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कक्षा - एकादष
विशय - विन्दी
प्रकरण - संस्मरण
षीशशक -वियााँ नसीरुद्दीन
रचनाकार पररचय- क
ृ श्णा सोबती
जन्म: 1925 , गुजरात ( पावकस्तान)
िृत्यु: 25 जनिरी 2019 वदल्ली
प्रिुख रचनाएाँ ँः
वजंदगीनािा
ऐ लड़की
वदलोदावनष
सिय सरगि
डार से वबछु ड़ी
वित्रो िराजानी
बादलों क
े घेरे िें
सूरजिुखी अाँधेरे क
े
प्रवसद्ध रचनाएाँ
सम्मान
⮚सावित्य अकादिी
सम्मान
⮚ षलाका सििान
⮚ सावित्य अकादिी की
िित्तर सदस्यता
सावित्यत्यक विषेशताएाँ
विंदी कथा सावित्यिें विषेश स्थान
संयवित ि साफ-सुथरा लेखन
लंबी किावनयााँ ि संस्मरण
भारत ि पावकस्तान की पृश्ठभूवि पर आधाररत किावनयों की अवधकता
संस्मरण क
े क्षेत्र िें विवषत्यि ि िित्तिपूणश स्थान
भावशक प्रयोग िें विविधता
विन्दी भाशा प्रयोग िें ताज़गी ि स्थानीय लोक भाशा का संगि
संस्क
ृ तवनश्ठ विन्दी क
े साथ उदूश ि पंजाबी का प्रयोग विलक्षण
िुत्यिि तिजीब ि जीिन-षैली का जीिंत साक्षात्कार ।
पाठ क
े िुख्य वबंदु
⮚ िि-िषित संग्रि से अितररत
⮚ खानदानी नानबाईंयों अथाशत रोटी बनाने िाले िगश की
ितशिान त्यस्थवत का उल्लेख ।
⮚ बुजुगश नानबाई वियााँ नसीरुद्दीन क
े व्यत्यत्व ि
क
ृ वत्व पर प्रकाष ।
⮚ वियााँ नसीरुद्दीन की खानदानी व्यिसाय क
े प्रवत वनश्ठा
ि अवभिान का स्वाभाविक िणशन
⮚ कला ि अनुभि पर आधाररत ज्ञान क
े प्रवत वियााँ का
लगाि ि सिपशण
⮚ आधुवनक युग िें भोजन क
े प्रवत लोगों का नजररया
⮚ विवभन्न प्रकार की रोवटयों का पररचय
कथा सार
वियााँ नसीरुद्दीन बीते जिाने क
े खानदानी नानबाईयों क
े िंषज िै जो
75 िशश से अवधक आयू क
े िोने क
े बािजूद भी अपने पैतृक पेषे को
जैसे तैसे चला रिे िैं । अपने कायशक्षेत्र िें दक्ष िोने ि अनेक प्रकार
की रोवटयााँ बनाने की कला िें िाविर िोने क
े कारण िे नानबाईयों क
े
िसीिा क
े रुप िें जाने जाते िै। किश क
े प्रवत आसत िोने क
े कारण
िे पत्रकारों ि सिाचार पत्र क
े प्रवत उपेक्षा का भाि रखते िैं ।
लेत्यखका क
े इसरार करने पर िे उससे बहुत िी लच्छे दार बातचीत
करक
े उसे प्रभावित करने िें लगभग सफल िोते िैं परंतु भािनाओं
क
े अवतरेक क
े कारण िनगढंत वकस्से सुनाने पर िो स्वंय अपने जाल
िें फ
ाँ स जाते िैं और वचढ़कर बेिन से बातचीत इस कटु सत्य से
करते िैं वक आज रोटी बनाने िालों की कोई कद्र निी रि गई ।
कवठन षब्दािली
लुत्फ - आनंद
वनिायत - बहुत
पेषानी - िाथा
नानबाई - रोटी बनाने िाले
काईरयााँ - धूतश , चालाकी
पंचिजारी - वचंतक
अंदाज - अदा , तरीक
े
अखबारनिीस - पत्रकार
खुराफात - षरारत
इल्म - ज्ञान
रफ
ू गर - दजी
िावलद- वपता
अत्यियार - अपनाना
िरहूि - स्वगीय
बजा - सिी, ठीक
उस्ताद - गुरु , वषक्षक
षावगदश - वषश्य
ज़िात - कक्षा
बाबत - बारे िें
तालीि - वषक्षा
तरेरा -घूरा
िोिलत - अिसर , सिय
क ंध - प्रकट , उपत्यस्थत
व्याख्या - मौसम ों की मार से पका चेहरा
वियााँ नसीरुद्दीन बहुत
बूढ़े थे । उनक
े चेिरे
पर बहुत झुरररयााँ थी
। उनक
े चेिरे को देख
कर सिज िी अनुिान
लगाया जा सकता था
वक उनकी आयु बहुत
अवधक थी ।
व्याख्या - तालीम की तालीम भी बड़ी चीज ह ती है ।
ककसी भी किक्षा का ज्ञान पाना एक कला है
और कला अभ्यास और मेंहनत से ही प्राप्त
ह ती है । क
े वल बताने से या मात्र पढ़कर
उसे नहीों पाया जा सकता । कहने का तात्पयय
यह है कक कमयााँ नसीरुद्दीन ने र टी बनाने
की कला क एक किन में नहीों सीखा अकपतु
पहले बतयन ध ने , भट्टी बनाने , उसे आाँच
िेने आकि कायों क सीखने क
े बाि ही र टी
बनाना सीखा ।
व्याख्या -वाकलि मरहूम त क
ू च ककए अस्सी
पर क्या मालूम हमें इतनी म हलत कमले न
कमले ।
कमयााँ नसीरुद्दीन क
े कपता की मृत्यु
अस्सी वर्य की आयु में हुई थी । अब
नसीरुद्दीन बूढ़े ह चुक
े थे। उनकी आयु
सत्तर की ह चुकी थी। वे स च रहे थे
कक वे अस्सी वर्य तक जाकवत रहेंगें या
नहीों ।
व्याख्या -कमयााँ नसीरुद्दीन क
े चेहरे पर ककसी अाँधड़
क
े आसार िेख यह मजमून न छ ड़ने का फ
ै सला
ककया।
कमयााँ नसीरुद्दीन लेखखका क
े बाििाह
क
े बारे में प्रश् ों से अब ऊब चुक
े थे ।
उनक
े चेहरे पर गुस्से क
े भाव थे ।
लेखखका यह स च रही थी कक कहीों वे
गुस्से में उन्हें यहााँ से भगा न िें । यही
स च कर उसने इस प्रसोंग क छ ड़
किया ।
व्याख्या -‘उतर गए वे जमाने । और गए वे कद्रिान ज
पकाने खाने की कद्र करना जानते थे ! कमयााँ अब क्या
रखा है ..... कनकाली तोंिू र से .... कनगली और हजम !’
कमयााँ नसीरुद्दीन कहना चाहते हैं कक पहले
जमाने क
े ल ग खाने और खाना बनाने वाले
ि न ों की कद्र करते थे व खाना बनाने वाले भी
किल से बनाते थे। पर आज ल ग खाना क
े वल
पेट भरने क
े कलए खाते हैं तृप्त ह ने क
े कलए
नहीों ।खाने वाले और बनाने वाले ि न ों ही
बेमन से इस कायय क सम्पन्न करते हैं।
गृहकायय हेतु प्रश्
⮚वियााँ नसीरुद्दीन क न थे
⮚ उन्होने बादशाि का उल्लेख क्ों
वकया ।
⮚ लेत्यखका वियााँ नसीरुद्दीन की वकन
बातों से प्रभावित हुई थी स
⮚ विया वकस नाि से प्रवसदरुध थे
समाप्त

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  • 1. कक्षा - एकादष विशय - विन्दी प्रकरण - संस्मरण षीशशक -वियााँ नसीरुद्दीन
  • 2.
  • 3. रचनाकार पररचय- क ृ श्णा सोबती जन्म: 1925 , गुजरात ( पावकस्तान) िृत्यु: 25 जनिरी 2019 वदल्ली प्रिुख रचनाएाँ ँः वजंदगीनािा ऐ लड़की वदलोदावनष सिय सरगि डार से वबछु ड़ी वित्रो िराजानी बादलों क े घेरे िें सूरजिुखी अाँधेरे क े
  • 5. सम्मान ⮚सावित्य अकादिी सम्मान ⮚ षलाका सििान ⮚ सावित्य अकादिी की िित्तर सदस्यता
  • 6. सावित्यत्यक विषेशताएाँ विंदी कथा सावित्यिें विषेश स्थान संयवित ि साफ-सुथरा लेखन लंबी किावनयााँ ि संस्मरण भारत ि पावकस्तान की पृश्ठभूवि पर आधाररत किावनयों की अवधकता संस्मरण क े क्षेत्र िें विवषत्यि ि िित्तिपूणश स्थान भावशक प्रयोग िें विविधता विन्दी भाशा प्रयोग िें ताज़गी ि स्थानीय लोक भाशा का संगि संस्क ृ तवनश्ठ विन्दी क े साथ उदूश ि पंजाबी का प्रयोग विलक्षण िुत्यिि तिजीब ि जीिन-षैली का जीिंत साक्षात्कार ।
  • 7. पाठ क े िुख्य वबंदु ⮚ िि-िषित संग्रि से अितररत ⮚ खानदानी नानबाईंयों अथाशत रोटी बनाने िाले िगश की ितशिान त्यस्थवत का उल्लेख । ⮚ बुजुगश नानबाई वियााँ नसीरुद्दीन क े व्यत्यत्व ि क ृ वत्व पर प्रकाष । ⮚ वियााँ नसीरुद्दीन की खानदानी व्यिसाय क े प्रवत वनश्ठा ि अवभिान का स्वाभाविक िणशन ⮚ कला ि अनुभि पर आधाररत ज्ञान क े प्रवत वियााँ का लगाि ि सिपशण ⮚ आधुवनक युग िें भोजन क े प्रवत लोगों का नजररया ⮚ विवभन्न प्रकार की रोवटयों का पररचय
  • 8. कथा सार वियााँ नसीरुद्दीन बीते जिाने क े खानदानी नानबाईयों क े िंषज िै जो 75 िशश से अवधक आयू क े िोने क े बािजूद भी अपने पैतृक पेषे को जैसे तैसे चला रिे िैं । अपने कायशक्षेत्र िें दक्ष िोने ि अनेक प्रकार की रोवटयााँ बनाने की कला िें िाविर िोने क े कारण िे नानबाईयों क े िसीिा क े रुप िें जाने जाते िै। किश क े प्रवत आसत िोने क े कारण िे पत्रकारों ि सिाचार पत्र क े प्रवत उपेक्षा का भाि रखते िैं । लेत्यखका क े इसरार करने पर िे उससे बहुत िी लच्छे दार बातचीत करक े उसे प्रभावित करने िें लगभग सफल िोते िैं परंतु भािनाओं क े अवतरेक क े कारण िनगढंत वकस्से सुनाने पर िो स्वंय अपने जाल िें फ ाँ स जाते िैं और वचढ़कर बेिन से बातचीत इस कटु सत्य से करते िैं वक आज रोटी बनाने िालों की कोई कद्र निी रि गई ।
  • 9. कवठन षब्दािली लुत्फ - आनंद वनिायत - बहुत पेषानी - िाथा नानबाई - रोटी बनाने िाले काईरयााँ - धूतश , चालाकी पंचिजारी - वचंतक अंदाज - अदा , तरीक े अखबारनिीस - पत्रकार खुराफात - षरारत इल्म - ज्ञान रफ ू गर - दजी िावलद- वपता अत्यियार - अपनाना िरहूि - स्वगीय बजा - सिी, ठीक उस्ताद - गुरु , वषक्षक षावगदश - वषश्य ज़िात - कक्षा बाबत - बारे िें तालीि - वषक्षा तरेरा -घूरा िोिलत - अिसर , सिय क ंध - प्रकट , उपत्यस्थत
  • 10. व्याख्या - मौसम ों की मार से पका चेहरा वियााँ नसीरुद्दीन बहुत बूढ़े थे । उनक े चेिरे पर बहुत झुरररयााँ थी । उनक े चेिरे को देख कर सिज िी अनुिान लगाया जा सकता था वक उनकी आयु बहुत अवधक थी ।
  • 11. व्याख्या - तालीम की तालीम भी बड़ी चीज ह ती है । ककसी भी किक्षा का ज्ञान पाना एक कला है और कला अभ्यास और मेंहनत से ही प्राप्त ह ती है । क े वल बताने से या मात्र पढ़कर उसे नहीों पाया जा सकता । कहने का तात्पयय यह है कक कमयााँ नसीरुद्दीन ने र टी बनाने की कला क एक किन में नहीों सीखा अकपतु पहले बतयन ध ने , भट्टी बनाने , उसे आाँच िेने आकि कायों क सीखने क े बाि ही र टी बनाना सीखा ।
  • 12. व्याख्या -वाकलि मरहूम त क ू च ककए अस्सी पर क्या मालूम हमें इतनी म हलत कमले न कमले । कमयााँ नसीरुद्दीन क े कपता की मृत्यु अस्सी वर्य की आयु में हुई थी । अब नसीरुद्दीन बूढ़े ह चुक े थे। उनकी आयु सत्तर की ह चुकी थी। वे स च रहे थे कक वे अस्सी वर्य तक जाकवत रहेंगें या नहीों ।
  • 13. व्याख्या -कमयााँ नसीरुद्दीन क े चेहरे पर ककसी अाँधड़ क े आसार िेख यह मजमून न छ ड़ने का फ ै सला ककया। कमयााँ नसीरुद्दीन लेखखका क े बाििाह क े बारे में प्रश् ों से अब ऊब चुक े थे । उनक े चेहरे पर गुस्से क े भाव थे । लेखखका यह स च रही थी कक कहीों वे गुस्से में उन्हें यहााँ से भगा न िें । यही स च कर उसने इस प्रसोंग क छ ड़ किया ।
  • 14. व्याख्या -‘उतर गए वे जमाने । और गए वे कद्रिान ज पकाने खाने की कद्र करना जानते थे ! कमयााँ अब क्या रखा है ..... कनकाली तोंिू र से .... कनगली और हजम !’ कमयााँ नसीरुद्दीन कहना चाहते हैं कक पहले जमाने क े ल ग खाने और खाना बनाने वाले ि न ों की कद्र करते थे व खाना बनाने वाले भी किल से बनाते थे। पर आज ल ग खाना क े वल पेट भरने क े कलए खाते हैं तृप्त ह ने क े कलए नहीों ।खाने वाले और बनाने वाले ि न ों ही बेमन से इस कायय क सम्पन्न करते हैं।
  • 15. गृहकायय हेतु प्रश् ⮚वियााँ नसीरुद्दीन क न थे ⮚ उन्होने बादशाि का उल्लेख क्ों वकया । ⮚ लेत्यखका वियााँ नसीरुद्दीन की वकन बातों से प्रभावित हुई थी स ⮚ विया वकस नाि से प्रवसदरुध थे