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FOR DEPARTMENT OF WOMEN STUDIES
Dr. Meenakshi Prasad
Assistant Professor
P.G. Deptt. of Geography
Magadh University
Bodh Gaya
Source : google images
विषय सूची
• संसाधन का अर्थ
• कु छ प्रमुख परिभाषाएं
• संसाधन, प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ
• संसाधनों की अनुभूति या संज्ञान , मूल्य औि
उपयोग को प्रभाविि किने िाले कािक
• संसाधनों का कायाथत्मक ससदधांि
• संसाधन के प्रकाि
संसाधन का अर्थ
िह सभी जैविक औि
अजैविक पदार्थ जो मनुष्य
की आिश्यकिाओं औि
इच्छा की पूतिथ में सहायक
होिे हैं , संसाधन कहलािे
हैं। िायु, जल, मृदा,
इत्यादद संसाधन हैं क्योंकक
यह मनुष्य की
आिश्यकिाओं को पूिा
कििे हैं।
Source : google images
कु छ महत्िपूर्थ परिभाषाएं
• Encyclopedia of Social Sciences में संसाधन को परिभावषि
कििे हुए कहा गया है कक ‘मनुष्य के पयाथििर् के िे
पहलू जो मानि की संिुष्ष्ट औि सामाष्जक उददेश्यों की
प्राष्ति की सुविधा प्रदान कििे हैं संसाधन हैं।’
• Fisher के शब्दों में ‘ऐसी कोई भी चीज़ जो ककसी ज़रूिि
या इच्छा को पूिा किने के सलए इस्िेमाल की जा सकिी
है संसाधन है’।
• Smith & Phillips के अनुसाि संसाधन मात्र मनुष्य की सेिा
में पयाथििर् का कायथ है।
• Zimmermann ने संसाधनों को ‘पयाथििर् की उन
सुविधाओं के रूप में परिभावषि ककया है, ष्जन्हें
मनुष्य की जरूििों को पूिा किने में सक्षम माना
जािा है। उन्हें मनुष्य की क्षमिाओं औि चाहिों दिािा
उपयोगगिा दी जािी है।’ िह आगे बिािे हैं कक
‘संसाधन शब्द ककसी चीज़ या पदार्थ का उल्लेख नहीं
कििा है बष्ल्क ऐसे कायथ का उल्लेख कििा है जो
कोई पदार्थ या िस्िु कििा है या ऐसे कियाकलाप का
उल्लेख कििा है ष्जसमे कोई पदार्थ िस्िु सष्ममसलि
होिा है िाकक ककसी अंि की प्राष्ति हो सके अर्ाथि
ककसी आिशयकिा या इच्छा की संिुष्ष्ट हो सके ।
• यह तनष्कषथ तनकाला जा सकिा है कक ककसी पदार्थ के
संसाधन बनने के सलए इसकी दो विशेषिाएँ होनी चादहए –
कायथक्षमिा (functionality) औि उपयोगगिा (utility)
• ककसी पदार्थ की उपयोगगिा उसकी कायथक्षमिा को दशाथिी है
• दामोदि नदी को बंगाल के दु: ख के रूप में जाना जािा र्ा,
जब िक कक दामोदि घाटी तनगम की स्र्ापना नहीं की गई
र्ी
• यह एक क्षेत्र के सांस्कृ तिक स्िि औि विशेषिाओं के आधाि
पि एक क्षेत्र से दूसिे क्षेत्र में सभन्न होिा है। उदाहिर् के
सलए। उत्तिी अमेरिका में तनयाग्रा जलप्रपाि एक संसाधन है
क्योंकक िह जल विदयुि उत्पन्न कििा है ष्जसकी मदद से
न्यू इंग्लैंड क्षेत्र की समलें चलाई जािी हैं।जबकक अरीका
में कांगो नदी पि स्टैनली जलप्रपाि कांगो डेमोिे दटक
रिपष्ब्लक के ििथमान सामाष्जक-आगर्थक समुच्चय के
िहि एक संसाधन नहीं कहा जा सकिा है।
• संसाधनों में मूिथ (Tangible) औि अमूिथ (intangible)
दोनों पहलू होिे हैं। खतनज, लकडी, पानी मूिथ चीजें हैं
जो महत्िपूर्थ संसाधन हैं। इसके सार् ही, अमूिथ चीजें
जैसे ज्ञान, स्िास््य, सामाष्जक संगठन, िाजनीतिक
ष्स्र्ििा, स्ििंत्रिा, सिकाि की नीतियां, आदद भी
संसाधन हैं क्योंकक िे मानि की जरूििों को पूिा
किने औि उसकी आकांक्षाओं को पूिा किने में मदद
कििे हैं।
संसाधन, प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ
(Resources, Resistances & Neutral stuffs
• संसाधन - ऐसी कोई भी िस्िु जो मनुष्य को लाभ देिी है या
मानि कल्यार् की ओि ले जािी है संसाधन है। बढ़िी फसलों
के सलए समट्टी, बबजली उत्पादन के सलए कोयला, ससंचाई के
सलए नदी का पानी जैसे प्राकृ तिक सामग्री संसाधन हैं। मानि
औि सांस्कृ तिक पहलू जैसे उच्च शैक्षक्षक स्िि, अच्छा स्िास््य,
नैतिकिा, इष्टिम जनसंख्या, मशीनों औि उपकिर्ों का
विकास, िाणर्ष्ययक औि वित्तीय सुविधाएं, िैज्ञातनक प्रबंधन,
अच्छी सिकाि, आदद संसाधन हैं।
• प्रतििोध - जो कु छ भी मनुष्य औि उसकी प्रगति में बाधा या
हातन पहुँचािा है, उसे प्रतििोध कहा जािा है। प्रकृ ति में
अनुत्पादक बंजि भूसम, िोग, आपदाएँ प्रतििोध हैं। मानि औि
सांस्कृ तिक क्षेत्र में नस्लीय संघषथ, असशक्षा, जनागधक्य, लालच,
युदध, रूदढ़िादी ििैया, आगर्थक अिसाद, अपमानजनक नीतियां,
आदद प्रतििोध हैं।
• िटस्र् पदार्थ - प्रकृ ति में पाए जाने िाले िे पदार्थ जो मनुष्य
को अनुकू ल या प्रतिकू ल रूप से प्रभाविि नहीं कििे हैं उन्हें
िटस्र् पदार्थ कहा जािा है। उदाहिर् के सलए - भािि में
यिाि औि समुद्री लहिों की गति में बडी मात्रा में ऊजाथ
संग्रदहि है लेककन जब िक हम उनका व्यािसातयक दोहन
किना नहीं सीखिे िब िक यह एक िटस्र् पदार्थ है।
• दुतनया की सभी भौतिक औि गैि-भौतिक चीजें िीन श्रेणर्यों
में से एक के अंिगथि आिी हैं, अर्ाथि ् संसाधन, प्रतििोध या
िटस्र् पदार्थ
• Zimmermann के अनुसाि, के िल मानि मूल्यांकन पृ्िी के
िटस्र् पदार्ों को संसाधनों में बदल देिा है। ‘
• मानि इतिहास के शुरुआिी चिर्ों में प्रतििोध औि िटस्र्
पदार्थ अगधक औि संसाधन कम र्े।
• समाज औि िकनीकी ज्ञान में प्रगति के सार्, मनुष्य ने
कई िटस्र् पदार्ों औि कई प्रतििोधों को संसाधनों में बदल
ददया है, ष्जससे संसाधनों का भंडाि बढ़ िहा है।
• एक प्रगतिशील समाज या देश में प्रतििोध औि िटस्र्
पदार्थ कम औि संसाधन अगधक होिे हैं। उदाहिर् - रांस,
जमथनी, U.K.
• एक वपछडे समाज या देश में संसाधन कम औि प्रतििोध
औि िटस्र् पदार्थ अगधक होिे हैं। उदाहिर् - अरीकी देश
जैसे डेमोिे दटक रिपष्ब्लक ऑफ कांगो
• संसाधन औि प्रतििोध एक सार् मौजूद होिे हैं।
• Zimmermann के अनुसाि ‘मानि संिुष्ष्ट की सीमा संसाधनों
औि प्रतििोधों का एक समला-जुला कायथ है, के िल संसाधनों
का नहीं ’।
िटस्र् पदार्थ
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संसाधन प्रतििोध
संसाधन
अनुभूति, मूल्य
और उपयोग को
प्रभाविि करने
िाले कारक
सांस्कृ तिक
कारक
सामाजिक
कारक
रािनीतिक
कारक
िकनीकी
कारक
आर्थिक कारक
कई कािक संसाधन, उसके मूल्य औि उपयोग के
बािे में हमािे संज्ञान को प्रभाविि कििे हैं
सांस्कृ तिक कािक:
• संसाधनों की धािर्ा सांस्कृ तिक है।
• दुतनया में विसभन्न संस्कृ तियाँ मौजूद हैं ष्जनमें से प्रत्येक में
मूल्यों का एक अलग समूह है।
• एक संस्कृ ति में एक िस्िु को ददया गया मूल्य दूसिे में एक
बाधा (nuisance) माना जा सकिा है।
• व्हेसलंग एक उत्कृ ष्ट उदाहिर् प्रदान कििा है। उत्तिी अमेरिका
के इनूइट्स ने व्हेल को भोजन के स्रोि के रूप में, इसकी िसा
को ईंधन के रूप में औि इसकी हड्डडयों को अपनी कला औि
सशल्प के सलए इस्िेमाल ककया। उपयोग आज भी जािी है।
आज, अगधकांश अमेरिकी व्हेल की सुंदििा औि मदहमा की
सिाहना कििे हैं औि उन्हें एक सौंदयथ संसाधन के रूप में
महत्ि देिे हैं, एक उपभोयय पदार्थ के रूप में नहीं । िे व्हेसलंग
का वििोध कि िहे हैं।
• संस्कृ ति अपने प्राकृ तिक िािाििर् के प्रति समाज के
दृष्ष्टकोर् को भी तनधाथरिि कििी है ष्जससे संसाधनों
का उपयोग प्रभाविि होिा है। यह दृष्ष्टकोर्
िकनीकीिाद (technocentrism) अर्ाथि् मानि िचथस्ि
औि प्रकृ ति के तनयंत्रर् से लेकि पारिष्स्र्तिकिाद
(ecocentrism) अर्ाथि् प्रकृ ति के सार् िालमेल बबठािे
हुए िक हो सकिा है, ।
• संस्कृ ति का एक औि शष्क्िशाली पहलू धमथ है। ककसी
समाज के धासमथक विचाि संसाधनों के उपयोग को
प्रभाविि कििे हैं। उदाहिर् के सलए - मांस उदयोग
(गोमांस औि पोकथ ) अजेंटीना में अच्छी ििह से
विकससि है, लेककन भािि में धासमथक कािकों के कािर्
यह विकससि नहीं हुआ है, हालांकक भािि में दुतनया में
सबसे बडी मिेशी आबादी है।
MAN, CULTURE & NATURE (After ZIMMERMANN, 1951)
Source : google images
सामाष्जक कािक :
• जािीयिा, सलंग, सशक्षा औि आय जैसी सामाष्जक ष्स्र्तियां
प्रभाविि कििी हैं कक कै से समाज संसाधनों को पहचानिे हैं,
उन्हें मूल्य प्रदान कििे हैं औि उनका उपयोग कििे हैं।
• उदाहिर् के सलए, दुतनया भि में उच्च आय िाले घि कम
आय िाले घिों की िुलना में अगधक ऊजाथ का उपयोग कििे
हैं।
• समय बीिने के सार्-सार् समाजों का सांस्कृ तिक परिििथन
होिा है ष्जससे संसाधनों का संज्ञान औि उपयोग प्रभाविि
होिा है। उदाहिर् के सलए - अमेरिका में प्रािंसभक
औपतनिेसशक काल के दौिान सस्िे खादय संसाधनों के रूप
लॉबस्टिऔि झींगा मछली को नौकिों को णखलाया जािा र्ा।
19 िीं शिाब्दी के उत्तिाधथ में दक्षक्षर्ी यूिोपीय प्रिाससयों की
आमद ने इस सस्िे खादय संसाधन को एक मूल्यिान
delicacy में बदल ददया।
िकनीकी कािक:
• िकनीकी कािक का समबन्ध संसाधनों के दोहन में
मनुष्य के ज्ञान औि कौशल से है।
• एक जलप्रपाि िभी एक संसाधन बनिा है, जब उससे
बबजली उत्पन्न किने के सलए एक पनबबजली संयंत्र
स्र्ावपि ककया जािा है ।
• प्रौदयोगगकी समय के सार् विकससि होिी है, हालांकक
िकनीकी स्िि दुतनया भि में समान नहीं है। उदाहिर्
के सलए - रांस में यिािीय ऊजाथ का बडे पैमाने पि
उपयोग ककया जािा है लेककन भािि में अभी िक
इसका व्यािसातयक उपयोग नहीं ककया गया है
• प्रौदयोगगकी एक संसाधन की कायाथत्मक क्षमिा को भी
बढ़ािी है जो हमें ‘फैं टम पाइल’ (Phantom Pile) की
अिधािर्ा िक लािी है।
फैं टम पाइल (Phantom Pile)
• फैं टम पाइल की संकल्पना Zimmermann दिािा दी
गयी र्ी।
• जब एक प्राकृ तिक संसाधन की भौतिक हातन को
(उसके िजन औि मात्रा में संकोचन) उसकी
कायाथत्मक क्षमिा के विस्िाि से मुआिजा ददया जािा
है, िो इसे ‘Phantom Pile' की अिधािर्ा के रूप में
जाना जािा है।
• कायाथत्मक क्षमिा का विस्िाि प्रौदयोगगकी में विकास
औि सुधाि के सार् ककया जा सकिा है।
• Phantom Pile की अिधािर्ा को समझाने के सलए
उदाहिर्:
आइए हम मानिे हैं कक भािि में 1950 में 2000
समसलयन टन का कोककं ग कोल रिजिथ र्ा औि उस समय
एक टन लौह अयस्क को वपघलाने के सलए 2 टन
कोककं ग कोल की जरूिि र्ी औि कोक ओिन के संयंत्रों
में बहुि कम उपोत्पाद समलिे र्े। ििथमान में प्रौदयोगगकी
के क्षेत्र में विकास होने से एक टन कोककं ग कोयले से दो
टन लौह-अयस्क गल सकिा है औि कोक ओिन संयंत्र
बडी संख्या में उप-उत्पाद िैयाि कि िहे हैं। इस प्रकाि,
कोककं ग कोल की कायाथत्मक क्षमिा ने लौह-अयस्क को
गलाने में चाि गुना िृदगध की है औि उप-उत्पादों की
उपज दोगुनी हो गई है। कु ल समलाकि इसकी कायाथत्मक
क्षमिा में पाँच गुना िृदगध हुई है। मान लेिे हैं कक
वपछली आधी सदी के दौिान हमने 500 समसलयन टन
कोककं ग कोल का उपयोग ककया है ।
अब मूल ढेि का 1500
समसलयन टन िहिा है।
प्रौदयोगगकी में सुधाि के
चलिे इस 1500 समसलयन
टन ढेि की कायाथत्मक क्षमिा
7,500 समसलयन टन(1500x5)
के काल्पतनक ढेि िक
विस्िारिि हो गयी है।
इस प्रकाि, कोककं ग कोल
डडपॉष्जट के भौतिक नुकसान
की भिपाई अब इसकी
कायाथत्मक क्षमिा के विस्िाि
से हो िही है। यह phantom
pile है।
Source : google images
आगर्थक कािक :
• एक संसाधन का के िल िभी शोषर् ककया जािा है जब उसे
लाभ के सार् ककया जा सकिा है।
• भािि में सबसे अच्छी गुर्ित्ता िाला एन्रेसाइट कोयला
जममू औि कश्मीि के कािगगल में पाया जािा है, लेककन
इसका ििथमान में दोहन नहीं ककया जािा है क्योंकक दूिस्र्
ष्स्र्ि होने के कािर् ििथमान में इसका दोहन आगर्थक दृष्ष्ट
से लाभदायक नहीं है।
• ककसी संसाधन का संज्ञान औि उपयोग उसके मूल्य
तनधाथिर् से प्रभाविि होिा है जो कक उसकी बहुिायि या
कमी से प्रभाविि होिा है।
• जैसा ही एक संसाधन दुलथभ हो जािा है, इसका मूल्य बढ़
सकिा है।
• संसाधन की कमी पूर्थ (Absolute)या सापेक्ष (relative) हो
सकिी है
• तनिपेक्ष या पूर्थ कमी
(Absolute scarcity) िब
होिी है जब ककसी विशेष
संसाधन की आपूतिथ ििथमान
औि भविष्य की मांग को
पूिा किने के सलए अपयाथति
होिी है। उदाहिर् के सलए -
जंगल जैसे कु छ भूसम
संसाधनों की घटिी आपूतिथ
एक पूर्थ कमी पैदा कि
सकिी है। पंजाब में जंगलों
की पूर्थ रूप से कमी हो िही
है क्योंकक िे हरिि िांति के
कािर् नष्ट हो गए हैं ।
ANANTPUR DISTRICT – PUNJAB
DESERT LIKE SITUATION DUE TO
LOSS OF WILDERNESS
Source : google images
• जब संसाधन के विििर् में
असमानिाएं होिी हैं, िो सापेक्ष
कमी (Relative scarcity) होिी
है। शहिी क्षेत्रों में अपेक्षाकृ ि
दुलथभ होने िक खुली जगह को
एक संसाधन नहीं माना जािा
र्ा।
• सापेक्ष कमी िब भी होिी है
जब एक समूह दूसिे समूह की
कीमि पि संसाधनों के
स्िासमत्ि या विििर् को
तनयंबत्रि कििा है। 1970 के
दौिान OPEC देशों दिािा बनाई
गई पेट्रोसलयम की सापेक्ष कमी
ऊजाथ संकट का कािर् र्ी।URBAN OPEN SPACES
Source : google images
िाजनीतिक कािक:
• सिकाि की नीतियां ककसी प्राकृ तिक संसाधन के
उपयोग को प्रोत्सादहि या हिोत्सादहि कि सकिी हैं
या यह िय कि सकिी हैं कक इसे कै से माना जाना
चादहए।
• उदाहिर् के सलए - भािि सिकाि ने अंडमान औि
तनकोबाि के सेंदटनल दिीप को िहां िहने िाले आददम
जनजाति के सलए आिक्षक्षि क्षेत्र घोवषि ककया है।
बाहिी लोग िहां नहीं जा सकिे।
• शासन प्रर्ाली में सभन्निा संसाधन उपयोग में
सभन्निा ला सकिी है
संसाधनों का कायाथत्मक ससदधांि
(Functional Theory of Resources)
• यह ससदधांि Zimmermann दिािा ददया गया र्ा
• ष्ज़ममिमैन ने कहा है, ‘संसाधन होिे नहीं, बनिे हैं’
(Resources are not, they become)। यह कर्न संसाधनों
के कायाथत्मक ससदधांि का आधाि है
• संसाधनों के कायाथत्मक ससदधांि के अनुसाि –
(i)संसाधन कायथशील होिे हैं, (ii)िे मनुष्य की कृ ति या
िचना होिे हैं औि (iii)संसाधन गत्यात्मक होिे हैं।
• इस ससदधांि का साि यह है कक एक पदार्थ के िल िभी
एक संसाधन बनिा है जब मनुष्य दिािा मानि की
आिश्यकिा को पूिा किने के सलए उसकी कायथक्षमिा
को विकससि ककया जािा है। इसके अलािा, संसाधन न
के िल प्राकृ तिक या भौतिक हैं, बष्ल्क िे सांस्कृ तिक भी
हैं ।
संसाधन के प्रकाि
तनमनसलणखि मानदंडों के आधाि पि संसाधनों को
विसभन्न श्रेणर्यों में िगीकृ ि ककया जा सकिा है:
• उत्पवत्त (Origin)
• विििर् (Distribution)
• समातयिा के आधाि पि (On the basis of
Exhaustibility )
• विकास की अिस्र्ा (Stage of Development)
• स्िासमत्ि (Ownership)
• निीनीकिर् के आधाि पि (Renewability)
उत्पवत्त के आधाि
पि
प्राकृ तिक
जैविक अजैविक
मानि ज्ञान मानि तनसमथि
प्राकृ तिक संसाधन - ये ऐसे पदार्थ हैं जो प्रकृ ति में स्िाभाविक
रूप से पाए जािे हैं औि मानि की इच्छाओं को पूिा किने में
सक्षम हैं। उन्हें आगे जैविक औि अजैविक संसाधनों के रूप में
िगीकृ ि ककया जा सकिा है। जैि संसाधन जीिमंडल से प्राति
होिे हैं। उनमें जीिन होिा है। उदाहिर् के सलए - पौधे औि
जानिि। अजैविक संसाधन तनजीि चीजों से बने होिे हैं, जैसे
लौह-अयस्क जैसे खतनज।
मानि संसाधन - मानि संसाधन संिगधथि श्रम है। नोबेल
विजेिा िॉबटथ सोलो के शब्दों में, यह श्रम है ष्जसने ज्ञान,
कौशल औि प्रौदयोगगकी के स्िि को देखिे हुए अपनी दक्षिा
में सुधाि ककया है।
प्राकृ तिक संसाधन मानि संसाधन
Source : google images
ज्ञान संसाधन - यह ज्ञान
का तनमाथर् है जो वपछले
स्टॉक पि आधारिि है।
ििथमान ज्ञान वपछले ज्ञान
के आधाि पि बनाया जािा
है। उदाहिर् के सलए -
बीर्ोिेन की ससमफनी
मानि तनसमथि संसाधन - ये
िे संसाधन हैं जो मनुष्य
दिािा तनसमथि होिे हैं,
उदाहिर् के सलए- कं तयूटि,
फोन
KNOWLEDGE RESOURCE
MAN-MADE RESOURCE
• मानि तनसमथि संसाधन ज्ञान संसाधन औि मानि संसाधन
पि तनभथि हैं। इससलए यदद हम उनकी गर्ना नहीं कििे
हैं िो उत्पवत्त के आधाि पि हमािे पास दो व्यापक
िगीकिर् हो सकिे हैं, अर्ाथि् प्राकृ तिक संसाधन औि
मानि तनसमथि संसाधन।
• Sustainability के दो दृष्ष्टकोर् हैं – strong sustainability
औि weak sustainability
• Strong sustainability का िात्पयथ यह है कक मानि तनसमथि
संसाधनों के सार् प्राकृ तिक संसाधनों का कोई प्रतिस्र्ापन
या trade-off नहीं हो सकिा है। िकथ यह है कक प्राकृ तिक
संसाधनों को कफि से बनाया नहीं जा सकिा है औि
इससलए हमें उन्हें समाति किने का अगधकाि नहीं है।
• दूसिी ओि Weak sustainability का िात्पयथ यह है कक
मानि तनसमथि संसाधन प्राकृ तिक संसाधनों का स्र्ान
ले सकिे हैं औि विकास के सलए इसकी आिश्यकिा
होिी है क्योंकक प्राकृ तिक संसाधन उत्पादन के सलए
कच्चे माल का काम कििे हैं। इससलए ककसी भी
अर्थव्यिस्र्ा के सलए उत्पादन जािी िखने का िात्पयथ
स्िचासलि रूप से यह है कक मानि तनसमथि संसाधनों
के सार् प्राकृ तिक संसाधनों का कु छ प्रतिस्र्ापन
होगा।
Zimmermann ने विििर् के आधाि पि संसाधनों को
उपिोक्ि चाि प्रकािों में िगीकृ ि ककया है
सिथत्र सुलभ संसाधन (Ubiquities) – संसाधन जो हि
जगह पाए जािे हैं, उदाहिर् के सलए - हिा में
ऑक्सीजन
विििर् के आधाि पि
सिथत्र सुलभ सामान्य सुलभ दुलथभ एकल
• सामान्य सुलभ संसाधन (Commonalities)
– ऐसे संसाधन जो साधािर्िः अगधकांश
क्षत्रों में पाए जािे हैं। जैसे - कृ वष योग्य
भूसम, जल
• दुलथभ संसाधन (Rarities) - ऐसे संसाधन
जो कु छ ही जगहों पि समलिे हैं। जैसे
कक - दटन, सोना, चांदी, इत्यादद।
• एकल संसाधन (Uniquities) – ऐसे
संसाधन जो ककसी एक ही स्र्ान पि
पाए जािे हैं। उदाहर् के सलए ग्रीनलैंड
में समलनेिाला कमसशथयल cryolite
Tin
Soil
Source : all google images
समातयिा के
आधाि पि
असमातय समातय
असमातय संसाधन (Inexhaustible
Resource) - यह िे संसाधन हैं
जो समातय नहीं हो सकिे हैं।
जैसे - िायु , सौि ऊजाथ
असमाप्य संसाधन : सौर ऊिािSource : google images
समातय संसाधन (Exhaustible
Resource) – यह िे संसाधन है
जो समाति हो जाएँगे यदद स्ियं
का पुनरुत्पादन किने के सलए
इनका जो critical mass है उसे
बना कि ना िक्खा जाए।
उदाहिर्स्िरुप - यदद ककसी
झील के पारिष्स्र्तिक िंत्र से
अत्यगधक मात्रा में मछसलयां
पकड ली जािी हैं , िो िे
प्रजनन नहीं कि पाएंगी औि
कु छ समय बाद िह झील
मछली विहीन हो जायेगी।
मत्सस्य संसाधन : एक समाप्य
संसाधन
Source : google images
विकास की
अिस्र्ा के
आधाि पि
विकससि संभाविि स्टॉक रिज़िथ
विकससि संसाधन (Developed Resource) - इन्हें िास्िविक
संसाधन के रूप में भी जाना जािा है । यह ऐसे संसाधन हैं
ष्जनका पूिी ििह से सिेक्षर् ककया गया है औि उनकी
गुर्ित्ता औि मात्रा को उपयोग के सलए पूिी ििह से तनष्श्चि
कि ददया गया है औि उनका उपयोग मनुष्य दिािा ककया जा
िहा है। उदाहिर् के सलए - भािि में िानीगंज औि झरिया का
कोयला भंडाि, असम के पेट्रोसलयम संसाधन
संभाविि संसाधन (Potential
Resource) – ये िे संसाधन
हैं जो ककसी विशेष क्षेत्र में
पाए जािे हैं लेककन अभी
िक उपयोग में नहीं लाए
जा िहे हैं। एक संभािना है
कक भविष्य में उनका
उपयोग ककया जा सकिा
है। उदाहिर् के सलए -
दक्षक्षर् अमेरिका की
अमेज़़ॅन नदी में भविष्य में
बबजली संसाधन के रूप में
विकससि होने की व्यापक
संभािना है। भािि में
गुजिाि में यिािीय औि
पिन ऊजाथ के विकास की
बडी संभािनाएं हैं । अमेज़ॅन नदी- एक संभाविि संसाधन
Source : google images
स्टॉक संसाधन (Stock) –
पयाथििर् में ऐसी सामगग्रयां
ष्जनमें मानि की जरूििों को
पूिा किने की क्षमिा है,
लेककन उनके पास पहुंचने के
सलए मनुष्य के पास उपयुक्ि
िकनीक नहीं है, स्टॉक में
शासमल हैं। उदाहिर् के सलए
पानी दो यिलनशील गैसों
ऑक्सीजन औि हाइड्रोजन का
एक यौगगक है ष्जसका
उपयोग ऊजाथ के स्रोि के रूप
में ककया जा सकिा है लेककन
हमािे पास इसके सलए
िकनीक नहीं है।
Source : google images
रिज़िथ (Reserve) – यह
एक िास्िविक /
विकससि संसाधन का
एक दहस्सा है ष्जसे
भविष्य में लाभप्रद रूप
से विकससि ककया जा
सकिा है। उदाहिर् -
भािि में दामोदि घाटी
के कोयला क्षेत्रों के गहिे
बैठे कोयले के भंडाि
Source : google images
स्िासमत्ि के
आधाि पि
व्यष्क्िगि सामुदातयक िाष्ट्रीय अंििाथष्ट्रीय
व्यष्क्िगि संसाधान (Individual
Resource) - ऐसे संसाधान ष्जनका
स्िासमत्ि तनजी व्यष्क्ियों के हार् में
होिा है, उदाहिर् के सलए -बागान,
कु आं, तनजी िालाब।
के ले का बागान: व्यजतिगि संसाधनSource : google images
सामुदातयक संसाधन
(Community Resource)
– ये िे संसाधन हैं जो
ककसी समुदाय के सभी
सदस्यों के सलए सुलभ
हैं। गांिों में चािागाह,
कबिस्िान या श्मशान
भूसम औि शहिी क्षेत्रों में
खेल के मैदान औि
सािथजतनक पाकथ ऐसे
संसाधनों के उदाहिर् हैं।साििितनक पाकि : एक सामुदातयक संसाधन
Source : google images
िाष्ट्रीय संसाधन (National
Resource) – ये िे संसाधन हैं जो
िाष्ट्र की संपवत्त हैं। उदाहिर् के
सलए - सडकें , नहिें, िेलिे, एक
देश की िाजनीतिक सीमा के
भीिि की भूसम, क्षेत्रीय जल
औि इसके भीिि के संसाधन
िाष्ट्रीय संसाधन हैं। प्रादेसशक
जल शब्द समुद्र से 12 समुद्री
मील (19.2 ककमी) िक के
महासागिीय क्षेत्र को संदसभथि
कििा है। देश में सािथजतनक
भलाई के सलए तनजी संपवत्त
हाससल किने की कानूनी शष्क्ि
भी सिकाि के पास है। उदाहिर्
के सलए - भािि में कोयला
खानों का िाष्ट्रीयकिर्
Indian Railways : A National Resource
Source : google images
अंििाथष्ट्रीय संसाधन (International Resource) – देशों के अनन्य
आगर्थक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) के 200 ककमी से
अगधक के महासागिीय संसाधन खुले समुद्र के हैं औि ष्जन्हें
अंििाथष्ट्रीय संसाधन कहा जािा है। कोई भी व्यष्क्ि या देश
अंििाथष्ट्रीय संस्र्ानों की सहमति के बबना इन संसाधनों का
उपयोग नहीं कि सकिा है।
Source : google images
निीनीकिर् के
आधाि पि
निीकिर्ीय
अजीविि जीविि
प्रिाह (Flow)
गैि-निीकिर्ीय
पुनचथकिय अपुनचथिीय
निीकिर्ीय संसाधन (Renewable Resource) – निीकिर्ीय या
प्रतिपूिक संसाधन िे संसाधन हैं ष्जन्हें भौतिक, िासायतनक
औि जैविक प्रकियाओं दिािा निीनीकृ ि औि कफि से बनाया
जा सकिा है। इन संसाधनों को िीन उप-श्रेणर्यों में
विभाष्जि ककया गया है, अर्ाथि ् गैि-जीविि, जीविि औि
प्रिाह संसाधन।
( a) तनजीि निीकिर्ीय संसाधन (Non-living Renewable
Resource)- िे निीकिर्ीय संसाधन हैं जो अजैविक स्रोिों से
आिे हैं, उदाहिर् के सलए - भूसम, जल, िायु, खतनज
(b) जीविि निीकिर्ीय (Living Renewable Resource) -
संसाधन िे हैं जो जीविि या जैविक स्रोिों से आिे हैं,
उदाहिर् के सलए -पौधे औि जीि।
(c) प्रिाह या तनिंिि निीकिर्ीय संसाधन (Flow Resource) -
िे संसाधन हैं ष्जन्हें पुनजथनन की आिश्यकिा नहीं है,
उदाहिर् के सलए - यिाि, सौि ऊजाथ
गैि-निीकिर्ीय संसाधन (Non-renewable Resource) – ये िे
संसाधन हैं ष्जनके गठन औि पुनःपूतिथ की प्रकिया बहुि
धीमी है औि बहुि लंबी भूिैज्ञातनक समय अिगध लेिी है।
इन्हें बनने में लाखों साल लगिे हैं। उदाहिर् के सलए -
कोयला, लौह अयस्क इत्यादद, इन गैि-निीकिर्ीय संसाधनों
को आगे दो श्रेणर्यों में बांटा गया है, अर्ाथि ् रिसाइककल
योग्य संसाधन औि गैि-पुननथिीनीकिर् संसाधन।
(a) पुनचथकिय संसाधन (Recyclable resources) िे हैं ष्जन्हें बाि-
बाि उपयोग किने के सलए संसागधि ककया जा सकिा है।
उदाहिर् के सलए - िांबा, एल्यूमीतनयम, आदद।
(b) अपुनचथिीय संसाधन (Non-recyclable resources) िे संसाधन
हैं ष्जनका एक बाि उपयोग कि लेने पि िे नष्ट हो जािे
हैं। उदाहिर् के सलए - जीिाश्म ईंधन औि यूिेतनयम
References
• Gautam, A : ‘Geography of Resources: Exploitation,
Conservation & Management’, Sharda Pustak Bhawan,
Allahabad, 2017
• Singh, J & Singh, K : ‘Aarthik Bhugol ke Mool Tatva’,
Gyanoday Prakashan, Gorakhpur, 1999
• Harun, M: ‘Aarthik Bhugol ke Mool Tatva’, Vasundhara
Prakashan, Gorakhpur, 2004
• https://www.kcesmjcollege.in/ICT/Geography/Natural%2
0Rsources.pdf
• https://www.slideshare.net/sadiazaman522/resource-
concept-and-classificat
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SANSAADHAN

  • 1. FOR DEPARTMENT OF WOMEN STUDIES Dr. Meenakshi Prasad Assistant Professor P.G. Deptt. of Geography Magadh University Bodh Gaya Source : google images
  • 2. विषय सूची • संसाधन का अर्थ • कु छ प्रमुख परिभाषाएं • संसाधन, प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ • संसाधनों की अनुभूति या संज्ञान , मूल्य औि उपयोग को प्रभाविि किने िाले कािक • संसाधनों का कायाथत्मक ससदधांि • संसाधन के प्रकाि
  • 3. संसाधन का अर्थ िह सभी जैविक औि अजैविक पदार्थ जो मनुष्य की आिश्यकिाओं औि इच्छा की पूतिथ में सहायक होिे हैं , संसाधन कहलािे हैं। िायु, जल, मृदा, इत्यादद संसाधन हैं क्योंकक यह मनुष्य की आिश्यकिाओं को पूिा कििे हैं। Source : google images
  • 4. कु छ महत्िपूर्थ परिभाषाएं • Encyclopedia of Social Sciences में संसाधन को परिभावषि कििे हुए कहा गया है कक ‘मनुष्य के पयाथििर् के िे पहलू जो मानि की संिुष्ष्ट औि सामाष्जक उददेश्यों की प्राष्ति की सुविधा प्रदान कििे हैं संसाधन हैं।’ • Fisher के शब्दों में ‘ऐसी कोई भी चीज़ जो ककसी ज़रूिि या इच्छा को पूिा किने के सलए इस्िेमाल की जा सकिी है संसाधन है’। • Smith & Phillips के अनुसाि संसाधन मात्र मनुष्य की सेिा में पयाथििर् का कायथ है।
  • 5. • Zimmermann ने संसाधनों को ‘पयाथििर् की उन सुविधाओं के रूप में परिभावषि ककया है, ष्जन्हें मनुष्य की जरूििों को पूिा किने में सक्षम माना जािा है। उन्हें मनुष्य की क्षमिाओं औि चाहिों दिािा उपयोगगिा दी जािी है।’ िह आगे बिािे हैं कक ‘संसाधन शब्द ककसी चीज़ या पदार्थ का उल्लेख नहीं कििा है बष्ल्क ऐसे कायथ का उल्लेख कििा है जो कोई पदार्थ या िस्िु कििा है या ऐसे कियाकलाप का उल्लेख कििा है ष्जसमे कोई पदार्थ िस्िु सष्ममसलि होिा है िाकक ककसी अंि की प्राष्ति हो सके अर्ाथि ककसी आिशयकिा या इच्छा की संिुष्ष्ट हो सके ।
  • 6. • यह तनष्कषथ तनकाला जा सकिा है कक ककसी पदार्थ के संसाधन बनने के सलए इसकी दो विशेषिाएँ होनी चादहए – कायथक्षमिा (functionality) औि उपयोगगिा (utility) • ककसी पदार्थ की उपयोगगिा उसकी कायथक्षमिा को दशाथिी है • दामोदि नदी को बंगाल के दु: ख के रूप में जाना जािा र्ा, जब िक कक दामोदि घाटी तनगम की स्र्ापना नहीं की गई र्ी • यह एक क्षेत्र के सांस्कृ तिक स्िि औि विशेषिाओं के आधाि पि एक क्षेत्र से दूसिे क्षेत्र में सभन्न होिा है। उदाहिर् के सलए। उत्तिी अमेरिका में तनयाग्रा जलप्रपाि एक संसाधन है क्योंकक िह जल विदयुि उत्पन्न कििा है ष्जसकी मदद से न्यू इंग्लैंड क्षेत्र की समलें चलाई जािी हैं।जबकक अरीका
  • 7. में कांगो नदी पि स्टैनली जलप्रपाि कांगो डेमोिे दटक रिपष्ब्लक के ििथमान सामाष्जक-आगर्थक समुच्चय के िहि एक संसाधन नहीं कहा जा सकिा है। • संसाधनों में मूिथ (Tangible) औि अमूिथ (intangible) दोनों पहलू होिे हैं। खतनज, लकडी, पानी मूिथ चीजें हैं जो महत्िपूर्थ संसाधन हैं। इसके सार् ही, अमूिथ चीजें जैसे ज्ञान, स्िास््य, सामाष्जक संगठन, िाजनीतिक ष्स्र्ििा, स्ििंत्रिा, सिकाि की नीतियां, आदद भी संसाधन हैं क्योंकक िे मानि की जरूििों को पूिा किने औि उसकी आकांक्षाओं को पूिा किने में मदद कििे हैं।
  • 8. संसाधन, प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ (Resources, Resistances & Neutral stuffs • संसाधन - ऐसी कोई भी िस्िु जो मनुष्य को लाभ देिी है या मानि कल्यार् की ओि ले जािी है संसाधन है। बढ़िी फसलों के सलए समट्टी, बबजली उत्पादन के सलए कोयला, ससंचाई के सलए नदी का पानी जैसे प्राकृ तिक सामग्री संसाधन हैं। मानि औि सांस्कृ तिक पहलू जैसे उच्च शैक्षक्षक स्िि, अच्छा स्िास््य, नैतिकिा, इष्टिम जनसंख्या, मशीनों औि उपकिर्ों का विकास, िाणर्ष्ययक औि वित्तीय सुविधाएं, िैज्ञातनक प्रबंधन, अच्छी सिकाि, आदद संसाधन हैं। • प्रतििोध - जो कु छ भी मनुष्य औि उसकी प्रगति में बाधा या हातन पहुँचािा है, उसे प्रतििोध कहा जािा है। प्रकृ ति में अनुत्पादक बंजि भूसम, िोग, आपदाएँ प्रतििोध हैं। मानि औि सांस्कृ तिक क्षेत्र में नस्लीय संघषथ, असशक्षा, जनागधक्य, लालच, युदध, रूदढ़िादी ििैया, आगर्थक अिसाद, अपमानजनक नीतियां, आदद प्रतििोध हैं।
  • 9. • िटस्र् पदार्थ - प्रकृ ति में पाए जाने िाले िे पदार्थ जो मनुष्य को अनुकू ल या प्रतिकू ल रूप से प्रभाविि नहीं कििे हैं उन्हें िटस्र् पदार्थ कहा जािा है। उदाहिर् के सलए - भािि में यिाि औि समुद्री लहिों की गति में बडी मात्रा में ऊजाथ संग्रदहि है लेककन जब िक हम उनका व्यािसातयक दोहन किना नहीं सीखिे िब िक यह एक िटस्र् पदार्थ है। • दुतनया की सभी भौतिक औि गैि-भौतिक चीजें िीन श्रेणर्यों में से एक के अंिगथि आिी हैं, अर्ाथि ् संसाधन, प्रतििोध या िटस्र् पदार्थ • Zimmermann के अनुसाि, के िल मानि मूल्यांकन पृ्िी के िटस्र् पदार्ों को संसाधनों में बदल देिा है। ‘ • मानि इतिहास के शुरुआिी चिर्ों में प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ अगधक औि संसाधन कम र्े।
  • 10. • समाज औि िकनीकी ज्ञान में प्रगति के सार्, मनुष्य ने कई िटस्र् पदार्ों औि कई प्रतििोधों को संसाधनों में बदल ददया है, ष्जससे संसाधनों का भंडाि बढ़ िहा है। • एक प्रगतिशील समाज या देश में प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ कम औि संसाधन अगधक होिे हैं। उदाहिर् - रांस, जमथनी, U.K. • एक वपछडे समाज या देश में संसाधन कम औि प्रतििोध औि िटस्र् पदार्थ अगधक होिे हैं। उदाहिर् - अरीकी देश जैसे डेमोिे दटक रिपष्ब्लक ऑफ कांगो • संसाधन औि प्रतििोध एक सार् मौजूद होिे हैं। • Zimmermann के अनुसाि ‘मानि संिुष्ष्ट की सीमा संसाधनों औि प्रतििोधों का एक समला-जुला कायथ है, के िल संसाधनों का नहीं ’।
  • 11. िटस्र् पदार्थ Source : google images संसाधन प्रतििोध
  • 12. संसाधन अनुभूति, मूल्य और उपयोग को प्रभाविि करने िाले कारक सांस्कृ तिक कारक सामाजिक कारक रािनीतिक कारक िकनीकी कारक आर्थिक कारक
  • 13. कई कािक संसाधन, उसके मूल्य औि उपयोग के बािे में हमािे संज्ञान को प्रभाविि कििे हैं सांस्कृ तिक कािक: • संसाधनों की धािर्ा सांस्कृ तिक है। • दुतनया में विसभन्न संस्कृ तियाँ मौजूद हैं ष्जनमें से प्रत्येक में मूल्यों का एक अलग समूह है। • एक संस्कृ ति में एक िस्िु को ददया गया मूल्य दूसिे में एक बाधा (nuisance) माना जा सकिा है। • व्हेसलंग एक उत्कृ ष्ट उदाहिर् प्रदान कििा है। उत्तिी अमेरिका के इनूइट्स ने व्हेल को भोजन के स्रोि के रूप में, इसकी िसा को ईंधन के रूप में औि इसकी हड्डडयों को अपनी कला औि सशल्प के सलए इस्िेमाल ककया। उपयोग आज भी जािी है। आज, अगधकांश अमेरिकी व्हेल की सुंदििा औि मदहमा की सिाहना कििे हैं औि उन्हें एक सौंदयथ संसाधन के रूप में महत्ि देिे हैं, एक उपभोयय पदार्थ के रूप में नहीं । िे व्हेसलंग का वििोध कि िहे हैं।
  • 14. • संस्कृ ति अपने प्राकृ तिक िािाििर् के प्रति समाज के दृष्ष्टकोर् को भी तनधाथरिि कििी है ष्जससे संसाधनों का उपयोग प्रभाविि होिा है। यह दृष्ष्टकोर् िकनीकीिाद (technocentrism) अर्ाथि् मानि िचथस्ि औि प्रकृ ति के तनयंत्रर् से लेकि पारिष्स्र्तिकिाद (ecocentrism) अर्ाथि् प्रकृ ति के सार् िालमेल बबठािे हुए िक हो सकिा है, । • संस्कृ ति का एक औि शष्क्िशाली पहलू धमथ है। ककसी समाज के धासमथक विचाि संसाधनों के उपयोग को प्रभाविि कििे हैं। उदाहिर् के सलए - मांस उदयोग (गोमांस औि पोकथ ) अजेंटीना में अच्छी ििह से विकससि है, लेककन भािि में धासमथक कािकों के कािर् यह विकससि नहीं हुआ है, हालांकक भािि में दुतनया में सबसे बडी मिेशी आबादी है।
  • 15. MAN, CULTURE & NATURE (After ZIMMERMANN, 1951) Source : google images
  • 16. सामाष्जक कािक : • जािीयिा, सलंग, सशक्षा औि आय जैसी सामाष्जक ष्स्र्तियां प्रभाविि कििी हैं कक कै से समाज संसाधनों को पहचानिे हैं, उन्हें मूल्य प्रदान कििे हैं औि उनका उपयोग कििे हैं। • उदाहिर् के सलए, दुतनया भि में उच्च आय िाले घि कम आय िाले घिों की िुलना में अगधक ऊजाथ का उपयोग कििे हैं। • समय बीिने के सार्-सार् समाजों का सांस्कृ तिक परिििथन होिा है ष्जससे संसाधनों का संज्ञान औि उपयोग प्रभाविि होिा है। उदाहिर् के सलए - अमेरिका में प्रािंसभक औपतनिेसशक काल के दौिान सस्िे खादय संसाधनों के रूप लॉबस्टिऔि झींगा मछली को नौकिों को णखलाया जािा र्ा। 19 िीं शिाब्दी के उत्तिाधथ में दक्षक्षर्ी यूिोपीय प्रिाससयों की आमद ने इस सस्िे खादय संसाधन को एक मूल्यिान delicacy में बदल ददया।
  • 17. िकनीकी कािक: • िकनीकी कािक का समबन्ध संसाधनों के दोहन में मनुष्य के ज्ञान औि कौशल से है। • एक जलप्रपाि िभी एक संसाधन बनिा है, जब उससे बबजली उत्पन्न किने के सलए एक पनबबजली संयंत्र स्र्ावपि ककया जािा है । • प्रौदयोगगकी समय के सार् विकससि होिी है, हालांकक िकनीकी स्िि दुतनया भि में समान नहीं है। उदाहिर् के सलए - रांस में यिािीय ऊजाथ का बडे पैमाने पि उपयोग ककया जािा है लेककन भािि में अभी िक इसका व्यािसातयक उपयोग नहीं ककया गया है • प्रौदयोगगकी एक संसाधन की कायाथत्मक क्षमिा को भी बढ़ािी है जो हमें ‘फैं टम पाइल’ (Phantom Pile) की अिधािर्ा िक लािी है।
  • 18. फैं टम पाइल (Phantom Pile) • फैं टम पाइल की संकल्पना Zimmermann दिािा दी गयी र्ी। • जब एक प्राकृ तिक संसाधन की भौतिक हातन को (उसके िजन औि मात्रा में संकोचन) उसकी कायाथत्मक क्षमिा के विस्िाि से मुआिजा ददया जािा है, िो इसे ‘Phantom Pile' की अिधािर्ा के रूप में जाना जािा है। • कायाथत्मक क्षमिा का विस्िाि प्रौदयोगगकी में विकास औि सुधाि के सार् ककया जा सकिा है।
  • 19. • Phantom Pile की अिधािर्ा को समझाने के सलए उदाहिर्: आइए हम मानिे हैं कक भािि में 1950 में 2000 समसलयन टन का कोककं ग कोल रिजिथ र्ा औि उस समय एक टन लौह अयस्क को वपघलाने के सलए 2 टन कोककं ग कोल की जरूिि र्ी औि कोक ओिन के संयंत्रों में बहुि कम उपोत्पाद समलिे र्े। ििथमान में प्रौदयोगगकी के क्षेत्र में विकास होने से एक टन कोककं ग कोयले से दो टन लौह-अयस्क गल सकिा है औि कोक ओिन संयंत्र बडी संख्या में उप-उत्पाद िैयाि कि िहे हैं। इस प्रकाि, कोककं ग कोल की कायाथत्मक क्षमिा ने लौह-अयस्क को गलाने में चाि गुना िृदगध की है औि उप-उत्पादों की उपज दोगुनी हो गई है। कु ल समलाकि इसकी कायाथत्मक क्षमिा में पाँच गुना िृदगध हुई है। मान लेिे हैं कक वपछली आधी सदी के दौिान हमने 500 समसलयन टन कोककं ग कोल का उपयोग ककया है ।
  • 20. अब मूल ढेि का 1500 समसलयन टन िहिा है। प्रौदयोगगकी में सुधाि के चलिे इस 1500 समसलयन टन ढेि की कायाथत्मक क्षमिा 7,500 समसलयन टन(1500x5) के काल्पतनक ढेि िक विस्िारिि हो गयी है। इस प्रकाि, कोककं ग कोल डडपॉष्जट के भौतिक नुकसान की भिपाई अब इसकी कायाथत्मक क्षमिा के विस्िाि से हो िही है। यह phantom pile है। Source : google images
  • 21. आगर्थक कािक : • एक संसाधन का के िल िभी शोषर् ककया जािा है जब उसे लाभ के सार् ककया जा सकिा है। • भािि में सबसे अच्छी गुर्ित्ता िाला एन्रेसाइट कोयला जममू औि कश्मीि के कािगगल में पाया जािा है, लेककन इसका ििथमान में दोहन नहीं ककया जािा है क्योंकक दूिस्र् ष्स्र्ि होने के कािर् ििथमान में इसका दोहन आगर्थक दृष्ष्ट से लाभदायक नहीं है। • ककसी संसाधन का संज्ञान औि उपयोग उसके मूल्य तनधाथिर् से प्रभाविि होिा है जो कक उसकी बहुिायि या कमी से प्रभाविि होिा है। • जैसा ही एक संसाधन दुलथभ हो जािा है, इसका मूल्य बढ़ सकिा है। • संसाधन की कमी पूर्थ (Absolute)या सापेक्ष (relative) हो सकिी है
  • 22. • तनिपेक्ष या पूर्थ कमी (Absolute scarcity) िब होिी है जब ककसी विशेष संसाधन की आपूतिथ ििथमान औि भविष्य की मांग को पूिा किने के सलए अपयाथति होिी है। उदाहिर् के सलए - जंगल जैसे कु छ भूसम संसाधनों की घटिी आपूतिथ एक पूर्थ कमी पैदा कि सकिी है। पंजाब में जंगलों की पूर्थ रूप से कमी हो िही है क्योंकक िे हरिि िांति के कािर् नष्ट हो गए हैं । ANANTPUR DISTRICT – PUNJAB DESERT LIKE SITUATION DUE TO LOSS OF WILDERNESS Source : google images
  • 23. • जब संसाधन के विििर् में असमानिाएं होिी हैं, िो सापेक्ष कमी (Relative scarcity) होिी है। शहिी क्षेत्रों में अपेक्षाकृ ि दुलथभ होने िक खुली जगह को एक संसाधन नहीं माना जािा र्ा। • सापेक्ष कमी िब भी होिी है जब एक समूह दूसिे समूह की कीमि पि संसाधनों के स्िासमत्ि या विििर् को तनयंबत्रि कििा है। 1970 के दौिान OPEC देशों दिािा बनाई गई पेट्रोसलयम की सापेक्ष कमी ऊजाथ संकट का कािर् र्ी।URBAN OPEN SPACES Source : google images
  • 24. िाजनीतिक कािक: • सिकाि की नीतियां ककसी प्राकृ तिक संसाधन के उपयोग को प्रोत्सादहि या हिोत्सादहि कि सकिी हैं या यह िय कि सकिी हैं कक इसे कै से माना जाना चादहए। • उदाहिर् के सलए - भािि सिकाि ने अंडमान औि तनकोबाि के सेंदटनल दिीप को िहां िहने िाले आददम जनजाति के सलए आिक्षक्षि क्षेत्र घोवषि ककया है। बाहिी लोग िहां नहीं जा सकिे। • शासन प्रर्ाली में सभन्निा संसाधन उपयोग में सभन्निा ला सकिी है
  • 25. संसाधनों का कायाथत्मक ससदधांि (Functional Theory of Resources) • यह ससदधांि Zimmermann दिािा ददया गया र्ा • ष्ज़ममिमैन ने कहा है, ‘संसाधन होिे नहीं, बनिे हैं’ (Resources are not, they become)। यह कर्न संसाधनों के कायाथत्मक ससदधांि का आधाि है • संसाधनों के कायाथत्मक ससदधांि के अनुसाि – (i)संसाधन कायथशील होिे हैं, (ii)िे मनुष्य की कृ ति या िचना होिे हैं औि (iii)संसाधन गत्यात्मक होिे हैं। • इस ससदधांि का साि यह है कक एक पदार्थ के िल िभी एक संसाधन बनिा है जब मनुष्य दिािा मानि की आिश्यकिा को पूिा किने के सलए उसकी कायथक्षमिा को विकससि ककया जािा है। इसके अलािा, संसाधन न के िल प्राकृ तिक या भौतिक हैं, बष्ल्क िे सांस्कृ तिक भी हैं ।
  • 26. संसाधन के प्रकाि तनमनसलणखि मानदंडों के आधाि पि संसाधनों को विसभन्न श्रेणर्यों में िगीकृ ि ककया जा सकिा है: • उत्पवत्त (Origin) • विििर् (Distribution) • समातयिा के आधाि पि (On the basis of Exhaustibility ) • विकास की अिस्र्ा (Stage of Development) • स्िासमत्ि (Ownership) • निीनीकिर् के आधाि पि (Renewability)
  • 27. उत्पवत्त के आधाि पि प्राकृ तिक जैविक अजैविक मानि ज्ञान मानि तनसमथि प्राकृ तिक संसाधन - ये ऐसे पदार्थ हैं जो प्रकृ ति में स्िाभाविक रूप से पाए जािे हैं औि मानि की इच्छाओं को पूिा किने में सक्षम हैं। उन्हें आगे जैविक औि अजैविक संसाधनों के रूप में िगीकृ ि ककया जा सकिा है। जैि संसाधन जीिमंडल से प्राति होिे हैं। उनमें जीिन होिा है। उदाहिर् के सलए - पौधे औि जानिि। अजैविक संसाधन तनजीि चीजों से बने होिे हैं, जैसे लौह-अयस्क जैसे खतनज।
  • 28. मानि संसाधन - मानि संसाधन संिगधथि श्रम है। नोबेल विजेिा िॉबटथ सोलो के शब्दों में, यह श्रम है ष्जसने ज्ञान, कौशल औि प्रौदयोगगकी के स्िि को देखिे हुए अपनी दक्षिा में सुधाि ककया है। प्राकृ तिक संसाधन मानि संसाधन Source : google images
  • 29. ज्ञान संसाधन - यह ज्ञान का तनमाथर् है जो वपछले स्टॉक पि आधारिि है। ििथमान ज्ञान वपछले ज्ञान के आधाि पि बनाया जािा है। उदाहिर् के सलए - बीर्ोिेन की ससमफनी मानि तनसमथि संसाधन - ये िे संसाधन हैं जो मनुष्य दिािा तनसमथि होिे हैं, उदाहिर् के सलए- कं तयूटि, फोन KNOWLEDGE RESOURCE MAN-MADE RESOURCE
  • 30. • मानि तनसमथि संसाधन ज्ञान संसाधन औि मानि संसाधन पि तनभथि हैं। इससलए यदद हम उनकी गर्ना नहीं कििे हैं िो उत्पवत्त के आधाि पि हमािे पास दो व्यापक िगीकिर् हो सकिे हैं, अर्ाथि् प्राकृ तिक संसाधन औि मानि तनसमथि संसाधन। • Sustainability के दो दृष्ष्टकोर् हैं – strong sustainability औि weak sustainability • Strong sustainability का िात्पयथ यह है कक मानि तनसमथि संसाधनों के सार् प्राकृ तिक संसाधनों का कोई प्रतिस्र्ापन या trade-off नहीं हो सकिा है। िकथ यह है कक प्राकृ तिक संसाधनों को कफि से बनाया नहीं जा सकिा है औि इससलए हमें उन्हें समाति किने का अगधकाि नहीं है।
  • 31. • दूसिी ओि Weak sustainability का िात्पयथ यह है कक मानि तनसमथि संसाधन प्राकृ तिक संसाधनों का स्र्ान ले सकिे हैं औि विकास के सलए इसकी आिश्यकिा होिी है क्योंकक प्राकृ तिक संसाधन उत्पादन के सलए कच्चे माल का काम कििे हैं। इससलए ककसी भी अर्थव्यिस्र्ा के सलए उत्पादन जािी िखने का िात्पयथ स्िचासलि रूप से यह है कक मानि तनसमथि संसाधनों के सार् प्राकृ तिक संसाधनों का कु छ प्रतिस्र्ापन होगा।
  • 32. Zimmermann ने विििर् के आधाि पि संसाधनों को उपिोक्ि चाि प्रकािों में िगीकृ ि ककया है सिथत्र सुलभ संसाधन (Ubiquities) – संसाधन जो हि जगह पाए जािे हैं, उदाहिर् के सलए - हिा में ऑक्सीजन विििर् के आधाि पि सिथत्र सुलभ सामान्य सुलभ दुलथभ एकल
  • 33. • सामान्य सुलभ संसाधन (Commonalities) – ऐसे संसाधन जो साधािर्िः अगधकांश क्षत्रों में पाए जािे हैं। जैसे - कृ वष योग्य भूसम, जल • दुलथभ संसाधन (Rarities) - ऐसे संसाधन जो कु छ ही जगहों पि समलिे हैं। जैसे कक - दटन, सोना, चांदी, इत्यादद। • एकल संसाधन (Uniquities) – ऐसे संसाधन जो ककसी एक ही स्र्ान पि पाए जािे हैं। उदाहर् के सलए ग्रीनलैंड में समलनेिाला कमसशथयल cryolite Tin Soil Source : all google images
  • 34. समातयिा के आधाि पि असमातय समातय असमातय संसाधन (Inexhaustible Resource) - यह िे संसाधन हैं जो समातय नहीं हो सकिे हैं। जैसे - िायु , सौि ऊजाथ असमाप्य संसाधन : सौर ऊिािSource : google images
  • 35. समातय संसाधन (Exhaustible Resource) – यह िे संसाधन है जो समाति हो जाएँगे यदद स्ियं का पुनरुत्पादन किने के सलए इनका जो critical mass है उसे बना कि ना िक्खा जाए। उदाहिर्स्िरुप - यदद ककसी झील के पारिष्स्र्तिक िंत्र से अत्यगधक मात्रा में मछसलयां पकड ली जािी हैं , िो िे प्रजनन नहीं कि पाएंगी औि कु छ समय बाद िह झील मछली विहीन हो जायेगी। मत्सस्य संसाधन : एक समाप्य संसाधन Source : google images
  • 36. विकास की अिस्र्ा के आधाि पि विकससि संभाविि स्टॉक रिज़िथ विकससि संसाधन (Developed Resource) - इन्हें िास्िविक संसाधन के रूप में भी जाना जािा है । यह ऐसे संसाधन हैं ष्जनका पूिी ििह से सिेक्षर् ककया गया है औि उनकी गुर्ित्ता औि मात्रा को उपयोग के सलए पूिी ििह से तनष्श्चि कि ददया गया है औि उनका उपयोग मनुष्य दिािा ककया जा िहा है। उदाहिर् के सलए - भािि में िानीगंज औि झरिया का कोयला भंडाि, असम के पेट्रोसलयम संसाधन
  • 37. संभाविि संसाधन (Potential Resource) – ये िे संसाधन हैं जो ककसी विशेष क्षेत्र में पाए जािे हैं लेककन अभी िक उपयोग में नहीं लाए जा िहे हैं। एक संभािना है कक भविष्य में उनका उपयोग ककया जा सकिा है। उदाहिर् के सलए - दक्षक्षर् अमेरिका की अमेज़़ॅन नदी में भविष्य में बबजली संसाधन के रूप में विकससि होने की व्यापक संभािना है। भािि में गुजिाि में यिािीय औि पिन ऊजाथ के विकास की बडी संभािनाएं हैं । अमेज़ॅन नदी- एक संभाविि संसाधन Source : google images
  • 38. स्टॉक संसाधन (Stock) – पयाथििर् में ऐसी सामगग्रयां ष्जनमें मानि की जरूििों को पूिा किने की क्षमिा है, लेककन उनके पास पहुंचने के सलए मनुष्य के पास उपयुक्ि िकनीक नहीं है, स्टॉक में शासमल हैं। उदाहिर् के सलए पानी दो यिलनशील गैसों ऑक्सीजन औि हाइड्रोजन का एक यौगगक है ष्जसका उपयोग ऊजाथ के स्रोि के रूप में ककया जा सकिा है लेककन हमािे पास इसके सलए िकनीक नहीं है। Source : google images
  • 39. रिज़िथ (Reserve) – यह एक िास्िविक / विकससि संसाधन का एक दहस्सा है ष्जसे भविष्य में लाभप्रद रूप से विकससि ककया जा सकिा है। उदाहिर् - भािि में दामोदि घाटी के कोयला क्षेत्रों के गहिे बैठे कोयले के भंडाि Source : google images
  • 40. स्िासमत्ि के आधाि पि व्यष्क्िगि सामुदातयक िाष्ट्रीय अंििाथष्ट्रीय व्यष्क्िगि संसाधान (Individual Resource) - ऐसे संसाधान ष्जनका स्िासमत्ि तनजी व्यष्क्ियों के हार् में होिा है, उदाहिर् के सलए -बागान, कु आं, तनजी िालाब। के ले का बागान: व्यजतिगि संसाधनSource : google images
  • 41. सामुदातयक संसाधन (Community Resource) – ये िे संसाधन हैं जो ककसी समुदाय के सभी सदस्यों के सलए सुलभ हैं। गांिों में चािागाह, कबिस्िान या श्मशान भूसम औि शहिी क्षेत्रों में खेल के मैदान औि सािथजतनक पाकथ ऐसे संसाधनों के उदाहिर् हैं।साििितनक पाकि : एक सामुदातयक संसाधन Source : google images
  • 42. िाष्ट्रीय संसाधन (National Resource) – ये िे संसाधन हैं जो िाष्ट्र की संपवत्त हैं। उदाहिर् के सलए - सडकें , नहिें, िेलिे, एक देश की िाजनीतिक सीमा के भीिि की भूसम, क्षेत्रीय जल औि इसके भीिि के संसाधन िाष्ट्रीय संसाधन हैं। प्रादेसशक जल शब्द समुद्र से 12 समुद्री मील (19.2 ककमी) िक के महासागिीय क्षेत्र को संदसभथि कििा है। देश में सािथजतनक भलाई के सलए तनजी संपवत्त हाससल किने की कानूनी शष्क्ि भी सिकाि के पास है। उदाहिर् के सलए - भािि में कोयला खानों का िाष्ट्रीयकिर् Indian Railways : A National Resource Source : google images
  • 43. अंििाथष्ट्रीय संसाधन (International Resource) – देशों के अनन्य आगर्थक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) के 200 ककमी से अगधक के महासागिीय संसाधन खुले समुद्र के हैं औि ष्जन्हें अंििाथष्ट्रीय संसाधन कहा जािा है। कोई भी व्यष्क्ि या देश अंििाथष्ट्रीय संस्र्ानों की सहमति के बबना इन संसाधनों का उपयोग नहीं कि सकिा है। Source : google images
  • 44. निीनीकिर् के आधाि पि निीकिर्ीय अजीविि जीविि प्रिाह (Flow) गैि-निीकिर्ीय पुनचथकिय अपुनचथिीय
  • 45. निीकिर्ीय संसाधन (Renewable Resource) – निीकिर्ीय या प्रतिपूिक संसाधन िे संसाधन हैं ष्जन्हें भौतिक, िासायतनक औि जैविक प्रकियाओं दिािा निीनीकृ ि औि कफि से बनाया जा सकिा है। इन संसाधनों को िीन उप-श्रेणर्यों में विभाष्जि ककया गया है, अर्ाथि ् गैि-जीविि, जीविि औि प्रिाह संसाधन। ( a) तनजीि निीकिर्ीय संसाधन (Non-living Renewable Resource)- िे निीकिर्ीय संसाधन हैं जो अजैविक स्रोिों से आिे हैं, उदाहिर् के सलए - भूसम, जल, िायु, खतनज (b) जीविि निीकिर्ीय (Living Renewable Resource) - संसाधन िे हैं जो जीविि या जैविक स्रोिों से आिे हैं, उदाहिर् के सलए -पौधे औि जीि। (c) प्रिाह या तनिंिि निीकिर्ीय संसाधन (Flow Resource) - िे संसाधन हैं ष्जन्हें पुनजथनन की आिश्यकिा नहीं है, उदाहिर् के सलए - यिाि, सौि ऊजाथ
  • 46. गैि-निीकिर्ीय संसाधन (Non-renewable Resource) – ये िे संसाधन हैं ष्जनके गठन औि पुनःपूतिथ की प्रकिया बहुि धीमी है औि बहुि लंबी भूिैज्ञातनक समय अिगध लेिी है। इन्हें बनने में लाखों साल लगिे हैं। उदाहिर् के सलए - कोयला, लौह अयस्क इत्यादद, इन गैि-निीकिर्ीय संसाधनों को आगे दो श्रेणर्यों में बांटा गया है, अर्ाथि ् रिसाइककल योग्य संसाधन औि गैि-पुननथिीनीकिर् संसाधन। (a) पुनचथकिय संसाधन (Recyclable resources) िे हैं ष्जन्हें बाि- बाि उपयोग किने के सलए संसागधि ककया जा सकिा है। उदाहिर् के सलए - िांबा, एल्यूमीतनयम, आदद। (b) अपुनचथिीय संसाधन (Non-recyclable resources) िे संसाधन हैं ष्जनका एक बाि उपयोग कि लेने पि िे नष्ट हो जािे हैं। उदाहिर् के सलए - जीिाश्म ईंधन औि यूिेतनयम
  • 47. References • Gautam, A : ‘Geography of Resources: Exploitation, Conservation & Management’, Sharda Pustak Bhawan, Allahabad, 2017 • Singh, J & Singh, K : ‘Aarthik Bhugol ke Mool Tatva’, Gyanoday Prakashan, Gorakhpur, 1999 • Harun, M: ‘Aarthik Bhugol ke Mool Tatva’, Vasundhara Prakashan, Gorakhpur, 2004 • https://www.kcesmjcollege.in/ICT/Geography/Natural%2 0Rsources.pdf • https://www.slideshare.net/sadiazaman522/resource- concept-and-classificat
  • 48. Source : google images