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फ़्रांस की संसद
http://asbarez.com/App/Asbarez/eng/2011/12/1208france.jpg
द्वारा -डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ
े सर, राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर
यह सामग्री विशेष रूप से शिक्षण और सीखने को बढ़ाने क
े शैक्षणिक उद्देश्यों क
े लिए है। आर्थिक / वाणिज्यिक अथवा किसी अन्य उद्देश्य क
े लिए इसका उपयोग पूर्णत:
प्रतिबंध है। सामग्री क
े उपयोगकर्ता इसे किसी और क
े साथ वितरित, प्रसारित या साझा नहीं करेंगे और इसका उपयोग व्यक्तिगत ज्ञान की उन्नति क
े लिए ही करेंगे। इस ई
- क
ं टेंट में जो जानकारी की गई है वह प्रामाणिक है और मेरे ज्ञान क
े अनुसार सर्वोत्तम है।
उद्देश्य-
● फ
् रांस क
े संवैधानिक इतिहास की जानकारी
● पंचम गणतंत्र क
े संविधान क
े अंतर्गत फ
् रांस की संसद क
े द्विसदनात्मक रूप की जानकारी
● संसद की शक्तियों का विवेचन
● संसद की शक्तियों की सीमाओं का ज्ञान
● अमेरिका और ब्रिटेन क
े विधान मंडलों क
े साथ फ
् रांस की संसद की तुलना का आधार प्रस्तुत करना
पंचम गणतंत्र क
े संविधान क
े अंतर्गत फ
् रांस की राष्ट्रीय विधायिका को संसद की संज्ञा दी गई है। यहां की
संसद एक द्विसदनीय विधायिका है। निचले कि
ं तु प्रथम सदन का नाम राष्ट्रीय असेंबली है, जबकि द्वितीय
सदन सीनेट है। चतुर्थ गणतंत्र क
े संविधान क
े अंतर्गत संसद इतनी ज्यादा शक्तिशाली थी कि फ
् रांस की
सरकार को ‘ राष्ट्रीय सभा की सरकार’ कहा जाता था। मंत्रिमंडल संसद क
े प्रति उत्तरदाई था और
बहुदलीय व्यवस्था क
े कारण किसी भी राजनीतिक दल को संसद में बहुमत प्राप्त नहीं होता था, परिणाम
स्वरूप मिले-जुले मंत्रिमंडल का गठन होता था। स्वाभाविक रूप से मिलाजुला मंत्रिमंडल होने क
े कारण
जोड़-तोड़ क
े कारण सरकारे शीघ्रता से बदलती रहती थी। ऐसे राजनीतिक अस्थायित्व क
े वातावरण में
शासन व्यवस्था में संसद एक शक्तिशाली संस्था क
े रूप में उभरी थी । कि
ं तु पंचम गणतंत्र क
े संविधान में
इस राजनीतिक अस्थायित्व क
े वातावरण को दूर करने क
े लिए राष्ट्रपति को ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया
और संसद की शक्तियों में कटौती की गई। संसदीय व्यवस्था होने क
े कारण वहां मंत्रिमंडल अब भी संसद
क
े प्रति उत्तरदाई तो है, किन्तु कार्यकारी शक्तियों क
े प्रयोग में राष्ट्रपति की भूमिका केंद्रीय होने क
े
कारण और राष्ट्रपति को संसद को नियंत्रित करने का अधिकार होने क
े कारण मंत्रिमंडल और संसद क
े
प्रति उसक
े सामूहिक उत्तरदायित्व का कोई प्रभावी अर्थ फ
् रांस की राजनीति में नहीं रह गया है।
राष्ट्रीय सभा [ National Assembly]
गठन-
फ
् रांसीसी संसद क
े दोनों सदनों क
े गठन एवं संचालन क
े नियम तथा प्रक्रियाएं भिन्न-भिन्न है और इनका
अधिवेशन भी पेरिस में अलग-अलग स्थानों पर होता है। नेशनल असेंबली फ
् रांस क
े संसद का निचला और
लोकप्रिय सदन है।
● सदस्य संख्या-
संविधान द्वारा नेशनल असेंबली की सदस्य संख्या निश्चित नहीं की गई है। 93000 लोगों क
े लिए एक
प्रतिनिधि निर्वाचित करने की व्यवस्था थी। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 577 है।
● निर्वाचन-
संविधान क
े अनुच्छेद 24 क
े अनुसार राष्ट्रीय सभा का निर्वाचन वयस्क मताधिकार क
े आधार पर गुप्त
मतदान पद्धति से होता है। अनुच्छेद 25 क
े अनुसार राष्ट्रीय सभा की सदस्य संख्या, उसका कार्यकाल तथा
उसक
े सदस्यों क
े चुनाव की प्रक्रिया का निर्धारण कानून क
े द्वारा किया जाता है। वर्तमान कानून क
े
अनुसार राष्ट्रीय सभा का चुनाव एकल सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा द्वितीय मतदान प्रणाली क
े अनुसार होता
है। पहली बार मतदान क
े माध्यम से यदि किसी उम्मीदवार को मतदाताओं का स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता,
तो उस निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों क
े मध्य दोबारा मतदान कराया जाता है
और निर्वाचन परिणाम की घोषणा की जाती है। मतदान सदैव किसी रविवार को होता है।
● कार्यकाल-
नेशनल असेंबली का कार्यकाल 5 वर्ष है, किन्तु इस अवधि से पूर्व भी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री तथा दोनों
सदनों क
े प्रमुखों से परामर्श करक
े इसे भंग कर सकते हैं, हालांकि राष्ट्रपति उनकी सलाह मानने क
े लिए
बाध्य नहीं है। एक बार सदन भंग होने पर दोबारा चुनाव होने की स्थिति में 1 साल तक नए सदन को भंग नहीं
किया जा सकता और न ही आपातकालीन स्थिति में इसे भंग किया जा सकता है। राष्ट्रीय असेंबली का
आखिरी बार चुनाव जून 2017 में हुआ था।
● अधिवेशन-
संविधान क
े अनुसार संसद का प्रत्येक वर्ष कम से कम 2 सत्र होना आवश्यक है। प्रथम सत्र 2 अक्टूबर
को प्रारंभ होता है और 80 दिन तक चलता है और दूसरा सत्र 2 अप्रैल को प्रारंभ होता है और अधिक से
अधिक 90 दिन तक चल सकता है। राष्ट्रीय असेंबली का विशेष अधिवेशन प्रधानमंत्री की सिफारिश पर या
राष्ट्रीय सभा क
े आधे से अधिक सदस्यों की प्रार्थना पर बुलाया जा सकता है यदि कोई विशेष सत्र राष्ट्रीय
सभा क
े आधे से अधिक सदस्यों की प्रार्थना पर बुलाया जाता है तो यह निर्धारित कार्य सूची पर विचार पूरा
होते ही या अधिक से अधिक 12 दिन क
े पश्चात अवश्य स्थगित हो जाता है।
● पदाधिकारी-
राष्ट्रीय सभा अपने में से ही किसी सदस्य को सदन का अध्यक्ष निर्वाचित करती है। वही व्यक्ति राष्ट्रीय
सभा का अध्यक्ष चुना जा सकता है जिसे सदन क
े आधे से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो। यहाँ भी
किसी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने पर दोबारा मतदान की व्यवस्था की गई है। दूसरी बार
मतदान में भी बहुमत प्राप्त न होने पर तीसरी बार मतदान कराया जा सकता है। इस प्रकार राष्ट्रपति और
राष्ट्रीय सभा क
े सदस्यों क
े चुनाव क
े समान राष्ट्रीय सभा क
े अध्यक्ष का चुनाव भी द्वितीय मतदान प्रणाली
क
े आधार पर संपन्न कराया जाता है।
अध्यक्ष की शक्तियां -
● राष्ट्रीय सभा का प्रधान सदन की अध्यक्षता करता है, सदस्यों को बोलने की अनुमति देता है,
विधेयकों पर मतदान करवाता है और मतदान क
े परिणाम की घोषणा करता है। यद्यपि वह चुने जाने
क
े बाद अपने दल की सदस्यता का त्याग नहीं करता, फिर भी वह सदन क
े विचार- विमर्श में भाग नहीं
लेता है।
● फ
् रांस की संवैधानिक परिषद क
े 9 सदस्यों में से 3 सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय सभा क
े अध्यक्ष
क
े द्वारा की जाती है।
● वह किसी कानून या संधि की वैधानिकता का परीक्षण करने क
े लिए संवैधानिक परिषद से प्रार्थना
कर सकता है। ऐसी प्रार्थना राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीनेट क
े अध्यक्ष क
े द्वारा भी की जा
सकती है।
● यदि राष्ट्रपति कभी समय से पूर्व राष्ट्रीय सभा को भंग करना चाहता है तो यह जरूरी है कि वह
राष्ट्रीय सभा क
े प्रधान से परामर्श करें, कि
ं तु वह उसकी सलाह मानने क
े लिए बाध्य नहीं है।
सीनेट
फ
् रांसीसी संसद का दूसरा सदन सीनेट है। फ
् रांस में एकात्मक शासन व्यवस्था होने क
े कारण इसकी स्थिति
अमेरिकी सीनेट जैसी नहीं है, बल्कि शक्तियों की दृष्टि से तो यह ब्रिटेन की लॉर्ड सभा से भी कमजोर संस्था
है।
गठन -
● सदस्य संख्या-
सीनेट की सदस्य संख्या भी संविधान द्वारा निर्धारित नहीं है और इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद
को प्रदान किया गया है। विद्यमान कानून क
े अनुसार इसकी सदस्य संख्या 348 है।
● निर्वाचन-
सीनेट क
े सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल क
े द्वारा 6 वर्षों क
े लिए किया जाता है।
इस निर्वाचक मंडल में समुद्र पार क
े प्रांतों और क्षेत्रों सहित फ
् रांसीसी नागरिक, नगर परिषद तथा प्रांतों
की सामान्य परिषदों क
े सदस्य सम्मिलित होते हैं । इस निर्वाचक मंडल में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों
का प्रतिनिधित्व अधिक होता है, अतः सीनेट में प्रायः दक्षिणपंथी तथा केंद्रीय दलों का प्रभाव अधिक
रहता है। फ
् रांस क
े नागरिक जो स्वयं निर्वाचक मंडल क
े सदस्य हो तथा जिनकी आयु कम से कम 35 वर्ष
हो, सीनेट क
े सदस्य निर्वाचित हो सकते हैं। अतः सीनेट का प्रत्येक सदस्य किसी न किसी स्थानीय निकाय
का सदस्य भी होता है । यह व्यवस्था भारत और अमेरिका की व्यवस्था से भिन्न है क्योंकि यहां पर किसी
जनप्रतिनिधि को किसी प्रतिनिधि संस्था की दोहरी सदस्यता की अनुमति नहीं है।
● कार्यकाल- भारतीय राज्य सभा क
े समान सीनेट भी एक स्थाई सदन है जिसे कभी भंग नहीं किया जा
सकता। इसक
े सदस्य 6 वर्ष क
े लिए निर्वाचित किए जाते हैं और एक तिहाई सदस्य प्रति 3 वर्ष बाद
अवकाश ग्रहण करते हैं।
● पदाधिकारी-
सीनेट क
े सदस्य अपने में से ही एक अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। राष्ट्रीय सभा क
े अध्यक्ष सहित राष्ट्रपति
सदन को भंग करने से पूर्व सीनेट क
े अध्यक्ष की सलाह भी लेते हैं। सीनेट का अध्यक्ष किसी कानून की
वैधानिकता क
े परीक्षण क
े लिए संवैधानिक परिषद से प्रार्थना कर सकता है। वह सदस्यों को सदन में बोलने
की अनुमति देता है, विधेयकों क
े संबंध में मतदान करवाता है और उसक
े परिणाम की घोषणा करता है।
फ
् रांस में किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो सीनेट का प्रधान तुरंत कार्यवाहक
राष्ट्रपति क
े रूप में कार्य करने लगता है और तब तक कार्य करता है जब तक नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं
हो जाता है।
संसद क
े अधिकार एवं शक्तियां
फ
् रांस की संसद को विधाई संस्था होने क
े कारण कानून -निर्माण क
े क्षेत्र में अधिकार प्राप्त हैं तथा
अध्यक्षात्मक व्यवस्था क
े साथ संसदीय व्यवस्था को भी अपनाए जाने क
े कारण उसे क
ु छ हद तक कार्यपालिका
को नियंत्रित करने का अधिकार भी प्राप्त है, हालांकि यह अधिकार पूर्व संविधान की अपेक्षा बहुत कम हो गए
हैं। उसक
े अधिकारों की विवेचना निम्नांकित शीर्षकों क
े अंतर्गत की जा सकती है-
1. विधाई शक्तियां-
संविधान क
े अनुच्छेद 34 क
े अनुसार निम्नांकित विषयों पर संसद कानून बना सकती हैं-
● राष्ट्रीयता, वैवाहिक समझौता तथा संपत्ति क
े उत्तराधिकार क
े विषय में
● अपराध, दंड, फौजदारी प्रक्रिया, सामूहिक क्षमादान तथा न्याय व्यवस्था की स्थापना
● निर्वाचन कानून, जनता क
े अधिकार और स्वतंत्रताये
● श्रम कानून, कर- व्यवस्था एवं मुद्रा
● राज्य क
े सैनिक और असैनिक कार्मिकों को दी गई गारंटी
● राष्ट्रीयकरण तथा संपत्ति का हस्तांतरण
उक्त विषयों क
े संबंध में कानून बनाने क
े क्षेत्र में संसद संप्रभु है, कि
ं तु संविधान में उन विषयों का
उल्लेख भी किया गया है जिन पर संसद क
े वल मूल सिद्धांतों का निर्माण कर सकती है और इन
विषयों पर विस्तृत नियम बनाने का कार्य कार्यपालिका क
े द्वारा किया जाता है जिन्हें कानूनी मान्यता
प्राप्त होती है। कार्यपालिका कानूनों क
े क्रियान्वयन क
े लिए विस्तृत नियम भी बना सकती हैं।
यह विषय हैं-
● राष्ट्र की रक्षा
● स्थानीय समुदायों का प्रशासन
● शिक्षा
● संपत्ति का अधिकार
● रोजगार और सामाजिक सुरक्षा
संसद की विधाई शक्तियों पर सीमाएं-
विधायी क्षेत्र में संसद की शक्तियां निम्नांकित प्रावधानों से सीमित हो गई है।
● अनुच्छेद 38 क
े अनुसार अपने कार्यक
् रम लागू करने क
े उद्देश्य से सरकार संसद से प्रार्थना कर
अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त कर सकती है।व्यवहार में अल्जीरिया क
े संबंध में,
सामाजिक सुरक्षा, ,प्राक
ृ तिक आपदाओं यूरोप क
े एकीकरण और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर अध्यादेश
की शक्ति का प्रयोग किया गया है ।
● अनुच्छेद 11 ने भी संसद की शक्तियों को सीमित किया है जिसक
े अनुसार संसद क
े दोनों सदनों
द्वारा प्रार्थना किए जाने पर राष्ट्रपति किसी विधेयक को जनमत संग्रह क
े लिए भेज सकता है और
जनमत संग्रह में स्वीक
ृ त विधेयक को ही कानून का रूप दिया जा सकता है।2018 से चल रहे
‘येलो वेस्ट मूवमेंट’ क
े अंतर्गत फ
् रांसीसी लोगों की यह मांग है कि जनमत संग्रह का विस्तार कर
आम नागरिकों को जनमत संग्रह की पहल का अधिकार दिया जाए ।
● सरकार और संसद को कानून निर्माण क
े संबंध में आर्थिक और सामाजिक परिषद क
े द्वारा सलाह दी
जाती है जिसका गठन मजदूर संघों, किसानों क
े संगठनों और नियोक्ता संगठनों जैसे विभिन्न
समूहों क
े प्रतिनिधियों से मिलकर होता है।
● संसद क
े द्वारा कानून निर्माण की शक्ति का प्रयोग सरकार अर्थात मंत्रिमंडल क
े साथ मिलकर किया
जाता है। विधेयकों का अध्ययन संसदीय समितियों क
े द्वारा किया जाता है यद्यपि संसद क
े एजेंडा
पर सरकार का नियंत्रण होता है।
● संवैधानिक परिषद का अस्तित्व भी संसद क
े कानून निर्माण की शक्ति पर एक सीमा है क्योंकि
राष्ट्रपति ,राष्ट्रीय सभा का अध्यक्ष और सीनेट का अध्यक्ष कभी भी संवैधानिक परिषद से प्रार्थना
कर सकते हैं कि वह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता की जांच करें। इस प्रकार
संवैधानिक परिषद क
े अधिकारियों से भी संसद का कानून निर्माण का अधिकार सीमित हुआ है।
2. वित्तीय अधिकार-
अन्य देशों की संसदो क
े समान फ
् रांस की संसद को भी वित्त क
े क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार है। वह
वार्षिक बजट स्वीकार करती है, किन्तु इसकी वित्तीय शक्ति पर एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध यह है कि बजट
प्रस्ताव पेश किए जाने क
े 70 दिन क
े अंदर इसे संसद द्वारा स्वीकार किया जाना होता है अन्यथा कार्यपालिका
इन्हें एक अध्यादेश क
े द्वारा कानून का रूप दे सकती है।
3. संविधान संशोधन संबंधी अधिकार -
फ
् रांस क
े संविधान में संशोधन का कोई भी प्रस्ताव या तो संसद सदस्यों द्वारा पेश किया जा सकता है या
प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति क
े द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।संविधान क
े अनुच्छेद 89 क
े
अनुसार दोनों सदनों द्वारा संशोधन विधेयक पारित होने क
े बाद वह जनमत संग्रह क
े लिए भेजा जाता है
और जनमत संग्रह में स्वीक
ृ त होकर वह संविधान का अंश बन जाता है। 1961 में अल्जीरिया क
े प्रश्न पर
जनमत संग्रह कराया गया था जिसमें फ
् रांस की जनता ने 75% बहुमत से अल्जीरिया क
े आत्मनिर्णय क
े
अधिकार को पुष्टि प्रदान की थी। 1962 में राष्ट्रपति क
े प्रत्यक्ष निर्वाचन क
े प्रश्न पर भी जनमत संग्रह
कराया गया था जिससे 62% वोटों क
े साथ मतदाताओं ने समर्थन प्रदान किया था। स्पष्ट है कि संशोधन
की प्रक्रिया में फ
् रांस की जनता को महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया है, कि
ं तु यदि संसद क
े दोनों सदनों क
े
संयुक्त अधिवेशन में 3 / 5 बहुमत से संशोधन विधेयक पारित कर दे तो बिना जनमत संग्रह क
े ही संविधान में
संशोधन हो जाता है ।
4. कार्यपालिका पर नियंत्रण-
फ
् रांसीसी संसद को सरकार को नियंत्रित करने का अधिकार तो प्राप्त है, कि
ं तु उसकी तीव्रता ब्रिटिश
संसद क
े समान नहीं है। संसद मंत्रियों से उनक
े विभाग की कार्यप्रणाली और कार्यों क
े विषय में प्रश्न पूछ
सकती है ,कि
ं तु ऐसा कभी-कभी होता है और सरकार क
े कार्यों का संसदीय समितियों द्वारा निरीक्षण भी कभी
कभार ही होता है। संसद को मंत्रिमंडल क
े विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार है, कि
ं तु
इस संबंध में किसी प्रकार की अतिवादिता से बचने क
े लिए संसद क
े इस अधिकार को भी प्रतिबंधित किया
गया है। पंचम गणतंत्र क
े संविधान क
े लागू होने क
े बाद क
े वल 1962 मे ही इस तरह का प्रस्ताव लाया जा
सका था।
मंत्रिमंडल को नियंत्रित करने क
े साथ-साथ संसद राष्ट्रपति को भी नियंत्रित करती है। देशद्रोह का आरोप
लगाकर संसद राष्ट्रपति क
े विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर सकती है और उसक
े प्रस्ताव क
े आधार पर उच्च
न्यायालय में मुकदमा चलाकर, आरोपों को सिद्ध कर राष्ट्रपति को पद छोड़ने क
े लिए बाध्य कर सकती है।
संविधान क
े अनुच्छेद 35 क
े अनुसार युद्ध की किसी भी घोषणा का संसद द्वारा अनुमोदन किया जाना आवश्यक
है। संविधान ने सरकार को कई प्रकार की संधियाँ करने का अधिकार दिया है, किन्तु अमेरिका की
व्यवस्था क
े समान ही ये संधियाँ संसद की स्वीक
ृ ति क
े बिना लागू नहीं की जा सकती। कार्यपालिका द्वारा
मार्शल लॉ की कोई भी घोषणा संसद की अनुमति क
े बिना 12 दिन से अधिक लागू नहीं रखी जा सकती है।
इस प्रकार फ
् रांस में भी अमेरिका क
े समान नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था सीमित रूप में की गई है और
संसद को उसमें महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की गई है।
मुख्य शब्द-
राष्ट्रीय सभा, सीनेट , द्वितीय मतदान, नियंत्रण और संतुलन, जनमत संग्रह, मार्शल लॉ, कानून की
संवैधानिक समीक्षा
References and Suggested Readings
1. Www2.assemblee-nationale.fr
2. www.france24.com
3. www.britannica.com
4. about-france.com
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1. फ
् रांस की राष्ट्रीय सभा क
े गठन और उसकी शक्तियों का मूल्यांकन कीजिए।
2. फ
् रांस की सीनेट की अमेरिकी सीनेट से तुलना कीजिए।
3. फ
् रांस की संसद क
े गठन और उसक
े अधिकारों की विवेचना कीजिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. फ
् रांस की राष्ट्रीय सभा क
े सदस्यों का निर्वाचन किस पद्धति क
े आधार पर होता है।
[ अ ] आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
[ ब ] एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र
[ स ] द्वितीय मतदान प्रणाली
[ द ] ‘ब’ और ‘स’ सही है।
2. सीनेट की सदस्य संख्या का निर्धारण किसक
े द्वारा किया जाता है।
[ अ ] संविधान [ ब ] संसद [ स ] राष्ट्रपति [ द ] सरकार
3. सीनेट क
े सदस्यों का निर्वाचन किसक
े द्वारा किया जाता है।
[ अ ] राष्ट्रीय सभा [ ब ] निर्वाचक मंडल [ स ] फ
् रांस की जनता [ द ] संवैधानिक परिषद
4. फ
् रांस की संसद का विशेष अधिवेशन राष्ट्रपति क
े द्वारा किसकी सलाह पर बुलाया जाता है।
[ अ ] प्रधानमंत्री [ ब ] संसद क
े आधे से अधिक सदस्यों की सहमति से [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ]
उपर्युक्त में से कोई नहीं
5. संसद का विशेष अधिवेशन अधिकतम कितने दिनों तक चल सकता है।
[ अ ] 15 [ ब ] 12 [ स ] 18 [ द ] 21
6. संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक समीक्षा किसक
े आग्रह पर की जा सकती है।
[ अ ] राष्ट्रपति
[ ब ] सीनेट क
े अध्यक्ष
[ स ] राष्ट्रीय सभा क
े अध्यक्ष
[ द ] उपर्युक्त सभी
7. फ
् रांसीसी संसद की संविधान संशोधन की शक्ति पर किसका प्रतिबंध है।
[ अ ] जनमत संग्रह
[ ब ] सरकार
[ स ] राष्ट्रपति
[ द ] प्रधानमंत्री
8. निम्नांकित में से किन विषयों पर फ
् रांस की संसद क
े वल मूल सिद्धांतों का निर्माण कर सकती है।
[ अ ] शिक्षा
[ ब ] रोजगार
[ स ] राष्ट्र की सुरक्षा
[ द ] उपर्युक्त सभी
9. फ
् रांस की संसद बजट प्रस्तावों को कितने दिनों क
े भीतर स्वीकार कर सकती है।
[ अ ] 70 दिन [ ब ] 90 दिन [ स ] 100 दिन [ द ] कोई समय सीमा नहीं है।
10. संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक समीक्षा किसक
े द्वारा की जा सकती है।
[अ ] न्यायपालिका [ ब ] कार्यपालिका [ स ] संवैधानिक परिषद [ द ] संसदीय कानूनों की संवैधानिक
समीक्षा नहीं की जा सकती।
उत्तर- 1. द 2. ब 3. ब 4. स हां 5.ब 6.द 7. अ 8. द 9. अ 10. स

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France ki sansad

  • 1. फ़्रांस की संसद http://asbarez.com/App/Asbarez/eng/2011/12/1208france.jpg द्वारा -डॉक्टर ममता उपाध्याय एसोसिएट प्रोफ े सर, राजनीति विज्ञान क ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर यह सामग्री विशेष रूप से शिक्षण और सीखने को बढ़ाने क े शैक्षणिक उद्देश्यों क े लिए है। आर्थिक / वाणिज्यिक अथवा किसी अन्य उद्देश्य क े लिए इसका उपयोग पूर्णत: प्रतिबंध है। सामग्री क े उपयोगकर्ता इसे किसी और क े साथ वितरित, प्रसारित या साझा नहीं करेंगे और इसका उपयोग व्यक्तिगत ज्ञान की उन्नति क े लिए ही करेंगे। इस ई - क ं टेंट में जो जानकारी की गई है वह प्रामाणिक है और मेरे ज्ञान क े अनुसार सर्वोत्तम है। उद्देश्य- ● फ ् रांस क े संवैधानिक इतिहास की जानकारी ● पंचम गणतंत्र क े संविधान क े अंतर्गत फ ् रांस की संसद क े द्विसदनात्मक रूप की जानकारी ● संसद की शक्तियों का विवेचन ● संसद की शक्तियों की सीमाओं का ज्ञान ● अमेरिका और ब्रिटेन क े विधान मंडलों क े साथ फ ् रांस की संसद की तुलना का आधार प्रस्तुत करना
  • 2. पंचम गणतंत्र क े संविधान क े अंतर्गत फ ् रांस की राष्ट्रीय विधायिका को संसद की संज्ञा दी गई है। यहां की संसद एक द्विसदनीय विधायिका है। निचले कि ं तु प्रथम सदन का नाम राष्ट्रीय असेंबली है, जबकि द्वितीय सदन सीनेट है। चतुर्थ गणतंत्र क े संविधान क े अंतर्गत संसद इतनी ज्यादा शक्तिशाली थी कि फ ् रांस की सरकार को ‘ राष्ट्रीय सभा की सरकार’ कहा जाता था। मंत्रिमंडल संसद क े प्रति उत्तरदाई था और बहुदलीय व्यवस्था क े कारण किसी भी राजनीतिक दल को संसद में बहुमत प्राप्त नहीं होता था, परिणाम स्वरूप मिले-जुले मंत्रिमंडल का गठन होता था। स्वाभाविक रूप से मिलाजुला मंत्रिमंडल होने क े कारण जोड़-तोड़ क े कारण सरकारे शीघ्रता से बदलती रहती थी। ऐसे राजनीतिक अस्थायित्व क े वातावरण में शासन व्यवस्था में संसद एक शक्तिशाली संस्था क े रूप में उभरी थी । कि ं तु पंचम गणतंत्र क े संविधान में इस राजनीतिक अस्थायित्व क े वातावरण को दूर करने क े लिए राष्ट्रपति को ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया और संसद की शक्तियों में कटौती की गई। संसदीय व्यवस्था होने क े कारण वहां मंत्रिमंडल अब भी संसद क े प्रति उत्तरदाई तो है, किन्तु कार्यकारी शक्तियों क े प्रयोग में राष्ट्रपति की भूमिका केंद्रीय होने क े कारण और राष्ट्रपति को संसद को नियंत्रित करने का अधिकार होने क े कारण मंत्रिमंडल और संसद क े प्रति उसक े सामूहिक उत्तरदायित्व का कोई प्रभावी अर्थ फ ् रांस की राजनीति में नहीं रह गया है। राष्ट्रीय सभा [ National Assembly] गठन- फ ् रांसीसी संसद क े दोनों सदनों क े गठन एवं संचालन क े नियम तथा प्रक्रियाएं भिन्न-भिन्न है और इनका अधिवेशन भी पेरिस में अलग-अलग स्थानों पर होता है। नेशनल असेंबली फ ् रांस क े संसद का निचला और लोकप्रिय सदन है। ● सदस्य संख्या- संविधान द्वारा नेशनल असेंबली की सदस्य संख्या निश्चित नहीं की गई है। 93000 लोगों क े लिए एक प्रतिनिधि निर्वाचित करने की व्यवस्था थी। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 577 है। ● निर्वाचन- संविधान क े अनुच्छेद 24 क े अनुसार राष्ट्रीय सभा का निर्वाचन वयस्क मताधिकार क े आधार पर गुप्त मतदान पद्धति से होता है। अनुच्छेद 25 क े अनुसार राष्ट्रीय सभा की सदस्य संख्या, उसका कार्यकाल तथा उसक े सदस्यों क े चुनाव की प्रक्रिया का निर्धारण कानून क े द्वारा किया जाता है। वर्तमान कानून क े अनुसार राष्ट्रीय सभा का चुनाव एकल सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा द्वितीय मतदान प्रणाली क े अनुसार होता है। पहली बार मतदान क े माध्यम से यदि किसी उम्मीदवार को मतदाताओं का स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता,
  • 3. तो उस निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों क े मध्य दोबारा मतदान कराया जाता है और निर्वाचन परिणाम की घोषणा की जाती है। मतदान सदैव किसी रविवार को होता है। ● कार्यकाल- नेशनल असेंबली का कार्यकाल 5 वर्ष है, किन्तु इस अवधि से पूर्व भी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री तथा दोनों सदनों क े प्रमुखों से परामर्श करक े इसे भंग कर सकते हैं, हालांकि राष्ट्रपति उनकी सलाह मानने क े लिए बाध्य नहीं है। एक बार सदन भंग होने पर दोबारा चुनाव होने की स्थिति में 1 साल तक नए सदन को भंग नहीं किया जा सकता और न ही आपातकालीन स्थिति में इसे भंग किया जा सकता है। राष्ट्रीय असेंबली का आखिरी बार चुनाव जून 2017 में हुआ था। ● अधिवेशन- संविधान क े अनुसार संसद का प्रत्येक वर्ष कम से कम 2 सत्र होना आवश्यक है। प्रथम सत्र 2 अक्टूबर को प्रारंभ होता है और 80 दिन तक चलता है और दूसरा सत्र 2 अप्रैल को प्रारंभ होता है और अधिक से अधिक 90 दिन तक चल सकता है। राष्ट्रीय असेंबली का विशेष अधिवेशन प्रधानमंत्री की सिफारिश पर या राष्ट्रीय सभा क े आधे से अधिक सदस्यों की प्रार्थना पर बुलाया जा सकता है यदि कोई विशेष सत्र राष्ट्रीय सभा क े आधे से अधिक सदस्यों की प्रार्थना पर बुलाया जाता है तो यह निर्धारित कार्य सूची पर विचार पूरा होते ही या अधिक से अधिक 12 दिन क े पश्चात अवश्य स्थगित हो जाता है। ● पदाधिकारी- राष्ट्रीय सभा अपने में से ही किसी सदस्य को सदन का अध्यक्ष निर्वाचित करती है। वही व्यक्ति राष्ट्रीय सभा का अध्यक्ष चुना जा सकता है जिसे सदन क े आधे से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो। यहाँ भी किसी उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न होने पर दोबारा मतदान की व्यवस्था की गई है। दूसरी बार मतदान में भी बहुमत प्राप्त न होने पर तीसरी बार मतदान कराया जा सकता है। इस प्रकार राष्ट्रपति और राष्ट्रीय सभा क े सदस्यों क े चुनाव क े समान राष्ट्रीय सभा क े अध्यक्ष का चुनाव भी द्वितीय मतदान प्रणाली क े आधार पर संपन्न कराया जाता है। अध्यक्ष की शक्तियां - ● राष्ट्रीय सभा का प्रधान सदन की अध्यक्षता करता है, सदस्यों को बोलने की अनुमति देता है, विधेयकों पर मतदान करवाता है और मतदान क े परिणाम की घोषणा करता है। यद्यपि वह चुने जाने क े बाद अपने दल की सदस्यता का त्याग नहीं करता, फिर भी वह सदन क े विचार- विमर्श में भाग नहीं लेता है।
  • 4. ● फ ् रांस की संवैधानिक परिषद क े 9 सदस्यों में से 3 सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय सभा क े अध्यक्ष क े द्वारा की जाती है। ● वह किसी कानून या संधि की वैधानिकता का परीक्षण करने क े लिए संवैधानिक परिषद से प्रार्थना कर सकता है। ऐसी प्रार्थना राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सीनेट क े अध्यक्ष क े द्वारा भी की जा सकती है। ● यदि राष्ट्रपति कभी समय से पूर्व राष्ट्रीय सभा को भंग करना चाहता है तो यह जरूरी है कि वह राष्ट्रीय सभा क े प्रधान से परामर्श करें, कि ं तु वह उसकी सलाह मानने क े लिए बाध्य नहीं है। सीनेट फ ् रांसीसी संसद का दूसरा सदन सीनेट है। फ ् रांस में एकात्मक शासन व्यवस्था होने क े कारण इसकी स्थिति अमेरिकी सीनेट जैसी नहीं है, बल्कि शक्तियों की दृष्टि से तो यह ब्रिटेन की लॉर्ड सभा से भी कमजोर संस्था है। गठन - ● सदस्य संख्या- सीनेट की सदस्य संख्या भी संविधान द्वारा निर्धारित नहीं है और इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। विद्यमान कानून क े अनुसार इसकी सदस्य संख्या 348 है। ● निर्वाचन- सीनेट क े सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल क े द्वारा 6 वर्षों क े लिए किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में समुद्र पार क े प्रांतों और क्षेत्रों सहित फ ् रांसीसी नागरिक, नगर परिषद तथा प्रांतों की सामान्य परिषदों क े सदस्य सम्मिलित होते हैं । इस निर्वाचक मंडल में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व अधिक होता है, अतः सीनेट में प्रायः दक्षिणपंथी तथा केंद्रीय दलों का प्रभाव अधिक रहता है। फ ् रांस क े नागरिक जो स्वयं निर्वाचक मंडल क े सदस्य हो तथा जिनकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो, सीनेट क े सदस्य निर्वाचित हो सकते हैं। अतः सीनेट का प्रत्येक सदस्य किसी न किसी स्थानीय निकाय
  • 5. का सदस्य भी होता है । यह व्यवस्था भारत और अमेरिका की व्यवस्था से भिन्न है क्योंकि यहां पर किसी जनप्रतिनिधि को किसी प्रतिनिधि संस्था की दोहरी सदस्यता की अनुमति नहीं है। ● कार्यकाल- भारतीय राज्य सभा क े समान सीनेट भी एक स्थाई सदन है जिसे कभी भंग नहीं किया जा सकता। इसक े सदस्य 6 वर्ष क े लिए निर्वाचित किए जाते हैं और एक तिहाई सदस्य प्रति 3 वर्ष बाद अवकाश ग्रहण करते हैं। ● पदाधिकारी- सीनेट क े सदस्य अपने में से ही एक अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। राष्ट्रीय सभा क े अध्यक्ष सहित राष्ट्रपति सदन को भंग करने से पूर्व सीनेट क े अध्यक्ष की सलाह भी लेते हैं। सीनेट का अध्यक्ष किसी कानून की वैधानिकता क े परीक्षण क े लिए संवैधानिक परिषद से प्रार्थना कर सकता है। वह सदस्यों को सदन में बोलने की अनुमति देता है, विधेयकों क े संबंध में मतदान करवाता है और उसक े परिणाम की घोषणा करता है। फ ् रांस में किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो सीनेट का प्रधान तुरंत कार्यवाहक राष्ट्रपति क े रूप में कार्य करने लगता है और तब तक कार्य करता है जब तक नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता है। संसद क े अधिकार एवं शक्तियां फ ् रांस की संसद को विधाई संस्था होने क े कारण कानून -निर्माण क े क्षेत्र में अधिकार प्राप्त हैं तथा अध्यक्षात्मक व्यवस्था क े साथ संसदीय व्यवस्था को भी अपनाए जाने क े कारण उसे क ु छ हद तक कार्यपालिका को नियंत्रित करने का अधिकार भी प्राप्त है, हालांकि यह अधिकार पूर्व संविधान की अपेक्षा बहुत कम हो गए हैं। उसक े अधिकारों की विवेचना निम्नांकित शीर्षकों क े अंतर्गत की जा सकती है- 1. विधाई शक्तियां- संविधान क े अनुच्छेद 34 क े अनुसार निम्नांकित विषयों पर संसद कानून बना सकती हैं- ● राष्ट्रीयता, वैवाहिक समझौता तथा संपत्ति क े उत्तराधिकार क े विषय में ● अपराध, दंड, फौजदारी प्रक्रिया, सामूहिक क्षमादान तथा न्याय व्यवस्था की स्थापना ● निर्वाचन कानून, जनता क े अधिकार और स्वतंत्रताये ● श्रम कानून, कर- व्यवस्था एवं मुद्रा ● राज्य क े सैनिक और असैनिक कार्मिकों को दी गई गारंटी ● राष्ट्रीयकरण तथा संपत्ति का हस्तांतरण
  • 6. उक्त विषयों क े संबंध में कानून बनाने क े क्षेत्र में संसद संप्रभु है, कि ं तु संविधान में उन विषयों का उल्लेख भी किया गया है जिन पर संसद क े वल मूल सिद्धांतों का निर्माण कर सकती है और इन विषयों पर विस्तृत नियम बनाने का कार्य कार्यपालिका क े द्वारा किया जाता है जिन्हें कानूनी मान्यता प्राप्त होती है। कार्यपालिका कानूनों क े क्रियान्वयन क े लिए विस्तृत नियम भी बना सकती हैं। यह विषय हैं- ● राष्ट्र की रक्षा ● स्थानीय समुदायों का प्रशासन ● शिक्षा ● संपत्ति का अधिकार ● रोजगार और सामाजिक सुरक्षा संसद की विधाई शक्तियों पर सीमाएं- विधायी क्षेत्र में संसद की शक्तियां निम्नांकित प्रावधानों से सीमित हो गई है। ● अनुच्छेद 38 क े अनुसार अपने कार्यक ् रम लागू करने क े उद्देश्य से सरकार संसद से प्रार्थना कर अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त कर सकती है।व्यवहार में अल्जीरिया क े संबंध में, सामाजिक सुरक्षा, ,प्राक ृ तिक आपदाओं यूरोप क े एकीकरण और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर अध्यादेश की शक्ति का प्रयोग किया गया है । ● अनुच्छेद 11 ने भी संसद की शक्तियों को सीमित किया है जिसक े अनुसार संसद क े दोनों सदनों द्वारा प्रार्थना किए जाने पर राष्ट्रपति किसी विधेयक को जनमत संग्रह क े लिए भेज सकता है और जनमत संग्रह में स्वीक ृ त विधेयक को ही कानून का रूप दिया जा सकता है।2018 से चल रहे ‘येलो वेस्ट मूवमेंट’ क े अंतर्गत फ ् रांसीसी लोगों की यह मांग है कि जनमत संग्रह का विस्तार कर आम नागरिकों को जनमत संग्रह की पहल का अधिकार दिया जाए । ● सरकार और संसद को कानून निर्माण क े संबंध में आर्थिक और सामाजिक परिषद क े द्वारा सलाह दी जाती है जिसका गठन मजदूर संघों, किसानों क े संगठनों और नियोक्ता संगठनों जैसे विभिन्न समूहों क े प्रतिनिधियों से मिलकर होता है। ● संसद क े द्वारा कानून निर्माण की शक्ति का प्रयोग सरकार अर्थात मंत्रिमंडल क े साथ मिलकर किया जाता है। विधेयकों का अध्ययन संसदीय समितियों क े द्वारा किया जाता है यद्यपि संसद क े एजेंडा पर सरकार का नियंत्रण होता है। ● संवैधानिक परिषद का अस्तित्व भी संसद क े कानून निर्माण की शक्ति पर एक सीमा है क्योंकि राष्ट्रपति ,राष्ट्रीय सभा का अध्यक्ष और सीनेट का अध्यक्ष कभी भी संवैधानिक परिषद से प्रार्थना
  • 7. कर सकते हैं कि वह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता की जांच करें। इस प्रकार संवैधानिक परिषद क े अधिकारियों से भी संसद का कानून निर्माण का अधिकार सीमित हुआ है। 2. वित्तीय अधिकार- अन्य देशों की संसदो क े समान फ ् रांस की संसद को भी वित्त क े क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार है। वह वार्षिक बजट स्वीकार करती है, किन्तु इसकी वित्तीय शक्ति पर एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध यह है कि बजट प्रस्ताव पेश किए जाने क े 70 दिन क े अंदर इसे संसद द्वारा स्वीकार किया जाना होता है अन्यथा कार्यपालिका इन्हें एक अध्यादेश क े द्वारा कानून का रूप दे सकती है। 3. संविधान संशोधन संबंधी अधिकार - फ ् रांस क े संविधान में संशोधन का कोई भी प्रस्ताव या तो संसद सदस्यों द्वारा पेश किया जा सकता है या प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति क े द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।संविधान क े अनुच्छेद 89 क े अनुसार दोनों सदनों द्वारा संशोधन विधेयक पारित होने क े बाद वह जनमत संग्रह क े लिए भेजा जाता है और जनमत संग्रह में स्वीक ृ त होकर वह संविधान का अंश बन जाता है। 1961 में अल्जीरिया क े प्रश्न पर जनमत संग्रह कराया गया था जिसमें फ ् रांस की जनता ने 75% बहुमत से अल्जीरिया क े आत्मनिर्णय क े अधिकार को पुष्टि प्रदान की थी। 1962 में राष्ट्रपति क े प्रत्यक्ष निर्वाचन क े प्रश्न पर भी जनमत संग्रह कराया गया था जिससे 62% वोटों क े साथ मतदाताओं ने समर्थन प्रदान किया था। स्पष्ट है कि संशोधन की प्रक्रिया में फ ् रांस की जनता को महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया है, कि ं तु यदि संसद क े दोनों सदनों क े संयुक्त अधिवेशन में 3 / 5 बहुमत से संशोधन विधेयक पारित कर दे तो बिना जनमत संग्रह क े ही संविधान में संशोधन हो जाता है । 4. कार्यपालिका पर नियंत्रण- फ ् रांसीसी संसद को सरकार को नियंत्रित करने का अधिकार तो प्राप्त है, कि ं तु उसकी तीव्रता ब्रिटिश संसद क े समान नहीं है। संसद मंत्रियों से उनक े विभाग की कार्यप्रणाली और कार्यों क े विषय में प्रश्न पूछ सकती है ,कि ं तु ऐसा कभी-कभी होता है और सरकार क े कार्यों का संसदीय समितियों द्वारा निरीक्षण भी कभी कभार ही होता है। संसद को मंत्रिमंडल क े विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार है, कि ं तु इस संबंध में किसी प्रकार की अतिवादिता से बचने क े लिए संसद क े इस अधिकार को भी प्रतिबंधित किया
  • 8. गया है। पंचम गणतंत्र क े संविधान क े लागू होने क े बाद क े वल 1962 मे ही इस तरह का प्रस्ताव लाया जा सका था। मंत्रिमंडल को नियंत्रित करने क े साथ-साथ संसद राष्ट्रपति को भी नियंत्रित करती है। देशद्रोह का आरोप लगाकर संसद राष्ट्रपति क े विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर सकती है और उसक े प्रस्ताव क े आधार पर उच्च न्यायालय में मुकदमा चलाकर, आरोपों को सिद्ध कर राष्ट्रपति को पद छोड़ने क े लिए बाध्य कर सकती है। संविधान क े अनुच्छेद 35 क े अनुसार युद्ध की किसी भी घोषणा का संसद द्वारा अनुमोदन किया जाना आवश्यक है। संविधान ने सरकार को कई प्रकार की संधियाँ करने का अधिकार दिया है, किन्तु अमेरिका की व्यवस्था क े समान ही ये संधियाँ संसद की स्वीक ृ ति क े बिना लागू नहीं की जा सकती। कार्यपालिका द्वारा मार्शल लॉ की कोई भी घोषणा संसद की अनुमति क े बिना 12 दिन से अधिक लागू नहीं रखी जा सकती है। इस प्रकार फ ् रांस में भी अमेरिका क े समान नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था सीमित रूप में की गई है और संसद को उसमें महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की गई है। मुख्य शब्द- राष्ट्रीय सभा, सीनेट , द्वितीय मतदान, नियंत्रण और संतुलन, जनमत संग्रह, मार्शल लॉ, कानून की संवैधानिक समीक्षा References and Suggested Readings 1. Www2.assemblee-nationale.fr 2. www.france24.com 3. www.britannica.com 4. about-france.com प्रश्न- निबंधात्मक- 1. फ ् रांस की राष्ट्रीय सभा क े गठन और उसकी शक्तियों का मूल्यांकन कीजिए। 2. फ ् रांस की सीनेट की अमेरिकी सीनेट से तुलना कीजिए। 3. फ ् रांस की संसद क े गठन और उसक े अधिकारों की विवेचना कीजिए। वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. फ ् रांस की राष्ट्रीय सभा क े सदस्यों का निर्वाचन किस पद्धति क े आधार पर होता है। [ अ ] आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
  • 9. [ ब ] एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र [ स ] द्वितीय मतदान प्रणाली [ द ] ‘ब’ और ‘स’ सही है। 2. सीनेट की सदस्य संख्या का निर्धारण किसक े द्वारा किया जाता है। [ अ ] संविधान [ ब ] संसद [ स ] राष्ट्रपति [ द ] सरकार 3. सीनेट क े सदस्यों का निर्वाचन किसक े द्वारा किया जाता है। [ अ ] राष्ट्रीय सभा [ ब ] निर्वाचक मंडल [ स ] फ ् रांस की जनता [ द ] संवैधानिक परिषद 4. फ ् रांस की संसद का विशेष अधिवेशन राष्ट्रपति क े द्वारा किसकी सलाह पर बुलाया जाता है। [ अ ] प्रधानमंत्री [ ब ] संसद क े आधे से अधिक सदस्यों की सहमति से [ स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] उपर्युक्त में से कोई नहीं 5. संसद का विशेष अधिवेशन अधिकतम कितने दिनों तक चल सकता है। [ अ ] 15 [ ब ] 12 [ स ] 18 [ द ] 21 6. संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक समीक्षा किसक े आग्रह पर की जा सकती है। [ अ ] राष्ट्रपति [ ब ] सीनेट क े अध्यक्ष [ स ] राष्ट्रीय सभा क े अध्यक्ष [ द ] उपर्युक्त सभी 7. फ ् रांसीसी संसद की संविधान संशोधन की शक्ति पर किसका प्रतिबंध है। [ अ ] जनमत संग्रह [ ब ] सरकार [ स ] राष्ट्रपति [ द ] प्रधानमंत्री 8. निम्नांकित में से किन विषयों पर फ ् रांस की संसद क े वल मूल सिद्धांतों का निर्माण कर सकती है। [ अ ] शिक्षा [ ब ] रोजगार [ स ] राष्ट्र की सुरक्षा [ द ] उपर्युक्त सभी 9. फ ् रांस की संसद बजट प्रस्तावों को कितने दिनों क े भीतर स्वीकार कर सकती है। [ अ ] 70 दिन [ ब ] 90 दिन [ स ] 100 दिन [ द ] कोई समय सीमा नहीं है।
  • 10. 10. संसद द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक समीक्षा किसक े द्वारा की जा सकती है। [अ ] न्यायपालिका [ ब ] कार्यपालिका [ स ] संवैधानिक परिषद [ द ] संसदीय कानूनों की संवैधानिक समीक्षा नहीं की जा सकती। उत्तर- 1. द 2. ब 3. ब 4. स हां 5.ब 6.द 7. अ 8. द 9. अ 10. स