हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन (YOGENDRA MEROTHA).pptx
1. प्राचीन भारत का इततहास
(ANCIENT HISTOTY OF INDIA)
हड़प्पा सभ्यता का
धातमिक जीवन
PJAY SHREE
RAMP
2. मा तृ दे वी की प्र तत मा
हड़प्पा मे असंख्य देतवय ं की मूततियां प्राप्त हुई हैं। ये मूततियां मातृदेवी या प्रक
ृ तत देवी की हैं।
प्राचीनकाल से ही मातृ या प्रक
ृ तत की पूजा भारतीय करते रहे हैं और आधुतनक काल में भी कर रहे
हैं।
मातृदेवी क पशुबतल अथवा नरबली दी जाती थी।
3. पशुपततनाथ की प्रततमा
म हनज दड़ ं से खुदाई में एक म हर प्राप्त हुई।इस मुहर पर अंतकत तचत्र मे पालथी मारे बैठे
एक य गी का तचत्र है। इस मूतति क
े चार ं ओर बैल, बाघ, भेड़ें आतद अनेक पशु हैं। आसन क
े
नीचे तहरन है। तवद्वान ं ने इसे तशव का प्रतीक माना है।
इस देवता क जॉन माशिल ने आद्य-तशव माना हे।
4. अतिवेतदका
अतिवेतदकाओ का प्रय ग बतल देने तथा धातमिक अनुष्ठान ं क
े तलए तकया जाता था।
अतिवेतदकाओ क
े साक्ष्य कालीबंगा ल थल बनावली नागेश्वर से तमले हे।
5. हड़प्पा सभ्यता मे अनेक मुद्राओ पर बेल,भेस,आतद पशुओ
क
े तचत्र तमले हे तजनसे उस समय पशु पूजा तकए जाने का
पता चलता हे।
तसन्धु सभ्यता क
े ल ग नाग पूजा,वृक्ष पूजा(पीपल),पशु
पूजा(क
ु बड़ युक्त बेल),अति पूजा आतद।
6. मासिल क
े अनुसार इस सभ्यता क
े ल ग तीन प्रकार से शव ं का उत्सगि करते थे:
(1)पूर्ि समातधकरर्-इसक
े अंतगित सम्पूर्ि शव क जमीन क
े नीचे दबा तदया जाता था।
(2)आंतशक समातधकरर्-इसक
े अंतगित पशु-पतक्षय ं क
े खाने क
े पश्चात शव क
े बचे हुए भाग क
जमीन मे दबा तदया जाता था।
(3)दाहकमि-इसमे शव जला तदया जाता था और कभी-कभी भस्म गाड़ दी जाती थी।
शव ं क
े साथ कभी-कभी तवतवध आभूषर्,अस्त्र-शस्त्र,पत्रादी भी रखे तमलते हे।
ये वस्तुए मृतक क
े उपय ग क
े तलए रखी जाती ह गी।इससे प्रतीत ह ता हे की वे पूर्िजन्म मे भी
तवश्वास रखते थे।ल थल से एक सयुक्त शमातध भी तमली हे ज अस्थथतवहीन लेतकन शमातध-सामग्री
युक्त हे।