राजभाषा हिन्दी पर महान व्यक्तियों की सूक्तियां - इस संकलन में उद्धरित विचार अथवा सूक्तियां, देश विदेश के विभिन्न महान व्यक्तियों, लेखकों, समाज सेवियों, समाज के अगुवाओं, राजनीतिज्ञों, बुद्धिजीवियों व मार्गदर्शकों के विचारों से लिए गए हैं। इनका संकलन गूगल सर्च से संकलित करके किया गया है।
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2nd Maccabees is a deuterocanonical book which recounts the persecution of Jews under King Antiochus IV Epiphanes and the Maccabean Revolt against him. Painting by Pierre Paul Rubens, 1634.
नमस्ते! आप सबके सामने अपना पहला लघु कथा संग्रह "Bonsai कथाएँ" लेकर उपस्थित हूँ। कुछ जिंदगियों के रोचक पन्ने है जो बाहरी दुनिया को नीरस लगते है पर यकीन मानिये पास से देखने पर उनकी खूबसूरती दिखती है, उनको यहाँ कैद करने की कोशिश की है। इंसान का अपने और अपनों के लिए संघर्ष हर जगह दिखता है, सबकी लडाई जन्म लेने से शुरू होकर मौत तक चलती रहती है। बल्कि मेरा तो ये मानना है की हर ज़िन्दगी पर रोचक महागाथा लिखी जा सकती है बस उसको और करीब से देखने की ज़रुरत है। 2007 मे काव्य-कहानी अंदाज़ मे कुछ कवितायेँ लिखी थी वो भी इन 17 रचनाओं मे शामिल है। लघु कथाओं के बारे मे नए लेखक और बहुत से पाठक सोचते है की ये एक-दो पैराग्राफ्स के अधूरे सीन्स होतें है, इसपर भी यही कहूँगा कि हर रचना की एक आत्मा होती है और अगर पाठक को वो आत्मा न महसूस हो तो चाहे आप हजारो पन्ने लिखो या 4 लाइन्स ...दोनों बराबर है। आशा है आपको यहाँ रचनाओं की आत्मा दिखे। कहानियों के साथ मे मेरे द्वारा खींची फोटोज लगायीं है, जिनका रचना के साथ एक छद्म सन्देश है।
The Presentation is an outcome of the Research done on Akhand Jyoti's. It covers may truths and current facts related to Yug Parivartan, the declarations made by Gurudev, its timeline and the parallel work being done by other organizations and scientists. With proper references.
गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका जुलाई -2019 GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
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श्रावण मास विशेष
Sanvad is a lab newspaper prepared by students of the School of Journalism, Mass Communication and New Media at the Central University of Himachal Pradesh.
शिक्षा के क्षेत्र में महात्मा गांधी के योगदान का वर्णन करे animation.pdfRavi Prakash
शिक्षा के क्षेत्र में महात्मा गांधी के योगदान
महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन
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गांधीजी की बेसिक अथवा बुनियादी शिक्षा
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New Media is an interactive form of communication in which we interact using the Internet, podcasts, RSS feeds, social networks Facebook, MySpace, Twitter , blogs, wikis, text messaging, etc. establish communication. This communication medium takes the form of a multi communication dialogue in which the reader viewer listener can immediately share their comments not only with the author publisher, but others can also give their comments on the published broadcast communicated content. Sonia Kumari | Dr. Manoj Kumar "Role and Characteristics of New Media" Published in International Journal of Trend in Scientific Research and Development (ijtsrd), ISSN: 2456-6470, Volume-7 | Issue-1 , February 2023, URL: https://www.ijtsrd.com/papers/ijtsrd52643.pdf Paper URL: https://www.ijtsrd.com/other-scientific-research-area/other/52643/role-and-characteristics-of-new-media/sonia-kumari
Similar to राजभाषा हिन्दी पर महान व्यक्तियों की सूक्तियां (20)
3. 3
याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान
व्यरौिमों की ऴूरौिमाां
संकलनकर्ता
विजय कुमतर रतत्रे
मे सूक्तिमाां मा कथन विभबन्न भहाऩुरूषों एिां फुद्धिजीविमों द्वाया उिरयत विचायों का सांकलन हैं।
स्वप्रकालन
भांफई-49
5. 5
ऴभरॊऩित
भुझे याजबाषा हहिंदी की सेिा कयने के भलए प्रेरयत कयने िाले भेये भभत्रों,
सांफांक्तधमों औय सहकभभिमों कॊ मह सांकलन सभवऩित कयता रॄूँ, द्धजन्हें भैं भज़ाक
भज़ाक भें ‘वफना लाठी के बैंस चयाने िाले ’’ की सांज्ञा देता रॄूँ, जॊ विगत कई
द कों से याजबाषा हहिंदी की अनियत सेिा कय यहें हैं, िह बी वफना वकसी
वि ेष ऩारयतॊवषक, प्राक्तधकाय अथिा वफना वकसी ऩहचान के ।
6. 6
रैविंदी: मव क्या वै, इऴका इरोतवाऴ क्या वै ऒय मव कवाां ऴे आई वै?
हहिंदी बायत की ऩहली बाषा है। मह दुभनमा की चोथी सफसे व्याऩक फॊली जाने
िाली बाषा है, 250 भभभलमन से अक्तधक लॊग इसे अऩनी ऩहली बाषा के रूऩ
भें फॊलते हैं।
उत्तयी बायत की मह एक बायतीम बाषा हैं द्धजसे सांस्कृ त से भलमा गमा औय
देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई।
महद आऩ बायत के वकसी बी याज्य भें मात्रा कय यहे हैं औय महद आऩ हहिंदी
जानते हैं तॊ कॊई इ ू नहीं है। क्योंवक हहिंदी दूसयी बाषा जैसे गुजयाती, भयाठी,
तेलुगू जैसी बाषा है।
हहिंदी भनभित रूऩ से एक बाषा है औय क्योंवक मह कई अन्य बाषाओां जैसे उदूा,
ऩभ िमन से प्रबावित है इसका भतलफ मह नहीं है वक मह एक बाषा नहीं हॊ
सकती है।
आधुभनक सटैंडडा हहिंदी, हहिंदुस्तान बाषा का भानकीकृ त औय सांस्कृ तकृ त
यद्धजस्टय है। हहिंदी एक इांडॊ-जभाभनक मा इांडॊ-मूयॊऩीम बाषा है। मह सांस्कृ त से
भनकली है औय इसे न्यू इांडॊ-आमान उऩसभूह का हहस्सा भाना जाता है।
हालाांवक, इसकी ब्दािली पायसी, अयफी, तुकी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी सभेत
कई अन्य बाषाओां से प्रबावित हैं।
अांग्रेजी बाषा के साथ, देिनागयी भलवऩ भें भलखी गई हहिंदी बायत सयकाय की
आक्तधकारयक बाषा है। मह बायत गर्याज्य की 22 अनुसूक्तचत बाषाओां भें से
एक है। हालाांवक, मह बायत की याष्ट्रीम बाषा नहीं है क्योंवक इसे बायतीम
सांविधान भें भनधाारयत नहीं वकमा गमा था।
बायत के फाहय, मह एक आक्तधकारयक बाषा है द्धजसे वपजी भें वपजी हहिंदी के
नाभ से जाना जाता है, औय भॉयी स, वत्रभनदाद औय टॊफैगॊ, गुमाना औय
सूयीनाभ भें एक भान्यता प्राप्त िेत्रीम बाषा है।
7. 7
व्यक्तिगत रूऩ से, बाषा के विविधता के रूऩ भें, हहिंदी, भांदारयन, स्पेभन औय
अांग्रेजी के फाद दुभनमा की चोथी सफसे ज्यादा फॊली जाने िाली बाषा है।
हहिंदुस्तान के रूऩ भें उदूा के साथ, मह भांदारयन औय अांग्रेजी के फाद दुभनमा की
तीसयी सफसे फॊली जाने िाली बाषा है।
अन्य बायतीम-आमा बाषाओां की तयह, हहिंदी कॊ सोयसानी प्राकृ त औय
सोयसानी अऩभ्रां के भाध्यभ से सांस्कृ त के प्रायांभबक रूऩ का प्रत्यि िां ज
भाना जाती है। मह 7 िीं ताब्दी ईस्वी भें द्रविड़ बाषा, तुवकि क बाषाओां, पायसी,
अयफी, ऩुतागाली औय अांग्रेजी हहिंदी से प्रबावित रृई है, अऩहयर् (सांस्कृ त:
अऩभ्रां , भ्रष्टाचाय मा भ्रष्ट बाषर्), प्रकृ वत की स्थानीम बाषा, सटैंडडा हहिंदी ऩय
आधारयत है।
उदूा ने – हहिंदुस्तानी का एक औय रूऩ – फाद भें भुगल काल (1800 के द क)
भें बाषा की प्रवतष्ठा हाभसल की, औय इसऩय भहत्वऩूर्ा पायसी प्रबाि ऩड़ा। 19
िीं ताब्दी के उत्तयाधा भें, उदूा से अलग हहिंदुस्तान की एक सटैन्डडा बाषा के रूऩ
भें हहिंदी कॊ विकभसत कयने के भलए एक आांदॊलन फना। 1881 भें, वफहाय ने उदूा
की जगह, हहिंदी कॊ अऩनी एकभात्र आक्तधकारयक बाषा के रूऩ भें स्वीकाय
वकमा, औय इस प्रकाय हहिंदी कॊ अऩनाने के भलए बायत का ऩहला याज्य फन
गमा।
रैविंदी ऒय अन्य बाळाएँ :
मूनानी, ऩॊभल , इतालिी मा डच की तयह, हहिंदी बायत-मूयॊऩीम (द्धजसे इांडॊ-
जभाभनक बी कहा जाता है) बाषा ऩरयिाय का हहस्सा है। इसका भतलफ मह है
वक हहिंदी बायत के दभिर् भें फॊली जाने िाली बाषाओां की तुलना भें डच से
अक्तधक भनकटता से सांफांक्तधत है, जैसे तभभल औय तेलुगु।
फाद भें मह एक अलग ाखा, अथाातौ द्रविड़ बाषा ऩरयिाय से सांफांक्तधत है। अक्तधक
वि ेष रूऩ से, हहिंदी एक बायतीम-आमा बाषा है (औय ईयानी बाषाओां के साथ-
साथ बायत-आमा बाषाएां बायत-ईयानी ाखा फनाती हैं)। जैसे आधुभनक
इतालिी लैरटन से भलमा गमा है, हहिंदी व्याकयद्धर्क रूऩ से सांस्कृ त से उऩजी है।
8. 8
सीधे सांस्कृ त ब्दािली से व्युत्पन्न ब्दों के अलािा, हहिंदी लेक्सिकन भें
पायसी, अयफी औय अांग्रेजी से कापी ब्द इसभें है। हकीकत भें, “हहिंदी”
िास्ति भें क्या हैं इसकी अलग-अलग व्याख्याएां हैं। व्याऩक व्याख्या के
अनुसाय- “हहिंदी” सुयीनाभ, गुमाना, वत्रभनदाद, भॉयी स औय वपजी भें फॊली
जाने िाली हहिंदी के रूऩों सहहत उत्तय बायत की फॊली भनयांतयता कॊ द ााती
है।”
“रैविंदी” ऱास्तऱ भें क्या वैं?
एक सांभिप्त व्याख्या के अनुसाय, “हहिंदी” अऩेिाकृ त कभ पायसी औय अयफी
ब्दों के साथ, आधुभनक हहिंदी, आधुभनक हदल्री के आसऩास औय आसऩास
के िेत्र के हहिंदी (खायी फॊली, “प्रमुि बाषा” बी कहा जाता है) का प्रतीक है।
उदूा, भुस्लिभ सवकि लों भें इस्तेभाल की जाने िाली बाषा हैं जॊ हहिंदी से रॅढ़ता
से जुड़ी रृई है, द्धजसे हहिंदुओां द्वाया फॊला जाता है। मे दॊ बाषाएां एक आभ
व्याकयर् औय बाषर् भें फरृत सायी ब्दािली कॊ मय कयते हैं। लेवकन मे
दॊनों लेखन, अक्तधक विभ ष्ट ब्दािली औय सांस्कृ वत के भाभले भें अलग-
अलग हैं।
हहिंदी भाषा की जानकारी
हहिंदी कॉ देवनागरी वर्णमाला में ललखा जाता है और इसमें संस्कृ त से शब्द
आते है।
देिनागयी एक अफाक्तगडा नाभक िर्ाभाला का एक रूऩ है, क्योंवक प्रत्येक
व्यांजन भें एक भनहहत स्वय (ए) हॊता है, द्धजसे विभबन्न स्वय सांके तों के साथ
फदला जा सकता है।
अक्तधकाां स्वयों कॊ एक मा दॊ अन्य स्वयों भें ाभभल वकमा जा सकता है
तावक अांतभनिहहत स्वय दफामा जा सके । ऩरयर्ाभी रूऩ कॊ एक अनुफन्ध कहा
जाता है। देिनागयी कॊ फाएां से दाएां भलखा जाता है। देिनागयी भें अांग्रेजी जैसे
कॊई के स बेद नहीं है, मानी कॊई लॊअय के स औय अप्ऩय लैटय नहीं है।
9. 9
क्या आऩ जानते वैं?
रैविंदी, याष्ट्रीम बाळा नवीं:
बायत कॊ विविधता के भलए जाना जाता है, औय िास्तविक बायतीम पै न भें,
दे भें फॊली जाने िाली बाषाओां की बीड़ पै ली रृई है। इस ऩरयरॅश्य भें, बायत
के ऩास एक याष्ट्रीम बाषा है मा नहीं, इस फाये भें अिय भ्रभ हॊता है।
गुजयात उच्च न्यामालम ने देखा है वक हालाांवक बायत के अक्तधकाां लॊगों ने
हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है, लेवकन हहिंदी कॊ दे
की याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान मा आदे जायी नहीं
वकमा गमा है।
अदालत ने कहा, “आभ तोय ऩय, बायत भें, अक्तधकाां लॊगों ने हहिंदी कॊ याष्ट्रीम
बाषा के रूऩ भें स्वीकाय कय भलमा है औय कई लॊग हहिंदी फॊलते हैं औय
देिनागयी भलवऩ भें भलखते हैं लेवकन रयकॉडा कयने के भलए कु छ बी नहीं है वक
हहिंदी कॊ याष्ट्रीम बाषा घॊवषत कयने के भलए कॊई प्रािधान जायी वकमा गमा है
मा आदे जायी वकमा गमा है ताकी मह दे की एक याष्ट्रीम बाषा हॊ सके । ”
हालाांवक, सांविधान भें, हहिंदी कॊ आक्तधकारयक बाषा घॊवषत वकमा गमा था, न
वक याष्ट्रीम बाषा।
देिनागयी भलवऩ भें भलखी जाने िाले साहहत्यत्यक हहिंदी, सांस्कृ त द्वाया रॅढ़ता से
प्रबावित रृई है। इसका स्टैन्डडा रूऩ खायी फॊली ऩय आधारयत है, जॊ हदल्री के
उत्तय औय ऩूिा भें ऩामा जाता है। ब्राज बाषा, जॊ 15 िीं से 19 िीं ताब्दी तक एक
भहत्वऩूर्ा साहहत्यत्यक भाध्यभ था, कॊ अिय हहिंदी की फॊली के रूऩ भें भाना
जाता है, जैसे अिधी, फागेली, बॊजऩुयी, फुांदेली, छत्तीसगढ़ी, गढ़िाली,
हरयमार्ािी, कनोजी, कु भामुनी, भगही औय भायिाड़ी।
हालाांवक, हहिंदी की इन तथाकभथत फॊली बाषाओां कॊ “हहिंदी िेत्र” मा “फेल्ट” की
िेत्रीम बाषाओां के रूऩ भें अक्तधक सटीक रूऩ से िद्धर्ित वकमा गमा है, द्धजसका
िेत्र भध्य प्रदे याज्य से लेकय उत्तय बायत तक था।
10. 10
इस िेत्र के बीतय, स्टैन्डडा हहिंदी के सभान िेत्रीम बाषाओां की भात्रा कापी
भबन्न हॊती है। हहिंदी फेल्ट की ऩूिोत्तय िेत्रीम बाषा भैभथली- स्टैन्डडा हहिंदी की
तुलना भें फांगाली के भलए ऐवतहाभसक सभानता है। इसी प्रकाय, फेल्ट की
ऩभिभीतभ याजस्थानी, कु छ भाभलों भें स्टैन्डडा हहिंदी से अक्तधक गुजयाती जैसी
हदखती है। वपय बी, इन िेत्रीम बाषाओां के अक्तधकाां ििा खुद कॊ हहिंदी फॊली
फॊलने के भलए भानते हैं। अन्य कायर्ों से, िे ध्यान देते हैं वक वब्ररट ासन
के ुरुआती हदनों भें बाषाओां कॊ िगीकृ त कयने के प्रमास भें इन बाषाओां कॊ
अांग्रेजों द्वाया हहिंदी के साथ सभूहीकृ त वकमा गमा था। इसके अलािा, हहिंदी
(िेत्रीम बाषाओां भें से एक के फजाम) कॊ प्राथभभक-विद्यालम स्तय ऩय भनदे
के भाध्यभ के रूऩ भें चुना गमा था। इस औऩभनिेभ क नीवत के ऩरयर्ाभस्वरूऩ
फड़े हहस्से भें, हयी भध्यभ िगा के सदस्य औय ऩूये िेत्र भें भ भित ग्राभीर्ों का
दािा हहिंदी फॊलने का दािा कयता है क्योंवक सािाजभनक िेत्र भें इन िेत्रीम
बाषाओां मा फॊभलमों का उऩमॊग-जॊ ऩरयिाय के फाहय है औय कयीफी दॊस्तों-
अऩमााप्त भ िा के सांके त के रूऩ भें भाना जाता है।
दूसये ब्दों भें, इस िेत्र के लॊग हहिंदी कॊ ज्यादा भहत्व देते हैं िही दूसयी औय
अांग्रेजी फॊलने िाले बायत के दभिर् भें भभलते है; दॊनों कॊ ऊऩय की
साभाद्धजक गवत ीलता की बाषा भाना जाता है। इस प्रकाय, नई नोकरयमों,
वििाहों औय इसी तयह की लॊगों के यॊजभयाा के सांचाय भें हहिंदी का उऩमॊग
हॊता हैं।
कई भाभलों भें, मुिा लॊगों भें अफ िेत्रीम बाषाओां का फरृत कभ ज्ञान फचा है।
वि ेष रूऩ से 1950 के द क के फाद से, भास भीरडमा (येरडमॊ, टेलीविजन,
औय वपल्मों) औय फढ़ती साियता के प्रसाय ने हहिंदी के दे ी ििाओां की
सांख्या भें िृद्धि की है। भभसाल के तोय ऩय, जफ 1960 औय 1970 के द क भें
वफहाय भें भैभथली ििाओां की एक अलग याज्य के गठन की भाांग की गई थी,
तॊ ऩूिी वफहाय भें अांक्तगका की ऩहचान औय उत्तय-ऩभिभ वफहाय भें फजाद्धजका की
ऩहचान के भलए एक प्रवतद्वांरद्वता थी। छत्तीसगढ़ के नए याज्यों(भध्य प्रदे भें
एक फाय िेत्र से)औय उत्तयाांचल(उत्तय प्रदे के िेत्र से)फनाने के भलए सपल
भाांग बाषाई से अक्तधक सभाज ााीम थी।
11. 11
रैविंदी बाळी क्षेत्र:
हहभाचल, हदल्री, हरयमार्ा, चांडीगढ़, उत्तय प्रदे , याजस्थान, भध्य प्रदे , वफहाय,
ऩावकस्तान, फॉम्बे, हैदयाफाद। फैंगलॊय, भॉयी स, वपजी, गुमाना, सूयीनाभ,
वत्रभनदाद, सांमुि अयफ अभीयात भें बी प्रमॊग वकमा जाता है।
लब्दाऱरी
अपगाभनस्तान, ईयान, तुकी, भध्य एभ मा औय अन्य जगहों ऩय भुस्लिभ
आक्रभर्कारयमों के साथ खायी फॊली के ुरुआती ििाओां की फातचीत से
आधुभनक हहिंदी विकभसत रृई। जैसे-जैसे नए आप्रिासी फस गए औय बायतीम
साभाद्धजक भाहोल भें सभामॊद्धजत कयना ुरू कय हदमा, उनकी बाषाएां- जॊ
अांततः खॊयी सभृि खाड़ी फॊली थीं।
पायसी ब्दों भें से अक्तधकाां कॊ हहिंदी बाषा के रूऩ भें प्र ासन के भाभलों भें
उऩमॊग वकमा जाता हैं, जैसे ‘पोजदायी,’ िजीय से ‘भांत्री, औय भुसाहहफ से कॊटा
के सभान थे। ‘तका , पै सला औय गिाही जैसे ब्द कॊ ऩूयी तयह से अऩनामा
गमा।
ड्रेस औय वफस्तय (उदाहयर् के भलए, ऩजाभा, चाडॊय), व्यांजन (उदाहयर् के
भलए, कॊभाा, कफाफ), सौंदमा प्रसाधन (उदाहयर् के भलए, सफुन ‘साफुन,’ हहना
‘हेन्ना’), पनीचय (उदाहयर् के भलए, कु सी ‘कु सी,’ भेज़ ‘टेफल’), भनभाार्
(उदाहयर् के भलए, ‘दीिाय,’कु सी’), फड़ी सांख्या भें वि ेषर् औय उनके नाभभात्र
डेरयिेरटि (उदाहयर् के भलए, अफाद ‘भनिास’ औय अफादी ‘आफादी’)। पायसी
औय अयफी ब्दों कॊ उधाय लेने के दोयान, हहिंदी ने पॊनेभ कॊ बी उधाय भलमा।
रैवन्दी का भानकीकयण:
1931 भें बाषाविद सुभभत कु भाय चटजी ने कलकत्ता )अफ कॊलकाता( भें एक
अध्यमन वकमा द्धजसभें एक भलिंगुआ फ़्रैंका के उऩमॊग की जानकायी दी गई
द्धजसे उन्होंने फाजाय हहिंदुस्तानी कहा। इसभें न्यूनतभ व्याकयद्धर्क रूऩ थे औय
12. 12
एक सयल भूल ब्दािली थी जॊ मूयॊऩीम औय बायतीम दॊनों ने असभभमा,
फांगाली, उरड़मा, तभभल औय हहिंदी जैसी बाषाओां की फात की थी।
21 िीं ताब्दी की ुरुआत भें, हहिंदुस्तानी एक फॊलने िाली फॊली जाने िाली
बाषा के रूऩ भें जाने जाने िाली थी। बोगॊभलक स्थान के आधाय ऩय, हहिंदी औय
सांस्कृ त से मा उदूा औय पायसी से फड़े ऩैभाने ऩय आकवषित हॊती है-कॊलकाता
औय अन्य भहानगयीम बाषा के भलए भलिंगुआ फ़्रैंका फनी यही औय औद्यॊक्तगक
हयों ने बायत के सबी हहस्सों से लॊगों कॊ आकवषित वकमा था।
जैसे-जैसे हहिंदी सहदमों ऩहले ऐसी फरृबाषी स्लस्थवत भें ऩैदा रृई थी, इसभलए
हयीिाद एक सभृि ब्दािली औय महाां तक वक अक्तधक लचीले िाक्य
यचनात्मक के विकास कॊ फढ़ािा दे सकता है।
सटैन्डडा हहिंदी ऩय दफाि न के िल गैय-हहिंदी फॊलने िालों से भहसूस वकमा जाता
है, फब्लि उन हहिंदी बावषमों से बी भहसूस वकमा जाता है, द्धजन्होंने हाल ही भें
अऩनी फॊली बाषाओां से सटैन्डडा हहिंदी कॊ फदल हदमा है। उन िेत्रीम बाषाओां के
प्रबाि कॊ ऩूयी तयह सभाप्त कय हदमा है। ऐसे भाभलों भें, ध्वभन प्रर्ाली अिय
एक िेत्रीम स्प ा फनाए यखती है; भभसाल के तोय ऩय, उत्तय प्रदे के ऩहाड़ी
लॊग ‘ ’ की जगह ऩय ‘स’ का उऩमॊग कयते है।
- विजम कु भाय यात्रे
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याजबाळा रैवन्दी ऩय भवान व्यरौिमों की ऴूरौिमाां
याष्ट्रबाळा के रॊफना आजादी फेकाय वै।
- अिनींद्रकु भाय विद्यालांकाय
रैविंदी का काभ देल का काभ वै, ऴभूचे याष्ट्रर्नभााण का प्रश्न वै।
- फाफूयाभ सिेना
ऴभस्त बायतीम बाळाऑ ांके र्रए मरॉद कॉई एक र्ररॊऩ आऱश्यक वॉ तॉ ऱव
देऱनागयी वी वॉ ऴकती वै।
- (जस्टस्टस) कृ ष्णस्वाभी अय्यय
रैविंदी का ऩॊधा दर्क्षणऱारों ने त्याग ऴे ऴींचा वै।
- ांकययाि कप्पीके यी
अकफय ऴे रेकय ऒयांगजेफ तक भगरों ने र्जऴ देलबाळा का स्वागत रॊकमा
ऱव ब्रजबाळा थी, न रॊक उदूा।
-याभचांद्र ुक्ल
याष्ट्रबाळा रैविंदी का रॊकऴी क्षेत्रीम बाळा ऴे कॉई ऴांघळा नवीं वै।
- अनांत गॊऩाल ेिड़े
दर्क्षण की रैविंदी रॊऱयॉधी नीरोत ऱास्तऱ भें दर्क्षण की नवीं, फरॕि कछ अांग्रेजी
बिों की नीरोत वै।
- के .सी. सायांगभठ
रैविंदी वी बायत की याष्ट्रबाळा वॉ ऴकती वै।
- िी. कृ ष्णस्वाभी अय्यय
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याष्ट्रीम एकता की कडी रैविंदी वी जॉड ऴकती वै।
- फालकृ ष्ण भाा निीन
रॊऱदेली बाळा का रॊकऴी स्वतांत्र याष्ट्र के याजकाज ऒय र्लक्षा की बाळा वॉना
ऴाांस्कृ रोतक दाऴता वै।
- िाल्टय चेभनिंग
रैविंदी कॉ तयांत र्लक्षा का भाध्यभ फनाइमे।
- फेरयस कल्यएि
अांग्रेजी र्ऴय ऩय ढॉना डूफ भयने के फयाफय वै।
- सम्पूर्ाानांद
एखन जतॉगर्र बाळा बायते प्रचर्रत आछे तावाय भध्ये बाळा ऴऱात्रइ प्रचर्रत।
- के िचांद्र सेन
देल कॉ एक ऴूत्र भें फाँधे यखने के र्रए एक बाळा की आऱश्यकता वै।
- सेठ गॊवििंददास
इऴ रॊऱलार प्रदेल के वय बाग भें र्लर्क्षत-अर्लर्क्षत, नागरैयक ऒय ग्राभीण ऴबी
रैविंदी कॉ ऴभझते वैं।
- यारृल साांकृ त्यामन
ऴभस्त आमााऱता मा ठे ठ रैविंदस्तान की याष्ट्र तथा र्लष्ट बाळा रैविंदी मा रैविंदस्तानी
वै।
-सय जाजा क्तग्रमसान
भरॖिभ लाऴन भें रैविंदी पायऴी के ऴाथ-ऴाथ चरती यवी ऩय कां ऩनी ऴयकाय ने
एक ऑय पायऴी ऩय वाथ ऴाप रॊकमा तॉ दूऴयी ऑय रैविंदी ऩय।
- चांद्रफली ऩाांडेम
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बायत की ऩयांऩयागत याष्ट्रबाळा रैविंदी वै।
- नभलनविलॊचन भाा
जफ ऴे वभने अऩनी बाळा का ऴभादय कयना छॉडा तबी ऴे वभाया अऩभान ऒय
अऱनरोत वॉने रगी।
- (याजा) याक्तधकायभर् प्रसाद भसिंह
मरॉद ऩक्षऩात की रॅरॏष्ट ऴे न देखा जामे तॉ उदूा बी रैविंदी का वी एक रूऩ वै।
- भ िनांदन सहाम
प्रत्येक नगय प्रत्येक भॉवल्ले भें ऒय प्रत्येक गाँऱ भें एक ऩस्तकारम वॉने की
आऱश्यकता वै।
- (याजा) कीत्याानांद भसिंह
अऩनी ऴयरता के कायण रैविंदी प्रऱाऴी बाइमों की स्वत: याष्ट्रबाळा वॉ गई।
- बिानीदमाल सांन्यासी
मव कै ऴे ऴांबऱ वॉ ऴकता वै रॊक अांग्रेजी बाळा ऴभस्त बायत की भातृबाळा के
ऴभान वॉ जामे?
- चांद्र ेखय भभश्र
ऴारैवत्य की उन्नरोत वेत ऴबाऑ ांऒय ऩस्तकारमों की अत्यांत आऱश्यकता वै।
- भहाभहॊ. ऩां. सकलनायामर् भाा
जॉ ऴारैवत्य के ऱर स्वप्नरॉक की ऑय रे जामे, ऱास्तरॊऱक जीऱन कॉ उऩकृ त
कयने भें अऴभथा वॉ, ऱव र्नताांत भवत्ववीन वै।
- (डॉ.) का ीप्रसाद जामसिाल
बायतीम एकता के रक्ष्य का ऴाधन रैविंदी बाळा का प्रचाय वै।
- टी. भाधियाि
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रैविंदी रैविंद की, रैविंरॉदमों की बाळा वै।
- य. या. हदिाकय
मव ऴांदेव र्नभूार वै रॊक रैविंदीऱारे उदूा का नाल चावते वैं।
- याजेन्द्र प्रसाद
उदूा जफान ब्रजबाळा ऴे र्नकरी वै।
- भुहम्मद रृसैन आजाद
ऴभाज ऒय याष्ट्र की बाऱनाऑ ांकॉ ऩरैयभार्जित कयने ऱारा ऴारैवत्य वी ऴच्चा
ऴारैवत्य वै।
- जनादानप्रसाद झा रद्वज
भजवफ कॉ मव भॊका न र्भरना चारैवए रॊक ऱव वभाये ऴारैवर॒त्यक, ऴाभार्जक,
ऴबी क्षेत्रों भें टाँग अडाए।
- यारृल साांकृ त्यामन
र्लक्षा के प्रऴाय के र्रए नागयी र्ररॊऩ का ऴऱात्र प्रचाय आऱश्यक वै।
- भ िप्रसाद भसतायेहहिंद
वभायी रैविंदी बाळा का ऴारैवत्य रॊकऴी बी दूऴयी बायतीम बाळा ऴे रॊकऴी अांल ऴे
कभ नवीं वै।
- (यामफहादुय) याभयर्विजम भसिंह
ऱवी बाळा जीरॊऱत ऒय जाग्रत यव ऴकती वै जॉ जनता का ठीक-ठीक प्ररोतर्नरोधत्व
कय ऴके ।
- ऩीय भुहम्मद भूभनस
बायतेंद ऒय रॉिऱेदी ने रैविंदी की जड ऩातार तक ऩरृांचा दी वै; उऴे उखाडने का जॉ
दस्सावऴ कयेगा ऱव र्नश्चम वी बूकां ऩध्वस्त वॉगा।
- भ िऩूजन सहाम