2. परिचय
• व्यक्तित्व शब्द अर्धात कोई गुण यध सिशेषतध सििे िभी
सिसभन्न परिक्तथर्ओां में व्यिहधि किने तर्ध पधिस्परिक िम्बांद्ो
की दृसि िे सिशेष महत्व देते है|
िुिीत कध व्यक्तित्व मधुि, मोहक, ििल,.........
• Personality शब्द लैसिन िर्ा Persona िे बनध है सििकध
अर्ा मुखौिध है|
• मुखौिध िेशभूषध िे र्ध सििे पहनकि नधिक क
े पधत्र िांगमांच
पि सकिी सिशेष व्यक्ति कध असभनय किते है|
• व्यक्तित्व अर्धात व्यक्ति कध िधह्य सदखधिध मधत्र|
3. • प्रत्येक व्यक्ति में क
ु छ ऐसी विशेषताएँ होती हैं,
विनक
े आधाि पि िह परिक्तथिवत क
े प्रवत विविन्न
प्रवतवियाएँ किता इन्ीीं प्रवतवियाओीं को हम एक
शब्द में व्यक्तित्व कहते हैं।
• व्यक्तित्व से ही व्यक्ति क
े आकषषण का पता चलता
है। क
ु छ लोग आशािादी होते हैं, औि क
ु छ
वनिाशािादी यह आपको व्यक्ति क
े व्यक्तित्व से
पता चल िाएगा।
4. परििाषा
• वगल्फोर्ष क
े अनुसाि, “व्यक्तित्व गुणोीं का समक्तित रूप
है|”
• िुद्विष क
े अनुसाि, “व्यक्तित्व व्यक्ति क
े व्यिहाि की एक
समग्र विशेषता है|”
• र्ैसशयल क
े अनुिधि, “व्यक्तित्व व्यक्ति क
े सिी
व्यिहािोीं का िह समायोवित सींकलन है, िो उसक
े
सहयोवगयोीं में स्पष्ट रूप से वदखलायी दे।”
• एलपिा क
े अनुिधि, “व्यक्तित्व, व्यक्ति में उन
मनोदैवहक अिथिाओीं का गत्यात्मक सींगठन है, विनक
े
आधाि पि व्यक्ति अपने परििेश क
े साि समायोिन
थिावपत किता है।
5. “अल्पोर्ष क
े परििाषा क
े ऊपि दृवष्ट र्ालने पि यह
स्पष्ट...
१. व्यक्तित्व की प्रक
ृ वत सींगठनात्मक औि गत्यात्मक
होती है|
२..व्यक्तित्व में मनो औि शािीरिक दोनोीं प्रकाि क
े
गुण समावहत है |
3. व्यक्तित्व िाताििण क
े समायोिन का गुण िखता
है|
6. व्यक्तित्व विशेषता
• व्यक्तित्व से वकसी व्यक्ति क
े आकषषक होने अििा
न होने का पता चलता है, लेवकन व्यक्तित्व को इस
तिह एक पींक्ति में सींमझना सींिि नहीीं है, क्ोींवक
की व्यक्तित्व में वकसी व्यक्ति की कई विशेषताओीं
औि हुनि का प्रवतवबींब वदखाई देता है।
• व्यक्तित्व व्यक्ति की मानवसक अिथिाओीं का
सक्तिवलत योग औि िन्म क
े समय औि व्यक्ति क
े
वपछले पूिे िीिनकाल में प्राक्ति की प्रिृवियोीं,
प्रवतिा, गुणोीं आवद का योग है। व्यक्तित्व व्यक्ति क
े
िीिन क
े सिी पहलुओीं को दशाषता है।
7. • व्यक्तित्व की विशेषताओीं को हम वनक्तिक्तखत िागोीं
में िगीक
ृ त किक
े समझ सकते हैं–
• सामाविकता
• लक्ष्य – प्राक्ति क
े वलए कायष किना
• आत्म – चेतना
• परििेश क
े साि समायोिन
• शािीरिक औि मानवसक स्वास्थ्य
• अनिित विकास
• ििपूि उत्साह|
8. व्यक्तित्व कध िगीकिण:
व्यक्ति क
े व्यक्तित्व का िगीकिण हम कई तिह
से कि सकते हैं। क्ोींवक की व्यक्तित्व एक
बहुत बड़ा, उलझा हुआ औि अपने अींदि
अनेक प्रकाि क
े गुणोीं औि अिगुणोीं को
समावहत वकये हुये है। इसवलए व्यक्तित्व का
िगीकिण वकसी एक िस्तु, अनुशासन या गुण
क
े आधाि पि नही वकया िा सकता है।
9. • विन्न-विन्न गुणोीं औि अनुशासनोीं क
े आधाि पि हम
व्यक्तित्व का कई तिह से िगीकिण वकया गया है।
विविन्न मनोिैज्ञावनकोीं ने अपने-अपने तिीक
े से
व्यक्तित्व का िगीकिण वकया है, विनमें से क
ु छ को
हम यहाीं बताने िा िहे हैं। व्यक्तिि क
े िगीकिण क
े
प्रकाि वनम्नवलक्तखत हैं–
• सामाविक अन्तःविया क
े आधाि पि व्यक्तित्व का
िगीकिण
– अन्तमुषखी व्यक्तित्व
– बवहमुषखी व्यक्तित्व
– उियमुखी व्यक्तित्व
13. • व्यक्तित्व क
े सिद्धन्त औि उनक
े प्रसतपधदक
• यहाँ पि व्यक्तित्व क
े कई वसद्धान्तोीं में से क
ु छ
प्रमुख वसद्धान्तोीं क
े बािे में बताया गया है। व्यक्तित्व
क
े प्रमुख वसद्धाींत वनम्नवलक्तखत हैं–
• फ्रायर् का मनोविश्लेषणात्मक वसद्धान्त
• शैलर्ॉन का िचना वसद्धान्त
• आि. बी. क
ै र्ल का प्रवतकािक प्रणाली वसद्धान्त
• ऑलपोर्ष का वसद्धान्त
• मुिे का वसद्धान्त
14. फ्रायर् का मनोविश्लेषणात्मक
वसद्धान्त
• फ्रायर् क
े अनुसाि, व्यक्तित्व का वनमाषण इर््, इगो
तिा सुपि इगो क
े द्वािा होता है। इर््, अचेतन मन
हैं, विसमें मूल प्रिृवियाँ एिीं नैसवगषक इच्छाएँ िहती
हैं। ये शीघ्र तृक्ति चाहती हैं। इगो चेतना, इच्छा –
शक्ति, बुक्तद्ध तिा तक
ष हैं। सुपि इगो आदशो से
वनवमषत होता है।
15. फ्रायर् ने इगो क
े विषय में कहा है–
• इगो, इर्् का िह िाग है िो बाह्य सींसाि क
े
अनुमान तिा सम्भािना से परिष्क
ृ त होता है औि
उसका कालान्ति में प्रिाि िी पड़ता है, िो प्राणी
को उद्दीपन किने एिीं उसक
े इदष – वगदष िमी पित
क
े अींश क
े रूप में व्याि िहता है
• इसी प्रकाि फ्रायर् ने सुपि इगो क
े विषय में कहा
है–
सुपि इगो, इगो का िह पक्ष है िो आत्म – वनिीक्षण
की प्रविया को सम्भि बनाता है, विसे सामान्य रूप
में चेतना कहते हैं।
16. शैलर्ॉन कध िचनध सिद्धन्त
• मनोिैज्ञावनक शैलर्ॉन ने व्यक्तित्व क
े तीन प्रािवमक
आधाि बताए हैं, िो वक वनम्नवलक्तखत हैं–
1. गोलाक
ृ वत- इस प्रकाि क
े व्यक्तित्व िाले मनुष्य गोल
गदषन तिा माँसपेवशयोीं से पूणष विकवसत होते हैं, औि चबी
का बढ़ना आवद गुणोीं से युि होतें हैं।
2. आयताक
ृ वत- इस प्रकाि क
े व्यक्तित्व में हवियोीं तिा
माँसपेवशयोीं का विकास परिलवक्षत होता
3. लम्बाक
ृ वत इस प्रकाि क
े व्यक्तित्व में क
े न्द्रीय स्नायु
सींथिान क
े माँसपेशीय तन्तु विकवसत होते हैं। इस मत क
े
अनुसाि शिीि क
े विविन्न अींगोीं को व्यक्तित्व क
े वनमाषण
का आधाि माना िाता है
17. आि. बी. क
ै िल कध प्रसतकधिक
प्रणधली सिद्धन्त
इस मत क
े प्रवतपादक आि . बी . क
ै र्ल हैं। व्यक्तित्व क
े विषय में इनका
किन है व्यक्ति िो वकसी विशेष परिक्तथिवत में िो िी कायष किता है, उसका
प्रवतरूप ही व्यक्तित्व हैं। क
ै र्ल ने चरित्र को अनेक कािकोीं से युि बताया
है। उनक
े अनुसाि – चरित्र की सुन्दिता अिाषत्, िािात्मक एकता,
सामाविकता, कल्पनाशीलता, अविप्रेिक, उत्सुकता, लापििाही आवद
प्रवतकािक चरित्र का वनमाषण किते हैं। क
ै र्ल ने आगे कहा है वक एक
आन्तरिक मनोदैवहक क्तथिवत िो व्यक्ति को प्रवतविया ( अिधान, अविज्ञान )
किने की अनुज्ञा देती है, िह िी उद्देश्ोीं क
े िगों से, विशेष सींिेगोीं क
े अनुिि
प्राि किती है एिीं कायों को पूणष रूप से किने क
े वलए अविप्रेरित किते हैं।
इसक
े अवतरिि इन प्रवतमानोीं में ऐसे व्यिहाि को प्रािवमकता दी िाती है,
िो वक उद्देश् की प्राक्ति किते हैं।
18. . ऑलपोिा कध सिद्धन्त:
गोर्षन र्ब्ल्यू . ऑलपोर्ष ने व्यक्तित्व क
े सम्बन्ध में, िो वसद्धान्त
प्रवतपावदत वकया है, िह िींशिम तिा िाताििण, िैयक्तिक िेद आवद पि
आधारित हैं। ऑलपोर्ष ने िींशिम द्वािा वनधाषरित व्यक्तित्व क
े िवर्ल वमश्रण क
े
प्रवत न्याय किने, स्विाि, सामाविक तिा मनोिैज्ञावनक कािणोीं क
े प्रवत न्याय
किने पि बल वदया है। साि ही व्यक्तित्व की निीनता को मान्यता देने पि िी
बल वदया है, िो अनेक सम्प्रदायोीं तिा व्यक्तित्वोीं में विद्यमान होती है। व्यक्तित्व
को वनधाषरित किने िाली प्रिृवियोीं, विशेषताओीं तिा िाताििण क
े प्रवत
समायोिन से व्यक्तित्व का वनधाषिण होता है
19. मुिे कध सिद्धन्त
• एच. ए. मुिे ने व्यक्तित्व क
े सन्दिष में कहा है व्यक्तित्व
कायाषत्मक रूप एिीं शक्तियोीं की वनिन्तिता है, िो
सींगवठत प्रविया क
े रूप में िन्म से मृत्यु तक बवहमुषखी
होकि प्रकर् होती है। इस मत क
े अनुसाि कायाषत्मक
रूपोीं की वनिन्तिता ऋणात्मक तिा धनात्मक अविवनिेश
सम्बन्ध, मतिेद, सवियता, वनक्तियता आवद का योग कि
व्यक्तित्व का वनमाषण किती है।
• इस मत पि कवतपय आिोप िी हैं, िैसे – अचेतन
वनधाषिकोीं का व्यिहाि पि प्रिाि, अवधगम की िूवमका,
अविप्रेिणा की क्तथिवत व्यक्तित्व पि प्रिाि र्ालती है औि