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मौर्य कालीन अर्यव्र्वस्र्ा
Prachi Virag Sontakke
Assistant Professor
Center for Advanced Studies
Department of A.I.H.C. & Archaeology,
Banaras Hindu University
Economic Progress
in Mauryan Period
प्रस्तावना
• साम्राज्र् की स्र्ापना
• राजनीततक स्स्र्रता का काल
• समर् : c 325 to 180 BCE.
• सुदृढ़ प्रशासन
• उन्नत अर्यव्र्वस्र्ा
• साांस्कृ ततक ववकास
स्रोत
• साहिस्यर्क : अर्यशास्र,
बौद्ध साहियर्, जैन साहियर्
• ववदेशी र्ारी वववरण :
मेगसर्नीज़, ऐररर्न
• पुरातास्यवक : उयखतनत
पुरास्र्ल, अभिलेख, भसक्क
े ,
मुिरें, मृदिाांड, अन्र्
पुरावशेष
मौर्य अर्यव्र्वस्र्ा
क
े अवर्व Economy
Art and
Crafts
Agriculture
Animal
Husbandry
Internal and
External
Trades
Improvement
of Technology
Urban
Economy
and
Growth of
cities
Resource
utilization
Trade and
Commerce
पशुपालन
• पशु प्रर्ोग : खाद्र् , मवेशी सुरक्षा, कृ वष, िार विन, सैन्र्
• कौहिल्र् : कृ वष सांबांधध कार्य पशुपालांन पर तनियर
• अशोक क
े भशलालेख : मौर्य पाकशाला में िजारों-लाखों पशु पक्षी िोजन िेतु
मारे जाते र्े
• अर्यशास्र : पशुओां को उनकी उपर्ोधगता अनुसार खुराक
• कौहिल्र् : क
ां बोज, भसांध क
े घोड़े उत्तम
• हदर्ोडोरस : िारत में अच्छी नस्ल क
े िार्ी
• कौहिल्र् : राजा की ववजर् का प्रमुख साधन = िार्ी
• िाधर्र्ों का उपिार मूल्र्वान : चन्रगुप्त मौर्य ने सेलुकस को 500 िार्ी हदए
• क
ु त्तों का प्रर्ोग रखवाली, भशकार एवां अपराधी का पता लगाने िेतु
• झेलम क
े शासक सौिूतत ने भसक
ां दर को 150 खूांखार क
ु त्ते िेि ककए जो भसांि
को कािने में िी निीां हिचकते र्े
पशुपालन
• पशु बबक्री एवां पशुओां से उयपन्न आर् पर कर का प्रावधान
• पशुप्रततकर : वे ग्राम जो राज्र् को पशु रूप मे कर दे
• चरवािों क
े प्रकार : गोपालक (गार् चराने वाले), वपांडारक (िैंस चराने
वाले),दोिक (दुिने वाले), हिांसक पशुओां से रक्षा करने वाले
• पशु धचककयसा, सुरक्षा एवां कल्र्ाण पर पर्ायप्त ध्र्ान एवां दांड ववधान
• पशुओां का प्रजनन, दुग्ध एवां माांस बबक्री : राज्र् द्वारा तनर्ांबरत
• अर्यशास्र :राज्र् की ओर से बड़ी सांख्र्ा में मवेशी एवां गज अश्व पाले जाते र्े
• गो-अध्र्क्ष, अश्वाध्र्क्ष,की तनर्ुस्क्त
• अशोक का भशलालेख 12: चारागािों क
े अधधकारी = व्रज िूभमक का उल्लेख
• मेगसर्नीज़ : पशु वविाग प्रमुख एवां सिर्ोगी अधधकाररर्ों का उल्लेख
• गोप सांज्ञक अधधकारी : चारागािों का ब्र्ोरा दजय करता र्ा
कृ वष
• मौर्य र्ुग में कृ वष की अर्यव्र्वस्र्ा में प्रधानता
• कृ वष राज्र् क
े प्रयर्क्ष तनर्ांरण में
• कृ वष को व्र्वस्स्र्त ढांग से कराना एवां उयपाद में वृद्धध : राजा का कतयव्र् एवां
दातर्यव
• अर्यशास्र : कृ वष राज्र् की शस्क्त
• मेगस्र्नीज़ : शरु सेना िी कृ षकों को क्षतत निीां पिुचाती िै
• ऐरीर्न : जीवन तनवायि क
े भलए िारत ले तनवासी कृ वष पर तनियर
• कौहिल्र् : कृ वष अन्र् व्र्वसार्ों की अपेक्षा श्रेष्ठ
• व्र्ापाररर्ों द्वारा कृ वष िेतु ऋण
• सरकारी ऋण उपलब्ध
कृ षि
साधन
िूभम
कर
फसल
भसांचाई
िूभम
• िूभम क
े प्रकार : राजकीर् स्वाभमयव वाली , व्र्स्क्तगत स्वाभमयव वाली
• सरकारी फामय सीताध्र्क्ष क
े अधीन
• सीताध्र्क्ष : िूभम प्रकार एवां उयपाद अनुसार कर तनधायरण, बीज िांडारण, कृ वष उपकरण
प्रदान करना, भसांचाई व्र्वस्र्ा
• गोप सांज्ञक : कृ वष िेतु र्ोग्र्-अर्ोग्र् िूभम एवां उपज का ब्र्ोरा रखने वाला
• सरकारी फामय में खेती अपने िल-बैल-बीजों द्वारा = फसल का ½ राज्र् का
• सरकारी फामय में खेती सरकारी िल-बैल-बीजों द्वारा =फसल का ¼ िाग स्वर्ां का
• अकृ ष्ि = ऊसर िूभम
• स्र्ल = बांजर िूभम
• कृ ष्ि = उवयर िूभम
• नए गावों की स्र्ापना कृ वष कमय िेतु : पतन उन्मुख ग्रामों से कृ षक बसा कर
• परती िूभम में खेती कराने िेतु राज्र् द्वारा कृ षकों को सरकारी बीज-िल-बैल देकर प्रेररत
करना
फसल
• बीज बोने से पूवय 7 हदन ओस मे रखना चाहिए और हदन में सुखाना चाहिए
• अर्यशास्र : मौसम क
े अनुसार 3 प्रमुख फसल = िेमन्त (रबी), ग्रैस्ष्मक
(खरीफ), क
े दार (जार्द)
• शाली, व्रीहि,ततल,कोंदो,भमचय,जाफरान : वषय ऋतु
• जौ, गेंिू, सरसों, मसूर, क
ु लर्ी : वषय की समास्प्त पर
• श्रम, व्र्र् और लाि क
े आधार पर 3 प्रकार की फसलें = तनकृ ष्िम (ईख),
मध्र्म (सिार्क-सब्जी), उत्तम (चावल)
• नदी ति व दलदली िूभम पर : कद्दू, लौकी, फल
• क
ु एां क
े पानी सीांची जाने वाली : स्जनकी जड़ िक्ष्र्
• निर, तड़ाग, झील क
े पास की िूभम : चारे उगाने िेतु
• बाढ़ क
े दोमि भमट्िी : भमचय, अांगूर, ईख
भसांचाई
• प्राकृ ततक साधन + मानव तनभमयत कृ बरम साधन
• अर्यशास्र : भसांचाई िेतु 4 साधन- िार् से क
ु एां का पानी खीांच कर, अन्र् स्र्ान से ढो कर, सीधे
निरों से , सीधे नदी, तड़ागों, झीलों से
• चुल्लवग्ग: रिि, ढेक
ु ल, पुर द्वारा भसांचाई का उल्लेख
• भसांचाई का पानी रोकना/अनुधचत रास्तों पर ले जाना दांडनीर् अपराध
• कौहिल्र् : राजा को चाहिए की भसन्चाई िेतु नहदर्ों पर बाांध बनवाए और वषाय क
े पानी को बड़े
जलाशर्ों में सांधचत करे
• 20 िलों से जोती जाने वाली िूभम िेतु राज्र् क
ु आां का तनमायण करार्ें
• स्जन तालाबों में नदी का जल ना आता िो उन पर रिि से भसांचाई
• मेगसर्नीज़ : कृ वष र्ोग्र् िूभम का अधधकाांश िाग भसांधचत रिता िै
• अर्यशास्र : नवीन तड़ाग तनमायण कराने वाल्व व्र्स्क्त से 5 वषय तक कर निीां लेना चाहिए
• पुरातास्यवक प्रमाण :
• क
ु म्रािार से मौर्य कालीन निर क
े पुरावशेष जो गांगा-सोन से जुड़ी र्ी
• जूनागढ़ अिलेख : सुदशयन झील का तनमायण
• बेसनगर से निर क
े प्रमाण
• वलर् क
ू प : क
ु छ का प्रर्ोग भसांचाई िेतु
सुदशयन झील व जूनागढ़ अभिलेख
मौर्य कालीन दुभियक्ष
• सोिगौरा ताम्रपर : श्रावस्ती क
े 2 अन्न
कोष्ठागारों का उल्लेख स्जनका उपर्ोग
क
े वल दुभियक्ष क
े समर्
• मिास्र्ान अभिलेख : सांकि काल क
े
भलए सांधचत अन्न क
े कोष्ठागारों का
उल्लेख
• जातक कर्ाएँ : काशी, कोशल में अकाल
• मिावग्ग : अकाल पीड़ड़त लोगों द्वारा
साांप खाने का वणयन
• सुत्तातनपात : वैशाली में अकाल
• श्रवणबेलगोला क
े अभिलेख : 12 वषय का
दुभियक्ष
कृ षि कर
• ववशाल साम्राज्र् की आधर्यक आवश्र्ताएँ अधधक : कर की दरों में वृद्धध
• अर्यशास्र : प्रजा मनु वैवस्वत क
े काल से राजा को कृ वष उयपाद का 1/6 कर रूप में देती आ रिी िै
• बभल : तनजी िूभम पर खेती करने वालों कृ षकों से अतनर्भमत कर = उयपाद का ¼
• वी.ए.स्स्मर् + शामशास्री : बभल = धाभमयक कर
• िाग = प्रजा को सुरक्षा देने क
े बदले वेतन क
े रूप मे राज्र् को कृ वष उयपाद का 1/6 हिस्सा
• हिरण्र् = तनर्भमत कर = उपज का 1/10
• उदक िाग = भसांचाई क
े तनजी स्रोतों से हदर्े जाने वाले पानी पर लगा कर
• कौहिल्र् : आपातकाल मे कर = उयपाद का 1/3 र्ा ¼ हिस्सा
• हदर्ोडोरस : कृ षक उयपाद का ¼ राजा को कर रूप में देता र्ा
• स्राबो : राज्र् कृ षक को उयपाद का ¼ िाग देता र्ा (जो राजकीर् िूभम पर काम करते र्े)
• सीताध्र्क्ष : िू-राजस्व वसूल कर सरकारी कोश को िेजता र्ा
कृ वष कर : पुरातास्यवक
प्रमाण
• रुम्मिनदेई अभिलेख
साधन
• उपकरण : लौि का प्रचुर प्रर्ोग
• उयखननों से ववभिन्न प्रकार क
े कृ वष उपकरण प्राप्त
• िल का फाल, क
ु ल्िाड़ी, िभसर्ाँ इयर्ाहद
• खाद : मछभलर्ों की, पशु िड्ड़डर्ों का चूणय, आक का दूध, गोबर, घी, शिद, चबी
• फसल को चूिों से बचाने िेतु बबस्ल्लर्ाँ छोड़नी चाहिर्ें/ खाद्र् में जिरीली चीज
भमल कर रखे
भशल्प एवां उद्र्ोग
• मेगस्र्नीज़ : िारत में ववभिन्न व्र्वसार्ों द्वारा जीवन
र्ापन
• सिी प्रमुख उद्र्ोग राज्र् क
े तनर्ांरण व प्रबांधन में
• हदर्ोडोरस : प्रशासन भशस्ल्पर्ों की शोषण से रक्षा करता र्ा
• कौहिल्र् : राज्र् धन आहद देकर भशस्ल्पर्ों की सिार्ता
करता र्ा
• अर्यशास्र : भशस्ल्पर्ों को क्षतत पिुांचाने पर दांड ववधान
1. COINS
2. METAL
3. BEADS
4. IVORY
5. SHELL
6. TERRACOTA
7. GLASS
8. BRICKS
9. CARPENTORS
10. SMITHS
वस्र उद्र्ोग
• सूराध्र्क्ष क
े अधीन वस्र उद्र्ोग
• बुनकरों से ऊन, कपास, रेशम, छल, तसर क
े रेशों से सूत किवाता र्ा
• सूत की गुणवत्ता एवां सूत कािने में लगे श्रम अनुररोप पाररश्रभमक
• मेगस्र्नीज़ : िारत क
े लोग वस्रों पर ववशेष ध्र्ान देते िै
• तनर्ाक
य स + एररर्न : िारतीर् मलमल सवायधधक सफ
े द व चमकीला
• सूती वस्र क
ें र : मर्ुरा, कभलांग, वयस, काशी, महिषमती
• रेशम क
ें र : काशी, मगध, पुांड्र (बांगाल), सुवणयक
ु ड़र् (असम)
• अर्यशास्र : 10 प्रकार क
े ऊनी वस्र= क
ां बल, वणयक, समांत िरक इयर्ाहद
• धोबी का पाररश्रभमक : मोिे वस्र का 2 माष
• रांगरेज़ को धुलाई से दो गुणा पाररश्रभमक
खतनज उद्र्ोग
• अर्यशास्र : राजकोष खदानों पर आधाररत
• नवीन खदानों की खोज िेतु राजकीर् प्रर्ासों क
े उल्लेख
• समस्त धातु कार्यशालों पर राज्र् का तनर्ांरण
• खदान वविाग : आकराध्र्क्ष क
े अधीन
• आकराध्र्क्ष : धातु ववद्र्ा की सिी जानकारी, धातु-रयन पिचानने की र्ोग्र्ता
• कौहिल्र् : सोना,चाांदी, ताांबा, सीसा,िीन, पीतल,काांस्र्, नामक,पारा आहद खतनजों
का वणयन
• शासकीर् तनरीक्षक : तनमायण, ववक्रर्, ववतरण - लोिाध्र्क्ष, सुवणायध्र्क्ष,
लक्षणाध्र्क्ष, लवणाध्र्क्ष, आर्ुधागाराध्र्क्ष, खानवाध्र्क्ष (समुरीर्
शांख,मूांगा)इयर्ाहद
• मालव और क्षुरकों द्वारा भसक
ां दर को िेंि में श्वेत लौि क
े 100 िैलेंि हदए गए
• आिूषण तनमायण, मुरा तनमायण , पार तनमायण, अस्र-शास्र तनमायण
काष्ठ उद्र्ोग
• मेगसर्नीज़ : मौर्य कालीन बढ़ई और लकड़िारों का
उल्लेख
• ववकभसत काष्ठ उद्र्ोग एवां स्र्ापयर्
• क
ु म्रािार : पािीलीपुर क
े काष्ठ राजप्रासाद क
े पुरावशेष
• अर्यशास्र : वनों पर राज्र् का पूणय तनर्ांरण
• क
ु प्र्ाध्र्क्ष सांज्ञक : वनों की सुरक्षा एवां सांवधयन िेतु
अधधकारी
• लकड़िारे स्वतांरतापूवयक वनों से कच्चा माल निीां प्राप्त
कर सकते र्े
चमय उद्र्ोग
• अर्यशास्र : चमय उद्र्ोग तनजी क्षेर का व्र्वसार्
• मेगसर्नीज़ + तनर्ाक
य स : चमड़े क
े बने सफ
े द उत्तम ऊ
ां ची एड़ी क
े जूतों
का उल्लेख
• कौहिल्र् : चमय को रयनों की कोिी में रखा
• चमय का मियव
• ववभिन्न प्रकार की चमय का वववरण
• मुलार्म, चकनी, अधधक बालों वाली चमय उत्तम
नमक उद्र्ोग
• नमक उद्र्ोग राज्र् क
े अधीन तनर्ांरण में
• लवणाध्र्क्ष : नमक उद्र्ोग का अधधकारी
• अर्यशास्र : नमक क
े तनमायण, ववक्रर्, ववतरण की व्र्वस्र्ा
• राज्र् अनुमतत क
े बबना नमक क्रर् ववक्रर् तनवषद्ध
• कौहिल्र् : तनजी तौर पर नमक बनाने िेतु लाइसेन्स
• लाइसेन्स रखने वाले व्र्ापारी एक तनधायररत िाग कर क
े रूप में देते र्े
• कार्यशाला क
े ककरार्ा : लवाणाध्र्क्ष को देर्
महदरा तनमायण
• महदरा का व्र्ापक प्रचलन
• मियवपूणय और लािप्रद उद्र्ोग
• राज्र् तनर्ांरण
• सुराध्र्क्ष क
े अधीन पृर्क वविाग
• अनुिवी व्र्स्क्तर्ों द्वारा ववभिन्न प्रकार की महदराओां का तनमायण एवेम
ववक्रर्
• अर्यशास्र : ववक्रर् िेतु तनस्श्चत स्र्ान
• अच्छे आचरण वालों को िी तनधायररत मारा में सुरापान करने की अनुमतत
• ववशेष अवसरों पर गृिस्र्ों को 2 - 4 हदन क
े भलए सुरा बनाने की अनुमतत
खतनज उद्र्ोग अधधकारी
• सौवर्णयक सांज्ञक : वैततनक स्वणयकारों से आिूषण बनवाने वाला
• पौतवाध्र्क्ष सांज्ञक : सिी वज़न व तुला-बाांि का परीक्षण करने वाला
• रूप दशयक सांज्ञक : भसक्कों की शुद्धता की जाांच करने वाला
• खानवाध्र्क्ष : समुरीर् शांख-मूांगा का शोधन कराकर आिूषण तनमायण करने वाला
अस्र शस्र तनमायण उद्र्ोग
• पूणयरूपेण राजकीर् तनर्ांरण में
• आर्ुधागाराध्र्क्ष क
े अधीन
• र्ुद्धोंपर्ोगी ववभिन्न अस्र शास्र,
र्ांर, चक्र, कवच का तनमायण
• क
ु शल कारीगरों की तनर्ुस्क्त
• िीन प्रकार की तलवारें, पाँच
प्रकार क
े किार
मृण मूततय उद्र्ोग
मृदिाांड उद्र्ोग
श्रेणी सांगठन
• सांिूर्समुयर्ान : व्र्ावसातर्क सांगठन जो साांझेदारी / सिकाररता से कार्य
करते िै
• व्र्ापार वार्णज्र् में साांझेदारी की परांपरा की उयपवत्त
• श्रेर्णर्ाँ ववश्वसनीर् व्र्स्क्त/सांस्र्ा क
े पास अपना धन जमा कर सकती र्ी
• श्रेर्णर्ाँ ऋण िी प्रदान करती र्ी
• कौहिल्र् : श्रेणी से प्राप्त कर एवां िेंि राज्र् की आर् क
े प्रमुख स्रोतों में
एक
• िीिा : मौर्य भलवप मे लेखर्ुक्त श्रेणी सांगठनों की मुिरें
श्रेणी सांगठन
• प्रमुख उद्र्ोग एवां व्र्वसार् राज्र् क
े प्रयर्क्ष तनर्ांरण में
• श्रेणी सांगठनों की स्वतांरता एवां स्वार्त्तता सांक
ु धचत
• नगर क
े एक िी िाग में श्रेर्णर्ों क
े सदस्र्ों को एक सार् रिते िै
• राज्र् द्वारा उनक
े कार्य एवां गततववधधर्ों पर तनगरानी एवां तनर्ांरण
• अक्षपिलाध्र्क्ष : श्रेणी क
े कार्ों,कानूनों को लेखबद्ध करना
• कौहिल्र् : आधर्यक सांकि क
े समर् ववववध उपार्ों द्वारा श्रेर्णर्ों से
अधधकाधधक सांपवत्त प्राप्त करे
• श्रेणी सांगठनों क
े तनर्मों को राज्र् ने मान्र्ता दी
• अविेलना करने पर राजकीर् दांड का ववधान
• श्रेणी प्रमुख स्वर्ां सदस्र्ता समाप्त कर सकता र्ा
मौर्य कालीन कर प्रणाली
• करों क
े बदले क
ें हदर् व्र्वस्र्ा सुरक्षा, शाांतत और प्रजा को सुववधाए प्रदान करती र्ी
अर्यशास्र : कर तनधायरण से पिले अधधकाररर्ों द्वारा वस्तु का प्रचभलत मूल्र्,पूततय और माँग
का उयपन व्र्र् आहद अनेक बातों पर ववचार ककर्ा जाता र्ा
• कौहिल्र् : मधुमक्खी जैसे र्ोड़ा-र्ोड़ा रस छत्ते क
े भलए इकट्ठा करती िै, वैसे िी राजा को
प्रजा पर र्ोड़ा-र्ोड़ा कर लगाना चाहिए।
• अर्यशास्र : जैसे बैल पर धीरे-धीरे बोझ बढ़ाते िै, वैसे िी कर को धीरे –धीरे बढ़ाना चाहिए
• समािताय = करप्रमुख अधधकारी र्ा। उसक
े द्वारा िेजे गए तनरीक्षक ककससे ककतना कर
भलर्ा जाए और ककतनी छ
ू ि दी जाए इसका वववरण तैर्ार करते र्े
• गोप = ५-१० गाँवों की खेती, सीमा, ख़रीद-बबक्री का वववरण भलखता र्ा। वि गावों क
े घरों
की सूची तैर्ार करता र्ा और भलखता र्ा कक ककससे ककतना कर वसूल करना िै
• जल कर, चुांगी कर, िोल तर्ा सीमा शुल्क
• वातनक उपज तर्ा धातुओां आहद क
े खनन से िी करों की वसूली की जाती र्ी।
करों क
े प्रकार
िू
राजस्व
वार्णज्र्
कर
अन्र्
कर
मौर्य कालीन कर प्रकार
1. िाग : उपज का १/६ िाग
2. बभल: िाग क
े अततररक्त िूभम कर
3. कर: सांपवत्त पर लगने वाला वावषयक कर
4. वपण्डकर: सम्पूणय ग्राम द्वारा हदर्ा जानेवाला कर
5. उयसांग : राजा को प्रजा द्वारा दी जानेवाली िेंि
6. सीता : राजकीर् िूभम से प्राप्त कर
7. सेना-िक्त: गाँवों से गुजरने पर सेना को प्रद्दत्त कर
8. औपार्तनक: उपिार
9. पाश्वय : अधधक लाि पर अततररक्त कर
10. कोष्िेर्क : पानी िूभम पर कर
11. मरहिनक : पशुओां द्वारा की गर्ी िातन की क्षतत पूततय िेतु कर
12. राष्र, दुगय, खानें,सेतु, वन, वज्र (पशुधन), वर्णकपर्, शुल्क (सामान्र् कर), दण्ड
व्र्ापार-वार्णज्र्
• अर्यशास्र : व्र्ापाररक नगर धन उयपादन एवां वार्णज्र् क
े मुख्र् क
ें र
• व्र्ापार राजकीर् तनर्ांरण में : उन्नतत िेतु कारगार कदम
• कौहिल्र् : राज्र् को बड़ी नौकाओां िेतु उधचत बांदरगािों की व्र्वस्र्ा करनी चाहिए
• व्र्ापाररर्ों की जान माल की सुरक्षा िेतु अधधकाररर्ों की तनर्ुस्क्त - चोरज्जुक सांज्ञक
अधधकारी
• राजा द्वारा मागय में र्ाबरर्ों की सुरक्षा सांबांधी जारी भलर्खत आदेश
• नए मागों का तनमायण, पुराने मागों में सुधार
• िर १० स्िेड़डर्ा की दूरी पर स्र्ान-दूरी-मागों क
े वववरण र्ुक्त प्रस्तर एवां हदशा
सूचक तस्ख्तर्ाँ
• अशोक क
े अभिलेख : मागों में क
ु एां एवां ववश्राम शालाएँ बनवाई
• मेगसर्नीज : िारत क
े लोग सड़क तनमायण में दक्ष
व्र्ापार-वार्णज्र् प्रकक्रर्ा
• कौहिल्र् : राज्र् द्वारा सिी वस्तुओां क
े मूल्र् तनधायररत
• दैतनक उपर्ोग की वस्तुओां की कीमतें प्रततहदन घोवषत
• मेगसर्नीज़ : पािीलीपुर क
े प्रशासन िेतु ६ सभमततर्ाँ
• ३ सभमततर्ाँ व्र्ापार वार्णज्र् से सांबांधधत कार्ों िेतु
• चौर्ी सभमतत क्रर्-ववक्रर् मूल्र्, देर् शुल्क जाांच िेतु
• ५ वी सभमतत तैर्ार माल का परीक्षण िेतु, नए-पुराने माल की पृर्क बबक्री की व्र्वस्र्ा िेतु
• छठी सभमतत व्र्ापाररक माल पर देर् कर/शुल्क को वसूलने िेतु
• अर्यशास्र : एक से अधधक वस्तुओां का व्र्ापार करने पर दुगना कर
• उयपाद क्षेरों से उयपादों को सीधे खरीदना दांडनीर् अपराध
• देशज एवां ववदेशी वस्तुओां पर क्रमशः ५ और १० % लाि िी भलर्ा जा सकता र्ा
• व्र्ापाररक िेरा फ
े री, धोखा धड़ी दांडनीर् अपराध
व्र्ापाररक अधधकारी
पण्र्ाध्र्क्ष = सवोच्च अधधकारी
वस्तुओां की कीमत तनधायरण, दे/प्राप्र् ब्र्ाज,खचय-लागत, लाि-िातन
संस्थाध्याक्ष
• बाज़ार
अधिकारी
पौतवाध्यक्ष
• तुला,बााँट
अधिकारी
शुल्काध्यक्ष
• चुंगी का
अधिकारी
अंतपाल
• सीिांत
अधिकारी
सिाहताा
• कर
अधिकारी
व्र्ापार की वस्तुएँ
• हाथी,अश्व,क
ं बल कस्तूरी,सुगंधित छाल,चिा,सोना,चांदी
हहिालय
• िूल्यवान पत्थर, सोना,शंख
दक्षक्षण भारत
• कपास वस्र
काशी,वंग,अपरांत,कललंग
• ऊनी वस्र
नेपाल पन्जाब
• ज़री क
े दुशाला
कश्िीर
• परोंणार् ऊन
िगि, पुंड्र,असि
• रेशि,िृदभांड,काष्ठ,बांस,चंदन,गेरू,पशु,िहदरा,हाथीदांत, सब्जी
अन्य
व्र्ापाररक मागय
• रर् क
े आने जाने का मागय ७.५ फ
ु ि चौड़ा
• पशुओां क
े आवागमन का मागय ३ फ
ु ि चौड़ा
• क
ू लपर् = समुर /नदी का तिवती पर्
• सांर्ानपर् = पानी क
े बीच से जाने वाला
मागय
• सांर्ानपर् की अपेक्षा क
ू लपर् अधधक लािकर
• अर्यशास्र : र्ारा प्रारांि करने से पिले की
तैर्ारी व सावधातनर्ों का उल्लेख
प्रमुख मागय
• उत्तरापर् : तक्षभशला से ताम्रभलपती
वार्ा पुष्कलावती, श्रावस्ती पािीभलपुर,
राजगृि, वैशाली
• पािीभलपुर से नेपाल
• पािीभलपुर से कभलांग, आांध्र, कनायिक
• दक्षक्षणापर् : श्रावस्ती से प्रततष्ठान वार्ा
कौसाम्बी अवांती, उज्जैन
• कभलांग पर अधधकार : पूवी समुरतिीर्
व्र्ापाररक मागय पर मौर्य आधधपयर्
ववदेशी व्र्ापार : राजनीततक पररदृश्र्
• चन्रगुप्त मौर्य : क
ां धार, काबुल, िेरात, बलूधचस्तान
• मौर्य सीमा ईरान तक पिुांची
• बबन्दुसार : सीररर्ा क
े शासक अांततर्ोकस प्रर्म ने दूत िेजा
• स्प्लनी : भमस्र क
े राजा िोलमी द्ववतीर् ने दूत िेजा
• अशोक का भशलालेख १३: ५ र्ूनानी नृपततर्ों से सांबांध-
सीररर्ा, भमस्र, मकदूतनर्ा, एपररस, सीरीन
• बौद्ध साहिर् : अशोक ने भसांिल व सुवणयिूभम में प्रसार
ककर्ा
• चीन, बैस्क्रर्ा, श्रीलांका, सुवणयिूभम, फरस, भमस्र से व्र्ापार
ववदेशी व्र्ापार की वस्तुएँ
• पारसमुरक = श्रीलांका क
े उयकृ ष्ि मर्ण एवां मोती
• कौलेर् = श्रीलांका क
े क
ु ला नदी का मोती
• चीनपट्ि = चीनी रेशम
• कादयभमक = फरस का काडयम नदी का मोती
• अलक
ां दक = अलेग्जेन्दररर्ा का मूांगा
• कालेर्क = सुवणयिूभम का पीला chandan
• भमस्र से िार्ीदाँत, लकड़ी
ववनमर्
आित
मुराएँ
तनष्कषय
• अर्यव्र्वस्र्ा का ववकास राज्र् की स्जम्मेदारी
• कोश वृद्धध िेतु नवीन व्र्वस्र्ा
• ववववध व्र्वसार्ों पर राज्र् का पूणय तनर्ांरण
• राज्र् द्वारा अर्यव्र्वस्र्ा क
े अवर्वों को प्रश्रर् एवां प्रोयसािन
• उन्नत कर प्रणाली
• कर मुस्क्त का प्रावधान

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  • 1. मौर्य कालीन अर्यव्र्वस्र्ा Prachi Virag Sontakke Assistant Professor Center for Advanced Studies Department of A.I.H.C. & Archaeology, Banaras Hindu University
  • 3. प्रस्तावना • साम्राज्र् की स्र्ापना • राजनीततक स्स्र्रता का काल • समर् : c 325 to 180 BCE. • सुदृढ़ प्रशासन • उन्नत अर्यव्र्वस्र्ा • साांस्कृ ततक ववकास
  • 4. स्रोत • साहिस्यर्क : अर्यशास्र, बौद्ध साहियर्, जैन साहियर् • ववदेशी र्ारी वववरण : मेगसर्नीज़, ऐररर्न • पुरातास्यवक : उयखतनत पुरास्र्ल, अभिलेख, भसक्क े , मुिरें, मृदिाांड, अन्र् पुरावशेष
  • 5. मौर्य अर्यव्र्वस्र्ा क े अवर्व Economy Art and Crafts Agriculture Animal Husbandry Internal and External Trades Improvement of Technology Urban Economy and Growth of cities Resource utilization Trade and Commerce
  • 6. पशुपालन • पशु प्रर्ोग : खाद्र् , मवेशी सुरक्षा, कृ वष, िार विन, सैन्र् • कौहिल्र् : कृ वष सांबांधध कार्य पशुपालांन पर तनियर • अशोक क े भशलालेख : मौर्य पाकशाला में िजारों-लाखों पशु पक्षी िोजन िेतु मारे जाते र्े • अर्यशास्र : पशुओां को उनकी उपर्ोधगता अनुसार खुराक • कौहिल्र् : क ां बोज, भसांध क े घोड़े उत्तम • हदर्ोडोरस : िारत में अच्छी नस्ल क े िार्ी • कौहिल्र् : राजा की ववजर् का प्रमुख साधन = िार्ी • िाधर्र्ों का उपिार मूल्र्वान : चन्रगुप्त मौर्य ने सेलुकस को 500 िार्ी हदए • क ु त्तों का प्रर्ोग रखवाली, भशकार एवां अपराधी का पता लगाने िेतु • झेलम क े शासक सौिूतत ने भसक ां दर को 150 खूांखार क ु त्ते िेि ककए जो भसांि को कािने में िी निीां हिचकते र्े
  • 7. पशुपालन • पशु बबक्री एवां पशुओां से उयपन्न आर् पर कर का प्रावधान • पशुप्रततकर : वे ग्राम जो राज्र् को पशु रूप मे कर दे • चरवािों क े प्रकार : गोपालक (गार् चराने वाले), वपांडारक (िैंस चराने वाले),दोिक (दुिने वाले), हिांसक पशुओां से रक्षा करने वाले • पशु धचककयसा, सुरक्षा एवां कल्र्ाण पर पर्ायप्त ध्र्ान एवां दांड ववधान • पशुओां का प्रजनन, दुग्ध एवां माांस बबक्री : राज्र् द्वारा तनर्ांबरत • अर्यशास्र :राज्र् की ओर से बड़ी सांख्र्ा में मवेशी एवां गज अश्व पाले जाते र्े • गो-अध्र्क्ष, अश्वाध्र्क्ष,की तनर्ुस्क्त • अशोक का भशलालेख 12: चारागािों क े अधधकारी = व्रज िूभमक का उल्लेख • मेगसर्नीज़ : पशु वविाग प्रमुख एवां सिर्ोगी अधधकाररर्ों का उल्लेख • गोप सांज्ञक अधधकारी : चारागािों का ब्र्ोरा दजय करता र्ा
  • 8. कृ वष • मौर्य र्ुग में कृ वष की अर्यव्र्वस्र्ा में प्रधानता • कृ वष राज्र् क े प्रयर्क्ष तनर्ांरण में • कृ वष को व्र्वस्स्र्त ढांग से कराना एवां उयपाद में वृद्धध : राजा का कतयव्र् एवां दातर्यव • अर्यशास्र : कृ वष राज्र् की शस्क्त • मेगस्र्नीज़ : शरु सेना िी कृ षकों को क्षतत निीां पिुचाती िै • ऐरीर्न : जीवन तनवायि क े भलए िारत ले तनवासी कृ वष पर तनियर • कौहिल्र् : कृ वष अन्र् व्र्वसार्ों की अपेक्षा श्रेष्ठ • व्र्ापाररर्ों द्वारा कृ वष िेतु ऋण • सरकारी ऋण उपलब्ध
  • 10. िूभम • िूभम क े प्रकार : राजकीर् स्वाभमयव वाली , व्र्स्क्तगत स्वाभमयव वाली • सरकारी फामय सीताध्र्क्ष क े अधीन • सीताध्र्क्ष : िूभम प्रकार एवां उयपाद अनुसार कर तनधायरण, बीज िांडारण, कृ वष उपकरण प्रदान करना, भसांचाई व्र्वस्र्ा • गोप सांज्ञक : कृ वष िेतु र्ोग्र्-अर्ोग्र् िूभम एवां उपज का ब्र्ोरा रखने वाला • सरकारी फामय में खेती अपने िल-बैल-बीजों द्वारा = फसल का ½ राज्र् का • सरकारी फामय में खेती सरकारी िल-बैल-बीजों द्वारा =फसल का ¼ िाग स्वर्ां का • अकृ ष्ि = ऊसर िूभम • स्र्ल = बांजर िूभम • कृ ष्ि = उवयर िूभम • नए गावों की स्र्ापना कृ वष कमय िेतु : पतन उन्मुख ग्रामों से कृ षक बसा कर • परती िूभम में खेती कराने िेतु राज्र् द्वारा कृ षकों को सरकारी बीज-िल-बैल देकर प्रेररत करना
  • 11. फसल • बीज बोने से पूवय 7 हदन ओस मे रखना चाहिए और हदन में सुखाना चाहिए • अर्यशास्र : मौसम क े अनुसार 3 प्रमुख फसल = िेमन्त (रबी), ग्रैस्ष्मक (खरीफ), क े दार (जार्द) • शाली, व्रीहि,ततल,कोंदो,भमचय,जाफरान : वषय ऋतु • जौ, गेंिू, सरसों, मसूर, क ु लर्ी : वषय की समास्प्त पर • श्रम, व्र्र् और लाि क े आधार पर 3 प्रकार की फसलें = तनकृ ष्िम (ईख), मध्र्म (सिार्क-सब्जी), उत्तम (चावल) • नदी ति व दलदली िूभम पर : कद्दू, लौकी, फल • क ु एां क े पानी सीांची जाने वाली : स्जनकी जड़ िक्ष्र् • निर, तड़ाग, झील क े पास की िूभम : चारे उगाने िेतु • बाढ़ क े दोमि भमट्िी : भमचय, अांगूर, ईख
  • 12. भसांचाई • प्राकृ ततक साधन + मानव तनभमयत कृ बरम साधन • अर्यशास्र : भसांचाई िेतु 4 साधन- िार् से क ु एां का पानी खीांच कर, अन्र् स्र्ान से ढो कर, सीधे निरों से , सीधे नदी, तड़ागों, झीलों से • चुल्लवग्ग: रिि, ढेक ु ल, पुर द्वारा भसांचाई का उल्लेख • भसांचाई का पानी रोकना/अनुधचत रास्तों पर ले जाना दांडनीर् अपराध • कौहिल्र् : राजा को चाहिए की भसन्चाई िेतु नहदर्ों पर बाांध बनवाए और वषाय क े पानी को बड़े जलाशर्ों में सांधचत करे • 20 िलों से जोती जाने वाली िूभम िेतु राज्र् क ु आां का तनमायण करार्ें • स्जन तालाबों में नदी का जल ना आता िो उन पर रिि से भसांचाई • मेगसर्नीज़ : कृ वष र्ोग्र् िूभम का अधधकाांश िाग भसांधचत रिता िै • अर्यशास्र : नवीन तड़ाग तनमायण कराने वाल्व व्र्स्क्त से 5 वषय तक कर निीां लेना चाहिए • पुरातास्यवक प्रमाण : • क ु म्रािार से मौर्य कालीन निर क े पुरावशेष जो गांगा-सोन से जुड़ी र्ी • जूनागढ़ अिलेख : सुदशयन झील का तनमायण • बेसनगर से निर क े प्रमाण • वलर् क ू प : क ु छ का प्रर्ोग भसांचाई िेतु
  • 13. सुदशयन झील व जूनागढ़ अभिलेख
  • 14. मौर्य कालीन दुभियक्ष • सोिगौरा ताम्रपर : श्रावस्ती क े 2 अन्न कोष्ठागारों का उल्लेख स्जनका उपर्ोग क े वल दुभियक्ष क े समर् • मिास्र्ान अभिलेख : सांकि काल क े भलए सांधचत अन्न क े कोष्ठागारों का उल्लेख • जातक कर्ाएँ : काशी, कोशल में अकाल • मिावग्ग : अकाल पीड़ड़त लोगों द्वारा साांप खाने का वणयन • सुत्तातनपात : वैशाली में अकाल • श्रवणबेलगोला क े अभिलेख : 12 वषय का दुभियक्ष
  • 15. कृ षि कर • ववशाल साम्राज्र् की आधर्यक आवश्र्ताएँ अधधक : कर की दरों में वृद्धध • अर्यशास्र : प्रजा मनु वैवस्वत क े काल से राजा को कृ वष उयपाद का 1/6 कर रूप में देती आ रिी िै • बभल : तनजी िूभम पर खेती करने वालों कृ षकों से अतनर्भमत कर = उयपाद का ¼ • वी.ए.स्स्मर् + शामशास्री : बभल = धाभमयक कर • िाग = प्रजा को सुरक्षा देने क े बदले वेतन क े रूप मे राज्र् को कृ वष उयपाद का 1/6 हिस्सा • हिरण्र् = तनर्भमत कर = उपज का 1/10 • उदक िाग = भसांचाई क े तनजी स्रोतों से हदर्े जाने वाले पानी पर लगा कर • कौहिल्र् : आपातकाल मे कर = उयपाद का 1/3 र्ा ¼ हिस्सा • हदर्ोडोरस : कृ षक उयपाद का ¼ राजा को कर रूप में देता र्ा • स्राबो : राज्र् कृ षक को उयपाद का ¼ िाग देता र्ा (जो राजकीर् िूभम पर काम करते र्े) • सीताध्र्क्ष : िू-राजस्व वसूल कर सरकारी कोश को िेजता र्ा
  • 16. कृ वष कर : पुरातास्यवक प्रमाण • रुम्मिनदेई अभिलेख
  • 17. साधन • उपकरण : लौि का प्रचुर प्रर्ोग • उयखननों से ववभिन्न प्रकार क े कृ वष उपकरण प्राप्त • िल का फाल, क ु ल्िाड़ी, िभसर्ाँ इयर्ाहद • खाद : मछभलर्ों की, पशु िड्ड़डर्ों का चूणय, आक का दूध, गोबर, घी, शिद, चबी • फसल को चूिों से बचाने िेतु बबस्ल्लर्ाँ छोड़नी चाहिर्ें/ खाद्र् में जिरीली चीज भमल कर रखे
  • 18. भशल्प एवां उद्र्ोग • मेगस्र्नीज़ : िारत में ववभिन्न व्र्वसार्ों द्वारा जीवन र्ापन • सिी प्रमुख उद्र्ोग राज्र् क े तनर्ांरण व प्रबांधन में • हदर्ोडोरस : प्रशासन भशस्ल्पर्ों की शोषण से रक्षा करता र्ा • कौहिल्र् : राज्र् धन आहद देकर भशस्ल्पर्ों की सिार्ता करता र्ा • अर्यशास्र : भशस्ल्पर्ों को क्षतत पिुांचाने पर दांड ववधान 1. COINS 2. METAL 3. BEADS 4. IVORY 5. SHELL 6. TERRACOTA 7. GLASS 8. BRICKS 9. CARPENTORS 10. SMITHS
  • 19. वस्र उद्र्ोग • सूराध्र्क्ष क े अधीन वस्र उद्र्ोग • बुनकरों से ऊन, कपास, रेशम, छल, तसर क े रेशों से सूत किवाता र्ा • सूत की गुणवत्ता एवां सूत कािने में लगे श्रम अनुररोप पाररश्रभमक • मेगस्र्नीज़ : िारत क े लोग वस्रों पर ववशेष ध्र्ान देते िै • तनर्ाक य स + एररर्न : िारतीर् मलमल सवायधधक सफ े द व चमकीला • सूती वस्र क ें र : मर्ुरा, कभलांग, वयस, काशी, महिषमती • रेशम क ें र : काशी, मगध, पुांड्र (बांगाल), सुवणयक ु ड़र् (असम) • अर्यशास्र : 10 प्रकार क े ऊनी वस्र= क ां बल, वणयक, समांत िरक इयर्ाहद • धोबी का पाररश्रभमक : मोिे वस्र का 2 माष • रांगरेज़ को धुलाई से दो गुणा पाररश्रभमक
  • 20. खतनज उद्र्ोग • अर्यशास्र : राजकोष खदानों पर आधाररत • नवीन खदानों की खोज िेतु राजकीर् प्रर्ासों क े उल्लेख • समस्त धातु कार्यशालों पर राज्र् का तनर्ांरण • खदान वविाग : आकराध्र्क्ष क े अधीन • आकराध्र्क्ष : धातु ववद्र्ा की सिी जानकारी, धातु-रयन पिचानने की र्ोग्र्ता • कौहिल्र् : सोना,चाांदी, ताांबा, सीसा,िीन, पीतल,काांस्र्, नामक,पारा आहद खतनजों का वणयन • शासकीर् तनरीक्षक : तनमायण, ववक्रर्, ववतरण - लोिाध्र्क्ष, सुवणायध्र्क्ष, लक्षणाध्र्क्ष, लवणाध्र्क्ष, आर्ुधागाराध्र्क्ष, खानवाध्र्क्ष (समुरीर् शांख,मूांगा)इयर्ाहद • मालव और क्षुरकों द्वारा भसक ां दर को िेंि में श्वेत लौि क े 100 िैलेंि हदए गए • आिूषण तनमायण, मुरा तनमायण , पार तनमायण, अस्र-शास्र तनमायण
  • 21. काष्ठ उद्र्ोग • मेगसर्नीज़ : मौर्य कालीन बढ़ई और लकड़िारों का उल्लेख • ववकभसत काष्ठ उद्र्ोग एवां स्र्ापयर् • क ु म्रािार : पािीलीपुर क े काष्ठ राजप्रासाद क े पुरावशेष • अर्यशास्र : वनों पर राज्र् का पूणय तनर्ांरण • क ु प्र्ाध्र्क्ष सांज्ञक : वनों की सुरक्षा एवां सांवधयन िेतु अधधकारी • लकड़िारे स्वतांरतापूवयक वनों से कच्चा माल निीां प्राप्त कर सकते र्े
  • 22. चमय उद्र्ोग • अर्यशास्र : चमय उद्र्ोग तनजी क्षेर का व्र्वसार् • मेगसर्नीज़ + तनर्ाक य स : चमड़े क े बने सफ े द उत्तम ऊ ां ची एड़ी क े जूतों का उल्लेख • कौहिल्र् : चमय को रयनों की कोिी में रखा • चमय का मियव • ववभिन्न प्रकार की चमय का वववरण • मुलार्म, चकनी, अधधक बालों वाली चमय उत्तम
  • 23. नमक उद्र्ोग • नमक उद्र्ोग राज्र् क े अधीन तनर्ांरण में • लवणाध्र्क्ष : नमक उद्र्ोग का अधधकारी • अर्यशास्र : नमक क े तनमायण, ववक्रर्, ववतरण की व्र्वस्र्ा • राज्र् अनुमतत क े बबना नमक क्रर् ववक्रर् तनवषद्ध • कौहिल्र् : तनजी तौर पर नमक बनाने िेतु लाइसेन्स • लाइसेन्स रखने वाले व्र्ापारी एक तनधायररत िाग कर क े रूप में देते र्े • कार्यशाला क े ककरार्ा : लवाणाध्र्क्ष को देर्
  • 24. महदरा तनमायण • महदरा का व्र्ापक प्रचलन • मियवपूणय और लािप्रद उद्र्ोग • राज्र् तनर्ांरण • सुराध्र्क्ष क े अधीन पृर्क वविाग • अनुिवी व्र्स्क्तर्ों द्वारा ववभिन्न प्रकार की महदराओां का तनमायण एवेम ववक्रर् • अर्यशास्र : ववक्रर् िेतु तनस्श्चत स्र्ान • अच्छे आचरण वालों को िी तनधायररत मारा में सुरापान करने की अनुमतत • ववशेष अवसरों पर गृिस्र्ों को 2 - 4 हदन क े भलए सुरा बनाने की अनुमतत
  • 25. खतनज उद्र्ोग अधधकारी • सौवर्णयक सांज्ञक : वैततनक स्वणयकारों से आिूषण बनवाने वाला • पौतवाध्र्क्ष सांज्ञक : सिी वज़न व तुला-बाांि का परीक्षण करने वाला • रूप दशयक सांज्ञक : भसक्कों की शुद्धता की जाांच करने वाला • खानवाध्र्क्ष : समुरीर् शांख-मूांगा का शोधन कराकर आिूषण तनमायण करने वाला
  • 26. अस्र शस्र तनमायण उद्र्ोग • पूणयरूपेण राजकीर् तनर्ांरण में • आर्ुधागाराध्र्क्ष क े अधीन • र्ुद्धोंपर्ोगी ववभिन्न अस्र शास्र, र्ांर, चक्र, कवच का तनमायण • क ु शल कारीगरों की तनर्ुस्क्त • िीन प्रकार की तलवारें, पाँच प्रकार क े किार
  • 28.
  • 30. श्रेणी सांगठन • सांिूर्समुयर्ान : व्र्ावसातर्क सांगठन जो साांझेदारी / सिकाररता से कार्य करते िै • व्र्ापार वार्णज्र् में साांझेदारी की परांपरा की उयपवत्त • श्रेर्णर्ाँ ववश्वसनीर् व्र्स्क्त/सांस्र्ा क े पास अपना धन जमा कर सकती र्ी • श्रेर्णर्ाँ ऋण िी प्रदान करती र्ी • कौहिल्र् : श्रेणी से प्राप्त कर एवां िेंि राज्र् की आर् क े प्रमुख स्रोतों में एक • िीिा : मौर्य भलवप मे लेखर्ुक्त श्रेणी सांगठनों की मुिरें
  • 31. श्रेणी सांगठन • प्रमुख उद्र्ोग एवां व्र्वसार् राज्र् क े प्रयर्क्ष तनर्ांरण में • श्रेणी सांगठनों की स्वतांरता एवां स्वार्त्तता सांक ु धचत • नगर क े एक िी िाग में श्रेर्णर्ों क े सदस्र्ों को एक सार् रिते िै • राज्र् द्वारा उनक े कार्य एवां गततववधधर्ों पर तनगरानी एवां तनर्ांरण • अक्षपिलाध्र्क्ष : श्रेणी क े कार्ों,कानूनों को लेखबद्ध करना • कौहिल्र् : आधर्यक सांकि क े समर् ववववध उपार्ों द्वारा श्रेर्णर्ों से अधधकाधधक सांपवत्त प्राप्त करे • श्रेणी सांगठनों क े तनर्मों को राज्र् ने मान्र्ता दी • अविेलना करने पर राजकीर् दांड का ववधान • श्रेणी प्रमुख स्वर्ां सदस्र्ता समाप्त कर सकता र्ा
  • 32. मौर्य कालीन कर प्रणाली • करों क े बदले क ें हदर् व्र्वस्र्ा सुरक्षा, शाांतत और प्रजा को सुववधाए प्रदान करती र्ी अर्यशास्र : कर तनधायरण से पिले अधधकाररर्ों द्वारा वस्तु का प्रचभलत मूल्र्,पूततय और माँग का उयपन व्र्र् आहद अनेक बातों पर ववचार ककर्ा जाता र्ा • कौहिल्र् : मधुमक्खी जैसे र्ोड़ा-र्ोड़ा रस छत्ते क े भलए इकट्ठा करती िै, वैसे िी राजा को प्रजा पर र्ोड़ा-र्ोड़ा कर लगाना चाहिए। • अर्यशास्र : जैसे बैल पर धीरे-धीरे बोझ बढ़ाते िै, वैसे िी कर को धीरे –धीरे बढ़ाना चाहिए • समािताय = करप्रमुख अधधकारी र्ा। उसक े द्वारा िेजे गए तनरीक्षक ककससे ककतना कर भलर्ा जाए और ककतनी छ ू ि दी जाए इसका वववरण तैर्ार करते र्े • गोप = ५-१० गाँवों की खेती, सीमा, ख़रीद-बबक्री का वववरण भलखता र्ा। वि गावों क े घरों की सूची तैर्ार करता र्ा और भलखता र्ा कक ककससे ककतना कर वसूल करना िै • जल कर, चुांगी कर, िोल तर्ा सीमा शुल्क • वातनक उपज तर्ा धातुओां आहद क े खनन से िी करों की वसूली की जाती र्ी।
  • 34. मौर्य कालीन कर प्रकार 1. िाग : उपज का १/६ िाग 2. बभल: िाग क े अततररक्त िूभम कर 3. कर: सांपवत्त पर लगने वाला वावषयक कर 4. वपण्डकर: सम्पूणय ग्राम द्वारा हदर्ा जानेवाला कर 5. उयसांग : राजा को प्रजा द्वारा दी जानेवाली िेंि 6. सीता : राजकीर् िूभम से प्राप्त कर 7. सेना-िक्त: गाँवों से गुजरने पर सेना को प्रद्दत्त कर 8. औपार्तनक: उपिार 9. पाश्वय : अधधक लाि पर अततररक्त कर 10. कोष्िेर्क : पानी िूभम पर कर 11. मरहिनक : पशुओां द्वारा की गर्ी िातन की क्षतत पूततय िेतु कर 12. राष्र, दुगय, खानें,सेतु, वन, वज्र (पशुधन), वर्णकपर्, शुल्क (सामान्र् कर), दण्ड
  • 35. व्र्ापार-वार्णज्र् • अर्यशास्र : व्र्ापाररक नगर धन उयपादन एवां वार्णज्र् क े मुख्र् क ें र • व्र्ापार राजकीर् तनर्ांरण में : उन्नतत िेतु कारगार कदम • कौहिल्र् : राज्र् को बड़ी नौकाओां िेतु उधचत बांदरगािों की व्र्वस्र्ा करनी चाहिए • व्र्ापाररर्ों की जान माल की सुरक्षा िेतु अधधकाररर्ों की तनर्ुस्क्त - चोरज्जुक सांज्ञक अधधकारी • राजा द्वारा मागय में र्ाबरर्ों की सुरक्षा सांबांधी जारी भलर्खत आदेश • नए मागों का तनमायण, पुराने मागों में सुधार • िर १० स्िेड़डर्ा की दूरी पर स्र्ान-दूरी-मागों क े वववरण र्ुक्त प्रस्तर एवां हदशा सूचक तस्ख्तर्ाँ • अशोक क े अभिलेख : मागों में क ु एां एवां ववश्राम शालाएँ बनवाई • मेगसर्नीज : िारत क े लोग सड़क तनमायण में दक्ष
  • 36. व्र्ापार-वार्णज्र् प्रकक्रर्ा • कौहिल्र् : राज्र् द्वारा सिी वस्तुओां क े मूल्र् तनधायररत • दैतनक उपर्ोग की वस्तुओां की कीमतें प्रततहदन घोवषत • मेगसर्नीज़ : पािीलीपुर क े प्रशासन िेतु ६ सभमततर्ाँ • ३ सभमततर्ाँ व्र्ापार वार्णज्र् से सांबांधधत कार्ों िेतु • चौर्ी सभमतत क्रर्-ववक्रर् मूल्र्, देर् शुल्क जाांच िेतु • ५ वी सभमतत तैर्ार माल का परीक्षण िेतु, नए-पुराने माल की पृर्क बबक्री की व्र्वस्र्ा िेतु • छठी सभमतत व्र्ापाररक माल पर देर् कर/शुल्क को वसूलने िेतु • अर्यशास्र : एक से अधधक वस्तुओां का व्र्ापार करने पर दुगना कर • उयपाद क्षेरों से उयपादों को सीधे खरीदना दांडनीर् अपराध • देशज एवां ववदेशी वस्तुओां पर क्रमशः ५ और १० % लाि िी भलर्ा जा सकता र्ा • व्र्ापाररक िेरा फ े री, धोखा धड़ी दांडनीर् अपराध
  • 37. व्र्ापाररक अधधकारी पण्र्ाध्र्क्ष = सवोच्च अधधकारी वस्तुओां की कीमत तनधायरण, दे/प्राप्र् ब्र्ाज,खचय-लागत, लाि-िातन संस्थाध्याक्ष • बाज़ार अधिकारी पौतवाध्यक्ष • तुला,बााँट अधिकारी शुल्काध्यक्ष • चुंगी का अधिकारी अंतपाल • सीिांत अधिकारी सिाहताा • कर अधिकारी
  • 38. व्र्ापार की वस्तुएँ • हाथी,अश्व,क ं बल कस्तूरी,सुगंधित छाल,चिा,सोना,चांदी हहिालय • िूल्यवान पत्थर, सोना,शंख दक्षक्षण भारत • कपास वस्र काशी,वंग,अपरांत,कललंग • ऊनी वस्र नेपाल पन्जाब • ज़री क े दुशाला कश्िीर • परोंणार् ऊन िगि, पुंड्र,असि • रेशि,िृदभांड,काष्ठ,बांस,चंदन,गेरू,पशु,िहदरा,हाथीदांत, सब्जी अन्य
  • 39. व्र्ापाररक मागय • रर् क े आने जाने का मागय ७.५ फ ु ि चौड़ा • पशुओां क े आवागमन का मागय ३ फ ु ि चौड़ा • क ू लपर् = समुर /नदी का तिवती पर् • सांर्ानपर् = पानी क े बीच से जाने वाला मागय • सांर्ानपर् की अपेक्षा क ू लपर् अधधक लािकर • अर्यशास्र : र्ारा प्रारांि करने से पिले की तैर्ारी व सावधातनर्ों का उल्लेख
  • 40. प्रमुख मागय • उत्तरापर् : तक्षभशला से ताम्रभलपती वार्ा पुष्कलावती, श्रावस्ती पािीभलपुर, राजगृि, वैशाली • पािीभलपुर से नेपाल • पािीभलपुर से कभलांग, आांध्र, कनायिक • दक्षक्षणापर् : श्रावस्ती से प्रततष्ठान वार्ा कौसाम्बी अवांती, उज्जैन • कभलांग पर अधधकार : पूवी समुरतिीर् व्र्ापाररक मागय पर मौर्य आधधपयर्
  • 41.
  • 42. ववदेशी व्र्ापार : राजनीततक पररदृश्र् • चन्रगुप्त मौर्य : क ां धार, काबुल, िेरात, बलूधचस्तान • मौर्य सीमा ईरान तक पिुांची • बबन्दुसार : सीररर्ा क े शासक अांततर्ोकस प्रर्म ने दूत िेजा • स्प्लनी : भमस्र क े राजा िोलमी द्ववतीर् ने दूत िेजा • अशोक का भशलालेख १३: ५ र्ूनानी नृपततर्ों से सांबांध- सीररर्ा, भमस्र, मकदूतनर्ा, एपररस, सीरीन • बौद्ध साहिर् : अशोक ने भसांिल व सुवणयिूभम में प्रसार ककर्ा • चीन, बैस्क्रर्ा, श्रीलांका, सुवणयिूभम, फरस, भमस्र से व्र्ापार
  • 43. ववदेशी व्र्ापार की वस्तुएँ • पारसमुरक = श्रीलांका क े उयकृ ष्ि मर्ण एवां मोती • कौलेर् = श्रीलांका क े क ु ला नदी का मोती • चीनपट्ि = चीनी रेशम • कादयभमक = फरस का काडयम नदी का मोती • अलक ां दक = अलेग्जेन्दररर्ा का मूांगा • कालेर्क = सुवणयिूभम का पीला chandan • भमस्र से िार्ीदाँत, लकड़ी
  • 45. तनष्कषय • अर्यव्र्वस्र्ा का ववकास राज्र् की स्जम्मेदारी • कोश वृद्धध िेतु नवीन व्र्वस्र्ा • ववववध व्र्वसार्ों पर राज्र् का पूणय तनर्ांरण • राज्र् द्वारा अर्यव्र्वस्र्ा क े अवर्वों को प्रश्रर् एवां प्रोयसािन • उन्नत कर प्रणाली • कर मुस्क्त का प्रावधान