This Presentation Is about the 2 movements of Gandhi (Champaran, Kheeda satyagrah And Quit india Movement )
And this presentation is Made IN hindi Language .
3. आगे बढ़ने से पहले हम अध्यापपका श्रीमती सजनी के
बहुत आभारी है कक उन्होंने हमे इतना अच्छा कायय और
इतनी ज्ञानवर्यक पररयोजना करने को दिया l हम ससर्य
उनके अभारी इससलए नहीीं है कययींकक उन्होंने ससर्य हमे
पररयोजना करने को नहीीं दिया बल्कक हमे उस कायय में
हमारी मिि भी की , ल्जस भाग में हमे कु छ नहीीं
समझ आता था वह वे अच्छी तरहाीं समझा िेती है l
प्राप्ति सूचना
4. गााँधी कौन है ?
राष्टरपििा महात्मा गााँधी का िूरा नाम मोहनदास करमचंद गााँधी
था। हम उन्हें तयार से बािू िुकारिे हैं। इनका जन्म 2 अक्टूबर
1869 को गुजराि के िोरबंदर में हुआ। सभी स्कू लों और
शासकीय संस्थानों में 2 अक्टूबर को इनकी जयंिी मनाई जािी
है। उन्हहं के प्रेरणा से हमारा देश 15 अगस्ि 1947 को आजाद
हुआ।
गााँधीजी के पििा करमचंद गांधी राजकोट के दहवान थे। इनकी
मािा का नाम िुिलहबाई था। वह धार्मिक पवचारों वालह थी।
उन्होंने हमेशा सत्य और अहहंसा के र्लए आंदोलन चलाए।
गााँधीजी वकालि की र्शक्षा प्राति करने के र्लए इंग्लैंड भी गए
थे। वहां से लौटने के बाद उन्होंने बंबई में वकालि शुरू की।
महात्मा गााँधी सत्य और अहहंसा के िुजारह थे।
एक बार गााँधीजी मुकदमे की िैरवी के र्लए दक्षक्षण अरीका भी
गए थे। वह अंग्रेजों द्वारा भारिीयों िर अत्याचार देख बहुि
दुखी हुए। उन्होंने डांडी यात्रा भी की।
गााँधीजी की 30 जनवरह को प्राथिना सभा में नाथूराम गोडसे ने
गोलह मारकर हत्या कर दह। महात्मा गांधी की समाधध राजघाट
हदल्लह िर बनी हुई है।
5. गााँधी का लक्ष्य
गााँर्ी चाहते थे की दहींिुस्तान एक आज़ाि
मुकक हो . कोई भी इस दहींिुस्तान में
गरीब न हो . लड़ाई झगड़ा न हो सब
सुख और शाींतत से रहे . वोह चाटे थे की
अींग्रेज़ों को इन्िुस्तान से बहार तनकल िें
6. गााँधी के आंदोलन
वैसे तो गााँर्ी जी के बहोत सरे आींिोलन है मगर आज हम
ससर्य उनके २ आींिोलन आप के सामने प्रस्तुत करें गए
१ चींपारण और खीढा सत्याग्रह
२ दहन्िुस्थान छोड़ो आींिोलन
8. चंिारण सत्याग्रह
चींपारण और खीडा २ अलग जगह में हुए थे , चींपारण बबहार १९१६
में और खीडा गुजरात में १९१८
चींपारण पहले शुरू हुआ था
िोनों आींिोलन में लगभग ५०००० आिमी ने दहस्सा सलया था
9. चंिारण सत्याग्रह
एक कासमयाब आींिोलन जो १९१८ में हुआ था
ये आींिोलन बिदटश मकान मासलक के
खखलार् था . ककसान जैसे लोगों को बिदटश
लोग मजबयर करते थे की वह ससर्य इींडडगो
उगाये .और ये भी के वो अपना खेती बाड़ी
को एक तनर्ायररत हुए िाम पे बेच सकते है
. आखखर में ये सारे ककसान महात्मा गााँर्ी
के पास गए और इन्होने अपना िुुःख
बताया . तो गााँर्ी जी से उनकी मिि माींगी
और उन्होंने ये चींपारण आींिोलन शुरू ककया
और आखखर में गााँर्ीजी की जीत हुई
10. चंिारण सत्याग्रह
ये आींिोलन बबहार में जाबबर नामक एक शहर में हो रहा था
जहााँ बहुत गरीब ककसान रहते थे और बिदटश उनको
मजबयर कर के कायय करवाते थे
बिदटश ने बोला ककसानो को, की वो इींडडगो और उन जैसी
अन्य चीज़ों का उत्पािन करे. उन्होंने कोई ऐसी चीज़ नहीीं
पैिा करवाई, जो जीवन के सलये ज़रूरी थी और ये भी के ये
सारी चीज़ें बिदटश लोगों को बहुत कम िाम पर बेची जाएाँ l
11. चंिारण सत्याग्रह
बिदटश के ये सरे हरकतों से जो ककसान पहले से ही गरीब
थे वो और गरीब हो गए
आखखर में जब सारे ककसान तींग आ गये तो वो सब गााँर्ीजी
के पास गए और अपने िुुःख ििय बताया
तो गााँर्ीजी ने चींपारण आींिोलन शुरू ककया ल्जसमे वो
बिदटश लोगों से बबना लड़ाई झगडे के बिदटश लोगों से
जीत गए
14. खीढा सत्याग्रह
गुजरात में ससर्य गााँर्ी जी में दहम्मत थी के वो बिदटश
लोगों सेर लड़ सके और सरिार वकलाह भाई पटेल ,नरहरर
पारीख, मोहनलाल पाण्डेय और रपवशींकर वायस ने ब्भी
गााँर्ी जी की मिि की .
इन सब ने गरीब िओीं के रहने वाल लोगों तो समझाया और
उनको ससयतसे मिि की .
बहुत से गुजरात में रहने वाले जो अहमिाबाि और वड़ोिरा
से ए थे वो भी गााँर्ी जी के सह शासमल हो गए .मगर
गााँर्ी जी और पटेल ने उन गुजरततयोँ को मन करदिया
वो चाटे थे की लड़ाई ससर्य गुजरात की लड़ाई कहलाए
15. खीढा सत्याग्रह
गुजरात में बिदटश ने रहने वालों लोगों पे भरी
टैकस लगा दिया
खास तौर से जो ककसान थे वो तो टैकस भी िें
और अपने खेती बड़ी का दहस्सा भी िें
ल्जससे गुजरात में खाने की कमी हो गए .
बॉम्बे की सरकार ने बिदटश को समझाया तो
बिदटश ने कहा की अगर इन ककसानो ने
टैकस नहीीं दिया तो वो उन ककसानो को कै ि
कर लेंगे . आखखर में ये सरे ककसान अपनी
सशकायत गााँर्ी जी के पास लेके ए और उन
हो ने ये खीडा आींिोलन शुरू ककया ककस्मे में
वो कर्र से कासमयाब हो गए
18. हहन्दुस्थान छोड़ो आंदोलन
भारि छोड़ो आन्दोलन पवश्वपवख्यात काकोरी
काण्ड के ठीक सत्रह साल बाि भारतीय
स्वतींत्रता सींग्राम के िौरान ९ अगस्त सन
१९४२ को गाींर्ीजी के आह्वान पर समयचे
िेश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत
को तुरन्त आजाि करने के सलये अींग्रेजी
शासन के पवरुद्र् एक सपवनय अवज्ञा
आन्िोलन था। किप्स समशन की पवफ़लता
के बाि महात्मा गााँर्ी ने बिदटश शासन के
खखलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आींिोलन छेड़ने
का फ़ै सला सलया।
19. हहन्दुस्थान छोड़ो आंदोलन
8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखखल भारतीय कााँगेस
कमेटी के बम्बई सत्र में 'अींग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया
गया था। हालाींकक गााँर्ी जी को फ़ौरन गगरफ़्तार कर सलया गया
था लेककन िेश भर के युवा काययकताय हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की
कारयवाइयों के जररए आींिोलन चलाते रहे। काींग्रेस
में जयप्रकाश जैसे समाजवािी सिस्य भयसमगत प्रततरोगर्
गततपवगर्यों में सबसे ज्यािा सकिय थे। पल्श्चम में सतारा और
पयवय में मेदिनीपुर जैसे कई ल्जलों में स्वतींत्र सरकार, प्रततसरकार
की स्थापना कर िी गई थी। अींग्रेजों ने आींिोलन के प्रतत काफ़ी
सख्त रवैया अपनाया कफ़र भी इस पवद्रोह को िबाने में सरकार
को साल भर से ज्यािा समय लग गया।