http://spiritualworld.co.in मईया व नईया खुल्लर को उपदेश: एक दिन गुरु साहिब जी का दीवान सजा था| गुरु जी स्वयं भी उसमें विराजमान थे| सभी गुरु जी से अपनी शंकाओं का निवारण कर रहे थे| तभी जापा मईया व नईया खुल्लर ने प्रार्थना की कि महाराज! हमें अपने ऐसे उपदेश से कृतार्थ करें कि हम गृहस्थ में रहते हुए भी अपना उद्धार कर लें| गुरु जी कहने लगे, भाई| आप उठते-बैठते निरंतर वाहिगुरू का जाप करें| आप काम-काज करते हुए भी अपनी लिव इस निरंकार प्रभु से लगाएं रखें| बार-बार यह विचार न करें कि इसमें गुरु जी हमें क्या आज्ञा करते है और हमें क्या करना चाहिए? अपना मन बुराई से मोड़े| more on http://spiritualworld.co.in