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लेखक
उपनाम: के दारनाथ पाण्डेय
जन्म: ९ अप्रैल, १८९३
ग्राम पंदहा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत
मृत्यु: १४ अप्रैल, १९६३
द दार्जिललंग, पर्चिम बंगाल,
भारत
महापंडडत राहुल सांकृ त्यायन
राहुल सांकृ त्यायन….
राहुल साांकृ त्यायन र्जन्हें महापांडित की उपाधि दी जाती
है हहन्दी के एक प्रमुख साहहत्यकार थे । वे एक प्रततर्ठित
बहुभाषाववद् थे और बीसवीं सदी के पूवाििि में उन्होंने यात्रा
वृतांत/यात्रा साहहत्य तथा ववचव-दशिन के क्षेत्र में
साहहर्त्यक योगदान ककए । वह हहंदी यात्रासहहत्य के
वपतामह कहे जाते हैं। बौद्ि िमि पर उनका शोि हहन्दी
साहहत्य में युगान्तरकारी माना जाता है, र्जसके ललए
उन्होंने ततब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण ककया था ।
इसके अलावा उन्होंने मध्य-एलशया तथा कॉके शस भ्रमण
पर भी यात्रा वृतांत ललखे जो साहहर्त्यक दृर्ठि से बहुत
महत्वपूणि हैं ।
पाठ का सार
'ल्हासा की ओर' पाि एक यात्रा वृत्तांत है। इस
पाि में राहुल जी की प्रथम ततब्बत यात्रा का
वणिन ककया गया है। इसे राहुल जी ने बडी ही
रोिक शैली में ललखा है। लेखक ने उस समय
के ततब्बत के जन-जीवन, संस्कृ तत और लोगों
का बहुत ही सुंदर वणिन ककया है। लेखक के
द्वारा यह यात्रा नेपाल के रास्ते से की गई थी।
उस समय भारतीयों को ततब्ब्त में जाने की
आज्ञा नहीं थी।
 लेखक ने ततब्ब्त की यात्रा करने का मन बनाया और
लभखारी-वेश में अपनी यात्रा को पूरा ककया। यह यात्रा
उन्होंने 1929-30 में की थी। यह यात्रा ततब्बत को
नज़दीक से जानने का अवसर देती है। अपने लेखन
के साथ न्याय करते हुए उन्होंने इस वृत्तांत में हर
छोिे और बडे सभी तथ्यों का समावेश ककया है।
तथ्यों का ये ताना-बाना कहानी की रोिकता को बनाए
रखता है।
नकशा - काठमाांिू से ल्हासा
राजभाषा(एँ) नेपाली
सरकार संयुक्त सरकार
राठरपतत डा॰ रामबरण यादव
प्रिानमंत्री बाबुराम भट्िराई
राजधानी
(और सबसे बडा शहर)
कािमांडू
27°42′ N 85°19′ E
एकीकरण 21 हदसंबर 1768
गणराज्य 28 हदसंबर 2007
क्षेत्रफल
कु ल
147,181 ककमी² (95वां)
56,827 मील²
जल(%) 2.8a
जनसंख्या
- जुलाई 2007
अनुमान
28,901,790 (40 वां)
- २००२ जनगणना 23,151,423
- जन घनत्व
184/ककमी² (५६वां)
477/मील²
सकल घरेलू उत्पाद
(जीडीपी) (पीपीपी)
2006अनुमान
- कु ल
$48.18
बबललयन (87वां)
- प्रतत व्यर्क्त $1,500 (164 वां
मानव ववकास
सूचकाांक (२००७)a
0.534(मध्यम) (१४२
वां)
मुद्राa रुपया (एनपीआर)
समय मंडल
नेपाली प्राईम िाईम
(यूिीसी +5:45)
- ग्रीठम (DST) - (यूिीसी +5:45)
इंिरनेि िीएलडी .एनपी
दूरभाष कोड +९७७
नेपाल
ततब्बत
ततब्बत (Tibet) एलशया में एक क्षेत्र है र्जसकी भूलम मुख्यतः उच्ि पिारी है।
इसके प्रायः सम्पूणि भाग पर िीनी जनवादी गणराज्य का शासन है जबकक ततब्बत
सहदयों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहां के लोगों का िमि बौद्ि है तथा
इनकी भाषा ततब्बती। िीन द्वारा ततब्बत पर िढ़ाई के समय (1955) वहां के
दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ललया जो अब तक भारत में सुरक्षक्षत हैं।
32 अंश 30लमनि उत्तर अक्षांश तथा 86 अंश शून्य लमनि पूवी देशान्तर। ततब्बत
मध्य एलशया की उच्ि पवित श्रेंणणयों के मध्य कु नलुन एवं हहमालय के मध्य
र्स्थत है। इसकी ऊँ िाई 16,000 फु ि तक है। यहाँ का क्षेत्रफल47000 वगि मील
तथा अनुमातनत जनसंख्या 1273,9 उ 69, (1953) है। ततब्बत का पिार पूवि में
शीकांग (Sikang) से, पलशिम में कचमीर से दक्षक्षण में हहमालय पवित से तथा
उत्तर में कु नलुन पवित से तघरा हुआ है।
यह पिार पूवी एलशया की बृहत्तर नहदयों हांगहों, मेकांग आहद का उद्गम स्थल है,
जो पूवी क्षेत्र से तनकलती हैं। पूवी क्षेत्र में कु छ वषाि होती है एवं 1200फु ि की
ऊँ िाई तक वन पाए जाते है।
छववयाँ नेपाल
ततब्बत
Question 1:
थोङ्ला के पहले के आखिरी गााँव पहुाँचने पर भििमांगे के वेश में होने
के बावजूद लेिक को
ठहरने के भलए उचचत स्थान भमलाजबकक दूसरी यात्रा के समय िद्र वे
श िी उन्हें उचचत स्थान नहीां ददला सका। क्यों?
Answer :
लेिक के भमत्र सुमतत की यहााँ के लोगों से जान-पहचान होने के
कारण भििमांगों के वेश में रहने के बावजूद िी उन्हें ठहरने के भलए
अच्छी जगह भमली।
जबकक दूसरी यात्रा के समय जानकारी न होने के कारण िद्र यात्री के
वेश में आने पर िी उन्हें रहने के भलए उचचत स्थान नहीां भमला।
उन्हें गााँव के एक सबसे गरीब झोंपडे में ठहरने को स्थान भमला।
ऐसा होना बहुत कु छ, लोगों की उस वक्त की मनोवृतत पर िी तनिभर
करता है। क्योंकक शाम के वक्त छङ् पीकर बहुत कम होश-हवास को
दुरुस्त रि पाते हैं।
Question 2:
उस समय के ततब्बत में हचथयार का कानून न रहने के कारण यात्रत्र
यों को ककस प्रकार का िय बना रहता था?
Answer :
ततब्बत में हचथयार का कानून न रहने के कारण उस समय यात्रत्रयों
को िाकु ओां से मारे जाने का ितरा था।
Question 3:
लेिक लङ्कोर के मागभ में अपने साचथयों से ककस कारण वपछड गया
?
Answer :
लङ्कोर के मागभ में लेिक का घोडा थककर धीमा चलने लगा था
इसभलए लेिक अपने साचथयों से वपछडकर रास्ता िटक गए।
Question 4:
लेिक ने शेकर ववहार में सुमतत को उनके यजमानों के पास जाने से
रोका, परांतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीां ककया?
Answer :
एक मांददर में लेिक वहााँ के बुद्धवचन-अनुवाद की हस्तभलखित
पोचथयााँ पढ़ रहे थे। वे पोचथयााँ को पढ़ने में मग्न थे। इसभलए सुमतत
के अपने यजमानों से भमलने जाने के बारे में पूछने पर लेिक ने
उन्हें जाने के भलए कह ददया।
Question 6:
प्रस्तुत यात्रा-
वृत्तांत के आिार पर बताइए कक उस समय का ततब्बती समाज कै सा था?
Answer :
उस समय ततब्बती समाज में जातत-पाँतत, छु आ-छू त नहीं था, औरतों के
ललए परदा प्रथा का प्रिलन भी नहीं था, अपररधित व्यर्क्त को वे अपने
घर में आने दे सकते थे परन्तु िोरी के भय से ककसी लभखमंगे को घर में
घुसने नहीं देते थे। वहाँ आततथ्य सत्कार अच्छी तरह से ककया जाता था।
Question 5:
अपनी यात्रा के दौरान लेिक को ककन कदठनाइयों का सामना करना
पडा?
Answer :
यात्रा के दौरान लेिक को तनम्नभलखित कदठनाइयों का सामना
करना पडा -
(1) उस समय िारतीयों को ततब्बत यात्रा की अनुमतत नहीां थी।
इसभलए उन्हें भििमांगे के रुप में यात्रा करना पडी।
(2) चोरी के िर से भििमांगों को वहााँ के लोग घर में घुसने नहीां देते
थे। इसी कारण लेिक को िी ठहरने के स्थान को लेकर कदठनाई
का सामना करना पडा।
(3) िााँडा थोङ्ला जैसी ितरनाक जगह को पार करना पडा।
(4) लङ्कोर का रास्ता तय करते समय रास्ता िटक जाने के कारण
वे अपने साचथयों से त्रबछड गए।
Question 7:
'मैं अब पुस्तकों के िीतर था।' नीचे ददए गए ववकल्पों में से कौन सा
इस वाक्य का अथभ बतलाता है -
(क) लेिक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ि) लेिक पुस्तकों की शैल़् के िीतर चला गया।
(ग) लेिक के चारों ओर पुस्तकें ही थीां।
(घ) पुस्तक में लेिक का पररचय और चचत्र छपा था।
Answer :
(क) लेिक पुस्तकें पढ़ने में रम गया। (✓)
Question 8:
सुमतत के यजमान और अन्य पररचचत लोग लगिग हर गााँव में भम
ले। इस आधार पर आप
सुमतत के व्यक्क्तत्व की ककनववशेषताओां का चचत्रण कर सकते हैं?
Answer :
सुमतत की चाररत्रत्रक ववशेषताएाँ -
(1) सुमतत व्यवहार कु शल व्यक्क्त थे।
(2) उनका व्यवहार सबसे भमत्रतापूणभ था।
(3) वे जहााँ िी जाते थे वहीां अपने अच्छे स्विाव के कारण भमत्र बना
लेते थे।
(4) अलग-अलग जगहों पर घूमना उन्हें ज़्यादा पसांद था।
(5) वे एक से अचधक बार ततब्बत आ चुके थे और वहााँ के हर एक
गााँव से िली-िााँतत पररचचत थे।
Question 9:
'हालााँकक उस वक्त मेरा िेष ऐसा नहीां था कक उन्हें कु छ िी ियाल
करना चादहए था।' -
उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-
व्यवहार के तरीके वेशिूषा के आधार पर तय होते हैं।
आपकी समझ से यह उचचत हैअथवा अनुचचत, ववचार व्यक्त करें।
Answer :
बहुत हद तक वेश-िूषा हमारे आचार-व्यवहार से सम्बक्न्धत होती
है। वेश-िूषा मनुष्य के व्यक्क्तत्व को दशाभती है। उदाहरण के तौर
पर साधु-सांत को देिकर उनका साक्त्वक रूप हमारे सामने उिरता
है। उसी प्रकार एक भििमांगे की वेश-िूषा देिने पर उसकी आचथभक
ववप्पणता सामने आती है।
Question 10:
यात्रा-वृत्ाांत के आधार पर ततब्बत की िौगोभलक क्स्थतत का शब्द-
चचत्र प्रस्तुत करें। वहााँ की क्स्थतत आपवेफ राज्य/शहर से ककस
प्रकार भिन्न है?
Answer :
ततब्बत एक पहाडी प्रदेश है। यहााँ बऱ पडती है। इसकी सीमा
दहमालय पवभत से शुरू होती है। िााँडे के ऊपर से समुद्र तल की
गहराई लगिग 17-18 हजार फीट है। पूरब से पक्चचम की ओर
दहमालय के हजारों चवेत भशिर ददिते है। िीटे की ओर दीिने वाले
पहाडों पर न तो बऱ की स़े दी थी, न ककसी तरह की हररयाली।
उत्र की तरफ पत्थरों का ढ़ेर था।
Question 11:
आपने िी ककसी स्थान की यात्रा अवचय की होगी? यात्रा के दौरान हु
ए अनुिवों को भलिकर प्रस्तुत करें।
Answer :
इस प्रचन का उत्र अपने अनुिवों के आधार पर दें।
Question 12:
यात्रावृत्ाांत गद्य सादहत्य की एक ववधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्त
क में कौन-कौन सी ववधाएाँ
हैं? प्रस्तुत ववधा उनसे ककनमायनों में अलग है?
Answer :
प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में "महादेवी वमाभ" द्वारा रचचत "मेरे बचपन
के ददन" सांस्मरण है। सांस्मरण िी गद्य सादहत्य की एक ववधा है।
इसमें लेखिका के बचपन की यादों का एक अांश प्रस्तुत ककया गया
है।यात्रा वृत्ाांत तथा सांस्मरण दोनों ही गद्य सादहत्य की ववधाएाँ हैं
जोकक एक दूसरे से भिन्न है। यात्रा वृत्ाांत ककसी एक क्षेत्र की यात्रा के
Question 13:
ककसी िी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे -
सुबह होने से पहले हम गााँव में थे।
पौ फटने वाली थी कक हम गााँव में थे।
तारों की छााँव रहते-रहते हम गााँव पहुाँच गए।
नीचे ददए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से भलखिए -
'जान नहीां पडता था कक घोडा आगे जा रहा है या पीछे।'
Answer :
(1) जान नहीां पडता था कक घोडा आगे है या मैं आगे।
(2) समझ में नहीां आ रहा था कक घोडा मेरे आगे है या पीछे।
(3) समझ में नहीां आ रहा है कक घोडा कहा गया?
Question 14:
ऐसे शब्द जो ककसी 'अांचल' यानी क्षेत्र ववशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें
आांचभलक शब्द कहा जाता
है। प्रस्तुत पाठ में से आांचभलकशब्द ढूाँढ़कर भलखिए।
Answer :
आांचभलक शब्द -
(1) कु ची-कु ची (दया-दया)
(2) थुक्पा
Question 15:
पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और ववशा
ल शब्दों का प्रयोग हुआ
है। इन शब्दों से उनकी ववशेषताउिर कर आती है। पाठ में से कु छ ऐ
से ही और शब्द छााँदटए जो ककसी की ववशेषता बता रहे हों।
Answer :
(1) िुक़या वविाग
(2) अच्छी तरह
(3) चवेत भशिर
(4) बऱ की स़े दी
नाम = बबक्रानत रॉय.
कक्षा = नौवीं. िारा ='सी'.
ववषय = हहन्दी.
स्कू ल = के न्द्रीय ववद्यालया बी.ई.जी,
पुणे – 06.

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Lhasa ki aur by rahul sankritiyan

  • 1.
  • 2. लेखक उपनाम: के दारनाथ पाण्डेय जन्म: ९ अप्रैल, १८९३ ग्राम पंदहा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत मृत्यु: १४ अप्रैल, १९६३ द दार्जिललंग, पर्चिम बंगाल, भारत महापंडडत राहुल सांकृ त्यायन
  • 3. राहुल सांकृ त्यायन…. राहुल साांकृ त्यायन र्जन्हें महापांडित की उपाधि दी जाती है हहन्दी के एक प्रमुख साहहत्यकार थे । वे एक प्रततर्ठित बहुभाषाववद् थे और बीसवीं सदी के पूवाििि में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहहत्य तथा ववचव-दशिन के क्षेत्र में साहहर्त्यक योगदान ककए । वह हहंदी यात्रासहहत्य के वपतामह कहे जाते हैं। बौद्ि िमि पर उनका शोि हहन्दी साहहत्य में युगान्तरकारी माना जाता है, र्जसके ललए उन्होंने ततब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण ककया था । इसके अलावा उन्होंने मध्य-एलशया तथा कॉके शस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत ललखे जो साहहर्त्यक दृर्ठि से बहुत महत्वपूणि हैं ।
  • 4. पाठ का सार 'ल्हासा की ओर' पाि एक यात्रा वृत्तांत है। इस पाि में राहुल जी की प्रथम ततब्बत यात्रा का वणिन ककया गया है। इसे राहुल जी ने बडी ही रोिक शैली में ललखा है। लेखक ने उस समय के ततब्बत के जन-जीवन, संस्कृ तत और लोगों का बहुत ही सुंदर वणिन ककया है। लेखक के द्वारा यह यात्रा नेपाल के रास्ते से की गई थी। उस समय भारतीयों को ततब्ब्त में जाने की आज्ञा नहीं थी।
  • 5.  लेखक ने ततब्ब्त की यात्रा करने का मन बनाया और लभखारी-वेश में अपनी यात्रा को पूरा ककया। यह यात्रा उन्होंने 1929-30 में की थी। यह यात्रा ततब्बत को नज़दीक से जानने का अवसर देती है। अपने लेखन के साथ न्याय करते हुए उन्होंने इस वृत्तांत में हर छोिे और बडे सभी तथ्यों का समावेश ककया है। तथ्यों का ये ताना-बाना कहानी की रोिकता को बनाए रखता है।
  • 6. नकशा - काठमाांिू से ल्हासा
  • 7. राजभाषा(एँ) नेपाली सरकार संयुक्त सरकार राठरपतत डा॰ रामबरण यादव प्रिानमंत्री बाबुराम भट्िराई राजधानी (और सबसे बडा शहर) कािमांडू 27°42′ N 85°19′ E एकीकरण 21 हदसंबर 1768 गणराज्य 28 हदसंबर 2007 क्षेत्रफल कु ल 147,181 ककमी² (95वां) 56,827 मील² जल(%) 2.8a जनसंख्या - जुलाई 2007 अनुमान 28,901,790 (40 वां) - २००२ जनगणना 23,151,423 - जन घनत्व 184/ककमी² (५६वां) 477/मील² सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (पीपीपी) 2006अनुमान - कु ल $48.18 बबललयन (87वां) - प्रतत व्यर्क्त $1,500 (164 वां मानव ववकास सूचकाांक (२००७)a 0.534(मध्यम) (१४२ वां) मुद्राa रुपया (एनपीआर) समय मंडल नेपाली प्राईम िाईम (यूिीसी +5:45) - ग्रीठम (DST) - (यूिीसी +5:45) इंिरनेि िीएलडी .एनपी दूरभाष कोड +९७७ नेपाल
  • 8. ततब्बत ततब्बत (Tibet) एलशया में एक क्षेत्र है र्जसकी भूलम मुख्यतः उच्ि पिारी है। इसके प्रायः सम्पूणि भाग पर िीनी जनवादी गणराज्य का शासन है जबकक ततब्बत सहदयों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहां के लोगों का िमि बौद्ि है तथा इनकी भाषा ततब्बती। िीन द्वारा ततब्बत पर िढ़ाई के समय (1955) वहां के दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ललया जो अब तक भारत में सुरक्षक्षत हैं। 32 अंश 30लमनि उत्तर अक्षांश तथा 86 अंश शून्य लमनि पूवी देशान्तर। ततब्बत मध्य एलशया की उच्ि पवित श्रेंणणयों के मध्य कु नलुन एवं हहमालय के मध्य र्स्थत है। इसकी ऊँ िाई 16,000 फु ि तक है। यहाँ का क्षेत्रफल47000 वगि मील तथा अनुमातनत जनसंख्या 1273,9 उ 69, (1953) है। ततब्बत का पिार पूवि में शीकांग (Sikang) से, पलशिम में कचमीर से दक्षक्षण में हहमालय पवित से तथा उत्तर में कु नलुन पवित से तघरा हुआ है। यह पिार पूवी एलशया की बृहत्तर नहदयों हांगहों, मेकांग आहद का उद्गम स्थल है, जो पूवी क्षेत्र से तनकलती हैं। पूवी क्षेत्र में कु छ वषाि होती है एवं 1200फु ि की ऊँ िाई तक वन पाए जाते है।
  • 11. Question 1: थोङ्ला के पहले के आखिरी गााँव पहुाँचने पर भििमांगे के वेश में होने के बावजूद लेिक को ठहरने के भलए उचचत स्थान भमलाजबकक दूसरी यात्रा के समय िद्र वे श िी उन्हें उचचत स्थान नहीां ददला सका। क्यों? Answer : लेिक के भमत्र सुमतत की यहााँ के लोगों से जान-पहचान होने के कारण भििमांगों के वेश में रहने के बावजूद िी उन्हें ठहरने के भलए अच्छी जगह भमली। जबकक दूसरी यात्रा के समय जानकारी न होने के कारण िद्र यात्री के वेश में आने पर िी उन्हें रहने के भलए उचचत स्थान नहीां भमला। उन्हें गााँव के एक सबसे गरीब झोंपडे में ठहरने को स्थान भमला। ऐसा होना बहुत कु छ, लोगों की उस वक्त की मनोवृतत पर िी तनिभर करता है। क्योंकक शाम के वक्त छङ् पीकर बहुत कम होश-हवास को दुरुस्त रि पाते हैं।
  • 12. Question 2: उस समय के ततब्बत में हचथयार का कानून न रहने के कारण यात्रत्र यों को ककस प्रकार का िय बना रहता था? Answer : ततब्बत में हचथयार का कानून न रहने के कारण उस समय यात्रत्रयों को िाकु ओां से मारे जाने का ितरा था। Question 3: लेिक लङ्कोर के मागभ में अपने साचथयों से ककस कारण वपछड गया ? Answer : लङ्कोर के मागभ में लेिक का घोडा थककर धीमा चलने लगा था इसभलए लेिक अपने साचथयों से वपछडकर रास्ता िटक गए।
  • 13. Question 4: लेिक ने शेकर ववहार में सुमतत को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परांतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीां ककया? Answer : एक मांददर में लेिक वहााँ के बुद्धवचन-अनुवाद की हस्तभलखित पोचथयााँ पढ़ रहे थे। वे पोचथयााँ को पढ़ने में मग्न थे। इसभलए सुमतत के अपने यजमानों से भमलने जाने के बारे में पूछने पर लेिक ने उन्हें जाने के भलए कह ददया। Question 6: प्रस्तुत यात्रा- वृत्तांत के आिार पर बताइए कक उस समय का ततब्बती समाज कै सा था? Answer : उस समय ततब्बती समाज में जातत-पाँतत, छु आ-छू त नहीं था, औरतों के ललए परदा प्रथा का प्रिलन भी नहीं था, अपररधित व्यर्क्त को वे अपने घर में आने दे सकते थे परन्तु िोरी के भय से ककसी लभखमंगे को घर में घुसने नहीं देते थे। वहाँ आततथ्य सत्कार अच्छी तरह से ककया जाता था।
  • 14. Question 5: अपनी यात्रा के दौरान लेिक को ककन कदठनाइयों का सामना करना पडा? Answer : यात्रा के दौरान लेिक को तनम्नभलखित कदठनाइयों का सामना करना पडा - (1) उस समय िारतीयों को ततब्बत यात्रा की अनुमतत नहीां थी। इसभलए उन्हें भििमांगे के रुप में यात्रा करना पडी। (2) चोरी के िर से भििमांगों को वहााँ के लोग घर में घुसने नहीां देते थे। इसी कारण लेिक को िी ठहरने के स्थान को लेकर कदठनाई का सामना करना पडा। (3) िााँडा थोङ्ला जैसी ितरनाक जगह को पार करना पडा। (4) लङ्कोर का रास्ता तय करते समय रास्ता िटक जाने के कारण वे अपने साचथयों से त्रबछड गए।
  • 15. Question 7: 'मैं अब पुस्तकों के िीतर था।' नीचे ददए गए ववकल्पों में से कौन सा इस वाक्य का अथभ बतलाता है - (क) लेिक पुस्तकें पढ़ने में रम गया। (ि) लेिक पुस्तकों की शैल़् के िीतर चला गया। (ग) लेिक के चारों ओर पुस्तकें ही थीां। (घ) पुस्तक में लेिक का पररचय और चचत्र छपा था। Answer : (क) लेिक पुस्तकें पढ़ने में रम गया। (✓)
  • 16. Question 8: सुमतत के यजमान और अन्य पररचचत लोग लगिग हर गााँव में भम ले। इस आधार पर आप सुमतत के व्यक्क्तत्व की ककनववशेषताओां का चचत्रण कर सकते हैं? Answer : सुमतत की चाररत्रत्रक ववशेषताएाँ - (1) सुमतत व्यवहार कु शल व्यक्क्त थे। (2) उनका व्यवहार सबसे भमत्रतापूणभ था। (3) वे जहााँ िी जाते थे वहीां अपने अच्छे स्विाव के कारण भमत्र बना लेते थे। (4) अलग-अलग जगहों पर घूमना उन्हें ज़्यादा पसांद था। (5) वे एक से अचधक बार ततब्बत आ चुके थे और वहााँ के हर एक गााँव से िली-िााँतत पररचचत थे।
  • 17. Question 9: 'हालााँकक उस वक्त मेरा िेष ऐसा नहीां था कक उन्हें कु छ िी ियाल करना चादहए था।' - उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार- व्यवहार के तरीके वेशिूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचचत हैअथवा अनुचचत, ववचार व्यक्त करें। Answer : बहुत हद तक वेश-िूषा हमारे आचार-व्यवहार से सम्बक्न्धत होती है। वेश-िूषा मनुष्य के व्यक्क्तत्व को दशाभती है। उदाहरण के तौर पर साधु-सांत को देिकर उनका साक्त्वक रूप हमारे सामने उिरता है। उसी प्रकार एक भििमांगे की वेश-िूषा देिने पर उसकी आचथभक ववप्पणता सामने आती है।
  • 18. Question 10: यात्रा-वृत्ाांत के आधार पर ततब्बत की िौगोभलक क्स्थतत का शब्द- चचत्र प्रस्तुत करें। वहााँ की क्स्थतत आपवेफ राज्य/शहर से ककस प्रकार भिन्न है? Answer : ततब्बत एक पहाडी प्रदेश है। यहााँ बऱ पडती है। इसकी सीमा दहमालय पवभत से शुरू होती है। िााँडे के ऊपर से समुद्र तल की गहराई लगिग 17-18 हजार फीट है। पूरब से पक्चचम की ओर दहमालय के हजारों चवेत भशिर ददिते है। िीटे की ओर दीिने वाले पहाडों पर न तो बऱ की स़े दी थी, न ककसी तरह की हररयाली। उत्र की तरफ पत्थरों का ढ़ेर था।
  • 19. Question 11: आपने िी ककसी स्थान की यात्रा अवचय की होगी? यात्रा के दौरान हु ए अनुिवों को भलिकर प्रस्तुत करें। Answer : इस प्रचन का उत्र अपने अनुिवों के आधार पर दें। Question 12: यात्रावृत्ाांत गद्य सादहत्य की एक ववधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्त क में कौन-कौन सी ववधाएाँ हैं? प्रस्तुत ववधा उनसे ककनमायनों में अलग है? Answer : प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में "महादेवी वमाभ" द्वारा रचचत "मेरे बचपन के ददन" सांस्मरण है। सांस्मरण िी गद्य सादहत्य की एक ववधा है। इसमें लेखिका के बचपन की यादों का एक अांश प्रस्तुत ककया गया है।यात्रा वृत्ाांत तथा सांस्मरण दोनों ही गद्य सादहत्य की ववधाएाँ हैं जोकक एक दूसरे से भिन्न है। यात्रा वृत्ाांत ककसी एक क्षेत्र की यात्रा के
  • 20. Question 13: ककसी िी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे - सुबह होने से पहले हम गााँव में थे। पौ फटने वाली थी कक हम गााँव में थे। तारों की छााँव रहते-रहते हम गााँव पहुाँच गए। नीचे ददए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से भलखिए - 'जान नहीां पडता था कक घोडा आगे जा रहा है या पीछे।' Answer : (1) जान नहीां पडता था कक घोडा आगे है या मैं आगे। (2) समझ में नहीां आ रहा था कक घोडा मेरे आगे है या पीछे। (3) समझ में नहीां आ रहा है कक घोडा कहा गया?
  • 21. Question 14: ऐसे शब्द जो ककसी 'अांचल' यानी क्षेत्र ववशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आांचभलक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आांचभलकशब्द ढूाँढ़कर भलखिए। Answer : आांचभलक शब्द - (1) कु ची-कु ची (दया-दया) (2) थुक्पा
  • 22. Question 15: पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और ववशा ल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी ववशेषताउिर कर आती है। पाठ में से कु छ ऐ से ही और शब्द छााँदटए जो ककसी की ववशेषता बता रहे हों। Answer : (1) िुक़या वविाग (2) अच्छी तरह (3) चवेत भशिर (4) बऱ की स़े दी
  • 23.
  • 24. नाम = बबक्रानत रॉय. कक्षा = नौवीं. िारा ='सी'. ववषय = हहन्दी. स्कू ल = के न्द्रीय ववद्यालया बी.ई.जी, पुणे – 06.