महाशिवरात्रि का यह दिन हिन्दुओं के बीच काफी महत्वपूर्ण है.. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है... जो व्यक्ति इस दिन भगवान महादेव का निमित्त व्रत रखता है, उसे अक्षय पुण्य मिलता है.
1. महाशिवरात्रि व्रत का ववधान
महाशिवरात्रि का यह दिन दहन्िुओं के बीच काफी महत्वपूर्ण है.. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा
करने से वविेष फल की प्राप्तत होती है... जो व्यप्तत इस दिन भगवान महािेव का ननशमत्त व्रत रखता है,
उसे अक्षय पुण्य शमलता है.. पूरार्ों के अनुसार ऐसी मान्यता है कक महाशिवरात्रि के दिन कोई भी
व्यप्तत भगवान भोलेनाथ की पूजा कर सहजता से आिीवाणि प्रातत कर लेता है... धमण िास्त्िों में
महाशिवरात्रि व्रत के संबंध में ववस्त्तृत वववरर् है.. उसके अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत इस प्रकार करें-
शिवपुरार् में कहा गया है की महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने वाले सुबह िीघ्र उठकर स्त्नान-संध्या करके
मस्त्तक पर भस्त्म का त्रिपुंड नतलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारर् कर शिव मंदिर में जाकर
शिवशलंग का ववधधपूवणक पूजन करें.. इसके बाि श्रद्धापूवणक व्रत का संकल्प इस प्रकार से करें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् कररष्येहं महाफलम्।
ननववणघ्नमस्त्तु मे चाि त्वत्प्रसािाज्जगत्पते।।
यह कहने के बाि हाथ में फू ल,चावल व जल लेकर उसे शिवशलंग पर अवपणत करते हुए यह श्लोक बोलें-
िेविेव महािेव नीलकण्ठ नमोस्त्तु ते।
कतुणशमच्छाम्यहं िेव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसािाद्िेवेि ननववणघ्नेन भवेदिनत।
कामाद्या: ििवो मां वै पीडां कु वणन्तु नैव दह।।
व्रत करने वाले दिनभर शिवमंि "ऊँ नम: शिवाय" का जप करें तथा पूरा दिन ननराहार रहे.. जो व्यप्तत
ननराहार नह ं रह सकते वे दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते ह.... धमणरंथंथों में रात्रि के चारों
प्रहरों की पूजा का ववधान वर्र्णत है.. िाम को स्त्नान करके ककसी शिवमंदिर में जाकर या घर पर ह
शिवशलंग के पास पूवण या उत्तर दििा की ओर मुंह करके नतलक एवं रुद्राक्ष धारर् करके पूजा का संकल्प
इस प्रकार लें-
ममार्खलपापक्षयपूवणकसलाभीष्टशसद्धये शिवप्रीत्यथं च शिवपूजनमहं कररष्ये
व्रती को फल, पुष्प, चंिन,त्रबल्वपि,धतूरा,धूप,ि प और नैवेद्य से चारो प्रहर की पूजा करनी चादहए.. िूध,
िह , घी, िहि और ितकर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ शमलाकर पंचामृत से शिव को स्त्नान
कराकर जल से अशभषेक करें.. चारो प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर "नम: शिवाय" मंि का जप करें.. भव,
िवण,रुद्र,पिुपनत,उरंथ, महान्, भीम और ईिान, इन आठ नामों से पुष्प अवपणत कर भगवान की आरती एवं
पररक्रमा करें.. अंत में भगवान से प्राथणना इस प्रकार करें-
ननयमो यो महािेव कृ तश्चैव त्विाज्ञया।
ववसृत्यते मया स्त्वाशमन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन िेवेि यथािप्ततकृ तेन च।
संतुष्टो भव िवाणद्य कृ पां कु रु ममोपरर।।
अगले दिन सुबह पुन: स्त्नान कर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के पश्चात व्रत खोलना चादहए..
पूजा के िुभ मुहूतण-
2. शिवरात्रि प्रथम प्रहार पूजा का समय 18:08 से 21:21
शिवरात्रि िूसरा प्रहार पूजा का समय 21:21 से 24:34
शिवरात्रि तीसरा प्रहार पूजा का समय 24:34 से 27:48
शिवरात्रि चौथा प्रहार पूजा का समय 27:48 से 31:01
धमण िास्त्िों के अनुसार इस प्रकार से महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का व्रत करने से वे जल्ि ह
खुि हो जाते ह.. और भततों के सारे कष्ट िूर कर उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते ह.....
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