Thanks to DECCAN HEALTH CARE, now I feel light.
Thursday 25 April, 2013
Thanks to DECCAN HEALTH CARE, now I feel light. Your weight loss product is really good. I lost 10 kg in the last six months. Its much more than weight loss, it is healthy.
Pramodh Gupta, INVESTMENT Banker, Mumbai
I trust the Daily Fitness product
Monday 25 March, 2013
I trust the Daily Fitness product as it keeps me going throughout the day. Now I am able to meet my work demands easily.
Younus Parwaze, Logistics Professional, Faridabad
These products are very good.
Monday 25 February, 2013
These products are very good. I use Daily Fitness and Heart Fitness and they are always part of my daily diet.
Thanks DECCAN HEALTH CARE!
Friday 25 January, 2013
I regularly buy DECCAN HEALTH CARE DIABETIC Fitness for my father. It helps in controlling his blood sugar level. Thanks DECCAN HEALTH CARE!
Venkateswara Rao, Bank Manager, Hyderabad
I recommend DECCAN HEALTH CARE products
Saturday 12 January, 2013
I recommend DECCAN HEALTH CARE products to my clients as they provide all the essential nutrients required by the body. Now I need not go and search for other supplements as all types of food supplements are available under one roof from DECCAN HEALTH CARE.
डेक्कन हैल्थ क्रुसेड का मुख्य लक्ष्य इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी Micronutrient Deficiencies (MNDs) को दूर कर हमें स्वस्थ जीवन प्रदान करना है।
डेक्कन हैल्थ क्रुसेड की गतिविधियां शिक्षा, समुदाय और पोषण पर केंद्रित है।
खूबसूरती क्या है? गोरा रंग सुडौल काया, ऊँचाकद, तीखे नाक-नक्श तथा मादक, रसीले और गुलाबी होठ... नहीं ये तो महज ऊपरी खोल है। फिर, सुन्दरता दरअसल, रचनात्मकता का नाम है, सृजन में ही है असली सौदर्य। सुन्दरता है किसी के लिए कुछ कर गुजरने की ललक। संसार को बाहों में समेट लेने का हौसला और जीवन को सकारात्मकता के साथ देखना ही है अलसी खूबसूरती....। क्या हम दुनिया की कृत्रिमता से ऊब नहीं गये हैं, कहीं हमें सौदर्य को पुनः परिभाषित करने की जरूरत तो नहीं है? ?
This a miraculous news of the day. Rekha Jain of Pali, India phoned me and narrated the whole story. She is 46 and suffers from Pituitary Adenoma with hyperprolactinemia (Brain Tumor) since 25 years.
On my recommendation she started using Flaxseed about two years back. After just six months her brain tumor was vanished completely which was confirmed by MRI scan. Even many doctors admitted that it is a miracle.
Thanks to DECCAN HEALTH CARE, now I feel light.
Thursday 25 April, 2013
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Pramodh Gupta, INVESTMENT Banker, Mumbai
I trust the Daily Fitness product
Monday 25 March, 2013
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Younus Parwaze, Logistics Professional, Faridabad
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Thanks DECCAN HEALTH CARE!
Friday 25 January, 2013
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Venkateswara Rao, Bank Manager, Hyderabad
I recommend DECCAN HEALTH CARE products
Saturday 12 January, 2013
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डेक्कन हैल्थ क्रुसेड का मुख्य लक्ष्य इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी Micronutrient Deficiencies (MNDs) को दूर कर हमें स्वस्थ जीवन प्रदान करना है।
डेक्कन हैल्थ क्रुसेड की गतिविधियां शिक्षा, समुदाय और पोषण पर केंद्रित है।
खूबसूरती क्या है? गोरा रंग सुडौल काया, ऊँचाकद, तीखे नाक-नक्श तथा मादक, रसीले और गुलाबी होठ... नहीं ये तो महज ऊपरी खोल है। फिर, सुन्दरता दरअसल, रचनात्मकता का नाम है, सृजन में ही है असली सौदर्य। सुन्दरता है किसी के लिए कुछ कर गुजरने की ललक। संसार को बाहों में समेट लेने का हौसला और जीवन को सकारात्मकता के साथ देखना ही है अलसी खूबसूरती....। क्या हम दुनिया की कृत्रिमता से ऊब नहीं गये हैं, कहीं हमें सौदर्य को पुनः परिभाषित करने की जरूरत तो नहीं है? ?
This a miraculous news of the day. Rekha Jain of Pali, India phoned me and narrated the whole story. She is 46 and suffers from Pituitary Adenoma with hyperprolactinemia (Brain Tumor) since 25 years.
On my recommendation she started using Flaxseed about two years back. After just six months her brain tumor was vanished completely which was confirmed by MRI scan. Even many doctors admitted that it is a miracle.
आदरणीय,
श्री युत संपादक जी,
अहा ! जिंदगी,
भास्कर परिवार, 10 जे. एल. एन मार्ग,
मालवीय नगर, जयपुर (राज.)
मान्यवर जी,
इस बार बड़े दिनों बाद बाद आपको पत्र लिख रहा हूँ। सर्वप्रथम तो आपको नये आयुर्वेद महाविशेषांक की उत्कृष्ट साज-सज्जा और ज्ञानवर्धक लेखों के चयन के लिए हार्दिक शुभकामानाएं देता हूँ। सदैव की भांति यह अंक कामयाबी की नई मिसाल बनने वाला है। इस अंक में आपने मेरे तीन लेख प्रकाशित किए हैं। इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। आपने हमेशा मेरे लेखों को ससम्मान प्रकाशित किया है। मैं सचमुच आभारी हूँ। इस बार भी आप देखिएगा “डॉ. जोहाना बुडविग का कैंसररोधी आहार–विहार” और “ऐसीयक चाय” जैसे लेख सफलता की नई ऊँचाइयां छूने वाले हैं। इनकी गूँज जर्मनी के बुडविग सेंटर तक जाने वाली है। ऐसीयक चाय पर मेरा अंग्रेजी लेख भी बहुत हिट रहा है। ऐसीयक चाय की उपलब्धता पर आपसे प्रश्न पूछे जाएंगे। यह चाय http://www.amazon.com/ से ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। 21 श्रीनगर के एक विख्यात हर्बलिस्ट डॉ. अहंगर भी इस चाय को शीघ्र ही लांच करने वाले हैं। मेरी उनसे बहुत पहले बात हो चुकी है लेकिन श्रीनगर में अतिवृष्टि होने के कारण विलम्ब हो गया है।
एक मसले पर मैं आपका ध्यान चाहता हूँ। पृष्ठ सं. 105 पर विटामिन बी-17 पर एक लेख वैद्य श्री प्रदीप शर्मा के नाम से प्रकाशित हुआ है। उन्होंने इस लेख को हूबहू और सअक
अ
नन्नास एक उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है। ब्रोमेलियासीइ परिवार का यह फल आज सर्वव्याप्त, रसीला, जोशीला और स्वादिष्ट फल है। इस फल का वानस्पतिक नाम अनानास कोमोसस है। इसका अनोखा मीठा और खट्टा स्वाद सबको अच्छा लगता है। वैसे तो इसका मौसम मार्च से जून तक रहता है, लेकिन बाजारों में यह पूरे साल उपलब्ध हो जाता है। । अनन्नास का ज्यूस शौक से पीया जाता है। साथ ही इसको ताजा काट कर खाया जाता है और खाने के बाद सलाद के रूप में या फ्रूट-कॉकटेल के रूप में प्रयोग भी किया जाता है।
अनन्नास पाचक तत्वों से भरपूर, शरीर को ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमि नाशक और स्फूर्तिदायक फल है| ये त्वचा में निखार लाता है| गर्मी में यह ताजगी व ठंडक देता है| अनन्नास के रस में प्रोटीन को पचाने की अपार क्षमता है| यह आँतों को सशक्त बनाता है|
बनाने का विधि
आज हम आपको अलसी को अंकुरित करने का नया और शानदार तरीका बतलाते हैं। एक स्टील की थाली में सूखे अलसी के दाने फैला लीजिये। आपको एक थाली या प्लेट इस थाली को ढकने के लिए भी चाहिये। अब एक स्प्रे बोटल में साफ पीने का पानी भर लीजिये।.......
पौरुष ग्रंथि Prostate
मनुष्य के शरीर में पौरुष ग्रंथि या प्रोस्टेट ग्रंथि ही एक मात्र अंग है जिसे पुरुषार्थ का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि पुरुष की परम श्रेष्ठ धातु शुक्र या वीर्य पौरुष ग्रंथि में ही बनती है। शरीर की सात धातुओं में सातवीं धातु शुक्र अथवा वीर्य सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। केवल वीर्य ही शरीर का अनमोल आभूषण है, वीर्य ही शक्ति है, वीर्य ही सुन्दरता है। शरीर में वीर्य ही प्रधान वस्तु है। वीर्य ही आँखों का तेज है, वीर्य ही ज्ञान, वीर्य ही प्रकाश है, वीर्य ही वेद हैं और वीर ही ब्रह्म है। वीर्य का संचय करना ही ब्रह्मचर्य है। वीर्य ही एक ऐसा तत्त्व है, जो शरीर के प्रत्येक अंग का पोषण करके शरीर को सुन्दर व सुदृढ़ बनाता है। वीर्य ही आनन्द-प्रमोद का सागर है। जिस मनुष्य में वीर्य का खजाना है वह दुनिया के सारे आनंद-प्रमोद मना सकता है और सौ वर्ष तक जी सकता है। वीर्य में नया शरीर पैदा करने की शक्ति होती है। जब तक शरीर में वीर्य होता है तब तक शत्रु की ताकत नहीं है कि वह भिड़ सके, रोग इसे दबा नहीं सकता। भोजन से वीर्य बनने की प्रक्रिया भी बड़ी लम्बी और जटिल है, जो प्रोस्टेट में ही सम्पन्न होती है। इस बारे में श्री सुश्रुताचार्य ने लिखा है :
रसाद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते ।
मेदस्यास्थिः ततो मज्जा मज्जाया: शुक्रसंभवः ।।
कहते हैं कि वीर्य बनने में करीब 30 दिन व 4 घंटे लग जाते हैं। वैज्ञानिक लोग कहते हैं कि 32 किलोग्राम भोजन से 700 ग्राम रक्त बनता है और 700 ग्राम रक्त से लगभग 20 ग्राम वीर्य बनता है। ग्रीक भाषा में भी प्रोस्टेट का मतलब होता है "One who stands before" यानि "Protector" या "Guardian" अर्थात यह पूरे शरीर का संरक्षक या पालनहार है। प्रोस्टेट के बारे में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सन् 2002 में फेडरल इंटरनेशनल कमेटी ऑन टर्मिनोलोजी ने स्त्रियों की पेरा
आज उदरदर्शी पित्ताशय-उच्छेदन (Laparoscopic Cholecystectomy) सबसे प्रचलित शल्यक्रिया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस तकनीक ने उदरदर्शी शल्य-चिकित्सा के एक नये युग की शुरूवात की है। इस तकनीक ने शल्य-विज्ञान को एक नई दिशा दी है और शोधकर्ताओं को नई राह बतलाई है। जहां किसी जमाने में पित्ताशय-उच्छेदन एक जोखिम भरी, कष्टदायक और भयभीत कर देने वाली शल्यक्रिया थी वहीं आज यह एक रोमांचकारी अनुभव बन कर रह गयी है। इसके बाद चिकित्सकों ने पित्तपथरी के पुराने जुगाड़ू उपचार जैसे पित्त-लवण, लिथोट्रिप्सी आदि को अपने पिटारे से अलग कर दिया है। (विच्छेदन = चीर-फाड़ करना और उच्छेदन = किसी अंग को काट कर शरीर से अलग करना)
उदरदर्शी पित्ताशय-उच्छेदन के फायदे
• उदरदर्शी तकनीक से की गई पित्ताशय-उच्छेदन शल्यक्रिया में रोगी को कोई वेदना या कष्ट नहीं होता है और सामान्यतः दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
• रोगी को लंबे समय तक भरती रहने की जरूरत नहीं होती है। प्रायः शल्यक्रिया के दूसरे दिन उसे घर भेज दिया जाता है और एक सप्ताह बाद वह अपने सारे कार्य सुचारु रूप से करने लगता है।
• इस विधि में पेट में बड़ा चीरा न लगा कर सिर्फ चार छोटे छिद्र किये जाते हैं। जिनके घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं और कुछ हफ्तों में इनके निशान भी पूरी तरह मिट जाते हैं।
• रोगी को टांके पकने, टूटने, पेट फट जाने या हर्निया जैसी तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है।
• रोगी के पेट पर घावों के कोई निशान नहीं होने से पेट की सुन्दरता बनी रहती है और स्त्रियों को साड़ी पहनने में कोई शर्म या झिझक नहीं होती है।
गुर्दों की गीता
गुर्दों का आर्थिक और सामाजिक महत्व
गुर्दा या वृक्क शरीर का बहुत मँहगा और दुर्लभ अंग है। आदमी का रौब, रुतबा, शान-शौकत, बाज़ुओं की ताकत सब कुछ गुर्दे के दम से ही होती है। आपके गुर्दे में दम-खम है तो दुनिया डरती है, सलाम करती है। गुर्दे के दम पर कई बिना पढ़े या कम पढ़े लोग भी नेता, मुख्य मंत्री या बड़े-बड़े ओहदों पर पहुँच जाते हैं। फिर गुर्दों की देख-भाल और सुरक्षा में हम कोई कोताही क्यों बरतें। देख लीजियेगा समय आने पर गुर्दे के मामले में सगे-संबन्धी तथा इष्ट-मित्र किनारा कर लेंगे और तन-मन न्यौछावर करने वाली आपकी अंकशायिनी या चाँद-सितारे तोड़ कर लाने वाला आपका बलमा भी धोखा दे जायेगा। गुर्दा खरीदना भी आसान काम नहीं है। बाज़ार में गुर्दे सिमित हैं, कीमतें आसमान को छू रही हैं और खरीदने वालों की कतार बड़ी लम्बी है। भारत गुर्दे के रोगों में भी विश्व की राजधानी है।
मधुमेह नाड़ीरोग या डायबीटिक न्यूरोपेथी
जैसे ही डायन डायबिटीज शरीर पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है, उत्पाती और उधमी ग्लूकोज शरीर की नाड़ियों को नुकसान पहुँचाने लगता है। 60-70 प्रतिशत मधुमेही अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार के नाड़ी-दोष का शिकार हो ही जाते हैं। मधुमेह के कारण नाड़ियों के क्षतिग्रस्त होने को नाड़ीरोग या डायबीटिक न्यूरोपेथी (न्यूरो=नाड़ी और पैथी=रोग) कहते हैं। यह एक गम्भीर रोग है जो मधुमेही के शरीर पर भले देर से हमला करता है परन्तु चुपचाप और दबे पाँव करता है, जैसे-जैसे यह अपने पर फैलाता है रोगी के जीवन को असहनीय कष्ट, वेदना और अपंगता से भर देता है।
रोगी के जीवन में इस रोग में होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर की कौन सी नाड़ियों को क्षति पहुँची है, रोगी को मधुमेह कितने समय से है, रोगी का रक्तशर्करा नियंत्रण कैसा है, क्या वह धूम्रपान व मदिरापान करता है या उसकी जीवनशैली कैसी है। वैसे तो हाथ-पैरों में दर्द, चुभन, जलन तथा स्पंदन, तापमान या स्पर्श की अनुभूति न होना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं, पर रोगी को पाचनतंत्र, उत्सर्जन-तंत्र, प्रजनन-तंत्र, हृदय एवम् परिवहन-तंत्र आदि से संबन्धित कोई भी लक्षण हो सकते हैं। नाड़ीरोग में कुछ रोगियों को बहुत मामूली सी तकलीफ होती है तो कई बार लक्षण इतने प्रचण्ड और कष्टदायक होते हैं कि जीवन अपाहिज और असंभव सा लगने लगता है।
आखिर ये नाड़ियाँ क्या होती हैं?
मोटे तौर पर नाड़ियों की तुलना हम बिजली की केबल्स से कर सकते हैं। इनके मध्य में भी एक तार होता है जिसमें संदेश, आदेश या संवेदनाएं प्रवाहित होती हैं। इसे एक्सोन कहते हैं। जिसके बाहर एक रक्षात्मक खोल होता है जिसे माइलिन शीथ कहते हैं। ये नाड़ियाँ हमारे मस्तिष्क, सुषुम्ना (Spinal Cord) और नाड़ी-तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है
गाउट एक सामान्य रोग है जिसमें बार बार जोड़ में संधिशोथ (जोड़ में दर्द, सूजन, लालिमा, उष्णता और अक्षमता) के दौरे पड़ते हैं। अधिकांश रोगियों (लगभग 50%) में पैर के अंगूठे के जोड़ (मेटाटारसल-फेलेंजियल जोड़) में तकलीफ होती है। तब इसे पोडोग्रा भी कहते हैं। लेकिन गाउट का असर एड़ी, घुटना, कलाई और उंगली के जोड़ में भी हो सकता है। जोड़ो में रात को अचानक बहुत तेज दर्द होता है और सूजन आ जाती है। जोड़ लाल और गर्म महसूस होता है। साथ में बुखार और थकावट भी हो सकती है। यह रोग रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से होता है। यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़, टेन्डन और जोड़ के आपसास जमा हो जाता है। यदि यह गुर्दें में जमा होता है तो पथरी या युरेट नेफ्रोपेथी हो सकती है।
गाउट का दौरा अमूमन 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है। 60 रोगियों को साल भर में प्रायः दूसरा दौरा भी पड़ ही जाता है। गाउट के रोगियों को रक्तचाप, डायबिटीज, मेटाबोलिक सिन्ड्रोम, वृक्क रोग और हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है। यदि उपचार नहीं किया जाये तो गाउट धीरे-धीरे दीर्घकालीन और स्थाई रोग बन जाता है। जोड़ों की सतह क्षतिग्रस्त होने लगती है। अक्षमता और अपंगता बढ़ती जाती है। साथ ही शरीर में कई जगह (जैसे कान, कोहनी आदि) यूरिक एसिड जमा होने से दर्दहीन गांठें (Tophi) बन जाती हैं। यदि गुर्दे में पथरी बन जाये तो स्थिति और जटिल बन जाती है और वृक्कवात (Kidney Failure) भी हो सकता है।
प्राचीन काल में इसे राजरोग या अमीरों का रोग भी कहा जाता था, क्योंकि मांस-मछली और मदिरा सेवन से इस रोग का सीधा संबंध है। ब्रिटेन के किंग हेनरी को भी गाउट हुआ था। गाउट के निदान हेतु जोड़ में से सायनोवियल द्रव निकाल कर सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वाराजांच की जाती है, उसमें यूरिक एसिड के क्रिस्टल्स की उपस्थिति से गाउट की पुष्टि हो जाती है। पिछले दो दशकों में गाउट का आघ
प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए हमें अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिये हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूँ का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम “ट्रिटिकम वेस्टिकम” है। डॉ. एन विग्मोर ज्वारे के रस को “हरित रक्त”कहती है। इसे गेहूँ का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ है।
मेग्नीशियम
मेग्नीशियम बहुत आवश्यक सूक्ष्म खनिज तत्व है जो शरीर में ऊर्जा उत्पादन, प्रोटीन की निर्माण, डी.एन.ए. की रचना और नाड़ियों में संवेदनाओं के प्रवाह के लिए बहुत जरूरी है। यह शरीर में पोटेशियम, फोस्फोरस, कैल्शियम, ऐडरिनेलीन और इंसुलिन के स्तर को सुचारु बनाये रखता है। साथ ही यह अस्थियों को मजबूत और हृदय को स्वस्थ रखता है। हमारा शरीर ATP से ऊर्जा प्राप्त करता है और ATP-ADP शरीर की सबसे अहम जैविक क्रिया है। इस क्रिया में मेग्नीशियम एडीनोसाइन ट्राइफोस्फेट (ATP) से फोस्फेट लेकर एडीनोसाइन डाइफोस्फेट (ADP) को देता है।
हृदय और कंकालीय मांस-पेशियों की स्वस्थ कार्य प्रणाली के लिए कैल्शियम और मेग्नीशनयम का संतुलन बहुत जरूरी है। इसे पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन-डी के साथ देने से अस्थियां मजबूत होती है और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव होता है। इसी तरह नाड़ियों में संवेदनाओं के प्रवाह के लिए भी रक्त में इनका संतुलन जरूरी है।
किण्वक या एंजाइम्स विशेष तरह के प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में अमुक जैविक क्रिया में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। मेग्नीशियम ऐसे 350 एंजाइम्स के निर्माण और कार्य प्रणाली में मदद करता है। यह जीन की कार्य प्रणाली के लिए जरूरी होता है। यह प्रोटीन, शर्करा और वसा के चयापचय में आवश्यक खनिज माना जाता है।
Arogyasutra is one of the prominent companies dealing in high quality Ayurvedic and Herbal products in the market. Our company is a leading manufacturer of several kinds of Ayurvedic medicines, herbal cosmetics, and personal care products. The company has proved its worth in international markets by exporting such wide range of ayurvedic formulations from ancient Ayurveda texts. The foundation stone of the company was laid in 2006 under the dynamic vision and able administration of Mr. Bhupinder Verma, who is Partner in the company.
Now Company has decided to promote a few of its products in the prestigious world of Multi Level Marketing. Our plan is known as HERBOWEALTH. In www.herbowealth.com, just to begin with, we have launched several types of products, which includes personal care products for Females, personal care products for Males, Ayurvedic Anti aging formulations and Herbal Cosmetics.
आज हम सभी लोग जानते हैं कि हमारे शीरर को विटामिन सी की कितनी ज्यादा आवश्यकता है। आपने टेलीविजन तथा अन्य सोशल मीडियां पर अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि कोरोना से बचना है, तो विटामिन सी युक्त पदार्थ का सेवन करना बहुत ही जरुरी है। लेकिन क्या हम लोग ऐसे उत्पाद का सेवन कर रहे हैं। मेरे ख्याल से नहीं। आपके इस समस्यां को दूर करने के लिए हम यहां पर वेस्टीज का एक उत्पाद (वेस्टीज आमला कैप्सूल) के बारे में चर्चा करेंगे।
आदरणीय,
श्री युत संपादक जी,
अहा ! जिंदगी,
भास्कर परिवार, 10 जे. एल. एन मार्ग,
मालवीय नगर, जयपुर (राज.)
मान्यवर जी,
इस बार बड़े दिनों बाद बाद आपको पत्र लिख रहा हूँ। सर्वप्रथम तो आपको नये आयुर्वेद महाविशेषांक की उत्कृष्ट साज-सज्जा और ज्ञानवर्धक लेखों के चयन के लिए हार्दिक शुभकामानाएं देता हूँ। सदैव की भांति यह अंक कामयाबी की नई मिसाल बनने वाला है। इस अंक में आपने मेरे तीन लेख प्रकाशित किए हैं। इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। आपने हमेशा मेरे लेखों को ससम्मान प्रकाशित किया है। मैं सचमुच आभारी हूँ। इस बार भी आप देखिएगा “डॉ. जोहाना बुडविग का कैंसररोधी आहार–विहार” और “ऐसीयक चाय” जैसे लेख सफलता की नई ऊँचाइयां छूने वाले हैं। इनकी गूँज जर्मनी के बुडविग सेंटर तक जाने वाली है। ऐसीयक चाय पर मेरा अंग्रेजी लेख भी बहुत हिट रहा है। ऐसीयक चाय की उपलब्धता पर आपसे प्रश्न पूछे जाएंगे। यह चाय http://www.amazon.com/ से ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। 21 श्रीनगर के एक विख्यात हर्बलिस्ट डॉ. अहंगर भी इस चाय को शीघ्र ही लांच करने वाले हैं। मेरी उनसे बहुत पहले बात हो चुकी है लेकिन श्रीनगर में अतिवृष्टि होने के कारण विलम्ब हो गया है।
एक मसले पर मैं आपका ध्यान चाहता हूँ। पृष्ठ सं. 105 पर विटामिन बी-17 पर एक लेख वैद्य श्री प्रदीप शर्मा के नाम से प्रकाशित हुआ है। उन्होंने इस लेख को हूबहू और सअक
अ
नन्नास एक उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है। ब्रोमेलियासीइ परिवार का यह फल आज सर्वव्याप्त, रसीला, जोशीला और स्वादिष्ट फल है। इस फल का वानस्पतिक नाम अनानास कोमोसस है। इसका अनोखा मीठा और खट्टा स्वाद सबको अच्छा लगता है। वैसे तो इसका मौसम मार्च से जून तक रहता है, लेकिन बाजारों में यह पूरे साल उपलब्ध हो जाता है। । अनन्नास का ज्यूस शौक से पीया जाता है। साथ ही इसको ताजा काट कर खाया जाता है और खाने के बाद सलाद के रूप में या फ्रूट-कॉकटेल के रूप में प्रयोग भी किया जाता है।
अनन्नास पाचक तत्वों से भरपूर, शरीर को ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमि नाशक और स्फूर्तिदायक फल है| ये त्वचा में निखार लाता है| गर्मी में यह ताजगी व ठंडक देता है| अनन्नास के रस में प्रोटीन को पचाने की अपार क्षमता है| यह आँतों को सशक्त बनाता है|
बनाने का विधि
आज हम आपको अलसी को अंकुरित करने का नया और शानदार तरीका बतलाते हैं। एक स्टील की थाली में सूखे अलसी के दाने फैला लीजिये। आपको एक थाली या प्लेट इस थाली को ढकने के लिए भी चाहिये। अब एक स्प्रे बोटल में साफ पीने का पानी भर लीजिये।.......
पौरुष ग्रंथि Prostate
मनुष्य के शरीर में पौरुष ग्रंथि या प्रोस्टेट ग्रंथि ही एक मात्र अंग है जिसे पुरुषार्थ का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि पुरुष की परम श्रेष्ठ धातु शुक्र या वीर्य पौरुष ग्रंथि में ही बनती है। शरीर की सात धातुओं में सातवीं धातु शुक्र अथवा वीर्य सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। केवल वीर्य ही शरीर का अनमोल आभूषण है, वीर्य ही शक्ति है, वीर्य ही सुन्दरता है। शरीर में वीर्य ही प्रधान वस्तु है। वीर्य ही आँखों का तेज है, वीर्य ही ज्ञान, वीर्य ही प्रकाश है, वीर्य ही वेद हैं और वीर ही ब्रह्म है। वीर्य का संचय करना ही ब्रह्मचर्य है। वीर्य ही एक ऐसा तत्त्व है, जो शरीर के प्रत्येक अंग का पोषण करके शरीर को सुन्दर व सुदृढ़ बनाता है। वीर्य ही आनन्द-प्रमोद का सागर है। जिस मनुष्य में वीर्य का खजाना है वह दुनिया के सारे आनंद-प्रमोद मना सकता है और सौ वर्ष तक जी सकता है। वीर्य में नया शरीर पैदा करने की शक्ति होती है। जब तक शरीर में वीर्य होता है तब तक शत्रु की ताकत नहीं है कि वह भिड़ सके, रोग इसे दबा नहीं सकता। भोजन से वीर्य बनने की प्रक्रिया भी बड़ी लम्बी और जटिल है, जो प्रोस्टेट में ही सम्पन्न होती है। इस बारे में श्री सुश्रुताचार्य ने लिखा है :
रसाद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते ।
मेदस्यास्थिः ततो मज्जा मज्जाया: शुक्रसंभवः ।।
कहते हैं कि वीर्य बनने में करीब 30 दिन व 4 घंटे लग जाते हैं। वैज्ञानिक लोग कहते हैं कि 32 किलोग्राम भोजन से 700 ग्राम रक्त बनता है और 700 ग्राम रक्त से लगभग 20 ग्राम वीर्य बनता है। ग्रीक भाषा में भी प्रोस्टेट का मतलब होता है "One who stands before" यानि "Protector" या "Guardian" अर्थात यह पूरे शरीर का संरक्षक या पालनहार है। प्रोस्टेट के बारे में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सन् 2002 में फेडरल इंटरनेशनल कमेटी ऑन टर्मिनोलोजी ने स्त्रियों की पेरा
आज उदरदर्शी पित्ताशय-उच्छेदन (Laparoscopic Cholecystectomy) सबसे प्रचलित शल्यक्रिया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस तकनीक ने उदरदर्शी शल्य-चिकित्सा के एक नये युग की शुरूवात की है। इस तकनीक ने शल्य-विज्ञान को एक नई दिशा दी है और शोधकर्ताओं को नई राह बतलाई है। जहां किसी जमाने में पित्ताशय-उच्छेदन एक जोखिम भरी, कष्टदायक और भयभीत कर देने वाली शल्यक्रिया थी वहीं आज यह एक रोमांचकारी अनुभव बन कर रह गयी है। इसके बाद चिकित्सकों ने पित्तपथरी के पुराने जुगाड़ू उपचार जैसे पित्त-लवण, लिथोट्रिप्सी आदि को अपने पिटारे से अलग कर दिया है। (विच्छेदन = चीर-फाड़ करना और उच्छेदन = किसी अंग को काट कर शरीर से अलग करना)
उदरदर्शी पित्ताशय-उच्छेदन के फायदे
• उदरदर्शी तकनीक से की गई पित्ताशय-उच्छेदन शल्यक्रिया में रोगी को कोई वेदना या कष्ट नहीं होता है और सामान्यतः दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।
• रोगी को लंबे समय तक भरती रहने की जरूरत नहीं होती है। प्रायः शल्यक्रिया के दूसरे दिन उसे घर भेज दिया जाता है और एक सप्ताह बाद वह अपने सारे कार्य सुचारु रूप से करने लगता है।
• इस विधि में पेट में बड़ा चीरा न लगा कर सिर्फ चार छोटे छिद्र किये जाते हैं। जिनके घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं और कुछ हफ्तों में इनके निशान भी पूरी तरह मिट जाते हैं।
• रोगी को टांके पकने, टूटने, पेट फट जाने या हर्निया जैसी तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है।
• रोगी के पेट पर घावों के कोई निशान नहीं होने से पेट की सुन्दरता बनी रहती है और स्त्रियों को साड़ी पहनने में कोई शर्म या झिझक नहीं होती है।
गुर्दों की गीता
गुर्दों का आर्थिक और सामाजिक महत्व
गुर्दा या वृक्क शरीर का बहुत मँहगा और दुर्लभ अंग है। आदमी का रौब, रुतबा, शान-शौकत, बाज़ुओं की ताकत सब कुछ गुर्दे के दम से ही होती है। आपके गुर्दे में दम-खम है तो दुनिया डरती है, सलाम करती है। गुर्दे के दम पर कई बिना पढ़े या कम पढ़े लोग भी नेता, मुख्य मंत्री या बड़े-बड़े ओहदों पर पहुँच जाते हैं। फिर गुर्दों की देख-भाल और सुरक्षा में हम कोई कोताही क्यों बरतें। देख लीजियेगा समय आने पर गुर्दे के मामले में सगे-संबन्धी तथा इष्ट-मित्र किनारा कर लेंगे और तन-मन न्यौछावर करने वाली आपकी अंकशायिनी या चाँद-सितारे तोड़ कर लाने वाला आपका बलमा भी धोखा दे जायेगा। गुर्दा खरीदना भी आसान काम नहीं है। बाज़ार में गुर्दे सिमित हैं, कीमतें आसमान को छू रही हैं और खरीदने वालों की कतार बड़ी लम्बी है। भारत गुर्दे के रोगों में भी विश्व की राजधानी है।
मधुमेह नाड़ीरोग या डायबीटिक न्यूरोपेथी
जैसे ही डायन डायबिटीज शरीर पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है, उत्पाती और उधमी ग्लूकोज शरीर की नाड़ियों को नुकसान पहुँचाने लगता है। 60-70 प्रतिशत मधुमेही अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार के नाड़ी-दोष का शिकार हो ही जाते हैं। मधुमेह के कारण नाड़ियों के क्षतिग्रस्त होने को नाड़ीरोग या डायबीटिक न्यूरोपेथी (न्यूरो=नाड़ी और पैथी=रोग) कहते हैं। यह एक गम्भीर रोग है जो मधुमेही के शरीर पर भले देर से हमला करता है परन्तु चुपचाप और दबे पाँव करता है, जैसे-जैसे यह अपने पर फैलाता है रोगी के जीवन को असहनीय कष्ट, वेदना और अपंगता से भर देता है।
रोगी के जीवन में इस रोग में होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर की कौन सी नाड़ियों को क्षति पहुँची है, रोगी को मधुमेह कितने समय से है, रोगी का रक्तशर्करा नियंत्रण कैसा है, क्या वह धूम्रपान व मदिरापान करता है या उसकी जीवनशैली कैसी है। वैसे तो हाथ-पैरों में दर्द, चुभन, जलन तथा स्पंदन, तापमान या स्पर्श की अनुभूति न होना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं, पर रोगी को पाचनतंत्र, उत्सर्जन-तंत्र, प्रजनन-तंत्र, हृदय एवम् परिवहन-तंत्र आदि से संबन्धित कोई भी लक्षण हो सकते हैं। नाड़ीरोग में कुछ रोगियों को बहुत मामूली सी तकलीफ होती है तो कई बार लक्षण इतने प्रचण्ड और कष्टदायक होते हैं कि जीवन अपाहिज और असंभव सा लगने लगता है।
आखिर ये नाड़ियाँ क्या होती हैं?
मोटे तौर पर नाड़ियों की तुलना हम बिजली की केबल्स से कर सकते हैं। इनके मध्य में भी एक तार होता है जिसमें संदेश, आदेश या संवेदनाएं प्रवाहित होती हैं। इसे एक्सोन कहते हैं। जिसके बाहर एक रक्षात्मक खोल होता है जिसे माइलिन शीथ कहते हैं। ये नाड़ियाँ हमारे मस्तिष्क, सुषुम्ना (Spinal Cord) और नाड़ी-तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है
गाउट एक सामान्य रोग है जिसमें बार बार जोड़ में संधिशोथ (जोड़ में दर्द, सूजन, लालिमा, उष्णता और अक्षमता) के दौरे पड़ते हैं। अधिकांश रोगियों (लगभग 50%) में पैर के अंगूठे के जोड़ (मेटाटारसल-फेलेंजियल जोड़) में तकलीफ होती है। तब इसे पोडोग्रा भी कहते हैं। लेकिन गाउट का असर एड़ी, घुटना, कलाई और उंगली के जोड़ में भी हो सकता है। जोड़ो में रात को अचानक बहुत तेज दर्द होता है और सूजन आ जाती है। जोड़ लाल और गर्म महसूस होता है। साथ में बुखार और थकावट भी हो सकती है। यह रोग रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से होता है। यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़, टेन्डन और जोड़ के आपसास जमा हो जाता है। यदि यह गुर्दें में जमा होता है तो पथरी या युरेट नेफ्रोपेथी हो सकती है।
गाउट का दौरा अमूमन 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है। 60 रोगियों को साल भर में प्रायः दूसरा दौरा भी पड़ ही जाता है। गाउट के रोगियों को रक्तचाप, डायबिटीज, मेटाबोलिक सिन्ड्रोम, वृक्क रोग और हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है। यदि उपचार नहीं किया जाये तो गाउट धीरे-धीरे दीर्घकालीन और स्थाई रोग बन जाता है। जोड़ों की सतह क्षतिग्रस्त होने लगती है। अक्षमता और अपंगता बढ़ती जाती है। साथ ही शरीर में कई जगह (जैसे कान, कोहनी आदि) यूरिक एसिड जमा होने से दर्दहीन गांठें (Tophi) बन जाती हैं। यदि गुर्दे में पथरी बन जाये तो स्थिति और जटिल बन जाती है और वृक्कवात (Kidney Failure) भी हो सकता है।
प्राचीन काल में इसे राजरोग या अमीरों का रोग भी कहा जाता था, क्योंकि मांस-मछली और मदिरा सेवन से इस रोग का सीधा संबंध है। ब्रिटेन के किंग हेनरी को भी गाउट हुआ था। गाउट के निदान हेतु जोड़ में से सायनोवियल द्रव निकाल कर सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वाराजांच की जाती है, उसमें यूरिक एसिड के क्रिस्टल्स की उपस्थिति से गाउट की पुष्टि हो जाती है। पिछले दो दशकों में गाउट का आघ
प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए हमें अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिये हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूँ का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम “ट्रिटिकम वेस्टिकम” है। डॉ. एन विग्मोर ज्वारे के रस को “हरित रक्त”कहती है। इसे गेहूँ का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ है।
मेग्नीशियम
मेग्नीशियम बहुत आवश्यक सूक्ष्म खनिज तत्व है जो शरीर में ऊर्जा उत्पादन, प्रोटीन की निर्माण, डी.एन.ए. की रचना और नाड़ियों में संवेदनाओं के प्रवाह के लिए बहुत जरूरी है। यह शरीर में पोटेशियम, फोस्फोरस, कैल्शियम, ऐडरिनेलीन और इंसुलिन के स्तर को सुचारु बनाये रखता है। साथ ही यह अस्थियों को मजबूत और हृदय को स्वस्थ रखता है। हमारा शरीर ATP से ऊर्जा प्राप्त करता है और ATP-ADP शरीर की सबसे अहम जैविक क्रिया है। इस क्रिया में मेग्नीशियम एडीनोसाइन ट्राइफोस्फेट (ATP) से फोस्फेट लेकर एडीनोसाइन डाइफोस्फेट (ADP) को देता है।
हृदय और कंकालीय मांस-पेशियों की स्वस्थ कार्य प्रणाली के लिए कैल्शियम और मेग्नीशनयम का संतुलन बहुत जरूरी है। इसे पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन-डी के साथ देने से अस्थियां मजबूत होती है और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव होता है। इसी तरह नाड़ियों में संवेदनाओं के प्रवाह के लिए भी रक्त में इनका संतुलन जरूरी है।
किण्वक या एंजाइम्स विशेष तरह के प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में अमुक जैविक क्रिया में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। मेग्नीशियम ऐसे 350 एंजाइम्स के निर्माण और कार्य प्रणाली में मदद करता है। यह जीन की कार्य प्रणाली के लिए जरूरी होता है। यह प्रोटीन, शर्करा और वसा के चयापचय में आवश्यक खनिज माना जाता है।
Arogyasutra is one of the prominent companies dealing in high quality Ayurvedic and Herbal products in the market. Our company is a leading manufacturer of several kinds of Ayurvedic medicines, herbal cosmetics, and personal care products. The company has proved its worth in international markets by exporting such wide range of ayurvedic formulations from ancient Ayurveda texts. The foundation stone of the company was laid in 2006 under the dynamic vision and able administration of Mr. Bhupinder Verma, who is Partner in the company.
Now Company has decided to promote a few of its products in the prestigious world of Multi Level Marketing. Our plan is known as HERBOWEALTH. In www.herbowealth.com, just to begin with, we have launched several types of products, which includes personal care products for Females, personal care products for Males, Ayurvedic Anti aging formulations and Herbal Cosmetics.
आज हम सभी लोग जानते हैं कि हमारे शीरर को विटामिन सी की कितनी ज्यादा आवश्यकता है। आपने टेलीविजन तथा अन्य सोशल मीडियां पर अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि कोरोना से बचना है, तो विटामिन सी युक्त पदार्थ का सेवन करना बहुत ही जरुरी है। लेकिन क्या हम लोग ऐसे उत्पाद का सेवन कर रहे हैं। मेरे ख्याल से नहीं। आपके इस समस्यां को दूर करने के लिए हम यहां पर वेस्टीज का एक उत्पाद (वेस्टीज आमला कैप्सूल) के बारे में चर्चा करेंगे।
अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन
“पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया।” आज हमारे वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने अपनी शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पतियों आदि की खोज कर ली है जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहे। यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है। आपको याद होगा प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि योग, तप, दैविक आहार व औषधियों के सेवन से सैकड़ों वर्ष जीवित रहते थे। इसीलिए ऊपर मैंने पुरानी कहावत को नया रुप दिया है। ऐसा ही एक दैविक आयुवर्धक भोजन है “अलसी” जिसकी आज हम चर्चा करेंगें।
पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इन्टरनेट, टी.वी. आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। भारत के विख्यात कार्डियक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान अपने रोगियों को नियमित अलसी खाने की सलाह देते हैं ताकि वह उच्च रक्तचाप व हृदय रोग से मुक्त रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है। आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है। मैंने यह भी पढ़ा है कि सचिन के बल्ले को अलसी का तेल पिलाकर मजबूत बनाया जाता है तभी वो चौके-छक्के लगाता है और मास्टर ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाये और निरोगी व दीर्घायु रहे इसलिए उन्होंने इसके लिए कड़े कानून बना दिए थे।
Skin problems are mainly caused due to our poor lifestyle and diet. What we eat shows on our face. If our body is not healthy, then the skin will also not look glowing and healthy. Skin problems like pimples, rashes, dry skin, eczema, leucoderma, scurvy etc. are directly related to poor digestion and stomach discomfort. Poor bowel activity and kidney problems also damage the skin. To prevent this, yoga asanas and pranayama are very important.
nazar ka lagana (nazar utarnae ke upay) ek bahut hee bada dosh maana gaya hai kaha jaata hai kee jab kisee kee buree nazar lagatee hai to banate hue kaam bhee bigad jaate hai . kisee ka achchha chalata hua bizanes bhee kharaab ho jaata hai nazar anajaane mein ya jaanate hue lag jaatee hai aisa bhee kahate hai kee maan kee nazar bhee bete ko lag jaatee hai doston ham is lekh mein baat karane vaale hai nazar kaise lagatee hai
Your body, like your skin and especially your face, is on the receiving end of a stressful lifestyle. If you are not eating properly or engaging in some stressful diet, expect hormonal fluctuations which can manifest as breakouts and other skin problems. However, the science of yoga based on ancient Indian wisdom may offer some relief. People who practice yoga regularly make a lot of noise about the tremendous effects it has on their body and mind. Of these, healthy skin are some of the visible benefits of yoga.
Linomel Muesli
“Muesli" should be eaten regularly, prepared as follows:
Put 2 tablespoons of LINOMEL in a glass bowl. Cover this with a layer of fresh fruit in season, (i.e.: berries, cherries, apricots, peaches, grated apples). Now prepare a mixture made with Quark and Flax Seed Oil.
Add 3 tablespoons Flax Seed Oil to 100 - 125 g Quark, a little milk (2 Tblsp) and mix thoroughly until the oil has been totally absorbed. Lastly, add 1 tablespoon honey. In order to give it a new flavor every day, rosehip pulp, buckthorn juice, other fruit juices or ground nuts may be added. Butter is not recommended. Only herb teas should be served, but a cup of black tea is permitted on occasion.
अभी तक हुए 1500 से अधिक शोधों से यह साबित होता है कि नारियल तेल (कोकोस न्युसिफेरा) हमारी धरा पर विद्यमान एक स्वास्थ्यप्रद और उत्कृष्ट तेल है। सेहत से लेकर सुंदरता तक नारियल तेल प्रकृति का नायाब और अनमोल उपहार है। इसके करिश्माई फायदे आपको चौंका देंगे। गर्म करने पर यह खराब नहीं होता। इसकी शैल्फ लाइफ दो वर्ष से अधिक है। हमें अनरिफाइंड, अनहीटेड, ऑर्गेनिक, कॉल्ड-प्रेस्ड और एक्स्ट्रावर्जिन तेल प्रयोग में लेना चाहिए।
विश्वविख्यात फैट और ऑयल्स एक्सपर्ट और जर्मनी के फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ फैट्स रिसर्च की चीफ एक्सपर्ट डॉ जॉहाना बडविग ने साबित किया है कि नारियल तेल फ्राइंग और डीप फ्राइंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। गर्म करने पर इसमें ट्रांसफैट नहीं बनते। कैंसर के रोगी भी इस तेल को प्रयोग कर सकते हैं।
पौराणिक महत्व
हिंदू धर्म में नारियल एक शुद्ध, सात्विक, पवित्र, फलदायी एवं लक्ष्मी माता से मनुष्य को जोड़ने वाला फल है, इसीलिए इसे संस्कृत में श्रीफल कहते हैं, श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी। किसी भी धार्मिक एवं शुभ कार्य में हुई पूजा में नारियल रखने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। घर में नारियल रखने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं। मंदिरों में आमतौर पर इसे पूजा के दौरान भगवान की मूर्ति के सामने फोड़ा जाता है। फोड़ने के बाद यह नारियल प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।
What is the Black Seed?
Its botanical name is Nigella sativa. It is believed to be indigenous to the Mediterranean region but has been cultivated into other parts of the world including the Arabian peninsula, northern Africa and parts of Asia.
The Black seeds originate from the common fennel flower plant (Nigella sativa) of the buttercup (Ranunculaceae) family. It is sometimes mistakenly confused with the fennel herb plant (Foeniculum vulgare).
The plant has finely divided foliage and pale bluish purple or white flowers. The stalk of the plant reaches a height of twelve to eighteen inches as its fruit, the black seed, matures.
The Black Seed forms a fruit capsule which consists of many white trigonal seeds. Once the fruit capsule has matured, it opens up and the seeds contained within are exposed to the air, becoming black in color.
The Black seeds are small black grains with a rough surface and an oily white interior, similar to onion seeds. The seeds have little bouquet, though when rubbed, their aroma resembles oregano. They have a slightly bitter, peppery flavor and a crunchy texture.
The Black Seed is also known by other names, varying between places. Some call it black caraway, others call it black cumin, onion seeds or even coriander seeds. The plant has no relation to the common kitchen herb, cumin.
Muslims’ use of the Black Seed:
Muslims have been using and promoting the use of the Black Seed for hundreds of years, and hundreds of articles have been written about it. The Black Seed has also been in use worldwide for over 3000 years. It is not only a prophetic herb, but it also holds a unique place in the medicine of the Prophet .
It is unique in that it was not used profusely before the Prophet Muhammad made its use popular. Although there were more than 400 herbs in use before the Prophet Muhammad and recorded in the herbals of Galen and Hippocrates, the Black Seed was not one of the most popular remedies of the time. Because of the way Islam has spread, the usage and popularity of the Black Seed is widely known as a "remedy of the Prophet ." In fact, a large part of this herbal preparation's popularity is based on the teachings of the Prophet .
The Black Seed has become very popular in recent years and is marketed and sold by many Muslim and non-Muslim
Sauerkraut Health Benefits
Professor of Probiotics including rare Lactobacillus Plantarum
Digests everything
High in Vitamin B group and C
Vanishes GERD and IBS
Immunity booster
High in Fabulous Fiber
Fights Cancer
benefits of Cottage Cheese
sulfur containing protein
bonds and carries flax oil into the cells
Makes healthy and electron rich cell wall
Detoxify the body
dextro rotating lactic acid
alkalize the body
Neutralize the killer levo rotating lactic acid
lactoferrin and lactoferricin
anti-bacterial and anti-viral
builds lymphocytes, monocytes & macrophage
boosts immunity
FOCC is mixture of Flax oil and cottage or quark. It is full of electron rich omega-3 fats, has power to attract healing photons from sun and other celestial bodies through resonance. These fats are full of high energy pi-electrons, which attract oxygen into the cells and are capable of healing cell membranes.
As “Om” is divine word and synonym of God in India. According to Hindu mythology, the whole universe is located inside “Om”, so the name Omkhand has been given to this wonderful recipe.
Black Seed – Cures every disease except death Om Verma
Nigella sativa or Black Seed is an annual flowering plant, native to southwest Asia, eastern coastal countries of Mediterranean region and North Africa. Nigella is a derived from Latin word Niger (black). It grows to 20–30 cm tall, with finely divided, linear leaves. The flowers are delicate and usually coloured pale blue and white, with five to ten petals. The fruit is a large and inflated capsule composed of three to seven united follicles, each containing numerous seeds.
The Black seeds are small black grains with a rough surface and an oily white interior, similar to onion seeds. Black seed has a peculiar aromatic and pungent smell, while onion seeds don’t have this smell. Black seeds have a slightly bitter, peppery flavor and a crunchy texture. The seed is used as a spice, medicine, cosmetic and flavoring agent.
Sour cabbage – Professor of Probiotics
The first and most overlooked reason that our digestive tract is crucial to our
health is because 80 percent of our entire immune system is located in your
digestive tract. In addition, our digestive system is the second largest part of our
neurological system, called enteric nervous system or the second brain.
Probiotics are live beneficial bacteria, which hold the master key for healing
digestive issues, better health, stronger immune system, mental and neurological
disorders. Sour cabbage is the best probiotic food (Germans call it Sauerkraut), It
is produced by lacto-fermentation of the cabbage.
Wild Oregano (Origanum Vulgare ) is a perennial herb that has purple flowers and spade-shaped, olive-green leaves. The whole plant has a strong, peculiar, fragrant, balsamic odour and a warm, bitterish, aromatic taste, both of which properties are preserved when the herb is dry. The oregano sold as a spice is either Sweet Marjoram (Origanum majorana) or Mexican Sage.
There are over 40 oregano species, but the most therapeutically beneficial is the wild oregano or Origanum vulgare that's native to Mediterranean mountains. To obtain oregano oil, the dried flowers and leaves of the plant are harvested when the oil content of the plant is at its highest, and then distilled.
Mayo Dressing
This is part of Budwig Protocol proposed to cure cancer developed by Dr. Budwig.
Delicious mayo salad dressing can be prepared by mixing together 2 Tbsp (30 ml) Flax Oil, 2 Tbsp (30 ml) milk, and 2 Tbsp (30 ml) cottage cheese. Then add 2 tablespoons (30 ml) of Lemon juice (or Apple Cider Vinegar) and add some herbs of your choice.
Health Benefits
Ocean of Probiotics including rare
Lactobacillus Plantarum
Digests everything
Very high in B Vitamins and Vitamin C
Vanishes GERD and IBS
Immunity booster
High in Fabulous Fiber
Fights Cancer
Biography of Dr. Johanna Budwig in Health of India (Covery Story)Om Verma
Definitively Budwig Protocol is a miracle cure for cancer with documented 90% success if you follow this treatment perfectly and religiously. This treatment targets on prime cause of cancer. Prime cause of Cancer is oxygen deficiency in the cells. Two factors are essential to attract oxygen in the cells: 1- Sulfur containing protein (found in cottage cheese) and 2- some unknown fat which nobody could identify until 1949 when Dr. Budwig developed paperchromatography technique to identify fats. These fats were Alpha-linolenic acid and linoleic acid found abundantly in FLAX OIL. Thus she developed Cancer therapy based on Flax oil and cottage cheese.
पिछले महीने हमें बॉक्सर प्रजाति का एक श्वेत “पप” प्राप्त हुआ, जिसे हम मिनी बुलाने लगे थे। हम सब बहुत खुश थे। पूरे परिवार में खुशी की लहर थी।
परंतु 4 मई की रात को अचानक मुई बिजली गुल हो गई। मिनी अंधेरे में नीचे उतर गई और नीचे किसी लड़के ने गलती से अपना पैर मिनी के पैर पर रख दिया। बस बेचारी असहाय मिनी की जोर से चीख निकली। हम सब उसकी चीख सुन कर नीचे भागे। वह दर्द के मारे चीखती ही जा रही थी। हमारी समझ में आ चुका था कि मामला अत्यंत गंभीर है और जरूर इसकी फीमर का फ्रेक्चर हुआ है। हमारी सारी श्वेत और उज्वल खुशियों पर यह काली रात कालिख पोत चुकी थी। पूरी रात हम सो भी न सके। कभी मैं, तो कभी मेरी पत्नि उसे गोद में लेकर रात भर बैठे रहे।
सुबह कोटा के कई वेट चिकित्सकों से परामर्श ले लिया गया। कोई ठीक से बता नहीं पा रहा था कि मिनी के पैर का उपचार किस प्रकार होगा, रोड डलेगी, सर्जरी होगी या प्लेटिंग करनी होगी। हमें लगा कि कोटा में समय बर्बाद नहीं करना व्यर्थ है और तुरंत मिनी को जयपुर या दिल्ली के किसी बड़े वेट सर्जन को दिखाना चाहिये।
मैंने मेरे एक मित्र अनिल, जो जयपुर में रहते हैं, से बात की। उन्होंने मुझे पूरा आश्वासन दिया व कहा कि उनके ब्रदर-इन-लॉ विख्यात वेट चिकित्सक हैं और वे सब व्यवस्था करवा देंगे। तब जाकर मन को थोड़ा सकून मिला। 10 मिनट बाद ही उनके ब्रदर-इन-लॉ ड
After the advent of "lipid hypothesis", which linked the consumption of dietary fat with increased risk of heart disease and other health problems, fat was highly defamed by the medical establishment that many people started thinking that the best answer to the "fat problem" is to stay away from it as far as possible. Food processing companies quickly took advantage of this era of “fat phobia”, and soon flooded the market with "low fat" and "no fat" products, promising to put an end to heart disease and obesity, but the incidence of these diseases is still skyrocketing.
The truth is that not all fats are equal. While the consumption of some bad fats (trans-fats) are, really, a risk factor for many health problems, some other fats, including alpha-linolenic acid ALA and linoleic acid LA, are so important for health that they have been termed "essential fatty acids" (EFAs). Our body needs them to perform vitally important functions, but our body is unable to produce them. Therefore, we must get them from our food. That's why any attempt to indiscriminately reduce or eliminate all fats from our diet inevitably leads to an EFA deficiency, which may be very dangerous to health.
For all the good it does, fat is often blamed to cause obesity, because it contains 9 calories per gram, in contrast to carbohydrate and protein which contain only 4 calories. Yet, it's a mistake to relate dietary fat with body fat. You can get fat by eating carbs and protein, even if you eat little dietary fat.
In 1956, Hugh Sinclair, one of the world's greatest researchers in the field of nutrition, suggested that an upsurge in the so-called "diseases of civilization" e.g. coronary heart disease, strokes, type-2 diabetes, arthritis and cancer - was caused by modern diets being extremely poor in essential fatty acids (EFA) and full of processed foods rich in trans-fatty acids. Although Sinclair's opinion was not supported by his pears, and he was even criticized by some of them for his bold hypothesis; later research convincingly showed that he was, indeed, correct. In fact, he is now praised for insights that were far ahead of his time.
Fat gives us beauty, shape and protection. A thin fat layer located under the skin helps to insulate and maintain the proper body temperature. Fat is used as a source of backup energy when carbohydrates are not available. Vitamin A, D, E and K are known as fat-soluble vitamins, need fat in order to be absorbed and stored. Fats are also responsible for making sex hormones, cell membranes and prostaglandins.
आपने पोर्नोग्राफिक वेब साइट्स और सेक्स पत्रिकाओं में जी-स्पॉट के बारे में अक्सर पढ़ा होगा। जहाँ कुछ लोग इसको लेकर बहुत उत्सुक हैं और इसका आनंद भी उठा रहे हैं, वहीं कुछ नकारात्मक विचारधारा वाले लोग इसे महज़ किसी सिरफिरे व्यक्ति के दिमाग की उपज मानते हैं। वे मानते हैं कि जी-स्पॉट नाम की कोई चीज है ही नहीं। जी-स्पॉट पर इतना हल्ला होने के बाद भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसलिए मैं आज रहस्य के सारे परदे उठा कर सच्चाई को उजागर कर देना चाहता हूँ। तो चलिए सबसे पहले हम इतिहास के पन्नों को पलटने की कौशिश करते हैं।
1950 के दशक में विख्यात गायनेकोलोजिस्ट डॉ. अर्न्सट ग्रेफनबर्ग ने इंटरनेशनल जरनल ऑफ सेक्सोलोजी में The Role of Urethra in Female Orgasm नाम से एक प्रपत्र प्रकाशित किया था। इन्होंने स्त्रियों की यूरेथ्रा के चारो तरफ कोर्पोरा केवर्नोजा की तरह एक स्पंजी और इरेक्टाइल टिश्यू को चिन्हित किया, जिसे यूरीथ्रल स्पंज कहा जाता है। इसके बाद 1980 के दशक में सेक्स एजूकेटर और काउंसलर बेवर्ली व्हिपल और सायकोलोजिस्ट और सेक्सोलोजिस्ट जॉन पेरी ने डॉ. अर्न्सट ग्रेफनबर्ग की शोध को आगे बढ़ाया और अंततः डॉ. अर्न्सट ग्रेफनबर्ग के नाम पर इस इस रहस्यमय स्पॉट का नाम जी-स्पॉट रखा।
आज हम सभी के लिए खुशी और उल्हास का अवसर है, हमारे कुंवर निशिपाल का परिणय बंधन सौ.कां. निधि के साथ होने जा रहा है। हम सब इनके सुखी और आनंदमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं। इस अवसर पर मैंने यह सत्यपाल गीता तैयार की है। अलसी के नीले फूलों से सजी यह गीता में हमारे आदरणीय पिताजी ठाकुर सत्यपाल सिंह जी के चरणों में समर्पित करता हूँ।
डाॅ. ओ.पी.वर्मा श्रीमती उषा वर्मा
1. सु�ी / �ीमती स�दयर् िवशेषज्ञ महोदया,
सादर अिभनंदन,
आपको यह प� के िलखने का मुख्य �योजन सुपरस्टार भोजन अलसी के चमत्कार� से आपको अवगत करवाना है। फाइबर,
िवटािमन, िलगनेन और ओमेगा-3 फै ट से भरपूर अलसी त्वचा, के श व नाखून का �ाकृ ितक �ृंगार है। यह एक भोज्य स�दयर् �साधन है
जो बाहरी व आंत�रक द�नो तरफ से कायर् करता है अथार्त एक तरफ जहां इसका बाहरी लेप चेहरे को जादुई चमक �दान करता है,
दूसरी तरफ वह� इसका सेवन �ी क� खूबसूरती म� अन्दर से िनखार लाता है।
चमर् रोग को दूर भगाये, क�ल मुहासे खाज िमटाए
दाद छाल एग्जीमा कै सा �प िनखारे सोने जैसा
हम चाहते ह� �क आप अपनी क्लाइंट्स को अलसी का तेल और अलसी खाने क� सलाह द�। इसका उबटन और लेप भी जादुई िनखार
लाता है। यक�न मािनये इसके सेवन से उनके स्वास्थ्य व सौन्दयर् म� चार चाँद लग जाय�गे। इसी उ�ेष्य से हम आपको एक पुिस्तका और
डी वी डी भेज रहे ह�। यह डी वी डी हमारी िवशेष सिचव मीना सुमन ने लंबी शोध के बाद तैयार क� है। इसे आप संजो कर सदैव
अपने पास रखेगे। इस डी.वी.डी. म� अलसी और �ी स्वास्थ्य पर डॉ. ओ.पी.वमार् के कु छ शानदार लेख ह�, इनके इंटर�ू, �ो�ाम और
वीिडयोज़ ह�। साथ ही ब्यूटी और मेकअप पर कु छ लेख, वीिडयोज़, के टेलोग और स्लाइड शो ह� तथा कु छ बेस्ट सेलर और दुलर्भ �कताब�
जैसे Word best kept beauty secrets, Green Beauty Guide आ�द ह�। मीना सुमन ने कॉस्मे�टक्स म� िमलाए जाने वाले
खतरनाक रसायन और टािक्सन क� तरफ आपका ध्यान आक�षत करने क� कोिशश क� है, ता�क आप समुिचत कदम उठाएं और
मिहला� को जाग�क बनाने क� कोिशश कर�। य�द हम सचमुच चाह� तो ऑग�िनक और नेचुरल कॉस्मे�टक्स का �योग करके इन
खतरनाक रसायन� के खतर� को हम ब�त कम कर सकते ह�। अलसी भी ब�त मददगार सािबत होगी।
अलसी बने सहेली त्वचा बने नवेली
रे शमी जुल्फ� का राज अलसी
मीना सुमन हमेशा ि�य� को कु छ जादुई सप्लीम�ट्स और शीतल िविध से िनकला अलसी का उत्कृ � तेल �योग करने क� सलाह देती
ह�। ये उत्पाद हम आपको उपलब्ध करवा द�गे। इन उत्पाद� क� जानकारी और �ाइस िलस्ट भी डी.वी.डी. मे दी गई है। मिहलाएं
अपनी स्वास्थ्य समस्याएं अक्सर ब्यूटीिशयन को बतलाती ह�। हम चाहते ह� �क िच�कत्सक बन कर आप उनक� समस्या� का
समाधान भी कर�। इस उ�ेष्य से भी हम कु छ जानका�रयां आपको दे रहे ह�। हम चाहते ह� �क आप समय िनकाल कर उपरो� साम�ी
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सम्पकर् कर सकती ह�।
सिचव,
फ्लेक्स अवेयरनेस सोसायटी
7-बी-43, महावीर नगर तृतीय, कोटा राज.
ओमेगा-3 क� माया से सुंदर बने काया
शंकर संग सुनदा भयो रे जग आनंदा, भयो रे जग आनंदा....
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गौरा संग नाचे ित्रपरारी िलपटे देह भजंगा, भयो रे जग आनंदा....
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सब देिवयों में अलसी बड़ी है कर दे सबको चंगा, भयो रे जग आनंदा....
तन में यौवन भर देती है चमके नख िशख अंगा, भयो रे जग आनंदा....
सुमित जगाये सद्गण आये बहती �ान क� गंगा, भयो रे जग आनंदा....
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उम्र बढ़ाये रोग भगाये गण है तेरे अनंता, भयो रे जग आनंदा....
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श्रद्धा भि� प्रेम बढ़ाये तू ही परमानंदा, भयो रे जग आनंदा....
ध्यान लगाये कंु डिल जगाये छूटे जग का फं दा, भयो रे जग आनंदा....