1. पहाडा पढ़नो आठ
से आठ मा जीवन गाांठ
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सब पढ़सेत पहाडा अना पाठ!
आठ को पहाडा मा जीवन गाांठ!!टेक!!
१) आठ गुणीला एकम आठ!
याद करसेत पहाडा पाठ ।
आठ उमर या बचपन की बाट:----
सब पढ़सेत पहाडा पाठ!
आठ को पहाडा जीवन गाांठ!!
२) आठ दुनी सोला;सोला मा जवानी शुरुआत!
आठ ततया चौबीस; चौबीस मा शादी की सौगात।
या तो सच्ची बात::------
आठ को पहाडा मा से जीवन की गाांठ।:---------
*३) आठ चौक
े बत्तीस;बत्तीस मा तजम्मेदारी तवराट!
आठा पांचे चालीस;चालीस मा पररवार खुशहाल सही साट।
आठ को पहाडा मा जीवन गाांठ:::-----
४) आठ छक्क
े अडतातलस; अडतातलस मा सब लाट!
आठी साती छप्पन मा;बुढ़ापो की आवसे दाट।
आठ को पहाडा मा जीवन गाांठ::::---
५) आठी;आठी चौांसठ;चौांसठ मा ररटायरमेंट को शाट!
आठ नौ बाहत्तर मा;तनाव रोग को वाट।
आठ को पहाडा मा जीवन गाांठ**:--
६) आठ दहाम अस्सी;अस्सी मा सहयोगी छोडसेत साथ!
अस्सी को बाद नब्बे मा जासेत शमशान घाट।
७) असो पहाडा येव आठ को;कई मर तमट्या सम्राट!
आठ को पहाडा मा पुरो जीवन सपाट।
आठ को पहाडोां मा से जीवन को ठाठ*:----
८) आता तोां बडो मुश्किल से; कलयुग मा तवश्वासघात!
आध्याश्किक सत्सांग थोडो कर लेनो: या सही से बात।
नहीां तो लख चौरासी यौनी मा तमले पछाट**:----
2. श्री गणेशाय नमः
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गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से!
अग्रगण्य सबमा बुश्कदद को तवधाता से।। टेक।।
१) आतद अवतार गण;माय गौरा लक उत्पन्न!
माय पाववती भवानी न;प्राण प्रततष्ठा करकन।
ऋश्कि तसश्कि को प्रदाता से:------
हो -हो गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से::---------
२)बडी अजीब कहानी से;माय पाववती भवानी से!
तपता; शांकर जी वानी;अजन्मी रचना सुहानी से।
सारो सृति को ज्ञाता से:---------
गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से::-------------
३)समता एकता को सूचक से!
वाहन अदभुत मूषक से।
गणपतत को चरण मा भक्त गण को माथा से:::--------
गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से:::----------
४) शुभ लाभ को तपता;बेटी सांतोषी माई!
गणेश की मतहमा;सब देवगण ला हषावयी।
श्री काततवक
े य भगवान;मोठो भ्राता से:---------
गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से:-------------
५) कि सृति को हटावन ला पहले पठावसेत!
मांग बारी बारी लक माता तपता आवसेत।
रामचरण पटले गीत को रचनाकताव से:----------
गणेश भगवान को दरबार मा सबको खाता से:---------
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3. कमव फल
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हो -हो भरनो पडसे ओला सदा;
आपरी करनी ला खुद आप!
बोवसे जेव भी पाप तोां;
हो -हो ओला भोगनो पडसे श्राप!!
लाखोां जतन चाहे ऊ
ां करले;
गलती नहीां होय ओकी माफ!
दुः ख देयकन भी लोक ईनला;
चाहे जेतरो भी करले ऊ
ां जाप!!
झूठ कभी भी छुप नहीां सक;
बनावटी को कभी वसूल लक!
सुगांध कदातप आय नहीां सक;
तदखावटी कागज को फ
ू ल लक!!
कण्व महापापी को वृताांत से;
वेद पुराण ग्रांथ शास्त्र मा से या बात!
मृत्यु काल मा ओला याद आवसे;
पूत्र को नाांव मा नारायण रुप साक्षात!!
कई गया असा कई आया अनेकोां तमट्या सम्राट;
तजन्दगी सारी वाहवाही मा व्यथव रही;
माय भगवती भवानी देखसे दुि की रस्ता बाट
नहीां चल येन कलयुग मा कोन्ही को थाट!!!
गीता मा श्रीक
ृ ष्ण जी;साांगसे अजुवन ला ज्ञान
सत्य मागव पर चलकन बढ़ गई जग मा शान
कई उदाहरण देयकन दृिाांत तत्वाधान;
अदृश्य रुप चलसे माय भवानी को धनुष बाण
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4. प्रभू श्रीराम की वांशावली:-पोवारी मायबोली मा कतवतावली:-----
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बढ़तो क्रमलक बाचनो प्रभू राम वांश की शान
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान!!टेक!!
१) ब्रम्हा जी;मरीची; कश्यप लक बढ़ी या खानदान!
तववस्वान;मनु; इक्ष्ाांक
ु लक पल्लतवत भयी सांतान!!
येव आय आतदकालीन तत्वाधान:-------
बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::---------
२) क
ु तक्ष;तवक
ु तक्ष अना बाण लक कई भया अवतरण!
अनरण्य;पृथु; तत्रशांक
ु लक;कई प्रगटकन उत्पन्न!!
बढ़़़न लगी कमव धमव की सांज्ञान:-------------
बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::-------------
३) धुांधुमार;युवनाश्व;अना मान्धाता भयो बलवान!
सुसांतध लक दुय पूत्र भया ध्रुवसांतध अना प्रसेनजीत तकततवमान!
ईनकी यशगाथा को भयो बहुत ऐलान:-------------
बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::------------
४) ध्रुवसश्कन्ध लक भरत;अतसत;असमांज अांशुमान!
तदलीप;भगीरथ;कक
ु त्स्थ अना भयो महान!!
ऋतष मुतन सांत ज्ञानी करत सब गुणगान::------------
बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::-------------
५) प्रवृदद;शांखन; सुदशवन;अतिवणव ये शश्कक्तमान!
शीघ्रग;मरु;प्रशुश्रुक; अम्बरीष; नहुष ये क्राांततमान!!
ययातत;नाभाग;अना अज राजा शौयववान::--------------
बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान:::---------------
६)अज महाराजा लक दशरथ राजा भयो दयावान!
दशरथ लक चार बेटा ओमा राम जी होतो रुपवान!!
चारी बेटा ये तबष्णू जी का अांगक समान::--------
5. बढ़तो क्रमलक बाचनो::---------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::-------------
७) राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न या ब्रम्हा की ३९वी पीढ़ी!
त्रेतायुग लक चमत्क
ृ त भयी या पीढ़ी दर पीढ़ी!!
कलयुग मा सीख देसे ;सारो सांसार करसे सम्मान:::-------
बढ़तो क्रमलक बाचनो प्रभू राम वांश की शान!
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान::---------
८) सांगठन को माध्यम लक रामचरण पटले करसे तलखान;
वगीकरणबदद करायकन भवानी तदलाय रही से ध्यान!
धन्य माय पाववती हे शांकर भगवान::-------
बढतो क्रमलक बाचनो::--------
रघुक
ु ल को वशांज मा कई वीर योिा तवद्वान!!
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6. माय भवानी बगैर गम नहीां
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माय भवानी लक कम तमल नहीां;
माय भवानी बगैर मोला गम नहीां!
माय को तबना तो तदल रम नहीां;
माय को बगैर तलखनो जम नहीां।
माय देसे येतरो तक कम होय नहीां;
माय अगर तदस नहीांतो गम नहीां!
माय जवड रही तोां तवषम नहीां;;
माय करीब रही तो भ्रम नहीां!!
माय को बगेर येव आलम नहीां!
माय तबना सृति को समागम नहीां!
माय नहीां रही तो काही काम नहीां;
माय हातजर नहीां तोां पैगाम नही!!
माय यतद नहीां तो;आराम नहीां!
तबन माय को काही आयाम नहीां।
माय बगैर भगवान श्री राम नहीां;
तबन माय को श्री क
ृ ष्ण शाम नहीां।
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7. वतन को होसे पतन
जब तक रव्हसे येव जीवन;
भटकसे यहाां वहाां जहाां तहाां मन!
जब तक रव्हसे येव जीवन;
तब तक मानव जोडत रव्हसे धन!
लालच लोभ मदमोह माया मा;
येव जुपेव रव्हसे तनशतदन तन!
तफरांगी को समान येन काया मा;
से लख चौरासी की उलझन!!
जीवािा अना परमािा को;
से मोठो घतनष्ठ युग्म बांधन!
सम्बन्ध जसो नर नारी को;
येव कमव धमव को सांयुग्मण!!
सांस्कार गुांथी से सांस्क
ृ तत मा;
तक
ां तु येव सांस्क
ृ तत को सांसार!
सांसार समायो येन प्रक
ृ तत मा;
सृति को रुप साकार तनराकार।
आभातसत कर काल्पतनक भयो;
पृथ्वी को स्वरुप गोल अांडाकार!
तवभाजन कर अवलोकन भयो;
एक का दुय;दुय का भया हजार।
आतवष्कार वा जग की जननी;
आवश्यकता पडी तोां भयो तवचार
तशव जी की उच्चारणवतवनी;
ब्रम्हा जी बनेव सृति रचनाकार!!
सांत अनेकोां कहकन गया;
सत्सांग की मतहमा अपरम्पार!
शून्य मा सबच समाय गया;
या भूधरा सबकी बनी आधार।
रचनाकार -रामचरण हरचांद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल
नां.९८२३९३४६५६
मु.पोि:-कटेरा तहसील -कटांगी तजला बालाघाट (म.प्र.)