This Presentation Is about the 2 movements of Gandhi (Champaran, Kheeda satyagrah And Quit india Movement )
And this presentation is Made IN hindi Language .
A theatre set design for a short story "Boodhi Kaaki" written by "Premchand".
When I started reading the short story for the maquette, it was fairly simple. The main thing in my mind then was that whatever the audience sees, it is sort of in the form of 2D as we can’t really see much of what is happening behind. So to fit the room, the house, the kitchen, dining area and the outdoor seating in a linear manner became a little difficult. After receiving the feedback, before I started making the scaled down model for the theatre, I got more clarity on how to make it less linear and more playful. I realized that I did not have to show everything from the script; it could be small depictions or metaphors. Making the maquette was incredible fun and seeing the finish I got after I painted on foam board was brilliant.
This Presentation Is about the 2 movements of Gandhi (Champaran, Kheeda satyagrah And Quit india Movement )
And this presentation is Made IN hindi Language .
A theatre set design for a short story "Boodhi Kaaki" written by "Premchand".
When I started reading the short story for the maquette, it was fairly simple. The main thing in my mind then was that whatever the audience sees, it is sort of in the form of 2D as we can’t really see much of what is happening behind. So to fit the room, the house, the kitchen, dining area and the outdoor seating in a linear manner became a little difficult. After receiving the feedback, before I started making the scaled down model for the theatre, I got more clarity on how to make it less linear and more playful. I realized that I did not have to show everything from the script; it could be small depictions or metaphors. Making the maquette was incredible fun and seeing the finish I got after I painted on foam board was brilliant.
http://spiritualworld.co.in हमायूँ बादशाह का अहंकार दूर करना:
कन्नौज के युद्ध में हारकर दिल्ली का बादशाह हमायूँ गुरु घर की महिमा सुनकर खडूर साहिब में सम्राट का वर प्राप्त करने के लिए आया| गुरु जी अपनी समाधि की अवस्था में मगन थे| पांच दस मिनट खड़े रहने पर भी जब उसकी और ध्यान नहीं दिया गया तो इसे उसने अपना निरादर समझा क्यूंकि उसे अपने बादशाह होने का अहंकार आ गया| अपना आदर ना होते देख उसने गुरु जी को मारने के इरादे से अपनी म्यान में से तलवार निकाली|
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कन्नौज के युद्ध में हारकर दिल्ली का बादशाह हमायूँ गुरु घर की महिमा सुनकर खडूर साहिब में सम्राट का वर प्राप्त करने के लिए आया| गुरु जी अपनी समाधि की अवस्था में मगन थे| पांच दस मिनट खड़े रहने पर भी जब उसकी और ध्यान नहीं दिया गया तो इसे उसने अपना निरादर समझा क्यूंकि उसे अपने बादशाह होने का अहंकार आ गया| अपना आदर ना होते देख उसने गुरु जी को मारने के इरादे से अपनी म्यान में से तलवार निकाली|
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आइये धानुक समाज के ऐतिहासिक पक्ष को समझने की कोशिश करते है
हो सकता है आपको कुछ बातो पर एतराज हो लेकिन जबतक आप यह नहीं बताएँगे की किन बातो पर एतराज है और क्यों आप इसके पीछे क्या तर्क देते है तबतक एक समाज की परिकल्पना संभव नहीं है #DhanukSamaj #Dhanuk #धानुकसमाज #धानुक #DhanukSamaj #YouTubeLive
4. सुभद्रा कु मारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५
फरवरी १९४८) हहन्दी की सुप्रससद्ध किययत्री
और लेखखका थीिं उनके दो कविता सिंग्र तथा
तीन कथा सिंग्र प्रकासित ुए पर उनकी
प्रससद्धध झाुँसी की रानी (कविता) के कारण ै
कहानी सींग्रह
बबखरे मोती (१९३२),उन्माहदनी (१९३४)
सीधे साधे धित्र (१९४७),कववता सींग्रह
मुकु ल,बत्रधारा,प्रससद्ध पिंक्ततयाुँ
य कदिंब का पेड अगर माुँ ोता यमुना तीरे मैं भी
उस पर बैठ कन् ैया बनता धीरे-धीरे॥
कवव
पररचय
5. • अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा क ाुँ से य पानी
ककसने फोड घडे बादल के
की ै इतनी िैतानी
सूरज ने तयों बिंद कर सलया
अपने घर का दरिाजा ा़
उसकी माुँ ने भी तया उसको
बुला सलया क कर आजा
कववता : पानी और धूप
6. ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैं
बादल हैं ककसके काका
ककसक़ो डााँट रहे हैं, ककसने
कहना नहीीं सुना मााँ का।
बबजली के आाँगन में अममााँ
चलती है ककतनी तलवार
कै सी चमक रही है कफर भी
क्यों खाली जाते हैं वार।
कववता : पानी और धूप
7. • तया अब तक तलिार िलाना
माुँ िे सीख न ीिं पाए
इसीसलए तया आज सीखने
आसमान पर ैं आए
एक बार भी माुँ यहद मुझको
बबजली के घर जाने दो
उसके बच्िों को तलिार
िलाना ससखला आने दो
कववता : पानी और धूप
8. • खुि ोकर तब बबजली देगी
मुझे िमकती-सी तलिार
तब माुँ कर न सके गा कोई
अपने ऊपर अत्यािार
पुसलसमैन अपने काका को
कफर न पकडने आएुँगे
देखेंगे तलिार दूर से ी
िे सब डर जाएुँगे
कववता : पानी और धूप
9. • अगर िा ती ो माुँ काका
जाएुँ अब न जेलखाना
तो कफर बबजली के घर मुझको
तुम जल्दी से प ुुँिाना
काका जेल न जाएुँगे अब
तूझे मुँगा दूुँगी तलिार
पर बबजली के घर जाने का
अब मत करना कभी वििार
कववता : पानी और धूप
11. कविता की इस पिंक्तत में ककस अत्यािार की बात की
जा र ी ै? िे ककस तर के अत्यािार करते थे?
• इस पिंक्तत में अिंग्रेजों द्िारा देििाससयों में ककए जा र े
अत्यािारों की बात ो र ी ै अिंग्रेजों ने भारत को अपना
गुलाम बना सलया था िे उन पर अनेक प्रकार के अत्यािार
कर र े थे िे अमानिीयता की सभी दें पार कर िूके थे
भारत का समस्त धन यनिोडकर अपने देि में भर र े थे
यहद कोई उनका विरोध करता, तो िे उसे मारा-पीटा करते थे
य ाुँ तक की उन् ें आिंतकिादी घोवषत कर कालापानी के सलए
भेज हदया जाता था यहद इससे भी हदल न ीिं भरता था, तो
उन् ें सरेआम फािंसी पर लटका हदया जाता था देि की जनता
गरीब और गरीब ो र ी थी भारत में लोग एक समय के
भोजन के सलए तरस र े थे परन्तु अिंग्रेजों को इससे कोई
सरोकार न ीिं था िे भारतीयों के साथ भेदभाि करते थे
उनकी तुलना कु त्ते से ककया करते थे में अपने ी देि के
कई स्थानों पर आने-जाने से रोका जाता था
12. • (क) सूरज को उसकी माुँ ने तयों बुला सलया?
उत्तर :सूरज को उसकी माुँ ने इससलए बुला सलया ै तयोंकक
िारों ओर अिंधकार छा गया था
• (ख) बादल काका जोर-जोर से तयों डाुँट र े ैं?
उत्तर: बादल काका इससलए डाुँट र े थे तयोंकक बच्िों ने कोई
िैतानी की ै
• (ग) बबजली के बच्िों के िार खाली तयों जा र े ैं?
उत्तर :बबजली के बच्िों के िार इससलए खाली जा र े ैं
तयोंकक उन् ोंने अब तक स ी प्रकार से तलिार िलाना न ीिं
सीखा ै
• (घ) लडकी बबजली के घर तयों जाना िा ती ै?
उत्तर:लडकी/लडका बबजली के घर जाकर उसके बच्िों को
तलिार सीखना िा ती ै य ी कारण ै कक ि बबजली के
घर जाना िा ती/िा ता ै
• (ङ) बबजली के घर में तलिार िलाना कौन सीख र ा ै?
उत्तर :बबजली के बच्िे बबजली के घर में तलिार िलाना सीख
र े ैं
13. कववता की पींक्क्त में ककस अत्याचार की बात की जा
रही है? वे ककस तरह के अत्याचार करते र्े?
• इस पिंक्तत में अिंग्रेजों द्िारा देििाससयों में ककए जा र े
अत्यािारों की बात ो र ी ै अिंग्रेजों ने भारत को अपना
गुलाम बना सलया था िे उन पर अनेक प्रकार के अत्यािार
कर र े थे िे अमानिीयता की सभी दें पार कर िूके थे
भारत का समस्त धन यनिोडकर अपने देि में भर र े थे
यहद कोई उनका विरोध करता, तो िे उसे मारा-पीटा करते थे
य ाुँ तक की उन् ें आिंतकिादी घोवषत कर कालापानी के सलए
भेज हदया जाता था यहद इससे भी हदल न ीिं भरता था, तो
उन् ें सरेआम फािंसी पर लटका हदया जाता था देि की जनता
गरीब और गरीब ो र ी थी भारत में लोग एक समय के
भोजन के सलए तरस र े थे परन्तु अिंग्रेजों को इससे कोई
सरोकार न ीिं था िे भारतीयों के साथ भेदभाि करते थे
उनकी तुलना कु त्ते से ककया करते थे में अपने ी देि के
कई स्थानों पर आने-जाने से रोका जाता था
14. • क) सूरज ने अपने घर का दरिाजा बिंद
कर सलया
• (ख) काका ककसी को जोर-जोर से डाुँट र े
ैं
• (ग) आुँगन में तलिार िल र ी ै
गृह काया