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पोवारी साहित्य सररता
1 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
पोवारी साहित्य अना सांस्क
ृ हतक उत्कर्ष द्वारा आयोहित
पोवारी साहित्य सररता भाग ६१
आयोिक
डॉ. िरगोहवंद टेंभरे
मागषदर्षक
श्री. व्ही. बी.देर्मुि
पोवारी साहित्य सररता
2 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
1.
पोवार समािहित को पररप्रेक्ष्य मा मातृभार्ा पोवारी को मित्व
पोवार समाज को प्रत्येक व्यक्ति मा मातृभाषा पोवारी अना पोवारी
संस्क
ृ तत को प्रतत सुप्त प्रेम व्याप्त से. अना समय-समय पर येन् सुप्त प्रेम
को अद् भुत दर्शन होसे. येन् प्रेम को धागा धरक
े मातृभाषा पोवारी अना
३६क
ु ल पोवार समाज को अक्तित्व ला तिरस्थाई बनावनों सहज संभव
से.
आवश्यकता से समाज को हर व्यक्ति मा मातृभाषा पोवारी को
प्रतत प्रखर प्रेम जागृत करन की ! उत्तम पोवारी सातहत्य को सजशन की !
पोवारी संस्क
ृ तत व पोवार समाज को अक्तित्व ला तिरस्थाई बनावन को
येव रामबाण उपाय से. येको दुन अन्य कोनतोि सरल,प्रभावी अना
पररणामकारक उपाय धरती पर अक्तित्व मा नाहाय.
ओ.सी.पटले
पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ांहत अहभयान, भारतवर्ष.
र्हन.२७/०८/२०२२.
----------------🔷🔶🔷-----------------
पोवारी साहित्य सररता
3 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
2.
बैल पोरा
पोरा को तदवस
अतत आनंद को आयोव
फ
े डन क
ृ तज्ञता बैलईंकी
मनमा उल्हास समायोव
पूरो दुतनया को भूक
बैईल राबसे खेतमा
माय बाप तकसान
घाम गाडसे साथमा
मुको जरी योव जनावर
खेतमा रकत अटावसे
सबकी भूक भगायक
े
तृप्तीकी ढेकर तदखावसे
महादेव र्ंभू को वाहन
मनवाक्तछं त फल दाता
योको आरी को फ
े रामा
भूक को तफरसे जाता
दतार नांगर गाडो
बैलईंको गरा का हार
तजंदाबाजी का तर्ंग
आपलोआप मा शंगार
तकसान घर को धन
आंगण मा की र्ोभा
फली फ
ु ली या धरा
पोवारी साहित्य सररता
4 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
यन बैलंईंकी आभा
अज पोरा को तदवस
करु मन भावण पूजा
तोरो िरण धोवन को भाग्य
जन्मोजन्म दे सजाश राजा
र्ेर्राव येळे कर
हद.२७/०८/२२
*********************
पोवारी साहित्य सररता
5 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
3.
क
े वल किष से मायबोली को उतारनो
-------------------💐💐------------------
येव जीवन से मोठो सुहानों l
मायबोली ला से सुंदर बनावनों l
नाहाय डोस्की पर पहाड़ उठावनों,
क
े वल इछार्क्ति से सबमा जगावनो ll
मानव जीवन से मोठो दुलशभ l
करनो से यहां मायबोली को उत्कषश l
नाहाय पवशत मा सुरंग बनावनों,
क
े वल मतहमा से मायबोली बढावनो ll
मानव जीवन से मोठो अनमोल l
मायबोली सबमा बंधुभाव देसे घोल l
नाहाय आपलों ला दौलत लुटावनों,
क
े वल क़र्जश से मायबोली को उतारनो ll
ओ.सी.पटले
------------------🔷🔶🔷---------------
पोवारी साहित्य सररता
6 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
4.
मोबाइल को िमानों मा
--------------------------------------
नवयुग का बालक आता
खोय जासेती मोबाइल मा l
मोठी तिंता सताव् से
उनका डोरा कमजोर होन की l
अना याद आव् से
बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll
नवयुग मा मायबाप आता
खोय जासेती मोबाइल मा l
मोठी तिंता सताव् से
बालगोपालों की उपेक्षा होन की l
अना याद आव् से l
बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll
नवयुग मा युवार्क्ति आता
रम जासे आभासी दुतनया मा l
मोठी तिंता सताव् से
पड़ौस को मेलजोल कम होन की l
अना याद आव् से l
बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll
नवयुग मा संसार आता
रम जासे आभासी दुतनया मा l
मोठी तिंता सताव् से
संस्क
ृ तत आपली कमजोर होन की l
अना याद आव् से बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll
ओ सी पटले
--------------------------------------------------
पोवारी साहित्य सररता
7 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
5.
पोवारी पकवानों की किानी
---------------💕💕---------------
पोवारी पकवानों की या कहानी l
या से पूवशजों की धरोहर वानी ll
बुल्ल्या अना भज्ज्या
पांढरा अक्शा ना सूरन की भाजी l
पान बड़ा अना तेल बड़ा
मही की कढी ना ताजी -सुवारी l
नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली l
पकवानों को राजा से ,
काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll
अठली अना मठली
मयरी ना कोियी को पान की बड़ी l
मालपुआ ना आटेल
साथ मा पापड़ अना क
ु रमोड़ी l
नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली
पकवानों को राजा से, काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll
सेवयी की खीर अना गुंजा
पांढरो अक्शा को संग मा लेप्सी l
लहसुन को पान का अक्शा
कभी नमकीन,कभी मीठो की बारी l
नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली
पकवानों मा राजा से,
काजू-तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll
पोवारी साहित्य सररता
8 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
कभी हलवा अना अिार
तेलुता की गरम -गरम पुड़ी l
समय को साथ गयी पाथररोटी
लेतकन कायम से पुरण रोटी l
नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली
पकवानों को राजा से, काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll
ओ सी पटले
पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ांहत अहभयान, भारतवर्ष.
पोरा को पावन त्यौिार, र्हन.२७/०८/२०२२.
------------------🔷🔶🔷---------------
पोवारी साहित्य सररता
9 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
6.पोला हपथोरा
भादो मास मा जन्मयों अतवनार्ी,
तदन खार् होतो पुण्य अष्टमी।
पता िल्यो मामा क
ं स ला,
जतन करन लग्यो मारन ला क
ृ ष्ण ला।।
एक लक बडकर एक राक्षस पठाईस,
सात तदन तक क
ु छ तबगाड़ ना पाईर्।
आठवों तदन याद आयो पोलासुर,
अमावस्या की रात घनघोर आना भारी हाेे तो असुर।।
तफर मारयों गायों राक्षस पोलासुर,
तदन यादगर बन गयो पोला पाटुर।
बन गयो एक नवों त्योंहार,
खुर्ी लक मनावसेत नर नार।।
येनि तदन भयो होतो एक युद्व महान,
राजा तवराट को बिावनो होतो सम्मान।
सब पर्ुधन ला लेयीन िुराय,
तब अजुशन न सबला देयीस बिाय।।
तब लोग तगन घर घर करी होतीन जतन,
माटी का पर्ुधन बनायकर करीन पूजन।
तब लक िली आय रही प्रथा,
पोला तपथोरा आना गऊधन की गाथा।।
यर्वन्त कटरे
िबलपुर २७/०८/२०२
*************************
पोवारी साहित्य सररता
10 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
7.
ज्योहत लक ज्योहत िलावत चलों
-------------------🌹🌹----------------
ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l
मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll
भटक गया जे संगी -साथी
उनको मा प्रेम जगावत िलों l
छोड़ देईन जे माय बोली
उनमा अक्तिता जगावत िलों l
ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l
मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll
जे कर रहया सेती उपहास
उनला मतहमा समजावत िलों l
जे कर रहया सेती अनादर
उनको मा प्रेम जगावत िलों l
ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l
मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll
मायबोली से पूवशजों की छाया
येको संरक्षण तुम्ीं करत िलों l
मायबोली या अदृश्य काया
येको संवधशन तुम्ीं करत िलों l
ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l
मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll
ओ सी पटले
********************
पोवारी साहित्य सररता
11 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
8.
माय भवानी बगैर गम निीं
**********
माय भवानी लक कम तमल नहीं;
माय भवानी बगैर मोला गम नहीं!
माय को तबना तो तदल रम नहीं;
माय को बगैर तलखनो जम नहीं।
माय देसे येतरो तक कम होय नहीं;
माय अगर तदस नहीं तो गम नहीं!
माय जवड़ रही तों तवषम नहीं;;
माय करीब रही तो भ्रम नहीं!!
माय को बगेर येव आलम नहीं!
माय तबना सृतष्ट को समागम नहीं!
माय नहीं रही तो काही काम नहीं;
माय हातजर नहीं तों पैगाम नही!!
माय यतद नहीं तो;आराम नहीं!
तबन माय को काही आयाम नहीं।
माय बगैर भगवान श्री राम नहीं;
तबन माय को श्री क
ृ ष्ण र्ाम नहीं।
देवी गीतकार-रामचरण पटले मिाकाली नगर नागपुर मोबाइल
नं.८२०८४८८०२८
*********************
पोवारी साहित्य सररता
12 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
9.
मध्यभारत की बोली
*******
सन 1891 की जनगणना को अनुसार मध्यभारत की ज्यादातर बोली
सब जाततगत सेत ।
गोवारी, भोयरी, कोष्टी, हलबी, लोधी, पोवारी , गोंडी , मरारी , िमारी
आतद सब तवतर्ष्ट समुदाय द्वारा तवकतसत बोली आत ।
ये समुदाय जहा जहा रह्या वोको प्रभाव इनपर पड़ी से । इनको बोली को
अध्ययन लक समुदाय को स्थानांतरण को इततहास को आकलन होय
सकसे ।
************************
पोवारी साहित्य सररता
13 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
10.
पोरा
**********
पोरा सण ला बईल सज्या नंतदवानी
खेती बाडी लक होसे घर की आमदानी |
पाणी आयेव पाणी बादर मा को पाणी
पोवार सारखो गुणी आब से का कोणी ||१||
दैतीन बोडी की आणेव ओली माती
पोरा को बईल बनायेव पूजा साती |
मातीको बईल की र्ोभा आवसे क
े ती
पूजा िवरीपर तनवज खवावसेती ||२||
ढोल सहनाई बाजा बज ढमढम
पुजारी ला से आरती धरण को काम |
बईल जोडीको तोरण मा लगी जाम
जोडीदार ला मनमानी आवसे घाम ||३||
झडती वाला झडती लग्या बोलन
मुठवा देव की आरती लग्या करन |
राम राम को टीका पाय लग्या लगन
तोरण तोडकर घर लग्या जान ||४||
*********
िेमंत पी पटले
धामणगाव (आमगाव)
९२७२११६५०१
**************************
पोवारी साहित्य सररता
14 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
11.
सामाहिक क्षेि
सामातजक क्षेत्र मा सबला साथ लेयकर सांस्क
ृ ततक संरक्षण, समाज कायश
करनो से त् सबकी बात कोनतो ि माध्यम लक आये स्वागत करनो
जरूरी से ।
बात यहान आयकर कहो , वहान आयकर कहो यको काइ मतलब
नाहाय । बात जहान तनकली वहाि उत्तर देनला हरकत नाहाय।
अछो रव्हसे जब कोणी सामने कवन की कोतर्र् करसे । कोणी मंग
बात नही कर यव अछो रव्हसे । कोणी आपलो समझकर सुझाव देसे या
अछी बात से । कोणी सुझाव देनको बारामा एतरो सोिसे या बड़ी बात
से । सुझाव को सदा स्वागत करनला होना । जो आमी नही देख पाया
दुसरो देखसे अना आमला सांगसे या क
े तरर अछी बात कवनो पड़े।
अछो नेतृत्वन सदा सुझाव को स्वागत करनला होना ।
*****************
पोवारी साहित्य सररता
15 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
12.
लोकर्ािी िीवनप्रणाली अना सामाहिक संगठन
------------------🌹🌹🌹-----------------
राजेर्ाही अथवा हुक
ु मर्ाही मा सामातजक माध्यमों पर अंक
ु र्
होतो. १९४७ भा भारत स्वतंत्र भयेव अना सामातजक माध्यमों ला र्ासन
को िौथो अंग को रुप मा मान्यता देयेव गयी. तात्पयश, सामातजक माध्यमों
ला र्ासन की आलोिना करन को अतधकार बहाल करेव गयेव.
सामातजक माध्यमों मा प्रकातर्त महत्वपूणश समािारों अथवा जनमत ला
संग्रतहत करनों र्ुरु भयेव.सरकार को येन् कायश ला आदान ( Input)
कायश कहेव जासे. र्ासकीय योजना अथवा नीतत की जानकारी जनता
पयंत पहुंिावनो येला प्रदान (Output) कायश कहेव जासे.
र्ासन प्रणाली व जीवनप्रणाली बदली परंतु तितटर्कालीन
सामातजक संगठनों की सोि नहीं बदली. इन संगठनों को कायो की
ििाश जब् सामातजक माध्यमों मा र्ुरु होसे तब् संगठन को तमटींग मा
आयक
े बात ठे वन ला कहेव जासे. असो प्रसंग मा अनायास राजेर्ाही
याद आय जासे.लेतकन आता सामातजक संगठनों न् आपली जुनी सोि
बदले पातहजे. संगठनों न् आदान व प्रदान ( Input and Output) असो
दुही स्वरुप को कायों ला महत्व देये पातहजे.
सामातजक संगठनों न् सामातजक माध्यमों ला आपलो एक अतनवायश
अंग को रुप मा मान्यता देये पातहजे. तबि सामातजक जागृतत आये,
तानार्ाही सोि पर नैततक दबाव बनेव रहे अना वय समाज
कल्याणकारी तदर्ा मा उन्मुख होयक
े अतधक अछों कायश भी कर
पायेती.
इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
र्हन.२७/०८/२०२२.
*********************
पोवारी साहित्य सररता
16 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
13.
पोवार संघ का छत्तीस क
ु ल
--------------💙♥️💚---------------
छत्तीस क
ु ल की पोवारी,येवि आमरो समुदाय l
ररश्तों -नातो जोड़न साती, ठे ओ सबजन याद ll
गौतम, तबसेन, पटले, राहांगडाले l
ठाक
ू र, र्रणागत,बोपिे, टेंभरे l
तुरकर, ररनाईत, येड़े, हररणखेड़े l
छत्तीस क
ु ल की से पोवारी l
तीस क
ु ल की या तगनती , ठे ओ सबजन याद ll
ररश्तों नातों जोड़न साती...
भगत,िौधरी, िौहान,कटरे l
हनवत, पररहार ,पुंड,अंबुले l
राणे, क्षीरसागर,पारधी, ,बघेले l
छत्तीस क
ु ल की से पोवारी l
तीस क
ु ल की या तगनती , ठे ओ सबजन याद ll
ररश्तों नातों जोड़न साती...
भैरम, कोल्हे, सोनवाने l
जैतवार, भोयर, सहारे l
छत्तीस क
ु ल की से पोवारी l
तीस क
ु ल की या तगनती, ठे ओ सबजन याद ll
ररश्तों नातों जोड़न साती...
रणमत, राऊत , राजहंस l
फरीदाले, डाला ,रणतदवा l
ये सय क
ु ल आता नाहात हयात l
पोवारी साहित्य सररता
17 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
छत्तीस क
ु ल की से पोवारी l
तीस क
ु ल की या तगनती ,ठे ओ सबजन याद ll
ररश्तों नातों जोड़न साती...
ओ सी पटले
इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
प्रकार्न - र्ुभ मुहूतष "पोला"
र्हन.२७/०८/२०२२.
***************************************
*आपरो छत्तीस क
ु र परा यव लगत साजरी रिना की तनमशती भयी। यव
कालजयी रिना, आन वाली पीढी ला आपरो पोवारी का क
ु र अना ओको
मायनो सांगे असो तवश्वास से।
हर काल अन क्तस्थतत मा समाज का वैभव त येक जसो नयी रही से परा
हर क्तस्थतत मा आम्रो पुरखा तगनना आपरी पोवारी संस्क
ृ तत ला संजोकन
राक्तखन। अज भी यव साबुत से, परा नवी पीढी ला येको संग जोड़नो अना
उनला येको हिान्तरण का उपाय समाजजन ला तमलकन करनो से।
समाज का सांस्क
ृ ततक पतन की क्तस्थतत मा युवा पीढी मा तबखराव अना
नैततकता मा तगरावट होय रहीसे, जेला रोकन का काम अज पोवारी का
सातहत्यकार अना तविारक कर रही सेत। सातहत्य युगो युगो तक संरतक्षत
रहकन प्रकार् िम्भ को मातफक समाज का पथदर्शन करवावसे अना
पोवारी सातहत्य बी पोवार समाज लाई यव काम करहे असा भरुषा से।
िय क्षहिय पोवार(पंवार) समाि
**************************
पोवारी साहित्य सररता
18 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
14.
सन 1916 मा इहतिासकार रसेल को आमरो 36 क
ु ल पोवार
समाि को बारामा अवलोकन
■ पंवार बाई लोग तहंदुस्थानी तरीका लक बाली पेहरत सेत , मराठा
तरीका लक नही पेहरत।
■ पंवार बाई लोग आपलो पाय , हाथ परा टेटू तडर्जाइन करसेत ।
उनको िेहरा परा टैटू को रूप मा एक तबंदु रव्हसे । सुंदरता को
दृतष्टकोण लक यव टैटू को तबंदु अंतकत करयव जासे ।
यव िेहरा पर टैटू को तबंदु इंग्लैंड मा जसी बाई लोग करसेत तसोि
प्रकार यहानबी पायव गयव।
■ पंवार लोग कतब जमीन पर बसक
े भोजन नही करत ।
भोजन की भानी आलनी परा राखक
े खुद लकड़ा को पाट पर बसक
े
भोजन करन को ररवाज से।
■ पंवार गृतहणी को बडो महत्व घरमा रव्हसे । आदमी लोग घर को
बाहर खानों या तपनो तबना घरवाली को रजामंदी करत नही।
■ पंवार एक सुंदर, गोरी कौम आय । इनको िेहरा लक तवद्वता नजर
आवसे , इनका डोरा सामान्यतः तगजरा रव्हसेत।
■ पंवार लोग अत्यंत वंर्वादी रवहसेत।
■ पंवार वंर् बहुत , तवद्वान, भाग्यर्ाली से । पररक्तस्थतत देखकर घबराय
जाने वाली या कौम नोहोय ।
....... क्रमर्:
मिेन पटले
***************
पोवारी साहित्य सररता
19 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
15.
तांका
-----
क्ांहत िोय क
े रिें
++++++++++++
तुम्ारी भाषा
नाव मोरो पोवारी
पहिान्यात ?
र्हर मा आयात
मोला भूल गयात
#
माय - माता न्
तर्काइस पोवारी
आता भुल्यात ?
मोठा तुम्ी भयात
मोला भूल गयात
#
मोरी अवस्था
दुलशतक्षत कर् यात
जहां को वहां
मोला सोड़ देयात
आता होये प्रकार्
#
क्रांतत का स्वर
धरा पर गुंजेत
आता का करो ?
मोला दफनाओं ?
सोिनो से तुम्ाला
#
मोरी भी आत्मा
पोवारी साहित्य सररता
20 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
सुधारना िाव्ह् से
युग को साथ
आधुतनकीकरण
सोिनों से तुम्ाला
#
सुधारणा को
तत्वज्ञान बनी से
युग को साथ
मोरो मा सुधार को
क्रांतत होय क
े रहें
#
क्रांतत बढाओं
तक तवरोध दर्ाशओं ?
पुण्य को भागी
कोणी बन् या नहीं
क्रांतत होय क
े रहें
#
मोरो भतवष्य
मोला तदस रहीं से
भाषा की श्रेणी
मोला तमल क
े रहें
क्रांतत होय क
े रहें
#
इहतिासकार
प्राचायष ओ.सी. पटले
*********************
का उमंग होती!
का उल्लास होतो !
का जोर् होतो !
पोवारी साहित्य सररता
21 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
अना अदम्य आर्ावाद होतो !
येन् उमंग,उल्लास,जोर् मा सहभागी होयको अदम्य आर्ावाद को
बाजूला
स्वातभमान,गवश व आत्मतवश्वास लक तुम्ीं उभो रहयात. वय
अतविरणीय तदवस येन् कतवता ला प्रेतषत करक
े पुनः िरण कराय
देयात. असो लगेव मानो िेतना को एक नवो ष्रवाह तवद् युलता वानी पूरो
देह मा क्षणभर रुक क
े व देह ला झकझोरत आर को पार तनकल गयेव.
धन्यवाद भगत साहाब, बहुत -बहुत हातदशक धन्यवाद.
***************************
पोवारी साहित्य सररता
22 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
16.
नरबोद को हदन मांसािार को चलन सभ्य समाि मा कसो
समाहित भयो?
गुरूदेव आज एक यक्ष प्रश्न मोरो तदमाग मा बार बार किोट रही से_
१_नरबोद को तदन मांसाहार को िलन सभ्य समाज मा कसो समातहत
भयो?
२_ एक आदर्श समाज मा कभी येन बात को तवरोध काहे नहीं भयो?
तुम्ारो मागशदर्शन या तटप्पणी की अपेक्षा से ……..
1. या देखा सीखी आय । आमरो समाज पर स्थानीय प्रभाव बहुत पडी से
। जब प्रभाव ज्यादा पड़न लगयव होतो तब 1906 को दरतमयान पंवार
जाती सुधारणी सभा को गठन भयव । मांसाहार अना मतदरा पर पाबन्दी
लगी होती असो पता िलसे ।
इततहासकार श्री सी व्ही वैद्य , इततहासकार श्री दर्रथ र्माश , आमरा
भाट , राजा मुंज को दरबारी कतव हाल को अनुसार आमी असल मा
िाम्ण आजन जो बाद मा भारत मा धमश रक्षालाइक क्षतत्रय बन गया ।
आमी जेनेउ धारण करने वाला िम्क्षत्र वंर् का उत्तरातधकारी आजन ।
पर संगत को असर देखो जो सबला आब िोवहसे ि ।
2. मासाहार सभ्य समाज मा तनतषद्ध से. पर हर समाज मा काही अपवाद
रव्हसेती. उनन मासाहार अपनाई रहेव. तजनला करंजी, पापडी पसंद
नही आयी उनन अन्य लोक ईनकी देखा देखी मासाहार सुरू करी रहेन.
पोवारी मा पाहुणाको तेलरांधा को पाहुणिार करेव जासे. पर
आता दुसरो की देखा देखी काही लोक पाहुणिार मा बी मासाहार तयार
करसेती.
नारबोद यव तवर्ेष रूप मा आमरो पोवारी त्यौहार त् नोहोय । यव मध्य
भारत को स्थानीय ततवार आय ।
यहा को पुरातन गोंड लोगइनको यव ततवार लगसे ।
येन तदवस आमरो सबको घर को रान्धन खोली मा पतवत्र िूल्हा पर
मांसाहार नही बन ।
पोवारी साहित्य सररता
23 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
3. जो मांस ख़ान लग्या वय बाहर खासेत । घर मा उनला अनुमतत नही
तमल । आब थोड़ो जमाना बदल रही से । पतवत्र िूल्हों गयव गैस आयव ।
अतिपूजन बन्द भयव । देव धमश बी देवघर मा तसमट कर रय गयव ।
आब बी आमरो समाज मा काफी प्रततर्त र्ाकाहारी लोगइनको से।
ज्यादातर समाज की बाई लोगइनन आपलो धरम बनायक
े अज बी
राखी सेन । नारी र्क्ति धरम की रक्षण करता सेत । उनला वंदन से ।
4. आम्ीं लहान होता तब् राजस्थान का राजपूत पंवारों को क
े सर-
किुरी-तर्लातजत तबकन इत् आवनो- जानो र्ुरु होतो. वय सांगत तक
आप और हम एकही है लेतकन इधर आने क
े बाद आप लोगों ने मुगी
पालना एवं मटन खाना र्ुरु कर तदये है. इसतलए अब आपको हम हीन
मानते है एवं आप लोगों से संबध तोड़ तदये है. आप लोगों क
े घरों में
पानी पीने की भी इछा नहीं होती.
5. सामातजक र्क्ति को कमजोर पड़न को कारण व्यक्तिगत र्क्ति
समाज पर हावी भयी अन जोको मन जो आयो अन वोला जो भी अछो
लग्यो करन लग्यो। समाज की र्क्ति का होन को कारण सभ्य समाज न
मौन धारण कर सभ्य र्क्ति दुबक गयी।
समाज की र्क्ति कमजोर होन को वजह लक सज्जन र्क्ति घर मा
बंदी बन गयी अन दुजशन र्क्ति सड़क पर नािन लगी। वोको पररणाम
आय का आज पोरा बड़गा न होयकर पोरा हड़गा भय गयो।
अबो बी समय से की सज्जन र्क्ति संगतठत हो समाज तहत कठोर
तनणशय लेन की क्षमता प्रदतर्शत करन की आवश्यकता से।
सत्ता ल नोको करन पररवतशन की आस।
समाज का जाग्रत क
ें द्ों लक
होये तब ि तवकास।
जय राजा भोज जय भारत माता।
कोमलप्रसाद राहँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तहसील बरघाट तजला
तसवनी म प्र।
************************
पोवारी साहित्य सररता
24 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
17
देवधरम को बारामा
आमरा जो बी आराध्य देव सेत उनको आमला सही मायनों मा मान
राखनो जरुरी से ।
पैसा कमावन लाइक देवी देवताओंइनला रिा परा निाय क
े आमी
अगर आपलो देवी देवताओंइनकी इज्जत बढाय रह्या सेजन , उनको प्रतत
भक्ति कर रह्या सेजन त् या बात गलत से ।
पाखंड लक दूर रव्हनो जरूरी से। श्रध्दा भक्ति आंतररक रहे त् येन
जनम को कल्याण होये ।
देवी देवताओं की आराधना मा संगीत को उपयोग आनंददायी से पर
वोन संगीत मा सभ्यता , लय ,सुर, र्ास्त्रीयता होना । संगीत को तमार्ा
लोग इनला क
े तरो बी अछो लगे पर आमरो देव धरम की कोणी हासी
उड़ाएती असो नही होनला होना ।
मिेन पटले
****************
पोवारी साहित्य सररता
25 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
18.
नैनं हछन्दखन्त र्स्त्राहण नैनं दिहत पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न र्ोर्यहत मारुतः ॥
आत्मा ला न र्स्त्र काट सकसेत, न आग वोला िराय सक ।
न पानी वोला हगलो कर सक, न िवा वोला सोक सक ।
या बात भलेही सत्य रहे पर जो र्रीर स्वरूप अदृश्य होय जासे वु
भतवष्य मा कतब नही आव । वोन िेतनायुि र्रीर की कमी पूरी करनो
उनला कतठन होय जासे जो मृत व्यक्ति को संग जुड़या रव्हसेत । मन
पर जो घाव होसे वु बडो दुखदायी होय जासे असो मा समय एक असी
दवा से जो मन को हर घाव ला भर देसे ।
मिेन पटले
****************
पोवारी साहित्य सररता
26 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
19.
आमी अना आमरो 36 क
ु ल वालो समाि
*************
आमरो समाज दुसरो समाज सरीखो मात्र एक समाज नहाय
बक्ति आमरो समाज 36 क
ु ल वालो मोठो पररवार को समुह आय। खास
बात या की आमी सब एकदूसरो संग रि लक बंध्या सेजन ।
आमरो बीि सामातजक तौर परा ज्यादातर हर बात मा साम्यता
से । आमी ढूंढन गया त् कही न कही ररश्तेदारी तनकल ि जासे । आमरो
खानपान , दिूर, बोली, रीतत ररवाज , सण ततवार, देव , पूजा पद्धतत ,
जीवन पध्दतत ,परम्परा , संस्क
ृ तत , इततहास आतद सबमा तबि
ु ल फक
श
नाहाय । तसवनी लक ततरखेड़ी अना पौंडी लक सालेभाटा िली जाओ ,
त् कही असो नही लगनको की कोणी दुसरो समाज वालो को यहान गया
सेजन । काहेतक आमी एक आजन । येन सब मानदंड को तहसाब लक
ि आमरो समाज की व्याख्या होसे । येन सब मानदंड परा तसरफ़ 36
क
ु ल पोवार या पंवार वाला पररवार उतरसेत मुन आमी एक समाज का
आजन । 36 को अलावा बाकी आमरा सब भारतीय भाईबहन आत ।
36 क
ु ल पररवार कई सदीलक एक साथ रहेलक आमरो
संस्क
ृ तत को तवकास तवतर्ष्ट रुपमा भयी से। या पुरातन संस्क
ृ तत आब बी
नवो जमाना को संग तालमेल बनायक
े राखन की तजमेदारी आमरी से ।
तजनन आपलो स्वातभमान सोड देइन , जो आपलो पूवशकाल , क
ु ल धमश ,
समाज, संस्क
ृ तत को सन्मान नही कर उनको सन्मान बी दुतनया नही कर
।उनला कोणी को मंग िलनो पडसे । जो खुदकी पहिान सोडसे ,
वोको खुदको अक्तित्व , वोतक पहिान खत्म होय जासे । जो खुदकी
इज्जत नही करत , उनला दुसरो की देखातसखी करनो पडसे अना
नकल करनो पडसे ।
दुतनयामा जो आपली इज्जत करसे वोतक इज्जत दुतनया खुदि
करसे या बात मा ध्यान राखनो जरुरी से ।
आमला खुदला आत्मतवश्वास लक भर देनो पडे तब आमरी नेतृत्व र्क्ति
मजबूत होये । येन जमाना मा आब आमला सामने िलनो सीखनो पड़े ।
हर क्षेत्र मा नेतृत्व करनो जरूरी से । हर क्षेत्र मा आमला मुख्य तकरदार
पोवारी साहित्य सररता
27 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
तनभावन की जरूरत से , तब कही आमरी सक्तम्मतलत सामातजक र्क्ति
को तनमाशण होये .....
मिेन पटले
सदस्य
अखिल भाऱतीय क्षहिय पंवार पोवार मिासंघ
*************************************
पोवारी साहित्य सररता
28 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
20.
कािळहतिा
(तिष:- आदमी मुसाहिर िैं)
Ooo
गाऊ तगरजा की तलला / उपास करीस तनरजला //
करीस भिी जेण,तर्व पती भेटेव ओला//धृ//
एक तदवस नारद आयर्ान ,कर गुणगान
सब देवता मा तर्व भगवान महान
मालुम भयेव तगरजाला,कसे वरुण मी तर्वजीला //
तर्व को ध्यान ओन मन मा धररस
काजळततजा को उपवास करीस
त्यातगस अनाज पानी ला,प्रसन्न करण तर्वजी ला//
मन की ईछा ओकी भयगयी पुरी
म्णून पती भेटेव ओला भोला भंडारी
ज्या कोणी करं व्रतला,तर्व सारखो पती ओला//
पततव्रता को बाई ध्यास तुम्ी धरो
लंतब उमर साती काजळततजा करो
आधार संसार ला,भवसागर तरण ला//
***
डी. पी. रािांगडाले
गोंहदया
*************************
पोवारी साहित्य सररता
29 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
21.
छत्तीस क
ु ल पोवारी की उत्पहत्त
---------------🌹💢🌹--------------
छत्तीस क
ु ल को होतो सैतनक- संघ
ररश्तेदारी मा येव बंध गयेव l
समान भाषा- संस्क
ृ तत को कारण
जातत-समुदाय मा बदल गयेव ll
गौतम,तबसेन,पटले,राहांगडाले
ठाक
ू र,र्रणागत,बोपिे,टेंभरे
तुरकर, ररनाईत, येड़े,हररणखेड़े
इनको एक इततहास बन गयेव ll
छत्तीस क
ु ल को होतो...
भगत,िौधरी, िौहान,कटरे l
हनवत, पररहार ,पुंड,अंबुले l
राणे, क्षीरसागर,पारधी, ,बघेले l
इनको एक इततहास बन गयेव ll
छत्तीस क
ु ल को होतो...
भैरम, कोल्हे, सोनवाने l
जैतवार, भोयर, सहारे l
छत्तीस क
ु ल की से पोवारी l
इनको एक इततहास बन गयेव ll
छत्तीस क
ु ल को होतो...
रणमत, राऊत , राजहंस l
फरीदाले, डाला ,रणतदवा l
ये सय क
ु ल आता नाहात हयात l
इनको एक इततहास बन गयेव ll
पोवारी साहित्य सररता
30 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
छत्तीस क
ु ल को होतो...
(एक सैतनक- संघ (Troop of warriors) लक पोवार नामक जातत-
समुदाय की उत्पतत्त भयी)
इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
प्रकार्न - र्ुभ मुहूतष "कािल हति"
मंग.३०/०८/२०२२.
-----------------🔷🔶🔷---------------
22.
पोवारी साहित्य सररता
31 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
बोलो गौरा माता की िय
गौरा आयी ,गौरा आयी
गौरा नाित खेलत आयी
पहले आयी आकर पर
िारों तदर्ांन् करीन नमन
सखी भेटी ततन िार
फ
ु गळी मा रमेव गौरी मन
सामने होती दुगाश माय
फ
ु गळी खेलं गौरी संग
तहरवो िुडा तहरवो र्ालु
असमान रंगेव नव रंग
हासत आयी माता माय
ममतामयी तर्तल छाव
दया क्षमा र्ांती का
गौरी मा तदसन लग्या भाव
मोरं घरं तनरजला व्रत
हाक गयी गौरा कान पर
भक्ति भाव लका भावूक होयकन
मां गौरा आयी मोरं घरं
पाय धोयकन मांडीस ठाना
धन्य भयी मोरी काया
पती लंबी उमर की कामना
मोरो संसार पर ठे वं छाया
र्ेर्राव येळे कर
हसंदीपार हिल्हा भंडा
22.
पोवारी साहित्य सररता
32 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
िास्य कहवता: मोरो पोरा
नाव से मोरो तगरधारी
मोला आवडसे पुरन पोरी
आमरं घरकी मोठी र्हाणी
वाि तलखसे मोरी कहाणी
ओकोि लगी से मोला ध्यान
हलवत रवसू तदवस रात मान
मी ततजोरी वा वरद लक्ष्मी
पर मोरी नहाय इंिभर भुमी
देखनला तदससू मी पहेलवान
अखाडो मा नहाय खुलो रान
देखो तो हसमुख से मोरो िेहरा
तजवन जगसू रयकन बयरा
खरी सांगसू एक बात
नोको तबिारो मोरी जात
कोणताि सण नहात मोरा
हक लका सांगसे तुमरो पोरा
र्ेर्राव येळे कर
हसंदीपार हिल्हा भंडारा
हद.३०/०८/२२
**************************
23.
पोवारी साहित्य सररता
33 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
वेद पुराण ग्रंथ र्ास्त्र साहित्य इहतिास
****""*****
संक्षेपक:- रामिरण हरिंद पटले
:-----:------:-----:-----:--------
हो -हो पढनो तो;;
ईनमा र्ंकर भगवान जी तदससे!
संगमा पावशती माय भवानी तमलसे!!टेक!!
१) अध्याय को हर पद्य -पद मा!
इततहास को हर रिना गद्य मा!!
भगवान -भगवती जोड़ी सुहानी लगसे:-------
हो -हो पढनो तो कहानी तमलसे।
हो -हो पढनो ईनकी अमर कहानी िोवसे।
हो -हो पढनो तो संगमा भवानी तमलसे:------------
२) आलेख अना उल्लेख सुहावन रव्हसे!
िररत्र तित्रण बड़ो मन भावन लगसे!!
देखनो तों हृदय गदगद होय जासे:-----
हों सौंदयश रुप तीन तत्रगुणी लगसे।
हो -हो अंग मा; माय िम्ाणी तमलसे:--हो -हो पढनो तो::---
३) हो र्ंकर भगवान जी महाकाल होयकन!
माय पावशती महाकाली तवर्ाल बनकन!!
जुगल जोड़ी दुई की मिानी लगसे:-----
भगवती तर्व की अधांतगनी बनी से।
हो -हो पढनो तो संग मा माय:----
४) कहीं र्ंकर जी ; रुद् हनुमान बनी से!
पोवारी साहित्य सररता
34 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
राम जी को भि बलवान भयी से!!
या कथा कहानी तवद्वानी रतित से:--
माय पावशती तर्व संतगनी भयी से।
हो -हो पढनो तो संगमा भवानी तमलसे:-------
५) कहीं पहाड़ावाली गढकाली होय जासे!
सम्राट राजा भोज ला र्क्तिर्ाली कर देसे!!
आपरो वर्ंज की लाज बिाय लेसे:------
याि माय जगदम्बा रुद्ाणी कहावसे:--
हो -हो पढनो तो संगमा माय भवानी तमलसे:--हो -हो
६)दानव दैत्य ईनला पल मा तमटावसे!
देवता ईनको आह्वान पर जल्दी आवसे!!
याि माय गढकाली क्षत्राणी बनसे:-
आपरो संतान की तनगरानी करसे:-
हो -हो संगमा माय पावशती भवानी तमलसे::-----हो हो:------
७) संकट जब आवसे तो अवतार लेय लेसे!
तवपदा को घड़ी मा िमत्कार कर देसे!!
हो सारी दुतनया ईनकी तदवानी होय जासे:---
रिना रामिरण पटले मुख जुबानी तलखसे:---
हो -हो पढनो तो संगमा पावशती भवानी तमलसे:----हो -हो------
८) त्रेतायुग द्वापरयुग मा वृतांत घतटत से!
रामायण अना महाभारत तवकराल रतित से!!
अदभुत अतद्वतीय लेख पौरातणक से:---
माय गढकाली की जीवनी अवतररत भयी से::--
हो -हो संगमा माय पावशती भवानी तमलीसे:----हो हो:----------
९)भगवान तर्व को गरो मा;तबष्णू जी रव्हसे!
पोवारी साहित्य सररता
35 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
नाग बनकन संगमा;फन फन रक्षण करसे!!
हों र्ंकर जी को अवयव मा िम्ाण्ड बसीसे:-
माय भवानी;--कल्याणी भयी से:-
हो -हो पढनो तो संगमा माय पावशती भवानी तमलसे:--हो -हो
१०) संगठन को माध्यम लक मायबोली संरतक्षत से!
भगवान भगवती की मतहमा सम्प्रेतषत भयी से!!
माय या भवानी; मदाशनी भयी से।
कतवताकरण करेव दृष्टांत तवज्ञानी से:---
हो -हो पढनो तो;सदा संगमा माय भवानी तमलीसे:--हो -हो पढनो तो::---
------
हो -हो पढनो तो:-हो-हो पढनो तो*:-------सारो संसार ला तजन्दगानी
तमली से:-
हो -हो पढनो तो:-------------+++
देवी गीतकार-रामचरण िरचंद पटले मिाकाली नगर नागपुर
मोबाइल नं.९८२३९३४६५६
मु.पोष्ट:-कटेरा तिसील -कटंगी हिला बालाघाट (म.प्र.)
**************************
पोवारी साहित्य सररता
36 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
24.
पोवारी मायबोली मा गणेर् मिापुराण
*********
असो भयो गणपतत अवतरण!
रामिरण पटले सांगसे सार संक्षेपण!टेक!
१) जय जय;जय हो गणपतत गणेर्!
माय पावशती;तपता र्ंकर जी महेर्!!
अग्रगण्य सबमा गणराज जी सवेर्!
माय बाप को मानकन आदेर्!!
अजर अमर आयो प्रगटकन:-
असो भयो गणपतत अवतरण::-
२) माय पावशती लगायकन उबटन!
क
ु तटया मा होती एकान्त बसकन!!
उबटन मा होतो हड़द िन्दन लेपन!
रगड़ घषशण कर उबटन तनकालकन!!
रक्षण करन द्वार पर उत्पन्न:-
असो भयो गणपतत अवतरण::-
३) सोमनाथ; मक्तल्लकाजुशन; महाकालेश्वर!
ओमकारेश्वर;तभमार्ंकर; त्र्यंबक
े श्वर!!
नागेश्वर; तवश्वेश्वर; रामेश्वर!
वेंकटेश्वर; क
े दारनाथ; घृष्णेश्वर!!
मालुम होसे तर्व पुराण पढकन:-
असो भयो गणपतत अवतरण::--
४) कलयुग ला आयो तर्क्षा तदलावन!
आज्ञाकारी पालनहारी तवघ्नहताश हरण!!
सदािारी वफादारी बेटा बनकन!
पोवारी साहित्य सररता
37 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
ितुभुशज सवशगुणी िमत्कारी होयकन!!
दुतनया करसे पूजा पाठ नमन:-
असो भयो गणपतत अवतरण::--
५) एकता समता संगठन बनायकन!
तवतध तवधान संसार ला दर्ाशयकन!!
ऋक्तद्ध तसक्तद्ध को प्रदाता बनकन!
सब देवता गण करसेती दर्शन!!
तदव्य भव्य ला से सबको वन्दन:-
असो भयो गणपतत अवतरण::--
६)एक घटी अदभुत कहानी!
वेद पुराण ग्रंथ मा कथा सुहानी!!
वृतांत दृष्टांत देखकन तवज्ञानी!
तपता र्ंकर जी माय रुद्ाणी!!
सब कोन्ही भि;र्रण जायकन:-
असो भयो गणपतत अवतरण::--
७) प्रश्न होतो पहले तबया को कारण!
दुई भाई काततशक गणेर् ला बुलायकन!!
जेव आये पहले तीन लोक तफरकन!
गणेर् जी न;माय बाप पररक्रमा करकन!!
सब देवता गण न;करीन पररक्षण:-
असो भयो गणपतत अवतरण::-
८)असो क
ृ त्य ला काततशक
े य देखकन!
दूर गयो पहाड़ पर रूठकन!!
माय बाप लक नारार्ज होयकन!
तिंता मा माय बाप;गया ढूंडन!!
माय बाप दुई मक्तल्लकाजुशन बनकन:-
पोवारी साहित्य सररता
38 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
असो भयो गणपतत अवतरण::---
९)माय पावशती मक्तल्लका रुप लेयकन!
र्ंकर जी;भेष अजुशन को लेयकन!!
दुई भाई मा भयो तवग्रह तवरहन!
माय बाप को दतदशलो से तित्रण!!
रामिरण पटले करसे तववरण::-
असो भयो गणपतत अवतरण::---
१०)धन्य धन्य से गणेर् जी की माया!
र्ंकर जी अना पावशती बदलसेत काया!!
दुतनया नहीं;कोन्ही समझ पाया!
दुतवधा मा सब कोई भरमाया!!
मायबोली मा करीसेव अवलोकन:-
असो भयो गणपतत अवतरण:::--
देवी गीतकार-रामचरण िरचंद पटले मिाकाली नगर नागपुर
मोबाइल नं.९८२३९३४६५६
मु.पोष्ट:-कटेरा तिसील -कटंगी हिला बालाघाट (म.प्र.)
**********************************************************
25.
पोवारी साहित्य सररता
39 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
बालकवीता: तुटी नार/नाळ
आमी लहानसा टुरु पटू
सत्य बात सांगु,समजो नोको कटू
खेलन क
ु दनकी आमरी उमर
पर घरमा नहाय आंगण
तकताबं ठु साय ठु सायक
े
बढाय रवसेव आमरो ग्यान
पुिक वाहक आमरी पीट
तकताब युगका आमी पुतला
ग्यान भरीसे तदमाखमा
जीवन उपयोगी नहाय कला
तवज्ञान आमरो प्राण वायू
डोरा सामने मोबाईल को नंगा नाि
संस्कार संस्क
ृ ती मा नव तवज्ञान
याि आजकी नयी सोि
बाल्यावस्था माि क
ु मारवस्था
बडी उत्क्ांत आमरी अवस्था
कसो तर्क्षा,प्रगती नावपर
तोड्यात नार संग आस्था
मम्मी पप्पा,आई बाबा बनो ना
माती संग ररिा जोडो ना
प्रक
ृ ती ग्यान को तमलाफ
आमरो नार संग जोडो ना
र्ेर्राव येळे कर
पोवारी साहित्य सररता
40 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
26.
पोवारी लावणी : क
ृ ष्ण सिी
*********
तमरिी को ठे सा,अना जाडी भरडी भाकर
लाज आवसे, बाई! पलंगपर एकि वाकर
मोरी जुबान,ततखट लवंगी तमरिी
जवरसे लावण्य की लखलाती खुिी
मोला पटावन खोलो तुमरो लाकर
लाज आवसे, बाई! पलंगपर एकि वाकर
मोला देखताि,लोक
ं ईंला आवसे हुिकी
आयी मायी कसेत, नाक मुरटकन मटकी
ललिातो मन सांगसे, तुमरो िाऊर पाखर
लाज आवसे, बाई !पलंगपर एकि वाकर
गोरो बदन हुसनं भरी या जवानी
दुतनया पागल से मोरोपर तदवानी
तदवानगी मा मदाशनगीं से जोकर
लाज आवसे', बाई! पलंगपर एकि वाकर
पर मी तदवानी क
ृ ष्ण की सखी
भोगी दुतनया मा मी सबदून दुखी
क
ृ ष्ण तलला ला हसकन सोवू सू ठोकर
लाज आवसे,बाई! पलंगपर एकि वाकर
र्ेर्राव येळे कर
हद.३०/०८/२२
***********************
पोवारी साहित्य सररता
41 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
27
अंहतम श्वास : अंहतम श्र्वास
******
अंततम श्र्वास मा
नोवतो जवर कोणी
याद आयी तबं
पूरी जीवन कहाणी
नोवतो जुबान ला हाड
जवानी मा मी बेहोर्
कमश पथ मा जीवनभर
यन हातलका करेव नार्
नर्ा पैसा की डोकसा मा
रेंगता तदसत सब जीव
कसो तांडव नृत्य होतो
नवती कोतणकीि तकव
तिपकी होती सत्ता क
ु िी
िवडी होती तबं छाती
माज को िष्मा डोरापर
वरक
े व नहीं तब आपली माती
अंततम समय मा माती बोलसे
भेतटसे उदारी को श्र्वास
तोरो कमश को योव वािा
तुनि करेस पुण्य फल नार्
र्ेर्राव येळे कर
*********************
पोवारी साहित्य सररता
42 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
28
क्षहियत्व की मूहतष
*********
महाराणा प्रतापतसंह परा एक समया असो बी आयौ की जंगल मा रव्हनो
पड़यो ।
घासफ
ू स की रोटी बनायखन खानों पड्यो । असी क्तस्थतत त् कोणी
सामान्य व्यक्ति की बी नही होय ।
राणा प्रताप जी न हार नही मातनन । जरूरत पड़ी त् जंगल को तभल्ल
समाज को भामार्ाह लक जो मदत लेनी पड़ी वय उनन लेइन । राष्टरतहत
मा , समया गलत आयव त् मदत लेयकर पुनः खुदला सवार क
े आपलो
मेवाड़ की रक्षालायी सज्ज भया । उनन भामार्ाह को सहायता को बोझ
को तले खुदला तभल्ल सातबत करन की कोतर्र् नही कररन । वय मदत
प्राप्त करनलाइक तभल्ल लोगइनका भीलअध्यक्ष या नेता नही बन्या । वय
खुद की पहिान बदलक
े सत्ता प्राक्तप्त करनलाइक मदत प्राप्त करने
वाला धूतश, कायर व लालिी सोि वाला नोहोता । वय क्षतत्रयत्व की
आदर्श मूततश होता । उनको अंदर बी पंवार खून बव्हत होतो । असो
क्षतत्रय ला नमन से । उनलक काइ आदर्श हरेक ला लेनला होना ।
सत्ता, पैसा , लालि, स्वाथश , फायदा, कीततश , सन्मान , हार फ
ू ल लाइक
आपली मूल पहिान बदलनो नोहोय क्षतत्रयत्व।
मिेन पटले
**************
पोवारी साहित्य सररता
43 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
29.
गणपहत हचंतन
*******
गण का अतधपतत श्री गणपतत
दूर कर देसेती सबकी तवपतत्त ।
श्री गणेर् जी सेत तवघ्न हताश
वय आत आमरा मंगल कताश ।
गौरी पुत्रको नाम से तवनायक
सकारात्मकताका वय संवाहक।
उनको तिंतनसे बड़ो मंगलमय
सदा उन की होत रहे जय जय।
पूजा मा से उनको पहेलो मान
देवीदेवता करसेत सब सन्मान।
मन मा करो जो ध्यान हर दम
पूरा होयेती तनतवशघ्न सब काम।
मिेन पटले
***************
पोवारी साहित्य सररता
44 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
30. श्री गणपती
आयेव् गण को नायक
तवघ्न को हताश लंबोदर
गजमुख जेकी वरक
्
र्ुपशकणश अना पीतांबर ||१||
गणाध्यक्ष जो सुंदर
मनभावन रूप मनोहर
भिप्रततपालक प्रबुद्ध
लगसे सबला सहोदर ||२||
बुद्धीवंत अना दयावंत
असो वु न्यारो एकदंत
वोकी सेवा लक होसे
हर भिजन प्रज्ञावंत ||३||
सुखकारक दुखनार्क
देवता िररत्रदायी
हर लेसे पापकमश सब
भिी वोकी सुखदायी ||४||
ररद्धी-तसद्धी संग नाता
पतवत्र बंधन दाखला
सुंदर समरस समाजसाटी
अथवशर्ीषश पठन शंखला ||५||
रमणीय रम्य जीवन
श्रीगणेर्जी साधना
सब् भिन् की सेवा
करबी श्री आराधना ||६||
रणदीप हबसने
पोवारी साहित्य सररता
45 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
31.
श्री गणेर्ा
***********
मंगलमुती मोरया हे गणाधीर् गणराया
ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया
कण कण मा देखू रूप तुि मोरो श्र्वास
क
ृ पा कर तवघ्नहताश मी तोरो िरण को दास
ना समज समजकन, बरसन दे तोरी दया
ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया
एक दन्त तू क
ृ पावंत करे जग आराधना
मी आश्रीत तोरो पास पुरी कर दे मनोकामना
तुि श्वास तुि आस,तुटे भवसागर की माया
ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया
मुषक वाहक सब समावेर्क लंबोदरा
सुख दायक,संभाल या संसार की धुरा
अंधारो ला हरायक
े बाप्पा पार कराय दे नय्या
ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया
ितुभुशज तवनायक,हातमा संसार की डोर
तुि बाप्पा तुि दाता,धारन िंद् कोर
मंगलमुती मा सेत सब सुख समाया
ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया
र्ेर्राव येळे कर
हद. ३१/०८/२२
**************
पोवारी साहित्य सररता
46 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
32. र्ोध
आत्मज्ञान से गणपती
तुटसे मनको क्लेर्
मंगलमुती को रुप असो
नही उरं कोणतो द्वेर्
उदर से जसो तवर्ाल
तसीि देनकी ठे वसे ईछा
ितुभुशज को एक ज्ञान
भि पायजे सच्चा
वक्र तुंड महाकाय र्रीर
कला मा से पररपूणश
आलस त्यागो जन
तुटे काया अपुणश
ररद्धी तसद्धी को दाता
गणपती से योगेश्वर
षढररपू पर ताबा ठे यक
े
खुदमा र्ोधो परमेश्वर
एक हाक पर धावत आये
एकदंत से तवघ्नहताश
मन ला सदा उत्साही ठे यकन
बनो घर,समाज का कताश
आपलो आपमा र्ोधो ईश्वर
सांगे तुमला गौरीनंदन
जीवन तझजाओ असो
लगे पायजे सुगंधी िंदन
र्ेर्राव येळे कर
पोवारी साहित्य सररता
47 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
33.
घरं आया गणपती
अज ितुथीको तदन
आयी िैतन्य पहाट |
बड़ो सुंदर िौरंग
वहां मोदकको थाट ||१||
मुषकको सवारीलं
घरं आया गणपती |
पैरी सोनोकी पायमा
रुणझुण खणकती ||२||
मि सुंदर मुक
ू ट
र्ोभा देसे तसरपर |
बड़ो मोहक तदससे
नक्षीकाम सोंडपर ||३||
सेती हातमा क
ं गन
अना कमलको फ
ू ल |
नार् दुष्टको करन
एक हातमा तत्रर्ूल ||४||
हार गरोमा मोतीको
बाली कानमा डोलसे |
क
ं बरला करदुड़ा
नाग सापको र्ोभसे ||५||
पोवारी साहित्य सररता
48 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
भरजरी रेर्मको
आंगपर तपतांबर |
बड़ो सुंदर तदससे
गजानन तवघ्नेश्वर ||६||
© इंिी. गोवधषन हबसेन "गोक
ु ल"
गोंहदया, मो. ९४२२८३२९४१
****************************
पोवारी साहित्य सररता
49 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
34.
🌷अष्टहवनायक (पोवारी)🌷
स्वयंभू गणेर् | अष्टतवनायक |
प्रसन्न दायक | मंतदर हे ||१||
बस्या मोरगावं | बाप्पा मोरेश्वर |
श्री बल्लाळे श्वर | पाली गावं ||२|
तसध्दटेक वासी | तसध्दी तवनायक |
वरतद्वनायक | महडको ||३||
रांजण गावको | महा गणपती |
थेऊर रव्हती | तिंतामणी ||४||
श्री तगररजात्मज | हे लेण्यांतद्वासी |
ओझर तनवासी | तवघ्नेश्वर ||५||
अष्टतवनायक | जावो रे तनतित |
संकल्प ईक्तछत | पुणश होये ||६||
दुर होये तवघ्न | करो दरसन |
कसे गोवधशन | पुण्य भेटे ||७||
© इंिी. गोवधषन हबसेन "गोक
ु ल"
गोंहदया, मो. ९४२२८३२९४१
***************************
पोवारी साहित्य सररता
50 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
35.
मनोरा काव्य रचना
गणपती आगमन
****************
नमन
गणपती बाप्पाला
करसेज आम्ी भिगण
होये जल्लोष लका आगमन
हषीत होये सारो सजीव गन
गणपती करे आदमी को दुः ख तनवारण
याि क
ृ पादृष्टी धरकर पधारेव घर घर गजानन.
====================
उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत)
गोंहदया (श्रीक्षेि देहू पुणे)
९६७३९६५३११
********************
पोवारी साहित्य सररता
51 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
36.
िय गणेर् देवा
जय जय गणेर् देवा
प्रथम तोरी वंदना देवा ,ओ देवा,
तु क
ै लार्ी तर्वजी को बेटा
माय तोरी गौरा,
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना,
माय अजी की आज्ञा मानकर,
करयोस माय अजी की परीक्रमा,
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना ,
देवी देवता ितकत भया सब देख तोरी भक्ति साधना,
फ
ु ल माला लक करीन वंदना
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना,
प्रथम मनावो गणराया ला ,
करीन िम्ा ,तवष्णु ,महादेव ,तीन देव ना घोषणा,
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना,
र्ुभ फल दाता तोरो नाव से
तोरो पुजन तबगुर देवा काही काम सफल होय ना,
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना,
तु सुख करता तु दुखहरता ररद्धी तसद्धी सुख सम्पती भरपुर देजो देवा ,
ओ देवा प्रथम तोरी वंदना।।
हवद्या हबसेन
बालाघाट,
**********************
पोवारी साहित्य सररता
52 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
37.
हभन्न भार्ा समझन को तरीका
****************************
समि समाज को उत्थान व्यक्ति व्यक्ति को उत्थान लक साध्य होये।
व्यक्तित्व तनमाशण मा अनेक भाषा को ज्ञान बहुत महत्वपूणश से ।
तवतभन्न भाषा को ज्ञान कही भी काम आवसे । अलग अलग भाषा को
ज्ञान कभी बेकार नही जाय ।
आब को तडतजटल जमाना मा दुतनया भरकी तभन्न भाषा समझनो ,
बोलणो, अनुवाद करनो बहुत आसान भय गयी से। बेटा बेटीलायी
तडतजटल एप्प को मदत लक कोणती बी भाषा बोलणो तलखणो समझनो
स्क
ू ल को अभ्यासक्रम को तहसाब लक बहुत आसान भय गयी से ।
बाहर को अन्य भातषक देर् मा कबी जानो पड़यो त् तनम्नतलक्तखत एप्प
बहुत काम की से ।
अगर तभन्न भाषा मा संवाद करनो , समझनो , अनुवाद करनो से त् ---
Google Play store app पर जायक
े
Google Translate एप्प डाउनलोड करक
े इंस्टाल करनो जरूरी से ।
येन एप्प को जररये कोतनबी तभन्न भातषक व्यक्ति संग संवाद करता आये
।
आमी तहंदी मा तलखयव या कह्यव संस्क
ृ त , अंग्रेजी, रतर्यन, ततमल
आतद अनेक भाषा मा अनुवाद कर सकसेजन।
यको उपयोग लक कोणती बी भाषा व क्षेत्र अनजान नही रव्ह ।
हालांतक आब बोली को अनुवाद येन एप्प को मदतलक नही होय सक।
तसफ
श भाषाइनको अनुवाद होसे ।
तवद्याथीलाइक बहुत उपयोगी से या एप्प ।
मिेन पटले
----- सदस्य
अखिल भारतीय क्षहिय पंवार पोवार मिासंघ
**************************************
पोवारी साहित्य सररता
53 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
38.
गणपती
***********
सरेव श्रावण आयेव भादो
हषश उल्हातसत भयेव मन
बाजत गाजत आयेव देखो
मोरो गौरी गणपती को सण
आंगण सजेव रांगोळी लक
दरवाजा पर बंधी से तोरण
बाप्पा मोरया जयकार संग
ढोल तार्ा भी लगेव बजन
तवघ्नतवनार्क लंबोदर
छोटो मूषक तोरो वाहन
अग्र पूजा को तू मानकरी
बुद्धीदाता तर्वपावशती नंदन
तसंदूर जास्वंद र्म्मी पत्र
एकवीस दुवाश करू अपशण
िढायक
े मोदक को प्रसाद
भिी भावलक करू नमन
पाहुणा तू दस तदवस को
दयाघन ररद्धीतसद्धी रमण
असोि कर मनोकामना पूणश
करू सदा देवा तोरा दर्शन
र्ारदा चौधरी
भंडारा
*************************
पोवारी साहित्य सररता
54 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
39.
गणपतीकी पोवारीमा आरती
आरती गणपती, करू तोरी पुजापाती
नमुसु मी देवा तोला, देवा पाव भिसाती
आरती गणपती।। धृ।।
अजी तोरो क
ै लासपती, माय तोरी पारबती
क
ै लास तोरो धाम, देवा देजो सुखर्ांती
आरती गणपती।। १।।
तवघ्नहताश तुि देव, अरपुसु भिी भाव
तवघ्न दूर कर देवा, बाप्पा बन मोरो साथी
आरती गणपती।। २।।
देवा तुि लंबोदर, सेस सुखको सागर
करू तोरी आराधना, देवा करु तोरी भिी
आरती गणपती।। ३।।
एकदंत दयावंत, तुि संसारको संत
रिा असो देखाव मोला, देवा बढे मोरी तकती
आरती गणपती।। ४।।
रक्षा कर देवा मोरी, पूजाअिाश करु तोरी
आनु देवा तोर् साती, दुवाश फ
ु ल बेलपाती
आरती गणपती।। ५।।
सुखकताश दुखहताश, अर्ी देवा तोरी ख्याती
क
ृ पादृष्टी ठे व देवा, धाव धाव भि साती
आरती गणपती।। ६।।
✍ डॉ. र्ेिराम परसराम येळे कर नागपूर १५/८/२०२०
पोवारी साहित्य सररता
55 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
40.
=========================
पोवार समाि को सहक्यताला सहृदय नमन
=========================
समि सम्माननीय पोवार समाजको व समि जनमानस को सामातजक
एकताला तहरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर नमन , सबला दुः ख
हृदयस्पर्श अंतः करण लक सुतित करनोमा आव् से की अज अक्तखन एक
हृदयस्पर्श घटना पोवार समाजमा घटी , पोवार समाज एकता मंि पुवश
नागपुर का सतक्रय सदस्य श्री तेजस पन्नालालजी राणे वय वषश अंदार्ज
२५/२६ तजनको जन्मगांव मु झांतजया ता गोरेगांव तजल्हा गोंतदया
माहाराष्टरा , कमशभूतम जयदुगाशनगर पारडी नागपुर , स्वगीय तेजस
पन्नालालजी राणे ये आपलो पररवार को उदरतनवाशहन करन साती आपलो
जन्मभुमीला सोडकर नागपुर मा कमावन साती आया होता पर सायद
येव तनयत्ती ला मान्य नोहोतो अना दुभाशग्यवस इनको दुः खद तनधन तद
३१-०८-२०२२ रोज सोमवारला तसक्तव्हल को काम करता करता ततसरो
मजला पर लक खाल्या पडकर मृत्यु भयेव या घटना इनको पररवार
साती व समि जनमानस साती हृदयस्पर्श से , येन् दुः ख द घटना की
जानकारी तमलताि पोवार समाज एकता मंि का प्रयत्नवादी कतृशत्वतनष्ठ
िम्तनष्ठ तनष्ठावान अध्यक्ष श्री सुनीलजी तबसेन इनन् घटनास्थल पर
पहुंिकर घटना की सतविार जानकारी लेयकर पोवार समाज एकता
मंि को समि कायशकाररणी पदातधकारी व सदस्य तसोि नागपुर र्हर
को समि पोवार समाज संगठन का अध्यक्ष व कायशकाररणी पदातधकारी
व सदस्य इनला स्वगीय श्री तेजस पन्नालालजी राणे इनको दुः खद घटना
की जानकारी देइन , नागपुर र्हर पोवार समाज संगठन का समि
पदातधकारी व सदस्य तुरंत घटनास्थल पर पहुंिकर पीडीत पररवार को
न्याय दो आंदोलन का सहभागी बनकर पीडीत पररवारला ४ लाख िार
लाख की आतथशक सहायता देवावनो मा यर्स्वी भया , पोवार समाज
एकता मंि का प्रयत्नवादी कतृशत्वतनष्ठ तनष्ठावान अध्यक्ष श्री आदरणीय
सुनील जी तबसेन व पोवार समाज एकता मंि का प्रयत्नवादी कतुशत्वतनष्ठ
िम्तनष्ठ तनष्ठावान पदातधकारी व समि सदस्य अना नागपुर र्हर का
समि पोवार समाज संगठन का प्रयत्नवादी कतुशत्वतनष्ठ िम्तनष्ठ
पोवारी साहित्य सररता
56 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
तनष्ठावान पदातधकारी व सदस्य इनको कोतट-कोतट अनंत कोतट धन्यवाद
की येन् दुः ख को घड़ी मा पीडीत पररवारला न्याय देवावन साती एकजुट
होयकर संघषश करीन सबला तहरदीलाल नेतरामजी ठाकरे करलक
कोतट-कोतट नमन जय राजा भोज जय माहामाया गढकातलका
श्री हिरदीलाल नेतरामिी ठाकरे नागपुर
पोवार समाि एकता मंच पुवष नागपुर
========================
पोवारी साहित्य सररता
57 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
41.
देव गणपहत
*********
सबको प्यारो सबको दुलारो,
प्रथम पुज्य देव गणपतत हमारो।
मूषक की करसे सवारी ,
लाल रंग की आंख सेती प्यारी।।
गजानन, लंबोदर, गणपती कहावसे,
कई कई सुंदर नाम लक पुकारयो जासे।
देवा ररक्तद्ध तसक्तद्ध को से दाता,
हमारो सबको भाग्य तवधाता।।
सच्चों मन लक जो करे पुजा पाठ,
देवा तवघ्न हरकर बदल देसे ठाठ।
लड्डू , मोदक खुब तह पसन्द सेती,
बड़ो िाव लक देवा खासेती।।
सबको घर पर तवराजया गणपती,
नहीं आवन देत देवा कोई तवप्पतत्त।
तर्व गौरी का नयन का तारा,
दुक्तखयन का देवा तारण हारा।।
सकल कारज देवा तसद्ध कर: सेती,
तब त देव भी तसक्तद्धतवनायक कसेती।
गणेर् ितुथी जब भी आवसे,
खुब धूम धाम लक मनाई जासे।।
घर घर गली गली देवा का ठान,
ढोल मृदंग संग होसेती गान।
पोवारी साहित्य सररता
58 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
दस तदवस को मन: से त्योहार,
सबको तदल तदमाग मा रहवसे बहार।।
देवा की कीततश को नहीं करु बखान,
नहानों रूप मा तलखूंसु रुझान।
यर्वन्त कटरे
िबलपुर,०१/०९/२०२२
*********************************
पोवारी साहित्य सररता
59 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ
42.
पोवारी पोवाडा
मदष पोवार
******
आदी नमन गणराया,
दुजो नमन क
ु लदेवी गडकालीका
हे पुरखा राजा भोज
मनमा िरु रोज रोज
मनमा िरु रोज रोज! हो जी र् जी जी....
आमरा पोवार मदश वीर
कभी छु की ना ईनको सर
छाती से दयाश तदल दार
ना मानत कभी हार
ना मानत कभी हार ! जी र् जी जी...
तजकत गया हर लढाई
आता हातमा से तनली र्ाई
हर जीत पर ईनकी िढाई
पोवार जगसेत बनकन भाई भाई
पोवार जगसेत बनकन भाई भाई ! हो जी र् जी जी..
कला संस्क
ृ ती भाषा से पहिान
प्रक
ृ ती करसे पोवारी सन्मान
धाकड़ छातीको पोवार जवान
पोवार भाऊ से खरो पहेलवान
पोवार भाऊ से खरो पहेलवान! हा जी र् जी जी....
र्ेर्राव वासुदेव येळे कर
हसंदीपार हिल्हा भंडारा
हद.०१/०९/२२
पोवारी साहित्य सरिता
पोवारी साहित्य सरिता
पोवारी साहित्य सरिता
पोवारी साहित्य सरिता
पोवारी साहित्य सरिता
पोवारी साहित्य सरिता
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पोवारी साहित्य सरिता

  • 1. पोवारी साहित्य सररता 1 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ पोवारी साहित्य अना सांस्क ृ हतक उत्कर्ष द्वारा आयोहित पोवारी साहित्य सररता भाग ६१ आयोिक डॉ. िरगोहवंद टेंभरे मागषदर्षक श्री. व्ही. बी.देर्मुि
  • 2. पोवारी साहित्य सररता 2 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 1. पोवार समािहित को पररप्रेक्ष्य मा मातृभार्ा पोवारी को मित्व पोवार समाज को प्रत्येक व्यक्ति मा मातृभाषा पोवारी अना पोवारी संस्क ृ तत को प्रतत सुप्त प्रेम व्याप्त से. अना समय-समय पर येन् सुप्त प्रेम को अद् भुत दर्शन होसे. येन् प्रेम को धागा धरक े मातृभाषा पोवारी अना ३६क ु ल पोवार समाज को अक्तित्व ला तिरस्थाई बनावनों सहज संभव से. आवश्यकता से समाज को हर व्यक्ति मा मातृभाषा पोवारी को प्रतत प्रखर प्रेम जागृत करन की ! उत्तम पोवारी सातहत्य को सजशन की ! पोवारी संस्क ृ तत व पोवार समाज को अक्तित्व ला तिरस्थाई बनावन को येव रामबाण उपाय से. येको दुन अन्य कोनतोि सरल,प्रभावी अना पररणामकारक उपाय धरती पर अक्तित्व मा नाहाय. ओ.सी.पटले पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ांहत अहभयान, भारतवर्ष. र्हन.२७/०८/२०२२. ----------------🔷🔶🔷-----------------
  • 3. पोवारी साहित्य सररता 3 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 2. बैल पोरा पोरा को तदवस अतत आनंद को आयोव फ े डन क ृ तज्ञता बैलईंकी मनमा उल्हास समायोव पूरो दुतनया को भूक बैईल राबसे खेतमा माय बाप तकसान घाम गाडसे साथमा मुको जरी योव जनावर खेतमा रकत अटावसे सबकी भूक भगायक े तृप्तीकी ढेकर तदखावसे महादेव र्ंभू को वाहन मनवाक्तछं त फल दाता योको आरी को फ े रामा भूक को तफरसे जाता दतार नांगर गाडो बैलईंको गरा का हार तजंदाबाजी का तर्ंग आपलोआप मा शंगार तकसान घर को धन आंगण मा की र्ोभा फली फ ु ली या धरा
  • 4. पोवारी साहित्य सररता 4 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ यन बैलंईंकी आभा अज पोरा को तदवस करु मन भावण पूजा तोरो िरण धोवन को भाग्य जन्मोजन्म दे सजाश राजा र्ेर्राव येळे कर हद.२७/०८/२२ *********************
  • 5. पोवारी साहित्य सररता 5 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 3. क े वल किष से मायबोली को उतारनो -------------------💐💐------------------ येव जीवन से मोठो सुहानों l मायबोली ला से सुंदर बनावनों l नाहाय डोस्की पर पहाड़ उठावनों, क े वल इछार्क्ति से सबमा जगावनो ll मानव जीवन से मोठो दुलशभ l करनो से यहां मायबोली को उत्कषश l नाहाय पवशत मा सुरंग बनावनों, क े वल मतहमा से मायबोली बढावनो ll मानव जीवन से मोठो अनमोल l मायबोली सबमा बंधुभाव देसे घोल l नाहाय आपलों ला दौलत लुटावनों, क े वल क़र्जश से मायबोली को उतारनो ll ओ.सी.पटले ------------------🔷🔶🔷---------------
  • 6. पोवारी साहित्य सररता 6 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 4. मोबाइल को िमानों मा -------------------------------------- नवयुग का बालक आता खोय जासेती मोबाइल मा l मोठी तिंता सताव् से उनका डोरा कमजोर होन की l अना याद आव् से बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll नवयुग मा मायबाप आता खोय जासेती मोबाइल मा l मोठी तिंता सताव् से बालगोपालों की उपेक्षा होन की l अना याद आव् से l बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll नवयुग मा युवार्क्ति आता रम जासे आभासी दुतनया मा l मोठी तिंता सताव् से पड़ौस को मेलजोल कम होन की l अना याद आव् से l बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll नवयुग मा संसार आता रम जासे आभासी दुतनया मा l मोठी तिंता सताव् से संस्क ृ तत आपली कमजोर होन की l अना याद आव् से बिपन की, तटप्पल-डांडू को खेल की ll ओ सी पटले --------------------------------------------------
  • 7. पोवारी साहित्य सररता 7 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 5. पोवारी पकवानों की किानी ---------------💕💕--------------- पोवारी पकवानों की या कहानी l या से पूवशजों की धरोहर वानी ll बुल्ल्या अना भज्ज्या पांढरा अक्शा ना सूरन की भाजी l पान बड़ा अना तेल बड़ा मही की कढी ना ताजी -सुवारी l नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली l पकवानों को राजा से , काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll अठली अना मठली मयरी ना कोियी को पान की बड़ी l मालपुआ ना आटेल साथ मा पापड़ अना क ु रमोड़ी l नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली पकवानों को राजा से, काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll सेवयी की खीर अना गुंजा पांढरो अक्शा को संग मा लेप्सी l लहसुन को पान का अक्शा कभी नमकीन,कभी मीठो की बारी l नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली पकवानों मा राजा से, काजू-तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll
  • 8. पोवारी साहित्य सररता 8 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ कभी हलवा अना अिार तेलुता की गरम -गरम पुड़ी l समय को साथ गयी पाथररोटी लेतकन कायम से पुरण रोटी l नाश्ता मा अनरसा ना िाकोली पकवानों को राजा से, काजू -तकर्तमर् की करंजी ना पापड़ी ll ओ सी पटले पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ांहत अहभयान, भारतवर्ष. पोरा को पावन त्यौिार, र्हन.२७/०८/२०२२. ------------------🔷🔶🔷---------------
  • 9. पोवारी साहित्य सररता 9 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 6.पोला हपथोरा भादो मास मा जन्मयों अतवनार्ी, तदन खार् होतो पुण्य अष्टमी। पता िल्यो मामा क ं स ला, जतन करन लग्यो मारन ला क ृ ष्ण ला।। एक लक बडकर एक राक्षस पठाईस, सात तदन तक क ु छ तबगाड़ ना पाईर्। आठवों तदन याद आयो पोलासुर, अमावस्या की रात घनघोर आना भारी हाेे तो असुर।। तफर मारयों गायों राक्षस पोलासुर, तदन यादगर बन गयो पोला पाटुर। बन गयो एक नवों त्योंहार, खुर्ी लक मनावसेत नर नार।। येनि तदन भयो होतो एक युद्व महान, राजा तवराट को बिावनो होतो सम्मान। सब पर्ुधन ला लेयीन िुराय, तब अजुशन न सबला देयीस बिाय।। तब लोग तगन घर घर करी होतीन जतन, माटी का पर्ुधन बनायकर करीन पूजन। तब लक िली आय रही प्रथा, पोला तपथोरा आना गऊधन की गाथा।। यर्वन्त कटरे िबलपुर २७/०८/२०२ *************************
  • 10. पोवारी साहित्य सररता 10 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 7. ज्योहत लक ज्योहत िलावत चलों -------------------🌹🌹---------------- ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll भटक गया जे संगी -साथी उनको मा प्रेम जगावत िलों l छोड़ देईन जे माय बोली उनमा अक्तिता जगावत िलों l ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll जे कर रहया सेती उपहास उनला मतहमा समजावत िलों l जे कर रहया सेती अनादर उनको मा प्रेम जगावत िलों l ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll मायबोली से पूवशजों की छाया येको संरक्षण तुम्ीं करत िलों l मायबोली या अदृश्य काया येको संवधशन तुम्ीं करत िलों l ज्योतत लक ज्योतत जलावत िलों l मायबोली की मतहमा बढावत िलों ll ओ सी पटले ********************
  • 11. पोवारी साहित्य सररता 11 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 8. माय भवानी बगैर गम निीं ********** माय भवानी लक कम तमल नहीं; माय भवानी बगैर मोला गम नहीं! माय को तबना तो तदल रम नहीं; माय को बगैर तलखनो जम नहीं। माय देसे येतरो तक कम होय नहीं; माय अगर तदस नहीं तो गम नहीं! माय जवड़ रही तों तवषम नहीं;; माय करीब रही तो भ्रम नहीं!! माय को बगेर येव आलम नहीं! माय तबना सृतष्ट को समागम नहीं! माय नहीं रही तो काही काम नहीं; माय हातजर नहीं तों पैगाम नही!! माय यतद नहीं तो;आराम नहीं! तबन माय को काही आयाम नहीं। माय बगैर भगवान श्री राम नहीं; तबन माय को श्री क ृ ष्ण र्ाम नहीं। देवी गीतकार-रामचरण पटले मिाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८ *********************
  • 12. पोवारी साहित्य सररता 12 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 9. मध्यभारत की बोली ******* सन 1891 की जनगणना को अनुसार मध्यभारत की ज्यादातर बोली सब जाततगत सेत । गोवारी, भोयरी, कोष्टी, हलबी, लोधी, पोवारी , गोंडी , मरारी , िमारी आतद सब तवतर्ष्ट समुदाय द्वारा तवकतसत बोली आत । ये समुदाय जहा जहा रह्या वोको प्रभाव इनपर पड़ी से । इनको बोली को अध्ययन लक समुदाय को स्थानांतरण को इततहास को आकलन होय सकसे । ************************
  • 13. पोवारी साहित्य सररता 13 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 10. पोरा ********** पोरा सण ला बईल सज्या नंतदवानी खेती बाडी लक होसे घर की आमदानी | पाणी आयेव पाणी बादर मा को पाणी पोवार सारखो गुणी आब से का कोणी ||१|| दैतीन बोडी की आणेव ओली माती पोरा को बईल बनायेव पूजा साती | मातीको बईल की र्ोभा आवसे क े ती पूजा िवरीपर तनवज खवावसेती ||२|| ढोल सहनाई बाजा बज ढमढम पुजारी ला से आरती धरण को काम | बईल जोडीको तोरण मा लगी जाम जोडीदार ला मनमानी आवसे घाम ||३|| झडती वाला झडती लग्या बोलन मुठवा देव की आरती लग्या करन | राम राम को टीका पाय लग्या लगन तोरण तोडकर घर लग्या जान ||४|| ********* िेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव) ९२७२११६५०१ **************************
  • 14. पोवारी साहित्य सररता 14 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 11. सामाहिक क्षेि सामातजक क्षेत्र मा सबला साथ लेयकर सांस्क ृ ततक संरक्षण, समाज कायश करनो से त् सबकी बात कोनतो ि माध्यम लक आये स्वागत करनो जरूरी से । बात यहान आयकर कहो , वहान आयकर कहो यको काइ मतलब नाहाय । बात जहान तनकली वहाि उत्तर देनला हरकत नाहाय। अछो रव्हसे जब कोणी सामने कवन की कोतर्र् करसे । कोणी मंग बात नही कर यव अछो रव्हसे । कोणी आपलो समझकर सुझाव देसे या अछी बात से । कोणी सुझाव देनको बारामा एतरो सोिसे या बड़ी बात से । सुझाव को सदा स्वागत करनला होना । जो आमी नही देख पाया दुसरो देखसे अना आमला सांगसे या क े तरर अछी बात कवनो पड़े। अछो नेतृत्वन सदा सुझाव को स्वागत करनला होना । *****************
  • 15. पोवारी साहित्य सररता 15 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 12. लोकर्ािी िीवनप्रणाली अना सामाहिक संगठन ------------------🌹🌹🌹----------------- राजेर्ाही अथवा हुक ु मर्ाही मा सामातजक माध्यमों पर अंक ु र् होतो. १९४७ भा भारत स्वतंत्र भयेव अना सामातजक माध्यमों ला र्ासन को िौथो अंग को रुप मा मान्यता देयेव गयी. तात्पयश, सामातजक माध्यमों ला र्ासन की आलोिना करन को अतधकार बहाल करेव गयेव. सामातजक माध्यमों मा प्रकातर्त महत्वपूणश समािारों अथवा जनमत ला संग्रतहत करनों र्ुरु भयेव.सरकार को येन् कायश ला आदान ( Input) कायश कहेव जासे. र्ासकीय योजना अथवा नीतत की जानकारी जनता पयंत पहुंिावनो येला प्रदान (Output) कायश कहेव जासे. र्ासन प्रणाली व जीवनप्रणाली बदली परंतु तितटर्कालीन सामातजक संगठनों की सोि नहीं बदली. इन संगठनों को कायो की ििाश जब् सामातजक माध्यमों मा र्ुरु होसे तब् संगठन को तमटींग मा आयक े बात ठे वन ला कहेव जासे. असो प्रसंग मा अनायास राजेर्ाही याद आय जासे.लेतकन आता सामातजक संगठनों न् आपली जुनी सोि बदले पातहजे. संगठनों न् आदान व प्रदान ( Input and Output) असो दुही स्वरुप को कायों ला महत्व देये पातहजे. सामातजक संगठनों न् सामातजक माध्यमों ला आपलो एक अतनवायश अंग को रुप मा मान्यता देये पातहजे. तबि सामातजक जागृतत आये, तानार्ाही सोि पर नैततक दबाव बनेव रहे अना वय समाज कल्याणकारी तदर्ा मा उन्मुख होयक े अतधक अछों कायश भी कर पायेती. इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले र्हन.२७/०८/२०२२. *********************
  • 16. पोवारी साहित्य सररता 16 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 13. पोवार संघ का छत्तीस क ु ल --------------💙♥️💚--------------- छत्तीस क ु ल की पोवारी,येवि आमरो समुदाय l ररश्तों -नातो जोड़न साती, ठे ओ सबजन याद ll गौतम, तबसेन, पटले, राहांगडाले l ठाक ू र, र्रणागत,बोपिे, टेंभरे l तुरकर, ररनाईत, येड़े, हररणखेड़े l छत्तीस क ु ल की से पोवारी l तीस क ु ल की या तगनती , ठे ओ सबजन याद ll ररश्तों नातों जोड़न साती... भगत,िौधरी, िौहान,कटरे l हनवत, पररहार ,पुंड,अंबुले l राणे, क्षीरसागर,पारधी, ,बघेले l छत्तीस क ु ल की से पोवारी l तीस क ु ल की या तगनती , ठे ओ सबजन याद ll ररश्तों नातों जोड़न साती... भैरम, कोल्हे, सोनवाने l जैतवार, भोयर, सहारे l छत्तीस क ु ल की से पोवारी l तीस क ु ल की या तगनती, ठे ओ सबजन याद ll ररश्तों नातों जोड़न साती... रणमत, राऊत , राजहंस l फरीदाले, डाला ,रणतदवा l ये सय क ु ल आता नाहात हयात l
  • 17. पोवारी साहित्य सररता 17 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ छत्तीस क ु ल की से पोवारी l तीस क ु ल की या तगनती ,ठे ओ सबजन याद ll ररश्तों नातों जोड़न साती... ओ सी पटले इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले प्रकार्न - र्ुभ मुहूतष "पोला" र्हन.२७/०८/२०२२. *************************************** *आपरो छत्तीस क ु र परा यव लगत साजरी रिना की तनमशती भयी। यव कालजयी रिना, आन वाली पीढी ला आपरो पोवारी का क ु र अना ओको मायनो सांगे असो तवश्वास से। हर काल अन क्तस्थतत मा समाज का वैभव त येक जसो नयी रही से परा हर क्तस्थतत मा आम्रो पुरखा तगनना आपरी पोवारी संस्क ृ तत ला संजोकन राक्तखन। अज भी यव साबुत से, परा नवी पीढी ला येको संग जोड़नो अना उनला येको हिान्तरण का उपाय समाजजन ला तमलकन करनो से। समाज का सांस्क ृ ततक पतन की क्तस्थतत मा युवा पीढी मा तबखराव अना नैततकता मा तगरावट होय रहीसे, जेला रोकन का काम अज पोवारी का सातहत्यकार अना तविारक कर रही सेत। सातहत्य युगो युगो तक संरतक्षत रहकन प्रकार् िम्भ को मातफक समाज का पथदर्शन करवावसे अना पोवारी सातहत्य बी पोवार समाज लाई यव काम करहे असा भरुषा से। िय क्षहिय पोवार(पंवार) समाि **************************
  • 18. पोवारी साहित्य सररता 18 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 14. सन 1916 मा इहतिासकार रसेल को आमरो 36 क ु ल पोवार समाि को बारामा अवलोकन ■ पंवार बाई लोग तहंदुस्थानी तरीका लक बाली पेहरत सेत , मराठा तरीका लक नही पेहरत। ■ पंवार बाई लोग आपलो पाय , हाथ परा टेटू तडर्जाइन करसेत । उनको िेहरा परा टैटू को रूप मा एक तबंदु रव्हसे । सुंदरता को दृतष्टकोण लक यव टैटू को तबंदु अंतकत करयव जासे । यव िेहरा पर टैटू को तबंदु इंग्लैंड मा जसी बाई लोग करसेत तसोि प्रकार यहानबी पायव गयव। ■ पंवार लोग कतब जमीन पर बसक े भोजन नही करत । भोजन की भानी आलनी परा राखक े खुद लकड़ा को पाट पर बसक े भोजन करन को ररवाज से। ■ पंवार गृतहणी को बडो महत्व घरमा रव्हसे । आदमी लोग घर को बाहर खानों या तपनो तबना घरवाली को रजामंदी करत नही। ■ पंवार एक सुंदर, गोरी कौम आय । इनको िेहरा लक तवद्वता नजर आवसे , इनका डोरा सामान्यतः तगजरा रव्हसेत। ■ पंवार लोग अत्यंत वंर्वादी रवहसेत। ■ पंवार वंर् बहुत , तवद्वान, भाग्यर्ाली से । पररक्तस्थतत देखकर घबराय जाने वाली या कौम नोहोय । ....... क्रमर्: मिेन पटले ***************
  • 19. पोवारी साहित्य सररता 19 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 15. तांका ----- क्ांहत िोय क े रिें ++++++++++++ तुम्ारी भाषा नाव मोरो पोवारी पहिान्यात ? र्हर मा आयात मोला भूल गयात # माय - माता न् तर्काइस पोवारी आता भुल्यात ? मोठा तुम्ी भयात मोला भूल गयात # मोरी अवस्था दुलशतक्षत कर् यात जहां को वहां मोला सोड़ देयात आता होये प्रकार् # क्रांतत का स्वर धरा पर गुंजेत आता का करो ? मोला दफनाओं ? सोिनो से तुम्ाला # मोरी भी आत्मा
  • 20. पोवारी साहित्य सररता 20 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ सुधारना िाव्ह् से युग को साथ आधुतनकीकरण सोिनों से तुम्ाला # सुधारणा को तत्वज्ञान बनी से युग को साथ मोरो मा सुधार को क्रांतत होय क े रहें # क्रांतत बढाओं तक तवरोध दर्ाशओं ? पुण्य को भागी कोणी बन् या नहीं क्रांतत होय क े रहें # मोरो भतवष्य मोला तदस रहीं से भाषा की श्रेणी मोला तमल क े रहें क्रांतत होय क े रहें # इहतिासकार प्राचायष ओ.सी. पटले ********************* का उमंग होती! का उल्लास होतो ! का जोर् होतो !
  • 21. पोवारी साहित्य सररता 21 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ अना अदम्य आर्ावाद होतो ! येन् उमंग,उल्लास,जोर् मा सहभागी होयको अदम्य आर्ावाद को बाजूला स्वातभमान,गवश व आत्मतवश्वास लक तुम्ीं उभो रहयात. वय अतविरणीय तदवस येन् कतवता ला प्रेतषत करक े पुनः िरण कराय देयात. असो लगेव मानो िेतना को एक नवो ष्रवाह तवद् युलता वानी पूरो देह मा क्षणभर रुक क े व देह ला झकझोरत आर को पार तनकल गयेव. धन्यवाद भगत साहाब, बहुत -बहुत हातदशक धन्यवाद. ***************************
  • 22. पोवारी साहित्य सररता 22 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 16. नरबोद को हदन मांसािार को चलन सभ्य समाि मा कसो समाहित भयो? गुरूदेव आज एक यक्ष प्रश्न मोरो तदमाग मा बार बार किोट रही से_ १_नरबोद को तदन मांसाहार को िलन सभ्य समाज मा कसो समातहत भयो? २_ एक आदर्श समाज मा कभी येन बात को तवरोध काहे नहीं भयो? तुम्ारो मागशदर्शन या तटप्पणी की अपेक्षा से …….. 1. या देखा सीखी आय । आमरो समाज पर स्थानीय प्रभाव बहुत पडी से । जब प्रभाव ज्यादा पड़न लगयव होतो तब 1906 को दरतमयान पंवार जाती सुधारणी सभा को गठन भयव । मांसाहार अना मतदरा पर पाबन्दी लगी होती असो पता िलसे । इततहासकार श्री सी व्ही वैद्य , इततहासकार श्री दर्रथ र्माश , आमरा भाट , राजा मुंज को दरबारी कतव हाल को अनुसार आमी असल मा िाम्ण आजन जो बाद मा भारत मा धमश रक्षालाइक क्षतत्रय बन गया । आमी जेनेउ धारण करने वाला िम्क्षत्र वंर् का उत्तरातधकारी आजन । पर संगत को असर देखो जो सबला आब िोवहसे ि । 2. मासाहार सभ्य समाज मा तनतषद्ध से. पर हर समाज मा काही अपवाद रव्हसेती. उनन मासाहार अपनाई रहेव. तजनला करंजी, पापडी पसंद नही आयी उनन अन्य लोक ईनकी देखा देखी मासाहार सुरू करी रहेन. पोवारी मा पाहुणाको तेलरांधा को पाहुणिार करेव जासे. पर आता दुसरो की देखा देखी काही लोक पाहुणिार मा बी मासाहार तयार करसेती. नारबोद यव तवर्ेष रूप मा आमरो पोवारी त्यौहार त् नोहोय । यव मध्य भारत को स्थानीय ततवार आय । यहा को पुरातन गोंड लोगइनको यव ततवार लगसे । येन तदवस आमरो सबको घर को रान्धन खोली मा पतवत्र िूल्हा पर मांसाहार नही बन ।
  • 23. पोवारी साहित्य सररता 23 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 3. जो मांस ख़ान लग्या वय बाहर खासेत । घर मा उनला अनुमतत नही तमल । आब थोड़ो जमाना बदल रही से । पतवत्र िूल्हों गयव गैस आयव । अतिपूजन बन्द भयव । देव धमश बी देवघर मा तसमट कर रय गयव । आब बी आमरो समाज मा काफी प्रततर्त र्ाकाहारी लोगइनको से। ज्यादातर समाज की बाई लोगइनन आपलो धरम बनायक े अज बी राखी सेन । नारी र्क्ति धरम की रक्षण करता सेत । उनला वंदन से । 4. आम्ीं लहान होता तब् राजस्थान का राजपूत पंवारों को क े सर- किुरी-तर्लातजत तबकन इत् आवनो- जानो र्ुरु होतो. वय सांगत तक आप और हम एकही है लेतकन इधर आने क े बाद आप लोगों ने मुगी पालना एवं मटन खाना र्ुरु कर तदये है. इसतलए अब आपको हम हीन मानते है एवं आप लोगों से संबध तोड़ तदये है. आप लोगों क े घरों में पानी पीने की भी इछा नहीं होती. 5. सामातजक र्क्ति को कमजोर पड़न को कारण व्यक्तिगत र्क्ति समाज पर हावी भयी अन जोको मन जो आयो अन वोला जो भी अछो लग्यो करन लग्यो। समाज की र्क्ति का होन को कारण सभ्य समाज न मौन धारण कर सभ्य र्क्ति दुबक गयी। समाज की र्क्ति कमजोर होन को वजह लक सज्जन र्क्ति घर मा बंदी बन गयी अन दुजशन र्क्ति सड़क पर नािन लगी। वोको पररणाम आय का आज पोरा बड़गा न होयकर पोरा हड़गा भय गयो। अबो बी समय से की सज्जन र्क्ति संगतठत हो समाज तहत कठोर तनणशय लेन की क्षमता प्रदतर्शत करन की आवश्यकता से। सत्ता ल नोको करन पररवतशन की आस। समाज का जाग्रत क ें द्ों लक होये तब ि तवकास। जय राजा भोज जय भारत माता। कोमलप्रसाद राहँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तहसील बरघाट तजला तसवनी म प्र। ************************
  • 24. पोवारी साहित्य सररता 24 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 17 देवधरम को बारामा आमरा जो बी आराध्य देव सेत उनको आमला सही मायनों मा मान राखनो जरुरी से । पैसा कमावन लाइक देवी देवताओंइनला रिा परा निाय क े आमी अगर आपलो देवी देवताओंइनकी इज्जत बढाय रह्या सेजन , उनको प्रतत भक्ति कर रह्या सेजन त् या बात गलत से । पाखंड लक दूर रव्हनो जरूरी से। श्रध्दा भक्ति आंतररक रहे त् येन जनम को कल्याण होये । देवी देवताओं की आराधना मा संगीत को उपयोग आनंददायी से पर वोन संगीत मा सभ्यता , लय ,सुर, र्ास्त्रीयता होना । संगीत को तमार्ा लोग इनला क े तरो बी अछो लगे पर आमरो देव धरम की कोणी हासी उड़ाएती असो नही होनला होना । मिेन पटले ****************
  • 25. पोवारी साहित्य सररता 25 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 18. नैनं हछन्दखन्त र्स्त्राहण नैनं दिहत पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न र्ोर्यहत मारुतः ॥ आत्मा ला न र्स्त्र काट सकसेत, न आग वोला िराय सक । न पानी वोला हगलो कर सक, न िवा वोला सोक सक । या बात भलेही सत्य रहे पर जो र्रीर स्वरूप अदृश्य होय जासे वु भतवष्य मा कतब नही आव । वोन िेतनायुि र्रीर की कमी पूरी करनो उनला कतठन होय जासे जो मृत व्यक्ति को संग जुड़या रव्हसेत । मन पर जो घाव होसे वु बडो दुखदायी होय जासे असो मा समय एक असी दवा से जो मन को हर घाव ला भर देसे । मिेन पटले ****************
  • 26. पोवारी साहित्य सररता 26 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 19. आमी अना आमरो 36 क ु ल वालो समाि ************* आमरो समाज दुसरो समाज सरीखो मात्र एक समाज नहाय बक्ति आमरो समाज 36 क ु ल वालो मोठो पररवार को समुह आय। खास बात या की आमी सब एकदूसरो संग रि लक बंध्या सेजन । आमरो बीि सामातजक तौर परा ज्यादातर हर बात मा साम्यता से । आमी ढूंढन गया त् कही न कही ररश्तेदारी तनकल ि जासे । आमरो खानपान , दिूर, बोली, रीतत ररवाज , सण ततवार, देव , पूजा पद्धतत , जीवन पध्दतत ,परम्परा , संस्क ृ तत , इततहास आतद सबमा तबि ु ल फक श नाहाय । तसवनी लक ततरखेड़ी अना पौंडी लक सालेभाटा िली जाओ , त् कही असो नही लगनको की कोणी दुसरो समाज वालो को यहान गया सेजन । काहेतक आमी एक आजन । येन सब मानदंड को तहसाब लक ि आमरो समाज की व्याख्या होसे । येन सब मानदंड परा तसरफ़ 36 क ु ल पोवार या पंवार वाला पररवार उतरसेत मुन आमी एक समाज का आजन । 36 को अलावा बाकी आमरा सब भारतीय भाईबहन आत । 36 क ु ल पररवार कई सदीलक एक साथ रहेलक आमरो संस्क ृ तत को तवकास तवतर्ष्ट रुपमा भयी से। या पुरातन संस्क ृ तत आब बी नवो जमाना को संग तालमेल बनायक े राखन की तजमेदारी आमरी से । तजनन आपलो स्वातभमान सोड देइन , जो आपलो पूवशकाल , क ु ल धमश , समाज, संस्क ृ तत को सन्मान नही कर उनको सन्मान बी दुतनया नही कर ।उनला कोणी को मंग िलनो पडसे । जो खुदकी पहिान सोडसे , वोको खुदको अक्तित्व , वोतक पहिान खत्म होय जासे । जो खुदकी इज्जत नही करत , उनला दुसरो की देखातसखी करनो पडसे अना नकल करनो पडसे । दुतनयामा जो आपली इज्जत करसे वोतक इज्जत दुतनया खुदि करसे या बात मा ध्यान राखनो जरुरी से । आमला खुदला आत्मतवश्वास लक भर देनो पडे तब आमरी नेतृत्व र्क्ति मजबूत होये । येन जमाना मा आब आमला सामने िलनो सीखनो पड़े । हर क्षेत्र मा नेतृत्व करनो जरूरी से । हर क्षेत्र मा आमला मुख्य तकरदार
  • 27. पोवारी साहित्य सररता 27 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ तनभावन की जरूरत से , तब कही आमरी सक्तम्मतलत सामातजक र्क्ति को तनमाशण होये ..... मिेन पटले सदस्य अखिल भाऱतीय क्षहिय पंवार पोवार मिासंघ *************************************
  • 28. पोवारी साहित्य सररता 28 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 20. कािळहतिा (तिष:- आदमी मुसाहिर िैं) Ooo गाऊ तगरजा की तलला / उपास करीस तनरजला // करीस भिी जेण,तर्व पती भेटेव ओला//धृ// एक तदवस नारद आयर्ान ,कर गुणगान सब देवता मा तर्व भगवान महान मालुम भयेव तगरजाला,कसे वरुण मी तर्वजीला // तर्व को ध्यान ओन मन मा धररस काजळततजा को उपवास करीस त्यातगस अनाज पानी ला,प्रसन्न करण तर्वजी ला// मन की ईछा ओकी भयगयी पुरी म्णून पती भेटेव ओला भोला भंडारी ज्या कोणी करं व्रतला,तर्व सारखो पती ओला// पततव्रता को बाई ध्यास तुम्ी धरो लंतब उमर साती काजळततजा करो आधार संसार ला,भवसागर तरण ला// *** डी. पी. रािांगडाले गोंहदया *************************
  • 29. पोवारी साहित्य सररता 29 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 21. छत्तीस क ु ल पोवारी की उत्पहत्त ---------------🌹💢🌹-------------- छत्तीस क ु ल को होतो सैतनक- संघ ररश्तेदारी मा येव बंध गयेव l समान भाषा- संस्क ृ तत को कारण जातत-समुदाय मा बदल गयेव ll गौतम,तबसेन,पटले,राहांगडाले ठाक ू र,र्रणागत,बोपिे,टेंभरे तुरकर, ररनाईत, येड़े,हररणखेड़े इनको एक इततहास बन गयेव ll छत्तीस क ु ल को होतो... भगत,िौधरी, िौहान,कटरे l हनवत, पररहार ,पुंड,अंबुले l राणे, क्षीरसागर,पारधी, ,बघेले l इनको एक इततहास बन गयेव ll छत्तीस क ु ल को होतो... भैरम, कोल्हे, सोनवाने l जैतवार, भोयर, सहारे l छत्तीस क ु ल की से पोवारी l इनको एक इततहास बन गयेव ll छत्तीस क ु ल को होतो... रणमत, राऊत , राजहंस l फरीदाले, डाला ,रणतदवा l ये सय क ु ल आता नाहात हयात l इनको एक इततहास बन गयेव ll
  • 30. पोवारी साहित्य सररता 30 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ छत्तीस क ु ल को होतो... (एक सैतनक- संघ (Troop of warriors) लक पोवार नामक जातत- समुदाय की उत्पतत्त भयी) इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले प्रकार्न - र्ुभ मुहूतष "कािल हति" मंग.३०/०८/२०२२. -----------------🔷🔶🔷--------------- 22.
  • 31. पोवारी साहित्य सररता 31 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ बोलो गौरा माता की िय गौरा आयी ,गौरा आयी गौरा नाित खेलत आयी पहले आयी आकर पर िारों तदर्ांन् करीन नमन सखी भेटी ततन िार फ ु गळी मा रमेव गौरी मन सामने होती दुगाश माय फ ु गळी खेलं गौरी संग तहरवो िुडा तहरवो र्ालु असमान रंगेव नव रंग हासत आयी माता माय ममतामयी तर्तल छाव दया क्षमा र्ांती का गौरी मा तदसन लग्या भाव मोरं घरं तनरजला व्रत हाक गयी गौरा कान पर भक्ति भाव लका भावूक होयकन मां गौरा आयी मोरं घरं पाय धोयकन मांडीस ठाना धन्य भयी मोरी काया पती लंबी उमर की कामना मोरो संसार पर ठे वं छाया र्ेर्राव येळे कर हसंदीपार हिल्हा भंडा 22.
  • 32. पोवारी साहित्य सररता 32 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ िास्य कहवता: मोरो पोरा नाव से मोरो तगरधारी मोला आवडसे पुरन पोरी आमरं घरकी मोठी र्हाणी वाि तलखसे मोरी कहाणी ओकोि लगी से मोला ध्यान हलवत रवसू तदवस रात मान मी ततजोरी वा वरद लक्ष्मी पर मोरी नहाय इंिभर भुमी देखनला तदससू मी पहेलवान अखाडो मा नहाय खुलो रान देखो तो हसमुख से मोरो िेहरा तजवन जगसू रयकन बयरा खरी सांगसू एक बात नोको तबिारो मोरी जात कोणताि सण नहात मोरा हक लका सांगसे तुमरो पोरा र्ेर्राव येळे कर हसंदीपार हिल्हा भंडारा हद.३०/०८/२२ ************************** 23.
  • 33. पोवारी साहित्य सररता 33 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ वेद पुराण ग्रंथ र्ास्त्र साहित्य इहतिास ****""***** संक्षेपक:- रामिरण हरिंद पटले :-----:------:-----:-----:-------- हो -हो पढनो तो;; ईनमा र्ंकर भगवान जी तदससे! संगमा पावशती माय भवानी तमलसे!!टेक!! १) अध्याय को हर पद्य -पद मा! इततहास को हर रिना गद्य मा!! भगवान -भगवती जोड़ी सुहानी लगसे:------- हो -हो पढनो तो कहानी तमलसे। हो -हो पढनो ईनकी अमर कहानी िोवसे। हो -हो पढनो तो संगमा भवानी तमलसे:------------ २) आलेख अना उल्लेख सुहावन रव्हसे! िररत्र तित्रण बड़ो मन भावन लगसे!! देखनो तों हृदय गदगद होय जासे:----- हों सौंदयश रुप तीन तत्रगुणी लगसे। हो -हो अंग मा; माय िम्ाणी तमलसे:--हो -हो पढनो तो::--- ३) हो र्ंकर भगवान जी महाकाल होयकन! माय पावशती महाकाली तवर्ाल बनकन!! जुगल जोड़ी दुई की मिानी लगसे:----- भगवती तर्व की अधांतगनी बनी से। हो -हो पढनो तो संग मा माय:---- ४) कहीं र्ंकर जी ; रुद् हनुमान बनी से!
  • 34. पोवारी साहित्य सररता 34 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ राम जी को भि बलवान भयी से!! या कथा कहानी तवद्वानी रतित से:-- माय पावशती तर्व संतगनी भयी से। हो -हो पढनो तो संगमा भवानी तमलसे:------- ५) कहीं पहाड़ावाली गढकाली होय जासे! सम्राट राजा भोज ला र्क्तिर्ाली कर देसे!! आपरो वर्ंज की लाज बिाय लेसे:------ याि माय जगदम्बा रुद्ाणी कहावसे:-- हो -हो पढनो तो संगमा माय भवानी तमलसे:--हो -हो ६)दानव दैत्य ईनला पल मा तमटावसे! देवता ईनको आह्वान पर जल्दी आवसे!! याि माय गढकाली क्षत्राणी बनसे:- आपरो संतान की तनगरानी करसे:- हो -हो संगमा माय पावशती भवानी तमलसे::-----हो हो:------ ७) संकट जब आवसे तो अवतार लेय लेसे! तवपदा को घड़ी मा िमत्कार कर देसे!! हो सारी दुतनया ईनकी तदवानी होय जासे:--- रिना रामिरण पटले मुख जुबानी तलखसे:--- हो -हो पढनो तो संगमा पावशती भवानी तमलसे:----हो -हो------ ८) त्रेतायुग द्वापरयुग मा वृतांत घतटत से! रामायण अना महाभारत तवकराल रतित से!! अदभुत अतद्वतीय लेख पौरातणक से:--- माय गढकाली की जीवनी अवतररत भयी से::-- हो -हो संगमा माय पावशती भवानी तमलीसे:----हो हो:---------- ९)भगवान तर्व को गरो मा;तबष्णू जी रव्हसे!
  • 35. पोवारी साहित्य सररता 35 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ नाग बनकन संगमा;फन फन रक्षण करसे!! हों र्ंकर जी को अवयव मा िम्ाण्ड बसीसे:- माय भवानी;--कल्याणी भयी से:- हो -हो पढनो तो संगमा माय पावशती भवानी तमलसे:--हो -हो १०) संगठन को माध्यम लक मायबोली संरतक्षत से! भगवान भगवती की मतहमा सम्प्रेतषत भयी से!! माय या भवानी; मदाशनी भयी से। कतवताकरण करेव दृष्टांत तवज्ञानी से:--- हो -हो पढनो तो;सदा संगमा माय भवानी तमलीसे:--हो -हो पढनो तो::--- ------ हो -हो पढनो तो:-हो-हो पढनो तो*:-------सारो संसार ला तजन्दगानी तमली से:- हो -हो पढनो तो:-------------+++ देवी गीतकार-रामचरण िरचंद पटले मिाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६ मु.पोष्ट:-कटेरा तिसील -कटंगी हिला बालाघाट (म.प्र.) **************************
  • 36. पोवारी साहित्य सररता 36 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 24. पोवारी मायबोली मा गणेर् मिापुराण ********* असो भयो गणपतत अवतरण! रामिरण पटले सांगसे सार संक्षेपण!टेक! १) जय जय;जय हो गणपतत गणेर्! माय पावशती;तपता र्ंकर जी महेर्!! अग्रगण्य सबमा गणराज जी सवेर्! माय बाप को मानकन आदेर्!! अजर अमर आयो प्रगटकन:- असो भयो गणपतत अवतरण::- २) माय पावशती लगायकन उबटन! क ु तटया मा होती एकान्त बसकन!! उबटन मा होतो हड़द िन्दन लेपन! रगड़ घषशण कर उबटन तनकालकन!! रक्षण करन द्वार पर उत्पन्न:- असो भयो गणपतत अवतरण::- ३) सोमनाथ; मक्तल्लकाजुशन; महाकालेश्वर! ओमकारेश्वर;तभमार्ंकर; त्र्यंबक े श्वर!! नागेश्वर; तवश्वेश्वर; रामेश्वर! वेंकटेश्वर; क े दारनाथ; घृष्णेश्वर!! मालुम होसे तर्व पुराण पढकन:- असो भयो गणपतत अवतरण::-- ४) कलयुग ला आयो तर्क्षा तदलावन! आज्ञाकारी पालनहारी तवघ्नहताश हरण!! सदािारी वफादारी बेटा बनकन!
  • 37. पोवारी साहित्य सररता 37 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ ितुभुशज सवशगुणी िमत्कारी होयकन!! दुतनया करसे पूजा पाठ नमन:- असो भयो गणपतत अवतरण::-- ५) एकता समता संगठन बनायकन! तवतध तवधान संसार ला दर्ाशयकन!! ऋक्तद्ध तसक्तद्ध को प्रदाता बनकन! सब देवता गण करसेती दर्शन!! तदव्य भव्य ला से सबको वन्दन:- असो भयो गणपतत अवतरण::-- ६)एक घटी अदभुत कहानी! वेद पुराण ग्रंथ मा कथा सुहानी!! वृतांत दृष्टांत देखकन तवज्ञानी! तपता र्ंकर जी माय रुद्ाणी!! सब कोन्ही भि;र्रण जायकन:- असो भयो गणपतत अवतरण::-- ७) प्रश्न होतो पहले तबया को कारण! दुई भाई काततशक गणेर् ला बुलायकन!! जेव आये पहले तीन लोक तफरकन! गणेर् जी न;माय बाप पररक्रमा करकन!! सब देवता गण न;करीन पररक्षण:- असो भयो गणपतत अवतरण::- ८)असो क ृ त्य ला काततशक े य देखकन! दूर गयो पहाड़ पर रूठकन!! माय बाप लक नारार्ज होयकन! तिंता मा माय बाप;गया ढूंडन!! माय बाप दुई मक्तल्लकाजुशन बनकन:-
  • 38. पोवारी साहित्य सररता 38 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ असो भयो गणपतत अवतरण::--- ९)माय पावशती मक्तल्लका रुप लेयकन! र्ंकर जी;भेष अजुशन को लेयकन!! दुई भाई मा भयो तवग्रह तवरहन! माय बाप को दतदशलो से तित्रण!! रामिरण पटले करसे तववरण::- असो भयो गणपतत अवतरण::--- १०)धन्य धन्य से गणेर् जी की माया! र्ंकर जी अना पावशती बदलसेत काया!! दुतनया नहीं;कोन्ही समझ पाया! दुतवधा मा सब कोई भरमाया!! मायबोली मा करीसेव अवलोकन:- असो भयो गणपतत अवतरण:::-- देवी गीतकार-रामचरण िरचंद पटले मिाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६ मु.पोष्ट:-कटेरा तिसील -कटंगी हिला बालाघाट (म.प्र.) ********************************************************** 25.
  • 39. पोवारी साहित्य सररता 39 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ बालकवीता: तुटी नार/नाळ आमी लहानसा टुरु पटू सत्य बात सांगु,समजो नोको कटू खेलन क ु दनकी आमरी उमर पर घरमा नहाय आंगण तकताबं ठु साय ठु सायक े बढाय रवसेव आमरो ग्यान पुिक वाहक आमरी पीट तकताब युगका आमी पुतला ग्यान भरीसे तदमाखमा जीवन उपयोगी नहाय कला तवज्ञान आमरो प्राण वायू डोरा सामने मोबाईल को नंगा नाि संस्कार संस्क ृ ती मा नव तवज्ञान याि आजकी नयी सोि बाल्यावस्था माि क ु मारवस्था बडी उत्क्ांत आमरी अवस्था कसो तर्क्षा,प्रगती नावपर तोड्यात नार संग आस्था मम्मी पप्पा,आई बाबा बनो ना माती संग ररिा जोडो ना प्रक ृ ती ग्यान को तमलाफ आमरो नार संग जोडो ना र्ेर्राव येळे कर
  • 40. पोवारी साहित्य सररता 40 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 26. पोवारी लावणी : क ृ ष्ण सिी ********* तमरिी को ठे सा,अना जाडी भरडी भाकर लाज आवसे, बाई! पलंगपर एकि वाकर मोरी जुबान,ततखट लवंगी तमरिी जवरसे लावण्य की लखलाती खुिी मोला पटावन खोलो तुमरो लाकर लाज आवसे, बाई! पलंगपर एकि वाकर मोला देखताि,लोक ं ईंला आवसे हुिकी आयी मायी कसेत, नाक मुरटकन मटकी ललिातो मन सांगसे, तुमरो िाऊर पाखर लाज आवसे, बाई !पलंगपर एकि वाकर गोरो बदन हुसनं भरी या जवानी दुतनया पागल से मोरोपर तदवानी तदवानगी मा मदाशनगीं से जोकर लाज आवसे', बाई! पलंगपर एकि वाकर पर मी तदवानी क ृ ष्ण की सखी भोगी दुतनया मा मी सबदून दुखी क ृ ष्ण तलला ला हसकन सोवू सू ठोकर लाज आवसे,बाई! पलंगपर एकि वाकर र्ेर्राव येळे कर हद.३०/०८/२२ ***********************
  • 41. पोवारी साहित्य सररता 41 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 27 अंहतम श्वास : अंहतम श्र्वास ****** अंततम श्र्वास मा नोवतो जवर कोणी याद आयी तबं पूरी जीवन कहाणी नोवतो जुबान ला हाड जवानी मा मी बेहोर् कमश पथ मा जीवनभर यन हातलका करेव नार् नर्ा पैसा की डोकसा मा रेंगता तदसत सब जीव कसो तांडव नृत्य होतो नवती कोतणकीि तकव तिपकी होती सत्ता क ु िी िवडी होती तबं छाती माज को िष्मा डोरापर वरक े व नहीं तब आपली माती अंततम समय मा माती बोलसे भेतटसे उदारी को श्र्वास तोरो कमश को योव वािा तुनि करेस पुण्य फल नार् र्ेर्राव येळे कर *********************
  • 42. पोवारी साहित्य सररता 42 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 28 क्षहियत्व की मूहतष ********* महाराणा प्रतापतसंह परा एक समया असो बी आयौ की जंगल मा रव्हनो पड़यो । घासफ ू स की रोटी बनायखन खानों पड्यो । असी क्तस्थतत त् कोणी सामान्य व्यक्ति की बी नही होय । राणा प्रताप जी न हार नही मातनन । जरूरत पड़ी त् जंगल को तभल्ल समाज को भामार्ाह लक जो मदत लेनी पड़ी वय उनन लेइन । राष्टरतहत मा , समया गलत आयव त् मदत लेयकर पुनः खुदला सवार क े आपलो मेवाड़ की रक्षालायी सज्ज भया । उनन भामार्ाह को सहायता को बोझ को तले खुदला तभल्ल सातबत करन की कोतर्र् नही कररन । वय मदत प्राप्त करनलाइक तभल्ल लोगइनका भीलअध्यक्ष या नेता नही बन्या । वय खुद की पहिान बदलक े सत्ता प्राक्तप्त करनलाइक मदत प्राप्त करने वाला धूतश, कायर व लालिी सोि वाला नोहोता । वय क्षतत्रयत्व की आदर्श मूततश होता । उनको अंदर बी पंवार खून बव्हत होतो । असो क्षतत्रय ला नमन से । उनलक काइ आदर्श हरेक ला लेनला होना । सत्ता, पैसा , लालि, स्वाथश , फायदा, कीततश , सन्मान , हार फ ू ल लाइक आपली मूल पहिान बदलनो नोहोय क्षतत्रयत्व। मिेन पटले **************
  • 43. पोवारी साहित्य सररता 43 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 29. गणपहत हचंतन ******* गण का अतधपतत श्री गणपतत दूर कर देसेती सबकी तवपतत्त । श्री गणेर् जी सेत तवघ्न हताश वय आत आमरा मंगल कताश । गौरी पुत्रको नाम से तवनायक सकारात्मकताका वय संवाहक। उनको तिंतनसे बड़ो मंगलमय सदा उन की होत रहे जय जय। पूजा मा से उनको पहेलो मान देवीदेवता करसेत सब सन्मान। मन मा करो जो ध्यान हर दम पूरा होयेती तनतवशघ्न सब काम। मिेन पटले ***************
  • 44. पोवारी साहित्य सररता 44 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 30. श्री गणपती आयेव् गण को नायक तवघ्न को हताश लंबोदर गजमुख जेकी वरक ् र्ुपशकणश अना पीतांबर ||१|| गणाध्यक्ष जो सुंदर मनभावन रूप मनोहर भिप्रततपालक प्रबुद्ध लगसे सबला सहोदर ||२|| बुद्धीवंत अना दयावंत असो वु न्यारो एकदंत वोकी सेवा लक होसे हर भिजन प्रज्ञावंत ||३|| सुखकारक दुखनार्क देवता िररत्रदायी हर लेसे पापकमश सब भिी वोकी सुखदायी ||४|| ररद्धी-तसद्धी संग नाता पतवत्र बंधन दाखला सुंदर समरस समाजसाटी अथवशर्ीषश पठन शंखला ||५|| रमणीय रम्य जीवन श्रीगणेर्जी साधना सब् भिन् की सेवा करबी श्री आराधना ||६|| रणदीप हबसने
  • 45. पोवारी साहित्य सररता 45 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 31. श्री गणेर्ा *********** मंगलमुती मोरया हे गणाधीर् गणराया ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया कण कण मा देखू रूप तुि मोरो श्र्वास क ृ पा कर तवघ्नहताश मी तोरो िरण को दास ना समज समजकन, बरसन दे तोरी दया ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया एक दन्त तू क ृ पावंत करे जग आराधना मी आश्रीत तोरो पास पुरी कर दे मनोकामना तुि श्वास तुि आस,तुटे भवसागर की माया ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया मुषक वाहक सब समावेर्क लंबोदरा सुख दायक,संभाल या संसार की धुरा अंधारो ला हरायक े बाप्पा पार कराय दे नय्या ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया ितुभुशज तवनायक,हातमा संसार की डोर तुि बाप्पा तुि दाता,धारन िंद् कोर मंगलमुती मा सेत सब सुख समाया ररद्धी तसद्धी दाता, दे भिवत्सल छाया र्ेर्राव येळे कर हद. ३१/०८/२२ **************
  • 46. पोवारी साहित्य सररता 46 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 32. र्ोध आत्मज्ञान से गणपती तुटसे मनको क्लेर् मंगलमुती को रुप असो नही उरं कोणतो द्वेर् उदर से जसो तवर्ाल तसीि देनकी ठे वसे ईछा ितुभुशज को एक ज्ञान भि पायजे सच्चा वक्र तुंड महाकाय र्रीर कला मा से पररपूणश आलस त्यागो जन तुटे काया अपुणश ररद्धी तसद्धी को दाता गणपती से योगेश्वर षढररपू पर ताबा ठे यक े खुदमा र्ोधो परमेश्वर एक हाक पर धावत आये एकदंत से तवघ्नहताश मन ला सदा उत्साही ठे यकन बनो घर,समाज का कताश आपलो आपमा र्ोधो ईश्वर सांगे तुमला गौरीनंदन जीवन तझजाओ असो लगे पायजे सुगंधी िंदन र्ेर्राव येळे कर
  • 47. पोवारी साहित्य सररता 47 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 33. घरं आया गणपती अज ितुथीको तदन आयी िैतन्य पहाट | बड़ो सुंदर िौरंग वहां मोदकको थाट ||१|| मुषकको सवारीलं घरं आया गणपती | पैरी सोनोकी पायमा रुणझुण खणकती ||२|| मि सुंदर मुक ू ट र्ोभा देसे तसरपर | बड़ो मोहक तदससे नक्षीकाम सोंडपर ||३|| सेती हातमा क ं गन अना कमलको फ ू ल | नार् दुष्टको करन एक हातमा तत्रर्ूल ||४|| हार गरोमा मोतीको बाली कानमा डोलसे | क ं बरला करदुड़ा नाग सापको र्ोभसे ||५||
  • 48. पोवारी साहित्य सररता 48 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ भरजरी रेर्मको आंगपर तपतांबर | बड़ो सुंदर तदससे गजानन तवघ्नेश्वर ||६|| © इंिी. गोवधषन हबसेन "गोक ु ल" गोंहदया, मो. ९४२२८३२९४१ ****************************
  • 49. पोवारी साहित्य सररता 49 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 34. 🌷अष्टहवनायक (पोवारी)🌷 स्वयंभू गणेर् | अष्टतवनायक | प्रसन्न दायक | मंतदर हे ||१|| बस्या मोरगावं | बाप्पा मोरेश्वर | श्री बल्लाळे श्वर | पाली गावं ||२| तसध्दटेक वासी | तसध्दी तवनायक | वरतद्वनायक | महडको ||३|| रांजण गावको | महा गणपती | थेऊर रव्हती | तिंतामणी ||४|| श्री तगररजात्मज | हे लेण्यांतद्वासी | ओझर तनवासी | तवघ्नेश्वर ||५|| अष्टतवनायक | जावो रे तनतित | संकल्प ईक्तछत | पुणश होये ||६|| दुर होये तवघ्न | करो दरसन | कसे गोवधशन | पुण्य भेटे ||७|| © इंिी. गोवधषन हबसेन "गोक ु ल" गोंहदया, मो. ९४२२८३२९४१ ***************************
  • 50. पोवारी साहित्य सररता 50 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 35. मनोरा काव्य रचना गणपती आगमन **************** नमन गणपती बाप्पाला करसेज आम्ी भिगण होये जल्लोष लका आगमन हषीत होये सारो सजीव गन गणपती करे आदमी को दुः ख तनवारण याि क ृ पादृष्टी धरकर पधारेव घर घर गजानन. ==================== उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत) गोंहदया (श्रीक्षेि देहू पुणे) ९६७३९६५३११ ********************
  • 51. पोवारी साहित्य सररता 51 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 36. िय गणेर् देवा जय जय गणेर् देवा प्रथम तोरी वंदना देवा ,ओ देवा, तु क ै लार्ी तर्वजी को बेटा माय तोरी गौरा, ओ देवा प्रथम तोरी वंदना, माय अजी की आज्ञा मानकर, करयोस माय अजी की परीक्रमा, ओ देवा प्रथम तोरी वंदना , देवी देवता ितकत भया सब देख तोरी भक्ति साधना, फ ु ल माला लक करीन वंदना ओ देवा प्रथम तोरी वंदना, प्रथम मनावो गणराया ला , करीन िम्ा ,तवष्णु ,महादेव ,तीन देव ना घोषणा, ओ देवा प्रथम तोरी वंदना, र्ुभ फल दाता तोरो नाव से तोरो पुजन तबगुर देवा काही काम सफल होय ना, ओ देवा प्रथम तोरी वंदना, तु सुख करता तु दुखहरता ररद्धी तसद्धी सुख सम्पती भरपुर देजो देवा , ओ देवा प्रथम तोरी वंदना।। हवद्या हबसेन बालाघाट, **********************
  • 52. पोवारी साहित्य सररता 52 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 37. हभन्न भार्ा समझन को तरीका **************************** समि समाज को उत्थान व्यक्ति व्यक्ति को उत्थान लक साध्य होये। व्यक्तित्व तनमाशण मा अनेक भाषा को ज्ञान बहुत महत्वपूणश से । तवतभन्न भाषा को ज्ञान कही भी काम आवसे । अलग अलग भाषा को ज्ञान कभी बेकार नही जाय । आब को तडतजटल जमाना मा दुतनया भरकी तभन्न भाषा समझनो , बोलणो, अनुवाद करनो बहुत आसान भय गयी से। बेटा बेटीलायी तडतजटल एप्प को मदत लक कोणती बी भाषा बोलणो तलखणो समझनो स्क ू ल को अभ्यासक्रम को तहसाब लक बहुत आसान भय गयी से । बाहर को अन्य भातषक देर् मा कबी जानो पड़यो त् तनम्नतलक्तखत एप्प बहुत काम की से । अगर तभन्न भाषा मा संवाद करनो , समझनो , अनुवाद करनो से त् --- Google Play store app पर जायक े Google Translate एप्प डाउनलोड करक े इंस्टाल करनो जरूरी से । येन एप्प को जररये कोतनबी तभन्न भातषक व्यक्ति संग संवाद करता आये । आमी तहंदी मा तलखयव या कह्यव संस्क ृ त , अंग्रेजी, रतर्यन, ततमल आतद अनेक भाषा मा अनुवाद कर सकसेजन। यको उपयोग लक कोणती बी भाषा व क्षेत्र अनजान नही रव्ह । हालांतक आब बोली को अनुवाद येन एप्प को मदतलक नही होय सक। तसफ श भाषाइनको अनुवाद होसे । तवद्याथीलाइक बहुत उपयोगी से या एप्प । मिेन पटले ----- सदस्य अखिल भारतीय क्षहिय पंवार पोवार मिासंघ **************************************
  • 53. पोवारी साहित्य सररता 53 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 38. गणपती *********** सरेव श्रावण आयेव भादो हषश उल्हातसत भयेव मन बाजत गाजत आयेव देखो मोरो गौरी गणपती को सण आंगण सजेव रांगोळी लक दरवाजा पर बंधी से तोरण बाप्पा मोरया जयकार संग ढोल तार्ा भी लगेव बजन तवघ्नतवनार्क लंबोदर छोटो मूषक तोरो वाहन अग्र पूजा को तू मानकरी बुद्धीदाता तर्वपावशती नंदन तसंदूर जास्वंद र्म्मी पत्र एकवीस दुवाश करू अपशण िढायक े मोदक को प्रसाद भिी भावलक करू नमन पाहुणा तू दस तदवस को दयाघन ररद्धीतसद्धी रमण असोि कर मनोकामना पूणश करू सदा देवा तोरा दर्शन र्ारदा चौधरी भंडारा *************************
  • 54. पोवारी साहित्य सररता 54 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 39. गणपतीकी पोवारीमा आरती आरती गणपती, करू तोरी पुजापाती नमुसु मी देवा तोला, देवा पाव भिसाती आरती गणपती।। धृ।। अजी तोरो क ै लासपती, माय तोरी पारबती क ै लास तोरो धाम, देवा देजो सुखर्ांती आरती गणपती।। १।। तवघ्नहताश तुि देव, अरपुसु भिी भाव तवघ्न दूर कर देवा, बाप्पा बन मोरो साथी आरती गणपती।। २।। देवा तुि लंबोदर, सेस सुखको सागर करू तोरी आराधना, देवा करु तोरी भिी आरती गणपती।। ३।। एकदंत दयावंत, तुि संसारको संत रिा असो देखाव मोला, देवा बढे मोरी तकती आरती गणपती।। ४।। रक्षा कर देवा मोरी, पूजाअिाश करु तोरी आनु देवा तोर् साती, दुवाश फ ु ल बेलपाती आरती गणपती।। ५।। सुखकताश दुखहताश, अर्ी देवा तोरी ख्याती क ृ पादृष्टी ठे व देवा, धाव धाव भि साती आरती गणपती।। ६।। ✍ डॉ. र्ेिराम परसराम येळे कर नागपूर १५/८/२०२०
  • 55. पोवारी साहित्य सररता 55 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 40. ========================= पोवार समाि को सहक्यताला सहृदय नमन ========================= समि सम्माननीय पोवार समाजको व समि जनमानस को सामातजक एकताला तहरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर नमन , सबला दुः ख हृदयस्पर्श अंतः करण लक सुतित करनोमा आव् से की अज अक्तखन एक हृदयस्पर्श घटना पोवार समाजमा घटी , पोवार समाज एकता मंि पुवश नागपुर का सतक्रय सदस्य श्री तेजस पन्नालालजी राणे वय वषश अंदार्ज २५/२६ तजनको जन्मगांव मु झांतजया ता गोरेगांव तजल्हा गोंतदया माहाराष्टरा , कमशभूतम जयदुगाशनगर पारडी नागपुर , स्वगीय तेजस पन्नालालजी राणे ये आपलो पररवार को उदरतनवाशहन करन साती आपलो जन्मभुमीला सोडकर नागपुर मा कमावन साती आया होता पर सायद येव तनयत्ती ला मान्य नोहोतो अना दुभाशग्यवस इनको दुः खद तनधन तद ३१-०८-२०२२ रोज सोमवारला तसक्तव्हल को काम करता करता ततसरो मजला पर लक खाल्या पडकर मृत्यु भयेव या घटना इनको पररवार साती व समि जनमानस साती हृदयस्पर्श से , येन् दुः ख द घटना की जानकारी तमलताि पोवार समाज एकता मंि का प्रयत्नवादी कतृशत्वतनष्ठ िम्तनष्ठ तनष्ठावान अध्यक्ष श्री सुनीलजी तबसेन इनन् घटनास्थल पर पहुंिकर घटना की सतविार जानकारी लेयकर पोवार समाज एकता मंि को समि कायशकाररणी पदातधकारी व सदस्य तसोि नागपुर र्हर को समि पोवार समाज संगठन का अध्यक्ष व कायशकाररणी पदातधकारी व सदस्य इनला स्वगीय श्री तेजस पन्नालालजी राणे इनको दुः खद घटना की जानकारी देइन , नागपुर र्हर पोवार समाज संगठन का समि पदातधकारी व सदस्य तुरंत घटनास्थल पर पहुंिकर पीडीत पररवार को न्याय दो आंदोलन का सहभागी बनकर पीडीत पररवारला ४ लाख िार लाख की आतथशक सहायता देवावनो मा यर्स्वी भया , पोवार समाज एकता मंि का प्रयत्नवादी कतृशत्वतनष्ठ तनष्ठावान अध्यक्ष श्री आदरणीय सुनील जी तबसेन व पोवार समाज एकता मंि का प्रयत्नवादी कतुशत्वतनष्ठ िम्तनष्ठ तनष्ठावान पदातधकारी व समि सदस्य अना नागपुर र्हर का समि पोवार समाज संगठन का प्रयत्नवादी कतुशत्वतनष्ठ िम्तनष्ठ
  • 56. पोवारी साहित्य सररता 56 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ तनष्ठावान पदातधकारी व सदस्य इनको कोतट-कोतट अनंत कोतट धन्यवाद की येन् दुः ख को घड़ी मा पीडीत पररवारला न्याय देवावन साती एकजुट होयकर संघषश करीन सबला तहरदीलाल नेतरामजी ठाकरे करलक कोतट-कोतट नमन जय राजा भोज जय माहामाया गढकातलका श्री हिरदीलाल नेतरामिी ठाकरे नागपुर पोवार समाि एकता मंच पुवष नागपुर ========================
  • 57. पोवारी साहित्य सररता 57 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 41. देव गणपहत ********* सबको प्यारो सबको दुलारो, प्रथम पुज्य देव गणपतत हमारो। मूषक की करसे सवारी , लाल रंग की आंख सेती प्यारी।। गजानन, लंबोदर, गणपती कहावसे, कई कई सुंदर नाम लक पुकारयो जासे। देवा ररक्तद्ध तसक्तद्ध को से दाता, हमारो सबको भाग्य तवधाता।। सच्चों मन लक जो करे पुजा पाठ, देवा तवघ्न हरकर बदल देसे ठाठ। लड्डू , मोदक खुब तह पसन्द सेती, बड़ो िाव लक देवा खासेती।। सबको घर पर तवराजया गणपती, नहीं आवन देत देवा कोई तवप्पतत्त। तर्व गौरी का नयन का तारा, दुक्तखयन का देवा तारण हारा।। सकल कारज देवा तसद्ध कर: सेती, तब त देव भी तसक्तद्धतवनायक कसेती। गणेर् ितुथी जब भी आवसे, खुब धूम धाम लक मनाई जासे।। घर घर गली गली देवा का ठान, ढोल मृदंग संग होसेती गान।
  • 58. पोवारी साहित्य सररता 58 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ दस तदवस को मन: से त्योहार, सबको तदल तदमाग मा रहवसे बहार।। देवा की कीततश को नहीं करु बखान, नहानों रूप मा तलखूंसु रुझान। यर्वन्त कटरे िबलपुर,०१/०९/२०२२ *********************************
  • 59. पोवारी साहित्य सररता 59 अखिल भारतीय क्षहिय पोवार/पंवार मिासंघ 42. पोवारी पोवाडा मदष पोवार ****** आदी नमन गणराया, दुजो नमन क ु लदेवी गडकालीका हे पुरखा राजा भोज मनमा िरु रोज रोज मनमा िरु रोज रोज! हो जी र् जी जी.... आमरा पोवार मदश वीर कभी छु की ना ईनको सर छाती से दयाश तदल दार ना मानत कभी हार ना मानत कभी हार ! जी र् जी जी... तजकत गया हर लढाई आता हातमा से तनली र्ाई हर जीत पर ईनकी िढाई पोवार जगसेत बनकन भाई भाई पोवार जगसेत बनकन भाई भाई ! हो जी र् जी जी.. कला संस्क ृ ती भाषा से पहिान प्रक ृ ती करसे पोवारी सन्मान धाकड़ छातीको पोवार जवान पोवार भाऊ से खरो पहेलवान पोवार भाऊ से खरो पहेलवान! हा जी र् जी जी.... र्ेर्राव वासुदेव येळे कर हसंदीपार हिल्हा भंडारा हद.०१/०९/२२