उत्पन्ना एकादशी कार्तिक पूर्णिमा के बाद, कृष्ण पक्ष के मार्गशीर्ष के हिंदू महीने में मनाया जाता है. हिंदू धर्म कहते है कि एकादशी व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती को समस्त पापों से मुक्ति मिलती हैI साथ ही सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैंI कालांतर से एकादशी व्रत मनाने का विधान है I इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और एक धनी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा करते हैंI
1. उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी कार्तिक पूर्णिमा क
े बाद, क
ृ ष्ण पक्ष क
े मार्िशीर्ि क
े र्हिंदू महीने में मनाया जाता है. र्हिंदू धमि कहते
है र्क एकादशी व्रत क
े पुण्य प्रताप से व्रती को समस्त पापोिं से मुक्ति र्मलती हैI साथ ही सभी मनोकामनाएिं अवश्य
पूणि होती हैंI कालािंतर से एकादशी व्रत मनाने का र्वधान है I इस र्दन, भि एक र्दन का उपवास रखते हैं और
एक धनी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन क
े र्लए भर्वान र्वष्णु का आशीवािद लेने क
े र्लए उनकी पूजा करते हैंI
महत्व
इसे कन्या एकादशी और उत्पत्ति एकादशी क
े नाम से भी जाना जाता है. र्हिंदू धमि क
े अनुसार, देवी एकादशी
का जन्म उत्पन्ना एकादशी क
े र्दन भर्वान र्वष्णु से हुआ था. उन्ोिंने राक्षस मूर का वध र्कया था, र्जसेने नीिंद में
भर्वान र्वष्णु को मारने की कोर्शश की थी देवी एकादशी ने उनकी रक्षा की और राक्षस को मार डाला. देवी
2. एकादशी को भर्वान र्वष्णु की शक्तियोिं में से एक माना जाता है. ये भर्वान र्वष्णु की सुरक्षात्मक शक्तियोिं में से
एक हैंI
उत्पन्ना एकादशी महत्वपूणि एकादशी में से एक है क्ोिंर्क ये एकादशी उपवास की उत्पर्ि का प्रतीक हैI एकादशी
क
े र्दन व्रत उपवास करने से अश्वमेघ यज्ञ क
े समतुल्स फलोिं की प्राक्ति होती हैI इतना ही नहीिं, ऐसी भी मान्यता है
र्क एकादशी क
े रात को जार्रण करने से भर्वान की र्वशेर् क
ृ पा प्राि होती हैIअर्र कोई व्यक्ति एकादशी का
व्रत शुरु करना चाहता है व उत्पन्ना एकादशी क
े र्दन से शुरू कर सकते हैंI
उत्पन्ना एकादशी पूजा त्तित्ति
एकादशी क
े र्दन जातक को प्रात: काल उठकर स्नान आर्द कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चार्हए। और व्रत का
सिंकल्प लेंना चार्हए। र्फर भर्वान र्वष्णु की पूजा करें और व्रत कथा सुनें I एकादशी क
े र्दन र्कसी व्यक्ति को बुरे
वचन ना बोलें I शाम को भर्वान र्वष्णु से र्लर्तयोिं की माफी मािंर्े. दीप दान दें I द्वादशी क
े र्दन र्रीब या ब्राह्मण
को दान दें और शुभ मुहूति में पारण करें I
उत्पन्ना एकादशी 2021: त्तित्ति और शुभ मुहूित
त्तदनाांक: 30 नविंबर, मिंर्लवार
एकादशी त्तित्ति शुरू – 30 नविंबर 2021 को सुबह 04:13 बजे
एकादशी त्तित्ति समाप्त – 01 र्दसिंबर, 2021 को मध्य रार्ि 02:13
पारण का समय – 1 र्दसिंबर 2021 को सुबह 07:34 से 09:02 बजे तक
पारण त्तदिस पर हरर िासरा समाप्तप्त क्षण – 07:34 प्रात:
यर्द आप एकादशी र्तर्थ, व्रत व र्वर्ध क
े बारे में सम्पूणि जानकारी चाहते है तो आप र्दल्ली क मशहूर ज्योर्तर्
पिंर्डत राममेहर शमाि जी (Famous Astrologer in Delhi)से सिंपक
ि कर सकते है।