गले में सूजन और खुश्की के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
गले में सूजन कोई बीमारी नहीं है| लेकिन जब किन्हीं दूसरी व्याधियों के कारण गला सूज जाता है या लाल पड़ जाता है तो इसे रोग की श्रेणी में माना जाता है| यह रोग अधिक सिगरेट-बीड़ी पीने, शराब का सेवन करने, ठंडी चीजों को खाने, ठंडे स्थानों में रहने या पेट में भारी कब्ज के कारण हो जाता है| कुछ लोग गरम स्थानों से ठंडे स्थानों पर जाते हैं| वहां की ठंडी हवा लगने या पानी पीने के कारण गले में सूजन आ जाती है|
कारण - गले में सूजन और खुश्की मुख्यत: मादक पदार्थों के सेवन, पेट की गडबड़ी तथा प्रदूषित आहार-विहार से होती है| कई बार दूषित वायु तथा गंदे फूलों को सूंघने से भी गले का रोग हो जाता है| खट्टे तथा अम्लीय पदार्थों को अधिक खाने, ठंडी जगह में बैठकर देर तक बातें करने आदि के कारण भी गले में खराबी आ जाती है| थूक निगलने, भोजन करने तथा पूरा ज्वर निकालने में यदि कुछ बाधा उत्पन्न होती है तो उसका कारण गले का सूजन ही होता है| इससे गले में खुश्की की व्याधि भी उत्पन्न हो जाती है|
पहचान - गले में सूजन तथा खुश्की हो जाने के कारण धीरे-धीरे दर्द होने लगता है| भोजन करने, पानी पीने तथा थूक निकलने में बड़ी कठिनाई होती है| गले में मिर्चें-सी लगती हैं तथा खुजली होती है| सूखी खांसी की शिकायत भी हो जाती है| कुछ दिनों के बाद बुखार भी आ जाता है| कफ बाहर थूकने में भी गले में दर्द होने लगता है| आवाज भी भारी हो जाती है|
नुस्खे - बबूल की थोड़ी-सी छाल को पानी में उबलने के लिए रख दें| जब पानी मटमैला हो जाए तो उसे उतारकर छान लें| इस पानी से गरारें करें| गले की सूजन उतर जाएगी|
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गले मे सूजन कोई बीमारी नही है| लेिकन जब िकन्ही
दूसरी व्यािधियो के कारण गला सूज जाता है या लाल
पड़ जाता है तो इसे रोग की श्रेणी मे माना जाता है| यह
रोग अधिधिक िसगरेट-बीड़ी पीने, शराब का सेवन करने,
ठंडी चीजो को खाने, ठंडे स्थानो मे रहने या पेट मे भारी
कब्ज के कारण हो जाता है| कुछ लोग गरम स्थानो से
ठंडे स्थानो पर जाते है| वहां की ठंडी हवा लगने या
पानी पीने के कारण गले मे सूजन आ जाती है|
कारण - गले मे सूजन और खुश्की मुख्यत: मादक
पदाथो के सेवन, पेट की गडबड़ी तथा प्रदूिषित आहार-
िवहार से होती है|
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कई बार दूषिषित वायु तथा गंदे फूष लो को सूषंघने से भी गले
का रोग हो जाता है| खट्टे तथा अम्लीय पदाथो को
अिधिक खाने, ठंडी जगह मे बैठकर देर तक बाते करने
आदिद के कारण भी गले मे खराबी आद जाती है| थूषक
िनगलने, भोजन करने तथा पूषरा ज्वर िनकालने मे यिद
कुछ बाधिा उत्पन होती है तो उसका कारण गले का
सूषजन ही होता है| इससे गले मे खुश्की की व्यािधि भी
उत्पन हो जाती है|
पहचान - गले मे सूषजन तथा खुश्की हो जाने के कारण
धिीरे-धिीरे ददर होने लगता है| भोजन करने, पानी पीने
तथा थूषक िनकलने मे बड़ी किठनाई होती है| गले मे
िमचे-सी लगती है तथा खुजली होती है| सूषखी खांसी की
िशिकायत भी हो जाती है| कुछ िदनो के बाद बुखार भी
आद जाता है|
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कफ बाहर थूषकने मे भी गले मे ददर होने लगता है|
आदवाज भी भारी हो जाती है|
नुसखे - बबूषल की थोड़ी-सी छाल को पानी मे उबलने के
िलए रख दे| जब पानी मटमैला हो जाए तो उसे
उतारकर छान ले| इस पानी से गरारे करे| गले की सूषजन
उतर जाएगी|
• शिलजम को उबालकर उसका पानी िपएं तथा कुल्ले
करे| इससे गला खुलेगा और सूषजन भी कम होगी|
• छोटी हरड़ को गलपटो मे दबाकर चूषसे या चौथाई
चम्मच भुनी हुई हरड़ का चूषणर ताजे पानी के साथ सेवन
करे|
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• एक चम्मच मूली के बीज का काढ़ा बनाकर घूंट-घूंट
िपिएं|
• पिालक तथा चौलाई के पित्तो को पिीसकर लेपि बनाएं|
इस लेपि को गले मे लगाएं| ऊपिर से फलालैन की पिट्टी
बांध ले|
• 10 ग्राम अनार के िछिलके पिानी मे थोड़ी देर तक
उबाले| िफर इसमे एक चुटकी िफटिकरी डालकर बार-
बार कुल्ला करे|
• पिानी मे 5 ग्राम मुलहठी डालकर उबलने के िलए रख
दे| जब पिानी आधा रह जाए तो उसे गुनगुना करके सेवन
करे तथा गले पिर लगाएं|
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• पिानी मे जायफल िघसकर चंदन की तरह गले पिर लेपि
करे|
• चार-पिांच नीम की पिित्तयां, चार दाने कालीिमचर,
चार दाने लौंग तथा एक चुटकी सेधा नमक-इन सबका
काढ़ा बना-छिानकर पिी जाएं|
• आक के फू लो को पिानी मे पिीसकर गले पिर लेपि करे|
यह सूजन तथा खुश्की दोनो के िलए लाभकारी है|
• एक चम्मच सोठ मे जरा-सी िमश्री पिीसकर िमला ले|
इस चूण र को सुबह-शाम ताजे पिानी से ले|
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• एक चम्मच अदरक का रस, दो किलिमिमचे, चार
लिमौंग तथा दो रत्ती हींग-इन सबको पीसकर शहद
िमलिमाकर सुबह-शाम चाटे|
दो लिमौंग तथा दो कालिमीिमचर मुंह मे डालिमकर चूसने
से भी गलिमे की सूजन कम हो जाती है|
कया खाएं कया नहीं - रोगी को गेहूं की रोटी,
मूंग की दालिम, तरोई, लिमौकी, पतलिमी सेम, पालिमक,
मेथी, गाजर, िटण्डे, टमाटर आदिद की सब्जी खानी
चािहए| िमचर-मसालिमे कम लिमेने चािहए|
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सुबह िनहार मुंह एक चम्मच अदरक के रस मे एक
चम्मच शहद िमलिमाकर चाटना चािहए| उरद की
दालिम, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछलिमी, मांस,
ठंडे पानी से स्नान आदिद नहीं करना चािहए| रात
को सोते समय आदधा लिमीटर दूध का सेवन अवश्य
करे| िसगरेट, शराब तथा अन्य मादक पदाथो का
त्याग करे|