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भारतीय संविधान की छठी अनुसूची क्या है? | Sixth Schedule of the Indian Constitution | Hindi | Kya Hai | भारतीय संविधान की छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजातीय | Visit: https://govtvacancy.net/
इच्छा मृत्यु या दया मृत्यु वर्तमान में ऐसे सामाजिक-वैधानिक मुद्दे हैं जो हमारे संवैधानिक अधिकार, भारतीय दंड संहिता माननीय सर्वोच्च न्यायलय के निर्णयों के बीच चर्चित रहे हैं। मृत्यु मानव जीवन का अंतिम कड़वा सच है। लेकिन हाल ही में चर्चित इच्छा - मृत्यु की अवधारणा एक वैधानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनितिक विवाद, मंथन का विषय रहा है।
constructivism , types of constructivism, theories of constructivism,critical constructivism , social and cultural constructivism,creation of knowledge,student centric teaching technique
existentialism ,philosophy , jyan paul satra,Martin Hedeger, neetze,freedom of choice,absurdness of life , commitment to society, Despair,Buddhist philosophy,essence, logic, science
RESEARCH METHODOLOGY, BIBLIOGRAPHY STYLES,ONLINE BIBLIOGRAPHY MANAGER,PURPOSE OF MAKING A BIBLIOGRAPHY, ACADEMIC INTEGRITY,PLAGIARISM,CHICAGO STYLE,APA STYLE , MLA STYLE,AUTHENTICITY OF RESEARCH WORK,HONOUR TO RESEARCHERS AND WRITERS
SOCIAL JUSTICE, AFFIRMATIVE ACTION, RESERVATION,OBC,SC,ST, MANDAL COMMISSION, POONA PACT,73 CONSTITUTIONAL AMENDMENT, KAKA KALELKAR COMMISSION,GOVT. JOB,EDUCATIONAL INSTITUTION,PARLIAMENT, STATE LEGISLATURE,LOGIC RELATED TO RESERVATION POLICY, MINISTRY OF SOCIAL JUSTICE, SUPREME COURT ,CASTE SYSTEM, INDIAN CONSTITUTION
1. अमे रका क संघीय यायपा लका- सव च यायालय
https://img.rt.com/files/news/1f/0e/a0/00/patented-monsanto-court-pat
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यह साम ी वशेष प से श ण और सीखने को बढ़ाने के शै णक उ दे य के लए है। आ थक / वा णि यक अथवा
कसी अ य उ दे य के लए इसका उपयोग पूणत: तबंध है। साम ी के उपयोगकता इसे कसी और के साथ वत रत,
सा रत या साझा नह ं करगे और इसका उपयोग यि तगत ान क उ न त के लए ह करगे। इस ई - कं टट म जो
जानकार क गई है वह ामा णक है और मेरे ान के अनुसार सव म है।
वारा- डॉ टर ममता उपा याय
एसो सएट ोफे सर, राजनी त व ान
कु मार मायावती राजक य म हला नातको र महा व यालय
बादलपुर, गौतम बु ध नगर, उ र देश
2. उ दे य- तुत ई- कं टट से न नां कत उ दे य क ाि त संभा वत है-
● रा य यव था म यायपा लका के मह व का ान
● अमे रका म संघीय यायपा लका के गठन क जानकार
● अमे रक सव च यायालय के े ा धकार का ान
● या यक पुनरावलोकन के अ धकार के संदभ म भारतीय और अमर क सव च
यायालय के े ा धकार के तुलना मक व लेषण क मता का वकास
● या यक पुन वलोकन के अ धकार क सीमाओं का ान
“ कायकार और वधायी अंग के बना एक रा य क क पना क जा सकती है, कं तु
बना या यक अंग के एक स य समाज क क पना नह ं क जा सकती।’’
संत अग टाइन का यह कथन स य समाज म यायपा लका क आव यकता को प ट
करता है। अमर क सं वधान नमाता भी इस त य से प र चत थे, अतः उ ह ने
संघा मक शासन क आव यकता के अनु प एवं शि त पृथ करण क यव था को
याि वत करते हुए एक वतं सव च संघीय यायालय क थापना क । 1777 के
प रसंघ के सं वधान वारा संघीय यायपा लका क यव था न करके याय यव था का
अ धकार रा य सरकार को स पा गया था, प रणाम व प उसम कई दोष सामने आए।
व भ न रा य क याय यव था भ न- भ न होने के कारण वरोधी नणय सामने
आते थे िजससे अ नि चतता और अि थरता क ि थ त उ प न होती थी। इस दोष को
दूर करते हुए फलाडेि फया स मेलन के वारा अमे रक संघ क थापना करते समय
संघ क इकाइय के म य अ धकार े को लेकर संभा वत ववाद को यान म रखते हुए
सव च यायालय के प म यायपा लका क थापना क गई, िजसे कायपा लका और
यव था पका के ह त ेप से वतं बनाया गया। साथ ह नयं ण और संतुलन क
यव था करते हुए शासन के वधाई और
3. कायकार अंग के म य अ धकार े संबंधी ववाद को सुलझाने का दा य व भी सव च
यायालय को स पा गया। है म टन ने अपनी पु तक ‘फे डर ल ट’म लखा है क “
प रसंघ के सं वधान का सबसे बड़ा दोष या था क उसमे कसी याय यव था का
ावधान नह ं था। संघा मक शासन णाल था पत करते समय सं वधान नमाताओं ने
“ याय था पत करने क आव यकता” पर बल दया। सं वधान स मेलन म यायालय
को रा य के अ धकार े म छोड़ देने क संभावना पर वचार कया गया था, परंतु चूं क
प रसंघ म रा य यायपा लका का न होना एक भयानक बुराई मानी गई थी, इस लए
इस बुराई को दूर करना सं वधान नमाताओं का मु य उ दे य हो गया था।” अन ट
फथ ने अपनी पु तक ‘द अमे रकन स टम ऑफ गवनमट’ म सव च यायालय के
मह व पर काश डालते हुए लखा है क “ सव च यायालय शासक य मू त का तृतीय
सद य ह जो अ य नकाय से कम मह वपूण नह ं है।’’ इसको ‘लगातार चलने वाला
संवैधा नक स मेलन’ भी कहा जाता है य क यह नरंतर अपनी या याओं के वारा
सं वधान को नया अथ दान करता रहता है। यह सं वधान का या याता और संर क
तथा नाग रक के मौ लक अ धकार , संघ सरकार के अ धकारो एवं रा य क शि तय
का र क है।
सं वधान के अनु छेद 3 म रा य यायपा लका का ावधान करते हुए
कहा गया है क “ संयु त रा य क या यक शि त एक सव च यायालय म तथा उनके
अधीन यायालय म न हत होगी, िजनक थापना कां ेस वारा कानून बनाकर
समय-समय पर क जाएगी।” कां ेस ने इस अ धकार का योग करते हुए 1789 म
न मत एक कानून के मा यम से सव च यायालय क थापना क ।
संघीय यायपा लका का गठन-
संघीय यायपा लका के अंतगत दो कार के यायालय क थापना क गई है-
1. यव थापक यायालय-
4. इनक थापना कां ेस वारा कानून बनाकर क गई है, और इनका मु य काय या यक
न होकर कां ेस वारा पा रत कानून के या वयन म सहायता करना होता है। क टम
और अंतरा य यापार संबंधी यायालय इसी ेणी म आते ह। इन यायालय के
यायाधीश को शासन के वारा बना महा भयोग क या के
ह उनके पद से हटाया जा सकता है।
2. संवैधा नक यायालय-
संघीय यायपा लका का मूल अथ संवैधा नक यायालय से ह है। संवैधा नक
यायालय का ढांचा तर य है। सबसे नचले तर पर िजला यायालय, उसके ऊपर
संघीय अपील य यायालय और सबसे ऊपर सव च यायालय है। िजला यायालय को
के वल ारं भक अ धकार े ा त है, जब क संघीय अपील य यायालय के वारा
िजला यायालय के नणय के व ध अपीले सुनने का काय कया जाता है।
सव च यायालय का गठन-
सव च यायालय के यायाधीश क सं या नधा रत करने का अ धकार कां ेस को है।
1789 म कानून बना कर कां ेस ने ारंभ म इसक सद य सं या 6 नधा रत क थी,
िजनमे एक मु य यायाधीश और पांच अ य यायाधीश थे। वतमान इसम एक मु य
यायाधीश एव 8 अ य यायाधीश है।
● यायाधीश क नयुि त-
सव च यायालय के यायाधीश क नयुि त रा प त के वारा सीनेट क
सहम त से क जाती है। यायाधीश क यो यता के वषय म सं वधान म कु छ भी
नह ं कहा गया है। रा प त कसी भी ऐसे यि त को सव च यायालय का
यायाधीश नयु त कर सकता है िजनके नाम पर सीनेट क वीकृ त ा त हो
सके ।
● वेतन एवं कायकाल-
5. यायाधीश का वेतन कां ेस के वारा नधा रत कया जाता है और उनके
कायकाल म इसम वृ ध तो क जा सकती है, ले कन कमी नह ं। यायाधीश का
कायकाल आजीवन है और भी सदाचार पयत अपने पद पर बने रहते ह। उनके
वारा वे छा से यागप दया जा सकता है। 70 वष क आयु पूण करने
और 10 वष तक सेवा करने के बाद या 15 वष तक सेवा करने के बाद 65 वष क
उ पर यायाधीश अवकाश हण कर सकते ह, क तु अवकाश हण करने के
बावजूद उनको उनके पद का वेतन आजीवन ा त होता है ।
● पद यु त -
सव च यायालय के यायाधीश को उनके पद से महा भयोग क या के आधार पर
हटाया जा सकता है। महा भयोग का ताव त न ध सभा के वारा दो तहाई बहुमत
से पा रत कए जाने पर सीनेट उसक जांच करती है और य द सीनेट भी अपने दो तहाई
बहुमत से उन आरोप को स ध कर देती है, जो संबं धत यायाधीश पर लगाए गए ह, तो
उसे यागप देना होता है। चूं क क दो तहाई बहुमत मलना क ठन होता है, इस लए
जैसा क मकहेनर ने कहा है, ‘’ महा भयोग क या अपवाद व प ह है।’’ सव च
यायालय के अब तक के वल एक यायाधीश सैमुएल चेज़् के व ध महा भयोग ताव
लाया गया , कं तु यह ताव पा रत नह ं हो सका ।
● अ धवेशन एवं काय व ध-
सव च यायालय का अ धवेशन त वष अ टूबर मह ने के थम सोमवार से ारंभ
होता है और अगले वष तक जून मह ने के थम स ताह तक चलता रहता है। बैठक क
अ य ता मु य यायाधीश के वारा क जाती है और वह नणय क घोषणा करता है।
अ भयोग क सुनवाई मंगल, बुध, गु और शु वार को होती है। नणय के लए गणपू त
के यायाधीश क उपि थ त रखी गई है।अ भयोग का नणय बहुमत के आधार पर
होता है।
े ा धकार-
6. सव च यायालय के े ा धकार का ता पय उन ववाद से है, िजनक सुनवाई का
अ धकार उसे सं वधान वारा दान कया गया है। उसका े ा धकार दो कार के है-
1. ारं भक े ा धकार-
ारं भक े ा धकार का ता पय उन ववाद से है, जो नणय के लए सीधे सव च
यायालय म तुत कए जाते ह, न क कसी अ य यायालय म। दो तरह के ववाद म
सव च यायालय को ारं भक े ा धकार ा त है। यह है-1. ऐसे ववाद िजनम
राजदूत, अ य सावज नक मं ी, वा ण य दूत या अ य कोई वदेशी त न ध कोई एक
प हो । 2. ऐसे सभी ववाद िजनम संयु त रा य अमे रका क संघीय सरकार या
अमे रक संघ के रा य सरकार कोई एक प हो।
2. अपील य े ा धकार-
उ त ववाद के अ त र त अ य सभी मामल म सव च यायालय को नचल अदालत
के नणय के व ध अपील सुनने का अ धकार ा त है । अमे रक सं वधान सव च
यायालय को कानून तथा त य से संबं धत मामल म अपील य े ा धकार दान करता
है, क तु कां ेस को इसे नय मत करने का अ धकार ा त है। 1925 म एक अ ध नयम
पा रत कर कां ेस ने सव च यायालय के े ा धकार को न नां कत मामल तक
सी मत कर दया है-
● ऐसे मामले िजनम संघीय कानून तथा सं धय को कसी रा य के यायालय
वारा सं वधान व ध घो षत कर दया गया हो।
● ऐसे मामले िजनम रा य के कसी कानून को कसी संघीय यायालय वारा संघ
के सं वधान के व ध घो षत कया गया हो, जब क रा य के यायालय म उसे
वैध ठहराया गया हो।
सव च यायालय को संघीय यायालय और िजला यायालय के नणय के
व ध अपील सुनने का अ धकार भी ा त है, कं तु यह उसक इ छा पर नभर है
क वह इस अ धकार का योग कर या न कर।
3. या यक पुन वलोकन का अ धकार-[Right to Judicial Review]
7. सव च यायालय को सं वधान क या या का अ धकार ा त है और इस
अ धकार का योग करते समय उसके वारा उन सभी कानून क संवैधा नकता
क जांच क जाती है ,िज ह कां ेस तथा रा य के वधान मंडल के वारा पा रत
कया जाता है। कानून को जब सव च यायालय म चुनौती द जाती है, तो वह
उनक संवैधा नकता क जांच करता है तथा सं वधान व ध पाए जाने पर उ ह
अवैध घो षत कर सकता है।सव च यायालय के इस अ धकार को ‘ या यक
पुन वलोकन का अ धकार’ कहते ह । इस अ धकार के आधार पर ह सव च
यायालय को कां ेस का तृतीय सदन कहा जाता है । साथ ह सव च यायालय ने
इसी अ धकार के आधार पर सं वधान के संर क क ि थ त ा त कर ल है। ाइस
ने इस संबंध म लखा है क “ संयु त रा य अमे रका क सरकार क कसी और
वशेषता ने यूरोपीय जगत म इतनी अ धक िज ासा जागृत नह ं क , इतनी अ धक
चचा पैदा नह ं क िजतनी क सव च यायालय के उन कत य और काय ने क
है, जो वह सं वधान क र ा करते हुए करता है। “
सीमाएं-
सव च यायालय के इस अ धकार क कु छ सीमाएं ह। जैसे-
1. सव च यायालय वयं अपनी पहल पर कसी कानून क वैधा नकता क जांच
नह ं करता, बि क ऐसा वह तभी करता है ,जब कोई यि त या सं था कसी
कानून क वैधा नकता को चुनौती देती है।
2. इस अ धकार के योग म अमे रका के अ य यायालय भी सव च
यायालय के साझीदार ह, हालां क उनके नणय के व ध अपील सुनने का
अ धकार इसे ा त है ।
या यक पुनरावलोकन क शि त का संवैधा नक आधार तथा यावहा रक योग-
8. अमे रक कानून वद का एक वग या यक पुन वलोकन क शि त का कोई
संवैधा नक आधार नह ं मानता और यह मत य त करता है क सव च
यायालय ने मनमाने तर के से इस शि त का योग कया है । रा प त
जेफरसन ने कहा था क “ पूवज ने िजस ढांचे क थापना क थी,उसके अंतगत
शासन के तीन अंग पूण वतं होने थे तथा अब य द यायाधीश, कां ेस और
रा प त के अ धकार के पुन वलोकन के अ धकार का योग करते ह, तो यह
शि त पृथ करण स धांत का उ लंघन ह नह ं, अ पतु सं वधान नमाताओं के
वचार का अनादर भी है। कं तु दूसर तरफ वचारक का एक ऐसा वग भी है जो
यह मानता है क इस शि त का वैधा नक आधार है। सं वधान के अनु छेद 6 मे
कहा गया है क “ यह सं वधान तथा अमे रका के सभी कानून तथा उसके अनुसार
क गई सं धयाँ अमे रका का सव च कानून होगा। यायाधीश इससे बंधे हुए
ह गे। कसी रा य के सं वधान तथा कानून म य द संयु त रा य अमे रका के
सं वधान के व ध कोई बात होगी तो वह वैध नह ं मानी जाएगी ।’’ अनु छेद 3
क उपधारा दो मे भी कहा गया है क “ कानून और औ च य के अनुसार
यायपा लका क शि त के े म वे सब मामले आएंगे जो इस सं वधान, संयु त
रा य के कानून और उनके अंतगत क गई अथवा क जाने वाल सं धय के
अंतगत उ प न हो।’’
या यक पुन वलोकन के अ धकार का यावहा रक योग
सव थम 1803 म ‘माबर बनाम मे डसन’ के ववाद म यायाधीश माशल वारा
कया गया। इस ववाद के अंतगत माच 1801 म रा प त एड स ने मारवर
को कोलं बया िजले का यायाधीश नयु त कया, कं तु नयुि त का यह आदेश
माबर को ा त होने से पहले ह रा प त ऐड स का कायकाल
समा त हो गया और नए रा प त जेफसन ने इस आदेश को भेजने से इंकार कर
दया। मारबर ने यायालय से याय हेतु अपील क । ववाद म नणय
देते हुए यायाधीश माशल ने कहा क 1789 के याय पा लका अ ध नयम के
अंतगत माबर नयुि त संबंधी आदेश ा त करने के अ धकार ह , कं तु यायालय
9. रा प त को परमादेश जार नह ं कर सकता, य क 1789 के िजस यायपा लका
अ ध नयम के अंतगत सव च यायालय को परम आदेश जार करने का अ धकार
दया गया है वह वयं सं वधान क तीसर धारा के व ध है। इस कार सव च
यायालय ने यायपा लका अ ध नयम क एक यव था को अवैध घो षत करते
हुए उसे लागू करने से इंकार कर दया। इस नणय के मा यम से तीन बात प ट
हुई-
1. सं वधान एक लेख प है जो शासन क शि तय को नि चत और मया दत
करता है।
2. सं वधान देश का सव च कानून है और इसने कां ेस वारा पा रत अ य
कानून क तुलना म े ठ है।
3. सं वधान के वपर त बनाए गए कानून असंवैधा नक है और यायालय उ हे
अवैध घो षत करते हुए मानने से इंकार कर सकता है।
आलोचना-
ोगन ,लुई, बोदा , एडम ु स, ला क , जेफरसन और अ ाहम लंकन सव च यायालय
क काय या के आलोचक रहे ह। वशेष प से उसके या यक पुनरावलोकन के
अ धकार के । आलोचना के मुख बंदु इस कार ह-
● या यक पुनरावलोकन का कोई संवैधा नक आधार नह ं है। सं वधान प ट प से
यह अ धकार यायपा लका को नह ं सौपता ।
● सव च यायालय के नणय राजनी त से े रत होते ह और नणय देते समय
यायाधीश उसे अपनी राजनी तक वचारधारा के रंग से रंग देते ह। 1930 म
कां ेस वारा कोलं बया िजले के लए पा रत यूनतम मजदूर अ ध नयम को
सव च यायालय वारा इस आधार पर अवैध घो षत कर दया गया यह सं वधान
के पांचव संशोधन वारा द सं वदा क वतं ता के तकू ल है,
कं तु 1957 म सव च यायालय ने अपने ह पुराने नणय को बदलते हुए सं वदा
क वतं ता को दूसरे प म हण कया।
10. ● या यक पुन वलोकन क शि त का योग करते हुए सव च यायालय ने
ग तशील कानून को सं वधान वरोधी घो षत कया है । जैसे- रा प त जवे ट
क नव नमाण आ थक नी त को र द करके सव च यायालय ने रा क ग त
म बाधा उ प न क । ला क के श द म,’’ सव च यायालय म यायाधीश ने
सदा ह संप शाल वग के हत क र ा क है और वह लाड सभा क भां त ह
संप शाल वग का गढ़ रहा है।’’
● कां ेस वारा पा रत अ ध नयम को अवैध घो षत करके सव च यायालय
कां ेस का तृतीय सदन बन गया है, जो सं वधान क भावना के वपर त है।
● सव च यायालय के अ धकांश नणय चार के व ध पांच यायाधीश के
बहुमत से कए जाते ह । नणय क यह या जनता म अ व वास और नराशा
का भाव उ प न करती है।
● सव च यायालय के इस अ धकार से वधान मंडल म भी उ रदा य व क
भावना कम होती है। कां ेस यह सोचकर नि चंत हो जाती है क उसके वारा
बनाए गए कानून म य द कोई कमी रह जाएगी तो सव च यायालय उसे दूर कर
देगा।
आलोचनाओं के बावजूद सामा य अमे रक ि टकोण या यक पुन वलोकन का
शंसक है और उससे संघा मक यव था तथा नाग रक अ धकार और वतं ता
क र ा के लए आव यक समझता है। सव च यायालय ने अपने हाथ से
सं वधान को ग तशीलता दान क है तथा सी मत शासन क क पना को साकार
कया है। सव च यायालय के संगठन म कु छ सुधार करने हेतु सुझाव भी दए
जाते ह जैसे- रा प त थयोडोर जवे ट ने यह सुझाव दया
था क सव च यायालय वारा अवैध घो षत कए गए कानून पर लोक - नणय
क यव था होनी चा हए। यह भी सुझाव दया जाता है क सव च यायालय
वारा कानून को अवैध घो षत करने क या म भी संशोधन होना चा हए।
सामा य बहुमत के थान पर दो- तहाई बहुमत से कानून को अवैध घो षत कया
11. जाना चा हए और य द कां ेस अपने दो- तहाई बहुमत से सव च यायालय
वारा अवैध घो षत कए गए कानून को पुनः पा रत कर देती है , तो ऐसे कानून
पर सव च यायालय को या यक पुन वलोकन करने का अ धकार ा त नह ं
होना चा हए। न कषतः ,ला क के श द म कहा जा सकता है क “अमे रका के
संघीय यायालय तथा उससे भी अ धक वहां के सव च यायालय को िजतना
स मान ा त है, उतना ह संयु त रा य के जीवन पर उनका भाव भी है। ‘’
REFERENCES AND SUGGESTED READING
● C.F. Strong,Modern political Constitution
● Ferguson And Mchenry,The American Federal Government
● Ogg And Ray,Introduction To American Government
● www.supremecourt.gov
● www.britannica.com
● www.history.com
न-
नबंधा मक-
1. अमे रका क संघीय यायपा लका के गठन पर एक ट पणी ल खए।
2. अमे रक सव च यायालय के गठन एवं उसके े ा धकार पर एक नबंध ल खए।
3. या यक पुनरावलोकन के अ धकार के वशेष संदभ म अमे रक सव च यायालय क
भू मका का मू यांकन क िजए। या इस अ धकार का कोई संवैधा नक आधार है।
व तु न ठ न-
1. अमे रक सव च यायालय के यायाधीश क सं या और उनक सेवा शत नधा रत
करने का अ धकार कसे ा त है।
[ अ ] रा प त [ ब ] कां ेस [ स ] सव च यायालय [द ] सीनेट
2. सव च यायालय के यायाधीश का कायकाल या है।
12. [ अ ] 5 वष [ ब ] 10 वष [ स ] आजीवन [ द ] सदाचार पयत
3. 1777 के प रसंघ के सं वधान के अंतगत याय क यव था करना कसके े
अ धकार के अंतगत था ।
[ अ ] संघ सरकार के [ब ] रा य सरकार के [ स ] इन दोन के [ द ] दोन म से कसी
के नह ं
4. सव च यायालय को नरंतर चलने वाला संवैधा नक स मेलन य कहते ह।
[ अ ] य क सं वधान म संशोधन का अ धकार उसे है।
[ ब ] अपने नणय के मा यम से उसके वारा सं वधान क या या क जाती है ।
[ स ] संवैधा नक स मेलन म यायाधीश भाग लेते ह।
[ द ] कां ेस वारा बनाए गए कानून को अवैध घो षत करता है ।
5. “ माबर बनाम मे डसन का ववाद’’ कससे संबं धत है।
[ अ ] या यक पुनरावलोकन का अ धकार [ ब ] आरं भक े ा धकार [ स ] अपील य
े ा धकार [ द ] उपरो त सभी से
6. अमे रका म यव थापक यायालय का काय है-
[ अ ] देश म शां त और यव था था पत करना [ ब ] संघ सरकार वारा बनाए गए
कानून के या वयन म सहायता करना [ स ] रा य सीमाओं क र ा करना
[ द ] उपरो त म से कोई नह ं
7. िजला यायालय के नणय के व ध अपील सुनने का काय कौन करता है।
[ अ ] सव च यायालय [ ब ] संघीय अपील य यायालय [ स ] यव थापक
यायालय [ द ] उपरो त सभी
8.सव च यायालय के या यक पुनरावलोकन के अ धकार क सीमा या है।
[ अ ] यायालय अपनी पहल पर कानून क संवैधा नकता क जांच नह ं करता।
[ ब ] अ य यायालय भी इस अ धकार का योग करते ह।
[ स ] उपरो त दोन
[ द ] उपरो त मे से कोई नह ं
9. या यक पुनरावलोकन के अ धकार के अंतगत सव च यायालय कसक
संवैधा नकता क जांच करता है।
13. [ अ ] काँ ेस वारा बनाए गए कानून क
[ ब ] रा प त वारा जार आदेश क
[ स ] उपरो त दोन क
[ द ] अधीन थ यायालय के नणय क
उ र- 1. ब 2. द 3.ब 4. ब 5. अ 6. ब 7. ब 8. स 9. स