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1. मौर्य कालीन अर्यव्यवस्र्ा
Dr. Virag Sontakke
Assistant Professor
Center for Advanced Studies
Department of A.I.H.C. & Archaeology,
Banaras Hindu University
3. प्रस्तावना
• साम्राज्य की स्र्ापना
• राजनीतिक स्स्र्रिा का काल
• समर् : c 325 to 180 BCE.
• सुदृढ़ प्रशासन
• उन्नि अर्यव्यवस्र्ा
• साांस्क
ृ तिक तवकास
4. स्त्रोि
• सातिस्िक: अर्यशास्त्र, बौद्ध
सातिि, जैन सातिि
• तवदेशी र्ात्री तववरण :
मेगसर्नीज़, ऐररर्न
• पुरािास्िक : उत्खतनि
पुरास्र्ल, अतिलेख, तसक्क
े ,
मुिरें, मृदिाांड, अन्य पुरावशे
5. मौर्य अर्यव्यवस्र्ा क
े
अवर्व
Economy
Art and
Crafts
Agriculture
Animal
Husbandry
Internal
and
External
Trades
Improvemen
t of
Technology
Urban
Economy
and
Growth
of cities
Resource
utilization
Trade and
Commerce
6. पशुपालन
• पशु प्रर्ोग: खाद्य , मवेशी सुरक्षा, क
ृ त , िार विन, सैन्य
• कौतिल्य : क
ृ त सांबांति कार्य पशुपालांन पर तनियर
• अशोक क
े तशलालेख : मौर्य पाकशाला में िजारोां-लाखोां पशु पक्षी िोजन िेिु मारे जािे र्े
• अर्यशास्त्र : पशुओां को उनकी उपर्ोतगिा अनुसार खुराक
• कौतिल्य : क
ां बोज, तसांि क
े घोड़े उत्तम
• तदर्ोडोरस : िारि में अच्छी नस्ल क
े िार्ी
• कौतिल्य : राजा की तवजर् का प्रमुख सािन = िार्ी
• िातर्र्ोां का उपिार मूल्यवान: चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेलुकस को 500 िार्ी तदए
• क
ु त्तोां का प्रर्ोग रखवाली, तशकार एवां अपरािी का पिा लगाने िेिु
• झेलम क
े शासक सौिूति ने तसक
ां दर को 150 खूांखार क
ु त्ते िेि तकए जो तसांि को कािने में
िी निीांतिचकिे र्े
7. पशुपालन
• पशु तबक्री एवां पशुओां से उत्पन्न आर् पर कर का प्राविान
• पशुप्रतिकर : वे ग्राम जो राज्य को पशु रूप मे कर दे
• चरवािोां क
े प्रकार : गोपालक (गार् चराने वाले), तपांडारक (िैंस चराने वाले),दोिक (दुिने
वाले), तिांसक पशुओां से रक्षा करने वाले
• पशु तचतकत्सा, सुरक्षा एवां कल्याण पर पर्ायप्त ध्यान एवां दांड तविान
• पशुओां का प्रजनन, दुग्ध एवां माांस तबक्री : राज्य द्वारा तनर्ांतत्रि
• अर्यशास्त्र :राज्य की ओर से बड़ी सांख्या में मवेशी एवां गज अश्व पाले जािे र्े
• गो-अध्यक्ष, अश्वाध्यक्ष,की तनर्ुस्ि
• अशोक का तशलालेख 12: चारागािोां क
े अतिकारी = व्रज िूतमक का उल्लेख
• मेगसर्नीज़ : पशु तविाग प्रमुख एवां सिर्ोगी अतिकाररर्ोां का उल्लेख
• गोप सांज्ञक अतिकारी : चारागािोां का ब्योरा दजय करिा र्ा
8. क
ृ त
• मौर्य र्ुग में क
ृ त की अर्यव्यवस्र्ा में प्रिानिा
• क
ृ त राज्य क
े प्रिक्ष तनर्ांत्रण में ?
• क
ृ त को व्यवस्स्र्ि ढांग से कराना एवां उत्पाद में वृस्द्ध: राजा का कियव्य एवां दातर्ि
• अर्यशास्त्र : क
ृ त राज्य की शस्ि
• मेगस्र्नीज़ : शत्रु सेना िी क
ृ कोां को क्षति निीांपहुचािी िै
• ऐरीर्न : जीवन तनवायि क
े तलए िारि ले तनवासी क
ृ त पर तनियर
• कौतिल्य : क
ृ त अन्य व्यवसार्ोां की अपेक्षा श्रेष्ठ
• व्यापाररर्ोां द्वारा क
ृ त िेिु ऋण
• सरकारी ऋण उपलब्ध
10. िूतम
• िूतम क
े प्रकार : राजकीर् स्वातमि वाली , व्यस्िगि स्वातमि वाली
• सरकारी फामय सीिाध्यक्ष क
े अिीन
• सीिाध्यक्ष : िूतम प्रकार एवां उत्पाद अनुसार कर तनिायरण, बीज िांडारण, क
ृ त उपकरण प्रदान करना,
तसांचाई व्यवस्र्ा
• गोप सांज्ञक : क
ृ त िेिु र्ोग्य-अर्ोग्य िूतम एवां उपज का ब्योरा रखने वाला
• सरकारी फामय में खेिी अपने िल-बैल-बीजोां द्वारा = फसल का ½ राज्य का
• सरकारी फामय में खेिी सरकारी िल-बैल-बीजोां द्वारा =फसल का ¼ िाग स्वर्ां का
• अक
ृ ष्ट = ऊसर िूतम
• स्र्ल = बांजर िूतम
• क
ृ ष्ट = उवयर िूतम
• नए गावोां की स्र्ापना क
ृ त कमय िेिु : पिन उन्मुख ग्रामोां से क
ृ क बसा कर
• परिी िूतम में खेिी कराने िेिु राज्य द्वारा क
ृ कोां को सरकारी बीज-िल-बैल देकर प्रेररि करना
11. फसल
• बीज बोने से पूवय 7 तदन ओस मे रखना चातिए और तदन में सुखाना चातिए
• अर्यशास्त्र : मौसम क
े अनुसार 3 प्रमुख फसल = िेमन्त (रबी), ग्रैस्िक (खरीफ), क
े दार
(जार्द)
• शाली, व्रीति,तिल,कोांदो,तमचय,जाफरान : व ाय ऋिु
• जौ, गेंहू, सरसोां, मसूर, क
ु लर्ी : व य की समास्प्त पर
• श्रम, व्यर् और लाि क
े आिार पर 3 प्रकार की फसलें = तनक
ृ ष्टम (ईख), मध्यम
(सिार्क-सब्जी), उत्तम (चावल)
• नदी िि व दलदली िूतम पर : कद् दू , लौकी, फल
• क
ु एां क
े पानी सीांची जाने वाली : तजनकी जड़ िक्ष्य
• निर, िड़ाग, झील क
े पास की िूतम : चारे उगाने िेिु
• बाढ़ की दोमि तमट्टी : तमचय, अांगूर, ईख
12. तसांचाई
• प्राक
ृ तिक सािन + मानव तनतमयि क
ृ तत्रम सािन
• अर्यशास्त्र : तसांचाई िेिु तवतवि सािन- िार् से क
ु एां का पानी खीांच कर, अन्य स्र्ान से ढो कर, सीिे निरोां से , सीिे
नदी, िड़ागोां, झीलोां से
• चुल्लवग्ग: रिि, ढेक
ु ल, पुर द्वारा तसांचाई का उल्लेख
• तसांचाई का पानी रोकना/अनुतचि रास्तोां पर ले जाना दांडनीर् अपराि
• कौतिल्य : राजा को चातिए की तसन्चाई िेिु नतदर्ोां पर बाांि बनवाए और व ाय क
े पानी को बड़े जलाशर्ोां में सांतचि
करे
• 20 िलोां से जोिी जाने वाली िूतम िेिु राज्य क
ु आां का तनमायण करार्ें
• तजन िालाबोां में नदी का जल ना आिा िो उन पर रिि से तसांचाई
• मेगसर्नीज़ : क
ृ त र्ोग्य िूतम का अतिकाांश िाग तसांतचि रििा िै
• अर्यशास्त्र : नवीन िड़ाग तनमायण कराने वाले व्यस्ि से 5 व य िक कर निीांलेना चातिए
• पुरािास्िक प्रमाण :
• क
ु म्रािार से मौर्य कालीन निर क
े पुरावशे जो गांगा-सोन से जुड़ी र्ी
• जूनागढ़ अिीलेख : सुदशयन झील का तनमायण
• बेसनगर से निर क
े प्रमाण
• वलर् क
ू प : क
ु छ का प्रर्ोग तसांचाई िेिु
14. मौर्य कालीन दुतियक्ष
• सोिगौरा िाम्रपत्र: श्रावस्ती क
े 2 अन्न कोष्ठागारोां
का उल्लेख तजनका उपर्ोग क
े वल दुतियक्ष क
े
समर्
• मिास्र्ान अतिलेख: सांकि काल क
े तलए
सांतचि अन्न क
े कोष्ठागारोां का उल्लेख
• जािक कर्ाएँ : काशी, कोशल में अकाल
• मिावग्ग: अकाल पीतड़ि लोगोां द्वारा साांप खाने
का वणयन
• सुत्ततनपाि: वैशाली में अकाल
• श्रवणबेलगोला क
े अतिलेख: 12 व य का दुतियक्ष
15. क
ृ षि कर
• तवशाल साम्राज्य की आतर्यक आवश्यिाएँ अतिक : कर की दरोां में वृस्द्ध
• अर्यशास्त्र : प्रजा मनु वैवस्वि क
े काल से राजा को क
ृ त उत्पाद का 1/6 कर रूप में देिी आ रिी िै
• बतल: तनजी िूतम पर खेिी करने वालोां क
ृ कोां से अतनर्तमि कर = उत्पाद का ¼
• वी.ए.स्िर् + शामशास्त्री : बतल = िातमयक कर
• िाग = प्रजा को सुरक्षा देने क
े बदले वेिन क
े रूप मे राज्य को क
ृ त उत्पाद का 1/6 तिस्सा
• तिरण्य = तनर्तमि कर = उपज का 1/10
• उदक िाग = तसांचाई क
े तनजी स्त्रोिोां से तदर्े जाने वाले पानी पर लगार्ा गर्ा कर
• कौतिल्य : आपािकाल मे कर = उत्पाद का 1/3 र्ा ¼ तिस्सा
• तदर्ोडोरस : क
ृ क उत्पाद का ¼ राजा को कर रूप में देिा र्ा
• स्ट्राबो : राज्य क
ृ क को उत्पाद का ¼ िाग देिा र्ा (जो राजकीर् िूतम पर काम करिे र्े)
• सीिाध्यक्ष : िू-राजस्व वसूल कर सरकारी कोश को िेजिा र्ा
16. क
ृ त कर : पुरािास्िक प्रमाण
• रुम्मिनदेई अतिलेख
17. उपकरण
• उपकरण : लौि का प्रचुर प्रर्ोग
• उत्खननोां से तवतिन्न प्रकार क
े क
ृ त उपकरण प्राप्त
• िल का फाल, क
ु ल्हाड़ी, ितसर्ाँ इिातद
• खाद : मछतलर्ोां की, पशु ितिर्ोां का चूणय, आक का दू ि, गोबर, घी, शिद, चबी
• फसल को चूिोां से बचाने िेिु तबस्ल्लर्ाँ छोड़नी चातिर्ें
• खाद्य में जिरीली चीज तमल कर रखे
18. तशल्प एवां उद्योग
• मेगस्र्नीज़ : िारि में तवतिन्न व्यवसार्ोां द्वारा जीवन र्ापन
• सिी प्रमुख उद्योग राज्य क
े तनर्ांत्रण व प्रबांिन में
• तदर्ोडोरस : प्रशासन तशस्ल्पर्ोां की शो ण से रक्षा करिा र्ा
• कौतिल्य : राज्य िन आतद देकर तशस्ल्पर्ोां की सिार्िा करिा
र्ा
• अर्यशास्त्र : तशस्ल्पर्ोां को क्षति पहुांचाने पर दांड तविान
1. COINS
2. METAL
3. BEADS
4. IVORY
5. SHELL
6. TERRACOTA
7. GLASS
8. BRICKS
9. CARPENTORS
10. SMITHS
19. वस्त्र उद्योग
• सूत्राध्यक्ष क
े अिीन वस्त्र उद्योग
• बुनकरोां से ऊन, कपास, रेशम, छल, िसर क
े रेशोां से सूि किवािा र्ा
• सूि की गुणवत्ता एवां सूि कािने में लगे श्रम अनुररोप पाररश्रतमक
• मेगस्र्नीज़ : िारि क
े लोग वस्त्रोां पर तवशे ध्यान देिे िै
• तनर्ाक
य स + एररर्न : िारिीर् मलमल सवायतिक सफ
े द व चमकीला
• सूिी वस्त्र क
ें द्र : मर्ुरा, कतलांग, वत्स, काशी, मति मिी
• रेशम क
ें द्र : काशी, मगि, पुांड
र (बांगाल), सुवणयक
ु ड़र् (असम)
• अर्यशास्त्र : 10 प्रकार क
े ऊनी वस्त्र= क
ां बल, वणयक, समांि िद्रक इिातद
• रांगरेज़ को िुलाई से दो गुणा पाररश्रतमक
20. खतनज उद्योग
• अर्यशास्त्र : राजको खदानोां पर आिाररि
• नवीन खदानोां की खोज िेिु राजकीर् प्रर्ासोां क
े उल्लेख
• समस्त िािु कार्यशालोां पर राज्य का तनर्ांत्रण
• खदान तविाग : आकराध्यक्ष क
े अिीन
• आकराध्यक्ष : िािु तवद्या की सिी जानकारी, िािु-रत्न पिचानने की र्ोग्यिा
• कौतिल्य : सोना,चाांदी, िाांबा, सीसा,िीन, पीिल,काांस्य, नामक,पारा आतद खतनजोां का वणयन
• शासकीर् तनरीक्षक : तनमायण, तवक्रर्, तविरण - लोिाध्यक्ष, सुवणायध्यक्ष, लक्षणाध्यक्ष,
लवणाध्यक्ष, आर्ुिागाराध्यक्ष, खानवाध्यक्ष (समुद्रीर् शांख,मूांगा)इिातद
• मालव और क्षुद्रकोां द्वारा तसक
ां दर को िेंि में श्वेि लौि क
े 100 िैलेंि तदए गए
• आिू ण तनमायण, मुद्रा तनमायण , पात्र तनमायण, अस्त्र-शास्त्र तनमायण
21. काष्ठ उद्योग
• मेगसर्नीज़ : मौर्य कालीन बढ़ई और लकड़िारोां का
उल्लेख
• तवकतसि काष्ठ उद्योग एवां स्र्ापि
• क
ु म्रािार : पािीलीपुत्र क
े काष्ठ राजप्रासाद क
े पुरावशे
• अर्यशास्त्र : वनोां पर राज्य का पूणय तनर्ांत्रण
• क
ु प्याध्यक्ष सांज्ञक : वनोां की सुरक्षा एवां सांवियन िेिु
अतिकारी
• लकड़िारे स्विांत्रिापूवयक वनोां से कच्चा माल निीां प्राप्त
22. चमय उद्योग
• अर्यशास्त्र : चमय उद्योग तनजी क्षेत्र का व्यवसार्
• मेगसर्नीज़ + तनर्ाक
य स : चमड़े क
े बने सफ
े द उत्तम ऊ
ां ची एड़ी क
े जूिोां का
उल्लेख
• कौतिल्य : चमय को रत्नोां की कोिी में रखा
• चमय का मिि
• तवतिन्न प्रकार की चमय का तववरण
• मुलार्म, तचकनी, अतिक बालोां वाली चमय उत्तम
23. नमक उद्योग
• नमक उद्योग राज्य क
े अिीन तनर्ांत्रण में
• लवणाध्यक्ष : नमक उद्योग का अतिकारी
• अर्यशास्त्र : नमक क
े तनमायण, तवक्रर्, तविरण की व्यवस्र्ा
• राज्य अनुमति क
े तबना नमक क्रर् तवक्रर् तनत द्ध
• कौतिल्य : तनजी िौर पर नमक बनाने िेिु लाइसेन्स
• लाइसेन्स रखने वाले व्यापारी एक तनिायररि िाग कर क
े रूप में देिे र्े
• कार्यशाला का तकरार्ा : लवाणाध्यक्ष को देर्
24. मतदरा तनमायण
• मतदरा का व्यापक प्रचलन
• मििपूणय और लािप्रद उद्योग
• राज्य तनर्ांत्रण
• सुराध्यक्ष क
े अिीन पृर्क तविाग
• अनुिवी व्यस्िर्ोां द्वारा तवतिन्न प्रकार की मतदराओां का तनमायण एवेम तवक्रर्
• अर्यशास्त्र : तवक्रर् िेिु तनतिि स्र्ान
• अच्छे आचरण वालोां को िी तनिायररि मात्रा में सुरापान करने की अनुमति
• तवशे अवसरोां पर गृिस्र्ोां को 2 - 4 तदन क
े तलए सुरा बनाने की अनुमति
25. खतनज उद्योग अतिकारी
• सौवतणयक सांज्ञक : वैितनक स्वणयकारोां से आिू ण बनवाने वाला
• पौिवाध्यक्ष सांज्ञक : सिी वज़न व िुला-बाांि का परीक्षण करने वाला
• रूप दशयक सांज्ञक : तसक्कोां की शुद्धिा की जाांच करने वाला
• खानवाध्यक्ष : समुद्रीर् शांख-मूांगा का शोिन कराकर आिू ण तनमायण करने वाला
26. अस्त्र शस्त्र तनमायण उद्योग
• पूणयरूपेण राजकीर् तनर्ांत्रण में
• आर्ुिागाराध्यक्ष क
े अिीन
• र्ुद्धोांपर्ोगी तवतिन्न अस्त्र शास्त्र,
र्ांत्र, चक्र, कवच का तनमायण
• क
ु शल कारीगरोां की तनर्ुस्ि
• िीन प्रकार की िलवारें, पाँच
प्रकार क
े किार
30. श्रेणी सांगठन
• सांिूर्समुत्थान : व्यावसातर्क सांगठन जो साांझेदारी / सिकाररिा से कार्य करिे िै
• व्यापार वातणज्य में साांझेदारी की परांपरा की उत्पतत्त
• श्रेतणर्ाँ तवश्वसनीर् व्यस्ि/सांस्र्ा क
े पास अपना िन जमा कर सकिी र्ी
• श्रेतणर्ाँ ऋण िी प्रदान करिी र्ी
• कौतिल्य : श्रेणी से प्राप्त कर एवां िेंि राज्य की आर् क
े प्रमुख स्त्रोिोां में एक
• िीिा : मौर्य तलतप मे लेखर्ुि श्रेणी सांगठनोां की मुिरें
31. श्रेणी सांगठन
• प्रमुख उद्योग एवां व्यवसार् राज्य क
े प्रिक्ष तनर्ांत्रण में
• श्रेणी सांगठनोां की स्विांत्रिा एवां स्वार्त्तिा सांक
ु तचि
• नगर क
े एक िी िाग में श्रेतणर्ोां क
े सदस्योां को एक सार्
रििे िै
• राज्य द्वारा उनक
े कार्य एवां गतितवतिर्ोां पर तनगरानी एवां
तनर्ांत्रण
• अक्षपिलाध्यक्ष : श्रेणी क
े कार्ों,कानूनोां को लेखबद्ध
करना
• कौतिल्य : आतर्यक सांकि क
े समर् तवतवि उपार्ोां द्वारा
श्रेतणर्ोां से अतिकातिक सांपतत्त प्राप्त करे
• श्रेणी सांगठनोां क
े तनर्मोां को राज्य ने मान्यिा दी
• अविेलना करने पर राजकीर् दांड का तविान
32. मौर्य कालीन कर प्रणाली
• करोां क
े बदले क
ें तदर् व्यवस्र्ा सुरक्षा, शाांति और प्रजा को सुतविाए प्रदान करिी र्ी
• अर्यशास्त्र : कर तनिायरण से पिले अतिकाररर्ोां द्वारा वस्तु का प्रचतलि मूल्य,पूतिय और माँग का उत्पन
व्यर् आतद अनेक बािोां पर तवचार तकर्ा जािा र्ा
• कौतिल्य : मिुमक्खी जैसे र्ोड़ा-र्ोड़ा रस छत्ते क
े तलए इकट्ठा करिी िै, वैसे िी राजा को प्रजा पर र्ोड़ा-
र्ोड़ा कर लगाना चातिए।
• अर्यशास्त्र : जैसे बैल पर िीरे-िीरे बोझ बढ़ािे िै, वैसे िी कर को िीरे –िीरे बढ़ाना चातिए
• समाििाय = करप्रमुख अतिकारी र्ा। उसक
े द्वारा िेजे गए तनरीक्षक तकससे तकिना कर तलर्ा जाए और
तकिनी छ
ू ि दी जाए इसका तववरण िैर्ार करिे र्े
• गोप = ५-१० गाँवोां की खेिी, सीमा, ख़रीद-तबक्री का तववरण तलखिा र्ा। वि गावोां क
े घरोां की सूची िैर्ार
करिा र्ा और तलखिा र्ा तक तकससे तकिना कर वसूल करना िै
• जल कर, चुांगी कर, िोल िर्ा सीमा शुल्
क
• वातनक उपज िर्ा िािुओां आतद क
े खनन से िी करोां की वसूली की जािी र्ी।
34. मौर्य कालीन कर प्रकार
1. िाग : उपज का १/६ िाग
2. बतल: िाग क
े अतिररि िूतम कर
3. कर: सांपतत्त पर लगने वाला वात यक कर
4. तपण्डकर: सम्पूणय ग्राम द्वारा तदर्ा जानेवाला कर
5. उत्सांग : राजा को प्रजा द्वारा दी जानेवाली िेंि
6. सीिा : राजकीर् िूतम से प्राप्त कर
7. सेना-िि: गाँवोां से गुजरने पर सेना को प्रद्दत्त कर
8. औपार्तनक: उपिार
9. पाश्वय : अतिक लाि पर अतिररि कर
10. कोष्टेर्क : पानी िूतम पर कर
11. मरतिनक : पशुओां द्वारा की गर्ी िातन की क्षति पूतिय िेिु कर
12. राष्टर , दुगय, खानें,सेिु, वन, वज्र (पशुिन), वतणकपर्, शुल्क (सामान्य कर), दण्ड
35. व्यापार-वातणज्य
• अर्यशास्त्र : व्यापाररक नगर िन उत्पादन एवां वातणज्य क
े मुख्य क
ें द्र
• व्यापार राजकीर् तनर्ांत्रण में : उन्नति िेिु कारगार कदम
• कौतिल्य : राज्य को बड़ी नौकाओां िेिु उतचि बांदरगािोां की व्यवस्र्ा करनी चातिए
• व्यापाररर्ोां की जान माल की सुरक्षा िेिु अतिकाररर्ोां की तनर्ुस्ि - चोरज्जुक सांज्ञक अतिकारी
• राजा द्वारा मागय में र्ातत्रर्ोां की सुरक्षा सांबांिी जारी तलस्खि आदेश
• नए मागों का तनमायण, पुराने मागों में सुिार
• िर १० स्ट्ेतडर्ा की दू री पर स्र्ान-दू री-मागों क
े तववरण र्ुि प्रस्तर एवां तदशा सूचक िस्िर्ाँ
• अशोक क
े अतिलेख : मागों में क
ु एां एवां तवश्राम शालाएँ बनवाई
• मेगसर्नीज : िारि क
े लोग सड़क तनमायण में दक्ष
36. व्यापार-वातणज्य प्रतक्रर्ा
• कौतिल्य : राज्य द्वारा सिी वस्तुओां क
े मूल्य तनिायररि
• दैतनक उपर्ोग की वस्तुओां की कीमिें प्रतितदन घोत ि
• मेगसर्नीज़ : पािीलीपुत्र क
े प्रशासन िेिु ६ सतमतिर्ाँ
• ३ सतमतिर्ाँ व्यापार वातणज्य से सांबांतिि कार्ों िेिु
• चौर्ी सतमति क्रर्-तवक्रर् मूल्य, देर् शुल्क जाांच िेिु
• ५ वी सतमति िैर्ार माल का परीक्षण िेिु, नए-पुराने माल की पृर्क तबक्री की व्यवस्र्ा िेिु
• छठी सतमति व्यापाररक माल पर देर् कर/शुल्क को वसूलने िेिु
• अर्यशास्त्र : एक से अतिक वस्तुओां का व्यापार करने पर दुगना कर
• उत्पाद क्षेत्रोां से उत्पादोां को सीिे खरीदना दांडनीर् अपराि
• देशज एवां तवदेशी वस्तुओां पर क्रमशः ५ और १० % लाि िी तलर्ा जा सकिा र्ा
• व्यापाररक िेरा फ
े री, िोखा िड़ी दांडनीर् अपराि
38. व्यापार की वस्तुएँ
• हाथी,अश्व,क
ं बल कस्तूरी,सुगंषित छाल,चमा,सोना,चांदी
षहमालय
• मूल्यवान पत्थर, सोना,शंख
दषक्षण भारत
• कपास वस्त्र
काशी,वंग,अपरांत,कषलंग
• ऊनी वस्त्र
नेपाल पन्जाब
• ज़री क
े दुशाला
कश्मीर
• ऊन
मगि, पुंड्
र ,असम
• रेशम,मृदभांड्,काष्ठ,बांस,चंदन,गेरू,पशु,मषदरा,हाथीदांत, सब्जी
अन्य
39. व्यापाररक मागय
• रर् क
े आने जाने का मागय ७.५ फ
ु ि चौड़ा
• पशुओां क
े आवागमन का मागय ३ फ
ु ि चौड़ा
• क
ू लपर् = समुद्र /नदी का ििविी पर्
• सांर्ानपर् = पानी क
े बीच से जाने वाला मागय
• सांर्ानपर् की अपेक्षा क
ू लपर् अतिक लािकर
• अर्यशास्त्र : र्ात्रा प्रारांि करने से पिले की
िैर्ारी व साविातनर्ोां का उल्लेख
40. प्रमुख मागय
• उत्तरापर् : िक्षतशला से िाम्रतलपिी वार्ा
पुष्कलाविी, श्रावस्ती पािीतलपुत्र, राजगृि,
वैशाली
• पािीतलपुत्र से नेपाल
• पािीतलपुत्र से कतलांग, आांध्र, कनायिक
• दतक्षणापर् : श्रावस्ती से प्रतिष्ठान वार्ा
कौसाम्बी अवांिी, उज्जैन
• कतलांग पर अतिकार : पूवी समुद्रििीर्
व्यापाररक मागय पर मौर्य आतिपि
41.
42. तवदेशी व्यापार: राजनीतिक पररदृश्य
• चन्द्रगुप्त मौर्य : क
ां िार, काबुल, िेराि, बलूतचस्तान
• मौर्य सीमा ईरान िक पहुांची
• तबन्दुसार : सीररर्ा क
े शासक अांतिर्ोकस प्रर्म ने दू ि िेजा
• स्िनी : तमस्र क
े राजा िोलमी तद्विीर् ने दू ि िेजा
• अशोक का तशलालेख १३: ५ र्ूनानी नृपतिर्ोां से सांबांि- सीररर्ा,
तमस्र, मकदू तनर्ा, एपररस, सीरीन
• बौद्ध सातिर् : अशोक ने तसांिल व सुवणयिूतम में प्रसार तकर्ा
• चीन, बैस्रर र्ा, श्रीलांका, सुवणयिूतम, फरस, तमस्र से व्यापार
43. तवदेशी व्यापार की वस्तुएँ
• पारसमुद्रक = श्रीलांका क
े उत्क
ृ ष्ट मतण एवां मोिी
• कौलेर् = श्रीलांका क
े क
ु ला नदी का मोिी
• चीनपट्ट = चीनी रेशम
• कादयतमक = फरस का काडयम नदी का मोिी
• अलक
ां दक = अलेग्जेन्दररर्ा का मूांगा
• कालेर्क = सुवणयिूतम का पीला chandan
• तमस्र से िार्ीदाँि, लकड़ी
45. तनष्क य
• अर्यव्यवस्र्ा का तवकास राज्य की तजम्मेदारी
• कोश वृस्द्ध िेिु नवीन व्यवस्र्ा
• तवतवि व्यवसार्ोां पर राज्य का पूणय तनर्ांत्रण
• राज्य द्वारा अर्यव्यवस्र्ा क
े अवर्वोां को प्रश्रर् एवां प्रोत्सािन
• उन्नि कर प्रणाली
• कर मुस्ि का प्राविान