1. महात्मा गाांधी अांतरराष्ट्रीय हहांदी हिश्वहिद्द्यालय , िधाा
सांगोष्ठी – पत्र
सत्र – 2016 – 2017
प्रश्न पत्र-MPh./ C/101 शोध प्रहिहध की आधार भूहम
हिषय : शोधार्थी से अपेक्षाएँ
प्रस्तुतकताा मागादशाक
ज़ीनत उल ख़ुशबू डॉ. राजीि रांजन
एम.हिल . अनुिाद अध्ययन डॉ. देिराज
प्रर्थम छमाही डॉ.अन्नपूर्ा सी
डॉ. हसहिकी
2. प्रस्तािना :-
शोधकार्य एक कठिन कार्य माना जाता है | शोध कार्य के ठिए के वि
ठकताबी ज्ञान ही नहीीं बल्कि शोधकताय में अनेक बाहरी और आींतररक गुणोीं
का होना भी परम आव्यश्यक है | शोध कार्य सामाठजक घटना से सींबींठधत
होता है | और सामाठजक घटनाएँ , अमूतय , पररवतयनशीि जठटि और व्यल्कि
प्रधान होती है इसठिए इनका अध्यर्न प्राकृ ठतक र्ा भौठतक घटनाओीं के
अध्यर्न से नहीीं ठकर्ा जा सकता है | सामाठजक घटनाओीं के अध्यर्न का
मतिब वास्तव में मानव द्वारा मानव के ही ठवषर् में अध्यर्न है | इससे र्ह
पता चिता है ठक ठजस समस्या र्ा ठवषर् के सींबींध में शोधकताय शोध कार्य
करता है , उस समस्सर्ा र्ा ठवषर् का वह स्वर्ीं अींग बन जाता है | प्रत्येक
शोधकताय को पूणयतर्ा ठनष्पदा, तटस्थ और उदासीन रहकर अध्यर्न करना
चाठहए | एक अच्छे शोधकताय के अींदर कु छ गुणोीं और र्ोग्यता का रहना
आव्यश्यक माना जाता है | ठजसको ठनम्नानुसार छः भागोीं में बाींटा जाता है |
10. हनष्कषा :-
सामाठजक शोधकताय में उपरोि ठवशेषताएँ सफिता में प्रमुख रूप से सहार्क है | इनके
अठतररि भी सामाठजक दृठष्ट से िाभदार्क गुणोीं का ठवकास अभ्यास के द्वारा स्वर्ीं हो
जाता है | सच्चाई , ईमानदारी , बौल्किक प्रखरता , शारीररक आकषयण , अनुभव ठशष्टता
तथा व्यवहार कु शिता , कार्य प्रणािी सींबींधी दक्षता तथा वैज्ञाठनक भावना से पररपूणय
व्यल्कि ही व्यवहार कु शिता , कार्य प्रणािी सींबींधी दक्षता तथा वैज्ञाठनक भावना से पररपूणय
व्यल्कि ही अनुसींधान करी मे सफि हो सकता है | अध्यर्नकताय सींपूणय अनुसींधान की
आत्मा है | उसके ढींग , र्ोग्यता तथा व्यवहार कु शिता इत्याठद पर अध्यर्न की सफिता
ठनभयर होती है |
सांदभा ग्रांर्थ सूची :- डॉ. राम गणेश र्ादव , ‘सामाठजक अनुसींधान पिठतर्ाँ’