2. पीपल की पूजा
लोग पीपल की पूजा करते हैं, यह मािकर कक इससे शछि ग्रह शांत होगा।
अथवा भूत-प्रेत की बाधा िह ं होगी। इसमें वैज्ञाछिक तक
क यह है कक पीपल
ह एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात और दिि, िोिों समय ऑक्सीजि िोड़ता
है। अतः इसे बचाए रखिा और इसक
े पास जािे से शर र में ऑक्सीजि की
मात्रा प्रवादहत होती है।
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3. माथे पर छतलक
क
ु ि लोग माथे पर क
ु मक
ु म, छतलक आदि लगाते हैं। मदहलाएं एवं पुरुष माथे
पर छतलक लगाते हैं। इसक
े पीिे वैज्ञाछिक तक
क यह है कक आंखों क
े बीच
माथे तक एक िस आ जाती है। क
ु मक
ु म या छतलक लगािे से उस जगह की
ऊजाक बिी रहती है। माथे पर छतलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगल से
प्रेशर पर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त आपूछतक करिेवाल मांसपेशी
सकिय हो जाती है और इससे चेहरे की कोशशकाओं तक रक्त प्रचुर मात्रा में
पहुंचता है, जो चेहरे को छिखारता है।
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4. भोजि की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से
जब भी कोई धाशमकक या पाररवाररक अिुष्ठाि होता है, तो भोजि की
शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। इसक
े पीिे वैज्ञाछिक तक
क यह है
कक तीखा खािे से हमारे पेट क
े अंिर पाचि तत्व एवं अम्ल सकिय हो जाते
हैं। इससे पाचि तंत्र ठीक तरह से संचाशलत होता है। अंत में मीठा खािे से
अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलि िह ं होती।
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5. काि छििवािे
हमारे यहां काि छििवािे की भी परंपरा है। लगभग सभी धमों क
े लोग काि
छििवाते हैं। वैज्ञाछिक तक
क और िशकिशास्त्त्री इस बात को मािते हैं कक
इससे सोचिे की शक्क्त का ववकास होता है, जबकक डॉक्टरों का माििा है
कक इससे आवाज अच्िी होती है। कािों से होकर दिमाग तक जािेवाल िस
का रक्त संचार छियंत्रत्रत रहता है।
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6. जमीि पर बैठकर भोजि
भारतीय संस्त्कृ छत क
े अिुसार जमीि पर बैठकर भोजि करिा अच्िी बात
होती है। वैज्ञाछिक तक
क यह है कक पालथी मारकर बैठिा एक प्रकार का योग
है। इस पोक्जशि में बैठिे से मक्स्त्तष्क शांत रहता है और भोजि करते वक्त
दिमाग शांत हो, तो पाचि किया अच्िी रहती है। इस पोजीशि मे बैठते ह
खुि-ब-खुि दिमाग से एक शसग्िल पेट तक जाता है, वह भोजि क
े शलए
तैयार हो जाए।
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7. सूयक को जल
दहंिुओं में सुबह उठकर सूयक को जल चढ़ाते हुए िमस्त्कार करिे की परंपरा
है। वैज्ञाछिक तक
क पािी क
े बीच से आिे वाल सूयक की ककरणें जब आंखों में
पहुंचती हैं, तब हमार आंखों की रोशिी अच्िी होती है।
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8. ऋवष-मुछि क
े शसर पर चुदटया
शसर पर चोट दहंिू धमक में ऋवष-मुछि शसर पर चुदटया रखते थे। आज भी
लोग रखते हैं। वैज्ञाछिक तक
क यह है कक क्जस जगह पर चुदटया रखी जाती
है, उस जगह पर दिमाग की सार िसें आकर शमलती हैं। इससे दिमाग
क्स्त्थर रहता है और इंसाि को िोध िह ं आता, सोचिे की क्षमता बढ़ती है।
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9. पूजा-पाठ क
े िौराि व्रत
अक्सर लोग पूजा-पाठ या अिुष्ठाि क
े िौराि व्रत रखते हैं। इसक
े पीिे
आयुवेि क
े अिुसार व्रत करिे से पाचि किया अच्िी होती है और फलाहार
लेिे से शर र का डीटॉक्सीकफक
े शि होता है। यािी, उसमें से खराब तत्व
बाहर छिकलते हैं। शोधकताकओं क
े अिुसार व्रत करिे से कैं सर का खतरा कम
होता है। हृिय संबंधी रोगों, मधुमेह आदि रोग भी जल्ि िह ं लगते।
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10. चरण स्त्पशक
दहंिू मान्यता क
े अिुसार जब भी आप ककसी बड़े से शमलें, तो उिका चरण
स्त्पशक करें। यह हम बच्चों को भी शसखाते हैं, ताकक वे बड़ों का आिर करें।
वैज्ञाछिक तक
क यह है कक इससे मक्स्त्तष्क से छिकलिे वाल ऊजाक हाथों और
सामिे वाले पैरों से होते हुए एक चि पूरा करती है। इसे कॉसशमक एिजी
का प्रवाह कहते हैं। इसमें िो प्रकार से ऊजाक का प्रवाह होता है। या तो बड़े
क
े पैरों से होते हुए िोटे क
े हाथों तक या कफर िोटे क
े हाथों से बड़ों क
े पैरों
तक।
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11. शसंिूर
शाि शुिा दहंिू मदहलाएं शसंिूर लगाती हैं। वैज्ञाछिक तक
क यह है कक शसंिूर में
हल्ि , चूिा और मरकर होता है। यह शमश्रण शर र क
े रक्तचाप को छियंत्रत्रत
करता है। चूंकक इससे यौि उत्तेजिाएं भी बढ़ती हैं, इसीशलए ववधवा औरतों क
े
शलए शसंिूर लगािा वक्जकत है। इससे स्त्रेस कम होता है।
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