S Sood360 degree performance appraisal Er. S Sood
360 degree performance appraisal Er. S Sood
 
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S Sood
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S SoodTraining & Development A Part Of HRM Studies Er. S Sood
Training & Development A Part Of HRM Studies Er. S Sood
 
Winding Up By The Court Er. S Sood
Winding Up By The Court Er. S SoodWinding Up By The Court Er. S Sood
Winding Up By The Court Er. S Sood
 
Meetings Er. S Sood
Meetings Er. S SoodMeetings Er. S Sood
Meetings Er. S Sood
 
Formation Of A Company Er. S Sood
Formation Of A Company Er. S SoodFormation Of A Company Er. S Sood
Formation Of A Company Er. S Sood
 
Financial Management
Financial ManagementFinancial Management
Financial Management
 
E Finance Er. S Sood
E Finance Er. S SoodE Finance Er. S Sood
E Finance Er. S Sood
 
Strategic Management
Strategic ManagementStrategic Management
Strategic Management
 
E Finance Er. S Sood
E Finance Er. S SoodE Finance Er. S Sood
E Finance Er. S Sood
 
Be Thankful Er. S Sood
Be Thankful Er. S SoodBe Thankful Er. S Sood
Be Thankful Er. S Sood
 

Shri ram katha balkand

  • 1. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) बाल का ड ।। ी गणेशाय नमः ।। ीजानक व लभो वजयते ी रामच रत मानस थम सोपान (बालका ड) लोक वणानामथसंघानां रसानां छ दसाम प। म गलानां च क तारौ व दे वाणी वनायकौ।।1।। भवानीश करौ व दे ा व वास पणौ। या यां वना न प यि त स ाः वा तः थमी वरम ्।।2।। व दे बोधमयं न यं गु ं श कर पणम ्। यमा तो ह व ोऽ प च ः सव व यते।।3।। सीतारामगु ण ामपु यार य वहा रणौ। व दे वशु व ानौ कबी वरकपी वरौ।।4।। उ वि थ तसंहारका रणीं लेशहा रणीम ्। सव ेय कर ं सीतां नतोऽहं रामव लभाम ्।।5।। य मायावशव त व वम खलं मा ददे वासु रा य स वादमृषैव भा त सकलं र जौ यथाहे मः। य पाद लवमेकमेव ह भवा भोधेि ततीषावतां व दे ऽहं तमशेषकारणपरं रामा यमीशं ह रम ्।।6।। नानापु राण नगमागमस मतं य रामायणे नग दतं व चद यतोऽ प। वा तःसु खाय तु लसी रघु नाथगाथाभाषा नब धम तम जु लमातनो त।।7।। सो0-जो सु मरत स ध होइ गन नायक क रबर बदन। करउ अनु ह सोइ बु रा स सु भ गु न सदन।।1।।
  • 2. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) मू क होइ बाचाल पंगु चढइ ग रबर गहन। जासु कृ पाँ सो दयाल वउ सकल क ल मल दहन।।2।। नील सरो ह याम त न अ न बा रज नयन। करउ सो मम उर धाम सदा छ रसागर सयन।।3।। कंु द इंद ु सम दे ह उमा रमन क ना अयन। जा ह द न पर नेह करउ कृ पा मदन मयन।।4।। बंदउ गु पद कज कृ पा संधु नर प ह र। ं महामोह तम पु ंज जासु बचन र ब कर नकर।।5।। बंदउ गु पद पदुम परागा। सु च सु बास सरस अनु रागा।। अ मय मू रमय चू रन चा । समन सकल भव ज प रवा ।। सु कृ त संभु तन बमल बभू ती। मंजु ल मंगल मोद सू ती।। जन मन मंजु मु क र मल हरनी। कएँ तलक गु न गन बस करनी।। ु ीगु र पद नख म न गन जोती। सु मरत द य ृि ट हयँ होती।। दलन मोह तम सो स कासू । बड़े भाग उर आवइ जासू ।। उघर हं बमल बलोचन ह क। मट हं दोष दुख भव रजनी क।। े े सू झ हं राम च रत म न मा नक। गु पु त गट जहँ जो जे ह खा नक।। दो0-जथा सु अंजन अंिज ग साधक स सु जान। कौतु क दे खत सैल बन भू तल भू र नधान।।1।। –*–*– ए ह महँ रघुप त नाम उदारा। अ त पावन पु रान ु त सारा।। मंगल भवन अमंगल हार । उमा स हत जे ह जपत पु रार ।। भ न त ब च सु क ब कृ त जोऊ। राम नाम बनु सोह न सोऊ।। बधु बदनी सब भाँ त सँवार । सोन न बसन बना बर नार ।। सब गु न र हत कक ब कृ त बानी। राम नाम जस अं कत जानी।। ु सादर कह हं सु न हं बु ध ताह । मधु कर स रस संत गु न ाह ।। जद प क बत रस एकउ नाह । राम ताप कट ए ह माह ं।। सोइ भरोस मोर मन आवा। क हं न सु संग बड पनु पावा।। े धू मउ तजइ सहज क आई। अग संग सु गंध बसाई।। भ न त भदे स ब तु भ ल बरनी। राम कथा जग मंगल करनी।।
  • 3. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) छं 0-मंगल कर न क ल मल हर न तु लसी कथा रघु नाथ क ।। ग त कर क बता स रत क ू य स रत पावन पाथ क ।। भु सु जस संग त भ न त भ ल होइ ह सु जन मन भावनी।। भव अंग भू त मसान क सु मरत सु हाव न पावनी।। दो0- य ला ग ह अ त सब ह मम भ न त राम जस संग। दा बचा क करइ कोउ बं दअ मलय संग।।10(क)।। याम सु र भ पय बसद अ त गु नद कर हं सब पान। गरा ा य सय राम जस गाव हं सु न हं सु जान।।10(ख)।। –*–*– गु पद रज मृदु मंजु ल अंजन। नयन अ मअ ग दोष बभंजन।। ते हं क र बमल बबेक बलोचन। बरनउँ राम च रत भव मोचन।। बंदउँ थम मह सु र चरना। मोह ज नत संसय सब हरना।। सु जन समाज सकल गु न खानी। करउँ नाम स ेम सु बानी।। साधु च रत सु भ च रत कपासू । नरस बसद गु नमय फल जासू ।। जो स ह दुख पर छ दुरावा। बंदनीय जे हं जग जस पावा।। मु द मंगलमय संत समाजू । जो जग जंगम तीरथराजू ।। राम भि त जहँ सु रस र धारा। सरसइ म बचार चारा।। ब ध नषेधमय क ल मल हरनी। करम कथा र बनंद न बरनी।। ह र हर कथा बराज त बेनी। सु नत सकल मु द मंगल दे नी।। बटु ब वास अचल नज धरमा। तीरथराज समाज सु करमा।। सब हं सु लभ सब दन सब दे सा। सेवत सादर समन कलेसा।। अकथ अलौ कक तीरथराऊ। दे इ स य फल गट भाऊ।। दो0-सु न समु झ हं जन मु दत मन म ज हं अ त अनु राग। लह हं चा र फल अछत तनु साधु समाज याग।।2।। –*–*– म जन फल पे खअ ततकाला। काक हो हं पक बकउ मराला।। सु न आचरज करै ज न कोई। सतसंग त म हमा न हं गोई।। बालमीक नारद घटजोनी। नज नज मु ख न कह नज होनी।। जलचर थलचर नभचर नाना। जे जड़ चेतन जीव जहाना।।
  • 4. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) म त क र त ग त भू त भलाई। जब जे हं जतन जहाँ जे हं पाई।। सो जानब सतसंग भाऊ। लोकहु ँ बेद न आन उपाऊ।। बनु सतसंग बबेक न होई। राम कृ पा बनु सु लभ न सोई।। सतसंगत मु द मंगल मू ला। सोइ फल स ध सब साधन फला।। ू सठ सु धर हं सतसंग त पाई। पारस परस कधात सु हाई।। ु ब ध बस सु जन कसंगत परह ं। फ न म न सम नज गु न अनु सरह ं।। ु ब ध ह र हर क ब को बद बानी। कहत साधु म हमा सकचानी।। ु सो मो सन क ह जात न कस। साक ब नक म न गु न गन जैस।। ै दो0-बंदउँ संत समान चत हत अन हत न हं कोइ। अंज ल गत सु भ सु मन िज म सम सु गंध कर दोइ।।3(क)।। संत सरल चत जगत हत जा न सु भाउ सनेहु । बाल बनय सु न क र कृ पा राम चरन र त दे हु ।।3(ख)।। –*–*– बहु र बं द खल गन स तभाएँ । जे बनु काज दा हनेहु बाएँ।। पर हत हा न लाभ िज ह कर। उजर हरष बषाद बसेर।। े ह र हर जस राकस राहु से। पर अकाज भट सहसबाहु से।। े जे पर दोष लख हं सहसाखी। पर हत घृत िज ह क मन माखी।। े तेज कृ सानु रोष म हषेसा। अघ अवगु न धन धनी धनेसा।। उदय कत सम हत सबह क। कंु भकरन सम सोवत नीक।। े े े पर अकाजु ल ग तनु प रहरह ं। िज म हम उपल कृ षी द ल गरह ं।। बंदउँ खल जस सेष सरोषा। सहस बदन बरनइ पर दोषा।। पु न नवउँ पृथु राज समाना। पर अघ सु नइ सहस दस काना।। बहु र स बचन ब सम बनवउँ तेह । संतत सु रानीक हत जेह ।। जे ह सदा पआरा। सहस नयन पर दोष नहारा।। दो0-उदासीन अ र मीत हत सु नत जर हं खल र त। जा न पा न जु ग जो र जन बनती करइ स ी त।।4।। –*–*– म अपनी द स क ह नहोरा। त ह नज ओर न लाउब भोरा।। बायस प लअ हं अ त अनु रागा। हो हं नरा मष कबहु ँ क कागा।।
  • 5. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) बंदउँ संत अस जन चरना। दुख द उभय बीच कछ बरना।। ु बछरत एक ान ह र लेह ं। मलत एक दुख दा न दे ह ं।। ु उपज हं एक संग जग माह ं। जलज ज क िज म गु न बलगाह ं।। सु धा सु रा सम साधू असाधू । जनक एक जग जल ध अगाधू ।। भल अनभल नज नज करतू ती। लहत सु जस अपलोक बभू ती।। सु धा सु धाकर सु रस र साधू । गरल अनल क लमल स र याधू ।। गु न अवगु न जानत सब कोई। जो जे ह भाव नीक ते ह सोई।। दो0-भलो भलाइ ह पै लहइ लहइ नचाइ ह नीचु। सु धा सरा हअ अमरताँ गरल सरा हअ मीचु ।।5।। –*–*– खल अघ अगु न साधू गु न गाहा। उभय अपार उद ध अवगाहा।। ते ह त कछ गु न दोष बखाने। सं ह याग न बनु प हचाने।। ु भलेउ पोच सब ब ध उपजाए। ग न गु न दोष बेद बलगाए।। कह हं बेद इ तहास पु राना। ब ध पंचु गु न अवगु न साना।। दुख सु ख पाप पु य दन राती। साधु असाधु सु जा त क जाती।। ु दानव दे व ऊच अ नीचू । अ मअ सु जीवनु माहु मीचू ।। ँ माया म जीव जगद सा। लि छ अलि छ रं क अवनीसा।। कासी मग सु रस र मनासा। म मारव म हदे व गवासा।। सरग नरक अनु राग बरागा। नगमागम गु न दोष बभागा।। दो0-जड़ चेतन गु न दोषमय ब व क ह करतार। संत हं स गु न गह हं पय प रह र बा र बकार।।6।। –*–*– अस बबेक जब दे इ बधाता। तब तिज दोष गु न हं मनु राता।। काल सु भाउ करम ब रआई। भलेउ कृ त बस चु कइ भलाई।। सो सु धा र ह रजन िज म लेह ं। द ल दुख दोष बमल जसु दे ह ं।। खलउ कर हं भल पाइ सु संगू । मटइ न म लन सु भाउ अभंगू ।। ल ख सु बेष जग बंचक जेऊ। बेष ताप पू िजअ हं तेऊ।। उधर हं अंत न होइ नबाहू । कालने म िज म रावन राहू ।। कएहु ँ कबेष साधु सनमानू । िज म जग जामवंत हनु मानू ।। ु
  • 6. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) हा न क संग सु संग त लाहू । लोकहु ँ बेद ब दत सब काहू ।। ु गगन चढ़इ रज पवन संगा। क च हं मलइ नीच जल संगा।। साधु असाधु सदन सु क सार ं। सु मर हं राम दे हं ग न गार ।। धू म कसंग त का रख होई। ल खअ पु रान मंजु म स सोई।। ु सोइ जल अनल अ नल संघाता। होइ जलद जग जीवन दाता।। दो0- ह भेषज जल पवन पट पाइ कजोग सु जोग। ु हो ह कब तु सु ब तु जग लख हं सु ल छन लोग।।7(क)।। ु सम कास तम पाख दुहु ँ नाम भेद ब ध क ह। स स सोषक पोषक समु झ जग जस अपजस द ह।।7(ख)।। जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जा न। बंदउँ सब क पद कमल सदा जो र जु ग पा न।।7(ग)।। े दे व दनु ज नर नाग खग ेत पतर गंधब। बंदउँ कं नर रज नचर कृ पा करहु अब सब।।7(घ)।। –*–*– आकर चा र लाख चौरासी। जा त जीव जल थल नभ बासी।। सीय राममय सब जग जानी। करउँ नाम जो र जु ग पानी।। जा न कृ पाकर कं कर मोहू । सब म ल करहु छा ड़ छल छोहू ।। नज बु ध बल भरोस मो ह नाह ं। तात बनय करउँ सब पाह ।। करन चहउँ रघु प त गु न गाहा। लघु म त मो र च रत अवगाहा।। सू झ न एकउ अंग उपाऊ। मन म त रं क मनोरथ राऊ।। म त अ त नीच ऊ च ँ च आछ । च हअ अ मअ जग जु रइ न छाछ ।। छ मह हं स जन मो र ढठाई। सु नह हं बालबचन मन लाई।। जौ बालक कह तोत र बाता। सु न हं मु दत मन पतु अ माता।। हँ सह ह कर क टल क बचार । जे पर दूषन भू षनधार ।। ू ु ु नज क वत क ह लाग न नीका। सरस होउ अथवा अ त फ का।। े जे पर भ न त सु नत हरषाह । ते बर पु ष बहु त जग नाह ं।। जग बहु नर सर स र सम भाई। जे नज बा ढ़ बढ़ हं जल पाई।। स जन सकृ त संधु सम कोई। दे ख पू र बधु बाढ़इ जोई।। दो0-भाग छोट अ भलाषु बड़ करउँ एक ब वास।
  • 7. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) पैह हं सु ख सु न सु जन सब खल करह हं उपहास।।8।। –*–*– खल प रहास होइ हत मोरा। काक कह हं कलकठ कठोरा।। ं हं स ह बक दादुर चातकह । हँ स हं म लन खल बमल बतकह ।। क बत र सक न राम पद नेहू । त ह कहँ सु खद हास रस एहू ।। भाषा भ न त भो र म त मोर । हँ सबे जोग हँ स न हं खोर ।। भु पद ी त न सामु झ नीक । त ह ह कथा सु न लाग ह फ क ।। ह र हर पद र त म त न कतरक । त ह कहु ँ मधु र कथा रघु वर क ।। ु राम भग त भू षत िजयँ जानी। सु नह हं सु जन सरा ह सु बानी।। क ब न होउँ न हं बचन बीनू । सकल कला सब ब या ह नू ।। आखर अरथ अलंकृ त नाना। छं द बंध अनेक बधाना।। भाव भेद रस भेद अपारा। क बत दोष गु न ब बध कारा।। क बत बबेक एक न हं मोर। स य कहउँ ल ख कागद कोरे ।। दो0-भ न त मो र सब गु न र हत ब व ब दत गु न एक। सो बचा र सु नह हं सु म त िज ह क बमल बवेक।।9।। –*–*– म न मा नक मु कता छ ब जैसी। अ ह ग र गज सर सोह न तैसी।। ु नृप कर ट त नी तनु पाई। लह हं सकल सोभा अ धकाई।। तैसे हं सु क ब क बत बु ध कहह ं। उपज हं अनत अनत छ ब लहह ं।। भग त हे तु ब ध भवन बहाई। सु मरत सारद आव त धाई।। राम च रत सर बनु अ हवाएँ। सो म जाइ न को ट उपाएँ।। क ब को बद अस दयँ बचार । गाव हं ह र जस क ल मल हार ।। क ह ाकृ त जन गु न गाना। सर धु न गरा लगत प छताना।। दय संधु म त सीप समाना। वा त सारदा कह हं सु जाना।। ज बरषइ बर बा र बचा । हो हं क बत मु कताम न चा ।। ु दो0-जु गु त बे ध पु न पो हअ हं रामच रत बर ताग। प हर हं स जन बमल उर सोभा अ त अनु राग।।11।। –*–*–
  • 8. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) जे जनमे क लकाल कराला। करतब बायस बेष मराला।। चलत कपंथ बेद मग छाँड़। कपट कलेवर क ल मल भाँड़।। ु े बंचक भगत कहाइ राम क। कं कर कचन कोह काम क।। े ं े त ह महँ थम रे ख जग मोर । धींग धरम वज धंधक धोर ।। ज अपने अवगु न सब कहऊ। बाढ़इ कथा पार न हं लहऊ।। ँ ँ ताते म अ त अलप बखाने। थोरे महु ँ जा नह हं सयाने।। समु झ ब ब ध ब ध बनती मोर । कोउ न कथा सु न दे इ ह खोर ।। एतेहु पर क रह हं जे असंका। मो ह ते अ धक ते जड़ म त रं का।। क ब न होउँ न हं चतु र कहावउँ । म त अनु प राम गुन गावउँ ।। कहँ रघु प त क च रत अपारा। कहँ म त मो र नरत संसारा।। े जे हं मा त ग र मे उड़ाह ं। कहहु तू ल क ह लेखे माह ं।। े समु झत अ मत राम भु ताई। करत कथा मन अ त कदराई।। दो0-सारद सेस महे स ब ध आगम नगम पु रान। ने त ने त क ह जासु गु न कर हं नरं तर गान।।12।। –*–*– सब जानत भु भु ता सोई। तद प कह बनु रहा न कोई।। तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन भाउ भाँ त बहु भाषा।। एक अनीह अ प अनामा। अज सि चदानंद पर धामा।। यापक ब व प भगवाना। ते हं ध र दे ह च रत कृ त नाना।। सो कवल भगतन हत लागी। परम कृ पाल नत अनु रागी।। े जे ह जन पर ममता अ त छोहू । जे हं क ना क र क ह न कोहू ।। गई बहोर गर ब नेवाजू । सरल सबल सा हब रघु राजू ।। बु ध बरन हं ह र जस अस जानी। कर ह पु नीत सु फल नज बानी।। ते हं बल म रघु प त गु न गाथा। क हहउँ नाइ राम पद माथा।। मु न ह थम ह र क र त गाई। ते हं मग चलत सु गम मो ह भाई।। दो0-अ त अपार जे स रत बर ज नृप सेतु करा हं। च ढ पपी लकउ परम लघु बनु म पार ह जा हं।।13।। –*–*–
  • 9. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) ए ह कार बल मन ह दे खाई। क रहउँ रघु प त कथा सु हाई।। यास आ द क ब पु ंगव नाना। िज ह सादर ह र सु जस बखाना।। चरन कमल बंदउँ त ह करे । पु रवहु ँसकल मनोरथ मेरे।। े क ल क क ब ह करउँ परनामा। िज ह बरने रघु प त गु न ामा।। े जे ाकृ त क ब परम सयाने। भाषाँ िज ह ह र च रत बखाने।। भए जे अह हं जे होइह हं आग। नवउँ सब हं कपट सब याग।। होहु स न दे हु बरदानू । साधु समाज भ न त सनमानू ।। जो बंध बु ध न हं आदरह ं। सो म बा द बाल क ब करह ं।। क र त भ न त भू त भ ल सोई। सु रस र सम सब कहँ हत होई।। राम सु क र त भ न त भदे सा। असमंजस अस मो ह अँदेसा।। तु हर कृ पा सु लभ सोउ मोरे । सअ न सु हाव न टाट पटोरे ।। दो0-सरल क बत क र त बमल सोइ आदर हं सु जान। सहज बयर बसराइ रपु जो सु न कर हं बखान।।14(क)।। सो न होइ बनु बमल म त मो ह म त बल अ त थोर। करहु कृ पा ह र जस कहउँ पु न पु न करउँ नहोर।।14(ख)।। क ब को बद रघु बर च रत मानस मंजु मराल। बाल बनय सु न सु च ल ख मोपर होहु कृ पाल।।14(ग)।। –*–*– सो0-बंदउँ मु न पद कजु रामायन जे हं नरमयउ। ं सखर सु कोमल मंजु दोष र हत दूषन स हत।।14(घ)।। बंदउँ चा रउ बेद भव बा र ध बो हत स रस। िज ह ह न सपनेहु ँ खेद बरनत रघु बर बसद जसु ।।14(ङ)।। बंदउँ ब ध पद रे नु भव सागर जे ह क ह जहँ । संत सु धा स स धेनु गटे खल बष बा नी।।14(च)।। दो0- बबु ध ब बु ध ह चरन बं द कहउँ कर जो र। होइ स न पु रवहु सकल मंजु मनोरथ मो र।।14(छ)।। –*–*– पु न बंदउँ सारद सु रस रता। जु गल पु नीत मनोहर च रता।। म जन पान पाप हर एका। कहत सु नत एक हर अ बबेका।।
  • 10. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) गु र पतु मातु महे स भवानी। नवउँ द नबंधु दन दानी।। सेवक वा म सखा सय पी क। हत न प ध सब ब ध तु लसीक।। े े क ल बलो क जग हत हर ग रजा। साबर मं जाल िज ह स रजा।। अन मल आखर अरथ न जापू । गट भाउ महे स तापू ।। सो उमेस मो ह पर अनु कला। क र हं कथा मु द मंगल मू ला।। ू सु म र सवा सव पाइ पसाऊ। बरनउँ रामच रत चत चाऊ।। भ न त मो र सव कृ पाँ बभाती। स स समाज म ल मनहु ँ सु राती।। जे ए ह कथ ह सनेह समेता। क हह हं सु नह हं समु झ सचेता।। होइह हं राम चरन अनु रागी। क ल मल र हत सु मंगल भागी।। दो0-सपनेहु ँ साचेहु ँ मो ह पर ज हर गौ र पसाउ। तौ फर होउ जो कहे उँ सब भाषा भ न त भाउ।।15।। ु –*–*– बंदउँ अवध पुर अ त पाव न। सरजू स र क ल कलु ष नसाव न।। नवउँ पु र नर ना र बहोर । ममता िज ह पर भु ह न थोर ।। सय नंदक अघ ओघ नसाए। लोक बसोक बनाइ बसाए।। बंदउँ कौस या द स ाची। क र त जासु सकल जग माची।। गटे उ जहँ रघु प त स स चा । ब व सु खद खल कमल तु सा ।। दसरथ राउ स हत सब रानी। सु कृ त सु मंगल मू र त मानी।। करउँ नाम करम मन बानी। करहु कृ पा सु त सेवक जानी।। िज ह ह बर च बड़ भयउ बधाता। म हमा अव ध राम पतु माता।। सो0-बंदउँ अवध भु आल स य ेम जे ह राम पद। बछरत द नदयाल ु य तनु तृन इव प रहरे उ।।16।। नवउँ प रजन स हत बदे हू । जा ह राम पद गू ढ़ सनेहू ।। जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बलोकत गटे उ सोई।। नवउँ थम भरत क चरना। जासु नेम त जाइ न बरना।। े राम चरन पंकज मन जासू । लु बु ध मधु प इव तजइ न पासू ।। बंदउँ ल छमन पद जलजाता। सीतल सु भग भगत सु ख दाता।। रघु प त क र त बमल पताका। दं ड समान भयउ जस जाका।। सेष सह सीस जग कारन। जो अवतरे उ भू म भय टारन।।
  • 11. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) सदा सो सानु क ल रह मो पर। कृ पा संधु सौ म ू गु नाकर।। रपु सू दन पद कमल नमामी। सू र सु सील भरत अनु गामी।। महावीर बनवउँ हनु माना। राम जासु जस आप बखाना।। सो0- नवउँ पवनक मार खल बन पावक यानधन। ु जासु दय आगार बस हं राम सर चाप धर।।17।। क पप त र छ नसाचर राजा। अंगदा द जे क स समाजा।। बंदउँ सब क चरन सु हाए। अधम सर र राम िज ह पाए।। े रघु प त चरन उपासक जेते। खग मृग सु र नर असु र समेते।। बंदउँ पद सरोज सब करे । जे बनु काम राम क चेरे।। े े सु क सनका द भगत मु न नारद। जे मु नबर ब यान बसारद।। नवउँ सब हं धर न ध र सीसा। करहु कृ पा जन जा न मु नीसा।। जनकसु ता जग जन न जानक । अ तसय य क ना नधान क ।। ताक जु ग पद कमल मनावउँ । जासु कृ पाँ नरमल म त पावउँ ।। े पु न मन बचन कम रघु नायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक।। रािजवनयन धर धनु सायक। भगत बप त भंजन सु ख दायक।। दो0- गरा अरथ जल बी च सम क हअत भ न न भ न। बदउँ सीता राम पद िज ह ह परम य ख न।।18।। –*–*– बंदउँ नाम राम रघु वर को। हे तु कृ सानु भानु हमकर को।। ब ध ह र हरमय बेद ान सो। अगु न अनू पम गु न नधान सो।। महामं जोइ जपत महे सू । कासीं मु क त हे तु उपदे सू ।। ु म हमा जासु जान गनराउ। थम पू िजअत नाम भाऊ।। जान आ दक ब नाम तापू । भयउ सु क र उलटा जापू ।। सहस नाम सम सु न सव बानी। ज प जेई पय संग भवानी।। हरषे हे तु हे र हर ह को। कय भू षन तय भू षन ती को।। नाम भाउ जान सव नीको। कालकट फलु द ह अमी को।। ू दो0-बरषा रतु रघु प त भग त तु लसी सा ल सु दास।। राम नाम बर बरन जु ग सावन भादव मास।।19।। –*–*–
  • 12. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) आखर मधु र मनोहर दोऊ। बरन बलोचन जन िजय जोऊ।। सु मरत सु लभ सु खद सब काहू । लोक लाहु परलोक नबाहू ।। कहत सु नत सु मरत सु ठ नीक। राम लखन सम े बरनत बरन ी त बलगाती। य तु लसी क।। े म जीव सम सहज सँघाती।। नर नारायन स रस सु ाता। जग पालक बसे ष जन ाता।। भग त सु तय कल करन बभू षन। जग हत हे तु बमल बधु पू षन । वाद तोष सम सु ग त सु धा क। कमठ सेष सम धर बसु धा क।। े े जन मन मंजु कज मधु कर से। जीह जसोम त ह र हलधर से।। ं दो0-एक छ ु एक मु क टम न सब बरन न पर जोउ। ु ु ु तु लसी रघु बर नाम क बरन बराजत दोउ।।20।। े –*–*– समु झत स रस नाम अ नामी। ी त परसपर भु अनु गामी।। नाम प दुइ ईस उपाधी। अकथ अना द सु सामु झ साधी।। को बड़ छोट कहत अपराधू । सु न गु न भेद समु झह हं साधू ।। दे खअ हं प नाम आधीना। प यान न हं नाम बह ना।। प बसेष नाम बनु जान। करतल गत न पर हं प हचान।। सु म रअ नाम प बनु दे ख। आवत दयँ सनेह बसेष।। नाम प ग त अकथ कहानी। समु झत सु खद न पर त बखानी।। अगु न सगु न बच नाम सु साखी। उभय बोधक चतु र दुभाषी।। दो0-राम नाम म नद प ध जीह दे हर वार। तु लसी भीतर बाहे रहु ँ ज चाह स उिजआर।।21।। –*–*– नाम जीहँ ज प जाग हं जोगी। बर त बरं च पंच बयोगी।। मसु ख ह अनु भव हं अनू पा। अकथ अनामय नाम न पा।। जाना चह हं गू ढ़ ग त जेऊ। नाम जीहँ ज प जान हं तेऊ।। साधक नाम जप हं लय लाएँ। हो हं स अ नमा दक पाएँ।। जप हं नामु जन आरत भार । मट हं कसंकट हो हं सु खार ।। ु राम भगत जग चा र कारा। सु कृ ती चा रउ अनघ उदारा।। चहू चतु र कहु ँ नाम अधारा। यानी भु ह बसे ष पआरा।।
  • 13. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) चहु ँ जु ग चहु ँ ु त ना भाऊ। क ल बसे ष न हं आन उपाऊ।। दो0-सकल कामना ह न जे राम भग त रस ल न। नाम सु ेम पयू ष हद त हहु ँ कए मन मीन।।22।। –*–*– अगु न सगु न दुइ म स पा। अकथ अगाध अना द अनू पा।। मोर मत बड़ नामु दुहू त। कए जे हं जु ग नज बस नज बू त।। ो ढ़ सु जन ज न जान हं जन क । कहउँ ती त ी त एक दा गत दे खअ एक। पावक सम जु ग ु ू उभय अगम जु ग सु गम नाम त। कहे उँ नामु बड़ यापक एक ु ु च मन क ।। म बबेक।। ू म राम त।। म अ बनासी। सत चेतन धन आनँद रासी।। अस भु दयँ अछत अ बकार । सकल जीव जग द न दुखार ।। नाम न पन नाम जतन त। सोउ गटत िज म मोल रतन त।। दो0- नरगु न त ए ह भाँ त बड़ नाम भाउ अपार। कहउँ नामु बड़ राम त नज बचार अनु सार।।23।। –*–*– राम भगत हत नर तनु धार । स ह संकट कए साधु सु खार ।। नामु स ेम जपत अनयासा। भगत हो हं मु द मंगल बासा।। राम एक तापस तय तार । नाम को ट खल कम त सु धार ।। ु र ष हत राम सु कतु सु ताक । स हत सेन सु त क ह बबाक ।। े स हत दोष दुख दास दुरासा। दलइ नामु िज म र ब न स नासा।। भंजेउ राम आपु भव चापू । भव भय भंजन नाम तापू ।। दं डक बनु भु क ह सु हावन। जन मन अ मत नाम कए पावन।।। न सचर नकर दले रघु नंदन। नामु सकल क ल कलु ष नकदन।। ं दो0-सबर गीध सु सेवक न सु ग त द ि ह रघु नाथ। नाम उधारे अ मत खल बेद ब दत गु न गाथ।।24।। –*–*– राम सु कठ बभीषन दोऊ। राखे सरन जान सबु कोऊ।। ं नाम गर ब अनेक नेवाजे। लोक बेद बर ब रद बराजे।। राम भालु क प कटक बटोरा। सेतु हे तु मु क ह न थोरा।। ु
  • 14. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) नामु लेत भव संधु सु खाह ं। करहु बचा सु जन मन माह ं।। राम सक ल रन रावनु मारा। सीय स हत नज पुर पगु धारा।। ु राजा रामु अवध रजधानी। गावत गु न सु र मु न बर बानी।। सेवक सु मरत नामु स ीती। बनु म बल मोह दलु जीती।। फरत सनेहँ मगन सु ख अपन। नाम साद सोच न हं सपन।। दो0- म राम त नामु बड़ बर दायक बर दा न। रामच रत सत को ट महँ लय महे स िजयँ जा न।।25।। मासपारायण, पहला व ाम –*–*– नाम साद संभु अ बनासी। साजु अमंगल मंगल रासी।। सु क सनका द स मु न जोगी। नाम साद नारद जानेउ नाम तापू । जग मसु ख भोगी।। य ह र ह र हर य आपू ।। नामु जपत भु क ह सादू। भगत सरोम न भे हलादू।। ु वँ सगला न जपेउ ह र नाऊ। पायउ अचल अनू पम ठाऊ।। ँ ँ सु म र पवनसु त पावन नामू । अपने बस क र राखे रामू ।। अपतु अजा मलु गजु ग नकाऊ। भए मु कत ह र नाम भाऊ।। ु कह कहाँ ल ग नाम बड़ाई। रामु न सक हं नाम गु न गाई।। दो0-नामु राम को कलपत क ल क यान नवासु । जो सु मरत भयो भाँग त तु लसी तु लसीदासु ।।26।। –*–*– चहु ँ जु ग ती न काल तहु ँ लोका। भए नाम ज प जीव बसोका।। बेद पु रान संत मत एहू । सकल सु कृ त फल राम सनेहू ।। यानु थम जु ग मख ब ध दूज। वापर प रतोषत भु पू ज।। क ल कवल मल मू ल मल ना। पाप पयो न ध जन जन मीना।। े नाम कामत काल कराला। सु मरत समन सकल जग जाला।। राम नाम क ल अ भमत दाता। हत परलोक लोक पतु माता।। न हं क ल करम न भग त बबेक । राम नाम अवलंबन एक।। ू ू कालने म क ल कपट नधानू । नाम सु म त समरथ हनु मानू ।। दो0-राम नाम नरकसर कनकक सपु क लकाल। े
  • 15. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) जापक जन हलाद िज म पा ल ह द ल सु रसाल।।27।। –*–*– भायँ कभायँ अनख आलसहू ँ । नाम जपत मंगल द स दसहू ँ ।। ु सु म र सो नाम राम गु न गाथा। करउँ नाइ रघु नाथ ह माथा।। मो र सु धा र ह सो सब भाँती। जासु कृ पा न हं कृ पाँ अघाती।। राम सु वा म क सेवक मोसो। नज द स दै ख दया न ध पोसो।। ु ु लोकहु ँ बेद सु सा हब र तीं। बनय सु नत प हचानत ीती।। गनी गर ब ामनर नागर। पं डत मू ढ़ मल न उजागर।। सु क ब कक ब नज म त अनु हार । नृप ह सराहत सब नर नार ।। ु साधु सु जान सु सील नृपाला। ईस अंस भव परम कृ पाला।। सु न सनमान हं सब ह सु बानी। भ न त भग त न त ग त प हचानी।। यह ाकृ त म हपाल सु भाऊ। जान सरोम न कोसलराऊ।। र झत राम सनेह नसोत। को जग मंद म लनम त मोत।। दो0-सठ सेवक क ीत च र खह हं राम कृ पालु । उपल कए जलजान जे हं स चव सु म त क प भालु ।।28(क)।। हौहु कहावत सबु कहत राम सहत उपहास। सा हब सीतानाथ सो सेवक तु लसीदास।।28(ख)।। –*–*– अ त ब ड़ मो र ढठाई खोर । सु न अघ नरकहु ँ नाक सकोर ।। समु झ सहम मो ह अपडर अपन। सो सु ध राम क ि ह न हं सपन।। सु न अवलो क सु चत चख चाह । भग त मो र म त वा म सराह ।। कहत नसाइ होइ हयँ नीक । र झत राम जा न जन जी क ।। रह त न भु चत चू क कए क । करत सु र त सय बार हए क ।। जे हं अघ बधेउ याध िज म बाल । फ र सु कठ सोइ क ह कचाल ।। ं ु सोइ करतू त बभीषन कर । सपनेहु ँ सो न राम हयँ हे र ।। े ते भरत ह भटत सनमाने। राजसभाँ रघु बीर बखाने।। दो0- भु त तर क प डार पर ते कए आपु समान।। तु लसी कहू ँ न राम से सा हब सील नधान।।29(क)।। राम नका रावर है सबह को नीक।
  • 16. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) ज यह साँची है सदा तौ नीको तु लसीक।।29(ख)।। ए ह ब ध नज गु न दोष क ह सब ह बहु र स नाइ। बरनउँ रघु बर बसद जसु सु न क ल कलु ष नसाइ।।29(ग)।। –*–*– जागब लक जो कथा सु हाई। भर वाज मु नबर ह सु नाई।। क हहउँ सोइ संबाद बखानी। सु नहु ँ सकल स जन सु खु मानी।। संभु क ह यह च रत सु हावा। बहु र कृ पा क र उम ह सु नावा।। सोइ सव कागभु सु ं ड ह द हा। राम भगत अ धकार ची हा।। ते ह सन जागब लक पु न पावा। त ह पु न भर वाज त गावा।। ते ोता बकता समसीला। सवँदरसी जान हं ह रल ला।। जान हं ती न काल नज याना। करतल गत आमलक समाना।। औरउ जे ह रभगत सु जाना। कह हं सु न हं समु झ हं ब ध नाना।। दो0-मै पु न नज गु र सन सु नी कथा सो सू करखेत। समु झी न ह त स बालपन तब अ त रहे उँ अचेत।।30(क)।। ोता बकता यान न ध कथा राम क गू ढ़। ै क म समु झ मै जीव जड़ क ल मल सत बमू ढ़।।30(ख) –*–*– तद प कह गु र बार हं बारा। समु झ पर कछ म त अनु सारा।। ु भाषाब कर ब म सोई। मोर मन बोध जे हं होई।। जस कछ बु ध बबेक बल मेर। तस क हहउँ हयँ ह र क ेर।। ु े नज संदेह मोह म हरनी। करउँ कथा भव स रता तरनी।। बु ध ब ाम सकल जन रं ज न। रामकथा क ल कलु ष बभंज न।। रामकथा क ल पंनग भरनी। पु न बबेक पावक कहु ँ अरनी।। रामकथा क ल कामद गाई। सु जन सजीव न मू र सु हाई।। सोइ बसु धातल सु धा तरं ग न। भय भंज न म भेक भु अं ग न।। असु र सेन सम नरक नक द न। साधु बबु ध कल हत ग रनं द न।। ं ु संत समाज पयो ध रमा सी। ब व भार भर अचल छमा सी।। जम गन मु हँ म स जग जमु ना सी। जीवन मु क त हे तु जनु कासी।। ु राम ह य पाव न तु लसी सी। तु ल सदास हत हयँ हु लसी सी।।
  • 17. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) सव य मेकल सैल सु ता सी। सकल स सु ख संप त रासी।। सदगु न सु रगन अंब अ द त सी। रघु बर भग त ेम पर म त सी।। दो0- राम कथा मंदा कनी च कट चत चा । ू तु लसी सु भग सनेह बन सय रघु बीर बहा ।।31।। –*–*– राम च रत चंताम न चा । संत सु म त तय सु भग संगा ।। जग मंगल गु न ाम राम क। दा न मु क त धन धरम धाम क।। े ु े सदगु र यान बराग जोग क। बबु ध बैद भव भीम रोग क।। े े जन न जनक सय राम ेम क। बीज सकल त धरम नेम क।। े े समन पाप संताप सोक क। े य पालक परलोक लोक क।। े स चव सु भट भू प त बचार क। कंु भज लोभ उद ध अपार क।। े े काम कोह क लमल क रगन क। कह र सावक जन मन बन क।। े े े अ त थ पू य यतम पु रा र क। कामद घन दा रद दवा र क।। े े मं महाम न बषय याल क। मेटत क ठन कअंक भाल क।। े ु े हरन मोह तम दनकर कर से। सेवक सा ल पाल जलधर से।। अ भमत दा न दे वत बर से। सेवत सु लभ सु खद ह र हर से।। सुक ब सरद नभ मन उडगन से। रामभगत जन जीवन धन से।। सकल सु कृ त फल भू र भोग से। जग हत न प ध साधु लोग से।। सेवक मन मानस मराल से। पावक गंग तंरग माल से।। दो0-कपथ कतरक कचा ल क ल कपट दं भ पाषंड। ु ु ु दहन राम गु न ाम िज म इंधन अनल चंड।।32(क)।। रामच रत राकस कर स रस सु खद सब काहु । े स जन कमु द चकोर चत हत बसे ष बड़ लाहु ।।32(ख)।। ु –*–*– क ि ह न जे ह भाँ त भवानी। जे ह ब ध संकर कहा बखानी।। सो सब हे तु कहब म गाई। कथा बंध ब च बनाई।। जे ह यह कथा सु नी न हं होई। ज न आचरजु कर सु न सोई।। कथा अलौ कक सु न हं जे यानी। न हं आचरजु कर हं अस जानी।। रामकथा क म त जग नाह ं। अ स ती त त ह क मन माह ं।। ै े
  • 18. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) नाना भाँ त राम अवतारा। रामायन सत को ट अपारा।। कलपभेद ह रच रत सु हाए। भाँ त अनेक मु नीस ह गाए।। क रअ न संसय अस उर आनी। सु नअ कथा सारद र त मानी।। दो0-राम अनंत अनंत गु न अ मत कथा ब तार। सु न आचरजु न मा नह हं िज ह क बमल बचार।।33।। –*–*– ए ह ब ध सब संसय क र दूर । सर ध र गु र पद पंकज धू र ।। पु न सबह बनवउँ कर जोर । करत कथा जे हं लाग न खोर ।। सादर सव ह नाइ अब माथा। बरनउँ बसद राम गु न गाथा।। संबत सोरह सै एकतीसा। करउँ कथा ह र पद ध र सीसा।। नौमी भौम बार मधु मासा। अवधपु र ं यह च रत कासा।। जे ह दन राम जनम ु त गाव हं। तीरथ सकल तहाँ च ल आव हं।। असु र नाग खग नर मु न दे वा। आइ कर हं रघु नायक सेवा।। ज म महो सव रच हं सु जाना। कर हं राम कल क र त गाना।। दो0-म ज ह स जन बृंद बहु पावन सरजू नीर। जप हं राम ध र यान उर सु ंदर याम सर र।।34।। –*–*– दरस परस म जन अ पाना। हरइ पाप कह बेद पु राना।। नद पु नीत अ मत म हमा अ त। क ह न सकइ सारद बमलम त।। राम धामदा पु र सु हाव न। लोक सम त ब दत अ त पाव न।। चा र खा न जग जीव अपारा। अवध तजे तनु न ह संसारा।। सब ब ध पु र मनोहर जानी। सकल स द मंगल खानी।। बमल कथा कर क ह अरं भा। सु नत नसा हं काम मद दं भा।। रामच रतमानस ए ह नामा। सु नत वन पाइअ ब ामा।। मन क र वषय अनल बन जरई। होइ सु खी जौ ए हं सर परई।। रामच रतमानस मु न भावन। बरचेउ संभु सु हावन पावन।। बध दोष दुख दा रद दावन। क ल कचा ल क ल कलु ष नसावन।। ु ु र च महे स नज मानस राखा। पाइ सु समउ सवा सन भाषा।। तात रामच रतमानस बर। धरे उ नाम हयँ हे र हर ष हर।।
  • 19. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) कहउँ कथा सोइ सु खद सु हाई। सादर सु नहु सु जन मन लाई।। दो0-जस मानस जे ह ब ध भयउ जग चार जे ह हे तु । अब सोइ कहउँ संग सब सु म र उमा बृषकतु ।।35।। े –*–*– संभु साद सु म त हयँ हु लसी। रामच रतमानस क ब तु लसी।। करइ मनोहर म त अनु हार । सु जन सु चत सु न लेहु सु धार ।। सु म त भू म थल दय अगाधू । बेद पु रान उद ध घन साधू ।। बरष हं राम सु जस बर बार । मधु र मनोहर मंगलकार ।। ल ला सगु न जो कह हं बखानी। सोइ व छता करइ मल हानी।। ेम भग त जो बर न न जाई। सोइ मधु रता सु सीतलताई।। सो जल सु कृ त सा ल हत होई। राम भगत जन जीवन सोई।। मेधा म ह गत सो जल पावन। स क ल वन मग चलेउ सु हावन।। भरे उ सु मानस सु थल थराना। सु खद सीत दो0-सु ठ सु ंदर संबाद बर बरचे बु च चा चराना।। बचा र। तेइ ए ह पावन सु भग सर घाट मनोहर चा र।।36।। –*–*– स त ब ध सु भग सोपाना। यान नयन नरखत मन माना।। रघु प त म हमा अगु न अबाधा। बरनब सोइ बर बा र अगाधा।। राम सीय जस स लल सु धासम। उपमा बी च बलास मनोरम।। पु रइ न सघन चा चौपाई। जु गु त मंजु म न सीप सु हाई।। छं द सोरठा सु ंदर दोहा। सोइ बहु रं ग कमल कल सोहा।। ु अरथ अनू प सु माव सु भासा। सोइ पराग मकरं द सु बासा।। सु कृ त पु ंज मंजु ल अ ल माला। यान बराग बचार मराला।। धु न अवरे ब क बत गु न जाती। मीन मनोहर ते बहु भाँती।। अरथ धरम कामा दक चार । कहब यान ब यान बचार ।। नव रस जप तप जोग बरागा। ते सब जलचर चा तड़ागा।। सु कृ ती साधु नाम गु न गाना। ते ब च जल बहग समाना।। संतसभा चहु ँ द स अवँराई। ा रतु बसंत सम गाई।। भग त न पन ब बध बधाना। छमा दया दम लता बताना।।
  • 20. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) सम जम नयम फल फल याना। ह र पत र त रस बेद बखाना।। ू औरउ कथा अनेक संगा। तेइ सु क पक बहु बरन बहं गा।। दो0-पु लक बा टका बाग बन सु ख सु बहं ग बहा । माल सु मन सनेह जल सींचत लोचन चा ।।37।। –*–*– जे गाव हं यह च रत सँभारे । तेइ ए ह ताल चतु र रखवारे ।। सदा सु न हं सादर नर नार । तेइ सुरबर मानस अ धकार ।। अ त खल जे बषई बग कागा। ए हं सर नकट न जा हं अभागा।। संबु क भेक सेवार समाना। इहाँ न बषय कथा रस नाना।। ते ह कारन आवत हयँ हारे । कामी काक बलाक बचारे ।। आवत ए हं सर अ त क ठनाई। राम कृ पा बनु आइ न जाई।। क ठन क संग कपंथ कराला। त ह क बचन बाघ ह र याला।। ु ु े गृह कारज नाना जंजाला। ते अ त दुगम सैल बसाला।। बन बहु बषम मोह मद माना। नद ं कतक भयंकर नाना।। ु दो0-जे ा संबल र हत न ह संत ह कर साथ। त ह कहु ँ मानस अगम अ त िज ह ह न य रघु नाथ।।38।। –*–*– ज क र क ट जाइ पु न कोई। जात हं नींद जु ड़ाई होई।। जड़ता जाड़ बषम उर लागा। गएहु ँ न म जन पाव अभागा।। क र न जाइ सर म जन पाना। फ र आवइ समेत अ भमाना।। ज बहो र कोउ पू छन आवा। सर नंदा क र ता ह बु झावा।। सकल ब न याप ह न हं तेह । राम सु कृ पाँ बलोक हं जेह ।। सोइ सादर सर म जनु करई। महा घोर यताप न जरई।। ते नर यह सर तज हं न काऊ। िज ह क राम चरन भल भाऊ।। े जो नहाइ चह ए हं सर भाई। सो सतसंग करउ मन लाई।। अस मानस मानस चख चाह । भइ क ब बु बमल अवगाह ।। भयउ दयँ आनंद उछाहू । उमगेउ ेम मोद बाहू ।। चल सु भग क बता स रता सो। राम बमल जस जल भ रता सो।। सरजू नाम सु मंगल मू ला। लोक बेद मत मंजु ल कला।। ू
  • 21. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) नद पु नीत सु मानस नं द न। क लमल तृन त मू ल नक द न।। ं दो0- ोता बध समाज पु र ाम नगर दुहु ँ क ल। ू संतसभा अनु पम अवध सकल सु मंगल मू ल।।39।। –*–*– रामभग त सु रस रत ह जाई। मल सु क र त सरजु सु हाई।। सानु ज राम समर जसु पावन। मलेउ महानदु सोन सु हावन।। जु ग बच भग त दे वधु न धारा। सोह त स हत सु बर त बचारा।। बध ताप ासक तमु हानी। राम स प संधु समु हानी।। मानस मू ल मल सु रस रह । सु नत सु जन मन पावन क रह ।। बच बच कथा ब च बभागा। जनु स र तीर तीर बन बागा।। उमा महे स बबाह बराती। ते जलचर अग नत बहु भाँती।। रघु बर जनम अनंद बधाई। भवँर तरं ग मनोहरताई।। दो0-बालच रत चहु बंधु क बनज बपु ल बहु रं ग। े नृप रानी प रजन सु कृ त मधु कर बा र बहं ग।।40।। –*–*– सीय वयंबर कथा सु हाई। स रत सु हाव न सो छ ब छाई।। नद नाव पटु न अनेका। कवट कसल उतर स बबेका।। े ु सु न अनु कथन पर पर होई। प थक समाज सोह स र सोई।। घोर धार भृगु नाथ रसानी। घाट सु ब राम बर बानी।। सानु ज राम बबाह उछाहू । सो सु भ उमग सु खद सब काहू ।। कहत सु नत हरष हं पु लकाह ं। ते सु कृ ती मन मु दत नहाह ं।। राम तलक हत मंगल साजा। परब जोग जनु जु रे समाजा।। काई क म त ककई कर । पर जासु फल बप त घनेर ।। ु े े दो0-समन अ मत उतपात सब भरतच रत जपजाग। क ल अघ खल अवगु न कथन ते जलमल बग काग।।41।। –*–*– क र त स रत छहू ँ रतु र । समय सु हाव न पाव न भू र ।। हम हमसैलसु ता सव याहू । स सर सु खद भु जनम उछाहू ।। बरनब राम बबाह समाजू । सो मु द मंगलमय रतु राजू ।।
  • 22. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) ीषम दुसह राम बनगवनू । पंथकथा खर आतप पवनू ।। बरषा घोर नसाचर रार । सु रकल सा ल सु मंगलकार ।। ु राम राज सु ख बनय बड़ाई। बसद सु खद सोइ सरद सु हाई।। सती सरोम न सय गु नगाथा। सोइ गु न अमल अनू पम पाथा।। भरत सु भाउ सु सीतलताई। सदा एकरस बर न न जाई।। दो0- अवलोक न बोल न मल न ी त परसपर हास। भायप भ ल चहु बंधु क जल माधु र सु बास।।42।। –*–*– आर त बनय द नता मोर । लघु ता ल लत सु बा र न थोर ।। अदभु त स लल सु नत गु नकार । आस पआस मनोमल हार ।। राम सु ेम ह पोषत पानी। हरत सकल क ल कलु ष गलानौ।। भव म सोषक तोषक तोषा। समन दु रत दुख दा रद दोषा।। काम कोह मद मोह नसावन। बमल बबेक बराग बढ़ावन।। सादर म जन पान कए त। मट हं पाप प रताप हए त।। िज ह ए ह बा र न मानस धोए। ते कायर क लकाल बगोए।। तृ षत नर ख र ब कर भव बार । फ रह ह मृग िज म जीव दुखार ।। दो0-म त अनु हा र सु बा र गु न ग न मन अ हवाइ। सु म र भवानी संकर ह कह क ब कथा सु हाइ।।43(क)।। –*–*– अब रघु प त पद पंक ह हयँ ध र पाइ साद । कहउँ जु गल मु नबज कर मलन सु भग संबाद।।43(ख)।। भर वाज मु न बस हं यागा। त ह ह राम पद अ त अनु रागा।। तापस सम दम दया नधाना। परमारथ पथ परम सु जाना।। माघ मकरगत र ब जब होई। तीरथप त हं आव सब कोई।। दे व दनु ज कं नर नर ेनी। सादर म ज हं सकल बेनीं।। पू ज ह माधव पद जलजाता। पर स अखय बटु हरष हं गाता।। भर वाज आ म अ त पावन। परम र य मु नबर मन भावन।। तहाँ होइ मु न रषय समाजा। जा हं जे म जन तीरथराजा।।
  • 23. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) म ज हं ात समेत उछाहा। कह हं परसपर ह र गु न गाहा।। दो0- म न पम धरम ब ध बरन हं त व बभाग। कह हं भग त भगवंत क संजु त यान बराग।।44।। ै –*–*– ए ह कार भ र माघ नहाह ं। पु न सब नज नज आ म जाह ं।। त संबत अ त होइ अनंदा। मकर मि ज गवन हं मु नबृंदा।। एक बार भ र मकर नहाए। सब मु नीस आ म ह सधाए।। जगबा लक मु न परम बबेक । भर दाज राखे पद टे क ।। सादर चरन सरोज पखारे । अ त पु नीत आसन बैठारे ।। क र पू जा मु न सु जस बखानी। बोले अ त पु नीत मृदु बानी।। नाथ एक संसउ बड़ मोर। करगत बेदत व सबु तोर।। कहत सो मो ह लागत भय लाजा। जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा।। दो0-संत कह ह अ स नी त भु ु त पु रान मु न गाव। होइ न बमल बबेक उर गु र सन कएँ दुराव।।45।। –*–*– अस बचा र गटउँ नज मोहू । हरहु नाथ क र जन पर छोहू ।। रास नाम कर अ मत भावा। संत पुरान उप नषद गावा।। संतत जपत संभु अ बनासी। सव भगवान यान गु न रासी।। आकर चा र जीव जग अहह ं। कासीं मरत परम पद लहह ं।। सो प राम म हमा मु नराया। सव उपदे सु करत क र दाया।। रामु कवन भु पू छउँ तोह । क हअ बु झाइ कृ पा न ध मोह ।। एक राम अवधेस कमारा। त ह कर च रत ब दत संसारा।। ु ना र बरहँ दुखु लहे उ अपारा। भयहु रोषु रन रावनु मारा।। दो0- भु सोइ राम क अपर कोउ जा ह जपत पु रा र। स यधाम सब य तु ह कहहु बबेक बचा र।।46।। ु –*–*– जैसे मटै मोर म भार । कहहु सो कथा नाथ ब तार ।। जागब लक बोले मु सु काई। तु ह ह ब दत रघु प त भु ताई।। राममगत तु ह मन म बानी। चतु राई तु हार म जानी।।
  • 24. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) चाहहु सु नै राम गु न गू ढ़ा। क ि हहु न मनहु ँ अ त मू ढ़ा।। तात सु नहु सादर मनु लाई। कहउँ राम क कथा सु हाई।। ै महामोहु म हषेसु बसाला। रामकथा का लका कराला।। रामकथा स स करन समाना। संत चकोर कर हं जे ह पाना।। ऐसेइ संसय क ह भवानी। महादे व तब कहा बखानी।। दो0-कहउँ सो म त अनु हा र अब उमा संभु संबाद। भयउ समय जे ह हे तु जे ह सु नु मु न म ट ह बषाद।।47।। –*–*– एक बार ता जु ग माह ं। संभु गए कंु भज र ष पाह ं।। े संग सती जगजन न भवानी। पू जे र ष अ खले वर जानी।। रामकथा मु नीबज बखानी। सु नी महे स परम सु खु मानी।। र ष पू छ ह रभग त सु हाई। कह संभु अ धकार पाई।। कहत सु नत रघु प त गु न गाथा। कछ दन तहाँ रहे ग रनाथा।। ु मु न सन बदा मा ग पु रार । चले भवन सँग द छकमार ।। ु ते ह अवसर भंजन म हभारा। ह र रघु बंस ल ह अवतारा।। पता बचन तिज राजु उदासी। दं डक बन बचरत अ बनासी।। दो0- दयँ बचारत जात हर क ह ब ध दरसनु होइ। े गु त प अवतरे उ भु गएँ जान सबु कोइ।।48(क)।। –*–*– सो0-संकर उर अ त छोभु सती न जान हं मरमु सोइ।। तु लसी दरसन लोभु मन ड लोचन लालची।।48(ख)।। रावन मरन मनु ज कर जाचा। भु ब ध बचनु क ह चह साचा।। ज न हं जाउँ रहइ प छतावा। करत बचा न बनत बनावा।। ए ह ब ध भए सोचबस ईसा। ते ह समय जाइ दससीसा।। ल ह नीच मार च ह संगा। भयउ तु रत सोइ कपट करं गा।। ु क र छलु मू ढ़ हर बैदेह । भु भाउ तस ब दत न तेह ।। मृग ब ध ब धु स हत ह र आए। आ मु दे ख नयन जल छाए।। बरह बकल नर इव रघु राई। खोजत ब पन फरत दोउ भाई।। कबहू ँ जोग बयोग न जाक। दे खा गट बरह दुख ताक।।
  • 25. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) दो0-अ त व च रघु प त च रत जान हं परम सु जान। जे म तमंद बमोह बस दयँ धर हं कछ आन।।49।। ु –*–*– संभु समय ते ह राम ह दे खा। उपजा हयँ अ त हरपु बसेषा।। भ र लोचन छ ब संधु नहार । क समय जा नन क ि ह च हार ।। ु जय सि चदानंद जग पावन। अस क ह चलेउ मनोज नसावन।। चले जात सव सती समेता। पु न पु न पु लकत कृ पा नकता।। े सतीं सो दसा संभु क दे खी। उर उपजा संदेहु बसेषी।। ै संक जगतबं य जगद सा। सु र नर मु न सब नावत सीसा।। त ह नृपसु त ह नह परनामा। क ह सि चदानंद परधमा।। भए मगन छ ब तासु बलोक । अजहु ँ ी त उर रह त न रोक ।। दो0- म जो यापक बरज अज अकल अनीह अभेद। सो क दे ह ध र होइ नर जा ह न जानत वेद।। 50।। –*–*– ब नु जो सु र हत नरतनु धार । सोउ सब य जथा पु रार ।। खोजइ सो क अ य इव नार । यानधाम ीप त असु रार ।। संभु गरा पु न मृषा न होई। सव सब य जान सबु कोई।। अस संसय मन भयउ अपारा। होई न दयँ बोध चारा।। ज य प गट न कहे उ भवानी। हर अंतरजामी सब जानी।। सु न ह सती तव ना र सु भाऊ। संसय अस न ध रअ उर काऊ।। जासु कथा क भंज र ष गाई। भग त जासु म मु न ह सु नाई।। ु सोउ मम इ टदे व रघु बीरा। सेवत जा ह सदा मु न धीरा।। छं 0-मु न धीर जोगी स संतत बमल मन जे ह यावह ं। क ह ने त नगम पु रान आगम जासु क र त गावह ं।। सोइ रामु यापक म भु वन नकाय प त माया धनी। अवतरे उ अपने भगत हत नजतं नत रघु क लम न।। ु सो0-लाग न उर उपदे सु जद प कहे उ सवँ बार बहु । बोले बह स महे सु ह रमाया बलु जा न िजयँ।।51।।
  • 26. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) ज तु हर मन अ त संदेहू । तौ कन जाइ पर छा लेहू ।। तब ल ग बैठ अहउँ बटछा हं। जब ल ग तु मह ऐहहु मो ह पाह ।। ् जैस जाइ मोह म भार । करे हु सो जतनु बबेक बचार ।। चल ं सती सव आयसु पाई। कर हं बचा कर का भाई।। इहाँ संभु अस मन अनु माना। द छसु ता कहु ँ न हं क याना।। मोरे हु कह न संसय जाह ं। बधी बपर त भलाई नाह ं।। होइ ह सोइ जो राम र च राखा। को क र तक बढ़ावै साखा।। अस क ह लगे जपन ह रनामा। गई सती जहँ भु सु खधामा।। दो0-पु न पु न दयँ वचा क र ध र सीता कर प। आग होइ च ल पंथ ते ह जे हं आवत नरभू प।।52।। –*–*– ल छमन द ख उमाकृ त बेषा च कत भए म दयँ बसेषा।। क ह न सकत कछ अ त गंभीरा। भु भाउ जानत म तधीरा।। ु सती कपटु जानेउ सु र वामी। सबदरसी सब अंतरजामी।। सु मरत जा ह मटइ अ याना। सोइ सरब य रामु भगवाना।। सती क ह चह तहँ हु ँ दुराऊ। दे खहु ना र सु भाव भाऊ।। नज माया बलु दयँ बखानी। बोले बह स रामु मृदु बानी।। जो र पा न भु क ह नामू । पता समेत ल ह नज नामू ।। कहे उ बहो र कहाँ बृषकतू । ब पन अक ल फरहु क ह हे तू ।। े े े दो0-राम बचन मृदु गू ढ़ सु न उपजा अ त संकोचु । सती सभीत महे स प हं चल ं दयँ बड़ सोचु ।।53।। –*–*– म संकर कर कहा न माना। नज अ यानु राम पर आना।। जाइ उत अब दे हउँ काहा। उर उपजा अ त दा न दाहा।। जाना राम सतीं दुखु पावा। नज भाउ कछ ग ट जनावा।। ु सतीं द ख कौतु क मग जाता। आग रामु स हत ी ाता।। ु फ र चतवा पाछ भु दे खा। स हत बंधु सय सु ंदर वेषा।। जहँ चतव हं तहँ भु आसीना। सेव हं स मु नीस बीना।। दे खे सव ब ध ब नु अनेका। अ मत भाउ एक त एका।।
  • 27. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) बंदत चरन करत भु सेवा। ब बध बेष दे खे सब दे वा।। दो0-सती बधा ी इं दरा दे खीं अ मत अनू प। जे हं जे हं बेष अजा द सु र ते ह ते ह तन अनु प।।54।। –*–*– दे खे जहँ तहँ रघु प त जेते। सि त ह स हत सकल सु र तेते।। जीव चराचर जो संसारा। दे खे सकल अनेक कारा।। पू ज हं भु ह दे व बहु बेषा। राम प दूसर न हं दे खा।। अवलोक रघु प त बहु तेरे। सीता स हत न बेष घनेरे।। े सोइ रघु बर सोइ ल छमनु सीता। दे ख सती अ त भई सभीता।। दय कप तन सु ध कछ नाह ं। नयन मू द बैठ ं मग माह ं।। ं ु बहु र बलोकउ नयन उघार । कछ न द ख तहँ द छकमार ।। े ु ु पु न पु न नाइ राम पद सीसा। चल ं तहाँ जहँ रहे गर सा।। दो0-गई समीप महे स तब हँ स पू छ क सलात। ु ल ह पर छा कवन ब ध कहहु स य सब बात।।55।। मासपारायण, दूसरा व ाम –*–*– सतीं समु झ रघु बीर भाऊ। भय बस सव सन क ह दुराऊ।। कछ न पर छा ल ि ह गोसाई। क ह नामु तु हा र ह नाई।। ु जो तु ह कहा सो मृषा न होई। मोर मन ती त अ त सोई।। तब संकर दे खेउ ध र याना। सतीं जो क ह च रत सब जाना।। बहु र राममाय ह स नावा। े र स त ह जे हं झूँठ कहावा।। ह र इ छा भावी बलवाना। दयँ बचारत संभु सु जाना।। सतीं क ह सीता कर बेषा। सव उर भयउ बषाद बसेषा।। ज अब करउँ सती सन ीती। मटइ भग त पथु होइ अनीती।। दो0-परम पु नीत न जाइ तिज कएँ ेम बड़ पापु । ग ट न कहत महे सु कछ दयँ अ धक संतापु ।।56।। ु –*–*– तब संकर भु पद स नावा। सु मरत रामु दयँ अस आवा।। ए हं तन स त ह भेट मो ह नाह ं। सव संक पु क ह मन माह ं।।
  • 28. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) अस बचा र संक म तधीरा। चले भवन सु मरत रघु बीरा।। चलत गगन भै गरा सु हाई। जय महे स भ ल भग त ढ़ाई।। अस पन तु ह बनु करइ को आना। रामभगत समरथ भगवाना।। सु न नभ गरा सती उर सोचा। पू छा सव ह समेत सकोचा।। क ह कवन पन कहहु कृ पाला। स यधाम भु द नदयाला।। जद प सतीं पू छा बहु भाँती। तद प न कहे उ पु र आराती।। दो0-सतीं दय अनु मान कय सबु जानेउ सब य। क ह कपटु म संभु सन ना र सहज जड़ अ य।।57क।। –*–*– दयँ सोचु समु झत नज करनी। चंता अ मत जाइ न ह बरनी।। कृ पा संधु सव परम अगाधा। गट न कहे उ मोर अपराधा।। संकर ख अवलो क भवानी। भु मो ह तजेउ दयँ अकलानी।। ु नज अघ समु झ न कछ क ह जाई। तपइ अवाँ इव उर अ धकाई।। ु स त ह ससोच जा न बृषकतू । कह ं कथा सु ंदर सु ख हे तू ।। े बरनत पंथ ब बध इ तहासा। ब वनाथ पहु ँ चे कलासा।। ै तहँ पु न संभु समु झ पन आपन। बैठे बट तर क र कमलासन।। संकर सहज स प स हारा। ला ग समा ध अखंड अपारा।। दो0-सती बस ह कलास तब अ धक सोचु मन मा हं। ै मरमु न कोऊ जान कछ जु ग सम दवस सरा हं।।58।। ु –*–*– नत नव सोचु सतीं उर भारा। कब जैहउँ दुख सागर पारा।। म जो क ह रघु प त अपमाना। पु नप त बचनु मृषा क र जाना।। सो फलु मो ह बधाताँ द हा। जो कछ उ चत रहा सोइ क हा।। ु अब ब ध अस बू झअ न ह तोह । संकर बमु ख िजआव स मोह ।। क ह न जाई कछ दय गलानी। मन महु ँ रामा ह सु मर सयानी।। ु जौ भु द नदयालु कहावा। आरती हरन बेद जसु गावा।। तौ म बनय करउँ कर जोर । छ टउ बे ग दे ह यह मोर ।। ू ज मोरे सव चरन सनेहू । मन म बचन स य तु एहू ।। दो0- तौ सबदरसी सु नअ भु करउ सो बे ग उपाइ।
  • 29. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) होइ मरनु जेह बन हं म दुसह बपि त बहाइ।।59।। सो0-जलु पय स रस बकाइ दे खहु ी त क र त भ ल। बलग होइ रसु जाइ कपट खटाई परत पु न।।57ख।। –*–*– ए ह ब ध दु खत जेसक मार । अकथनीय दा न दुखु भार ।। ु बीत संबत सहस सतासी। तजी समा ध संभु अ बनासी।। राम नाम सव सु मरन लागे। जानेउ सतीं जगतप त जागे।। जाइ संभु पद बंदनु क ह । सनमु ख संकर आसनु द हा।। लगे कहन ह रकथा रसाला। द छ जेस भए ते ह काला।। दे खा ब ध बचा र सब लायक। द छ ह क ह जाप त नायक।। बड़ अ धकार द छ जब पावा। अ त अ भमानु दयँ तब आवा।। न हं कोउ अस जनमा जग माह ं। भु ता पाइ जा ह मद नाह ं।। दो0- द छ लए मु न बो ल सब करन लगे बड़ जाग। नेवते सादर सकल सु र जे पावत मख भाग।।60।। –*–*– कं नर नाग स गंधबा। बधु ह समेत चले सु र सबा।। ब नु बरं च महे सु बहाई। चले सकल सु र जान बनाई।। सतीं बलोक योम बमाना। जात चले सु ंदर ब ध नाना।। े सु र सु ंदर कर हं कल गाना। सु नत वन छ ट हं मु न याना।। ू पू छेउ तब सवँ कहे उ बखानी। पता ज य सु न कछ हरषानी।। ु ज महे सु मो ह आयसु दे ह ं। कछ दन जाइ रह मस एह ं।। ु प त प र याग दय दुखु भार । कहइ न नज अपराध बचार ।। बोल सती मनोहर बानी। भय संकोच ेम रस सानी।। दो0- पता भवन उ सव परम ज भु आयसु होइ। तौ मै जाउँ कृ पायतन सादर दे खन सोइ।।61।। –*–*– कहे हु नीक मोरे हु ँ मन भावा। यह अनु चत न हं नेवत पठावा।। द छ सकल नज सु ता बोलाई। हमर बयर तु हउ बसराई।। मसभाँ हम सन दुखु माना। ते ह त अजहु ँ कर हं अपमाना।।
  • 30. भु ी राम आपका भला कर नव वष 2014 (२०१४) क असीम मंगलकामनाएं ।आपक सेवा म (S.Sood) ज बनु बोल जाहु भवानी। रहइ न सीलु सनेहु न कानी।। जद प म भु पतु गु र गेहा। जाइअ बनु बोलेहु ँ न सँदेहा।। तद प बरोध मान जहँ कोई। तहाँ गएँ क यानु न होई।। भाँ त अनेक संभु समु झावा। भावी बस न यानु उर आवा।। कह भु जाहु जो बन हं बोलाएँ। न हं भ ल बात हमारे भाएँ।। दो0-क ह दे खा हर जतन बहु रहइ न द छक मा र। ु दए मु य गन संग तब बदा क ह पु रा र।।62।। –*–*– पता भवन जब गई भवानी। द छ ास काहु ँ न सनमानी।। सादर भले हं मल एक माता। भ गनीं मल ं बहु त मु सु काता।। द छ न कछ पू छ कसलाता। स त ह बलो क जरे सब गाता।। ु ु सतीं जाइ दे खेउ तब जागा। कतहु ँ न द ख संभु कर भागा।। तब चत चढ़े उ जो संकर कहे ऊ। भु अपमानु समु झ उर दहे ऊ।। पा छल दुखु न दयँ अस यापा। जस यह भयउ महा प रतापा।। ज य प जग दा न दुख नाना। सब त क ठन जा त अवमाना।। समु झ सो स त ह भयउ अ त ोधा। बहु ब ध जननीं क ह बोधा।। दो0- सव अपमानु न जाइ स ह दयँ न होइ बोध। सकल सभ ह ह ठ हट क तब बोल ं बचन स ोध।।63।। –*–*– सु नहु सभासद सकल मु नंदा। कह सु नी िज ह संकर नंदा।। सो फलु तु रत लहब सब काहू ँ । भल भाँ त प छताब पताहू ँ ।। संत संभु ीप त अपबादा। सु नअ जहाँ तहँ अ स मरजादा।। का टअ तासु जीभ जो बसाई। वन मू द न त च लअ पराई।। जगदातमा महे सु पु रार । जगत जनक सब क हतकार ।। े पता मंदम त नंदत तेह । द छ सु संभव यह दे ह ।। तिजहउँ तु रत दे ह ते ह हे तू । उर ध र चं मौ ल बृषकतू ।। े अस क ह जोग अ ग न तनु जारा। भयउ सकल मख हाहाकारा।। दो0-सती मरनु सु न संभु गन लगे करन मख खीस। ज य बधंस बलो क भृगु र छा क ि ह मु नीस।।64।।