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जीव ववज्ञान का नैविक दृविकोण
डॉ.आर. पुष्पा नामदेव
सहायक प्राध्यापक
विक्षा ववभाग
 नैतिक मूल्य समाज द्वारा मान्य व्यवहार, लक्ष्य और आदिें हैं, तजसका हम तहस्सा हैं।
 मूल्य अमूित एवं बहुआयामी होिे है एवं समाज के सदस्यों को अपने व्यतित्व को तनखारने के तलए
आदर्त प्रस्िुि करिे है।
 जीव तवज्ञान जहााँ एक ओर वैज्ञातनक तवति एवं वैज्ञातनक अतिवृति को प्रोत्साहन देिी है वहीं दूसरी
ओर सम्पूर्त व्यतित्व को संयमर्ील, तववेकपूर्त, गंिीर एवं त ंिनर्ील बना देिी है।
 जीव तवज्ञान की तर्क्षा तवद्यातथतयों में तनरीक्षर्, परीक्षर्, त ंिन एवं अनवेषर् की प्रवृति को
तवकतसि करिी है साथ ही जीव जगि के साह यत में मानविा को िी स्थातपि रखिी है।
 जीव तवज्ञान व्यति में सत्यिा, बौतिक ईमानदारी, कायत के प्रति तनष्ठा आतद नैतिक मूल्यों का
समावेर्न करने में सहायक होिा है।
 सत्य िक पहुाँ ने की प्रतिया के प्रत्येक रर् पर बौतिक ईमानदारी की आवश्यकिा होिी है।
 ाहे वह जीव तवज्ञान के प्रयोग हो तवश्वसनीय सू नाओंका संग्रहर् और तनरीक्षर् का वस्िुतनष्ठ
स्पष्टीकरर् आवश्यक होिा है। इस तबन्दु पर बौतिक ईमानदारी वांछनीय है अन्यथा तनष्कषत की
तदर्ा बदल सकिी है एवं उत ि पररर्ाम का अिाव तवकतसि होिा है।
 अिः प्रयोग एवं र्ोि कायों को सम्बन्ि करने के तलए बौतिक ईमानदारी, सत्य के प्रति प्रेम एवं
उद्देश्य के प्रति तनष्ठा आवश्यक है।
मानव मूल्यों के तवकास में तर्क्षा का अहम योगदान है। अिः तर्क्षर् अतिगम प्रतिया के दौरान
इन मूल्यों के तवकास हेिु तवद्यातथतयों को अनेक अवसर प्रदान तकए जाने ातहए ।
राष्रीय पाठ्य यात 2005 के अनुसार मूल्यों को पृथक रूप से नहीं अतपिु कक्षा में तवषय तर्क्षर्
के दौरान एकीकृि रूप में पढ़ाना ातहए।
जैसे तियाकलाप एवं प्रयोगों के वि तवद्यातथतयों में सत्यतनष्ठा, ईमानदारी, िायत, सहयोग आतद
मूल्यों का तवकास तकया जा सकिा है।
पयातवरर् संरक्षर् की आवश्यकिा एवं उपयोतगिा हेिु प्रेररि करना। तजनसे तवद्यातथतयों में
पयातवरर्ीय मूल्यों का तवकास हो सके ।
 जीवन मूल्यों के प्रति तवद्यातथतयों में संवेदनर्ीलिा का तवकास तकया जा सकिा है ।
 वैज्ञातनकों की जीवनी जैसे ए.पी.जे. अबुल कलाम, तविम सारािाई, कल्पना ावला आतद
तजसके द्वारा तवद्याथी उनके आदर्ों एवं मूल्यों का अनुकरर् करने के तलए प्रोत्सातहि तकया जा
सके ।
 तवषय वस्िु या अविारर्ा को स्पष्ट करिे वि सादृश्यिा का उपयोग तकया जा सकिा है । अथाति
तवज्ञान की तवषय वस्िु में अंितनततहि मूल्य को स्पष्ट करने हेिु सादृश्य उदाहरर् का उपयोग तकया
जा सकिा है ।
जीव ववज्ञान एवं नैविक मूल्य
 यूनेस्को के डेलसत कतमर्न(1996) ने “लतनिंग द रेज़र तवतदन” नामक ररपोर्त में अतिगम के ार स्िंि के
तवषय में बिाया:
1. लतनिंग र्ु नो (Learning to know)
2. लतनिंग र्ु डू (Learning to do)
3. लतनिंग र्ु बी (Learning to be)
4. लतनिंग र्ु तलव र्ुगेदर (Learning to live together)
इसके द्वारा तवद्यातथतयों में नैतिक मूल्यों को पोतषि करने की आवश्यकिा का समथतन तकया गया।
जीव ववज्ञान एवं नैविक मूल्य
 सत्यतनष्ठ
 िैयत
 सहयोग
 िीरिा
 ईमानदारी
 जीवन के प्रति सरोकार
 पयातवरर् संरक्षर्
 न्याय तप्रयिा
 यथाथतिा
 समय की पाबंदी
 कितव्यतनष्ठा
 आत्मतवश्वास
 सहनर्ीलिा
 आत्म तनयंत्रर्
 तव ार और िावों की सरलिा
 संतक्षप्तिा
िन्यवाद

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जीव विज्ञान एवं नैतिक मूल्य

  • 1. जीव ववज्ञान का नैविक दृविकोण डॉ.आर. पुष्पा नामदेव सहायक प्राध्यापक विक्षा ववभाग
  • 2.  नैतिक मूल्य समाज द्वारा मान्य व्यवहार, लक्ष्य और आदिें हैं, तजसका हम तहस्सा हैं।  मूल्य अमूित एवं बहुआयामी होिे है एवं समाज के सदस्यों को अपने व्यतित्व को तनखारने के तलए आदर्त प्रस्िुि करिे है।  जीव तवज्ञान जहााँ एक ओर वैज्ञातनक तवति एवं वैज्ञातनक अतिवृति को प्रोत्साहन देिी है वहीं दूसरी ओर सम्पूर्त व्यतित्व को संयमर्ील, तववेकपूर्त, गंिीर एवं त ंिनर्ील बना देिी है।  जीव तवज्ञान की तर्क्षा तवद्यातथतयों में तनरीक्षर्, परीक्षर्, त ंिन एवं अनवेषर् की प्रवृति को तवकतसि करिी है साथ ही जीव जगि के साह यत में मानविा को िी स्थातपि रखिी है।
  • 3.  जीव तवज्ञान व्यति में सत्यिा, बौतिक ईमानदारी, कायत के प्रति तनष्ठा आतद नैतिक मूल्यों का समावेर्न करने में सहायक होिा है।  सत्य िक पहुाँ ने की प्रतिया के प्रत्येक रर् पर बौतिक ईमानदारी की आवश्यकिा होिी है।  ाहे वह जीव तवज्ञान के प्रयोग हो तवश्वसनीय सू नाओंका संग्रहर् और तनरीक्षर् का वस्िुतनष्ठ स्पष्टीकरर् आवश्यक होिा है। इस तबन्दु पर बौतिक ईमानदारी वांछनीय है अन्यथा तनष्कषत की तदर्ा बदल सकिी है एवं उत ि पररर्ाम का अिाव तवकतसि होिा है।  अिः प्रयोग एवं र्ोि कायों को सम्बन्ि करने के तलए बौतिक ईमानदारी, सत्य के प्रति प्रेम एवं उद्देश्य के प्रति तनष्ठा आवश्यक है।
  • 4. मानव मूल्यों के तवकास में तर्क्षा का अहम योगदान है। अिः तर्क्षर् अतिगम प्रतिया के दौरान इन मूल्यों के तवकास हेिु तवद्यातथतयों को अनेक अवसर प्रदान तकए जाने ातहए । राष्रीय पाठ्य यात 2005 के अनुसार मूल्यों को पृथक रूप से नहीं अतपिु कक्षा में तवषय तर्क्षर् के दौरान एकीकृि रूप में पढ़ाना ातहए। जैसे तियाकलाप एवं प्रयोगों के वि तवद्यातथतयों में सत्यतनष्ठा, ईमानदारी, िायत, सहयोग आतद मूल्यों का तवकास तकया जा सकिा है। पयातवरर् संरक्षर् की आवश्यकिा एवं उपयोतगिा हेिु प्रेररि करना। तजनसे तवद्यातथतयों में पयातवरर्ीय मूल्यों का तवकास हो सके ।
  • 5.  जीवन मूल्यों के प्रति तवद्यातथतयों में संवेदनर्ीलिा का तवकास तकया जा सकिा है ।  वैज्ञातनकों की जीवनी जैसे ए.पी.जे. अबुल कलाम, तविम सारािाई, कल्पना ावला आतद तजसके द्वारा तवद्याथी उनके आदर्ों एवं मूल्यों का अनुकरर् करने के तलए प्रोत्सातहि तकया जा सके ।  तवषय वस्िु या अविारर्ा को स्पष्ट करिे वि सादृश्यिा का उपयोग तकया जा सकिा है । अथाति तवज्ञान की तवषय वस्िु में अंितनततहि मूल्य को स्पष्ट करने हेिु सादृश्य उदाहरर् का उपयोग तकया जा सकिा है ।
  • 6. जीव ववज्ञान एवं नैविक मूल्य  यूनेस्को के डेलसत कतमर्न(1996) ने “लतनिंग द रेज़र तवतदन” नामक ररपोर्त में अतिगम के ार स्िंि के तवषय में बिाया: 1. लतनिंग र्ु नो (Learning to know) 2. लतनिंग र्ु डू (Learning to do) 3. लतनिंग र्ु बी (Learning to be) 4. लतनिंग र्ु तलव र्ुगेदर (Learning to live together) इसके द्वारा तवद्यातथतयों में नैतिक मूल्यों को पोतषि करने की आवश्यकिा का समथतन तकया गया।
  • 7. जीव ववज्ञान एवं नैविक मूल्य  सत्यतनष्ठ  िैयत  सहयोग  िीरिा  ईमानदारी  जीवन के प्रति सरोकार  पयातवरर् संरक्षर्  न्याय तप्रयिा  यथाथतिा  समय की पाबंदी  कितव्यतनष्ठा  आत्मतवश्वास  सहनर्ीलिा  आत्म तनयंत्रर्  तव ार और िावों की सरलिा  संतक्षप्तिा