बाल विकास की महत्वपूर्ण बिंदु की चर्चा जो पेपर के पूर्व में पूछे गये प्रश्नो से संग्रहित कर के बनाया गया है इसमें की सारे तथ्य पूर्ण रूप से त्रुटि पूर्ण है लेकिन यदि कहीं आपको सन्देह दिखे तो आप इसकी जांच जरूर कर ले
1. बाल वकास और
अ यापन कला
AS PER CTET & STATE TET SYLLABUS
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
1
2. बाल वकास क अवधारणा और इसका
अ धगम सेस ब ध
बाल वकास एक ापक अवधारणा हैजसकेअंतगत मनुय म ज म सेलेकर मृयुपयत तक होनेवालेसभी
प रमाणा मक तथा गुणा मक प रवतन को स म लत कया जाता है.
बढ़ती उ केसाथ मनुय क शारी रक संरचना या आकार, ल बाई, भार और आतं रक अंग म होनेवाले
प रवतन केसाथ-साथ मान सक, भावना मक, सामा जक, बौ क आ द प म प रप वता वकास कहलाती है.
वकास एक मक तथा नरंतर चलनेवाली सतत या है, जो शारी रक वृ केअव हो जानेकेबाद भी
चलता रहता हैतथा ज म सेलेकर मृयुपयत चलता रहता है.
येप रवतान एक न त दशा म होतेह जो सदैव आगेक ओर उ मुरहती है.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 2
3. वृ तथा वकास म अंतर
जन पयाजेनेकेअनुसार वकास क या म चार मो लक त व भाग लेतेहैऔर वकास इन चार त व केवीच
सं लेषण का प रणाम है| येत ब है–
1.प रप वता, 2.सामा जकता, 3.अनुभव 4. संतुलनीकरण
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 3
4. वकास केस दांत
नरंतरता का स ांत : वकास एक नरंतर चलनेवाली या हैजो गभधारण से युपयत चलता है
वकास सामा य सेव श क ओर होता है: वकास म का वहार सामा य सेव श क ओर होता हैअथात्
मनुय केवकास केसभी ेम सामा य त या होती हैउसकेबाद व श प धारण करती है. जैसेएक
नवजात शशुार भ म एक समय म अपनेपूरेशरीर को चलाता हैफर धीरे-धीरेव श अंग का उपयोग करने
लगता है.
पर पर स ब ध का स ांत : कशोराव था केदौरान शरीर केसाथ साथ संवेगा मक , सामा जक , सं ाना मक एवं
या मकता भी तेजी सेहोता है.
वकास अव था केअनुसार होता है: सामा य प म देखनेपर एसा लगता हैक बालक का वकास क- क कर
हो रहा हैपर तुवा तव म ऐसा नह होता. उदहारण केलए जब बालक केध केदांत नकलतेह तप ऐसा लगता है
क एकाएक नकल गया पर तुइसक नीव गभाव था केपांचवेमाह म पद जाती हैऔर 5-6 महीनेम आती है
वकास एक सतत या है: वकास एक सतत या है, मनुय केजीवन म यह चलता रहता है. वकास क ग त
कभी ती या अमंद हो सकती है. मनुय म गुण का वकास यकायक नह होता.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 4
5. वकास केस दांत
बालक केव भ गुण पर पर स बं धत होतेह: बालक केवकास का व भ व प पर पर स बं धत होतेह. एक
गुण का वकास जस कार हो रा हैअ य गुण भी उसी अनुपात म वक सत ह गे.
वकास क या का एक करण होता है: वकास क या एक करण केस ांत का पालन करती है. इसके
अनुसार बालक पहलेअपनेस पूण अंग को और फर अंग केभाग को चलाना सीखता हैबाद म वह इन भाग का
एक करण करना सीखता है.
वकास का एक न त त प होता है: मनुय केवकास का एक म म होता हैऔर वकास क ग त का तमान
भी समान रहता है. स पूण व म सभी सामा य बालक का गभाव था या ज म केबाद वकास का म सर सेपैर
क ओर होता है. गेसेल और हरलॉक नेइस स ांत क पुक है.
वकास ब आयामी होता है : इसका मतलब हैक वकास कुछ छेम अ धक व कुछ म कम होता है
वृ एवं वकास क ग त क दर एक समान नह होती .
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 5
6. वकास क अव थाएं
बाल वकास क या भुनाव था सेजीवन भर चलती हैफर भी मनोवैा नक नेबालक क अव था को
वभा जत करनेका य न कया हैजो इस कार है .
(अ) रोस केअनुसार :-
(1) शैशवकाल 1 से3 वष तक
(2) पूव-बा याव था 3 से6 वष तक
(3) उ र- बा याव था 6 से12 वष तक
(4) कशोराव था 12 से18 वष तक
(स) हरलोक केअनुसार :-
(1) गभाव था गभधारण सेज म तक
(2) नवजात अव था ज म से14 दन तक
(3) शैशवाव था 14 दन से2 वष क आयुतक
(4) बा याव था 2 वष से11 वष क आयुतक
(5) कशोराव था 11 वष से21 वष क आयुतक
(ब) जो स केअनुसार :-
(1) शैशवाव था ज म से5 वष क आयुतक
(2) बा याव था 5 वष से12 वष क आयुतक
(3) कशोराव था 12 वष से18 वष क आयुतक
(द) सामा य वग करण : - अब अ धकाँश व ान्सामा य
वग करण को हो मानतेहैजो इस कार है:-
(1) शैशवाव था ज म से6 वष क आयुतक
(2) बा याव था 6 वष से12 वष क आयुतक
(3) कशोराव था 12 वष से18 वष क आयुतक
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
6
7.
मानव वकास व भ अव था सेहोकर गुजरता है; इ ह न न अव था म वभा जत कया जा सकता है:
गभाव था : यह अव था गभाधान सेज म केसमय तक, 9 म हना या 280 दन तक मानी जाती है.
वशेषताएं:
इस अव था म वकास क ग त ती होती है.
शरीर केसम त अंग क रचना और आकृतय का नमाण होता है.
इस अव था म होनेवालेप रवतन मुयतः शारी रक होतेह.
शैशवाव था: ज म सेपांचवेवष तक क अव था को शैशवाव था कहा जाता है. इस अव था को समायोजन क अव था भी कहते
ह.
वशेषताएं:
इस अव था म बालक अप रप व होता हैतथा वह पूणतया सर पर नभर रहता है.
यह अव था संवेग धान होती हैतथा बालक केभीतर लगभग सभी मुख संवेग जैसे- स ता, ोध, हष, ेम, घृणा, आ द
वक सत हो जातेह.
ायड नेइस अव था को बालक का नमाण काल कहा है. उनका मानना था क “मनुय को जो भी बनाना होता है, वह ारं भक पांच
वष म ही बन जाता है”.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 7
8.
बा याव था: पांच सेबारह वष क अव ध को बा याव था कहा जाता है. यह अव था शारी रक और मान सक वकास क ी
सेमह वपूण होती है.
वशेषताएं:
ब चेब त ही ज ाशुवृत का हो जाता उनम जाननेक बल इ छा होती है.
ब च म पूछनेक वृत वक सत होती है.
सामा जकता का अ धकतम वकास होता है
इस अव था म ब च म म बनानेक बल इ छा होती है
बालक म ‘समूह वृत’ (Gregariousness) का वकास होता है
कशोराव था: 12-20 वष क अव ध को कशोराव था माना जाता है. इस अव था को जीवन का सं धकाल कहा गया है.
वशेषताएं:
इस अव था म बालक म सम या क अ धकता, क पना क अ धकता और सामा जक अ थरता होती हैजसम वरोधी
वृतय का वकास होता है.
इस अव था म बालक म वपरीत लग के त आकषण बढ़ता हैऔर वेभावी जीवन साथी क तलाश भी करतेहै.
कशोर म अनुशासन तथा सामा जक नयं ण का भाव वक सत होनेलगता है
इस अव था म समायोजन क मता कम पायी जाती है.
8
9.
ोढ़ाव था: 21-60 वष क अव था ोढ़ाव था कहलाती है. यह गृह थ जीवन क अव था हैजसम को जीवन
क वा त वकता का बोध होता हैऔर वा त वक जीवन क अ तः याएं होती है.
वशेषताएं:
इस अव था म अपनेजीवन केल य को पानेक को शश करता है.
आ म नभर होता है
क तभा उभर कर सामनेआती है
वृाव था: 60 वष सेजीवन केअंत समय तक क अव ध को वृाव था कहा जाता है;
वशेषताएं:
यह ास क अव था होती है, इस आयुम शारी रक और मान सक मता का ास होनेलगता है.
मरण क कमजोरी, नणय क मता म कमी, समायोजन का आभाव आ द इस अव था क वशेषताएं है.
इस अव था म म अ या मक चतन क ओर बढ़ता है.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 9
10. बालक का श द भंडार
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
बालक क आयु बालक का श द भंडार
ज म से8 माह तक 0
9 -12 माह तक 3-4 श द
1.5 वष तक 10-12 श द
2 वष तक 272 श द
2.5 वष तक 450 श द
3 वष तक 1000 श द
3.5 वष तक 1250 श द
4 वष तक 1600 श द
5 वष तक 2100 श द
11 वष तक 50000 श द
14 वष तक 80000 श द
16 वष तक 1 लाख सेअ धक श द
10
11. आनुवां शकता और पयावरण का भाव
वंशानुम: जीव केमान सक एवं शारी रक गुण का एक पीढ़ सेसरेपीढ़ म थानांतरण को वंशानुम या
आनुवं शकता कहतेह.
व भ व ान नेअनुवां शकता को इस कार प रभा षत कया है:
बीएन झा “वंशानुम, क ज मजात वशेषता का पूण योग है”
पी. ज वट “ कृत म येक पीढ़ का काय माता- पता ारा संतानूं म कुछ जैवक य या
मनोवैा नक वशेषता का ह तांतरण करना है. इस कार ह तांत रत
वशेषता क मली जुली गठरी को वंशानुम कहा जाता है.”
एच ए पीटरसन “ को अपनेमाता- पता सेअपनेपूवज क जो वशेषताएं ा त होती हैउसे
उसेवंशानुम कहा जाता है.”
जेस ेवस “माता- पता क शारी रक एवं मान सक वशेषता का संतान म ह तांतरण होना
वंशानुम कहलाता है”
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 11
12. बालक पर वंशानुम का भाव:
थोनडाईक बालक क मूल श य का मुख कारण उसका वंशानुम है.
काल
पीयसन
माता- पता क ल बाई का भाव उनक संतान पर पड़ता हैअथात य द माता- पता क ल बाई
कम या अ धक हैतो उनकेब चेक भी ल बाई कम या अ धक होती है.
लीनबग बु क ेता का कारण जा त है. जैसेअमेरका क ेत जा त, नी ो सेेहै.
कैटल वसा यक यो यता का मुय कारण वंशानुम है
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 12
13. बालक पर वातावरण का भाव
वातावरण :वातावरण, पयावरण का पयायवाची श द हैजो दो श द प र तथा आवरण सेमलकर बना है. प र
का अथ होता हैचर ओर एवं आवरण का अथ होता हैइस आवृत करनेवाला अथात ढकनेवाला .
वातावरण का ता पय केउन सभी तरह क उ ेजना सेहैजो गभधारण सेमृयुतक उसेभा वत करती
है.
ज बो स वातावरण म बदलाव केकारण मनुय का शारी रक वकास भा वत होता है. उनके
अनुसार व भ जा तय केशारी रक अंतर का कारण वंशानुम न होकर वातावरण
है.
लाक कुछ जा तय क ेता का कारण वंशानुम न होकर वातावरण है. अमेरका म रह
रहेनी ो जा त का मान सक तर ेत जा त क तुलना म भुत न न है, य क उ ह
ेत जा त केसमान शैक, सां कृतक एवं सामा जक वातावरण उपल ध नह है.
कूले व पर वंशानुम क अपेा वातावरण का अ धक भाव पड़ता है. ब त सेऐसे
व ान केउदहारण ह जनका ज म नधन प रवार म आ था फर भी वेअपने
त व का वकास करकेमहान बन सकेकय क उनकेमाता- पता नेउ ह उ चत
वातावरण म रखा
13
14. सं ाना मक वकास पर पयागेट का स ांत
पयाजेका स ा त, वकासी अव था स ा त(developmental stage theory) कहलाता है।
यह स ा त ान क कृत केबारेम हैऔर बतलाता हैक मानव कैसेान मशः इसका अजन करता है, कैसेइसेएक-एक
कर जोड़ता हैऔर कैसेइसका उपयोग करता है।
यां पयाजेनेसं ाना मक वकास को चार अव था म वभा जत कया है-
संवेदक पेशीय अव था (Sensory Motor) : ज म के2 वष
बालक केवल अपनी संवेदना और शा ररीक या क सहायता सेान अ जत करता है।
ब चा जब ज म लेता हैतो उसकेभीतर सहज याएँ (Reflexes) होती ह
इन सहज या और ान य क सहायता सेब चा व तु व न , पश, रसो एवं गंध का अनुभव ा त करता हैऔर
इन अनुभव क पुनरावृ केकारण वातावरण म उप थत उ पक क कुछ वशेषता सेप र चत होता है।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 14
15. पूव-सं या मक अव था (Pre-operational) : 2-7 वष
बालक वके त व वाथ न होकर सर केस पक सेान अ जत करता है
अब वह खेल, अनुकरण, च नमाण तथा भाषा केमा यम सेव तु केसंबंध म अपनी जानकारी अ धका धक
बढ़ाता है.
धीरे-धीरेवह तीक को हण करता हैक तुकसी भी काय का या संबंध होता हैतथा ता कक च तन के त
अन भ रहतेह
मूत सं या मक अव था (Concrete Operational) : 7 से12 वष
बालक व ालय जाना ांरभ कर लेता हैएवं व तु एव घटना केबीच समानता, भ ता समझनेक मता
उ पन हो जाती हैइस अव था म बालक म सं या बोध, वग करण, मानुसार व था कसी भी व तु, के
म य पार प रक संबंध का ान हो जाता है।
वह तक कर सकता है।
वह अपनेचार ओर केपयावरण केसाथ अनुकूल करनेकेलयेअनेक नयम को सीख लेता है।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 15
16. अमूत सं या मक अव था (Formal Operational) : 12 से15 वष
ता कक चतन क मता का वकास
सम या समाधान क मता का वकास
वा त वक-आवा त वक म अ तर समझनेक मता का वकास
वा त वक अनुभव को का प नक प र थ तय म ढालनेक मता का वकास
प रक पना वक सत करनेक मता का वकास
वसंगं तयाँ केसंबंध म वचार करनेक मता का वकास
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 16
17. कोलबग का नैतक वकास का स ा त
नैतक गुण का अथ होता है,अ छाई और बुराई का ान होना .
कोलबग नेनैतकता तथा च र केवकास क कुछ न त और सावभौ मक तीन तर अथवा ६ अव थाएं
बताई ह.
पूव नैतक तर (4-10 वष) : यह नैतक च तन का सबसेनचला चरण है। इस चरण म या सही और गलत
है, पर बाहर सेमलनेवाली सजा और उपहार का भाव पड़ता है।
चरण 1 : बाहरी स ा पर आधा रत: यहां नैतक सोच, सजा सेबंधी होती है। जैसेब चेयह मानतेह क उ ह बड़ क बात माननी चा हए
नह तो बड़ेउ ह द डत करगे।
चरण 2 : के त, एक सरेका हत साधनेपर आधा रत नैतक चतन : यहां ब चा सोचता हैक अपनेहत केअनुसार काय
करनेम कुछ गलत नह है, पर हम साथ म सर को भी उनकेहत केअनुप काम करनेका मौका देना चा हए। अतः इस
तर क नैतक सोच यह कहती हैक वही बात सही हैजसम बराबरी का लेन-देन हो रहा हो। अगर हम सरेक कोई इ छा
पूरी कर द तो वेभी हमारी इ छा पूरी कर दगे।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 17
18. पर परागत नैतक तर (10-१३ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क
सरी अव था है। इस अव था म लोग एक पूव आधा रत सोच सेचीज को देखतेह।
जैसेदेखा गया हैक अ सर ब च का वहार उनकेमां-बाप या कसी बड़े
ारा बनाए गए नयम पर आधा रत होता है।
चरण 3 : अ छेआपसी वहार व स ब ध पर आधा रत नैतक च तन : इस थ त म लोग व ास, सर का
याल रखना, सर केन प वहार को अपनेनैतक वहार का आधार मानतेह। ब चेऔर युवा
अपनेमाता- पता ारा नधा रत कयेगए नैतक वहार केमापद ड को अपनातेहैजो उ ह उनके
माता- पता क नजर म एक "अ छा लड़का या अ छ लड़क "‘ बनातेह।
चरण 4 : सामा जक व था बनाए रखनेपर आधा रत नैतक च तन: इस थ त म लोग केनैतक वकास क
अव था सामा जक आदेश, कानून, याय और क पर आधा रत होती हैजैसेकशोर सोचतेह क
समाज अ छेसेचलेइसकेलए कानून केारा बनाए गए दायरेकेअ दर ही रहना चा हए
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 18
19. आ मा अंगीकृत नैतक तर (१३-१८ वष) : यह कोलबग केनैतक वकास केस ांत क
पांचव अव था है। इस थ त म वैक पक रा तेखोजेजातेह और फर अपना एक गत
नैतक वहार का रा ता ढूंढा जाता है।
चरण 5 : सामा जक अनुब ध, उपयो गता और गत अ धकार पर आधा रत नैतक च तन : इस अव था म
यह सोचनेलगता हैक कुछ मूय, स ांत और अ धकार कानून सेभी ऊपर हो सकतेह।
वा त वक सामा जक व था का मूयांकन इस सेकरनेलगता हैक वेकस हद तक मूल अ धकार व
मूय का संर ण करतेहै।
चरण 6 : सावभौ मक नी त स मत स ांत पर आधा रत नैतक च तन : इस अव था म सावभौ मक
मानवा धकार पर आधा रत नैतक मापद ड बनाता है। जब भी कोई अ तआ मा क आवाज केंद केबीच
फं सा होता हैतो वह यह तक करता हैक अ तआ मा क आवाज केसाथ चलना चा हए, चाहेवो नणय
जो खम सेभरा ही य न हो। इसी लए उसेकुछ भी करनेसेपहलेअपनी भावना केअलावा और क ज दगी
केबारेम भी सोचना चा हए था।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 19
20. वाइगो सक केसामा जक वकास का
स ा त
इस स ा त केअनुसार सामा जक अ तः या (इ तरैशन) ही बालक क सोच व वहार म नर तर
बदलाव लाता हैजो एक सं कृत सेसरेम भ हो सकता है। उनकेअनुसार कसी बालक का सं ाना मक
वकास उसकेअ य य सेअ तस ब ध पर नभर करता है।
वायगा क नेअपनेस ा त म सं ान और सामा जक वातावरण का स म ण कया .
सामा जक-सां कृतक स ा त केकई मुख त व है।
थम मह वपूण त व है- गत भाषा : इसम बालक अपनेवहार को नयं त और नद शत करनेके
लए वयं सेबातचीत करतेहै।
सरा मह वपूण त व है- नकटतम वकास का े: बालक अपनेवा त वक वकास तर सेआगेजाकर
सम या का समाधान कर सकतेहैय द उ ह थोड़ा नदश मल जाए। इस तर को वायगा क ने स भा वत
वकास कहा। बालक केवा त वक वकास तर और स भा वत वकास तर केबीच केअ तर/ ेको वायगा क
ने नकटतम वकास का े कहा
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 20
21. बाल-के त तथा ग तशील श ा
जॉन डीवी नेबा क त श ा का समथन कया है.
जॉन डीवी ने"लैब व ालय को ग तशील व ालय " का उदाहरण माना है.
ग तशील श ा केवल ता वत पा पुतक पर आधा रत अनुदेश म व ास नह करती, न ही मा अ छेअंको
को ा त करनेबल दया जाता है.
ग तशील श ा म अ ययन क समय -सरणी और बैठक - व था आ द म पया त लचीलापन होता है.
बाल-के त श ा प त अपनाकर " श ण सेअ धगम" पर बल दया जा सकता है.
छा म मु ढंग सेसखनेक यो यता का वकास करना ही बाल के त श ा का उ ेय होता है.
बाल के त श ा म बालक क अ धगम- या म पूण सहभा गता ली जाती है.
बाल के त श ा कृतवाद क दन है. ाकृतक ान का स ांत बताता हैक वाभा वक प सेसखने और
वक सत होनेका अ धकार बालक का ही है.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 21
22. बु
बु (Intelligence) वह मान सक श हैजो व तु एवं त य को समझने, उनम आपसी स ब ध खोजनेतथा
तकपूण ान ा त करनेम सहायक होती है।
बु केप :
1. काया मक प 2. संरचा मक प 3. या मक प
बु केकार :
1.सामा जक बु 2.मूत बु 3.अमूत बु
बु को नधा रत करनेवालेत व
1. वंशानुम
2. वातावरण
3. वंशानुम तथा वातावरण क अ तः या
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 22
23. बु केस ा त
एक कारक स ा त बने, टमन, टन
त व स ा त पीयर मेन
कारक बु स ा त पीयर मेन
ब कारक बु स ा त थानडाइक
समूह कारक बु स ा त थ टन
तदश स ा त थॉमसन
तरल ठोस बु स ा त कैटल
पदानुमत बु स ा त बट तथा वनन
-आयाम बु स ा त गलफोड
ब बु स ा त होवड गाडनर
तं स ा त रोबट टैनबग
23
24. बुल ध एवं उसका मापन
बुल ध, बालक या क सामा य यो यता केवकास क ग त बताती है।
कोल केश द म ‘‘बुल ध यह बताती हैक मान सक यो यता म कस ग त सेवकास हो रहा है।’’
बुल ध नकालनेका सू:
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 24
26. बु परी ण
ांस केबनेको बु मापन केयुग का वतक माना जाता है. उ ह नेसाइमन केसाथ मल कर 1905 म थम
सफल बु परी ण कया .
बु परी ण केकार
तुतीकरण भाषा केारा च या मूत साम ी केारा
एक पर शा दक गत बु परी ण अशा दक गत बु
परी ण
अनेक य पर शा दक सामूहक बु परी ण अशा दक सामूहक बु
परी ण
1.
2.
सामूहक बु परी ण केउदाहरण :
आम अ फा (Army Alpha) सामूहक बु परी ण
आम बीटा (Army Beta) सामूहक बु परी ण
1.
2.
गत बु परी ण केउदाहरण :
पोर टयस भूल – भुलैया
वैर-वैयूब बु परी ण
भारत का बु परी ण - 'भा टया बैऑफ परफोरमस टेट ऑफ इ टेलीजेस' 26
27. संवेग
मनुय अपनी रोजाना क ज दगी मेसुख, ख,भय, ोध, ेम,घृणा आ द का अनुभव करता है। वह ऐसा वहार
कसी उ ेजनावश करता है।यही अव था संवेग कहलाती है।
संवेग क दशाएं :
1 - ती ता : बालक > वय क
अ श त > श त
म हला > पुष
2 - ापकता: पशुसेलेकर मनुय तक , सभी ाणी अपनेब च
सेेम करतेह .य द उनका ब चा पास सेहटाया जायेतो
सभी ो धत हो जातेह.
3 - ैकता: जब थ त समान हो लेकन अलग अलग य
केारा अलग अलग संवेग कट कया जाता है.
4 - वचार श य का लोप: ोध म सोचने, समझनेक मता या
श य का लोप हो जाता है.
संवेग केकार-:
संवेगो का स ब ध मूल वृय सेहोता है। जो इस कार
ह- (मैडूगल केअनुसार - १४ )
१. भय, २. घृणा, ३. क णा व :ख,
४.आ य, ५.आ मा भमान, ६, भूख,
७. कृतभाव, ८. ोध, ९. वा स य,
१०.कामुकता, ११.आ महीनता, १२.एकाक पन,
१३.अ धकार भाव, १४.आमोद।
27
28. अ धगम
येक त दन नए-नए अनुभव एक त करता है, इन नए अनुभव सेउसके वहार म प रवतन आता है।
इस कार नए अनुभव एक त करना तथा इनसेवहार म प रवतन आनेक या ही अ धगम है। अ धगम
या नरंतर चलनेवाली ओर सावभौ मक या है।
अ धगम क प रभाषाय :-
कनर “अ धगम वहार म उतरो र सामंज य क या है।”
वुडवथ “नवीन ान ओर नवीन त या को ा त करने
क या ही अ धगम है।”
ो एवं ो “आदत , ान ओर अ भवृत का अजन ही अ धगम है।”
गलफोड “ वहार के कारण वहार म प रवतन ही अ धगम है।”
गेट्स व अ य “अनुभव और श ण ारा वहार म प रवतन ही अ धगम है।”
मागन एवं गलीलैड “सीखना, अनुभव के प रणाम व प ाणी के वहार म प रमाजन है जो
ाणी ारा कुछ समय के लए धारण कया जाता है।” 28
29. अ धगम को भा वत करनेवालेकारक
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
पुव अ धगम वषय व तुका
व प
वषय के त
मनोवृत
सीखनेक इ छा सीखनेक व ध
अ भ ेरणा वातावरण थकान शारी रक व
मान सक वा य
वंशानुम
अ धगम केस ांत (संबंधवाद का स ांत)
उपनाम
1.उ पन-अनुया का स ांत 2. यास एवं ुट का स ांत 3.संयोजनवाद का स ांत
4. अ धगम का ब ध स ांत 5. य न एवं भूल का स ांत 6. S-R योरी
29
30.
मह वपूण त य :-
यह स ांत स अमेरक मनोवैा नक 'एडवड एल. थानडाइक' ारा तपा दत कया गया।
यह स ांत थानडाइक ारा सन 1913 ई. म दया गया।
थानडाइक ने अपनी पुतक " श ा मनो व ान" म इस स ांत का वणन कया ह।
थानडाइक ने अपना योग ”भूखी ब ली” पर कया।
भूखी ब ली को जस बॉ स म ब ध कया उस बॉ स को "पज़ल बॉ स"(Pazzle Box) कहतेह।
भोजन या उ पक के प म थानडाइक ने"मछली" को रखा।
थानडाइक के नयम :- दो नयम दए थे
मुय नयम
ग ण नयम
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 30
31.
मुय नयम :-
1. त परता का नयम :- यह नयम काय करने से पूव त पर या तैयार कए जाने पर बल देता है।
2. अ यास का नयम :- यह नयम कसी काय या सीखी गई वषय व तुकेबार-बार अ यास करनेपर बल देता है।
3. भाव (प रणाम) का नयम :- इस नयम को स तोष तथा अस तोष का नयम भी कहतेहै। इस नयम
के अनुसार जस काय को करनेसेाणी को सुख व स तोष मलता है, उस काय को वह बार-बार करना चाहता है
और इसकेवपरीत जस काय को करने सेःख या अस तोष मलता है, उस काय को वह दोबारा नही करना
चाहता है।
ग ण नयम :-
1. ब - त या का नयम :- इस नयम के अनुसार जब ाणी केसामनेकोई प र थ त या सम या उ प हो जाती है
तो उसका समाधान करनेकेलए वह अनेक कार क त याएं करता. यास एवं ुट का स ांत इसी नयम
पर आधा रत ह।
2. मनोवृ का नयम :- इस नयम को मान सक व यास का नयम भी कहतेहै। इस नयम के अनुसार जस
काय के त हमारी जैसी अ भवृत या मनोवृत होती है, उसी अनुपात म हम उसको सीखतेह।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 31
32. 3. आं शक या का नयम :- इस नयम के अनुसार कसी काय को छोटे-छोटेभाग म वभा जत करनेसेकाय
सरल और सुवधानक बन जाता है। इस नयम पर 'अंश सेपूण क ओर' का श ण का स ांत आधा रत
कया जाता है।
4. सा यता अनुया का नयम :- इस नयम को आ मीकरण का नयम भी कहतेहै। यह नयम पूव
अनुभव पर आधा रत है। जब ाणी केसामनेकोई नवीन प र थ त या सम या उ प होती हैतो वह उससे
मलती-जुलती प र थ त या सम या का मरण करता है, जसका वह पूव म अनुभव कर चुका है।
5. साहचय प रवतन का नयम :- इस नयम के अनुसार एक उ पक के त होनेवाली अनुया बाद म
कसी सरेउ पक सेभी होनेलगती है। सरे श द म, पहलेकभी क गई या को उसी के समान सरी
प र थ त म उसी कार से करना । थानडाइक ने पावलव के“शा ीय अनुब धन” को ही साहचय प रवतन
केनयम के प म कया।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 32
33. या सूत अनुबंधन का स ांत
तपादक : B.N. कनर
अथ : “ अनुया क दर को मापना”
याशीलता बालक म अ भ ेरणा (Motivation) सेवक सत होती है.
योग : चूहेऔर कबूतर पर
Note : यह स ांत बालक तथा पशु पर लागूहोता है.पर तुववेकशील ा णयो पर लागूनह होता है.
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 33
34. अ त का स ांत
गेटा टवाद स दाय केजनक = कोहलर, वद मर, को का
सूझ या बुझ का स ांत = कोहलर, वद मर, को का
कोहलर का योग :
योग : बुमान ब दर 'सुलतान‘
कोहलर का कहना हैक “जब ाणी सम या का समाधान करनेकेयास म श थल एवं न य हो जाता है, तो
फर कुछ समय केबाद अचानक उसम सूझ अपनेआप उ प हो जाता हैऔर वेअपनेसम या का समाधान कर
लेता है.”
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 34
35. व
अथ : 'मुखोटा (Mask)‘
प रभाषा:
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
गलफोड व गुण का सम वत प है।
वुडवथ के वहार क एक सम वशेषता ही व है।
माटन व केज मजात तथा अ जत वभाव, मूल वृय , भावना तथा
इ छा आ द का समुदाय है।
बग एवं हंट व वहार वृय का एक सम प है, जो केसामा जक
समायोजन म अ भ होता है।
ऑलपोट व का स ब ध मनुय क उन शारी रक तथा आ त रक वृय सेहै, जनके
आधार पर अपनेवातावरण केसाथ समायोजन था पत करता है।
35
36. व केमुख स ा त
मनो व ेषणा मक स ा त : इस स ा त का तपादन ायड नेकया था। उनकेअनुसार व के
तीन अंग है-
(i). इदम्(Id)
(ii). अहम्(Ego)
(iii). परम अहम्(Super Ego)
इदम्(Id) : यह ज मजात कृत है। इसम वासनाएँ और द मत इ छाएँ होती है। यह त काल सुख व संतु
पाना चाहता है। यह पूणतः अचेतन म काय करता है। यह 'पा कता का तीक' है।
अहम्(Ego) : यह सामा जक मा यता व पर परा केअनुप काय करनेक ेरणा देता है। यह
सं कार, आदश, याग और ब लदान केलए तैयार करता है। यह 'देव व का तीक' है।
परम अहम्(Super Ego) : यह इदम्और परम अहम्केबीच संघष म म य थता करतेए इ हेजीवन क
वा त वकता सेजोड़ता हैअहम्‘मानवता का तीक’ है,
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 36
37.
शरीर रचना स ा त : ( तपादन- शैडन)
शारी रक गठन केआधार पर य को तीन भाग - गोलाकृत, आयताकृत, और लंबाकृत
वशेषक स ा त: ( तपादन –कैटल)
कारक व ेषण नाम क सां यक य व ध का उपयोग करके व को अ भ
करनेवालेकुछ सामा य गुण खोजे, ज ह ' व वशेषक' नाम दया।
इसकेकुछ कारक है- धना मक च र , संवेगा मक थरता, सामा जकता, वृ आ द।
माँग स ा त ( तपादक – हेनरी मुरे)
वातावरण केअंदर कुछ माँगो को उ प करता है। यह माँगेही केारा कए
जानेवाले वहार को नधा रत करती है।
मुरेने व माँग क 40 माँगेात क ।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
गोलाकृत भोजन य, आराम पसंद, शौक न मजाज, परंपरावाद , सहनशील, सामा जक तथा
हँसमुख कृत
आयताकृत रोमांच य, भुववाद , जोशीले, उ ेय क त तथा ोधी कृत
ल बाकृत गुमसुम, एकांत य अ प न ा वाले, एकाक , ज द थक जानेवालेतथा न ुर
कृत
37
38. व केकार
1. कैचमर का ‘शरीर रचना’ पर आधा रत वग करण :
(i). श हीन (ए थेनक)
(ii). खलाड़ी (एथलेटक)
(iii). नाटा ( पक नक)।
2. क पल मुन का ‘ वभाव’ पर आधा रत वग करण :
(i). स व धान
(ii). राजस धान
(iii). तमस धान ।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
3. थानडाइक का ‘ चतन’ पर आधा रत वग करण :
(i). सूम वचारक
(ii). य वचारक
(iii). थूल वचारक।
4. गर का ‘समाज’ स बं धत वग करण :
(i). वैचा रक (ii). आ थक
(iii). स दया मक (iv). राजनैतक
(v). धा मक (vi). सामा जक।
38
39. जुंग ारा कया गया मनोवैा नक वग करण
जुंग का वग करण सव म माना जाता है. इ ह नेमनोवैा नक ल ण केआधार पर व केतीन भेद मानेजाते है
–
(i). अ तमुखी-अंतमुखी छपनेवाले, आदशवाद और संकोची वभाव वालेहोतेहै। इसी वभाव केकारण वेअपनेवचार को
प प से करनेम असफल रहतेहै। येबोलना और मलना कम पसंद करतेहै। पढ़नेम अ धक च लेतेहै।
इनक काय मता भी अ धक होती है।
(ii). ब हमुखी-ब हमुखी भौ तक और सामा जक काय म वशेष च लेतेहै। येमेलजोल बढ़ानेवालेऔर वाचाल
होतेह। येअपनेवचार और भावना को प प से कर सकतेह। इनमेआ म व ास चरम सीमा पर होता है.
(iii). उभयमुखी-इस कार के कुछ प र थ तय म ब हमुखी तथा कुछ म अंतमुखी होतेहै। जैसेएक
अ छा बोलनेवाला और लखनेवाला है, क तुएकांत म काय करना चाहता है।
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism 39
40. व को भा वत करनेवालेकारक :
Zindgi Smile youtube.com/c/zindgismile fb.com/zindgism
वंशानुम का भाव सामा जक वातावरण
का भाव
प रवार का भाव सां कृतक वातावरण
का भाव
व ालय का भाव संवेगा मक वकास मान सक यो यता व
च का भाव
शारी रक भाव
त व मापन क मुख
व धयाँ
ासं गक अंतब ध परी ण (T.A.T.) - मोगन व मुरे
बाल अंतब ध परी ण (C.A.T.) - लयोपो ड बैलक
याही ध बा परी ण (I.B.T.) - हरमन रोशा
वा य पूत परी ण (S.C.T.) - पाईन व टडलर
40