http://spiritualworld.co.in भाई आदम को पुत्र का वरदान:
भाई आदम जिला फिरोजपुर गाँव बिन्जू का रहने वाला था| वह पीरो-फकीरों की खूब सेवा करता परन्तु उसकी मुराद कही पूरी न हुई| उसके घर में पुत्र पैदा न हुआ| एक दिन उसे गुरु का सिख मिला| आदम ने उसे श्रधा सहित पानी पिलाया और प्रार्थना की कि मेरे घर संतान नहीं है| आप गुरु जी के आगे अरदास करो कि मेरे घर पुत्र पैदा हो| सिख ने कहा इस समय गद्दी पर गुरु रामदास जी सुशोभित हैं| तुम उनके पास गुरु के चक्क में चले जाओ| उनके पास तुम्हारी मुराद पूरी हो जायेगी|
भाई आदम सिख की बात मानकर पत्नी को साथ लेकर गुरु के चक्क आ गया| भाई आदम जंगल से रोज दो गठरी लकड़ी लाता और लंगर में दे देता और एक अपने घर में जमा करता|
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2. भाई आदम िजिला िफिरोजिपुर गाँव िबिन्जिू का रहने वाला
था| वह पीरो-फिकीरो की खूबि सेवा करता परन्तु उसकी
मुराद कही पूरी न हुई| उसके घर मे पुत पैदा न हुआ|
एक िदन उसे गुर का िसख िमला| आदम ने उसे श्रधा
सिहत पानी िपलाया और प्राथर्थना की िक मेरे घर संतान
नही है| आप गुर जिी के आगे अरदास करो िक मेरे घर
पुत पैदा हो| िसख ने कहा इस समय गद्दी पर गुर
रामदास जिी सुशोिभत है| तुम उनके पास गुर के चक मे
चले जिाओ| उनके पास तुम्हारी मुराद पूरी हो जिायेगी|
भाई आदम िसख की बिात मानकर पत्नी को साथ लेकर
गुर के चक आ गया| भाई आदम जिंगल से रोजि दो गठरी
लकड़ी लाता और लंगर मे दे देता और एक अपने घर मे
जिमा करता|
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3. एक िदिन सर्दिी के मौसर्म मे वर्षा कर के का करण सर्ूखी लकड़ी
कही न िमली| तब भा कई आदिम ने गुर जी को खुशी प्रदिा कन
करने के िलए अपने घर की सर्ा करी सर्ूखी लकड़ी
जरूरतमंदिो मे बा कँट दिी| सर्दिी सर्े िठिठिुर रहे लोग सर्ूखी
लकड़ी जला ककर खुश हो गए| गुर जी भा कई आदिम की
िमल-बा कँट कर प्रयोग करने वर्ा कली प्रवर्ृतित को दिेखकर
प्रशंसर्ा क करने लगे| सर्ंगते भी बहुत खुश थी| गुर जी ने
भा कई आदिम को बुला कया क और कहा क िसर्खा क! गुर ना कनक जी
की सर्ंगत तेरे ऊपर खुश हुई है| तुम अपने मन का क
मनोरथ बता कओ, जो पूरा क िकया क जा क सर्के| परन्तु भा कई
आदिम सर्ंकोच कर गए और कहने लगे महा करा कज! मुझे
दिशरन दिो यही मेरा क मनोरथ है| गुर जी ने तीन बा कर पूछा क
और तीनो बा कर ही आदिम ने "दिशरन दिो" का क वर्रदिा कन
मा कँगा क|
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4. तब अन्तया करमी गुर ने कहा क - भा कई तुम कल अपनी पत्नी
को सर्ा कथ लेकर आना क और िफिर िजसर् मकसर्दि सर्े तुमने गुर
घर की सर्ेवर्ा क की वर्ह आकर बता कना क| आपका क मनोरथ गुर
ना कनक जी पूरा क करेगे| इसर्के पश्चा कत आदिम ने डेरे मे
जा ककर सर्ा करी बा कत पत्नी को बता कई और दिूसर्रे िदिन पत्नी
को सर्ा कथ लेकर गुर दिरबा कर पर आ गया क| गुर जी ने वर्चन
िकया क िक आज अपना क मनोरथ िनसर्ंकोच बता कओ| पत्नी ने
हा कथ जोड़कर कहा क महा करा कज! हमे पुत की दिा कत प्रदिा कन
करो| यही मनोरथ के सर्ा कथ हम गुर दिरबा कर मे आए थे|
गुर जी ने ध्या कन मे बैठिकर वर्चन िकया क िक हम आपकी
श्रद्धा क, भिक और िनष्का कम सर्ेवर्ा क पर बहुत खुश है|
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5. गुर नानक जी िक कृपा से आपके घर प्रतापी पुत होगा|
उसका नाम भगतु रखना| अब आप अपने घर जाओ
और गुर यश का आनंद प्राप करो| गुर की आज्ञा के
अनुसार भाई आदम अपने गाँव चला गया और उनके
घर लड़के ने जन्म िलया और िजसका नाम भगतु ही
रखा गया| भाई भगतु जी बड़े नाम रिसक और करनी
वाले प्रतापी पुरष हुए है| इस प्रकार आदम और उसकी
पत्नी का गुर दर पर िवश्वास और बढ गया|
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6. गुर नानक जी िक कृपा से आपके घर प्रतापी पुत होगा|
उसका नाम भगतु रखना| अब आप अपने घर जाओ
और गुर यश का आनंद प्राप करो| गुर की आज्ञा के
अनुसार भाई आदम अपने गाँव चला गया और उनके
घर लड़के ने जन्म िलया और िजसका नाम भगतु ही
रखा गया| भाई भगतु जी बड़े नाम रिसक और करनी
वाले प्रतापी पुरष हुए है| इस प्रकार आदम और उसकी
पत्नी का गुर दर पर िवश्वास और बढ गया|
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