1. शिवरात्रि
शिवरात्रि हिन्दू कै लेन्डर के अनुसार फाल्गुन मिीने की अमावस मे मनाई जाती िै,जो कक इंगशलि कै लेन्डर के हिसाब से
मार्च में िोती िै|शिवरात्रि बिुत मित्वपूर्च त्योिार िै|इसहदन लोग व्रत रखते िै और सारी रात मन्न्दरों मे भगवान
शिवकाभजन िोता िै| सुबि भगवान शिव के भक्त त्रबिेष तौर पर औरतें निा धोकर शिबशलंग पर जल र्ढाने जाती
िै|औरतो के शलये वविेष रुप से िुभ माना जाता िै|क्योकक एक कथा िै कक पावचती ने तपस्या की और प्राथचना की कक इस
अन्धेरी रात में मेरे पर कोई मुसीवत न आये| िे भगवान उसके सारे दुख दूर िो जाये|तव से मिाशिवरात्रि के उत्सव पर
औरतें अपने पतत और पुि का िुभ मांगती िैं| भगवान से पाथचना करती िै क्वारी लडककयााँ भगवान शिव का पूजन करती
िैं कक िमें अच्छा पतत शमले|
सुबि िोने पर लोग गंगा में या खजुरािो में शिवसागर तालाव में स्नान करना पुन्य समझते िैं| भक्त लोग सूयच,ववष्र्ु
और शिव की पूजा करते ि, शिवशलंग पर पानी या दूध र्ढाते िैऔर औंनमःशिवाय , जय िंकर जी की बोलते िै| मन्न्दर
में घंहियों की आवाज गूंज उठती िै|
रामायर् में शिवभक्तों की कथा इसप्रकार किी गई िै कक एक बार राजा भागीरथ अपना राज्य छोडकर ब्रह्मा के पास
गये और प्राथचना की कक िमारे पूबचजों को उनके पापों से मुक्त करें और उन्िें स्वगच में भेज स्थान दें| वि गंगा को पृथ्वी पर
भेजें जो उनके पूवचजो को इस बन्धन से छु डा सकती िै और सब पाप धो सकती िै| तब ब्रह्मा ने उसकी इच्छा पूरी की
और किा कक आप शिव को प्राथचना करे वि िी गंगा का भार उठा सकते िै किते िै कक गंगा शिव की जिाओ पर उतरी
उसके बाद पृथ्वी पर आई और यि भी किा गया िै कक शिव की जिाओं के बाद थोडी सी बौछारे आई इसशलये बरुर् को
भी पवविता का रुप माना जाता िै जो कक प्रार्ी का जीवन आधार िै| शलगं को पानी से स्बान कराया जाता िै न्जसको एक
धाशमचक रुप देहदया गया िै| शलंग को दूध ,पानी और ििद से भी निलाते िै उसके बाद उस पर र्न्दन की लकडी के बूरे
का पेस्ि बनाकर उस का िीका शलंग पर लगाया जाता िै फू ल,फल ,पान के पत्ते र्ढाये जाते िै और धूप हदया जलाया
जाता िै| शिब पुरार् की कथा मैं इन छः वस्तुओं का ढंग से मित्व बताया गया िैः
१ लोग बेलपि से पानी शलंग पर तछडकते िै उसका तात्पयच यि िै कक शिव की क्रोध की अन्नन को िान्त करने के शलये
ठन्डे पानी व पते से स्नान कराया जाता िै जो कक आत्मा कक िुद्धध का प्रतीक िै|
२ निलाने के बाद शलंग पर र्न्दन का िीका लगाना िुभ जाग्रत करने का प्रतीक िै|
३ फल, फू ल र्ढाना, धन्यबाद करना भगवान की कृ पा और जीवनदान, भगवान शिव इस दुतनया के रवतयता िै|उनकी
रर्ना पर धन्यवाद करना|
४ धूप जलानाः सब अिुद्ध वायु,कीिार्ु, गंदगी का नाि करने का प्रतीक िै|िमारे सब संकि, कष्ि,दुःख दूर रिे, सब
सुखी बसें|
५ हदया जलानाः िमें ज्ञान दें,िमें रोिनी दें,प्रकाि दें,ववद्वान बनाये, शिक्षा दें ताकक िम सदा उन्नतत के पथ पर बढते
रिें|
2. ६.पान का पताः इसी से सन्तुष्ि िैं िमें जो हदया िै िम उसी का धन्यवाद करते िै|
पानी र्ढाना, मस्तक झुकाना , शलंग पर धूप जलाना,मन्न्दर की घण्िी बजाना यि सब अपनी आत्मा को सतचक करना
िैकक िम इस संसार के रर्ने वाले का अंग िैं|
शिव के नृत्य, ताण्डव नृत्य की मुद्राएाँ भी खूब दिचनीय िोती िैं| नृत्य में झूमने के , शलये लोग ठंडाई जो एक पेय िै और
यि बादाम, भंग और दूध से बनती िै, पीते िै|
पुरार्ों में बिुत सी कथाएाँ शमलती िैं| एक कथा िै कक समुद्र मंथन की | एक बार समुद्र से जिर तनकला, सब देवी देवता
डर गये कक अब दुतनया तबाि िो जायेगी| इस समस्या को लेकर सब देवी देवता शिव जी के पास गये, शिव ने वि जिर
पी शलया और अपने गले तक रखा, तनगला निी,शिव का गला नीला िो गया और उसे नीलकं ठ का नाम हदया गया| शिव
ने दुतनया को बर्ा शलया, शिवरात्रि इसशलये भी मनाई जाती िै|
पुरार्ों में और भी कथायें शमलती िै जो कक शिव की महिमा का वर्चन करती िै परन्तु सारांि यि िै कक शिवरात्रि भारत
में सब जगि फाल्गुन के महिने में मनाई जाती िै,िर जगि िररयाली छा जाती िै, सदी का मौसम समाप्त िोता िै| धरती
कफर से फू लों में समाने लगती िै| ऐसा लगता िै कक पृथ्वी में कफर से जान आ गई िै| सारे भारत में शिवशलंग की पूजा
िोती िै जो कक रर्ना की प्रतीक िै| ववश्वनाथ मन्न्दर, जो कािी में िै, में शिवशलंग के "ज्ञान का स्तम्भ" हदखाया गया िै|
शिव को बुद्धध मता,प्रकाि,रोिनी का प्रतीक माना गया िै| वि दुतनया का रर्तयता िै| वि अज्ञानता को दूर कर के कफर
से इन्सान में एक नई लिर सी जाग जाती िै आगे बढनें की, यि त्योिार एक नई उमंग लेकर मनुष्य को प्रोत्साहित
करते रिते िै| बच्र्े, बूढे, जवान सभी र्ेतना से भर जाते िैं |